हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम करन है और ये मेरी पहली कहानी है. मैं अन्तर्वासना का बहुत आभारी हूँ जिसने सभी चोदू और चुदक्कड़ों को अपने अनुभव शेयर करने का प्लेटफॉर्म दिया.
यह बात 2012 की है, मैं अपने 3 दोस्तों के साथ बैठा हुआ था. कोई भी 25 साल से ऊपर का नहीं हैं और सभी एक नंबर के चोदू हैं. हमारे बीच राजस्थान घूमने की बात चल रही थी. हम सभी ने सोचा कि क्यों न आज ही घूमने चला जाए. बस बात ही बात में तय हो गया और हम लोग जोश में चल पड़े.
मगर ट्रेन का टिकट न होने के कारण बस से अजमेर के लिए जाना तय किया और कुछ समय बाद चल पड़े.
हम सभी बस की सेकंड लास्ट रो पर सीट मिली. मैंने देखा लास्ट सीट पर एक फैमिली बैठी थी. उसमें माँ बाप और एक बेटी थी. उसमें बेटी की कुछ 20-21 साल की रही होगी. वो एक सुन्दर लड़की थी. उसकी माँ कुछ मोटी सी 45-50 साल की थी.. और बाप काफी बूढ़ा लग रहा था, शायद 65 साल के आस-पास का रहा होगा.
तो हुआ यूँ कि मेरी नजरें उस लड़की से मिलीं, मैं अभी तक उसका नाम नहीं जानता था. अभी हम मान लेते हैं कि उसका नाम नगमा था. नगमा एकदम दूध से धुली अप्सरा लग रही थी उसने सलवार कमीज पहना था जिसमें उसने गहरे गले की कमीज पहन रखी थी जिससे उसके गोरे-गोरे चूचे झलक रहे थे.
सच दोस्तो, 36 से कम नहीं होंगे पूरी भरी हुई जवानी थी वो.. उसके रस भरे होंठ, उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, उसका बिंदास स्वभाव मेरे को रम गया था. मेरे दोस्तों ने यह बात भांप ली थी और मुझे उसके ठीक आगे वाली सीट पर भेज दिया था. बाकी के सभी दोस्त भी बैठ गए.
अब मैं पीछे मुड़ मुड़ कर नगमा को देखता, उसकी मेरी आँखें चार हुईं तो काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे को देखते रहे. तभी उसकी माँ ने मेरी तरफ गुस्से भरी नजरों से मुझे घूरा.
मैं डर गया.
तो नगमा की हंसी छूट गई.
दोस्तो, मैं मुँह मियां मिठ्ठू नहीं बन रहा हूँ लेकिन जिस पर भी आज तक चांस मारा है, कभी खाली हाथ नहीं गया. मैं पूरा 6’1″ लंबा गोरा पंजाबी लड़का हूँ, फ़ुटबाल खेलने का शौक़ीन हूँ इसलिए फिटनेस भी खिलाड़ियों जैसी ही है.
मैं उससे बात करने की काफी कोशिश करता रहा, पर मैं जब सर घुमाता उसकी माँ मुझे टेढ़ी नजरों से घूर रही होती और मैं डर के मारे अपनी नजरें आगे कर लेता.
बस अपनी रफ्तार से चल रही थी, करीब रात के एक बजे होंगे. बस एक ढाबे पे रुकी, सभी लोग उतरने लगे. मैं नगमा के उतरने का इन्तजार कर रहा था. फिर तभी नगमा आगे की तरफ निकली तो मैंने देखा आह.. उसकी पिछाड़ी क्या सही मटक रही थी.. दोस्तो ऐसा लग रहा था जैसे एकदम भरे हुए दो गुब्बारे हिल रहे हों. तभी मुझे रिझाने के लिए वो अपनी सैंडल ठीक करने के बहाने झुकी, तो उसकी गांड देखने लायक थी. मेरा मन तो कर रहा था कि साली को सबके सामने चोद दूँ.
वो उतरते समय मुड़ कर मेरी तरफ देख कर मुस्कराई. मुझे ग्रीन सिग्नल मिल चुका था, मैं बिना उसकी माँ का ख्याल किए नीचे उतरा, पर उसकी माँ अपनी सीट पर बैठी मुझे घूरती रही. मैं नगमा के पीछे गया, वो चाय ले रही थी. पर भीड़ ज्यादा होने के कारण वो भीड़ में काफी पीछे हो गई थी.
मैं पीछे से उसकी गांड की थिरकन देख रहा था, मेरा लंड.. और कुछ नहीं तो 40-45 मिनट से खड़ा था और अभी तो उसकी गांड देख कर ज्यादा ही टाइट हो गया था.
उसने चुपके से मुझे मुड़ कर पीछे से आते हुए देखा, मैं उसके ठीक पीछे खड़ा था. धीरे से मैंने अपना लंड उसकी मुलायम गांड से छुलाया, वो पहले से तैयार खड़ी थी. उसने अपनी गांड से मेरे लंड पे दबाव बना दिया. अब मेरा लंड उसकी दरार पे सट चुका था. मैं और वो चाय लेने के बहाने आगे-पीछे की ओर हिलोरें ले रहे थे. वो मेरे 7″ इंच लंबे व 4 इंच मोटे लंड का पूरा मजा ले रही थी. मैं भी उसकी गद्देदार गांड का पूरा मजा ले रहा था.
तभी उसने मुझसे कहा- एक्सक्यूज़ मी!
मैं जैसे किसी सपने से बाहर निकला, उसने मुझसे अपनी सुरीली आवाज में कहा कि क्या मैं उसके लिए चाय ले सकता हूँ.
मैंने कहा- हां क्यों नहीं.
कोई इस रसभरी को छू कर न चख ले, इसलिए मैंने कहा- आप बस के पास पहुँचिए, मैं चाय लेकर आता हूँ.
मैं जैसे ही चाय लेकर पहुँचा, मैंने देखा उसकी माँ भी साथ में खड़ी थी. फिर मैंने उसके पास जाकर उसको चाय दी. मैंने सोचा था कि कुछ देर चैन से बात हो पाएगी, पर उसकी माँ को क्या बोलता. उस समय अपने लिए लाई हुई चाय मैंने उसकी माँ को दे दी, तब शायद उसकी माँ का मेरे ऊपर कुछ भरोसा जमा और तब वो पहली बार मुस्कुराई.
उसकी माँ ने नगमा से कहा- चलो अब ऊपर आ जाओ.. बस अभी कुछ मिनट में चलने वाली है.
नगमा ने कहा कि वो बाथरूम करके आ रही है.
वो बाथरूम की तरफ चली गई और मैं अपनी किस्मत को कोसता हुआ अपने लिए चाय लेने वापस आ गया. जैसे ही मैं चाय ली, मैंने देखा नगमा इशारे से मुझे बाथरूम की तरफ बुला रही थी. मैं भी दबे पाँव लेडीज टॉयलेट में घुस गया और जैसे ही नगमा एक केबिन में घुसी, मैं भी उसके पीछे-पीछे चला गया और घुसते ही केबिन का दरवाजा बंद कर दिया. जैसे ही मैं घूमा नगमा ने मेरे ऊपर चुम्बनों की बरसात शुरू कर दी. वो चूमते-चूमते नीचे को पहुँच गई. मैं समझ ही नहीं पाया कि उसने किसी भूखी शेरनी की तरह मेरी जीन्स का बटन खोल दिया और मेरा खड़ा लंड मुँह में ले कर चूसने लगी. उसके लंड चूसने का अंदाज बयान कर रहा था कि नगमा खेली खाई लड़की है.
वो काफी अन्दर तक मेरे लंड को लेने की कोशिश कर रही थी, पर ले नहीं पा रही थी. मैं जोश में उसका सर दोनों हाथों से पकड़कर धक्के पे धक्का लगा रहा था.
फिर मैं उसके मुँह मैं झड़ने ही वाला था कि मैंने उसे ऊपर उठाकर उसकी सलवार उतार दी, उसके गोल-गोल चूतड़ और भरी हुई जांघें देख कर तो मैं और जोश में आ गया. उसे मैंने झुकने को कहा, वो दरवाजे का सहारा लेकर झुक गई और मैं भी झुक कर उसकी गांड चाटते हुए उसकी प्यारी गुलाबी चूत पे आ पहुँचा.
साली छिनाल चूत की शेव करके आई थी. उसमें से लगातार पानी निकल रहा था. मैंने उसकी बुर में दो उंगलियां अन्दर घुसेड़ डालीं और अन्दर बाहर करने लगा. वो उह आह उह आह करते हुए आवाजें निकाल रही थी. मैंने नीचे से अपनी जुबान से उसकी चूत चाटना शुरू कर दिया. उसकी मादक आवाजें इतनी तेज़ हो चुकी थीं कि कोई भी हमें पकड़ सकता था.
उसी समय वो एक चीख के साथ झड़ गई और जैसे ही मैं खड़ा होकर उसकी चूत में लंड डालने जा रहा था, उसी समय तेज़-तेज़ कोई दरवाज़ा पीटने लगा. मेरी तो गांड ही फट गई और नगमा की भी हालत खराब हो गई. बाहर से उसकी माँ की दरवाज़ा खोलने के लिए आवाज़ आ रही थी.
अब तो मेरा लंड भी डर के मारे सिकुड़ गया था. पता नहीं कहां से मुझमें ताकत आई और मैं तेज़ी से केबिन के दाहिने से दीवार पार छलांग लगा कर दूसरे केबिन में घुस गया.
तभी नगमा ने दरवाजा खोला, उसकी माँ चिल्लाते हुए बोली- क्या कर रही थी अन्दर?
“कुछ नहीं पेट सही नहीं लग रहा था.”
“और वो चीखने की आवाज़ कैसे थी?”
“अरे वो कोकरोच था अन्दर.. तो डर गई थी.”
तभी उसकी माँ ने कहा- चलो बस चलने ही वाली है.
मैंने सोचा चलो बच गए आज. फिर सोचा दो मिनट रुक कर निकलूंगा.
जैसे ही कुछ समय रुक कर निकला तो देखा मैंने बाहर आकर तो मेरी गांड ही फट गई. नगमा की माँ अपने बाल संवार रही थी. उनको देखकर मैंने खींसें निपोरते हुए कहा कि वो जेंट्स टॉयलेट का फ्लश काम नहीं कर रहा तो इधर आ गया.
वो मुझसे बोली कि क्या मैंने तुमसे कुछ पूछा?
मैं शर्मिंदा होकर तेज़ी से बाहर निकल गया और सीट पर जा के बैठ गया.
चूँकि मैं खिड़की वाली सीट पर बैठा था तो मैंने सोचा क्यों न सिगरेट पी जाए. बस चल चुकी थी, मैंने सिगरेट के 3-4 कश लगाए ही थे कि नगमा का बुड्ढा बाप खाँसने लगा.
मुझे नगमा की माँ डांटने लगी कि पब्लिक प्लेस में सिगरेट पीते हुए क्या तुम्हें शर्म नहीं आती.
मैं उसकी तरफ देखने लगा, तो उसकी माँ मुझसे बोली कि खिड़की वाली सीट पर अब उसका पति बैठेगा और मुझे पीछे बैठने को बोला.
मैंने भी सोचा क्यों न इस बात का फायदा उठाया जाए. मैं बोला- ठीक है पर मुझे खिड़की वाली सीट ही चाहिए.
अब इससे होता ये कि नगमा मेरे दाएं तरफ बैठेगी और हम रात में कम से कम एक दूसरे को छू तो सकते थे.
पर उस चूतिया लड़की को लंड से प्यारी खिड़की थी, तो मैं मजबूरी में उसकी माँ के दाहिनी तरफ बैठा था. यूं समझिये कि नगमा और मेरे बीच उसकी माँ थी.
काफी देर हो चुकी थी और कंडक्टर ने भी सारी लाइट्स बंद कर दी थीं. अब काफी अँधेरा हो गया था. मुझे नींद लग ही गई थी कि तभी मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मेरा लंड कोई सहला रहा है.
मैंने चुपके से बायीं तरफ देखा नगमा तो सो रही थी, फिर देखा कि नगमा की माँ का हाथ मेरी जांघ के ऊपर था और वो गहरी नींद में थी. कुछ देर बाद उसकी माँ मेरे कंधे पर सर रख कर सोने लगी, पर कुछ पल ही बीते थे कि फिर पैंट के ऊपर से मेरा लंड को सहलाना शुरू हो गया. मुझे समझते देर न लगी ये नगमा कि माँ भी रांड है.
मैं कुछ देर तो शांत रहा, फिर मैंने अपनी जिप खोल कर लंड बाहर निकाल दिया. उसकी माँ समझ गई कि मैं भी एक नंबर का हरामी हूँ, सो वो मेरे लंड को पकड़ कर तेज़ी से ऊपर नीचे करने लगी.
चूंकि बस की स्पीड काफी तेज़ थी और रात का सफर था तो उसकी माँ ने एक चादर ओढ़ी हुई थी. उसने उस चादर से मेरे को कमर से नीचे ढक दिया और सीट पर बैठे हुए ही चादर के अन्दर से ही मेरा लंड मुँह में लेने लगी.
मैं बता नहीं सकता दोस्तो कि क्या मजा आ रहा था. वो मेरे लंड पर चुप्पे पर चुप्पे मारे जा रही थी. मैं और वो दबी जुबान में पूरे मजे ले रहे थे.
तभी जब मैं झड़ने वाला था, मैंने उसका सर पकड़ कर अपने लंड की जड़ तक उसका हलक छुआया.. बस फिर क्या एक के बाद एक कई फव्वारे छूटे, पर मानना पड़ेगा कि जवान लंड को वो मजे से झेल गई.
मैंने उसे ऊपर उठाया, उसके होंठों से अभी भी काफी सारा माल बाहर आ रहा था.
अब मैं सोने की कोशिश कर ही रहा था कि नगमा कि माँ ने मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया. मैं समझ चुका था कि वो क्या चाहती है.
मैंने उसकी सलवार ढीली करके अपनी दो उंगलियां अन्दर डालीं और धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा. वो आँखें बंद करके लंबी-लंबी साँसें ले रही थी.
फिर मैंने उसकी चूत में एक-एक करके पूरी चार उंगलियां अन्दर कर दीं और मजे से अन्दर बाहर करने लगा. तभी अचानक उसने अपने मुँह पर हाथ रख लिया और उसका पूरा बदन अकड़ गया. मेरा हाथ को उसने अपनी चूत में दबा कर रखा और कुछ सेकण्ड्स में ही वो झड़ गई. मैंने उसका कामरस जो मेरे हाथों में था पहले सूंघा, जिसकी गंध बिल्कुल 25 साल की लड़की के कामरस के समान थी. उसे चखा तो स्वाद भी एक समान था.
फिर हम दोनों सो गए, उसका सर मेरे कंधे पर था और मैंने उसके बगल से उसके कंधे पर हाथ डाला, जो उसकी चूची पर जम गया था. उसकी चूची की साइज तो काफी ज्यादा थी क्योंकि वो एक मोटी औरत थी. पर फिर भी उसकी चूचियों में काफी तनाव था. यूं ही चूचियों को मसलता सहलाता मैं कब सो गया मुझे कोई होश ही नहीं रहा.
तभी मुझे महसूस हुआ कि नींद से मुझे कोई हिला रहा था. मैं उठा तो देखा नगमा की माँ मुझे जगा रही थी. शायद 5 बज गए थे, बस 15-20 मिनट के लिए एक ढाबे पर रुकी थी. इतनी सुबह केवल 3-4 लोग ही नीचे उतरे थे.
मैंने देखा मेरे सारे दोस्त, नगमा का बाप और नगमा गहरी नींद में हैं. नगमा की माँ बिना कुछ बोले नीचे उतर गई. मैं भी उसके पीछे आ गया. वो एक टॉयलेट में घुस गई और मैं इधर उधर देखने लगा. जब मैं लेडीज टॉयलेट में घुसा तो क्या देखता हूँ उसने अपनी सलवार उतारी हुई है.
बाथरूम भी एकदम साफ़ था, फर्श चमक रहा था. मैंने तुरंत दरवाजा बंद किया और ध्यान से देखा कि उसकी माँ थोड़ी मोटी है, पर वो भी दूध से नहाई हुए जिस्म को रखती है.
मैंने उससे घूमने को कहा. मैं गांड मारने का ज्यादा शौक़ीन हूँ इसलिए उसकी गांड पर पहली नजर डालते ही मेरे होश उड़ गए. क्या खूबसूरत गद्देदार चूतड़ थे, एकदम तरबूज की तरह गोल-गोल थे.
मैंने तुरंत अपनी पैन्ट उतारी और उससे चिपक गया, हम दोनों एक दूसरे को चूमते ही जा रहे थे, इस वक्त चूंकि थोड़ी जल्दी थी इसलिए मैंने उसे नीचे आने को कहा. अगले ही पल वो मेरा लंड गपागप चूस रही थी.
अभी मैं झड़ता तो 10 मिनट लंड को तैयार होने में फिर से लगते, तो इसलिए मैंने सोचा कि अभी चूत चोदना सही रहेगा. मैंने उसको दीवार के सहारे झुकाया और उसकी टांगों के बीच से लंड चूत में पेल दिया.
अब मैं कस-कस के धक्के पे धक्के दिए जा रहा था. वो भी अपनी गांड पीछे धकेल धकेल कर मेरा साथ दे रही थी. फच्च-फच्च की आवाज होने लगी थी.
नगमा की माँ जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी- आह चोदो मुझे और चोदो अहा अहह अहा रुकना नहीं, कितना बड़ा लंड है तुम्हारा.
यह सुन कर मैं और जोश में आ गया. मैंने कहा- चल घोड़ी बन जा रंडी.
मैंने उसकी मोटी गांड के छेद में सीधा लंड डाल दिया, वो कसमसाने लगी.. पर मैं जानता था कि कोई मौका नहीं देना है. इसलिए मैंने उसकी कमर को कस के पकड़ के रखा था. जैसे ही दूसरा झटका मारा, वो चीखने लगी.. पर मैंने एक हाथ से उसका मुँह बंद किया और आखिरी झटके में पूरा लंड उसकी गांड में उतार दिया.
वो दर्द से छटपटा रही थी, पर मैंने उसकी गांड मारना जारी रखा. कुछ देर बाद महसूस किया कि उसकी आँखों से आंसू गिर रहे थे.
फिर भी मैं नहीं रुका, कुछ देर में उसे भी मजा आने लगा और कस-कस के गांड पीछे करते हुए मदमस्त कर देनी वाली आवाजें निकालने लगी.
तभी मैं उसकी गांड में ही झड़ गया, हम लोगों ने जल्दी से कपड़े पहने और बस में चढ़ गए.
वो पूरी तरह से संतुष्ट लग रही थी. मैंने उससे पूछा कि कोई तकलीफ तो नहीं हुई चुदाई में?
तो उसने हंस कर कहा- बिल्कुल नहीं.. मेरे पति अब बिल्कुल बेकार हो चुके हैं और काफी समय के बाद मेरी अच्छे से किसी मर्द के बच्चे ने चुदाई की है.
मैं मुस्कुरा दिया.
उसने कहा कि वैसे भी लेडीज ऐसे ही मर्दों से चुदाई करवाना पसंद करती हैं जो उन्हें डोमिनेट करे और अपनी मर्दानगी का लोहा मनवाए.
यह सुन कर मुझे भी ख़ुशी हुई.
करीब 1:30 घंटे बाद हम अजमेर पहुँच चुके थे.
फिर मैं अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल पड़ा.