हाई फ्रेंड्स, मेरी सेक्स कहानी चुदाई के लिए मान भी जाओ आंटी-3 में अब तक आप पढ़ चुके हैं कि रात को जैसे ही मैं स्वीटी आंटी की चुदाई को तैयार हुआ उनके पति का फ़ोन आ गया. वो नीचे दरवाजे तक आ गए थे. मेरी चुदाई की माँ चुद गई थी. खड़े लंड पर धोखा हो गया था.
अब आगे:
नीचे मेरे घर के मेन दरवाजे की घंटी बजी और हम नीचे आ गए, तो देखा कि अंकल सामने ही खड़े थे.
अंकल ने स्वीटी आंटी को गले लगाते हुए कहा- सरप्राइज!
मुझे तो उन्हें देख कर मानो बहुत गुस्सा आ रहा था कि इस साले को अभी ही टपकना था. इस कमीने की वजह से मैं इसकी बीवी को चोद नहीं पाया. वरना आज तो स्वीटी आंटी की चुदाई पक्की थी. पर कोई बात नहीं कल होली के दिन तो मैं किसी न किसी तरह से स्वीटी आंटी को चोद कर ही रहूंगा.
सब लोग सोने चले गए, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी.
रात के लगभग 2 बजे थे कि तभी मुझे कुछ कामुक आवाजें सुनाई दीं. मैं स्वीटी आंटी के रूम की तरफ गया, तो वहां से मुझे स्वीटी आंटी की ‘आह उह उस … इस्स..’ की आवाज़ आ रही थी.
मैंने थोड़ा दरवाजा खोला, तो देखा कि स्वीटी आंटी पूरी नंगी होकर मनोज अंकल के लंड पर पर उछल-कूद कर रही थीं. मनोज अंकल भी उनके चूतड़ों पर जोर जोर से चमाट मार रहे थे. स्वीटी आंटी की पीठ मेरी तरफ थी, इसलिए मैं उनके लाजबाव मम्मे उछलते हुए नहीं देख पाया. आंटी खूब अंकल के लंड पर उछल कूद किए जा रही थीं. अंकल भी नीचे से अपने लंड को ऊपर की ओर खूब हिलाए जा रहे थे.
आंटी- आह मनोज … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मनोज आह आह आह उह!
आंटी की कामुक आवाज़ों ने तो मेरा भी लंड खड़ा कर दिया. कुछ देर बाद अंकल ने आंटी को जल्दी से नीचे पटक दिया और जोर जोर से अपनी गांड को हिला हिला कर अपने लंड को स्वीटी आंटी की चुत में धकेलने में लग गए.
इसी तरह से चुदते हुए एक पल ऐसा आया, जब स्वीटी आंटी ने मुझे और मैंने स्वीटी आंटी को देख लिया. मुझे देखते ही स्वीटी आंटी शरमाई नहीं … बल्कि मुस्कुराते हुए अब तो वो और जोर जोर से कामुक आवाजें निकाल कर चुदने लगीं.
स्वीटी आंटी ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से ऐसे आह ओह करने लगीं … मानो वो मुझे बोल रही थीं कि मैं इस तरह से चुदाई करवाती हूँ, तुम्हें चुत की चुदाई करनी आती है क्या.
कुछ देर बाद चुदाई खत्म हो गई और मैं अपने कमरे में चला गया.
सुबह हुई … आज होली का दिन था. आज मैंने सोच लिया था कि आज तो किसी न किसी कीमत पर स्वीटी आंटी को चोद कर ही रहना है.
हमारे घर के गार्डन में होली की बहुत ही धूम-धाम से तैयारी हुई थी. जहां लोग मिल कर होली मनाते हैं. सभी एक दूसरे को रंग और अबीर लगाने में व्यस्त थे. अच्छे अच्छे पकवान भी टेबल पर रखे थे. पर मेरी दिलचस्पी तो स्वीटी आंटी में थी.
थोड़ी देर बाद स्वीटी आंटी आईं. आज स्वीटी आंटी ने नारंगी रंग का लहंगा चोली पहना हुआ था. लेकिन ख़ास बात यह थी कि उन्होंने चोली बहुत छोटी पहनी थी, जिसमें उनकी सेक्सी कमर और सुंदर नाभि दिख रही थी. आज वो बिल्कुल वैसे ही लग रही थीं, जैसे पिया की पहरेदार सीरियल में तेजस्विनी प्रकाश होली वाली सीन में दिखती है. बिल्कुल वैसे ही हॉट कपड़े स्वीटी आंटी ने पहने थे. आज स्वीटी आंटी गुजराती एक्ट्रेस पूजा जोशी से तेजस्विनी प्रकाश जैसी दिखने लगी थीं.
तभी मनोज अंकल उनके पास आए और उन्हें अबीर लगाया. मेरे पापा मम्मी जब रंग लगाने के लिए गए, तो आंटी ने उन्हें यह कह कर रोक दिया कि उन्हें रंग लगाना पसंद नहीं, अबीर लगाइए.
तब सबने उन्हें अबीर लगाया.
फिर सब होली के गानों पर डांस करने लगे और सभी मस्ती में घुल-मिल गए. डांस करते हुए स्वीटी आंटी की कमर हिलती उछलती हुए बड़ी लाजवाब लग रही थी. उनकी सेक्सी नाभि को देख कर तो मेरा लंड खड़ा हो गया था. रही सही कसर उनके उछलते मम्मों ने कर दिया.
तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैं भांग लेकर स्वीटी आंटी के पास गया और डांस करने लगा.
मैं बोला- ये लो आंटी भांग … इसे होली में पीना ही होता है.
स्वीटी आंटी ने पहले तो मना किया लेकिन मैंने आखिरकार उनको भांग पिला ही दी.
उसके बाद उनके साथ डांस करने लगा. डांस करते हुए मैंने उनकी सेक्सी कमर पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. मैं अपनी उंगलियों से उनके नंगी कमर और नाभि को छूने, रगड़ने और दबाने लगा.
कुछ ही देर में आंटी पर भांग की मस्ती छाने लगी, इसलिए वो भी मुझे मना नहीं कर रही थीं.
मैंने कहा- आंटी आज आप बहुत सुंदर लग रही हो.
स्वीटी आंटी ने कहा- सिर्फ सुंदर … सेक्सी नहीं?
मैंने कहा- सेक्सी नहीं, बल्कि सेक्स करने लायक लग रही हो.
मेरी बात से आंटी जरा भी गुस्सा नहीं हुईं, बल्कि मुस्कुरा कर हंस दीं.
फिर मैं आंटी के पीछे से गांड पर हाथ रख कर सहलाने लगा. आंटी ने मेरा हाथ हटा दिया और घर के अन्दर चली गईं. मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया.
घर में अन्दर जाते ही मैंने आंटी को पीछे से पकड़ लिया. अपने एक हाथ से उनके बोबे को, तो दूसरे हाथ से उनकी चुत को मसलने लगा.
आंटी आह आह करने लगीं.
ऐसा करते हुए मैं और आंटी दोनों मेरे कमरे में चले गए. बेड पर बैठने के बाद मैंने बड़े इत्मीनान से आंटी के जिस्म को ऊपर से लेकर नीचे तक देखा.
आंटी ने मुस्कुरा कर कहा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा कि सबने आपको अबीर लगा दिया, सिर्फ मैं रह गया.
आंटी ने कहा- तो रुके क्यों हो … तुम भी लगा दो न.
ये सुनकर मेरी बांछें खिल गईं और मैं जल्दी से एक थाली में हर रंग के अबीर ले आया. सबसे पहले मैंने आंटी की सेक्सी कमर को पीले रंग का अबीर से रगड़ा और उनकी कमर भी दबा दी. उनकी नाभि में उंगली की, जिससे आंटी चिहुंक उठीं.
मैंने उनके कमर को और रगड़ना और दबाना चालू रखा. वहीं दूसरी ओर मैंने आंटी को एक बार हल्के से लिपकिस भी किया.
उसके बाद आंटी ने मेरा सर पकड़ कर मेरे होंठों को अपने होंठों से चिपका लिया और हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने चाटने लगे.
कोई 5 मिनट तक यही सब करने के बाद आंटी ने अपनी छाती पर हाथ रखते हुए मुझसे कहा कि रॉकी … क्या यहां पर अबीर नहीं लगाओगे?
मेरी आंखें चमक गईं … मैंने कहा- क्यों नहीं.
अब मैंने लाल रंग का अबीर अपने हाथों में लिया और आंटी की छाती पर रगड़ने लगा.
आहा मुझे कितना मस्त मज़ा आ रहा था … ये मैं चाहूँ तब भी लिख नहीं सकता. बस वो सुख मैं ही समझ सकता हूं.
मैं आंटी की छाती पर अबीर रगड़े जा रहा था और ‘आह उह आह …’ की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं. पूरा कमरा आंटी की कामुक आवाज़ से गर्म हो गया था.
मैं भी अब इतना अधिक जोश में आ गया था कि आंटी की छाती पर अबीर रगड़ते रगड़ते मैंने अचानक स्वीटी आंटी के एक बूब को दबा दिया … आंटी चिहुंक उठीं.
मैंने अपने दोनों हाथों से आंटी के दोनों मम्मों को भरा और जोरों से मसलने लगा. आंटी की आँखों में वासना की मस्ती छाने लगी थी.
इसके बाद मैंने आंटी का दुपट्टा हटा दिया और पीछे से आंटी की चोली की चैन नीचे को सरका दी. उनकी चोली लटक गई थी, तो मैंने उसको खोल कर अलग कर दिया.
आंटी के लाजबाव चूचे सफेद ब्रा में देख कर मैं मचल उठा. मैंने अपने दोनों हाथों से आंटी के मम्मों को अपने हाथों में अच्छे से पकड़ लिए और उनकी ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा.
आंटी ‘आह रॉकी … उह आंह उई … रॉकी..’ की आवाज़ निकालने लगीं.
मेरे मुँह से भी आह आह की आवाज़ निकलने लगी. वाह यार आंटी क्या मस्त माल थीं.
इसके बाद मैंने उनका लहंगा निकाल कर दूर फेंक दिया. उनकी नंगी गोरी टांगें देख कर मैंने उन पर हरे रंग का अबीर मल दिया. मैं दोनों हाथों में अबीर लेकर उनके पैरों को रगड़ने लगा. ऊपर से नीचे तक उनके पैरों को मैं दबा दबा कर मजा ले रहा था. साथ ही मैं जांघों को चूमता चाटता भी जा रहा था.
स्वीटी आंटी- वाह रॉकी … मेरे कपड़े खोल कर मुझे ब्रा और पैन्टी में कर दिया और खुद अब तक कपड़े पहने हो … चलो तुम्हारे कपड़े मैं खोलती हूं.
ऐसा कहते हुए आंटी ने मेरे पजामा और कुर्ता को खोल दिया और बनियान निकाल कर अलग कर दी. मेरे नंगे होते ही आंटी ने पहले तो मेरी छाती पर अपनी प्यारी प्यारी उंगलियों को फिराते हुए हाथ फेरा.
उनकी मादक उंगलियों के गर्म स्पर्श से मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं और मेरा लंड लोहे की तरह कड़क हो गया.
मैंने उत्तेजना में तुरंत ही स्वीटी आंटी के पैन्टी के अन्दर हाथ डाल दिया और उनकी चुत के पंखुड़ियों को अपने हाथों से रगड़ने लगा.
स्वीटी आंटी ने मादक आवाज निकालते हुए कहा- आह आह रॉकी … मार ही डालोगे क्या.
मैं- नहीं आंटी … चोद ही डालूंगा.
इसके बाद मैंने उनकी पैन्टी नीचे की ओर सरका कर पैन्टी को निकाल कर साइड में रख दिया. फिर मैंने उनकी लवली चुत पर बड़े ही प्यार से किस किया और चूसने चाटने लगा.
आह आह करती स्वीटी आंटी अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चुत में और भी जोर से दबाते हुए सीत्कार भरने लगीं.
मैं उनकी सेक्सी कमर और पेट को चूमता हुए उनके मम्मों को ब्रा से आज़ाद करने लगा. एक पल बाद उनके चूचे हवा में छलने लगे थे, ब्रा को एक तरफ गिर जाने की सजा दे दी गई थी.
मैं आंटी के मम्मों को चूसते चाटते हुए दबाने में लग गया. मैं उनके मम्मों के साथ खेलने लगा, मस्ती करने लगा.
अब मेरा लंड स्वीटी आंटी के चुत में अंडरवियर के ऊपर से ही सट रहा था.
मैंने अपनी अंडरवियर को खोल दिया. स्वीटी आंटी ने मेरा लंड देख कर कहा- वाउ … इतना कड़क लंड … तुम तो सच में बड़ी अच्छी चुदाई कर दोगे.
स्वीटी आंटी को मैंने चित लिटा दिया और उनकी चुत पर अपना लंड रख कर रगड़ने लगा. स्वीटी आंटी आहें भरने लगीं. मैंने झट से स्वीटी आंटी की चुत के अन्दर अपने लंड का धक्का मार दिया. मेरा आधा लंड पक्क की आवाज के साथ आंटी की चुत के अन्दर घुसता चला गया.
स्वीटी आंटी के मुँह से ‘उई … माँ … मर गई … आह..’ की आवाज़ निकल गई.
मैंने उनकी आवाज पर ध्यान न देते हुए स्वीटी आंटी के चुत में दूसरा धक्का दे दिया. इस बार मैं अपना पूरा लंड उनकी चुत में पेल दिया था.
स्वीटी आंटी से मैं … और स्वीटी मुझसे बिल्कुल लिपट गए थे. मैं उनकी चुत में लंड को अन्दर बाहर करने लगा. जिस जबरदस्त जिस्म को मैं देखना चाहता था, आज वो न केवल मेरे सामने नंगा था … बल्कि मेरे लंड से चुद भी रहा था.
आज मैं अपनी कोशिश के बाद स्वीटी आंटी की सेक्सी कमर, रसीली चूत, लाजवाब चूचे … के पूरे मज़े ले रहा था. सच में आज मुझे अपने आप पर यकीन नहीं हो रहा था, पर यह सच था.
थोड़ी देर ऐसे ही चुदाई करने के बाद हम दोनों का एक ही टाइम पर वीर्य निकला और कमरे में गचागच की आवाज़ अब फचाफ़च में बदल गई.
चुदाई पूरी होने के बाद हम दोनों एक अलग ही ऐसा आनन्द का अनुभव कर रहे थे … जैसे कि न जाने कब से अधूरे थे और अब चुदाई के बाद परिपूर्ण हो गए हों.
इस मस्त चुत चुदाई के कुछ देर बाद हम एक दूसरे अलग हुए और अपने अपने कपड़े पहन कर रेडी हो गए. हम दोनों एक एक करके बाहर गए. मैंने देखा कि सभी होली के नशे में मगन थे. उनके इसी नशे का फायदा उठा कर हम दोनों ने अच्छे से चुदाई कर ली थी.
फिर रात को हम सब सोने चले गए. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी. क्योंकि कल स्वीटी आंटी जाने वाली थीं और मैं एक बार और उनकी चुदाई करना चाहता था. इसलिए मैं उनके कमरे में गया और दरवाज़ा खटखटाया.
स्वीटी आंटी बाहर निकलीं. वो एक सेक्सी ब्लू कलर की नाईटी पहने हुई थीं. मैंने धीमे से कहा- आंटी कल तो आप जा ही रही हो, तो मेरे साथ इस सेक्सी नाईटी में एक बार फिर आ जाओ न.
स्वीटी आंटी ने भी हल्के स्वर में कहा- कमरे में मेरे पति और खुशी है, हम सब अभी सोने वाले हैं. तुम चुदने की बात मेरे कमरे के पास आ कर कहने लगे हो. मेरे पति अभी कमरे में ही हैं. इतनी हिम्मत तुम में कहां से आ गई?
मैंने कहा- आपकी सेक्सी चुदाई के नशे ने मुझे निडर बना दिया है.
उनकी चुचियों को मैंने अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए कहा- प्लीज़ एक बार फिर चुद जाओ न. मुझे आपकी चुदाई का नशा हो गया है. मैं आज आपको विदेशी स्टाइल ने चोदना चाहता हूं. जिस तरह से आप उस दिन अपने पति से चुद रही थीं. उनके लंड पर उछल कूद कर रही थीं, बिल्कुल वैसे ही एक बार मेरे से भी चुद जाओ न.
उन्होंने कहा- ठीक है, तुम बस अपने कमरे में 5 मिनट इंतजार करो, मैं अभी आती हूं.
फिर 5 मिनट बाद वो मेरे कमरे में आईं और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे नीचे ले गईं.
मैंने पूछा- कहां ले जा रही हो?
तो वो बोलीं कि जिस तरह की चुदाई तुम्हें चाहिए, वैसी चुदाई में काफी आवाजें होती हैं. इसलिए नीचे गैराज में चलो, मैं वहीं तुम्हारे साथ चूदूंगी.
उनकी ये बात सुन कर तो मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने उनसे पूछा- अंकल का क्या हुआ?
उन्होंने कहा कि तुम्हारे अंकल को मैंने दूध में नींद की गोली डाल कर सुला दिया है और खुशी को सुला कर आई हूं.
मैंने कहा- वाह क्या कमाल कर दिया आपने स्वीटी आंटी!
यह कहते हुए मैंने स्वीटी आंटी को अपने आगोश में भर लिया और उन्हें खूब किस करने लगा.
अब गैराज में हम दोनों आ गए थे. मैंने बड़े ही प्यार से स्वीटी आंटी की नाईटी उतारी. उनकी नाईटी जमीन पर गिर गई थी. इसके साथ ही आंटी ब्लू ब्रा और पैन्टी में आंटी एक मस्त सेक्सी विदेशी एक्ट्रेस लगने लगी थीं.
उन्हें इस तरह देख कर मेरा लंड तन कर लोहे हो गया. मैंने उनके दूधिया गोरे बदन को छूते हुए कहा कि वाह क्या मस्त माल लग रही हो आप … मैं आपको कैसे बताऊं.
स्वीटी आंटी ने कहा- तुम्हारा फुंफकारता हुआ लंड देख कर ही मैं समझ गई हूं … बताने की कोई जरूरत नहीं है. बस अब तुम चुदाई करो.
फिर हम दोनों कुछ देर की लंड चुत की चुसाई के बाद चुदाई में लग गए. दोस्तों उस रात हमने बिल्कुल विदेशी स्टाइल में चुदाई की. जिसमें आंटी मेरे लंड के ऊपर पूरी नंगी होकर खूब उछलीं और कूदीं. ‘आह आह उन्नह उम्हा आहा औष फ़्क फच..’ की आवाजें खूब जोर जोर से पूरे गैराज में गूंजी. उस दिन की चुदाई को मैं अपने पूरे जिंदगी में मरते दम तक नहीं भूलूंगा.
स्वीटी आंटी दूसरे दिन वापस चली गईं. लेकिन उनके साथ की गई चुत चुदाई आज भी मेरे मन में ताजा है.
दोस्तो, इस चुदाई की कहानी के बाद भी मेरे साथ एक घटना हुई है, जिसका जिक्र मैंने इसी कहानी के शुरू में किया था.
दोस्तो, मैं मिशन चुदाई के उस पार्ट की बात कर रहा हूं. जिसमें मैंने कल्पना की है कि मैं शिखा मामी की चुदाई किस तरह से करूंगा. क्या वास्तविकता में, उनकी चुदाई उसी तरह से हो पाती है … या नहीं … या फिर शिखा मामी को मैं चोद भी पाता हूं कि नहीं. यह आप जानना चाहते होंगे.
मैं जल्द ही मिशन चुदाई का एक और रसीला भाग लिखने वाला हूं. इसी के साथ, मैं आप सभी इतना बता देना चाहता हूँ दोस्तो कि आप हम सोचते हैं … सब कुछ वैसा नहीं हो पाता है. कानपुर में शादी में मेरे और शिखा मामी के बीच क्या क्या हुआ, वो मैं आपको मिशन चुदाई के अगले भाग में जरूर बताऊंगा.
तब तक आप मेरी अगली कहानी में शिखा मामी के साथ होने वाली चुदाई की कल्पना से लबरेज गर्मागर्म चुदाई की कहानी का मजा लीजिए.
आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
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धन्यवाद.