नमस्कार अन्तर्वासना पाठकों, मेरा नाम राज है. आजकल मैं नौकरी पर हूँ.
मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। बात उस समय की है जब मुझे डी एड की पढ़ाई के लिए भिलाई में रहना था। उस समय बारहवीं की पढ़ाई के बाद पहली बार मुझे अपने घर से दूर रहना था। फिर हमने डी एड की पढ़ाई के लिए भिलाई में रूम ढूंढना शुरू कर दिया।
तभी मेरे पिता जी को याद आया कि भिलाई में ही हमारे दूर के रिश्तेदार रहते हैं जो मेरे चाचा जी के रिश्तेदार हैं। वहाँ जाकर हमने रूम तलाशने की बात बताई। तो उन्होंने कहा कि भिलाई में हमारे होते हुए भी हम इसे किसी दूसरे जगह रहने नहीं देंगे। इतने बड़े से घर में क्या एक रूम हम राज को नहीं दे सकते क्या। आपको और चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। ये आज से यही रहकर अपनी पढ़ाई करेगा।
चूंकि वो चाचा जी के रिलेशन से थे, तो मैं उन्हें भी चाचा जी से ही संबोधित किया करता था। उनकी पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां थी। उनका लड़का रायपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। उनकी छोटी बेटी बारहवीं में और बड़ी बेटी कॉलेज में थी। अब मुझे भी वहाँ मन लग गया था क्योंकि पढ़ाई के बाहर रहने के बावजूद अपना परिवार सा महसूस होने लगा।
चाची जी की उम्र लगभग चालीस साल होगी। गोरा बदन और बहुत ही अच्छे फिगर की मालकिन थी और दोनों लड़कियाँ क्या मस्त माल लगती थी। एक इलियाना तो दूसरी काजल अग्रवाल। कई रात तीनों की नाम की मुठ मार के सो जाता था। समय बीतता गया और मुझे अपने दो साल के पढ़ाई में लगभग एक साल पूरा होने को आ गया। गर्मियां की छुट्टी भी लग गयी थी। लेकिन डी एड का एग्जाम दसवीं और बारहवीं की एग्जाम के बाद ही शुरू होता था। दोनों लड़कियाँ अपनी नाना नानी के घर छुट्टियों में बिलासपुर चली गयी थी।
एक दिन की बात है चाचा जी को उनको एक रिलेशनशिप के फैमिली में शादी में जाना था। उन्होंने चाची को पूछा लेकिन वो मुझे घर में अकेला छोड़ नहीं जाना चाहती थी। और दो दिन बाद मेरे एग्जाम थे तो मैं भी उनके साथ नहीं जा पाता।
तो चाचाजी शादी में अकेले चले गए।
वहाँ से उन्होंने फोन कर बताया कि रिशेप्शन पार्टी अभी बहुत वक़्त है। इसलिए कार्यक्रम के बाद आज वो आ नहीं पाएंगे।
चाची ने शायद यह खबर जानबूझकर मुझको बताया। फिर थोड़े वक़्त बाद चाची ने मुझे खाने के लिए आवाज लगाई, मैं फ्रेश होकर वहाँ गया तो देखा चाची आज काले रंग की नाइटी में मेरा डाइनिंग टेबल पर इन्तजार कर रही थी। मैंने पहली बार चाची को नाइटी में देखा था। हो सकता है वो रात को अपने रूम में जाकर ही चेंज किया करती थी। और उसकी नाइटी थी भी ऐसी की वो चाचा के सामने उसे पहन कर हम सबके सामने न आ सके। क्या जालीदार नाइटी थी और उन्हें देख कर मुझे ये भी पता चल गया था कि वो उसके अंदर ब्रा नहीं पहनी है।
फिर हम दोनों ने खाना खाया और फिर अपने रूम आकर पढ़ाई कर रहा था कि चाची ने दरवाजा खटखटाया।
दरवाजा खोलने पर चाची ने कहा- मुझे बहुत बोरियत हो रही है। दोनों लड़कियाँ भी अपने नानी के यहाँ गयी हैं और बात करने के लिए तुम्हारे चाचा जी भी नहीं है। तुम आज मेरे कमरे में पढ़ाई करके मेरे साथ बात करके सो जाना।
मैंने हाँ में जवाब देकर चाची जी के साथ में चला गया।
11 बजे तक पढ़ाई करके चाची के साथ बात करते करते नींद कब आ गयी पता नहीं लगा। अचानक आधी रात को मुझे बाथरूम के लिए उठना पड़ा। नाईट लाइट चालू था उसमें मैंने देखा कि चाची की नाइटी घुटनों के ऊपर तक उठी हुई है। यह सैक्सी नजारा देख कर मेरा लण्ड तो पत्थर का होने लग गया। इससे पहले मैंने कभी किसी के साथ चुदाई नहीं की थी। कुछ देर चाची को निहार कर मैं बाथरूम करके आ गया। फिर नाईट लाइट को बंद करके चाची के बाजू में सो गया।
थोड़ी देर बाद मैंने जानबूझकर चाची को टच किया। चाची की कोई प्रतिक्रिया नहीं आते देख मैं समझ गया कि चाची गहरी नींद में है।
आज पहली बार चाची को नाइटी में और अपने कमरे में सुलाना ये सब देख कर तो मुझे भी ये लगा था कि चाची जी मुझे खुला न्यौता दे रही है। पर डर भी था कि अगर मैंने कुछ गलत किया और चाची ने सब कुछ चाचा और मेरे फैमिली में बता दिया तो पूरी बेइज्जती के सिवा कुछ हाथ नहीं लगेगा।
फिर भी मैंने सोचा कि अब जो होगा देखा जाएगा। मैंने चाची की कमर पर हाथ रख दिया। फिर मैं अपना हाथ धीरे धीरे नीचे ले जाने लगा। कुछ नीचे पहुंचने पर मेरा हाथ चाची की जो नाइटी ऊपर उठी हुई थी वहां पर पहुँच गया। फिर मैं नाइटी को बहुत सावधानी से धीरे धीरे ऊपर की ओर चढ़ाने लगा। थोड़े देर बाद मुझे चाची की अंडरवियर मिल गयी। मेरा तो मन कर रहा था कि अभी चाची का चोदन कर दूं।
मैं धीरे से अंडरवियर के किनारे में उंगली फंसाकर नीचे सरकाने लगा। तभी चाची हल्की सी करवट लेने लग गयी, मैं तुरंत वह से हाथ हटाया। कुछ देर बाद मैं फिर से चाची की पेंटी नीचे करने लगा। लेकिन चाची की गांड की गोलाई देख कर मैं समझ गया कि चाची की चड्डी को निकालना आसान नहीं है। चाची उस समय सीधी चित अवस्था में सो रही थी इसलिए मैंने दोनों जांघ में बीच अपनी एक उंगली डाल दी और अंडरवियर के सबसे पतली और नीचे जगह से अपनी उंगली चाची की चूत में ले जाने की कोशिश की, मेरा हाथ अब थोड़ा अंदर ही गया था कि चाची ने अपना एक पैर घुटना मोड़ कर खड़ा करके मेरे ऊपर चिपका दिया। अब तो मेरा रास्ता और आसान हो गया क्योंकि दोनों पैरों के बीच बहुत जगह मिल गयी थी।
थोड़े देर रुक कर मैं नीचे से अंडरवियर साइड करते हुए उनकी चूत के मुँह में धीरे से उंगली डालने लगा। जैसे ही मुझे चुत का मुंह मिला मुझे गीलापन का अहसास हुआ। मुझे समझते देर नहीं लगी कि चाची जग रही है क्योंकि आज तक चुदाई नहीं की तो क्या हुआ ब्लू फिल्म तो बहुत देखी रखी हैं।
मैं चाची की चुत में उंगली करता रहा. क्या गर्म चुत थी यार … मानो अगर बर्फ का टुकड़ा वहाँ पर रख दो तो देखते ही देखते पिघल जाए।
मैं धीरे धीरे उंगली करता रहा और मुझे ऐसा लगा कि चाची को भी अब मजा आ रहा है।
तभी अचानक चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया, मेरी तो सांस रुक गयी … अब भगवान ही बचाये, क्या होगा पता नहीं।
फिर चाची ने मुझसे कहा- पागल लड़के … तुझे डर नहीं लगा मेरे साथ ये सब करते हुए?
और हंसते हुए मजाक में कहा- आने दे तेरे चाचा को … ये सब मैं अब तुम्हारे चाचा को बताती हूँ।
फिर मैंने भी कह दिया कि अब तो मैं तुम्हारा चोदन करके छोडूंगा।
फिर उन्होंने कहा- रोका किसने है तुम्हें? करके दिखाओ!
फिर चाची और मैंने उस रात 3 बार चुदाई की, 69 की पोजिशन में आकर भी चाची ने अपनी चूत की चुसाई करवायी और मेरा लंड भी चूसा। चाची ने मुझे पूरा गाइड किया कि कैसे क्या करना है क्योंकि मैं पहली बार चूत चुदाई कर रहा था.
ये मेरी पहली चुदाई मुझे जिंदगी भर याद रहेगी।
दोस्तो, इसके कुछ दिन के बाद मौक़ा मिलने पर मैंने चाची की गांड की चुदाई भी की.
आपको मेरी सेक्सी कहानी कैसी लगी? मुझे जरूर बताइये।
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