मेरा नाम पीके है, मैं अपने जीवन की पहली घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ, जो सच्ची घटना पर आधारित है. मैं उस समय पढ़ता था.. मेरी बुआ की लड़की हमारे घर पर एक माह के लिए रहने आई थी. उसका नाम रितु है, हम दोनों हमेशा साथ साथ ही रहते थे. वो बार बार मुझे अपनी तरफ खींच लेती थी और कहती थी कि चलो पति पत्नी का खेल खेलते हैं. यह कह कर वह हमेशा मेरे बदन से चिपक जाती थी और मेरी लुल्ली को पकड़ कर मसल देती और अपने आप ही मेरे ऊपर चढ़ जाती.
उस वक्त मुझे सेक्स या कोई और फीलिंग महसूस नहीं होती थी. इसके उलट मैं गुस्सा होकर उसकी पिटाई कर देता था, तो वो नाराज होकर मुझसे दूर हो जाती थी.
फिर समय के साथ-साथ मैं भी बदलता गया.
अब होली का पर्व आने वाला था और मेरी चाची को मायके जाने के कारण रितु को ही मेरे यहाँ आना पड़ा. मैं उस समय 19 का हो गया था और रितु 18 की चढ़ती जवानी थी, उसके स्तन उभार ले रहे थे.. उसके गालों पर प्रीति जिन्टा की तरह हँसने पर डिम्पल बन जाते थे. उसकी मचलती जवानी, पतली कमर और नशीली आँखों का मैं दीवाना होता चला गया.
उसी समय मैंने एक पैन्ट को काट कर हाफ पैन्ट बनाया था, जो उसे काफी पसंद था. वह दिन में काम करते समय मुझसे मेरा ही पैन्ट छुड़ाकर पहन लेती और मुझे मांगने पर भी नहीं देती. इस दौरान छीना-झपटी में मेरा हाथ उसके स्तनों पर पड़ जाता तो वो गुस्सा होकर मुझसे दूर हो जाती.
मुझे इसमें मजा आने लगा था, अब मैं जानबूझ कर उससे अपना पैन्ट छीनता, उसके बदन को छूने की कोशिश करता और कभी कभी उसके करीब जाकर पीछे से उसे पकड़ लेता और वो भागने की कोशिश करने लगती, तो मेरी पकड़ उस पर और मजबूत होने लगती.
उस दौरान उसकी मादक सिस्कारी मुझे और उत्तेजना पैदा कर देती और मैं उसे अपनी बांहों में ही भर कर अपने आगोश में ले लेता. ऐसे मौकों पर कभी-कभी मैं उसकी गर्दन पर किस कर देता और अपनी गर्म साँसों से उसके अन्दर उत्तेजना पैदा करने लगता. बात इसी तरह बढ़ती चली गई और मेरी तरफ वो आकर्षित होने लगी. अब तो जब भी मुझे मौका मिलता, मैं उसके गालों को चूम लेता और उसे बांहों में भर लेता.
कुछ दिन बीतने के बाद मैंने एक तरीका निकाला.. और मैं उसके गुप्तांगों से खेलने का बहाना ढूँढने लगा. जैसा कि मैंने बताया कि उसे मेरा हाफ पैन्ट पसंद था.. जो वो पहनकर दिन में काम किया करती थी. यह बात सोच कर मैंने क्या किया कि उस पैन्ट की दोनों जेबों में बड़े-बड़े छेद कर दिए.. ताकि उसकी जेब में हाथ डालने पर मेरा दोनों हाथ उसके जाँघों पर घूमने लगे.
अब मैं कभी भी उसे पीछे से पकड़ लेता और पॉकेट में हाथ डाल कर उसकी गोरी चिकनी जाँघों को सहलाने लगा.
जब उसका कोई विरोध नहीं हुआ, तो मैं और शरारत करने लगा. मैं जेब में हाथ डाल उसकी पावरोटी की तरह फूली हुई बुर को अपने हाथों से सहलाने लगा. इस समय मैं उसके कानों को अपने दांतों से काटने लगता था. इस सबसे उसे गुदगुदी सी लगती.. तो वो छटपटाने लगती और भागने की कोशिश करती.. तो मेरी पकड़ उस पर और जोर से होने लगती थी.
इस कारण से मेरे दोनों हाथ उस पैन्ट की फटी पॉकेट की वजह से उसकी बुर की तरफ दबाव बढ़ाने लगते और रितु के मुँह से ‘आह.. आह..’ की आवाज निकलने लगती और वो मुझसे लिपटने लगती.
जब मुझसे लिपटने लगती, तो मेरा लंड उसकी गांड की दरार में पैन्ट के ऊपर से ही फंसने लगता और रितु और बेचैन होने लगती. इस तरह मस्ती में लिपटन-चिपकन बढ़ जाती तो मेरा लंड और उसकी गांड की दरार में और फंसता चला जाता. इससे रितु मस्त होने लगती और मेरा साथ देने लगती.
अब मेरा हाथ उसकी बुर में गहराई तक चला जाता और रितु और मचल कर अपनी जांघ को कस लेती और मुझे अपनी बांहों में कसने लगती.
यह सिलसिला अब रोज खाना बनाते समय किचन में होने लगा और रितु का मेरे प्रति आकर्षण होने लगा. हम दोनों का शारीरिक आकर्षण भी बढ़ गया था. अब तो वह मुझे बेहिचक अपने आगोश में ले लेती और मैं उसकी जीभ को अपने मुँह के अन्दर खींच कर उसे किस करने लगता जिसमें वो मेरा साथ देती और उसकी साँसें बढ़ने लगतीं. इस तरह के लम्बे चुम्बनों से उसका बदन अकड़ने लगता और मेरा हाथ उस फटी हुई पैंट की जेब से उसकी बुर में घुसता चला जाता.
अब वो मेरी ओर पूर्ण रूप से समर्पण करने लगी थी. हम दोनों के जिस्म वासना के इस रूप को समझने लगे थे.
एक दिन घर में किसी के नहीं होने के वजह से हमे अच्छा मौका मिल गया.. मैं रितु को बाथरूम में ले जाकर उसके साथ नहाने लगा और उसके कपड़ों को केले की छिलके की तरह उतारने लगा. मैंने उसकी ब्रा को भी निकाल दिया और उसे चुम्बन करने लगा, कभी उसके पेट पर कभी नाभि पर.. कभी कमर पर चूमने लगा.
वो भी मस्त होकर अपनी चूचियां मेरे मुँह की तरफ बढ़ाने लगी तो मैं उसकी एक चूची का अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसते हुए काटने लगा. इस तरह उसे बाथरूम में ही मैं उत्तेजना में लाने लगा और उसके पैरों से लेकर बुर तक चूमना चालू कर दिया.
वो पागलों की तरह चिल्लाते और कराहते हुए मेरा सर पकड़ कर दबाने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उससे अपनी चढ़ती जवानी खुद के बस में नहीं रही और मैं अपने हाथों से उसके हर अंग पर चुम्बनों की बौछार करता हुआ उसकी बुर में अपनी जीभ लगा कर लगातार चूसने लगा.
वो चुदास के नशे में मेरा सर अपनी बुर में दबाती चली गई. मैंने उसकी बुर को इतना गर्म कर दिया था कि वो मेरे लंड को अपने दांतों से काटने लगी और चूसने लगी.
कुछ ही पलों में वो मेरे लम्बे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप जैसे चूसने लगी. मैं भी लंड चुसाने में मस्त हो गया और राजधानी एक्सप्रेस की तरह उसके मुँह में अपने लंड को आगे पीछे पूरी ताकत से पेलने लगा.
कुछ देर तक लंड को उसके मुँह में पेलने के मैं झड़ने को हो गया था तभी उसकी बुर भी बिन मौसम की बरसात की तरह झड़ने लगी, वो अपने शरीर को झटके देते हुए लगातार कई बार झड़ी और तभी मैं भी झड़ गया. मेरे झड़ते ही उसने मेरा सारा माल अपने मुँह में ले लिया.
अब मैं और रितु बाथरूम में ही एक-दूसरे से निढाल होकर चिपक गए.
अब तक दिन के 12 बज चुके थे, अंकल खाना खाने आने वाले थे.. हम लोग फ्रेश होकर रूम में आ गए और अंकल के जाने के बाद तुरन्त ही हम लोगों ने भी खाना खाया और टीवी पर मर्डर फिल्म देखने लगे.
मुझे चुल्ल हो रही थी.. तभी कुछ हॉट सीन आ गए. मैंने रितु को उसी तरह अपनी बांहों में भर लिया और उसे किस करने लगा, वो भी मुझसे लिपट गई. मैं उसकी बुर में हाथ लगा कर उसकी बुर को रगड़ने लगा और जोर-जोर से उसकी बुर को सहलाले लगा. वो पागलों की तरह मेरे बालों को सहलाने लगी.
मुझ पर वासना का भूत सवार हो गया था तो मैंने उसके घाघरा को नीचे खीं दिया, फिर उसकी मिनीशर्ट को भी खींचते हुए उतार दिया. अब मेरे सामने उसकी छोटी सी ब्रा थी.. जिसमें उसके मम्मे फंसे से दिख रहे थे.
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को मसलने लगा. वो भी अपने हाथों से मेरा लंड को मसलने लगी. कुछ ही पलों में उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए.. मेरी गंजी को भी खींच कर फाड़ दिया.
मैंने देर न करते हुए उसे बेड पर लिटा दिया. अब मैंने उसके पैरों से चुम्बन करना चालू किया और उसकी जांघ तक खूब चूमा और चूसा. फिर उसकी बुर में उंगली डाल कर सहलाने लगा.
वो वासना में मस्त होने लगी और उसने 69 में होते हुए मेरे लंड को काटना चालू कर दिया. अब कभी वो मेरे लंड को जोर से काटती और एकदम गले तक ले लेती और हांफने लगती.
इधर मैंने उसकी बुर में इतनी तेज रफ्तार से उंगली करना शुरू दिया था कि वो एकदम से मचल उठी थी, अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. वो बार-बार मेरे लंड को हाथ में लेती.. तो कभी मुँह में भर के चूसने लगती.
इसी दौरान मैं एक बार फिर उसके मुँह में झड़ गया.. वो मेरा सारा माल पी गई और फिर मेरे आंडों से खेलने लगी. इस बार तो मुझे ऐसा लग रहा था कि क्यों ना मुझे कोई फाँसी पर चढ़ा दे.. लेकिन रितु की मस्त चुदाई के बाद..!
मैंने इस तरह उसको बेचैन कर दिया था कि वो अपने हाथों से मेरे लंड को अपनी बुर पर ले गई. पर मैं उसे और तड़पाने लगा.. उसकी बुर पर ऊपर से ही सुपारे को रगड़ने लगा.
वो कामुकता से चिल्लाने लगी- आह्ह.. अब मुझे नहीं तड़पाओ.. मैं तुम्हारी सारी बातें मानूँगी.. जब चाहोगे तब तुम्हारी हो जाऊँगी.. प्लीज़ फक मी.. प्लीज़ फक मी..!
मैं उसकी बुर की दोनों फांकों को फैलाकर अपनी जीभ से चाटने लगा और वो बस चिल्लाए जा रही थी. मैं भी उसकी बुर की मसाज करता रहा.
कुछ देर बाद जब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने अपना खड़ा लंड उसकी बुर में उतार दिया, उसकी दर्द से चीख निकल गई.
चूंकि मेरा और उसका पहली बार का सेक्स होने से उसे बहुत दर्द हो रहा था.. मुझे भी लंड की खाल खिंचती सी महसूस हो रही थी. मैं धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करता हुआ उसकी बुर में लंड पेलने लगा. इस तरह से मेरा आधा लंड उसकी बुर में घुस गया और वो जोर से चिल्लाने लगी. लेकिन मैं रुका नहीं और जोर-जोर से लंड पेलता रहा.
कुछ झटकों के बाद मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर टिका लिया और बिना लंड निकाले हाथ से थूक लगाकर फिर एक बार झटका मारा.. तब जाकर पूरा लंड उसके बुर में गया.
इस तगड़े शॉट से उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया और वह पूरी तरह मेरे आगोश में आ गई.
मैं धकापेल शॉट लगाने लगा और धीरे-धीरे उसका दर्द जोश में बदल गया. अब रितु मेरी बांहों में समा गई और अपनी गांड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी. इस तरह मैं उसको कई मिनट तक चोदता रहा.. उसकी धकापेल चुदाई करता रहा.
फिर मुझे याद आया तो मैंने गद्दे के नीचे से कंडोम निकाल कर लंड बाहर करके उस पर लगाया और कुछ देर की जबरदस्त चुदाई के बाद बुर में ही मतलब कंडोम में ही सारा माल निकाल दिया. वो भी झड़ चुकी थी तो उसने भी पस्त होकर मुझे अपनी बांहों में ले लिया.
इसके बाद तो हम दोनों की चुदाई जब तब चलने लगी.