मेरा नाम राजू है और जिस वक्त की ये घटना है, उस वक्त मेरी उम्र 19 साल की थी.
मैं अपनी मम्मी के साथ अकेला रहता था. पापा फ़ौज़ में थे, जिस वजह से वो साल में 2 या 3 बार ही घर आ पाते थे.
जब भी पापा घर आते थे तो मम्मी की जमकर चुदाई करते थे.
मेरी मम्मी की उम्र भी उस वक्त ख़ास ज्यादा नहीं थी, कम उम्र में शादी हो जाने के कारण वो सिर्फ 36 साल की ही थीं और उनका फिगर भी बहुत मेंटेन था.
उनको देखकर किसी भी जवान या बुड्डे के लंड में जोश आ सकता था.
मेरी मम्मी की चूचियां भी सामन्य आकार की थीं मतलब ज्यादा दबाई नहीं गई थीं … इसलिए बड़ी या ढीली नहीं थीं.
हमारे पड़ोस में एक चाची रहती थीं जिनकी उम्र करीब 40 साल की रही होगी, जब पापा नहीं रहते … तो वो अक्सर घर आ जाया करती थीं.
एक दिन जब मैं नहा रहा था … तब चाची घर आ गईं और मम्मी से बातें करने लगीं.
वो बोलीं- सरला एक बात बताओ …. जब तुम्हारे पति चले जाते हैं और महीनों के बाद आते हैं, तब तुम क्या करती हो?
उनको जवाब देते हुए मम्मी बोलीं- करना क्या है बस किसी तरह से बर्दाश्त करती हूँ … आग लगी रहती है. जब उनकी याद बहुत आती है, तो मोटी सी मोमबत्ती से काम चला लेती हूँ.
चाची हंस दीं और मजा लेने लगीं.
फ़िर मम्मी ने चाची से पूछा- जब तुम्हारे पति बाहर जाते हैं, तब तुम क्या करती हो?
मैं उन दोनों की बातों को बाथरूम में से सुन रहा था.
हालांकि मैं नहा चुका था, पर फ़िर भी उन दोनों की बातें सुनने के लिए अन्दर ही रुका रहा.
मैंने चाची की आवाज सुनी- भई, मैं तो अपना मसला हल कर लेती हूँ … तेरी तरह मोमबत्ती से काम नहीं चलाती हूँ.
मम्मी ने उनसे पूछा कि वो भला कैसे?
तब चाची हल्के स्वर में बोलीं- मैं अपने बेटे वीरू से अपनी प्यास शांत करवा लेती हूँ.
मम्मी ने हैरानी भरी आवाज में पूछा- हैं … इसका क्या मतलब है … क्या तुम अपने बेटे से चुदवा लेती हो?
तब चाची बोली- हां मेरी रानी … वीरू से चुदवाने में बहुत मज़ा आता है. उसका लंड बहुत मोटा और लम्बा है … मुझे तो वो पूरी तरह से जवान कर देता है.
मम्मी ने कहा- हटो ये सब बातें मत करो … मुझे तो शर्म आती है कि तुम अपने बेटे से … हिष्ट गंदा काम.
तब चाची ने मम्मी की एक चूची को पकड़ लिया और मसलने लगीं.
चाची बोलीं- जब मजा लेना होता है तब लंड चुत में कोई रिश्ता नहीं होता है. कभी आंख पर पट्टी बांध कर चुदाई का अहसास करना … लंड और चुत को सिर्फ अपने मजे से मतलब होता है.
चाची ने ये कह कर मम्मी की चूची मींज दी तो मेरी मम्मी ‘आआअह आआअह …’ करने लगीं.
मम्मी- आह रहने दो चाची … मेरी चूची मत दबाओ … काहे आग लगा रही हो … तुम तो अपने लड़के से चुदवा लोगी … मेरा क्या होगा?
तब चाची ने कहा- इससे ज्यादा आग तो चुदाई देखने में लगती है … तुम चाहो तो आज रात को मैं तुमको अपनी चुदाई का सीन दिखाऊंगी … तुम देखना कैसे मस्ती से चोदता है मेरा लड़का.
मम्मी ने हां में सर हिला दिया.
चाची- चल तो फिर आज रात ठीक 11 बजे तैयार रहना.
चाची जाने को हुई ही थीं कि तभी मैं नहा कर सिर्फ तौलिया में बाहर आ गया.
तो चाची मुझे बहुत गौर से देखने लगीं और मैं अपने कमरे में आ गया.
तब चाची बोलीं- तेरा राजू भी तो पूरा जवान है … साली, इतना अच्छा माल घर में है और मोमबत्ती से काम चलाती है.
मम्मी ने उन्हें धत्त कर दिया और वो हंसती हुई चली गईं.
जाते जाते चाची मेरी मम्मी को 11 बजे की याद दिला गईं.
रात का इंतज़ार तो मुझे भी था. रात को खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में चला गया और वहीं से छिप कर पड़ोस का नज़ारा देखने लगा.
चाची के घर के सामने वाली खिड़की हमारे घर के सामने ही खुलती थी जिसे चाची ने आज मम्मी की सुविधा के लिए खोल दिया था.
आज चाची ने अपने कमरे की लाइट भी ऑफ़ नहीं की थी.
तभी मैंने देखा कि चाची सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में ही रूम में आईं और मम्मी की तरफ़ आंख मार कर उंगली से गोला बना कर उसमें उंगली करने लगीं.
उसी समय उनका लड़का वीरू सिर्फ कच्छे में आ गया और चाची की चूचियां हाथ में लेकर मसलने लगा; फ़िर एक चूची को मुँह में भरकर चूसने लगा.
चाची बोलीं- साले मादरचोद … पी जा सारा दूध … जैसे बचपन में पीता है भोसड़ी वाले आज जमकर चूत मार मेरी!
चाची के मुँह से गाली सुनकर मेरे साथ साथ मम्मी की तबियत भी हरी हो गई. हमने सोचा भी नहीं था कि चाची इतनी बड़ी अय्याश होंगी.
तभी वीरू ने उनके सारे कपड़े उतार कर उनको एक कुर्सी पर बैठा दिया और उनकी टांगें फ़ैला दीं जिससे कि चाची की चूत साफ़ नज़र आने लगी थी.
वीरू बोला- साली रंडी, यहां जंगल क्यों उगा रखा है … झांटें क्यों नहीं बनाती … तुझे मालूम है कि मुझे झांटें पसंद नहीं हैं … फ़िर भी!
चाची बोलीं- साले भड़वे, चिल्लाता क्यों है … कल बना लूंगी … आज तो तू मेरी प्यास बुझा मां के लौड़े.
तब वीरू ने चाची की टांगें उठा कर चुत पर लंड सैट कर दिया और एक दमदार धक्का दे मारा.
इसी के साथ चाची बहुत जोर से चिल्ला पड़ीं- ऊऊउईई ईईईई … इस्सस्स साले हरामी … आज मारने का इरादा है क्या … मादरचोद कुत्ते निकाल ले अपना लौड़ा … आह मुझे बहुत दर्द हो रहा है भोसड़ी के.
मगर वीरू ने लंड नहीं निकाला और अपनी मम्मी की चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगा.
कुछ पल बाद चाची को राहत मिली और धकापेल चुदाई चालू हो गई.
वीरू ने हचक कर लंड चुत में पेलना शुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद दोनों झड़ गए.
झड़ने के बाद दोनों ही सुस्त होकर वहीं पर नंगे ही चिपक कर सो गए.
ये मॉम बेटा सेक्स सीन देख कर मेरा और मम्मी का दिमाग भी खराब हो चुका था.
दूसरे दिन मैं नहा रहा था कि तभी चाची घर आ गईं और मम्मी से बोलीं- क्या हुआ मेरी जान, रात को चुदाई देखी थी?
मम्मी ने कहा- हां देखी थी … मगर मुझे तुमसे बात नहीं करनी है तुम अकेले अकेले ही मज़ा ले रही हो, तुम्हें मेरा तो कुछ ख्याल ही नहीं है.
चाची ने हंसते हुए मेरी मम्मी की एक चूचि उनके ब्लाउज के ऊपर से पकड़ ली और जोर से दबाने लगीं.
मम्मी की ‘आह उन्ह …’ निकलने लगी, तो चाची ने अपना हाथ मम्मी की साड़ी के अन्दर घुसेड़ दिया और चुत को मसल दिया.
इससे मेरी मम्मी एकदम से चिहुंक पड़ीं- आह आआह … यार ये तू क्या कर रही है साली कुतिया … वैसे ही मेरी चुत में बहुत खुजली मची है और तू मेरी आग को और भड़का रही है.
इस पर चाची बोलीं- तेरी चुत की खुजली तो अब तेरा बेटा ही शांत करेगा.
मम्मी आशा भरी नजरों से चाची की तरफ देख कर बोलीं- वो कैसे?
चाची ने कहा कि एक शर्त पर बताऊंगी?
मम्मी ने कहा- मुझे तेरी हर शर्त मंजूर है.
चाची ने कहा कि तू अपना काम निकलवाने के बाद अपने बेटे का लौड़ा मुझे भी अपनी चूत में डलवाने देगी.
मम्मी ने कहा- साली रांड … पहले मुझे अपना आइडिया तो बता!
चाची बोलीं- मेरी जान, तेरी चूचियां इतनी खूबसूरत हैं कि कोई बुड्ढा भी देख कर जवान हो जाए, फ़िर तेरा बेटा तो पूरा गबरू जवान है. तू उसको किसी तरह से अपनी चूचियां दिखा दे … और हो सके तो चूत भी दिखा देना और हां पहले चुत की झांटें बना लेना, चिकनी चूत चोदने में लड़कों को बहुत मज़ा आता है.
मम्मी ने कहा- ठीक है. मगर क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि तू वीरू से ही मेरी खुजली मिटवा दे!
चाची बोलीं- वो बाद में हो जाएगा मेरी जान … मगर मुझे पहले तेरे बेटे के लंड से भी चुदना है … और हम दोनों को दो लंड तैयार करने हैं ताकि हम दोनों लंड बदल बदल कर चुत चुदाई का मजा ले सकें.
ये बात सुनकर मेरी मम्मी की चुत में शायद पानी आ गया था तो वो अपनी साड़ी के ऊपर से ही अपनी चुत मसलती हुई चाची की बात सुनकर हां में सर हिलाने लगीं.
मम्मी- ये बात तो तू सही कह रही है मेरी बन्नो.
मैं तो उन दोनों की बात सुन ही चुका था.
अगले दिन मम्मी बाथरूम से नहा कर सिर्फ तौलिया में बाहर आ गईं.
मम्मी मुझसे बोलीं- राजू, जरा मेरे रूम में आना.
मम्मी की तौलिया भी बहुत छोटी थी, उनकी चूचियां आधी से भी कम ही ढकी हुई थीं. नीचे भी तौलिया बहुत छोटी होने की वजह से मम्मी की गोरी टांगें ऊपर तक साफ़ दिख रही थीं.
कमरे में आने के बाद मम्मी ने अपनी तौलिया भी मम्मों से नीचे उतार कर कमर से बांध ली.
वो मेरे सामने ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गई थीं, उनके मस्त भरे हुए मम्मे देख कर मुझे उत्तेजना होने लगी थी और मेरा लंड तुनकी मारने लगा था.
मम्मी मुझसे बोलीं- बेटा जरा ब्रा पहना देना. मैं ये नई ब्रा लाई थी, इसका हुक पीछे से लगा दे … मुझसे लग नहीं रहा है.
ये कह कर मम्मी मेरी तरफ़ अपनी गोरी पीठ करके खड़ी हो गईं और मैंने ब्रा हाथ में ले ली.
उन्होंने अपने मम्मे आगे से कप में डाले और मैं पीछे से हुक लगाने लगा.
पर ब्रा काफी टाईट थी इसलिए हुक लग ही नहीं रहा था.
मेरी गर्म सांसें चल रही थीं और हाथ कांप रहे थे.
मम्मी ने पूछा- क्या हुआ … हुक लगा न .. कोई दिक्कत है क्या?
मैंने कहा- हां शायद ये आगे से सही से सैट नहीं हुई है.
तब मम्मी मेरी तरफ़ अपनी चूचियां करके खड़ी हो गई और बोलीं कि लो आगे से पहले मेरे दूध कप में ठीक से डालो … और अपने हिसाब से सैटिंग कर लो.
मेरे बदन पर इस समय सिर्फ एक लुंगी ही थी जिसके नीचे मैंने कुछ भी नहीं पहना था.
मेरा लंड भी मम्मी की नंगी जवानी को देख कर एकदम तन चुका था.
मैंने अपने हाथों से मम्मी की दोनों चूचियों को पकड़ा और धीरे धीरे ब्रा के कप में डालने लगा.
मेरे हाथ से मम्मी की चूचियां दब रही थीं तो मम्मी के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं
वो अपना चेहरा नीचे किए हुए थीं और वासना से गर्म होती जा रही थीं.
मैं भी अपनी गर्म सांसें उनके चेहरे पर छोड़ रहा था और उनकी चूचियों को कप में डालने के बहाने उनके दूध मसल रहा था.
कुछ ही पलों में क्रान्ति का आगाज हो गया और मम्मी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.
अपने लंड पर मम्मी का हाथ महसूस करते ही मेरे मुँह से ‘आआ … आअह आआअह …’ की आवाज निकल पड़ी और मैंने मम्मी की दोनों चूचियों बहुत जोर से मसल दिया.
मम्मी के मम्मों पर एकदम कड़क खड़े काले निप्पलों की मस्ती देखने लायक थी. मम्मी के दोनों निप्पल एकदम तन कर खड़े हुए बहुत प्यारे लग रहे थे.
मैंने अपने होनों हाथों की दो दो उंगलियों को काम पर लगा दिया और अपनी मम्मी के चूचुकों को उंगलियों में दबा कर मींजने लगा.
अब मम्मी ने मेरी लुंगी हटा दी.
मेरा लौड़ा किसी भनभनाते सांप की तरह बाहर आ गया और फ़नफ़नाने लगा.
मम्मी ने जोर से मेरे लौड़े को पकड़ कर मरोड़ दिया.
मैंने कहा- लंड अच्छा लगा मम्मी!
मम्मी ने कहा- हां बहुत मस्त लौड़ा है .. बेटा आज तू अपनी मम्मी की उस चूत को चोद ही दे … जिसमें से तू बाहर आया था … आह आज बुझा दे अपनी मम्मी की चुत की प्यास.
अब मुझे भी जोश आ गया और मैंने भी उनकी एक चूची को अपने दांतों से दबा कर चूसने और काटने लगा.
मम्मी की आह आह की मस्त आवाज निकलने लगी और वो मेरे सर को अपनी चूची पर दबाते हुए मुझे अपना दूध चुसाने लगीं.
मैंने मम्मी की मस्ती देख कर उनकी चूत पर हाथ लगा दिया और उनकी कमर पर बंधी तौलिया को खींच कर अलग कर दिया.
अब मम्मी मेरे सामने पूरी नंगी थीं. उनकी सफाचट चूत बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी.
मम्मी अपनी चूत की फांकों को अपने दोनों हाथों से फ़ैला कर बोलीं- आ जा साले … चूस ले मेरी चूत को … और बन जा मादरचोद.
मैं घुटनों के बल बैठ कर अपनी मां की चूत पर अपनी जुबान फ़ेरने लगा.
वो सीत्कारती हुई बोलीं कि आह बेटा जरा रुक जा … मुझे पूरा मजा लेना है.
ये कह कर वो बिस्तर पर लेट गईं और मुझसे बोलीं- अब तू पहले अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाल और मेरी चूत को चूस … इस तरह से दोनों को मज़ा मिलेगा.
हम दोनों 69 की अवस्था में हो गए और मम्मी नीचे से अपनी गांड को उछालने लगीं और ‘आआआ … आह्हह …’ की कामुक आवाजें निकालने लगीं.
कुछ ही देर में मजा अपने चरम पर आने लगा और मम्मी बोलीं- राजा बेटा, अब मैं झड़ने वाली हूँ … पहले मुझे चोद कर मेरी प्यास बुझा दे साले मादरचोद.
मम्मी के मुँह से गालियां सुनकर मैंने भी उनकी चुत को तेज तेज चाटना शुरू कर दिया.
तभी वो चुत उठाती हुई झड़ गईं और थोड़ी देर बाद मैं भी उनके मुँह में ही झड़ गया.
मैंने अपने लंड का सारा माल उनके मुँह के अन्दर ही छोड़ दिया.
मम्मी ने मेरे लंड की रबड़ी खा ली.
कुछ देर आराम से लेटने के बाद मम्मी ने उत्तेजना से कहा- अब मेरी चूत में खुजली होने लगी है. तू मेरी बुर चोदो साले मादरचोद भड़वे … आज चोद डाल अपनी मां चोद दे भोसड़ी वाले. आज अपनी मम्मी की चूत को फाड़ दे साले.
उनकी गालियां सुनकर मुझे और मेरे लंड को भी जोश आ गया और मैंने मम्मी को बेड पर चित लिटाया और लंड सहलाते हुए कहा- साली कुतिया रंडी भैन की लौड़ी तेरी चुत में बहुत खुजली मची है न मादरचोदी रंडी … आज मैं तेरी चुत के सारे कीड़े निकाल दूँगा छिनाल … ले अब अपने बेटे के लंड से चुदाई का मजा ले मां की लौड़ी साली रंडी.
बस मैंने मम्मी की चूत पर अपने लंड के सुपारे को जैसे ही टिकाया, उनके मुँह से कामवासना भरी आवाज निकल पड़ी- आआह आआ … अहूऊओई … ऊफ़्फ़्फ़ … अब साले … अब धक्का मार भी भड़वे!
मैंने एक बार में ही अपना पूरा लौड़ा उनकी कसी हुई चूत में घुसा दिया.
‘ऊऊ ओहह्ह … ऊऊ ऊह्ह मर गई … आह्हह कमीने … भोसड़ी वाले जान निकाल दी तूने …’
मैंने भी कहा- साली कुतिया तेरी चूत तो आज भी बहुत टाईट है … किसी कमसिन लड़की की तरह है.
मैं ये कहते हुए एक शॉट और लगा दिया. मम्मी इस बार और जोर से चिल्ला पड़ीं.
सामने से चाची खिड़की से झांक कर मॉम बेटा सेक्स देखने लगीं.
मम्मी ने उन्हें आंख मार दी. इसके बाद मैं मम्मी की चुत में धक्के पर धक्का लगाने लगा. मम्मी भी अपनी चूत उचका उचका कर लंड के धक्कों का ज़वाब देने लगीं.
बीस मिनट तक धकापेल चुदाई हुई. फिर हम दोनों एक साथ ही झड़ गए.
उस रात मैंने अपनी मम्मी को चार बार चोदा.
उसके बाद मैंने मम्मी के सामने अपनी पड़ोसन चाची को भी चोदा और मम्मी की गांड भी मारी.
चाची के लड़के वीरू ने भी मेरी मम्मी को चोदा.