कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूं. मेरी उम्र 24 वर्ष है. मेरा फिगर 40-34-42 है. मेरी ऊंचाई 5.5 इंच है और वजन थोड़ा ज्यादा है तो मेरा जिस्म काफी गदराया हुआ दिखता है.
मेरे मम्मे देखकर ही काफी आदमी पैंट में ही पानी निकाल देते हैं.
जैसा कि आपने मेरी एक कहानी में पढ़ा था कि हम कुछ कॉलेज की सहेलियां मिलकर एक कैम्प में गयी थे.
वहां मेरी एक लड़के से मुलाकात हुई.
वो उस कैम्प की सारी तैयारियां देख रहा था; वह काफी सेक्सी बंदा था.
उसे देख कर मेरी चूत में खुजली होने लगी थी क्योंकि मुझे चुदे काफी समय हो चुका था.
मैं उससे बहुत इंप्रेस हो गई थी और मन ही मन सोच लिया था कि इससे तो चुदाई करवा के ही रहूंगी.
ये सोच कर मेरी चूत और गीली होने लगी थी.
पर मसला यह था कि उसको पटाऊं कैसे?
कुछ तो हल निकलना पड़ेगा … वरना मैं प्यासी ही रह जाती.
मैंने दिमाग दौड़ाना शुरू किया.
मुझे एक विचार आया.
जब ऐसे कैम्प हुआ करते थे तब हमें खाना खाने के लिए रेडीमेड थाली मिला करती थी.
वैसी ही थाली हमे मिलने वाली थी क्योंकि खाना खाने का समय हो चुका था.
हम सब कुछ बाजू में रखकर पहले खाना खाने को बैठ गए.
वो बंदा हम सब को थाली बांट कर हमारे साथ बात करने वहीं बैठ गया.
इतने में मैंने खाते खाते अपने आप पर कुछ दाल गिरा ली जिससे मेरा सफेद रंग का कुर्ता गंदा हो गया.
मैं झट से उठकर उसे साफ करने लगी तो वो और गंदा होने लगा.
इतने में उस लड़के ने कहा- चलो इसे पानी से साफ कर लो, वरना दाग पड़ जायेगा.
और वह मुझे वहां से कुछ दूर बने वाशरूम के पास ले गया.
वह केवल नाम का वाशरूम था क्योंकि वाशरूम के नाम पर खुली जगह थी जहां पानी के दो घड़े रखे हुए थे और privacy के लिये सिर्फ एक लकड़ी का टूटा हुआ दरवाजा यूंही रखा हुआ था.
उससे ना तो कुछ छिप रहा था ना ही कुछ मतलब था उसका!
वहां जाकर मैंने पानी से दाग को पौंछना शुरू किया.
मैं जानबूझकर ज्यादा पानी से पौंछ रही थी ताकि मेरी कुर्ती पानी से गीली हो और उसे मेरे मम्मे दिख पायें.
मैंने थोड़ी देर तक पौंछने की कोशिश की मगर दाग नहीं गया.
लेकिन उस चक्कर में मेरा पूरा कुर्ता गीला हो गया.
मैंने उस बंदे के तरफ देखा तो वो मेरी चूचियों को घूर रहा था.
और मैंने उसका दिमाग पढ़ लिया. उसकी पैंट में भी धीरे धीरे उभार आना शुरू हुआ था.
बेचारा कर भी क्या सकता था.
सफेद रंग का पतला सा कुर्ता … वो भी गीला और जिसके अंदर ब्रा भी न हो; यह नजारा तो किसी को भी गर्म कर सकता था.
और मेरे तो मम्मे भी लाज़वाब हैं … इतना बड़े हैं मानो खरबूजे रख दिए हो किसी ने!
कपड़े गीले होने के कारण मुझे थोड़ी ठंड भी लग रही थी जिससे मेरे निप्पल भी एकदम कड़क हो गए थे.
कुल मिलाकर नजारा कुछ ऐसा था कि कोई भी मर्द मुझे उठाकर वहीं चोद दे.
वह बेचारा भी इसका शिकार हो ही गया और मुझसे नजर बचाकर थोड़ा दूर चले गया और अपनी पैंट को ठीक करने लग गया.
मैं समझ गई की बंदा पट चुका है और गर्म भी हो चुका है. मैं मन ही मन खुश हो गई थी कि अब विलेज़ सेक्स का मजा और नया लौड़ा मिलेगा.
पर मैंने अपने आप को संभालते हुए उसके पास जाकर कहा- सर, मेरे तो कपड़े गीले हो गए हैं. मैं ऐसे कपड़ों में कैम्प में वापिस नहीं जा सकती. आप समझ सकते है क्योंकि आपके साथ जो हुआ वो अंदर भी होगा अगर मैं ऐसे ही गीले कपड़े में अंदर चली गई तो!
वो- हां, तुम्हारे कपड़े तो गीले हो गए हैं. तुम ऐसे कैम्प में वापिस नहीं जा सकती. कुछ करना पड़ेगा. उम्म्म क्या किया जा सकता है?
मैं- देखिए ना सर, ये कैसे दिख रहा है? मैं इस हालत में अंदर गई तो वो लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे? कुछ कीजिए ना!
कहते हुए अपने मम्मे हाथ में लेकर उसे दबाते हुए उसे दिखा रही थी.
जिससे वो अपने सोचने की शक्ति खो रहा था और चुदाई उसके सिर चढ़ रही थी.
वो- एक उपाय है, मेरा घर यहीं पास में है. क्यों ना तुम मेरे साथ चल के अपने कपड़े बदल लो. मैं तुमको ले चलता हूं और वापस भी ले आऊंगा.
मैं- तुम मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं करोगे ना?
वो- क्या तुम भी … मैं तो तुम्हारी मदद करना चाह रहा था.
मैं- अरे मजाक कर रही थी, चलो.
वो- ओह … हा हा हा … चलो. तुम अपना सामान मंगवा लो और यही रुको, मैं गाड़ी लेकर आता हूं.
मुझे खड़ा करके वह गाड़ी लेने चला गया.
मैंने अपने एक दोस्त को कॉल करके अपनी बैग मंगवा लिया और उसे सब मसला समझा दिया और कह दिया की कपड़े बदल कर आती हूं.
थोड़ी ही देर में वह उसकी बाइक लेकर आया और मेरे सामने आकर कहा- बैठो.
मैं बैठ गई और हम दोनों उसके घर की तरफ चल पड़े.
रास्ते में कई बार मेरे मम्मे उसकी पीठ पर लग रहे थे तो उसे भी काफी मजा आ रहा था.
उसका घर आते ही उसने गाड़ी रोक दी और हम उतर कर उसके घर के अंदर चल पड़े.
वह शायद अकेला ही रहता होगा; उसने ताला खोला और हम अंदर चले गए.
वो खाली एक ही कमरा था.
मैंने थोड़ा नाटक किया मानो मुझे उसके सामने कपड़े बदलने में झिझक हो रही हो.
वह समझ गया और वह बाहर चला गया.
मैंने अंदर कपड़े पहनते हुए अपने आप को कपड़ों में फंसा लिया और उसे आवाज देने लगी- सर, मेरे कपड़े उलझ गए है, मैं फंस गई हूं. क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?
वो- हाँ आता हूं.
वह दरवाजा खोलकर अंदर आया और मुझे कपड़े पहनने में मदद करने लगा.
उसे मेरा पूरा नंगा बदन दिख रहा था.
उसने कपड़े पहनने के बहाने से मेरी कमर को छू लिया.
मैं इस छुअन से खुश हो गई और उससे कहा- यहाँ शर्ट मेरे मम्मो से नीचे नहीं जा रहा है. क्या तुम उन्हें दबा कर मेरी शर्ट को नीचे खींच सकते हो?
उसने शर्ट नीचे खींचने के बहाने मेरे खरबूजों को छू लिया.
मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई.
अब वो भी समझ गया कि मैं पूरी तरह से गर्म हो चुकी हूं.
उसने सोचा कि लोहा गर्म है, हथौड़ा मार देना चाहिए.
और उसने मेरे मम्मों को हाथ में लेकर जोर से निचोड़ दिया और मेरी शर्ट नीचे करना छोड़कर उल्टा ऊपर उठाने लगा.
तभी वह मेरे उरोज को मुंह में लेकर चूसने लगा.
मैं बहुत गर्म हो चुकी थी और सिसकारियां लेने लगी.
उसने बिना कुछ सोच विचार किए सीधे मेरे शर्ट को उतार कर फेंक दिया और मुझे जमीन पर धकेल दिया और मुंह में अपना लौड़ा ठूँस दिया.
वह जोर जोर से मेरा मुंह चोदने लगा.
हाय क्या लंड था उसका!
6 इंच का लौड़ा अब तन कर 7 इंच का हो चुका था.
और चूंकि मुझे लौड़ा मिले काफी दिन हो चुके थे, मैं झट से उसे मजे लेकर चूसने लगी.
थोड़ी देर बाद वह उठा और जाकर बेड पर लेट गया और मुझे बालों से खींचकर मेरा मुंह अपने लन्ड पर लगा दिया, मुझे चूसने के लिए कहा.
उसे मेरा चूसना काफी अच्छा लग रहा था. उसे खूब मजे आ रहे थे. उसके मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकल रही थी.
मुझे वह सिसकारियां सुनकर और जोश चढ़ रहा था.
मैं और जोर जोर से उसका लन्ड चूस रही थी; कभी उसके लन्ड को जीभ से चाटती, तो कभी उसके गांड की दरार पर जीभ फिराती, गांड़ के अंदर जीभ घुसाने की कोशिश करती, तो कभी उसके गोटे को हल्का से चूस लेती.
मेरी इन्ही हरकतों की वजह से अब उस बेचारे का हाल बेहाल था.
अब तक हल्की हल्की सिसकारियां लेने वाला अब जोर जोर से आहें भर रहा था और जोर जोर से अपना लन्ड मेरे मुंह में ऊपर नीचे कर रहा था.
ऐसा थोड़ी देर करने के बाद मुझे उसके लन्ड में कुछ अकड़न महसूस हुई और उसने एक जोर का झटका मारकर उसी के साथ मेरे मुंह में ही गर्म रस छोड़ दिया.
अब वह थक चुका था, मेरे बाजू में आके चुपचाप सो गया.
मैं उसका पूरा पानी पी लिया और अपने चेहरे पर भी उसे फैलाया और अपनी चूत में उंगली डाल कर अपने आप को शांत करने लगी.
न जाने मेरी भी कब आंख लग गई. वैसे ही चूत में उंगली करकर में सो गई.
थोड़ी देर बाद मुझे मेरे मम्मो पर कुछ दबाव महसूस हुआ तो मेरी नींद खुल गई.
मैंने देखा कि वो मेरे मम्मों को दबा रहा था और उन्हें पीने की कोशिश कर रहा था.
मुझे जगी देख कर वो मुझ पर झपट पड़ा और जोर से मुझे चूमने लगा.
काफी देर की चूमा चाटी के बाद उसने अपने लन्ड को थूक लगाया, मुझे नीचे ज़मीन पर झुकाया और वही घोड़ी बनाकर चोदने लगा.
मेरी चूत की चुदाई करते हुए वो मेरी भरी पूरी गांड देखकर मदहोश हुए जा रहा था और मुझे कस के चोद रहा था.
वो बहुत दिन से प्यासा हो … ऐसे मुझे चोद रहा था.
मुझे ऐसी चुदाई में बहुत मजा आता है, मैं भी उस विलेज़ सेक्स को काफी एंजॉय कर रही थी.
हम ऐसे ही जगह बदल बदल कर और आसन बदल बदल कर एक दूसरे को चोद रहे थे.
थोड़ी देर के बाद उसने एक और बाद तेज झटका खाकर मेरे मम्मों पर और पेट पर अपना सारा पानी छोड़ दिया और मुझे चाटने लगा.
तब भी उसने मेरी चूत में उंगली डाल कर मुझे चोदना जारी रखा.
मेरा भी थोड़ी ही देर में पानी निकल गया और अब हम एक दूसरे को किस करते करते फिर से सो गए.
थोड़ी देर बाद जब नींद खुली तो अंधेरा होने का समय हो चुका था.
मैंने जैसे तैसे अपना सामान जमा किया और बस स्टैंड तक गई.