अन्तर्वासना के सभी चूत की देवियों और लण्डधारी दोस्तों को मेरा सादर प्रणाम. मैं टोनी … मेरी पहली कहानी चाची संग सेक्स की आप लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ, अगर लिखने में कोई गलती हो तो क्षमा चाहूंगा।
पहले बता दूं कि मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और 2010 से अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ रहा हूँ। इतने सालों में आज मुझे मेरी सच्ची कहानी से आप सबको मुखातिब करने का मन हुआ तो यह कहानी लिख रहा हूँ।
मैं 5’7″, सांवला रंग, तीखे नयन नक्श का और बहुत ही मजाकिया व्यक्तित्व वाला लड़का हूँ। पढ़ाई में मैंने MBA किया है और कुछ समय पहले तक एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था।
आज तक मैंने कई लड़कियों और औरतों के साथ चुदाई की है। यह कहानी है कि कैसे मेरे दूर की रिश्तेदारी में मेरी चाची ने मुझे अपने चंगुल में फंसाया और अपनी चूत चुदाई की।
बात करीब 1 साल पहले की है, हमारी दूर की रिश्तेदारी में से एक दादा जी बहुत बीमार हो गए और उन्हें सोनीपत स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में दाखिल करवाया गया। चूंकि हमारी सभी रिश्तेदारियों को पता है कि हम भी इसी शहर में रहते हैं तो चाचा जी ने फोन करके पापा को इसकी जानकारी दी। मैं और मेरे पापा दादा का हल पूछने बाइक से अस्पताल चले गए। वहाँ चाचा के परिवार के सारे सदस्य थे, चाचा, चाची और कुछ और लोग हाल पूछने वह आये हुए थे।
थोड़ी देर बात करने के बाद मेरे चाचा ने मुझे कहा कि अपनी चाची को घर ले जाओ!
तो मैं अपनी बाइक पर बैठकर चाची को लेकर चल दिया।
वहाँ से मेरा घर करीब 2 किलोमीटर दूर है तो रास्ते में चाची ने मेरी पढ़ाई लिखाई के बारे में पूछा। बातों-बातों में चाची ने कहा- कितनी छोरियां पटा राखी हैं तुमने?
तो मैंने कहा दिया कि एक भी नहीं!
बातों से चाची मुझे बहुत चालू लग रही थी. मैं तो पहले ही कई लड़कियों से सम्बन्ध बना चुका था तो मुझे उसके इरादे समझते देर न लगी।
इसी दौरान हम घर पहुँच गए। घर जाकर चाची माँ से बातें करने लगी और मैं मन ही मन चाची की चुदाई के सपने देखने लगा।
करीब 1 घण्टे बाद चाची ने कहा- टोनी, मुझे अस्पताल छोड़ दो, फिर घर जाना है।
मैं चाची को लेकर अस्पताल पहुँच गया. रास्ते में हमारी कुछ ज्यादा बातचीत नहीं हुई।
अस्पताल जाकर कुछ समय बाद चाची ने चाचा से घर चलने को कहा तो चाचा ने कहा- मैं तो आज रात यहीं रुकूंगा, तुम चली जाओ।
शाम के करीब 7 बजने वाले थे और चाचा का घर शहर से 10 किलोमीटर दूर एक गांव में था तो चाची ने कहा- अब शाम को गांव तक कोई साधन नहीं मिलेगा।
इस पर मेरे पापा, जो अभी तक वहीं थे, ने कहा- टोनी को साथ ले जाओ और अगर देर हो तो ये कल आ जाएगा।
चाचा ने भी पापा की बात पर हाँ कर दी। यह सुनकर तो मुझे यकीन हो गया था कि आज रात को चाची की चुदाई पक्की है।
मैं वहां से चाची को लेकर उनके गांव की तरफ चल पड़ा। रास्ते में चाची ने फिर से लड़कियों की की बात छेड़ते हुए कहा- तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेंड हैं?
मैंने फिर से मना कर दिया तो चाची ने कहा- सच सच बता … आज तक कभी किसी लड़की के साथ मजे लिए हैं या नहीं?
यह सुनकर मैं पहले तो थोड़ा शरमाया, फिर मैंने कहा- कभी मौका ही नहीं मिला मजे लेने का!
तो चाची ने मजाकिया लहजे में कहा- अगर मौका मिले तो?
यह सुनकर मैं समझ गया कि ये आज मुझसे पक्का चुदेगी और मैंने भी कह दिया कि अगर मौका मिला तो पूरे खुलकर मजे लूंगा।
यह सुनकर चाची भी बहुत हँसी और हम बात करते करते करीब 30 मिनट में उनके घर पहुँच गए।
उनको घर छोड़कर मैंने नाटक करते हुए कहा- मैं वापस जाऊंगा.
तो चाची ने कहा- आज मैं तुझे जाने नहीं दूँगी, अब बहुत देर हो गयी है, कल सुबह चाचा की रोटी लेकर चले जाना.
यह सुनकर मैं हल्का हल्का मुस्कुराया और रुकने के लिए तैयार हो गया।
अब चाची के परिवार के बारे में बता दूं, चाचा के 3 बच्चे हैं, 1 लड़का और 2 लड़कियां। तीनों नादाँ हैं. उनकी दादी बहुत पहले चल बसी।
वहाँ जाकर पहले मैं नहाया धोया और करीब 9.30 बजे खाना खाया औऱ सोने की इच्छा हुई तो चाची ने कहा- ऊपर वाले कमरे में जाकर सो जाओ.
मैं वहाँ जाकर लेट गया और अपने फोन में मूवी देखने लगा।
करीब एक घण्टे बाद चाची सारा काम करके मेरे लिए दूध लेकर ऊपर आयी और दूध एक ओर रखकर मेरे पास बैठ गयी और बातें करने लगी।
बातों-बातों में चाची ने मुझे बताया कि मेरे चाचा का चक्कर पड़ोस में किसी और औरत के साथ है और वो उसके साथ हर रोज झगड़ा करते हैं।
यह सुनकर मैंने थोड़ा सहानुभूति दर्शाते हुए उनको सांत्वना देने के लिए उसके हाथ पर हाथ रख दिया। पता नहीं उसको क्या हुआ वो मेरे गले लगकर रोने लगी। मैं समझ चुका था कि चाचा इसकी सन्तुष्टि नहीं करते। मैंने उसको गले लगे हुए जानबूझकर उसकी कमर में हाथ फेरने लगा।
चाची को न जाने क्या सूझा, उन्होंने सीधा मुझको होठों पर चूम लिया और पीछे हटकर बैठ गई। अब मैं समझ चुका था कि ये अब चाची सेक्स के लिए तैयार है।
मैंने फौरन चाची का हाथ पकड़ कर आगे जिया और चाची के होठों पर टूट पड़ा। चाची भी कोई नाराजगी न दिखाते हुए मेरा साथ देने लगी।
2-3 मिनट के बाद चाची खड़े होकर नीचे गई और बच्चों के आगे वाले दरवाजे की कुंडी लगा कर वापस आ गई और आते ही मुझे बेतहाशा चूमने लगी। थोड़ी देर की चूमाचाटी के बाद वो मेरे कपड़े उतारने लगी।
अब मैं भी फुल मूड में हो चुका था, मैंने जल्दी जल्दी चाची के सारे कपड़े उतारे और एक एक करके उसके पूरे बदन को चूमने लगा। अब चाची के मुँह से जोर जोर से आहें निकलने लगी।
फिर मैंने चाची की टांगों को खोला और उसकी मखमली सफेद चूत पर अपनी जीभ रख दी और चूत को चाटने लगा।
आप लोगों को बता दूं कि मुझे चूत चाटना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है।
चुत पर जीभ रखते ही चाची के गदराए बदन का रोम रोम कस गया और उसने अपने दोनों हाथों से मेरा मुँह अपनी टाँगों के बीच जोर से दबा दिया।
5 मिनट बाद ही चाची की चूत ने रस छोड़ दिया और मैं उस सारे रस को गटक गया।
अब मैं खड़ा होकर अपना लंड चाची के मुँह के पास ले गया और चाची को चूसने का इशारा किया. इशारा मिलते ही चाची मेरा 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लण्ड अपने गके तक गटक गयी। लंड को तो वो एक प्रोफेशनल रंडी की तरह चूस रही थी।
5 मिनट के बाद मैंने अपना सारा माल उसके मुँह में ही छोड़ दिया।
10 मिनट आराम करके चाची ने फिर से मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मेरा लण्ड फनफनाता हुआ फिर से अपने चरम पर पहुँच गया था। अब मैंने देर न करते हुए चाची को घोड़ी बनाया और अपना लण्ड चाची की चुत के सुपारे पर रख और फिर जोर से एक ही झटके में पूरा लण्ड चुत के अंदर घुसा दिया।
लण्ड घुसते ही चाची के मुँह से जोर की सिसकारी निकली। अब चाची अपनी गांड उठा उठा कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने बेड पर सीधा लेटकर चाची को लण्ड पर बैठने को कहा। लण्ड पर बैठते ही पूरा का पूरा लण्ड चाची की चूत में समा गया। अब चाची मेरे लण्ड पर बैठकर उछलने लगी।
15 मिनट के चोदन के बाद मैंने सारा रस चाची की चूत में ही छोड़ दिया।
उस रात मैंने अपनी चाची संग 4 बार जी भरकर सेक्स किया। फिर मैं सुबह उठकर नहा धोकर चाचा का खाना लेकर अस्पताल आ गया।
तो दोस्तो, यह थी मेरी मेरी दूर की रिश्तेदारी में लगने वाली चाची संग सेक्स की कहानी। आप लोगों को पसंद आई या नहीं … मेल करके जरूर बताइएगा।
अगर कोई कमी या गलती रह गयी हो तो भी जरूर बताएगा। आपके सुझाव सर्वोपरि रहेंगे।
अगर आप मेरी दूसरी कहानियां भी जानना चाहते हैं तो मुझे जरूर लिखिएगा।
धन्यवाद।
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