नमस्कार मित्रों, मेरी इस सच्ची कहानी में आपका स्वागत है. मुझे लड़कों में शुरू से दिलचस्पी थी. पर यह पता नहीं था कि मैं गे हूं। एक बार मेरे चाचा हमारे घर आये तो उनको लंगोट पहने देख मेरे दिल में कुछ कुछ हुआ.
नमस्ते दोस्तो, कैसे हो आप लोग?
मैं नक्श एक बार फिर से हाजिर हूं एक नयी कहानी के साथ।
मगर शुरूआत करने से पहले मैं आप सभी पाठकों का दिल से शुक्रिया करता हूं कि आप लोगों की ओर से मुझे इतना प्यार मिला है.
यहाँ से मुझे कुछ ऐसे दोस्त भी मिले यहाँ से जिन्होंने अपने किस्से साँझा किये मेरे साथ!
उन्हीं में से एक घटना मैं आपको बता रहा हूँ।
अब मैं कहानी पर आता हूं उसी दोस्त के शब्दों में!
मेरा नाम रोनी है.
यह बात तब की है जब मैं 12वीं में पढ़ता था। मुझे वैसे तो लड़कों में शुरू से ही दिलचस्पी थी. पर यह पता नहीं था कि मैं गे हूं।
और मुझे मर्द लोग बहुत पसंद थे।
एक दिन मेरे घर एक दूर के रिश्ते के पापा के कजिन भाई आये।
पापा के भाई यानि चाचा जी।
उनकी उम्र रही होगी 28 साल के लगभग।
तब मैं था 19 साल का … बिल्कुल अपनी जवानी की शुरुआत में।
मैं इन चाचा जी से पहले कभी नहीं मिला था।
उस दिन जब वे आये तब हमारे एक रिश्तेदार के घर शादी थी जो हमारे ही शहर में थी।
घर के सभी लोग वहीं शादी अटेंड करने गए थे।
मैं और चाचा जी भी गए. पर रात को हम लोग खाना खाकर वापस आ गए।
जबकि मम्मी और पापा वहीं शादी में रुक गए थे।
घर पहुँच कर हमने कपड़ बदल लिए।
चाचा जी ने लुंगी और बनियान पहनी और बाहर आँगन में चारपाई पे सोने की तैयारी करने लगे।
उनके शरीर पर काफी बाल थे. मैंने पहली बार उनकी बॉडी देखी. और मैंने देखा कि उन्होंने गाँव वाली चड्डी पहन रखी थी। वो एक लंगोट थी।
मुझे आशा है कि आप सभी जानते होंगे कि लंगोट क्या होती है.
पर मैं तब नहीं जानता था।
मैंने चाचा जी से पूछा- चाचा जी, यह कैसी अंडरवियर है आपकी?
चाचा जी हंस दिए, बोले- यह रियल इंडियन अंडरवियर है.
और उन्होंने अपनी लुंगी हटा कर अपनी लंगोट दिखाई.
लंगोट के अंदर कसे हुए चाचा जी के लंड को देखकर तो मैं मस्ती में भर गया।
चाचा का लंगोट में कसा लंड देखकर मेरी तो लार ही टपक पड़ी थी।
मेरा मन कर रहा था कि मैं उसे छूकर देखूँ एक बार और प्यार कर के देखूँ।
लंगोट से बाहर चाचा की झांटें दिख रही थी।
मैंने चाचा जी से कहा- मैंने आज तक लंगोट कभी नहीं पहना है।
चाचा जी ने पूछा- तुम कैसी अंडरवियर पहनते हो?
तो मैंने उन्हें बताया- फ्रेंची।
मैंने शॉर्ट्स पहन रखी थी।
चाचा ने मुझसे पूछा- क्या तुम लंगोट पहन कर देखना चाहोगे?
तो मैंने कहा- हाँ जी ज़रूर!
चाचा अपने बैग से एक साफ़ लंगोट लेकर आये।
वो हरे रंग की एक लंगोट थी।
मैंने अपनी शॉर्ट्स उतार दी।
और उन्होंने मेरी अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे को लंगोट पहनाई.
जब वो मुझे लंगोट पहना रहे थे तो मैं थोड़ा एक्साइट हो गया था.
जिसे चाचा जी ने महसूस किया पर कुछ कहा नहीं; और उन्होंने इसे नार्मल लिया।
फिर चाचा जी ने कहा- अब जाकर बाथरूम में खुद ट्राई करो और केवल लंगोट पहन कर दिखाओ.
मैं बाथरूम में गया और अपनी अंडरवियर उतार कर लंगोट पहन ली।
लंगोट मुझे बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था इसे पहनते हुए।
इसीलिए थोड़ी देर बाथरूम में खुद को नार्मल किया और फिर बाहर आया।
फिर मैं बनियान और लंगोट पहन कर बाथरूम से बाहर आया.
मुझे बहुत शर्म भी आ रही थी।
चाचा जी मुझे देखकर हंस दिए, कहने लगे- बहुत सुन्दर लग रहे हो।
मैंने चाचा जी से पूछा- क्या मैं इस लंगोट को अपने पास रख लूं?
चाचा जी ने कहा- ठीक है, यह लंगोट मेरी तरफ से तुम्हें गिफ्ट। अब रात हो गयी है और चलो सो जाओ।
मैंने कहा- चाचा जी, आप मेरे कमरे में ही आकर सो जाइये। वैसे भी आज मम्मी पापा रात को आने वाले नहीं।
तो चाचा जी ने कहा- ठीक है.
और वो और मैं मेरे पापा के कमरे में सोने के लिए आ गए क्योंकि उस कमरे में डबल बेड था.
मैंने चाचा जी से कहा- क्या मैं लंगोट में ही सो जाऊं?
चाचा जी ने कहा- हां सो जाओ।
मैंने पूछा- कहीं रात को लंगोट खुल गयी तो?
तो चाचा जी ने कहा- नहीं खुलेगी. चिंता मत करो.
चाचा लुंगी पहने हुए थे और बनियान!
फिर हम दोनों ने कमरे की लाइट ऑफ की और नाईट बल्ब जला लिया।
चाचा जी मेरे बगल में सोये हुए थे। वे जल्दी ही सो गए।
पर मुझे नींद नहीं आ रही थी … एक तो लंगोट पहन रखी थी। ऊपर से मुझे चाचा जी बहुत सेक्सी लग रहे थे। खासकर जबसे मैंने उनकी लंगोट में कसे हुए लंड की झांटें देख ली थी.
मुझसे रहा नहीं गया तो मैं उठा और चाचा जी की लुंगी की तरफ देखा।
मैंने धीरे से उनकी लुंगी हटाई तो उनकी लाल लंगोट में कसा लंड मेरे सामने दिख गया.
मैंने डरते हुए धीरे से अपना हाथ उनके लंगोट के ऊपर रखकर उनके लंड को छुआ।
मेरा दिल बहुत तेज धड़क रहा था.
फिर मैंने धीरे से चाचा जी की लुंगी की गाँठ खोल दी।
उनकी लुंगी उनके कमर से सरक कर नीचे गिर गयी।
अब चाचा जी सिर्फ लंगोट और बनियान में थे।
ठीक मेरी तरह।
मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था. मेरा दिल मेरे काबू में नहीं था।
मैं जानता था कि मैं गलत कर रहा हूं पर फिर भी मैं करता जा रहा था।
मैंने चाचा जी के लंड को लंगोट के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया.
थोड़ी ही देर में चाचा जी का लंड तन गया.
मुझे पता नहीं था कि चाचा जी सोये हुए है या सोने का नाटक कर रहे थे; पर उनकी आँखें बंद थी.
अब चाचा जी का लंड भी खड़ा था और उनकी लंगोट उनके लंड को पूरा नहीं संभाल पा रही थी।
उनके खड़े लंड को देखकर मुझसे रहा नहीं गया. मैं अपने होंठों को उनके लंगोट के पास ले गया।
और मैंने उनके लंड को लंगोट के साथ ही मुँह में ले लिया.
अब तक चाचा जी भी उठ गए थे पर अब वो भी उत्तेजित थे।
उन्होंने अपनी लंगोट खोल दी और उन्होंने अपना फनफनाया लंड मेरे मुँह में पूरा दे दिया.
मैं बेतहाशा उसे चूसने लगा. उनका लंड काफी मोटा था … लगभग 7 इंच लम्बा रहा होगा।
चाचा जी मेरे बालों में अपना हाथ फेरने लगे और अपने दूसरे हाथ से मेरे शरीर को सहलाने लगे। वो मेरे बूब्स को सहलाते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगे।
वो मेरे लंगोट में खड़े लंड को भी सहलाने लगे। उन्होंने मेरी लंगोट भी खोल दी और मेरी गांड सहलाने लगे।
मैं चाचा का लंड चूसे जा रहा था.
एक बार मैंने उनके लंड की पूरी चमड़ी नीचे खींची ओर उसके गुलाबी सुपारे को प्यार से देखा और फिर जीभ से उसे चाटने लगा.
फिर से मैंने चाचा जी का पूरा लंड मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगा.
चाचा जी भी अब आज मेरी कमसिन जवानी का मजा ले रहे थे.
सच बताऊं … उस दिन मैंने अपनी लाइफ में पहला लौड़ा चूसा था.
पर चाचा जी का लंड मुझे इतना टेस्टी लगा रहा था कि क्या बताऊं!
लंड मुँह से निकालने का मन ही नहीं कर रहा था।
चाचा जी अब धीरे धीरे मेरी गांड को तैयार कर रहे थे.
उन्होंने अपने थूक से मेरी गांड को पूरा गीला कर दिया था।
वे अपनी उंगली से धीरे धीरे मेरी गांड को चोदने लगे।
चाचा जितना अपनी उंगली मेरी गांड के अंदर डालते … उतना ही मैं उनका लंड मुँह में निगल रहा था।
काफी देर तक लंड चूसने के बाद उन्होंने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया.
उन्होने अपनी बनियान उतार दी और मेरी भी उतार दी.
हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे से चिपक गए.
मैं अपने लंड से उनके लंड को दबाने लगा. उनकी हेयरी बॉडी मेरे पूरे शरीर से रगड़ खा रही थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
इस तरह उनके बॉडी से अपने आपको रगड़ना साथ में मेरा लंड भी उनके लंड से रगड़ रहा था.
फिर थोड़ी देर तक यों ही एक दूसरे के ऊपर लेटे रहने के बाद चाचा जी ने मुझे अपने नीचे ले लिया.
उन्होंने मुझे बिस्तर पे उल्टा लिटा दिया और मेरी दोनों टांगें चौड़ी कर दी।
चाचा ने एक बार फिर अपने फनफनाये लंड पे थूक लगाया; वे मेरी गांड पे अपना लंड रगड़ने लगे और धीरे धीरे लंड गांड में घुसाने लगे।
मैं इतना उत्तेजित था कि गांड उचका उचका कर चाचा जी की मदद करने लगा अपनी गांड मरवाने में!
चाचा जी बहुत अनुभवी थे.
वे धीरे धीरे मेरे गांड में अपना लंड डाल रहे थे. जब भी मुझे दर्द होता तो वे रुक जाते और थोड़ी देर बाद फिर थोड़ा और लंड अंदर घुसाते।
इस तरह धीरे धीरे उन्होंने अपना पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया.
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरी गांड में इतना मोटा और लम्बा लंड पूरा अंदर घुस गया था.
वैसे मुझे लगता है कि 19 साल में गांड इतने बड़े लंड लेने के लिए तैयार हो जाती है; बस थोड़ा दर्द सहने की ज़रूरत है.
और उस रात मेरे अंदर दर्द सहने की पूरी ताकत आ गयी थी.
मैं अपनी जवानी चाचा जी के सेक्सी लंगोट पे लुटा देने को तैयार था.
आज मैं पूरा चुद कर जवान होना चाहता था.
चाचा जी ने अब मुझे धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया.
अब वे मुझे चूम भी रहे थे; मेरे गालों को चाट चाट के पूरा गीला कर दिया था; मेरी चूची मसल मसल कर लाल कर दिया।
वो जब भी मेरी बूब्स दबाते तो मैं और खुश हो जाता। मैं और उचक उचक कर उनका लंड अपनी गांड में लेता।
सच कहूँ तो दर्द के साथ मुझे मजा भी बहुत आ रहा था।
चाचा जी भी मुझे पूरा लड़की समझ कर चोदे जा रहे थे.
और मैं चुदवाता जा रहा था।
काफी देर के बाद चाचा जी ने मेरी गांड में ही अपना माल निकाल दिया।
चाचा जी के गर्म गर्म वीर्य से मेरी गांड भर गयी।
मुझे एक अलग ही अहसास हो रहा था जब उनका माल मेरी गांड में उतार रहा था।
उनकी चुदाई से मैं भी बिस्तर पे ही झड़ गया.
थोड़ी देर तक चाचा जी मेरे ऊपर ऐसे ही लेटे रहे। उनका लंड मेरी गांड में ही था।
फिर बाद में उन्होंने मेरी गांड से अपना लंड निकाला और मुझे सीने से लगा लिया.
मैं भी उनके बालों भरे जिस्म से चिपक गया.
चाचा मेरे नंगे बदन को सहलाते रहे. और ज्यादातर मेरी गांड को सहला रहे थे.
पता नहीं कब मुझे नींद आ गयी.
सुबह जब मेरी आँख खुली तो देखा कि मैं बिस्तर पे नंगा सो रहा था.
चाचा जी शायद बाथरूम में नहा रहे थे।
मैंने अपनी शॉर्ट्स उठायी और पहन ली और बनियान भी पहन ली।
तभी दरवाजे की घण्टी बजी.
मम्मी पापा घर वापस आ गए थे.
चाचा जी नहा कर बाहर आ गए.
मम्मी नाश्ता बनाने लगी।
पापा ने चाचा जी और मुझसे पूछा- और रात कैसी रही? आराम से सोये या नहीं?
चाचा जी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर कहा- हाँ रात बहुत अच्छी रही।
मैं शर्मा रहा था. मैं बाथरूम में चला गया नहाने को!
तो यह थी कहानी मेरी और मेरे सेक्सी चाचा जी की.
उसके बाद चाचा जी अक्सर हमारे घर आने लगे और हमने कई बार सेक्स किया।
बाद में जब उनकी शादी हो गयी तब उनका मेरे से मिलना काम हो गया.
पर अब भी जब वो आते हैं, मैं उनसे अपने मन की सारी बातें बताता हूँ।
और वो अभी भी मेरे सबसे अच्छे दोस्त और सेक्स पार्टनर भी हैं।
तो दोस्तो … यह थी कहानी रोनी और उसके चाचा जी की। मुझे आपके कमैंट्स का इंतज़ार रहेगा.
धन्यवाद
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