हाई फ्रेंड्स! मैं आपकी अपनी सीमा सिंह, आज आपको एक और बात बताने जा रही हूँ। बात तब की है जब मेरी शादी हुई थी।
शादी के बाद जब मैं अपने ससुराल पहुंची, तो मुझे ड्राइंग रूम में बैठाया गया, मेरे पति भी मेरे पास ही बैठे थे, सब रिश्तेदार वगैरह हमारे आस पास जमा थे, सब मुझे ही घूर रहे थे, मुझे बड़ी झेंप से महसूस हो रही थी कि क्या यार सब कैसे घूरने लगे हैं। मगर और भी रसमे चल रही थी, सो मैं बैठी रही।
इतने में एक नव युवा लड़के को मेरे पास बैठाया गया।
एक औरत बोली- लो बहू रानी, ये तुम्हारा सबसे छोटा देवर है।
मैंने उसको देख कर स्माइल पास की, वो भी मुस्कुराया, तभी वो औरत फिर से बोली- अरे शरमाता क्या है, तेरी भाभी है, माँ जैसी, गोद में बैठ जा इसकी!
थोड़ी सी हिचक के बाद वो लड़का उठा और मेरी गोद में बैठ गया।
एक तो मैं पहले से परेशान थी, ऊपर से ये बोझ मेरी गोद में धर दिया गया, और वो लड़का भी आराम से मेरी जांघों पे चढ़ कर बैठ गया।
मगर थोड़ी देर बाद मैंने उसे उतार दिया, और वो सामने जा कर बैठ गया, मगर सामने बैठ कर भी वो मुझे एक टक घूरे जा रहा था। मैंने एक दो बार उसे इशारे से मना भी किया, मगर उसने तो अपनी निगाह मुझसे हटाई ही नहीं।
चलो उसके बाद और बहुत सी रस्में थी, फिर शादी की रेसेप्शन, फिर हनीमून, सब चलता रहा।
वैसे तो शादी से पहले भी मैंने सेक्स किया हुआ था, मगर हनीमून का अपना ही मजा है, बिना किसी डर के, बिना किसी की परवाह किए, खुल्लम खुल्ला सेक्स और सिर्फ सेक्स!
अपने हनीमून से मैं बहुत ही संतुष्ट और खुश हो कर लौटी।
जब घर आए तो पता चला के हमारे वो छोटे से देवर जी हमारे पास ही आ गए हैं, और अब हमारे साथ ही रहकर आगे की पढ़ाई करेंगे।
तुषार, मेरा देवर असल में मेरे पति के चाचा का बेटा है।
मुझे क्या दिक्कत हो सकती थी, उसने अलग रूम में रहना था, हमारा रूम अलग था।
रोज़ रात को हमारा प्रेम मिलन होता, पहले खूब ठुकाई होती, उसके बाद दोनों साथ साथ नहाते, फिर सो जाते, अगर फिर रात में दोनों में से किसी की भी आँख खुल जाती तो वो दूसरे को जगा कर फिर से चुदाई का एक और दौर खेलता।
मेरी लाइफ बहुत ही रंगीन चल रही थी, बच्चे न होने का हम पूरा ख्याल रख रहे थे, इस लिए शादी के तीन महीने बाद भी मैं प्रेग्नेंट नहीं हुई, और मैं अभी होना भी नहीं चाहती थी, मैं तो अभी 2-3 साल और अपनी शादीशुदा ज़िंदगी के मज़े लेना चाहती थी।
मगर मैंने एक बात नोट की, तुषार मुझे हमेशा बड़े प्यार से देखता, और मेरा कहा तो वो हुक्म की तरह मानता।
धीरे धीरे मुझे समझ आने लगा कि ये लड़का मेरे प्यार में पड़ चुका है, मैं बातों बातों में उसे बहुत समझाती कि अपनी क्लास की किसी लड़की से दोस्ती कर ले, मगर वो इन सब बातों में कोई रुचि नहीं लेता!
और फिर एक दिन उसने खुद ही कह दिया- भाभी, आप मेरे साथ और लड़कियों की बात मत किया करो, मुझे किसी लड़की में कोई इंटरेस्ट नहीं है।
मैंने पूछा- तो फिर किस में इंटरेस्ट है?
वो बड़ी सफाई से बोला- मुझे सिर्फ आप में इंटरेस्ट है।
मैंने कहा- तुषार, पागल हो गया है क्या, मैं तेरी भाभी हूँ, शादीशुदा हूँ।
वो बोला- तो कहाँ लिखा है कि अपनी भाभी से आप प्यार नहीं कर सकते, शादीशुदा आप हो, मैं नहीं… आप मुझे प्यार करो या न करो, मुझे पसंद करो या न करो, मगर मैं आपसे अपने दिल की बात कह देना चाहता हूँ कि मैं आप से बहुत प्यार करता हूँ। आप नहीं करती कोई बात नहीं!
उसने एक सांस में ही सब कह दिया।
मैं तो उसकी बात सुन कर हैरान सी रह गई, अभी इसकी उम्र ही क्या हुई है… उम्र तो मेरी भी कम ही थी, उसकी 18 थी और मेरी 22… अपने स्कूल टाइम में मैं भी अपने एक सर की प्रति आकर्षित थी। कॉलेज में भी मुझे अपने एक दो सीनियर लड़के बहुत पसंद थे। इसलिए मुझे उसकी बात कुछ खास अटपटी सी नहीं लगी।
अब देखने मैं हमेशा ही बहुत सुंदर, गोरी चिट्टी, भरपूर बदन की मालिक रही हूँ। मुझे खुद से बहुत प्यार है, तो इस नौजवान को मुझ से प्यार क्यों नहीं हो सकता।
मगर मैंने उसकी मांग को थोड़ा बदलने के लिहाज से उसे दोस्ती की पेशकश की कि प्यार व्यार तो नहीं, पर हम अच्छे दोस्त हो सकते हैं।
वो मान गया।
अक्सर वो पढ़ने के लिए मेरे पास आ जाता, कभी कभी तो बहुत ही स्टुपिड से सवाल पूछता।
धीरे धीरे दोस्ती हमारी परवान चढ़ी, मगर साथ में ये भी हुआ के मेरे पति ने मेरी इतनी तसल्ली कारवाई, मुझे इतना आनंद दिया सेक्स का कि अगर कोई मुझसे पूछता के तुम्हारी पसंदीदा चीज़ क्या है, तो मेरा एक ही जवाब है- सेक्स।
इसीलिए मुझे धीरे धीरे तुषार से भी अपने सीक्रेट्स शेयर करना अच्छा लगने लगा। वो बड़े चाव से मेरी बातें सुनता, मैं भी उस से अपनी रात की बातें करती, कैसे कैसे हमने क्या क्या किया।
घर में मैं अक्सर टी शर्ट और काप्री में या सूट सलवार में ही होती थी। दुपट्टा मैं कम ही लेती थी। तो अक्सर मेरा क्लीवेज दिख रहा होता, जिसे तुषार अक्सर घूरता। मैं भी बेशर्म होती जा रही थी, और कभी भी मैंने तुषार से पर्दा करने की कोशिश नहीं की।
कभी कभी जब मैं तुषार को अपनी रात की कहानी सुनाती तो उसकी पेंट में उसका नुन्नु तन जाता। मैं उसे छेड़ती- क्यों रे… इसे क्या हो रहा है?
और वो उठ कर भाग जाता… फिर बाथरूम में घुस जाता और काफी देर बाद बाहर आता।
मुझे पता था कि वो बाथरूम में हस्तमैथुन करने जाता था, इस उम्र में अक्सर लड़के लड़कियां हाथ से करने लग जाते हैं।
मैंने भी कई बार किया था, तो मैं इसे नॉर्मल मानती थी।
मगर हम दोनों में इतनी सेक्सी बातें होती थी, मगर कभी भी हम दोनों ने गांड, लंड, चूत, फुद्दी, बोबे, चूचे, चूची जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया था, और न ही कभी तुषार ने मेरे बदन को छूआ था। वो देखता ज़रूर था, मेरे सीने पे, मेरे पेट पर, जांघों पर, मेरे चूतड़ों को। मगर कभी भी उसने मुझे टच नहीं किया। इसी वजह से हमारी दोस्ती अच्छी चल रही थी।
एक दिन मैंने तुषार से अपने बारे में पूछा कि उसे मुझमें क्या अच्छा लगता है।
तो वो बोला- भाभी मुझे आपका दिल बहुत अच्छा लगता है, आप बहुत साफ दिल की हो।
मैंने हैरान होकर पूछा- अच्छा, दिल अच्छा लगता है, मेरी बॉडी नहीं?
वो बोला- भाभी आप शारीरिक रूप से भी बहुत सुंदर हो, मगर मैं मानता हूँ, अगर आपने किसी का मन जीत लिया तो तन तो खुद ब खुद आपके पास आ जाएगा।
मैंने कहा- अच्छा जी, और अगर ऐसे कभी भी न हुआ तो?
वो बोला- मुझे गम नहीं, आपकी दोस्ती भी मुझे बहुत प्यारी है, आप बिना किसी चिंता के मेरे सामने आड़ी टेढ़ी, उल्टी सीधी कैसे भी लेट जाती हो, कभी अपने आँचल की परवाह नहीं करती, कहाँ है कहाँ नहीं, उठते बैठते भी कोई परवाह नहीं करती, इतना विश्वास जब आप मुझ पर करती हैं, तो मैं क्यों किसी मामूली सी बात के लिए आपका विश्वास तोड़ूँ!
मुझे उसकी बात सुन कर उस पर बहुत प्यार आया और मैंने आगे बढ़ कर उसके गाल पर चूम लिया, ‘यू आर माइ बेस्ट फ्रेंड…’ मैंने उस से कहा।
वो बोला- क्या मैं यही बात दोहरा सकता हूँ?
मैं उसकी चालाकी समझ कर हंस पड़ी… मतलब वो भी मुझे चूमना चाहता था।
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मैंने उसे हाँ कह दी, मगर मुझे हैरानी उस वक़्त हुई जब उसने मेरी गाल की बजाए मेरे होंठों को ही चूम लिया।
सब कुछ इतनी जल्दी में हुआ के मैं एक बार तो समझ ही नहीं पाई कि हो क्या गया, मगर फिर भी मैंने इस बात को उसका बचपना समझ कर इगनोर कर दिया।
थोड़ी देर बाद वो उठ कर चला गया.
मेरे मन में ये बात आई कि ये एकदम से उठ कर क्यों चला गया। मैं चुपके से उठ कर उसके पीछे गई, मैंने देखा वो अपने बाथरूम में था, और बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था। मैं बिना कोई आवाज़ किए, उसके बाथरूम के दरवाजे के पास गई और अंदर देखा।
वो कमोड के पास खड़ा था, पेंट और चड्डी दोनों उतार रखी थी।
मैंने देखा वो तो हाथ से अपनी मुट्ठ मार रहा था, और मुट्ठ मारते मारते धीरे धीरे बोल भी रहा था- ओह सीमा, मेरी जान, मजा आ गया आज तेरे होंठ चूम कर, मेरी जान कब तू मेरा प्यार समझेगी, कब मुझ से चुदवाएगी, रोज़ तेरे नाम से मुट्ठ मारता हूँ, मेरी जान सीमा, तेरे सेक्सी बूब्स का चूसूंगा, कब तेरी चिकनी चूत को चाट सकूँगा। मेरी जान, मेरी सीमा, मान जा यार, एक बार मुझे अपनी चूत चोदने दे, उम्म्ह… अहह… हय… याह… आज यार, उठ कर आ जा, उतार दे अपने कपड़े, नंगी हो जा और चूस अपने यार का लंड, देख इसे मुंह में ले के, अपनी चूत में लेके, अपनी गांड में ले के देख, साली मजा दिला दूँगा ज़िंदगी का, आजा मेरी जानेमन, मेरी सीमा आजा चुद ले मुझसे!
मैंने तो ये सब सुन कर हैरान ही रह गई। मुझे नहीं पता था कि तुषार मेरे बारे में ऐसा सोचता है। मैं जैसे गई थी, वैसे ही चुपचाप वापिस आ गई।
अपने कमरे में लेटी मैं यही सोच रही थी कि यार मैं तो उसे दोस्त समझती थी, मगर वो तो मुझसे प्यार करने लगा है। फिर मुझे अपनी गलतियाँ भी याद आने लगी, कैसे मैं उसके सामने बेपरवाह उठती बैठती थी, बिना अपने कपड़े ठीक किए उसके सामने लेटे रहना, उससे जान बूझ कर सेक्सी सेक्सी बातें करना, उसको अपनी सेक्सी बातें बताना।
मुझे समझ में आया कि बिगाड़ा तो मैंने उसे खुद ही है।
मैं बेड पे लेटी यही सब सोच रही थी, मुझे खुद पता नहीं चला कब मेरा हाथ फिसल कर मेरी लेगिंग में चला गया, तभी जैसे मुझे एकदम होश आया, मैं तुषार के बारे में सोच रही थी और खुद अपनी चूत का दाना सहला रही थी।
पहले तो मुझे बड़ा अटपटा सा लगा, फिर मैंने सोचा, इसमें दिक्कत क्या है, जो है मैं खुद से ही तो कर रही हूँ। और मैंने फिर अपना हाथ अपनी लेगिंग में डाल लिया और तुषार के बारे में कल्पना कर के अपनी चूत सहलाने लगी।
थोड़ी ही देर में मैं स्खलित हो गई।
बाद में मुझे बड़ी शर्म आई कि ‘क्या यार अपने ही देवर के नाम का हस्तमैथुन किया मैंने!’
मगर मैंने इस बात को दिल पे नहीं लिया, किया तो किया, फिर क्या हुआ… ज़िंदगी एक बार मिली है, खूब मजा करो।
फिर दिमाग में विचार आया, तो क्या मुझे तुषार से भी सेक्स करना चाहिए, तुषार का तो मुझे पता चल गया था कि वो मुझे चोदना चाहता है, मगर मैं अपने मन की बात उस से कैसे कहूँ। फिर मैंने सोचा कि अब अगर तुषार आगे बढ़ा तो मैंने उसे रोकूँगी नहीं, उसे आगे बढ़ने दूँगी, चाहे फिर वो मुझे छोड़े या न छोड़े।
कहानी जारी रहेगी.
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