नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनुज सक्सेना है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ.
मैं आपके सामने हाज़िर हूँ, अपनी पहली कहानी एवं अपने जीवन की खुशनुमा सच्चाई को लेकर … जिसने मेरे जीवन को कुछ ऐसा अलग बना दिया कि मैं सोचता हूँ कि शायद ही मेरे जैसा तोहफा ऊपर वाले ने किसी को दिया होगा.
तो ज़्यादा समय व्यर्थ न करते हुए मैं सीधा अपनी हॉट बिजनेस वुमन सेक्स कहानी पर आता हूँ.
मैं पेशे से एक कंप्यूटर टीचर था और दिल्ली में एक कंप्यूटर सेंटर में पढ़ाया करता था.
जैसा कि आप जानते है कि आज किसी को भी जॉब करनी हो तो कंप्यूटर आना बहुत ही जरूरी है तो हर उम्र के लोग इस सेंटर में आते थे.
ऐसी ही एक शादीशुदा पर लाजवाब हुस्न की मलिका आशारा भी हमारे यहाँ कंप्यूटर सीखने आयी.
आशारा को जब मैंने पहली बार देखा तो में देखते ही होश खो बैठा.
क्या बदन था उसका!
23 साल की बाली उम्र, बड़े बड़े मम्मों वाली 30 की छाती, 28 की लचकती कमर और 32 की पीछे निकली हुई गांड.
वो शादीशुदा भले ही थी पर अच्छी अच्छी कुंवारी लड़कियों को अपने हुस्न से फेल करती थी.
ऊपर से उसके नैन नक्श इतने कटीले थे कि अगर वो मुस्कुराकर किसी को देख ले तो वो वैसे ही मर जाये.
मुझे पता चला कि वो कुछ बिज़नेस करती है इसलिए दिन के टाइम में नहीं आ सकती है.
उसने रात को 8 बजे का टाइम माँगा.
इस समय में बस 1 लड़का और सीखने आता था तो मैंने उसे भी वही टाइम दे दिया.
आशारा बहुत ही मजाकिया किस्म की लड़की थी साथ में अच्छी पैसे वाली भी!
धीमे धीमे कुछ ही दिन में मेरी और आशारा की अच्छी पटने लगी और हम दोनों एक दूसरे से हर तरह का मजाक करने लगे.
अब वो रोज जब सेंटर आती तो अपने और मेरे लिए कुछ न कुछ खाने पीने के लिए ले आती.
मेरे मन में आशारा के लिए आकर्षण बढ़ता ही जा रहा था. मैं मजाक ही मजाक में उस पर लाइन मारने लगा और वो भी मजाक में ही अपनी सहमति जताने लगी.
चंद दिनों में ही हमारे बीच में दूरियाँ घटने लगी और एक दिन ऐसा आया कि उसी समय जो दूसरा लड़का भी आता था वो उस दिन नहीं आया.
बस उसी समय मैंने आशारा को अपना बनाने का प्रयास किया पर एक किस करने के बाद ही आशारा ने उस समय कुछ भी करने को मना कर दिया और आने वाले रविवार में उसके फ्लैट पर आने को कहा.
मैं तय समय के अनुसार उसके फ्लैट पर पहुंच गया.
जब मैंने वहाँ पहुंच कर घंटी बजायी तो वहाँ का नजारा देख कर में दंग रह गया.
उस फ्लैट में पहले से तीन लड़के मौजूद थे.
दरवाजा खोलने वाले लड़के ने मुझसे पूछा- आपको किससे मिलना है?
तो मैंने आशारा से मिलने के लिए बोला.
वो लड़का मुझे अंदर ऑफिस में ले गया और आशारा को बताया- अनुज जी आपसे मिलने आये हैं.
आशारा बोली- उन्हें अंदर भेज दो और कुछ चाय नाश्ता भेजो.
मैं आशारा के सामने की कुर्सी पर जाकर बैठ गया और मैंने आशारा से पूछा- तुम्हारा काम तो बहुत बड़ा लगता है, तुम क्या करती हो?
वो बोली- वो सब में तुम्हें बाद में बताऊंगी. पहले तुम नाश्ता करो!
नाश्ता लाने वाली लड़की से आशारा ने बोला- मैं जब तक किसी को अंदर न बुलाऊं, तब तक किसी को भी अंदर मत भेजना और कोई भी आये उससे मना कर देना कि मैं हूँ नहीं!
पहले आशारा और मैंने नाश्ता किया फिर आशारा मुझे ऑफिस रूम के साथ लगे एक आलिशान कमरे में ले गयी और मुझे किस करने के बाद बोली- क्या हुक्म है मेरे आका, तुम्हारी इस कनीज का सब कुछ अब तुम्हारे लिए है … मैं, मेरी अदा, मेरा जिस्म सब कुछ!
मैंने आशारा से बस 2 मिनट रुकने को कहा और मैं सीधे बाथरूम गया और अपने प्राइवेट पार्ट की अच्छी तरह से सफाई करके आया.
लौटकर मैंने देखा आशारा बिस्तर पर चढ़कर बैठ गई थी.
इस समय आशारा लेडीज लोवर और टी-शर्ट स्टाइल का टॉप पहन कर आई थीं, जो मेरून रंग का था.
गोरी-चिट्टी आशारा पर ये कलर खूब फब रहा था.
मैं आशारा के पास जाकर बैठा और कहा- तुम तो आज लाजवाब लग रही हो आशारा!
अब तक मेरी जिंदगी में मिली सारी महिलाओं में आशारा ही सबसे ज्यादा खूबसूरत और कामुक थी.
तो आशारा ने सीधे कहा- लगता है तुम जल्दी में मेरे पास आये हो, पर मुझे कोई हड़बड़ी नहीं है. मैं चाहती हूँ कि ये हमारा पहला प्यार आराम से हो, पर ऐसे हो कि मैं कभी चाह कर भी ना भूल पाऊं.
मैंने भी कह दिया- आशारा, वैसे में जल्दी में नहीं हूँ, पर आप निश्चिंत रहें. मैं आज तुझे ऐसा प्यार करूंगा कि तुम्हें मेरी आदत ही लग जाएगी.
आशारा ने कहा- वाह … क्या तेवर हैं, लगता है, बरसों बाद किसी मर्द से चुदूंगी … बाकी अब तक तो सब चूत की तौहीन करने वाले ही मिले थे.
मैंने कहा- हां आशारा, आज देखना कैसे चोदता हूँ. अगर नानी याद ना दिला दी, तो मेरा नाम भी अनुज नहीं!
ऐसा कहते हुए मैंने आशारा की जांघों पर हाथ से थपकी दे दी.
आशारा चिहुंक उठी.
मैंने आशारा से कहा- बताओ अब क्या इरादा है तुम्हारा?
आशारा ने कातिल मुस्कान के साथ कहा- इरादा तो एक ही है, चुदाई चुदाई चुदाई और सिर्फ चुदाई. वो तुम कैसे करोगे, तुम जानो, मुझे तो बस तृप्त होना है, तुमसे मुझे बहुत उम्मीदें हैं.
मैंने कहा- ऐसा क्या देख लिया मुझमें?
आशारा ने कहा- तुम्हारी आंखों में नशा है, बातों में जूनून है, बदन में अंगार है और अदाओं में बिजली है.
बस ये कहते हुए उसने अपनी बांहों का हार मेरे गले में डाल दिया.
मैंने भी उन्हें स्वीकार करते हुए अपनी बांहों में भर लिया.
सिल्की से चिकने लोअर और सूट के ऊपर से ही आशारा आशारा का कोमल बदन का अहसास होने लगा.
आशारा की हाइट मेरे कानों तक रही होगी.
आशारा गोरी इतनी कि चांद भी फीका लगे, आंखों में नशा इतना कि मदिरा का नशा बेकार लगे.
मैंने उसे चलते देखा था, उसकी कमर में लचक थी.
मैंने एक और चीज पर ध्यान दिया था कि आशारा जब भी कभी साड़ी बांधती थी तो साड़ी नाभि के नीचे बांध रखी होती थी और उसकी गहरी नाभि उसके मचलते यौवन की प्रशंसा के पुल बांधती थी.
आशारा के स्तन लगभग 30डी के रहे होंगे, जो काफी सुडौल और आकर्षक समझे जाते हैं.
शायद उसकी पैन्टी की साइज भी 32 ही रही होगी.
बला की खूबसूरत आशारा अपनी जवानी लुटाने खुद चलकर मेरे पास आई थीं, अब इसे खुदा की नेमत ना कहूं तो और क्या कहूँ.
मैंने भी खुदा की नेमत का दिल खोलकर स्वागत किया और आशारा से लिपटे रहकर ही उसके पूरे बदन पर अपने हाथ और उंगलियां फिरा डालीं.
मेरे हाथों की कलाबाजियों ने आशारा की वासना को जागृत करना शुरू कर दिया.
आशारा ने भी मेरा प्रतिउत्तर देना प्रारंभ कर दिया था.
वासना के इस खेल की आशारा अनुभवी खिलाड़ी थी.
उसकी धधकती ज्वाला मेरी कामाग्नि पर भारी पड़ रही थी.
उसने मेरे गले पर हाथ रखकर मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे होंठ चूसने लगी.
शायद आशारा ने मेरे आने से पहले चेहरा धोया होगा इसलिए लिपस्टिक नहीं थी और सच कहूं तो आशारा के नाजुक गुलाबी होंठों को किसी तरह की लीपापोती की जरूरत भी नहीं थी.
आशारा ने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी और मेरी जीभ भी अपने मुँह में खींचने लगीं.
अगर आशारा अनुभवी थी, तो मैं भी इस खेल का महारथी था.
फिर मैं आज आशारा की चुदाई के लिए उसके यौवन को मसलने के लिए बेताब भी था क्योंकि में आशारा का इंतज़ार उसी दिन से कर रहा था जिस दिन मैंने उसे किस किया था.
मेरी कई दिनों की इसी बेचैनी का शिकार आशारा हो गईं.
मैंने अपने हाथों की करामात उसके पूरे बदन पर दिखा दी.
मैं आशारा के नितंब और स्तन ऐसे मसल रहा था, जैसे मेरी उन्हें उखाड़ लेने की मंशा हो.
आशारा भी बिन जल मछली की भांति तड़पने छटपटाने लगी थी. आशारा के स्तन उठे हुए थे, मैं उन्हें छूकर ही कह सकता था कि आशारा के मम्मे लटके या झूले हुए नहीं हैं.
इसका एक और मतलब ये भी था कि आशारा ने अभी तक किसी संतान को जन्म नहीं दिया था.
उसे अब तक बच्चा क्यों नहीं है, ये मैंने ना सोचा और ना ही पूछा.
मैंने तो आशारा की उम्र भी नहीं पूछी थी, बस अनुमान लगाया था कि वह 23-24 की होगी.
आशारा का जोश पल प्रतिपल बढ़ता ही जा रहा था; उसके मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं.
उसके जिस्म से मंहगे परफ्यूम की खुशबू आ रही थी जो वासना में मिलकर वातावरण को कामुक बना रही थी.
आशारा ने उतावलेपन से मेरे बदन से कपड़े निकालने की कोशिश की और मैंने सहयोग कर दिया.
मेरी नाइट वाली टी-शर्ट और बनियान आशारा ने निकाल दी और मेरे सीने को सहलाने लगी.
सहलाने क्या लगी, बालों को नोंचने लगी.
मेरे सीने के मर्दाना चूचुकों को आशारा ने जब दांतों से काटा तो मैं सिहर गया.
उसने मेरे सीने के हर हिस्से को चूमा और जब वो शुरू हुईं, तो पूरा सीना समझो चाट ही लिया.
आशारा मुझ पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी.
अब मैंने भी ठान लिया था कि आशारा को उसी के अंदाज में ही जवाब देना है.
मैंने उसके शर्ट का ऊपरी हिस्सा पकड़ा और ऊपर की ओर से निकालने लगा.
आशारा ने भी पूरा सहयोग किया और मैं उसके सुडौल पर्वतों की खूबसूरती देख कर दंग रह गया.
उसने लाल रंग की डिजाइनर ब्रा पहनी थी जो बहुत महंगी लग रही थी.
आप सब तो जानते ही हैं कि मंहगी वाली ब्रा स्तन को दिखाती ज्यादा हैं … छुपाती कम हैं.
मैंने पहले तो आशारा के झांकते स्तनों को जी भर के चाटा और फिर ब्रा को बिना खोले ही अन्दर हाथ डालकर बाहर निकाल लिया.
इससे आशारा के स्तन और कड़े होकर उभर गए और निप्पल तो तन कर आमंत्रित करने लगे कि आओ मुझे चूस लो, काट लो.
और मैं भला ये निमंत्रण कैसे अस्वीकार सकता था.
मैंने भी अपने हाथों में उसके मम्मों को संभाला और एक निप्पल को मुँह में भर लिया.
आशारा भूखी शेरनी मेरे अनुमान से भी ज्यादा खतरनाक निकली.
उसने मुझे बालों से पकड़ कर अपने स्तनों में और दबा दिया और सिसकारने लगी- आहह उउहह चूस इन्हें … और चूस … ये मुझे बहुत परेशान करते हैं.
मैंने भी वक्त की नजाकत समझते हुए एक स्तन पर दांत गड़ा दिए, निप्पल भी काट लिए!
और आशारा थीं कि दर्द से बिलबिलाने के बजाये मुझे शाबाशी देने लगी.
उसने शाबाशी देने के लिए मेरे झुके सर को चूमा और बालों में उंगलियां फंसाते हुए नोंचने लगी.
मेरा लंड अकड़कर बाहर आने को तड़प रहा था और आशारा ने मेरे लंड की चाहत पूरी कर दी.
उसने मेरी पैन्ट और ब्रीफ नहीं उतारी, बस ऊपर से हाथ डालकर लंड पकड़ा और बाहर निकाल लिया.
मेरा आधा लंड अभी भी इलास्टिक में फंसा था, पर आशारा मेरे शिश्नमुंड को अपने हाथ से सहलाने लगी.
इस बार हम दोनों ‘आहह …’ कर गए.
आशारा ने कहा- मैंने जितने लंड सहलाए हैं … पर तेरे जैसा चिकना और बड़ा सुपारा आज तक नहीं मिला था.
उसकी ये ‘जितने लंड’ जैसी बाते मेरे दिमाग में शंका पैदा कर रही थी पर इस समय मैंने कुछ भी रुक कर पूछना उचित नहीं समझा.
मैं बस चुप था.
फिर उसने मुझे छेड़ते हुए कहा- कोई दवाई खा रखी है क्या?
इस सवाल पर मैंने जवाब दिया- अगर मैंने दवाई खाई हो, तो तुम्हारी चूत को कोई ऐतराज़ होगा क्या?
इस पर आशारा ने हंस कर कहा- अरे नहीं ऐतराज़ कैसा … बल्कि मैं तो खुद दवाई खाकर आई हूँ … ताकि आज का पूरा मजा ले सकूं.ड़ं
अब मैं हतप्रभ हो गया; ये साले अमीर घर वाले कुछ भी कर सकते हैं.
पर मैं तो किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार था.
आज एक नहीं दो महिलाएं भी दवा खाकर आ जातीं, तो मैं उन्हें संतुष्ट कर सकता था.
मैंने कहा- तुम तो क्या जान … तुम्हारा पूरा खानदान दवा खाकर आ जाए, मैं सब पर भारी पड़ूंगा.
आशारा ने कहा- पूरे खानदान की छोड़ … पहले मुझे तो संतुष्ट करके बता!
ये कहते हुए आशारा खड़ी हो गईं और उन्होंने अपना लोअर उतार दिया.
इस वक्त आशारा मेरे ठीक सामने खड़ी थीं, उसकी चूत मेरी आंखों के सामने सिर्फ पैन्टी की आड़ में छुपी थी, उसकी गोरी गदरायी जंघाएं केले के वृक्ष के सुडौल छिले हुए तने की भांति अटल और बलिष्ठ लग रही थीं.
वैसे आशारा सुकोमल तो इतनी थी कि गुलाब की पंखुड़ियों से भी खरोंच आ जाए, पर बदन की सुडौलता और अंगों के कटाव की वजह से मैं उसे बलिष्ठ कहने पर विवश था.
उसने लाल पैंटी ही पहनी थी, शायद सैट वाली ब्रा पैंटी थी, जिसके कारण उनका रंग और भी निखर रहा था.
अब मुझसे रहा ना गया और मैंने उनको वैसी ही मुद्रा में जकड़ लिया और मुँह चूत पर लगा कर सूंघने लगा.
मैं शेर से कब कुत्ता बन गया, पता ही नहीं चला.
वैसे चूत का नशा होता ही ऐसा है कि अच्छा भला इंसान कुत्ता बन जाता है.
आशारा खड़ी रही और मैं बैठकर उसकी टांगों से लिपटा रहा.
मैंने कुत्ते की भांति आशारा की चूत को पैंटी के ऊपर से ही चाटना शुरू कर दिया.
वो मेरी मालकिन की तरह मेरे बालों को सहलाने लगी.
फिर मैंने पैंटी एक ओर करके चूत को खोल लिया. चूत कैसी दिख रही थी, ये उस वक्त नहीं देख पाया क्योंकि मैंने तुरंत आंखें मूंद ली थीं और अमृत की तलाश में जीभ आगे बढ़ा दी.
मुझे कुछ सफलता भी मिली. अमृत बूंदों का स्वाद पाकर मैं और बेचैन हो गया.
मैंने अब अपनी दो उंगलियों को एक साथ मिलाकर चूत में डाल दिया ताकि अन्दर से अमृत की बूंदें ढूंढकर बाहर निकाल सकूं.
मेरी जीभ की गर्मी पाकर आशारा की फूली हुई चूत और भी मस्त होने लगी और सांस लेती चूत का स्पष्ट अहसास पाकर मेरी हरकतें तेज होने लगीं.
शायद आशारा भी बेचैन हो रही थीं. जिसकी वजह से और खड़े रहना उसके लिए भी तकलीफ दायक था.
तो उन्होंने पैर मोड़ना शुरू किया.
मैं समझ गया कि ये अब बिस्तर में पसर जाना चाहती है.
मैंने उन्हें तकिए की ओर चेहरा करके उल्टा लेट जाने को कहा और मैंने खड़े होकर तुरंत ही अपना पजामा और ब्रीफ शरीर से अलग कर दिया.
आशारा पीछे से और भी सुंदर लग रही थी. उसके मांसल नितंब कयामत की खूबसूरती समेटे हुए थे.
मैंने फैसला किया था कि आशारा के हर अंग को अपने लंड से चोदूंगा इसलिए मैं उसके ऊपर आ गया और पहले पैरों को लंड से सहलाते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा.
भले ही आशारा कितनी भी अनुभवी क्यों ना रही हो … लेकिन उसके लिए ये अनुभव नया था.
वो सिहर उठी, हालांकि उन्होंने अपने शरीर पर वैक्सिंग कराई थी, पर लंड की छुवन और वैक्सिंग का अहसास बहुत अलग होता है.
फिर मैंने उसकी दोनों पिंडलियों पर बारी-बारी से लंड को चलाया, कोमल गुदगुदी वाली जगहों पर उनका और भी बुरा हाल हो जा रहा था.
आशारा के कंठ से ‘आहह … उहह..’ की निरंतर आवाज आने लगी थी.
मैं अपने लंड को आशारा के बदन पर सैर कराते हुए उसके नितंबों तक आ पहुंचा.
तब मुझे आशारा की पैंटी टोल नाके की तरह परेशान करने लगी.
पर इस नाके को उखाड़ फेंकना मेरे वश में था. मैंने पैंटी को एक पल में उतार दिया और बेदाग मस्त उभरे हुए कूल्हों को देखकर पहले से सख्त लंड और फुंफकार उठा.
मैं आशारा की कमर के दोनों ओर पैर डाल कर बैठ गया.
मैंने उसकी सुंदर मांसल गांड को जी भरके मसला. साथ ही कई चपतें भी लगाईं और लंड से सहलाने का क्रम जारी रखा.
जंघाओं पर गांड पर पीठ पर कंधे पर सभी जगह लंड की सैर कराते हुए मैं आशारा को और बेचैन कर चुका था.
फिर मैंने आशारा के ऊपर चढ़कर पीछे से हाथ डालकर स्तनों को पकड़ा और मथने लगा.
इस पोजीशन में मेरा लंड चूत और गांड के बीच दस्तक दे रहा था और आशारा की मादक सिसकारियां बढ़ने लगी थीं.
उसने वैसे ही लेटे रह कर अपना चेहरा घुमाया.
मैंने देखा कि आशारा की आंखें वासना से लाल हो चुकी थीं.
उसने कांपते होंठ मेरी ओर बढ़ाए … और मैंने उन्हें अपने होंठों से थाम लिया.
कुछ देर ऐसे ही होंठ चूसे, फिर मैंने आशारा को सीधा लेटा लिया.
इस बार मैं उसकी नाभि के चारों ओर लंड घुमाने लगा.
मैंने देखा कि चिकनी आशारा के रोम छिद्र तक उभर कर बता रहे थे कि यह अनोखा अहसास था.
फिर लाजवाब अन्दर धंसे पेट से होते हुए मेरा लंड पहाड़ों और घाटियों के बीच जा पहुंचा और सुंदर वादियों में खो जाने के लिए मचल उठा.
पहले मैंने चूचुक और पूरे घेराव में लंड को घुमाया, फिर घाटी की ओर लंड फिसलाने लगा.
तो आशारा ने खुद अपने उरोजों को दोनों हाथों से दबाकर लंड को घाटी में फंसा लिया.
औरत के बोबों में लंड डालकर चोदना आसान नहीं होता क्योंकि लंड फिसलने का नाम ही नहीं लेता.
इसलिए मुझे लंड पर बहुत क्रीम लगानी जरूरी लगी.
मैं एक ओर झुका और अपनी पैन्ट में से क्रीम निकाली, वही लंड पर लगा ली.
मेरा लंड तो दवा और वासना की वजह से पहले ही बहुत कठोर दिख रहा था.
और अब क्रीम लग जाने से उसकी चमक देखते ही बनती थी.
लंड पर उभरी नसें और भी लाजवाब लग रही थीं.
मैं आशारा के उभारों के बीच लंड फंसा कर उसके मम्मों को चोदने लगा.
इस तरह मेरा लंड उसके होंठों तक भी पहुंच रहा था.
आशारा ने अपना मुँह खोल लिया और वो हर बार लंड को मुँह में लेने के लिए बेचैन हो जाती थी.
जब मैंने स्तनों की चुदाई कर ली तो मैंने खुद ही आशारा के मुँह में लंड दे दिया.
पहले से भूखी आशारा लंड ऐसे चूसने लगी जैसे कोई कुतिया हड्डी चूस रही हो.
उसने लंड पूरा चूस लेने का प्रयास किया. पर मेरे लंड की मोटाई की वजह से आशारा आधा ही लंड चूस पा रही थी.
अब तक मुझे भी चूत चाटने की बेचैनी हो चुकी थी.
मैंने भी घूम कर चुत को मुँह में भर लिया.
मतलब हम 69 की पोजीशन में आ गए थे.
आशारा की चूत तो पहले ही रस भर चुकी थी और मैंने पहले ही घूंट में बहुत सारा रस पी लिया.
उसने पैर और फैला दिए जिससे उसकी गुलाबी चूत के अन्दर तक दर्शन होने लगे.
चूत के दाने को मैंने जीभ से निशाना बना कर आशारा को पागल कर दिया.
आशारा की चूत पूरी तरह खुली थी. अपनी मस्त उभरी हुई चूत को वह पूरा चिकना करके आई थी.
चूत की फांकें ऐसी बढ़ और फैल गई थीं … मानो किसी के होंठ आगे की ओर निकल आये हों.
मैंने आशारा की चुत की फांकों को फैलाकर एक एक को मुँह में भरकर जी भर कर चूसा.
आशारा के हाथ मेरे बालों पर आ गए और उन्होंने मेरे बाल खींचना शुरू कर दिए.
मुझे अहसास हुआ कि मैं जितना ज्यादा चूत चूस कर सुख पहुंचाता हूँ, आशारा भी लंड को उसी तेजी से चूस कर मेरा जवाब देती है.
फिर मैंने जीभ को नुकीला करके चूत के अन्दर जहां तक जीभ जा सकी, चोदना शुरू कर दिया.
आशारा इससे और भी ज्यादा मचल गई.
फिर मैंने अपनी नाक से चूत के दाने को सहलाया और चूत को जीभ से ऊपर से नीचे तक चाटते हुए उठकर लंड को चूत पर टिकाने लगा.
आशारा मदहोशी की हालत में भी होश में थीं.
उसने कहा- रुको.
फिर पास पड़े अपने कपड़े उठाकर उसकी जेब से तीन कंडोम का एक पैकेट निकाला.
मेरी इच्छा तो नहीं थी, पर वो सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहती थी.
उसके कहने पर मैंने दो कंडोम एक के ऊपर एक लंड पर चढ़ा लिया.
कंडोम चढ़ जाने पर मुझे अन्दर लंड पर और बाहर दोनों तरफ डॉट का अहसास हुआ.
शायद वो बहुत मंहगा कंडोम रहा होगा. वैसे मुझे कंडोम के बारे में ज्यादा पता नहीं है.
फिर मैंने आशारा की दोनों टांगें अपने कंधों पर रख लीं और लंड का सुपारा चूत पर टिका कर झटका दे दिया.
चूत पहले से कामरस से सराबोर थी, ऐसे में लंड का फिसलना लाजिमी था.
पर आशारा की खुली हुई चूत में भी लंड दीवारों को रगड़ता हुआ अन्दर गया.
जब लंड पूरी गहराई में जाकर बच्चेदानी से टकराया तो आशारा के मुँह से चीख तो नहीं निकली पर चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आईं.
आशारा ने उस दर्द को पी लिया और होंठों को अन्दर करके दांत में दबा लिया.
मैंने लंड पूरी तरह बाहर खींचा और दुबारा पूरी ताकत से अन्दर ठोक दिया.
इस बार उसके मुँह से हल्की चीख निकल आई.
अब मैंने इसी तरह चुदाई शुरू कर दी.
मैंने आशारा के पैरों को हाथों से संभाला था तो उसने खुद अपने स्तन संभाल रखे थे.
अब घपाघप चुदाई शुरू हो चुकी थी.
आशारा के चेहरे पर मैंने आंसू रूपी मोती ढलकते देखे, निश्चित था कि ये खुशी के आंसू थे.
उस लड़की को असीम आनन्द आने लगा.
आनन्द तो मुझे भी आ रहा था पर मेरी हालत वैसी ही थी जैसे हेलमेट पहने व्यक्ति को बाहर का शोरगुल कम सुनाई देता है और स्पीड में हवा की सरसराहट पता नहीं चलती.
तो अनायास ही वाहन चालक गाड़ी की स्पीड बढ़ा देता है.
मुझे भी डबल कंडोम से वैसा ही अहसास हो रहा था और मैं किसी अहसास को पाने के लालच में स्पीड और तेज कर रहा था.
उधर आशारा मेरे ऐसे तेज हमले से सिहर उठी थी.
आशारा ‘आहहह उहह..’ की आवाज करते हुए कांपने लगी.
मैं उन्हें लंबे समय तक यूं ही चोदता रहा.
दिसम्बर के महीने में भी मैं पसीने से तरबतर हो गया था.
दूसरी तरफ आशारा तो जैसे पसीने से पूरी तरह नहा चुकी थी.
शायद आशारा अब तक एक दो बार अपना रस बहा चुकी थी पर मेरा तो अभी दूर-दूर तक होने की कोई संभावना नहीं थी.
अब मैंने आशारा के एक पैर को छोड़ दिया और एक पैर को कंधे में लेकर थोड़ा एक तरफा पोजीशन सैट कर लिया.
इस तरह चोदने से भी लंड बहुत मस्त तरीके से अन्दर तक जाता है.
मैंने इस तरह भी आशारा को बहुत देर तक चोदा.
अब आशारा फिर से अकड़ने बड़बड़ाने लगीं … पर वो लेटी रहीं.
ऐसा वो कई बार कर चुकी थीं. ये कहना मुश्किल है कि ये उनका स्खलन होता था या मजे का अहसास का स्वर था.
पर मैं बेरहमी से उन्हें चोदता ही रहा.
फिर एक वक्त ऐसा आया कि आशारा ने अपने पेट और पेट से थोड़ा नीचे हाथ रख लिया.
शायद उसे तेज दर्द होने लगा था.
उसके चेहरे पर दर्द साफ देखा जा सकता था और अब वो लहराते शब्दों से कहने लगीं- आन्ह … बस हो गया … अब जल्दी छोड़ो मुझे … मैं और साथ नहीं दे सकती.
तब मैंने कहा- तुम तो दवा खा कर आई थी ना?
उन्होंने कहा- नहीं यार … महिलाओं के लिए ऐसी कौन सी दवा आती है … मुझे वही नहीं पता. मैंने तो इसलिए झूठ बोला था ताकि तुम चुदाई के वक्त मुझ पर कोई रहम ना करो.
मैंने चुदाई और तेज करते हुए कहा- फिर अब क्यों रहम की भीख मांग रही हो?
उसने कहा- यार पहले तो तुम्हारा लंड बड़ा और मोटा है, दूसरा तुम्हारी स्टेमिना बहुत ज्यादा है. मैं हार गई, मेरा पेट दुख रहा है, चूत में जलन हो रही है. प्लीज मुझे छोड़ दो.
मैंने आशारा की बात अनसुनी कर दी और कुछ देर और जबरदस्त चुदाई की.
फिर लगा कि अब मैं आ सकता हूँ तो मैंने अधमरी हो चुकी आशारा को उठाकर सामने कुतिया बनाया.
लंड से कंडोम उतारा और लंड को आशारा के मुँह के सामने हिलाने लगा.
आशारा मेरी गोलियां चाटने लगीं, लंड पर जीभ फिराने लगी.
तब जाकर कहीं कुछ मिनट बाद मेरा लावा फूटा और आशारा के चेहरे को पूरा भिगो गया.
आशारा ने लंड चूस कर अंतिम बूंद भी निचोड़ी और चेहरे पर बिखरे वीर्य को उंगलियों में लगाकर चाटने लगी.
इस भयंकर चुदाई के तीन मुख्य कारण रहे, पहला तो दोहरे कंडोम की वजह से जल्दी स्खलन नहीं हुआ और मैंने दवा भी खा रखी थी.
फिर तीसरा कारण था कि मैंने दिन में भी चुदाई की थी, इस कारण भी जल्दी स्खलन नहीं हो रहा था.
हमारी लम्बी चली चुदाई में आशारा पस्त होकर ऐसे लुढ़क गई कि उसकी नींद ही लग गई.
मैंने उसे चादर ओढ़ा दी.
मेरा लिंग तो अब भी तना हुआ था पर मुझे आशारा की हालत पर दया आ गई.
मैं जानता था कि लंड का ये तनाव दवा की वजह से है जो कुछ देर में शांत हो जाएगा.
तब मैं बाथरूम से होकर आया और आशारा के पास बैठकर उसे निहारने लगा.
वो किसी फूल की भांति खूबसूरत, निश्चल शांत और हल्की लग रही थी. संतुष्टि के स्पष्ट भाव उसके मुखमंडल पर नजर आ रहे थे.
मैं लंबी चुदाई के बावजूद नहीं थका था.
मैंने आशारा को एक दो बार जगाने की कोशिश की पर वो गहरी नींद में चली गई थी.
फिर वैसे ही बगल में लेटकर मेरी भी नींद लग गई.
आशारा ने जब मुझे उठाया तो मैंने आशारा को अपनी बांहों में खींच लिया.
वह इस वक्त पूरे कपड़े पहन चुकी थी.
उसने चुंबन के लिए तो साथ दिया पर आगे कुछ करने से रोकते हुए कहने लगी- चाहती तो मैं भी थी कि उठकर एक और राउंड की चुदाई हो जाए! पर मुझे उठने में देर हो गई. देखो छह बजने वाले हैं, मुझे यहां से निकलना होगा.
यह कहकर आशारा ने मेरा लंड दबाया और मेरे होंठों पर जबरदस्त चुंबन देते हुए कहा- तुम्हारे इस लंड ने तो मेरी जन्मों की प्यास बुझा दी.
मैंने भी आशारा को बांहों में कसते हुए कहा- तुम जब कहो आशारा, मैं हाजिर हो जाऊंगा.
आशारा ने कहा- तुमने और तुम्हारी कामकला ने मुझे असीम खुशियां दी हैं. और अब हम बाहर पहले के जैसा ही व्यवहार करेंगे. मैंने बंद कमरे में आपको तुम बना दिया. और हां … अभी बाहर चल कर तुम चाय लेना पसंद करोगे या कॉफी?
फिर पहले आशारा बाहर गयी और उसके पांच मिनट बाद में भी तैयार होकर उसी रूम में आ गया.
आशारा ने इण्टरकॉम से हम दोनों के लिए कॉफी मंगाई.
फिर आशारा मेरे जॉब के बारे में मुझसे बात करने लगी.
मैंने उसे बताया कि मैं उसी कंप्यूटर सेण्टर में ही पढ़ाता हूँ जहाँ वो आयी थी और बाकी 2 होम टूशन्स भी करता हूँ और उन्ही के द्वारा अपनी जीविका चला रहा हूँ.
फिर आशारा ने मुझसे धीरे से कहा- तुम बिस्तर में बहुत ही कमाल थे. मैंने सोचा नहीं था कि तुम इतने स्ट्रांग निकलोगे. तुम्हारी उम्र के लड़के ज्यादातर गलत व्यसनों में पढ़कर अपने लण्ड को खराब कर लेते हैं पर तुम बहुत अच्छे थे.
तभी अचानक कॉफी लेकर उसका नौकर आ गया और वह हॉट बिजनेस वुमन कहने लगी- थोड़े दिन रुको, मैं तुम्हें ऐसा काम बताऊंगी जिसमें तुम बहुत पैसे कमा सकते हो!
जब आशारा ने ये बात कही तो उसके नौकर ने तिरछी नजरों से मुझे देखा जो मुझे कुछ अटपटा सा लगा.
मैंने कहा- ठीक है!
उसके बाद में वहां से चला आया.
लौटने के 5 मिनट बाद ही आशारा का मैसेज आया- परसों रात को तुम फ्री हो क्या? अगर फ्री हो तो हम फिर मिलेंगे.
बाकी फिर कभी किसी कहानी में!