नमस्ते दोस्तों! मेरा नाम अमृत है. मैंदिल्ली का रहने वाला हूँ, उम्र 26 है, कद 5 फीट 11 इंच, फिट हूँ, लौड़ा सात इंच, ढाई इंच.
जो बताने जा रहा हूँ वो मेरी सच्ची आप बीती है.
परिवार काफी बड़ा है हमारा. ताऊ-चाचा खूब हैं. साथ ही में ताई-चाची भी और उनके बच्चे भी!
घर अलग-अलग हैं पर आस-पास में ही!
कई साल पहले की बात है, ताऊ जी के घर रेनोवेशन चल रहा था. सोने की जगह की एडजस्टमेंट के लिए यह तय हुआ कि उनकी दो बेटियाँ अब से कुछ दिन हमारे घर सोएंगी.
साल भर पहले ही मुझे दुनियादारी, यानि कि चूत, चुदाई वगैरह के बारे में पता चला था, ठरक तभी से मचती रहती थी, चाहे वो अपने से बड़ी उम्र की स्कूल की लड़कियाँ हों या फिर हमारी टीचर्स…
ताऊ जी की बड़ी बेटी का नाम है ‘अर्चना’ और छोटी का जान के क्या करोगे; उसके साथ एक-आध बार बूब्स दबाने के अलावा कुछ नहीं हुआ था.
‘अर्चना’ मुझसे 3-4 साल बड़ी है. जोइंट फॅमिली और बिना कॉलेज की लाइफ की वजह से उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं था, पर दिखने में कमाल थी, हाईट थी 5 फीट 3 इंच, क्यूट स्माइल, 36बी की चूचियाँ, पतली, कमसिन, जवान!
हमारी ही गली में रहने वाला एक लड़का पसंद था उसे… पर उसके साथ कुछ हो नहीं पाया उसका…. बस एक-दो बार चोरी छिपे घूमने गई थी उसके साथ!
मेरे घर मैं अकेला ही हूँ, मम्मी-पापा के अलावा. डराइंग रूम में फर्श पर गद्दे डाल कर सोने का कार्यक्रम बना हम तीनों का… देखने में चाहे वो कमाल थी पर तब तक उसको लेकर मन में कुछ भी गलत नहीं था. वैसे वो घर में सूट पहनती थी. बिना चुन्नी के काफी बार झुकते हुए उसे देखा हुआ था पर कभी उम्मीद ही नहीं थी कि उससे आगे कुछ हो पाएगा.
उस दिन दोनों बहनें नाइट सूट पहन कर सोने के हिसाब से आ गई रात को…. कमरा तैयार कर लिया हम तीनों ने मिल कर… टीवी वगैरा बंद करके सेटल हो गए सब.
मैं दीवार की तरफ लेटा था, मेरे साथ अर्चना और उसके साथ उससे छोटी…
नींद आ गई सबको… सो गए तीनों!
रात के करीब डेढ़ बजे मेरी नींद खुली. सोते समय मेरे पैर अपने आप उसके पैरों के ऊपर चढ़े हुए थे जिससे उसे दिक्कत हो रही थी और वो हिल रही थी एडजस्ट होने के लिए.
मैं हो गया सीधा. वो वापस नींद में चली गई. उसने मेरी तरफ करवट ली और मैंने उसकी तरफ… ज़ीरो वाट के बल्ब की हल्की रोशनी से दिखा कि उसका नाइट सूट बटन वाला है.
मुझे शरारत सूझी, मैंने उसके शर्ट के ऊपर के तीन बटन खोल दिए.
सफ़ेद ब्रा के दर्शन हुए और साथ में उसके सुडौल बूब्स के…
एकदम टाइट लग रहे थे. देख कर लगा कि जीवन धन्य हो गया मेरा!
लंड या लुल्ली… वो टाइट हो गई थी.
गर्मियों के दिन थे, कूलर चल रहा था, चादर ओढ़ रखी थी एक ही. मैं नीचे हो गया और उसके बूब्स के एकदम सामने आ गया. फिर धीरे धीरे उन्हें अपने हाथों से महसूस करना शुरू किया. कोई रिएक्शन न पाकर मैंने अपनी बहन की चूची सहलाना जारी रखा.
काफी देर तक तरह तरह से दबाया, छुआ, छेड़ा, सब आराम आराम से… साथ में गांड भी तो फट रही थी कि कहीं उठ गई तो पता नहीं क्या कर दे…
तभी मुझे टॉयलेट जाने जैसा लगा. खड़ी लुल्ली से जैसे-तैसे मूत कर के वापस आकर उसी पोजीशन में लेट गया.
जैसे ही हाथ आगे बढ़ाए तो क्या देखता हूँ, अर्चना के नाइट सूट के सारे बटन खुले हैं, और ब्रा भी लूज़ है.
एक बार को तो भौंचक्का रह गया कि यह क्या हुआ… कैसे हुआ?
उसके बाद तो क्या था… ब्रा को एडजस्ट करके उसकी चूचियां आराम आराम से छुईं, छेड़ीं, दबाई और फ़िर चूसीं भी… लगभग आधे घंटे तक यही करता रहा. वो तब भी ऐसे ही लेटी थी जैसे सो रही हो.
फिर मन हुआ उसके कपड़े उतारने का… जैसे ही नाईट सूट की एक बाजू पकड़ी, वो अपने आप अडजस्ट होकर पूरी उतरवाने लगी.
मैं मन में हंस रहा था.
वाह… ब्रा ढीली ही थी, वो आराम से अलग कर दी. उसके बाद तो उसकी पूरी कमर, पेट, नाभि और सबसे ज्यादा बूब्स, अच्छे से मसल मसल कर, दबा दबा कर, सहलाए, चूसे, चूमे!
उसकी सांसें कभी तेज हो जाती जिससे वो एकदम कड़क हो जाती और उसके बूब्स एकदम टाइट हो जाते…
ज़न्नत में था मैं उस वक्त!
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हाथ नीचे पहुंचा तो उसके पजामे का नाड़ा महसूस हुआ. पजामा उतारने लगा तो अर्चना ने खुद अपनी गांड उठा ली जिससे आराम से उतर जाए.
उसने तब तक भी अपनी आँखें नहीं खोली थी.
समझ नहीं आ रहा था कि क्यूँ शर्मा रही है अब…
अब वो सिर्फ पेंटी में थी, मैं उसके ऊपर आ गया फिर उसकी गर्दन पर, कन्धों पर, हाथों पर, पेट पर और सबसे ज्यादा चूचियों पर प्यार किया. इस बार रगड़ कर निप्पल दबाए और चूसे.
अब उसके मुख से आवाज़ें आने लगी थी लेकिन कूलर की आवाज़ की वजह से सिर्फ मुझे ही पता चल पा रहा था.
तब तक मैंने किसी की चुदाई नहीं की थी लेकिन इतनी समझ थी कि कंडोम नहीं तो चुदाई नहीं!
खैर, पेंटी तो तब भी उतारी, बालों से भरी चूत महसूस करके आनन्द आ गया. मैंने अपने कपड़े नहीं उतारे थे. मैं बनियान और निक्कर में ही था.
मैंने उसकी चूत से छेड़खानी शुरू कर दी. वो कभी तो सिहर जाती, कभी कड़क हो जाती, कभी टांगें खोल देती. उंगली नहीं घुसी अन्दर… सिर्फ ऊपर ऊपर से ही मजा लिया.
मेरी लुल्ली अब काबू से बाहर होने लगी थी. पर चोद सकता नहीं था तब… निक्कर और कच्छा नीचे करके हिलाने लगा… एक हाथ से हिला रहा था, दूसरे से कभी उसके बोबे तो कभी पेट तो कभी चूत छेड़ रहा था.
तभी उसने मेरी तरफ करवट ले ली. इससे पहले वह एकदम सीधी लेटी हुई थी.
तब मैंने ऊपर होक अपनी लुल्ली उसके निप्पल से भिड़ा भिड़ा कर मजा लेना शुरू किया. अलग ही एहसास था.
तब पहली बार उसने खुद से कुछ किया, अपने बोबे को खुद से मेरी लुल्ली से मिलाने लगी. बंद आँखों से ही…
यूँ करते करते ही मैं उसकी चूचियों पर ही झड गया… मैं ब्यान नहीं कर सकता कि क्या एहसास था वो…
इतना नशा चढ़ा उस वक्त कि अपने कपडे ठीक करके मैं सो गया उसके बारे में, उसके कपड़ों के बारे में बिना सोचे…
तब समय रहा होगा कोई 5 बजे…
नींद खुली सुबह आठ बजे… तब क्या देखता हूँ, सब नार्मल है, अर्चना घर के काम करवा रही है जैसे कुछ हुआ ही नहीं…
एक बार सामना हुआ, तब बस एक शैतानी मुस्कराहट देकर निकल गई.
आगे आगे देखिये होता है क्या!
मेरी कहानी पर आपके सुझाव के लिए इंतज़ार रहेगा.
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