यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
भाई बहन चुदाई कहानी की पिछली कड़ी में आपने पढ़ा कि मेरी शादीशुदा दीदी हेतल अपने पति के साथ कुछ दिन के लिए हमारे साथ ही रहने के लिए आई. जब कई दिन हो गये तो मेरा मन मानसी की चूत मारने के लिए करने लगा. मगर मेरी हेतल दीदी ने उसे अपने रूम में भेज दिया और खुद उसके रूम में आकर अपनी चूत चुदवा ली.
अब आगे:
मैं हेतल दीदी के साथ मानसी के रूम में जाने के बाहर निकला. मगर हेतल और मैंने देखा कि रितेश जीजू बाहर सोफे पर नहीं थे. हमने सोचा कि यहीं कहीं बाथरूम में गये होंगे. उसके बाद मैं हेतल के रूम में पहुंचा जहां पर मानसी मेरा इंतजार कर रही थी. मगर जैसे ही मैं हेतल के कमरे के बाहर दरवाजे के पास पहुंचा तो मुझे अंदर से कुछ आवाजें आती हुई सुनाई दीं.
मैं दरवाजे के लॉक वाले छेद से एक आंख से अंदर झांक कर देखने लगा तो सामने मुझे रितेश जीजू बेड के किनारे खड़े हुए दिखाए दिये. उन्होंने कपड़े पूरे पहने हुए थे लेकिन उनके मुंह से आह्ह … स्स्स … आह मानसी … हम्म … जैसी कामुक आवाजें निकल रही थीं. उन्होंने हाथ अपनी कमर पर रखे हुए थे. उनकी कमर आगे पीछे होते हुए उनकी गांड को आगे की तरफ धकेल रही थी. रितेश जीजू की गांड पर मानसी के हाथ रखे हुए थे. वो उनकी गांड को सहलाते हुए उनके लंड को चूस रही थी.
मुझे समझते देर नहीं लगी कि मानसी ने अंधेरे में रितेश जीजू पर हाथ साफ करने की तैयारी कर ली होगी. शायद रितेश जीजू यह सोचकर हेतल के कमरे में आए होंगे कि यहां पर हेतल की चूत चुदाई करेंगे लेकिन पता नहीं उन दोनों के बीच में क्या बातें हुईं. अब नजारा कुछ और ही था. मानसी तबियत से रितेश जीजू का लंड चूस रही थी. रितेश जीजू भी पूरी मस्ती में अपनी गांड को आगे-पीछे करते हुए मानसी को लंड चुसवा रहे थे.
मैंने हेतल को जाकर इस बात की खबर दी. हम दोनों भाई-बहन एक बार तो हैरान हुए मगर फिर सोचा कि जब ये जीजा-साली अब मजे लेने में लगे हुए हैं तो इनके आनंद में विघ्न डालना ठीक नहीं है. मानसी तो राज के लंड के लिए हेतल से जिद कर रही थी लेकिन उसने तो रितेश जीजू पर ही हाथ साफ कर लिया.
हेतल ये देख कर वहां से चली गई. उसको शायद रितेश जीजू की ये हरकत हजम नहीं हुई. हेतल दीदी रितेश जीजू के के लिए थोड़ी पजेसिव लगी उस दिन मुझे. मगर मैं वहीं पर खड़ा रहा. मैं उन जीजा-साली की वो कामुक रास-लीला वहीं खड़ा रह कर देखने लगा क्योंकि मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था ये कामुक दृश्य देख कर. रितेश जीजू ने जोर-जोर से मानसी के मुंह में अपना लंड पेलना शुरू कर दिया.
फिर उन्होंने मानसी को बेड पर पीछे की तरफ धकेल दिया और ऊपर चढ़ गये. मानसी की टांगों को चौड़ी करके वो उसकी टांगों के बीच में बैठ गये और उसका टॉप उतारने लगे. मानसी कुछ ही सेकेण्ड में ऊपर से नंगी हो गई. ब्रा उतरते ही उसके चूचे दोनों तरफ पसर गये. रितेश जीजू ने मानसी के चूचों को अपने हाथ में भरा और उनको जोर से दबाते हुए मानसी के ऊपर लेटते चले गये.
मानसी के ऊपर लेटकर रितेश जीजू ने उसके होंठों को जोर से चूसते हुए उसके चूचों को मसल डाला. वो चीख पड़ी. शायद उसको दर्द हो रहा था क्योंकि मैं तो मानसी के चूचों से प्यार से खेलता था लेकिन रितेश जीजू के हाथों की पकड़ ने मानसी को चीखने पर मजबूर कर दिया.
जीजा-साली शायद पहली बार एक-दूसरे के जिस्म को भोग रहे थे इसलिए रितेश जीजू के अंदर इतनी उत्तेजना भर गई थी. वो जोर-जोर से उसके चूचे मसलते हुए उसके होंठों को काटने लगे. मानसी ने जीजू को अपनी बाहों में भर लिया और उनकी कमर पर हाथ फिराते हुए उनके होंठों को चूसने लगी.
काफी देर तक एक-दूसरे को होंठों का रसपान करने के बाद मानसी ने जीजू को उठाया और उनको नीचे पटक दिया. वो जीजू की पैंट से बाहर निकल कर खड़े हुए लंड पर अपनी गांड रखते हुए उनकी टांगों के बीच में बैठ गई और जीजू की शर्ट उतारने लगी. जीजू की शर्ट के बटन खोलने के बाद उसने शर्ट को एक तरफ हटाया तो जीजू की उठी हुई चौड़ी छाती के निप्पल दिखाई देने लगे. मानसी जीजू के होंठों को दोबारा से चूसने लगी और फिर गर्दन पर आ गई. फिर वो जीजू की छाती के निप्पलों को चूसने लगी तो जीजू ने मानसी की गांड को दबाना शुरू कर दिया.
जीजू के मुंह से कामुक सीत्कार फूट रहे थे. आह्ह … स्स्स … मानसी तुम तो मर्दों की बहुत प्यासी हो. मैं तो सोच रहा था कि तेरी दीदी को ही मर्दों की भूख है लेकिन तुम भी कुछ कम नहीं हो.
मानसी ने जीजू के निप्पलों को चूसना जारी रखा और फिर जीजू ने उठते हुए अपनी शर्ट को पूरी तरह से निकाल दिया. उनकी चौड़ी छाती ऊपर की तरफ उठती हुई ऐसी लग रही थी जैसे अभी-अभी वो जिम करके आये हों.
वो दोबारा से लेट गये और मानसी ने एक बार फिर से जीजू की पैंट के बीच में पीसा की एक तरफ झुकी मीनार के समान खड़े लंड को अपने मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया.
जीजू ने अपनी पैंट को ऊपर से खोल दिया और अपने अंडरवियर को नीचे सरकाते हुए पैंट और फ्रेंची को जांघों तक ले आये. उनके भूरे से झाटों के बीच में खड़ा हुआ उनका लंड मानसी की लार में लिपटा हुआ था.
मानसी तब तक अपनी नाइट पैंट को निकाल चुकी थी. जीजू की जांघों पर बैठते हुए उसने जीजू की छाती पर हाथ फिराते हुए उसको सहलाना शुरू किया तो मानसी के कोमल हाथों की मदहोशी में आनंदित होते हुए रितेश जीजू उसके चूचों को मसलने लगे. जीजा-साली दोनों ही एक दूसरे के जिस्म को ऐसे भोग रहे थे जैसे इससे पहले न तो जीजू ने किसी महिला को नंगी देखा हो और न ही मानसी ने किसी मर्द को नंगा देखा हो.
एक बार फिर से मानसी जीजू के लाल रसीले होंठों को चूसते हुए उनकी छाती पर लेट गई और उसके चूचे जीजू की छाती से जा सटे. जीजू ने उसके चूतड़ों को दबाते हुए उसकी गांड के छेद को सहलाना शुरू कर दिया. मानसी की गांड ऊपर उठी हुई थी और जीजू का हाथ उसकी गांड पर फिरते हुए जैसे उसका नाप ले रहा था.
काफी देर तक मानसी जीजू के होंठों को पीती रही और जीजू ने नीचे से अपना हाथ निकालते हुए उसकी चूत को सहलाया तो मानसी के मुंह से निकल पड़ा- आआह्ह … जीजू का हाथ उसकी चूत पर लगते ही उसकी वासना ऐेसे भड़की जैसे जलती हुई आग में किसी ने घी डाल दिया हो. जीजू का लंड मानसी के चूतड़ों पर रगड़ खा रहा था और वो जीजू को बेतहाशा चूमने में लगी हुई थी.
फिर जीजू ने पीछे से ही अपने खड़े हुए लंड को मानसी की उबल चुकी चूत में सट से घुसा दिया तो मानसी खुद ही अपनी गांड को जीजू के लंड पर ऊपर नीचे पटकती हुई उनके गोरे लम्बे लंड से चुदने लगी. जीजू का लंड मानसी की चूत को फैलाता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था. मानसी के उछलने से जीजू के टट्टों पर मानसी जांघें लग रही थी और पट्ट-पट की आवाज होने लगी जो बाहर दरवाजे तक आ रही थी.
उनकी ये चुदाई देख कर मेरे अंदर का कामदेव भी चूत चुदाई के लिए भीख मांगने लगा और मैं हॉल में जाकर सोफे पर लेटी हेतल को ये सीन दिखाने के लिए उठा कर ले आया. हेतल मना कर रही थी क्योंकि वो जीजू से नाराज सी लग रही थी लेकिन मेरे जिद करने पर वो मेरे साथ उठ कर आई और उसी छेद से अंदर का नजारा देखने लगी.
जीजा-साली की ऐसी गर्म चुदाई देख कर उसकी चूत ने भी वहीं पर पानी छोड़ना शुरू कर दिया और मैंने हेतल की गांड पर अपना तना हुआ लंड रगड़ना चालू कर दिया. हेतल ने अपनी नाइट पैंट को नीचे सरका दिया. वो दरवाजे छेद पर आंख लगाकर झुकी हुई थी और मैं उसकी गांड के छेद पर अपने लंड को लगाकर रगड़ने लगा. मानसी और रितेश की चुदाई देखते हुए उसे ये भी ध्यान नहीं रहा कि मैं उसकी चूत में लंड को लगा रहा हूं या गांड में.
मैंने हेतल की गांड के छेद पर लंड को सेट किया और एक जोर का झटका देते हुए अपना लंड उसकी गांड में उतार दिया तो उसके मुंह से चीख निकलते-निकलते रह गई. वो चीखना चाहती थी लेकिन उसने आवाज को अंदर ही दबा लिया क्योंकि अगर रितेश और मानसी को आवाज सुनाई दे जाती तो सारा खेल बिगड़ सकता था. मेरा लंड अंदर जा चुका था और हेतल उसको निकालने के लिए छटपटाती हुई मुझे पीछे धकेलने लगी. मगर लंड तो अब गांड में जा चुका था इसलिए बाहर निकालने का तो सवाल ही नहीं था.
हेतल के चूचों को थामते हुए मैंने उसकी गांड को वहीं दरवाजे के बाहर ही चोदना शुरू कर दिया. अंदर रितेश जीजू मानसी की चूत को चोद रहे थे और मैं बाहर उनकी बीवी की गांड मार रहा था. हेतल फिर खड़ी हो गई और मेरे लंड की चुदाई का मजा उसको आने लगा. मेरा लंड उसकी गांड में ही था. वो खड़ी होकर आराम से मेरे लंड से चुदने लगी और मैं उसके चूचों को दबाते हुए उसकी गांड की खड़ी चुदाई करने लगा.
हेतल की गांड काफी टाइट थी. शायद जीजू ने हेतल की गांड को कम ही चोदा हुआ था. इसलिए हेतल की गरदाई हुई गांड चोदने में मुझे कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था. मैंने उसकी गांड की तेजी के साथ धक्के देते हुए चुदाई चालू कर दी और उसको चोदते हुए धीरे-धीरे हॉल की तरफ चलाने लगा. मेरा लंड हेतल की गांड में ही था और वो हर धक्के के साथ एक कदम बढ़ा रही थी.
हॉल तक पहुंचते-पहुंचते हेतल के अंदर इतनी चुदास भर गई कि उसने मुझे सोफे पर लेटा लिया और खुद ही अपनी गांड में लंड को लेते हुए ऊपर-नीचे उछलने लगी. हेतल मेरे लंड पर उछल रही थी और अंदर मानसी मेरे चार्मिंग रितेश जीजू के लंड का स्वाद लेते हुए उनके लंड की सवारी कर रही थी. हेतल अपने चूचों के निप्पलों को मसलने लगी और इस तरह तीन-चार मिनट के बाद ही मेरे लंड ने उसकी गांड में पिचकारी छोड़ते हुए अपना वीर्य गिरा दिया.
मगर वही हुआ जिसका मुझे डर था. वो अभी भी चुदासी थी और मैं झड़ गया था. वो उठ कर अपने रूम की तरफ जाने लगी जहां पर रितेश मानसी की चुदाई कर रहा था. मैं भी उसके पीछे-पीछे जाने लगा. वो चलते हुए एक बार दरवाजे के सामने रुक कर कुछ पल के लिये सोचने लगी मगर फिर उसने दरवाजा खोल दिया. मैं बाहर ही खड़ा था और वो अंदर चली गई.
रितेश और मानसी अपनी चुदाई में इतने खोये हुए थे कि उनको ये भी पता नहीं लगा कि हेतल उनके कमरे में दाखिल हो चुकी है. दरवाजा खुलते ही मानसी और रितेश के कामुक सीत्कार बाहर मुझे साफ-साफ सुनाई देने लगे. आह्ह … जीजू … आपका लंड कितना मस्त है … दीदी तो बहुत किस्मत वाली है … ओह … और जोर से करो जीजू … आपके लंड को लेकर तो मेरी चुदास बढ़ती ही जा रही है. मानसी के मुंह से कुछ इस तरह के शब्द निकल रहे थे.
मैंने झांक कर देखा तो रितेश जीजू पूरे के पूरे नंगे हो चुके थे और उनके चूतड़ लगातार तेजी के साथ आगे-पीछे हो रहे थे. वो मानसी की टांगों को अपने हाथ से ऊपर उठाकर उसकी चूत में लंड को पेल रहे थे. मानसी बेड पर पड़ी हुई रितेश जीजू के गोरे-मोटे लंड की चुदाई का मजा लूट रही थी. वो अपने चूचों को खुद ही मसल रही थी.
जब हेतल बेड के करीब पहुंची तब भी वो दोनों नहीं रुके. हेतल के पास जाने के बाद रितेश ने कहा- आओ डार्लिंग, मुझे पता है तुम हिरेन से चुदवा कर आ रही हो. मुझे दरवाजे पर तुम्हारी आवाजें सुनाई दे गई थीं लेकिन मैंने मानसी की चुदाई के रंग में भंग डालने की कोशिश नहीं की. देखो तुम्हारी छोटी बहन कैसे मेरे लंड को लेकर तृप्त हो रही है.
हेतल ने रितेश जीजू की पीठ थपथपाई और खुद भी बेड पर जाकर चढ़ गई. उसने अपनी टांगों को फैलाया और मानसी के मुंह पर अपनी चूत रख दी. मानसी ने हेतल की चूत को चूसना शुरू कर दिया और हेतल अपने हाथों से अपने चूचे मसलने लगी.
रिेतश हेतल को देख कर मुस्करा रहा था. वो जानता था कि उसकी बीवी कितनी चुदासी है. इसलिए वो बिना रुके मानसी की चूत में लंड पेलता रहा. हेतल अपनी चूत को मानसी के मुंह पर पटकती हुई चूचों को अपने हाथों से रौंदती रही.
लगभग दस मिनट बाद रितेश ने कहा- अब मेरा माल निकलने ही वाला है.
इतना बता कर उसने तेजी के साथ मानसी की चूत में जोरदार धक्के देने शुरू कर दिये.
तीन-चार धक्कों के बाद उसके लंड ने मानसी की चूत में अपना गर्म-गर्म पौरूष उगलना शुरू कर दिया और आगे की तरफ हेतल ने अपनी चूत के रस से मानसी के मुंह को भिगो डाला. वो तीनों के तीनों रुक कर शांत हो गये.
मैं वहीं दरवाजे पर खड़ा हुआ था. फिर रितेश बिना मेरी तरफ देख हुए आवाज लगाई- साले साहब, आप क्यों अजनबियों की तरह बाहर खड़े हो. हम तो तुम्हारे अपने ही हैं. अंदर आ जाओ.
रितेश सब जान चुका था कि मैं चुपके से छिप कर जीजा-साली की चुदाई देख रहा हूं. उस रात हम चारों के चारों ही नंग होकर एक-दूसरे से लिपट कर सोये. हेतल के चूतड़ों पर रितेश का लंड लगा हुआ था मानसी गांड पर मेरा. सुबह हुई तो हेतल और मानसी बेड पर नहीं थे. रितेश जीजू ने भी अंडरवियर पहना हुआ था. फिर मैं भी उठ कर बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला गया.
चाय-नाश्ता करने के बाद हेतल और रितेश वापस जाने की तैयारी करने लगे.
मानसी रितेश के लंड को सहलाते हुए बोली- जीजू, कुछ दिन और रुक जाते!
रितेश जीजू ने कहा- साली साहिबा, ऑफिस का काम भी तो देखना है. वैसे भी यहां पर हिरेन तो है ही तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए.
मानसी बोली- लेकिन अब मुझे आपके लंड का चस्का लग गया है.
रितेश जोर से हंस पड़ा और मुस्कराते हुए बोला- ये चस्का तो तेरी बड़ी दीदी को भी शादी से पहले ही लगा दिया था मैंने.
फिर वो दोनों जाने लगे और मैं उनको बाहर टैक्सी स्टैंड तक छोड़ कर वापस घर आ गया.
आने के बाद मैंने मानसी से पूछा- क्यों री … तूने तो रितेश जीजू के लंड को भी चूस डाला.
मानसी बोली- मैं क्या करती. रात के अंधेरे में मैं हेतल दीदी के बेड पर लेटी हुई तुम्हारा इंतजार कर रही थी. कुछ देर के बाद किसी ने कमरे में आकर मेरे चूचों को दबाना शुरू कर दिया. मैंने सोचा कि तुम हो. इसलिए मैंने भी अंधेरे में ही उनके लंड को सहलाना शुरू कर दिया. वो बेड के किनारे खड़े हुए थे और मैं उनके लंड को अपने हाथ से पैंट के ऊपर से दबा रही थी. फिर अचानक से कमरे की लाइट जली तो देखा कि वो लंड तुम्हारा नहीं रितेश जीजू का था. मगर तब तक बात आगे बढ़ चुकी थी.
रितेश जीजू ने अपना लंड पैंट से निकाल कर मेरे मुंह में दे दिया और मैंने भी बहते पानी में चूत धो डाली.
मैंने कहा- मगर मैंने तो फोन पर सुना था कि तू मामा के लड़के राज से चुदने के लिए हेतल के साथ सेटिंग कर रही है.
मानसी बोली- क्या फर्क पड़ता है. लंड तो लंड ही होता है. चाहे वो जीजा का हो या ममेरे भाई का.
मैंने पूछा- तो फिर कैसा लगा जीजू का लंड लेकर?
वो बोली- सच कहूं तो हेतल ने बड़ा ही चोदू मर्द ढूंढा है अपनी चूत के लिए. अगर मैं बड़ी होती तो मैं ही रितेश से शादी कर लेती. ऐसे चोदू हस्बैंड को पाकर तो दीदी की लाइफ मस्त रहती होगी.
तभी मानसी का फोन बजने लगा. उसने फोन उठाया तो पता चला कि गीता मौसी अपनी बहन यानि कि मेरी स्वर्गवासी मां के यहां कुछ दिन रहने के लिए आ रही है.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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