नमस्ते दोस्तों, मैं नीरज कुमार एक 48 साल का तलाकशुदा पुरुष हूँ. मेरे तलाक को करीब 4 महीने हो चुके हैं. अभी मैं बिलकुल कुँवारा और अकेला हूँ, तो अगर कोई ज़रूरतमन्द महिला या लड़की हो, तो मुझसे कांटैक्ट कर सकती है.
हा हा हाहा, खैर ये तो मज़ाक की बात थी।
दरअसल मैं आपको अपने तलाक की कहानी सुनाना चाहता हूँ। अब आप कहोगे, यार तलाक की कहनी में क्या नई बात है, बहुत दुनिया के होते हैं। मगर मेरी कहानी सुन कर आप कहोगे,
यार तेरे जैसी किस्मत हमारी क्यों नहीं हुई, तो सुनिए।
बात तक की है, जब मैं सिर्फ 42 साल का था और तब तक मेरी शादी नहीं हुई थी। दरअसल एक बड़े सरकारी ओहदे पर था, और इसी वजह से मेरे अपने दफ्तर की और मेरे अधीन दूसरे दफ्तर की बहुत सी लेडीज़ से मेरे संबंध थे।
सीधी बात यह है कि मैं एजुकेशन बोर्ड में काम करता हूँ और टीचर लोग के तबादले मैं ही करता हूँ। तो अपने तबादले रुकवाने के बदले बहुत सी मैडम बहुत बार मेरे को खुद ही ऑफर कर देती थी.
अब दो चार से बात बनी तो फिर तो मैंने उनके जरिये और भी बहुत सी मैडमों को बजाया। घर में एक बाई थी, जो साफ सफाई और खाना बनाती थी. वो तो पहले से ही मेरे साथ सेट थी. तो भोंसड़ी की कोई कमी नहीं थी. तनख्वाह भी अच्छी थी। बाई को उसकी पगार से डबल पैसे देता था, तो वो भी छोड़ के जाने का नाम नहीं लेती थी।
जो कोई मैडम मेरी सेटिंग होती, उसे भी मैं अपने घर ही लाता था और बाई को भी पता था कि मैं अपनी जवानी का जम कर मज़ा लूट रहा हूँ।
कई बार तो बाई के सामने ही किसी नई मैडम को घर पे लाता और सरेआम उसकी भोंसड़ी मारता, बाई ने बहुत बार मुझे और औरतों की फुद्दी मारते देखा था। तो बाई, अरे यार उसका नाम है
सुषमा। तो सुषमा के सामने मैंने खूब चोदापट्टी की है।
अब ऐसे में ही हुआ यूं कि हमारे ही शहर की एक लड़की की मैंने बदली करी। मैं तो उसे नहीं जानता था मगर वो लड़की सोनिया मेरी एक जानकार मैडम के माध्यम से मुझसे मिलने आई।
करीब 35-36 साल की वो लड़की, गोरा रंग, कद काठी साधारण … मगर देखने में वो मुझे बड़ी भोली सी लगी।
अब शहर से बाहर गाँव में तबादला हो गया तो आना जान मुश्किल हो गया उसको। उसने अपनी सहेली से बात की, वो उसकी सहेली थी तो मेरी भी सहेली थी।
उसने सोनिया से सेटिंग करी और वो दोनों एक शाम मेरे घर आई। अब गीता साथ आई थी, तो मुझे लगा कि सोनिया घर से ही मूड बना कर आई होगी।
मगर जब मैंने गीता से पूछा तो गीता ने बताया- सोनिया के घर के हालात बहुत खराब हैं, इसका एक भाई है जो नशेड़ी है, एक विधवा माँ है, और घर की सारी ज़िम्मेवारी इस लड़की पर है। इसी लिए इसने अभी तक शादी नहीं की।
मैंने पूछा- तो क्या अब तक कुँवारी है?
गीता बोली- शायद हो भी सकती है।
मैंने गीता से कहा- यार गीता, तुम्हें तो पता है कि मैं तो खुल कर खेलता हूँ, तुमने मुझे झेला है, क्या ये भी मुझे झेल पाएगी?
गीता बोली- मैं इस से डीटेल में बात कर लूँगी और पूछ कर आपको बता दूँगी. मगर इसको इतना मैंने ज़रूर बता दिया था कि अगर अपनी बदली रुकवानी है तो अपनी सलवार का नाड़ा ढीला करना पड़ेगा। और उसके लिए इसने थोड़े से असमंजस के बाद हामी भर दी थी।
मतलब सोनिया चुदने के लिए तो तैयार थी, मगर अभी तक उसे ये नहीं पता था कि उसका पाला किस बैल से पड़ने वाला है, जो अपने नीचे पड़ी लड़की को आटे तरह गूँथ कर रख देता है, रुला देता है, तड़पा देता है।
खैर मैंने गीता को सोनिया से सारी बात समझा कर, सब कुछ उसे खोल कर बता कर फिर उसकी राय पता करके मुझे बताने को कहा, और भेज दिया। और ये भी आश्वासन दे दिया कि उसकी बदली मैं करवा दूँगा, जहां वो कहेगी, वहाँ।
दो एक दिन बाद मैं बाज़ार में घूम रहा था कि अचानक से सोनिया मेरे सामने आई.
नमस्ते के बाद मैंने उसे पूछा- अरे तुम यहाँ बाज़ार में कुछ लेने आई हो?
वो बोली- नहीं सर, हमार घर यही है, पास में!
और वो मुझे अपने घर ले गई।
घर तो अच्छा था। घर में मैं सोनिया की माँ और भाई से भी मिला। उसकी माँ करीब 52-55 साल की होगी। देखने में गोरी चिट्टी, सुंदर थी, बाल डाई करती थी, तो जवान ही लगती थी। भाई को पता ही नहीं था कि उनके घर कौन आया है।
मुझे देख कर वो बाहर चला गया।
सोनिया ने मुझे चाय पिलाई, और अपनी ज़िंदगी की सारी कहानी सुनाई। उसकी दुख भरी कहानी सुन कर मेरा मन पसीज गया, मगर हरामी मन में बार बार यही ख्याल आ रहा था कि साली माँ और बेटी दोनों जबरदस्त हैं, अगर मैं इनमे से पटाऊँ तो किसको पटाऊँ।
माँ बेटी दोनों की आँखों में पानी था, मगर मेरा लंड पानी छोड़ने लगा।
उसके बाद ऐसे कई मौके आए, जब मुझे सोनिया के घर जाने का मौका मिला, धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे के करीब आते गए. मैंने ही पहले सोनिया के भाई को एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाया. और जब वो ठीक हो गया तो उसके सिंगापुर जाने का इंतजाम करव्या।
अब घर में सिर्फ माँ बेटी बची थी तो मैंने खुल्लम खुल्ला, सोनिया को पटाने का हर जुगाड़ लगाया और मैं कामयाब रहा।
एक दिन होटल में कॉफी पीते हुये मैंने सोनिया को प्रोपोज किया और वो मान गई। बहुत ही जल्द हम दोनों शादी के बंधन में बन्ध गए।
शादी के बाद सोनिया मेरे घर मेरे बीवी बन कर आई, तो साथ में दहेज में मेरी सासु माँ भी आई। खैर सासु माँ से मुझे कोई ऐतराज नहीं था क्योंकि सारा दिन वो अपने कमरे में बैठी भजन बंदगी करती रहती थी। सिर्फ रात के खाने पर ही हमारे साथ होती थी।
मेरा घर दो मंज़िला है तो ऊपर वाली मंज़िल पर एक कमरा सासु माँ का था और नीचे सारा घर हम दोनों मियां बीवी के पास।
तो शादी के बाद तो मैंने अपनी बीवी के साथ खूब मस्ती की। रात को जब सासु माँ अपने कमरे में जा कर सो जाती तो हम मियां बीवी सारे घर में नंगे घूम घूम कर हर जगह सेक्स करते।
अब क्योंकि शादी से पहले तो मैं सिर्फ रंडियाँ ही चोदी थी, तो जब तक औरत चुदवाते हुये हाये तौबा न मचाए, मुझे तो मज़ा ही नहीं आता था। तो मैंने अपनी बीवी को भी खूब जोरदार तरीके से किसी रंडी की तरह ही चोदा, और धीरे धीरे उसे भी चुदवाते हुये शोर मचाना और हाय तौबा करने की आदत सी पड़ गई।
नई नई शादी के जोश में हम दोनों ये भूल गए के घर में एक और औरत भी है, जिसकी जवानी ने अभी उसका दामन नहीं छोड़ा है।
और यह बात मुझे एक दिन पता चली, कैसे वो सुनिए।
मैं अपने दफ्तर के काम से कई बार बाहर दौरे पर जाता था। और मेरी बीवी की नौ से पाँच की नौकरी थी। एक दिन किसी दौरे पर जाना था, मगर ऐन वक्त पर वो टूर कैंसल हो गया, तो मैंने घर वापिस आना ही उचित समझा।
जब घर आया, तो देखा सासु माँ घर के पिछवाड़े बैठी कपड़े धो रही थी। मगर बात सिर्फ इतनी नहीं थी। उन्होंने जो नाईटी पहनी हुई थी, वो पूरी भीग चुकी थी, और उसका बड़ा सारा गला सारा आगे सरका हुआ था, जिस वजह से उनके पेट तक का नज़ारा दिख रहा था।
दो लटके हुये मगर फिर भी बड़े और गोरे मम्मे देख कर मेरा भी मन मचल उठा। मगर सिर्फ मम्मे ही नहीं नीचे जो उन्होंने अपनी नाईटी अपने घुटनों तक उठा रखी थी, उस वजह से उनकी गोरी, मोटी मांसल जांघें भी नंगी दिख रही थी।
पहले तो मैं ये नज़ारा छुप कर खिड़की से देख रहा था, मगर फिर सोचा के क्यों न सासु माँ को थोड़ा सा अचंभित करूँ, देखूँ मुझे एकदम से अपने सामने देख कर वो कैसे रिएक्क्ट करती हैं।
तो मैं बड़े आराम से दरवाजा खोल कर उनके पास गया- अरे, आप यहाँ कपड़े धो रही हो, क्यों? छुट्टी वाले दिन सोनिया धो लेती न!
मुझे देख कर सासु माँ थोड़ी चौंकी तो ज़रूर मगर जितना मैंने सोचा था, उतना नहीं। न ही उन्होंने अपने कपड़े ठीक करने की कोई खास कोशिश करी।
उस वक्त मेरे दिमाग में घंटी बजी कि एक सास अपने दामाद से अपना नंगापन छुपाने में इतनी सुस्त क्यों है। क्या उसको इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के उसका दामाद उसके आधे से ज़्यादा जिस्म को नंगा देख रहा है।
या वो सिर्फ इस लिए लापरवाह हैं कि वो मुझे अपने बेटे की तरह मानती है, मगर बेटे से भी माँ अपना नंगापन तो छुपाती ही है। या फिर वो जान बूझ कर मुझे ये सबा दिखाना चाहती है।
इस तीसरे ख्याल ने मुझे अंदर से झँझोड़ा।
मुझे लगा कि ये जो रात को मैं अपनी बीवी को रंडी की तरह पेलता हूँ, और वो जो शोर मचाती है, वो सब भी तो सासु माँ को सुनता ही होगा। तो क्या सासु माँ की जवानी भी मचलती है, वो रात को करवटें बदलती हैं, चुदवाने को तड़पती है, उसके जिस्म में भी काम वासना की आग जलती है।
उस वक्त मुझे मेरी सासु माँ अपनी बीवी से भी ज़्यादा सेक्सी लग रही थी।
मगर सासु माँ वहाँ से उठी और उठ कर रसोई में चली गई और मेरे लिए खाना बनाने लगी।
बेशक उन्होंने मुझे उनके अधनंगे बदन को घूरते हुये देख लिया था मगर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई, बिलकुल सामान्य रही। मगर मेरी पैन्ट में मेरा लौड़ा तड़प उठा।
बेशक मैंने सासु माँ को पहले भी कई बार प्यासी नज़रों से देखा था और उनके जिस्म को अपनी वासना भरी नज़रों से नाप चुका था। मगर आज तो जैसे सासु माँ भी चाह रही थी कि कोई बात नहीं दामाद जी, जितना जी चाहो जी भर के देखो मेरे बदन को।
जब सासु माँ खाने की थाली ले लेकर आई, तब उन्होंने अपनी नाईटी का गला ठीक कर लिया था. मगर फिर भी उनकी नाईटी का गला बड़ा था और जब झुक कर उन्होंने मेरे सामने खाने की थाली रखी तो उनके दोनों मम्मे, निप्पल, पेट और जांघें सब दिख गई मुझे।
मुझे मेरे कमीने दिमाग ने बता दिया कि बुढ़िया आंच पर है, और तभी इतना अंग प्रदर्शन कर रही है।
मैं सोचने लगा कि क्या करूँ, पहले खाना खाऊँ, या सासु माँ को पकड़ लूँ।
मेरे तो मुंह का स्वाद ही बिगड़ गया। मैंने एक दो कौर रोटी के चबाये मगर मुझे तो रोटी में कुछ मज़ा ही नहीं रहा था। मेरे दिमाग पर काम चढ़ रहा था। मेरा दिल कर रहा था कि जा कर सासु माँ की नाईटी फाड़ दूँ, और बुढ़िया को नंगी करके चोद डालूँ।
मैं बड़ी कशमकश में था।
तभी सामने से सासु माँ आ गई, हाथ में पानी का गिलास पकड़े, आकर गिलास मेरे सामने रखा.
मैंने हकलाते हुये कहा- माँ….जी, आज मन रोटी खाने का नहीं कर रहा है।
वो बोली- तो और क्या खाओगे?
मैंने कहा- तु…तुम्हें!
कह तो दिया मैंने … पर मेरी गांड फटी पड़ी थी। सासु माँ ने मेरी और देखा और उठ कर चल दी।
मैं और बेचैन हो गया।
फिर मैंने रोटी का निवाला थाली में रखा और उठ कर सासु माँ के पीछे गया, एकदम से उनको पीछे से अपनी आगोश में ले लिया।
सासु माँ चौंकी- अरे दामाद जी, ये क्या करते हो, छोड़ दो मुझे।
मगर मेरे सर पर काम सवार था, मैंने उनके दोनों मम्मे पकड़ कर मसल दिये और बोला- नहीं… पूनम… आज मत रोक मुझे आज तो मुझे मेरे मन की कर लेने दे.
और मैंने सासु माँ की नाईटी गले से पकड़ी और फाड़ने लगा।
नाईटी का पतला कपड़ा मेरे ज़रा से ज़ोर लगाने से ही फट गया. फिर तो मैंने उनकी पूरी नाईटी फाड़ कर उनके बदन से अलग कर दी। और मेरी प्यारी सासु माँ मेरे सामने फर्श पर नंगी पड़ी थी। मैंने अपनी पैन्ट खोली, कमीज़ उतारी, और पूरा नंगा हो कर सासु माँ के ऊपर लेट गया।
वो थोड़ा टेढ़ी होकर लेटी थी, तो मैंने अपना लंड उनकी गांड पर घिसाना शुरू कर दिया और उनके मम्मे पकड़ कर उनके चेहरे को चूमने चाटने लगा।
“ओह … मेरी जान … मेरी प्यारी पूनम, कब से तरस रहा था, तुम्हारे हुस्न का रस पीने को, आज मेरी मन्नत पूरी हो गई. ओह … मेरी … जान, मेरी सेक्सी सासु माँ … क्या मस्त बदन है तेरा, भरी हुई गोल गांड, मोटे मोटे मम्मे, सेक्स की देवी हो तुम तो!” कहते कहते मैंने उसके सारे बदन पर अपने हाथ फिरा दिये।
वो नीचे लेटी मुझे मना करती रही- नहीं दामाद जी, आप मेरे बेटे जैसे हो, आप ये पाप मत करो, आप मुझे मम्मी जी कह कर मेरे पाँव छूते हो, मेरी इकलौती बेटी के पति हो. आप को ऐसा नहीं करना चाहिए।
मैंने कहा- मुझे पता है कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए. मगर पूनम, जो ये तेरा हुस्न है, अगर इसको नहीं चखा तो मेरी ज़िंदगी का क्या फायदा, अब मुझे रोक मत, जो होता है हो जाने दे।
और मैंने अपनी सास को सीधा करके लेटाया … और और … उसकी टाँगें खोली।
बुढ़िया … लगता है अक्सर अपनी फुद्दी के बाल साफ करती रहती होगी, इसी लिए उसके झांट बहुत कम थे।
मैंने जितनी जल्दी हो सका अपना तना हुआ लंड उसकी फुद्दी पे रखा और फिर अंदर पेल दिया। बुढ़िया की फुद्दी भी गीली हो चुकी थी तो मेरा लौड़ा बड़े आराम से अंदर को फिसल गया। दूसरे ही धक्के में मेरा पूरा लंड मेरी सास की फुद्दी में था।
मैंने अपनी सास के दोनों हाथ पकड़े और खींच कर पीछे ले गया और फिर उसके होंठ, गाल, ठुड्डी, कंधे, मम्मे सब ज़ोर ज़ोर से चूसे, मम्मे अपने दाँतों से काट खाये, उसके निप्पल चबा डाले। बुढ़िया बहुत तड़पी और मेरे इन कुकृत्यों से उसकी काम वासना भी भड़क उठी।
जो औरत अभी मुझे रोक रही थी, वो बड़े आराम से अपनी दोनों टाँगें फैला कर लेटी थी और चुम्बनों में मेरा बराबर साथ दे रही थी।
अब उसकी बातें ही बदल चुकी थी ‘रहने दो दामाद जी, छोड़ दो दामाद जी’ की जगह ‘पेलो दामाद जी, और ज़ोर से पेलो’ बोलने लगी थी।
उसकी ढलती हुई जवानी की उफान पर आई कामवासना मेरे जोश को भी बढ़ा रही थी।
मैं उठा और अपनी सास को हाथ पकड़ कर अपने बेडरूम में ले गया और उसे बेड पे गिरा दिया।
“पूनम, इसी बिस्तर पर तेरी बेटी रोज़ मुझसे चुदवाती है, आज तू भी इसी बिस्तर पर अपनी आबरू मुझे देगी.”
मैं उसके ऊपर धड़ाक से गिरा और उसने झट से अपनी टाँगें खोल कर मुझे अपनी आगोश में कस लिया।
“अब कोई बेटी नहीं, कोई माँ नहीं, कोई दामाद या सास नहीं … अभी सिर्फ हम हैं. सिर्फ हम दो प्यार करने वाले … और कुछ नहीं बस।
मेरी सास ने मेरा लंड पकड़ा और अपनी फुद्दी पर रख लिया।
मैंने फिर से लंड पेला. और इस बार सासु माँ को धन्य कर दिया। क्योंकि मेरा तो स्टाइल ही पावर प्ले का था तो मैंने तो उसे भी किसी रंडी की तरह बेदर्दी से ही पेला।
आधे घंटे की लंबी चुदाई के बाद जब मैं अपनी सास की सवारी से उतरा, तो उसकी फुद्दी से मेरा गाढ़ा सफ़ेद वीर्य चू कर बाहर आ रहा था। उसके मम्मों पर और बदन के बहुत से हिस्सों पर मेरे होंठों के चूसने और दाँतों के काटने से निशान बने थे। मम्मे और चूतड़ मेरी मर्दाना हाथों की मार खा खा कर लाल हुये पड़े थे।
एक लुटी हुई औरत जैसी उसकी हालत हो गयी थी जिसको उसके दामाद ने ही लूट लिया था।
मैं उठ कर बाथरूम गया, नहा कर वापिस आया, तब सासु माँ मेरा बिस्तर फिर से सेट करके जा चुकी थी।
मैंने झटपट से अपनी गाड़ी उठाई और वापिस दफ्तर चला गया.
दफ्तर जाकर मैंने काफी सोचा कि जो आज मैंने किया, क्या वो सही किया या गलत किया।
मगर पराई औरत को चोदने का लुत्फ ही कुछ और है, और मैं भी इस लुत्फ में डूब गया।
मैं अक्सर खाना खाने घर आने लगा।
खाना बाद में खाता मैं … पहले सासु माँ को जम कर चोदता। वो भी मेरा इंतज़ार करती, मेरे कहने पर ही वो मुझे बिलकुल नग्न हो कर खाना खिलाती, खाना खाते वक्त मेरा मनोरंजन करती, मुझे नंगी हो कर नाच नाच कर दिखाती, मैं रोटी खाता तो वो टेबल के नीचे मेरा लंड चूसती।
कुछ ही दिनों में मैंने अपनी सासु माँ की गांड का उद्घाटन भी अपने लंड से कर दिया।
कभी दिल दिल करता कि काश कोई मौका हो जब मैं रात को भी अपनी सासु माँ के साथ मस्ती कर सकूँ। मगर अब जब सारा ससुराल ही मेरे साथ था, तो बीवी का मायके जाने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता था।
5-6 महीने तक हम दोनों की ये काम क्रीडा बहुत बढ़िया चली। सासु माँ ने अपने तन मन से मुझे अपना पति मान लिया था। जब घर में हम अकेले होते तो वो मुझसे बिल्कुल ऐसे ही बात करती जैसे वो मेरी पत्नी हो. सिर्फ मेरी बीवी के सामने मेरे से कम ही बात करती थी।
मगर अक्सर खुशी के बाद गम भी आता है।
एक रोज़ जब मैं खाना खाने घर आया, तो सासु माँ ने बड़े प्यार से मुझे खाना परोसा। अब जब सेक्स का प्रोग्राम था तो हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहले ही निकाल दिये थे। दोनों बिल्कुल नंगे एक साथ टेबल पर बैठ कर खाना खा रहे थे कि तभी सामने से मेरी बीवी अंदर आ गई।
हमें तो ये था कि वो 5 बजे के बाद आएगी।
मगर ये कैसे हुआ, वो कैसे वापिस आ गई?
उसने जो हमारी हालत देखी तो उसके तो गुस्से का ज्वालामुखी फट पड़ा। हम दोनों को उसने खूब गाली, दी, खूब खरी खोटी सुनाई। बल्कि गुस्से में उसने तो ख़ुदकुशी करने की भी कोशिश की, मगर मैंने उसे बहुत समझाया। बेशक बीवी का गुस्सा तो ठंडा हो गया, मगर उसने मुझसे तलाक की मांग की।
मैंने भी सोचा कि अब ये रिश्ता और नहीं निभ सकता तो मैंने भी हामी भर दी। तलाक हो गया, दोनों माँ बेटी मेरा घर छोड़ कर अपने पुराने घर में चली गई।
मैं फिर से अकेला हो गया।
मगर एक दिन मुझे बाज़ार में मेरी सासु माँ मिल गई। मैंने उनसे बात की। पहले तो वो बात नहीं करना चाहती थी, मगर मैंने उनको राज़ी कर ही लिया।
हम दोनों एक कॉफी शॉप में बैठे और मैंने उनसे काफी देर बात करी, उनको बहुत समझाया। उसके बाद हम दोनों फिर से मिलने लगे। फिर एक दिन मैं सासु माँ को अपने घर ले कर आया, और उस दिन मैंने फिर से उसे चोदा।
वो भी शायद यही चाहती थी, महीनों की प्यासी उसकी फुद्दी ने खूब पानी छोड़ा।
चोदा चुदाई के बाद जब वो जाने लगी तो बोली- नीरज, अब मैं तुम बिन नहीं रह पाती, दिन रात तुम्हारी याद आती है। तुम्हारी और सोनिया का तो तलाक हो चुका है. क्या ये हो सकता है कि तुम मुझसे शादी कर लो और हम दोनों फिर से एक हो जाएँ।
मैंने पूछा- और सोनिया का क्या करोगी?
जब मैं सोनिया का पति था, तो मेरे लालच ने मुझ से एक चूतियापा करवाया कि मैंने अपनी सास को ही चोद डाला। कल को जब तुम मेरी पत्नी बन कर आओगी और मेरी ही पूर्व पत्नी मेरी बेटी बन जाएगी, तब अगर मेरा मन उस पर मैला हो गया तो क्या करोगी? सोनिया मेरी पत्नी रही है, मैं उसे भी बहुत भोगा है, हर तरह से उसको चोदा है, फिर से उसको चोदने का दिल करे, या कहीं हमारी फिर से सेटिंग हो गई, तो फिर तुम क्या करोगी? सोनिया अपनी ही माँ को अपनी सौत बनते देख नहीं पाई। क्या तुम बर्दाश्त करोगी, गर तुम्हारी ही बेटी तुम्हारी सौत बन गई तो?
सासु माँ ने कुछ सोचा- क्योंकि वो पहले तुम्हारी पत्नी थी, और तुमने उसका जिस्म भोगा है, तो अगर तुम दोनों में फिर से रिश्ते कायम हो जाते हैं, तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा।
उसके कुछ देर बाद सासु माँ चली गई। मैं सोचने लगा कि कैसा लगेगा मेरे साथ एक ही बिस्तर माँ और बेटी दोनों। जब दिल किया माँ चोद दी, जब दिल किया बेटी चोद दी। या फिर दोनों माँ बेटी
एक साथ। आप क्या कहते हो, क्या मुझे और एक चूतियापा करना चाहिए या नहीं।
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