चुदाई के लिए भैया बने सईयां

हाई फ्रेंड्स, मेरा नाम जैस्मिन साहू है. आप सबको में अपने साथ हुई एक घटना बता रही हूँ. जिसे मैंने एक कहानी का रूप देने की कोशिश की है

कॉलेज की पढ़ाई के साथ साथ मैंने कॉलेज के दोस्तों के साथ चूत चुदाई का खेल खूब खेला. चुदाई करवाना मुझे बहुत अच्छा लगता है क्योंकि मैं चुदाई करवा कर काफी रिलेक्स महसूस करती हूं.

ये बात उन दिनों की है जब कॉलेज की छुट्टी के दौरान मैं अपने मामा के यहां कुछ दिन रहने के लिए गई हुई थी. मैं अक्सर अपने मामा के यहां चली जाती थी ताकि अपने ममेरे भाई-बहन के साथ थोड़ा वक्त बिता सकूं.
मेरे मामा की लड़की का नाम सुमन है और उनके लड़के का नाम प्रशांत है.

प्रशांत अभी कॉलेज के सेकंड इयर में था और सुमन जिसकी कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो चुकी थी, मैं उसको दीदी कह कर बात करती थी. हम दोनों में खूब सारी बातें होती थीं. वह मुझसे अपने दिल की हर बात बताती थी.

जब मैं मामा के घर गई हुई थी तो उसने मुझे ये भी बता दिया था कि उसके बॉयफ्रेंड के साथ उसका अभी अभी ब्रेक अप हुआ था. इसलिए वो थोड़ी परेशान सी रहती थी.

हालांकि मैं उसकी छोटी बहन थी फिर भी वो मुझसे अपने दिल की हर बात बता दिया करती थी. जब उन्होंने मुझे ब्रेकअप वाली बात बताई तो मैंने उनको समझाया और कहा कि वह कुछ दिन इंतजार करे.

लेकिन उसकी बातों से मुझे लग रहा था कि वो चुदाई करवाने के लिए बेताब सी थी क्योंकि उसको भी मेरी तरह ही चूत चुदाई करवाने का बहुत शौक है.

मुझे इस बात का पता तब लगा जब मैं एक दिन सुबह उठी तो मुझे बाथरूम से कुछ कामुक सिसकारियां सुनाई दे रही थीं. वो किसी अर्जुन का नाम ले रही थी बार-बार. आह्ह … अर्जुन … आई … अर्जुन करके जोर जोर से आवाजें कर रही थी.

उसी दिन मैं समझ गई थी कि दीदी अपनी चूत में उंगली करते हुए खुद ही अपनी चूत को शांत करने की कोशिश करती रहती है. मगर चूत भला बिना लंड के कैसे शांत होती?

उसके बाद दो दिन ऐसे ही निकल गये.

उस दिन घर पर कोई नहीं था. मैं जब टीवी देखने के बाद बोर होने लगी तो दीदी के कमरे में जाने लगी ताकि उनके साथ बात करके कुछ टाइम पास हो सके. दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया गया था.
मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने देखा कि सुमन दीदी बेड पर अपनी नंगी चूत में उंगली कर रही थी. मुझे देखते ही वो हड़बड़ा गई और उठ कर बैठ गई.

वो थोड़ी घबरा रही भी रही थी. उसको लग रहा था कि मैं उसकी इस हरकत के बारे में कहीं घर में न बता दूं. मगर मैं ऐसा नहीं करने वाली थी.

मैं दीदी के पास गई तो उसके बूब्स को देखने लगी. मैं बड़े ही ध्यान से दीदी के बूब्स देख रही थी.
वो बोली- ऐसे क्या देख रही है? तेरे पास नहीं हैं क्या?
मैंने कहा- मेरे पास भी हैं दीदी लेकिन आपके बूब्स तो बहुत ही ज्यादा सेक्सी हैं. आपका बॉयफ्रेंड तो इनको पकड़ कर निचोड़ देता होगा.
मुझे पता नहीं क्या हो गया था कि मुझे दीदी के बूब्स कुछ ज्यादा ही आकर्षक लग रहे थे.

फिर दीदी बोली- जैस्मिन, तेरे बूब्स कैसे हैं, दिखा ज़रा …
मैंने अपना टॉप उतार दिया और दीदी के सामने ही अपनी ब्रा भी निकाल दी. मेरे 32 के साइज के चूचे दीदी के सामने नंगे हो गये.

मेरे नंगे बूब्स को देख कर दीदी भी उनकी तारीफ करने लगी. वैसे तो दीदी के बूब्स का साइज भी 32 ही था लेकिन उनके बूब्स की शेप बहुत गोल थी. दीदी और मैं दोनों एक दूसरे के सामने चूचे लटकाये हुए बैठी थीं. मैंने दीदी को देखा और दीदी ने मुझे.

फिर दीदी ने मेरे बूब्स को छेड़ कर देखा. दीदी ने मेरे बूब्स को हाथ लगाया तो मुझे मजा सा आया. फिर दीदी ने अचानक ही मेरे बूब्स को अपने हाथ में भर लिया. वो मेरे चूचों को अपने हाथ में भर कर उनको दबाने लगी.

मैंने कहा- दीदी आप ये क्या कर रही हो? ये सब तो लड़के लोग करते हैं.
दीदी बोली- अगर तू चाहे तो हम दोनों भी मजे ले सकती हैं.
मैंने पूछा- वो कैसे?

फिर वो उठी और अपनी अलमारी खोल कर उसके अंदर से एक पिंक कलर का लंड की शेप वाला खिलौना सा लेकर आई.
मैंने पूछा- दीदी ये क्या है!
वो बोली- ब्रेकअप से पहले ये मुझे अर्जुन ने गिफ्ट किया था. इसे डिल्डो कहते हैं. वो जब मेरे साथ नहीं होता था तो मैं इसी से मजे ले लिया करती थी.

मुझे पता नहीं था कि मेरी दीदी इतनी सेक्सी निकलेगी. उनका बातें करने का अंदाज मुझे बहुत पसंद आया.

दीदी ने डिल्डो मेरे हाथ में दे दिया और कहने लगी- इसे अपने मुंह में लेकर चूसो और बताओ कि कैसा है।
उनके कहने पर मैं डिल्डो को चूसने लगी. मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

दीदी ने मेरी उत्तेजना को देख कर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे बूब्स को चाटने लगी. वो हल्के से जीभ लगा कर मेरे बूब्स पर हाथ फेर रही थी. उनका हाथ फेरना और चाटना मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.

मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं और मैं उसको चूसते हुए बिस्तर पर लेट गयी. दीदी भी मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे बूब्स को खूब जोर जोर से चूसने लगी. दीदी ने धीरे से मेरी नीचे की लोअर और पैंटी निकाल दी और मुझे पूरी नंगी कर दिया. उसने मेरी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और फिर नीचे झुक कर मेरी चूत पर एक किस कर दिया.

मैं बहुत गर्म हो गई.

मेरे शरीर पर दीदी की उंगलियां घूम रही थीं. उनकी उंगलियों में जैसे जादू सा था. जल्दी ही मेरी चूत से पानी निकलने लगा. मुझे इतना मजा आने लगा कि मैंने डिल्डो को किस करना छोड़ दिया और दीदी को ही किस करने लगी.

दीदी ने भी मेरा साथ देते हुए मुझे अपनी बांहों में लपेट लिया. दीदी की चूत मेरी चूत से रगड़ खाने लगी. दीदी की चूत से रगड़ते ही मेरा हाल बुरा होने लगा. मेरी चूत से पानी निकलने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत का मजा ले रही हूं.
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं किसी लड़की के साथ इस तरह से लेस्बियन वाला मजा लूंगी.

उसके बाद दीदी डिल्डो को लेकर मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगी. दीदी ने उस लंड वाले खिलौने को मेरी चूत पर लगा कर रगड़ना शुरू कर दिया. वो एक हाथ से डिल्डो को मेरी चूत में डालने लगी. डिल्डो को उसने अंदर मेरी चूत में डाल दिया और उसको आगे पीछे करने लगी.

मेरी आंखें बंद होने लगीं क्योंकि मुझे बहुत मजा मिल रहा था. मैं मदहोश होकर उस नकली लंड को अपनी चूत में लेते हुए मजा ले रही थी. कुछ देर तक मेरी चूत को चोदने के बाद दीदी ने डिल्डो को पूरा अंदर डाल दिया और तेजी से उसको मेरी चूत में चलाने लगी. मैं पागल सी हो उठी और मेरी चूत से पानी निकल गया. मैं शांत हो गई थी.

उसके बाद मेरी बारी थी. दीदी नीचे लेट गई और मैंने दीदी के बदन को किस करना शुरू कर दिया. दीदी के चूचों को अपने हाथों से दबाया तो मुझे मजा आया. मैं भी दीदी के साथ ही दोबारा से गर्म होने लगी. फिर मैंने सुमन की चूत को किस कर दिया. उसके मुंह से स्स्स … करके एक आह सी निकल गई.

थोड़ी देर चूत को चूसने के बाद मैंने दो उंगली उसकी चूत में डाल दी और उनको आगे पीछे करने लगी. जब मैंने दीदी की चूत में उंगली डाल कर उसकी रफ्तार बढ़ाई तो दीदी उत्तेजित होने लगी. दीदी के मुंह से जोर की सिसकारियां निकलने लगीं.

सुमन की उत्तेजना को देख कर मैंने डिल्डो लिया और उसकी चूत में डाल दिया. वो एकदम से तड़पने लगी.
मैं तेजी से दीदी की चूत में डिल्डो को डाल कर उसको आगे पीछे कर रही थी तो दीदी को एकदम से पेन होने लगा. फिर मैंने अपने हाथ की स्पीड को कम कर दिया और आहिस्ता से सुमन की चूत में डिल्डो को चलाने लगी.
कुछ ही देर में दीदी की चूत से पानी निकल गया.

हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे की बांहों में लेटे रहे.

उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता तो मैं और दीदी दोनों ही एक दूसरे के साथ मजे लेने लगती. फिर उसके बाद दिन ऐसे ही निकलते रहे. अब दोनों की चूत को लंड की प्यास सताने लगी थी.

एक दिन मैंने अपने ममेरे भाई को बाथरूम से निकलते हुए देखा तो मेरा ध्यान उसके जिस्म पर गया. उसने अपने जिस्म पर तौलिया लपेटा हुआ था. उसकी जांघों के बीच में उसका लंड का उठाव भी दिख रहा था जिसको देख कर मेरी चूत गीली होने लगी. वो देखने में काफी हैंडसम था. उसको देख कर मैं उसकी तरफ आकर्षित होने लगी.
जब मैं उसको देख रही थी तो उसका ध्यान भी मुझ पर चला गया. फिर मैंने नजर हटा ली और वो दूसरे कमरे में चला गया.

अब मैं सोच रही थी कि क्यों न प्रशांत के साथ ही कुछ सेटिंग हो जाये. लेकिन वो मेरा भाई था इसलिए मैं थोड़ा घबरा भी रही थी. फिर मेरे दिमाग में एक ख्याल आया. मैंने उसको अपनी तरफ आकर्षित करने का प्लान बनाया. जब वो घर में होता था तो मैं तभी बाथरूम में नहाने के लिए जाती थी. मैं जानबूझकर बाथरूम से उसके सामने ही निकल आती थी. मेरे जिस्म पर तौलिया होता था तो वो भी चोर नजरों से मुझे घूरता था. मैंने यह बात नोटिस कर ली थी.

ऐेसे ही एक दिन जब मैं उसके सामने नहा कर बाहर निकली तो मेरे बालों की क्लिप नीचे गिर गई. मैं उसके सामने ही बैठ कर क्लिप को उठाने लगी तो मैंने उसको अपनी चूत के दर्शन करवा दिये क्योंकि मैंने तौलिये के अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था.

जब मैं उठी तो मैंने देखा कि उसका लंड उसकी पैंट में तन गया था. मुझे उसका लंड अलग से ही खड़ा हुआ दिखाई दे रहा था.

मैं हल्के मुस्कराते हुए दूसरे रूम में चली गई. फिर मैंने दीदी को यह बात बताई तो दीदी को मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ क्योंकि ने दीदी ने कभी अपने भाई की तरफ ध्यान ही नहीं दिया था. अब मैंने अपनी बहन सुमन के साथ अपने भाई से चूत चुदवाने के प्लान बनाने की सोची. दीदी भी मेरे साथ शामिल हो गई थी.

अब मैं प्रशांत को हर दिन इसी तरह किसी न किसी बहाने से अपनी चूत के दर्शन करवा देती थी ताकि वो मेरी चूत को चोदने के लिए मचल जाये.

ऐसे ही एक दिन प्रशांत हॉल में बैठा हुआ अखबार पढ़ रहा था. मैं नहा कर बाहर आई तो मैंने अपना नाटक शुरू कर दिया और नीचे बैठ गई. मैंने देखा कि वो अखबार को हटा कर चुपके से मेरी चूत को देखने की कोशिश कर रहा था.

जब उसने एक दो बार मुझे चुपके से देख लिया तो वो उठ कर चला गया. दूसरे रूम में जाकर उसने दरवाजा हल्का सा बंद कर लिया. उस दिन घर पर मेरे और भाई के अलावा कोई नहीं था. मैं जानती थी कि इस वक्त भाई का लंड तना हुआ होगा.

मैं चुपके से उसके कमरे के पास जाकर अंदर झांकने लगी तो मैंने देखा कि वो बेड पर बैठा हुआ था और उसकी आंखें बंद थीं और उसके हाथ में उसका लंड था. जिसको पकड़ कर वो जोर से लंड की मुठ मार रहा था. उसके मुंह स्स्स … आ … स्स्स आ … जैसी सिसकारियां निकल रही थीं.

भाई के हाथ में लंड को देख कर मुझे भी उत्तेजना होने लगी. मैंने सोचा कि घर में भी कोई नहीं है तो क्यों न इस मौके का फायदा उठा लिया जाये.

मैं धीरे से दरवाजा खोल कर अंदर चली गई. मैंने अपने बदन पर तौलिया लपेटा हुआ था. जैसे ही भाई ने मेरे आने की आहट सुनी तो उसके होश उड़ गये और वो अपने लंड को अंदर करने लगा लेकिन मैंने आगे बढ़ कर उसके लंड को हाथ में पकड़ लिया.

वो मेरी तरफ हैरानी से देख रहा था. फिर मैंने उसके लंड को हाथ में लेकर सहला दिया तो वो भी समझ गया कि मैं क्या चाहती हूं.
मैंने अगले ही पल अपने घुटनों पर बैठ कर उसके लंड को मुंह में ले लिया और उसके लंड को जोर से चूसने लगी. मैं डिल्डो की तरह ही उसके असली लंड अपने मुंह में लेकर मजे ले रही थी.
उसके लंड को चूसने में आज अलग ही मजा आ रहा था मुझे. भाई ने मेरे सिर पर हाथ रख लिये और वो भी लंड चुसवाने के मजे लेने लगा. कुछ ही देर में उसका वीर्य मेरे मुंह में निकल गया. मैंने भाई का वीर्य अंदर ही पी लिया. उसकी सांसें तेजी के साथ चल रही थीं.

दो मिनट के बाद भाई शांत होकर नॉर्मल हो गया. मैं भी उठ कर उसके पास ही बैठ गई.
वो बोला- जैस्मिन तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. इतना कह कर भाई ने मेरे चूचों की तरफ घूरा तो मैं समझ गई कि भाई के अंदर हवस की आग लगी हुई है.
वो मुझे पकड़ कर किस करने लगा तो मैं एकदम से उठ कर अलग हो गई.

वो बोला- क्या हुआ?
मैंने कहा- ये सब गलत है भैया!
वो बोला- अभी तो तुमने ही सब किया है मेरे साथ तो फिर गलत कैसे हो गया.
मैंने कहा- वो तो मैंने अन्जाने में कर दिया. मैं बहक गई थी. हम दोनों के बीच में भाई-बहन का रिश्ता है. मैं आपके साथ इस तरह से लिमिट क्रॉस नहीं कर सकती.
कहकर मैं उसके रूम से बाहर आ गई.

ये सब दीदी और मेरा प्लान था क्योंकि हम दोनों ही प्रशांत के मजे लेना चाहती थीं. उसके बाद मैंने सारी बात दीदी को बता दी. वो खुश हो गई कि सब कुछ प्लान के मुताबिक हो रहा है.

दो दिन के बाद भाई की तबियत खराब हो गई. दरअसल वो तबियत खराब होने का बहाना कर रहा था क्योंकि उस दिन भी घर पर प्रशांत, सुमन और मेरे सिवाय कोई नहीं था. वो सोच रहा था कि वो मेरे साथ बहाने से कुछ करे.

दोपहर में सुमन सोने का नाटक करने लगी. वो अपने कमरे में थी.

मैं भी दूसरे कमरे में लेटी हुई थी. फिर अचानक प्रशांत अंदर आ गया और मेरे पास बेड पर बैठ गया. मैं उठ कर बैठ गई.
मैंने कहा- क्या हुआ भैया, आपकी तबियत ठीक नहीं है, आपको कुछ हेल्प चाहिए क्या?
वो बोला- मुझे तुम भैया मत कहो. मुझे प्रशांत कहा करो.
मैंने कहा- ठीक है.

उसने मेरे चूचों पर हाथ लगाया तो मैं पीछे हटते हुए नाटक करने लगी. मैं जानती थी कि उसके अंदर मेरी चूत को चोदने की आग लगी हुई थी क्योंकि उसका लंड मैंने पैंट में खड़ा हुआ देख लिया था.
मैंने कहा- आप क्या कर रहे हो?
वो बोला- एक बार मुझे मौका दो. मैंने जब से तुम्हारी चूत को देखा है मैं तुम्हारे साथ सब कुछ करना चाहता था लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.
मैंने कहा- लेकिन … प्रशांत … वो दीदी …
वो बोला- वो तो अपने कमरे में सो रही है. उसको कुछ नहीं पता चलेगा.

इससे पहले कि मैं उसको कुछ कहती उसने मुझे पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया. वो जोर से मेरे होंठों को चूसने लगा. पहले तो मैंने एक दो बार छुड़ाने का झूठा नाटक किया लेकिन उसके बाद मैं भी प्रशांत का साथ देने लगी.

अगले दो मिनट में हम दोनों नंगे हो चुके थे. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और मुझे किस करने लगा. काफी देर तक वो मेरे होंठों को चूसता रहा और फिर उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया. मुझे दीवार के सहारे लगा कर वो मेरी नंगी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा.

मेरी चूत तो पहले से ही गीली हो चुकी थी. वो जब मेरी चूत पर लंड को रगड़ने लगा तो मुझे ऐसा लगा कि मेरा पानी अभी निकल जायेगा. उसके बाद वो नीचे घुटनों के बल बैठ गया और मेरी चूत पर किस करने लगा.
उसके ऐसा करने से मैं एकदम तड़प उठी. उसने मेरी चूत को इतना चाटा कि मेरी चूत एकदम से लाल हो गयी. मैं उसके बालों को पकड़ कर सहलाने लगी और मेरे मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकल रही थीं.

हमारी आवाजें बाहर तक जा रही थी. मैं तेज आवाजें इसलिए कर रही थी कि ताकि सुमन को भी पता लग सके कि हमारी चुदाई कहां तक पहुंची है.

हमारी आवाजों को सुन कर वो भी अचानक से कमरे में आ गई और उसको देख कर प्रशांत घबरा कर अलग हो गया. वो अपने कपड़े उठाने के लिए बेड की तरफ लपका.

मगर तभी दीदी जोर से हंसने लगी. प्रशांत ये सब देख कर हैरान हो गया.
दीदी बोली- डर मत, मैं सब जानती हूं कि तेरा और जैस्मिन का क्या चक्कर चल रहा है.

प्रशांत ने मेरी तरफ देखा तो मैं भी मुस्करा दी. फिर दीदी मेरे पास आई और मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरे होंठों को किस करने लगी. प्रशांत हम दोनों की तरफ हैरानी से देख रहा था. उसका लंड अब बैठने लगा था.
वो सुमन से कहने लगा- दीदी, ये सब क्या हो रहा है?
सुमन बोली- तुम भी आ जाओ.

इतना कहते ही प्रशांत को सब कुछ समझ में आ गया. वो भी मेरे पीछे आ गया और मुझे किस करने लगा. दीदी के हाथ में डिल्डो था तो उसने मेरी चूत में डिल्डो घुसेड़ दिया और तेजी से मेरी चूत की चुदाई करने लगी.

अब प्रशांत दीदी के कपड़े उतारने लगा और उसने अपनी दीदी को नंगी कर दिया. वो दोनों भी आपस में किस करने लगे. मैं प्रशांत के लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी. फिर प्रशांत बारी-बारी से हम दोनों के चूचों को दबाने लगा.

दीदी मेरी चूत में डिल्डो चला रही थी तो जल्दी ही मेरा पानी निकल गया. मैं थक गई थी. अब प्रशांत दीदी की चूत को चाटने लगा और मैं उन दोनों को देखने लगी. कुछ देर बाद मैं उन दोनों को देख कर फिर से गर्म हो गई.

मैं उनके पास गई तो प्रशांत ने मेरे मुंह में लंड दे दिया और मैं जोर से उसके लंड को चूसने लगी. वो दीदी की चूत में उंगली करने लगा और लंड को मेरे मुंह में देकर चुसवाने लगा. फिर उसने अपने लंड को मेरे मुंह से निकाल दिया और अपने गीले लंड को दीदी की चूत में घुसेड़ दिया.

दीदी प्रशांत के लंड से चुदने लगी और उसके मुंह से तेज-तेज आवाजें होने लगीं. प्रशांत दीदी की चूत में धक्के देते हुए उसकी चूत की चुदाई करने लगा और दीदी उसके लंड को मजे से चूत में लेती हुई आवाजें करने लगीं.

मैं दीदी के चूचों को दबाने लगी.
प्रशांत ने मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
तीनों ही फिर से मजा लेने लगे और पूरा कमरा कामुक सिसकारियों से गूंजने लगा.

कुछ ही देर में प्रशांत का वीर्य दीदी की चूत में गिरने लगा. दीदी भी जोर से आवाजें करते हुए झड़ने लगी. इस तरह से हम तीनों ने ही एक दूसरे को शांत किया और फिर हम शाम तक ऐसे ही नंगे पड़े रहे.

अगले दिन प्रशांत ने दीदी को गर्भ निरोधक गोली लाकर दी. फिर मेरे कॉलेज की छुट्टी खत्म हो गई और मैं अपने घर वापस आ गयी.

लेकिन अब हम तीनों में कुछ भी छिपा न रह गया था. मैं रात को अक्सर प्रशांत और सुमन के साथ फोन सेक्स का मजा लेने लगी. हम तीनों ही एक दूसरे के साथ फोन पर बातें करते हुए मजा लेते थे. लेकिन यह तभी होता था जब प्रशांत और सुमन घर पर अकेले होते थे. मैं अपने यहां अपनी चूत में उंगली करती रहती थी और उधर से वो दोनों एक दूसरे के साथ नंगे लेट कर गर्म चुदाई की बातें करते हुए मुझे भी गर्म करते रहते थे.

फिर एक दिन जब मैं प्रशांत और सुमन के साथ फोन सेक्स करते हुए जोर-जोर से कामुक आवाजें कर रही थी तो अचानक से मेरा सगा भाई सुनील मेरे कमरे में आ गया. उस वक्त मैंने अपनी चूत में उंगली डाली हुई थी और मेरे चूचे भी नंगे थे. मुझे ऐसी हालत में देखकर वो मेरे नंगे बदन को घूरने लगा.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.