सभी दोस्तों को वंश का नमस्कार. यह मेरी पहली कहानी है. मैं दिल्ली में रहता हूँ. मैं एक औसत सा दिखने वाला जवान लड़का हूँ. मेरी आयु तेईस साल की है मेरा बचपन से ही दूसरे धर्म की भाभियों और लड़कियों में बीता और मैं उनमें ही ज्यादा इंट्रेस्टेड रहता था. इसके पीछे एक ख़ास वज़ह यह थी कि उनमें एक अलग ही कशिश होती है. उनका वो बुरका पहन कर रहना. उसमें से उनकी खूबसूरत नशीली आंखें दिखना. उनका इतना गोरा जिस्म होता है कि बस पूछो ही मत. कुल मिला कर कोई भी मर्द उन्हें देख कर पागल हो सकता है.
मैं जहां रहता था, उसके पास ही एक उन लोगों एरिया था. बिजनेस के काम से में उस एरिया में जाता रहता था. उधर एक भाभी रोज अपनी बाल्कनी में कपड़े सुखाने आती थी और उनसे मेरा आई कॉंटॅक्ट हो ही जाता था. ये सब काफ़ी दिनों तक चलता रहा.
एक दिन वो मुझे मार्केट में मिल गयी और हमारी जान पहचान हो गयी. उसका नाम रुबीना था. मोबाइल नंबर्स एक्सचेंज भी हुए और हमारी बात भी हुई. मुझे पता चला कि उसका निकाह हो चुका था जबकि वो अभी केवल इक्कीस साल की थी. और उसकी एक बेटी भी पैदा हो गई थी, जो अभी सिर्फ एक साल की थी. उसके परिवार में उसका शौहर, उसकी बेटी और रुबीना थी. उसका पति एक फैक्ट्री में सुपरवाईजर की नौकरी करता था. रुबीना से फोन से बातचीत शुरू हो गई.
इन सभी बातों के पहले का वाकिया भी आप सभी के सामने लिखना चाहूँगा.
पहली बार जब मैं उससे बाजार में मिला तो मैं उसे देख कर जरा मुस्कुरा दिया, तो उसने पलट कर हाथ हिला कर मुझे विश किया. मैंने जब उसकी तरफ से हरी झंडी देखी तो मैं उसके करीब हो गया. वो अपने साथ अपनी बच्ची को लिए हुए बाजार से कुछ लेने आई थी.
मैंने उसके करीब जाकर उससे हैलो बोला तो उसने भी मुझसे हैलो कहा.
वो बोली- काफी दिन बाद आपसे हाय हैलो हो सकी है.
मैंने भी कहा कि हां मैं भी आपसे काफी दिन से बात करना चाह रहा था, लेकिन मुझे बिना किसी जान पहचान के आपसे बात करना थोड़ा ठीक नहीं लग रहा था.
वो बोली- आप कुछ बेचने आते हो न?
मैंने कहा- हां.
तो वो मुस्कुरा कर बोली- कुछ बेचने के बहाने ही मुझसे पूछ लेते.
मैंने सर खुजलाते हुए अपनी कमअक्ली पर अफ़सोस जाहिर किया.
वो बोली- चलिए कहीं बैठ कर बात करते हैं.
मैं उसको एक रेस्टोरेंट में ले गया और उससे बात करने लगा. उसका बातचीत करने का अंदाज बहुत ही खुला हुआ था. मुझसे वो बहुत ही खुल कर बात कर रही थी, जबकि मुझे थोड़ी झिझक हो रही थी.
मैंने उसके हाथ से उसकी बेटी को लिया तो उसने मुझे सहर्ष दे दिया. मैं उसकी बेटी को खिलाने लगा. तो वो रोने लगी.
रुबीना ने बेटी को मेरे हाथ से लेते हुए कहा कि शायद ये भूखी है. इसको मैं बाजार का कुछ भी नहीं खिलाती हूँ.
मैंने उसकी तरफ सवालिया निगाह से देखा, तो उसने बेझिझक कहा कि इसको दूध पिलाना होगा.
मैंने सोचा कि शायद दूध की बोतल लिए होगी. तो मैंने कहा कि हां तो पिला दो.
उसने अपने ब्रेस्ट से उसको दूध पिलाना शुरू कर दिया, जिसके लिए उसने मेरे सामने ही अपना बुर्का खोला, जो सामने से खुलने वाला था. अन्दर उसने कुर्ती नहीं पहनी थी, बल्कि उसकी जगह एक सामने से खुलने वाली शर्ट पहनी हुई थी. उसने शर्ट के बटन खोले और ब्रा उठा कर अपना एक बूब का निप्पल अपनी बेटी के मुँह से लगा दिया.
ये सब मैं साफ़ साफ़ देख रहा था. चूंकि हम दोनों रेस्टोरेंट एक कोने में बैठे थे, जिससे बाहर से आने वाले उसकी सिर्फ पीठ देख सकते थे.. इसलिए उसने ये सब बेझिझक किया था. जबकि मैं उससे पहली बार मिल रहा था और उसने मुझे अपना जिस्म का वो दूधिया हिस्सा दिखाने में तनिक भी गुरेज नहीं की थी, जिसके लिए किसी भी महिला को खूबसूरती हासिल होती है. मतलब किसी भी औरत को खूबसूरत बनाने में उसके मम्मे सबसे ज्यादा योगदान देते हैं.
किसी भी मर्द की कामुक निगाहें सबसे पहले किसी लौंडिया या औरत के मम्मे देखती हैं और उसके बाद उसकी उठी हुई गांड का मुआयना करती हैं.
रुबीना मेरे सामने अपनी दो उंगलियों में अपने गुलाबी निप्पल को दबा दबा कर अपनी बेटी को दूध पिला रही थी. मैं उसकी दूधिया चूची को देखे जा रहा था.
तभी मेरी निगाहें उसकी आंखों से मिलीं तो वो बड़े ही कातिलाना अंदाज से अपने होंठ चबाने लगी. उसकी मुस्कराहट उसकी कातिल निगाहों को और भी मादक बना रही थी.
मैं भी एक आह भरते हुए उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया.
इस छोटी सी मुलाक़ात के बाद हम दोनों ने अपने मोबाइल नम्बर्स एक्सचेंज कर लिए थे.
इससे कुछ ही दिनों में हमारी दोस्ती काफी गहरी हो गई थी. हम दोनों रोज बात करने लगे थे. इन बातों में हम दोनों अपनी रोज की बातें साझा करते थे. धीरे धीरे हमारी बातें पर्सनल होने लगीं. मैं उसकी सेक्स लाइफ के बारे में बातें करने लगा. शुरू में तो वो थोड़ा सेक्स के मुद्दे पर झिझकती थी, लेकिन बाद में खुल कर बात करने लगी. उसने मुझे बताया कि उसका निकाह उसकी मर्ज़ी के खिलाफ हुआ. वो अपनी जिंदगी में आगे पढ़ना चाहती थी, कुछ बनना चाहती थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया और उसका निकाह हो गया.
उसका शौहर भी ज़्यादा अमीर और हैंडसम नहीं था. जबकि रुबीना एक परी थी. उसका शौहर उसे प्यार नहीं करता था और लड़की पैदा होने के बाद वो उससे नफ़रत करने लगा था.
उसकी दुखभरी कहानी सुन कर मुझे बहुत बुरा लगा. धीरे धीरे हम दोनों में प्यार हो गया. हम मिलने लगे. फोन पर बहुत सारी बातें करने लगे.
अब हम दोनों एक दूसरे के होने चाहते थे. जब भी हम किसी पार्क में मिलते तो हम दोनों आपस में लिपट कर एक दूसरे से अपने प्रेम का इजहार करने लगे थे. मैं उसके होंठों का रस चूसता और वो मुझे चूम लेती. मैं उसके रस भरे मम्मों को मसलता और ऊपर से उसके जिस्म का मजा लेने लगा था. वो भी मुझसे चुदना चाहती थी क्योंकि उसका शौहर उसके साथ कुछ नहीं करता था. वो जवान होने के कारण वो भी अपने आपको रोक नहीं पाई.
मैंने उसकी चुदास देखी और उसकी चुदने की इच्छा जान कर, अपने एक दोस्त का फ्लैट अरेंज किया. फाइनली वो अपनी सहेली से मिलने जाने का बहाना बना कर मेरे साथ फ्लैट पर आ गयी. मैंने उसके लिए ब्रा और पेंटी खरीद ली थी. वो बुरखा पहन कर आई थी.
वो अपनी बेटी को साथ लाई थी. उसने अपनी बेटी को सुला कर एक सोफे पर लिटा दिया.
इसके बाद मैंने उसके करीब आकर उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूसने लगा. हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे. फिर मैंने उसे वो ब्रा पेंटी दी और पहनने को कहा. वो बाथरूम में चली गयी. उसने अन्दर जाकर ब्रा पेंटी के ऊपर अपना बुरका पहन लिया और बाहर आ गई.
मैंने उसको बेड पर लिटाया और उसका बुरका उतार दिया. उसने चुचे इतने मुलायम थे कि बस मैं उन्हें चूसता ही रहा. उसके चूचों के ऊपर एकदम गुलाबी निप्पल कड़े हो चुके थे. उसके चुचे दूध भरे होने से थोड़े फूल से गए थे. उसका दूध होना लाजिमी था, वो एक बच्चे की माँ बन चुकी थी.
लेकिन उसके बाद भी उसके चुचे बड़े और मुलायम थे. ऐसा लग रहा था, जैसे मैं रूई के गोले दबा रहा होऊं. मैंने उसकी बेटी के हिस्से का दूध भी पिया.
मैं उसके पूरे जिस्म को चूसता रहा, चाटता रहा. फिर मैंने जैसे ही उसकी चूत पर हाथ रखा.. वो पागल सी हो गयी. मैंने उसकी पेंटी उतारी और उसकी चूत में उंगली करने लगा. उसकी मस्त सफाचट गुलाबी चुत देख कर मैं अपने आपको रोक ही नहीं पाया और उसकी चूत पर अपनी जीभ लगा कर चाटने लगा. आज वो मेरे लिए अपनी चूत की शेविंग करके आई थी.
मैं उसकी चूत को बड़े मजे से चूस रहा था. शायद उसके शौहर ने आज तक उसकी चूत नहीं चाटी थी, इसीलिए वो इस मदहोशी से पागल सी हो गयी. थोड़ी देर तक चूत चाटने के बाद मैंने अपना लंड हिलाया और उसकी चूत की दरार में रख कर अन्दर डालने लगा. तो उसने भी बड़ी लज्जत से मेरे लंड को अपनी जन्नत में घुसवा लिया.
हम दोनों चुदाई का मजा लेने लगे. बड़ी देर तक इस हसीन महफ़िल में लंड और चूत ने कुश्ती लड़ी और आखिर में हम दोनों ने झड़ कर एक दूसरे को तृप्त कर दिया.
मैंने बिना कंडोम के उसकी चूत मारी, लेकिन बाद में उसे गर्भनिरोधक गोली भी दे दी. मेरे साथ सेक्स करने के बाद उसे एक संतुष्टि मिली, जो उसके चहेरे पर दिखाई दे रही थी. अब तक मैंने जितनी भी औरतों के साथ सेक्स किया है, रुबीना के जिस्म की बात सबसे अलग थी. कुछ समय तक मैंने रुबीना को हर तरह से चोद कर मजा दिया और लिया. वो मुझसे बेहद प्यार करने लगी थी.
कुछ दिन और समय मिलता तो शायद रुबीना के रजामंद होते ही हम दोनों शादी भी कर लेते. लेकिन उसके पति को कुछ भनक लग गई थी. जिस कारण से थोड़े टाइम के बाद रुबीना का परिवार दिल्ली छोड़ कर चला गया. मैं आज भी रुबीना को मिस करता हूँ.
आपका वंश
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