हेलो दोस्तो, मैं एक 20 साल का नवुयवक हूँ मेरा नाम चेतन है. अन्तर्वासना पर में कई सालों से बहुत सारी कहानियां पढ़ता रहा हूँ. तो मैंने भी सोचा क्यों न अपनी भी सच्ची सेक्स स्टोरी लिखूं, जो मैंने अपने साथ में अनुभव किया, वो आप सभी के साथ शेयर करूँ.
मैं एक ऐसा लड़का हूँ, जिसे समाज में क्या हो रहा है … कोई मतलब नहीं रहता. बस अपना काम बनना चाहिए. स्कूल टाइम में ही मैंने सबसे पहले सेक्स के बारे में थोड़ा बहुत जाना और कुछ अंतरंग दोस्तों के कारण एक दो बार कुछ पोर्न वीडियोज भी देखी. पता नहीं क्यों उस समय उन्हें देखकर थोड़ा गन्दा तो लगता था, लेकिन फिर भी देखते थे.
ऐसे ही एक दिन इन्टरनेट पर खोजते हुए अन्तर्वासना साइट मिली, तो इसे पढ़ना शुरू किया. चुदाई में क्या कैसे और क्यों होता है … ये सब मैंने अन्तर्वासना से ही जाना. उस समय मेरी लुल्ली पतली और छोटी थी, तो मैं उसी के साथ खेलने लगा. जब वो पहली बार खड़ी हुई, तो अजीब लगा. फिर इसकी आदत हो गई. धीरे-धीरे समय बीता और मैंने लंड हिलाना शुरू किया. लगभग जवानी की देहलीज पर आते ही मैंने पहली बार हस्तमैथुन किया था. वो भी गलती से हो गया था. हालांकि मुठ मारना अच्छा लगा तो आदत बना ली. फिर मैं अपने आपको लंड का खिलाड़ी समझने लगा. मेरी लुल्ली भी समय के साथ अच्छी खासी 6 इंच के लंड में तब्दील हो चुकी थी. अब जरूरत थी तो एक चूत की, जिसे पा पाना मेरे बस की बात नहीं थी. क्योंकि मैं शांत और शर्मीला संस्कारी टाइप का था.
मैं चोरी छुपे इधर उधर नजरें तो घुमाता रहता था, पर मेरी हिम्मत नहीं होती थी.
तभी मैं अपने गांव गया, शायद कोई फंक्शन में पापा की जगह मुझे जाना पड़ा था. चूंकि हमारा ही घर था, तो चाचा के पास कुछ सप्ताह रुकने के बारे में सोचा. क्योंकि गांव में मुझे कुंए पर या फिर किसी भी घर में कोई न कोई सेक्सी औरत या लड़की नहाते हुए या कपड़े पहनते हुए दिख ही जाती थी. मेरी चाची भी अच्छी खासी बम्पर धमाका माल थी. हमारे छत के नजदीक एक और घर था, जिसमें एक दीवार हमारी ओर बनी थी. उधर ही छत पर एक लकड़ियां वगैरह रखने की एक जगह सी बनी थी, जिसे पड़ोसी बाथरूम की तरह यूज़ करते थे.
हमारी तरफ दीवार में एक खिड़की थी. जब मैं उस खिड़की के पास गया था तो उस और एक पड़ोसन भाबी मस्ती में अपने बड़े बड़े बोबों को सहलाते हुए नहा रही थीं. उनके शरीर पर साड़ी तो नाममात्र की ही लिपटी थी, नीचे काला पेटीकोट था, जो घुटनों से ऊपर उठा था और वो अपनी चूत को रगड़ते हुए साफ कर रही थीं. मैं उनकी चूत के आस पास के बालों को साफ साफ देख सकता था. तभी उन्होंने इधर उधर देखकर अपना पेटीकोट भी उतार दिया और मेरी और पीठ करके खड़ी हो गईं. फिर वे नीचे झुकीं, जिससे मुझे उनकी चूत और गांड के छेद भी दिख गए. फिर उन्होंने कपड़े पहने और चली गईं.
इधर मेरा लंड हिला हिला कर दो बार माल निकल चुका था. फिर मैं नीचे गया तो वहां भी चाची इसी प्रकार नहा रही थीं. मुझे देखकर उन्होंने मुझसे अपनी पीठ पर साबुन लगाने को कहा. मैंने अपनी शर्ट उतारी और बनियान में ही साबुन लगाने लगा. इससे मेरी पैंट गीली हो रही थी तो उनके कहने पर मैंने पैंट को उतार दिया. अब मैं चड्डी बनियान में उनकी सेक्सी नंगी पीठ पर साबुन लगा रहा था. उनका पेटीकोट ढीला था, तो मुझे उनका पिछवाड़ा भी दिख रहा था और उनके बोबे जोकि नंगे थे साफ दिख रहे थे. जिससे मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं बीच बीच में उनके बोबों को भी छू रहा था और साबुन के साथ पीठ पर पर गुदगुदी भी कर रहा था.
जब काम ख़त्म करके मैं उठा तो उन्होंने मेरा खड़ा लंड देख लिया, जिसे छुपाते हुए मैं वहां से चला गया.
फिर चाची अपना काम ख़त्म करके मेरे पास आईं और मेरे बगल में बैठ गईं.
चाची बोलीं- तू तो बहुत बड़ा हो गया है.
मैंने कहा- ऐसे क्यों बोल रही हो चाची?
तो वो बोलीं- मैंने देखा तू छत पर उसे देखकर कुछ ज्यादा ही उत्तेजित था.
मैंने कहा- आप उस समय ऊपर थीं?
तो वो बोलीं- नीचे भी कुछ कम चांस नहीं मार रहा था.
फिर मेरा कान खींच कर बोलीं- चाची पे लाइन मारेगा … क्यों रे और कोई नहीं मिला?
तो मैंने कहा- सॉरी … अब आप बैठी ही ऐसी थीं, तो मैं क्या करता?
तो उन्होंने बोला- मैं कैसी बैठी थी?
तो मैं बोला- आप लगभग पूरी नंगी दिख रही थीं … पेटीकोट भी पानी से पारदर्शी हो चुका था … तो मैं क्या करता.
इस पर वो बोलीं- इसीलिए तो कह रही हूँ कि तू बड़ा हो गया है, कोई अच्छी सी लड़की देखकर ब्याह करवाना होगा ताकि फिर किसी और के सामने तेरा खड़ा न हो जाए.
चाची के मुँह से ‘तेरा खड़ा न हो जाए …’ सुनकर मैं वहां से भाग गया. शाम को जब मुझे लगा कि सब सो गए, तब में अपने मोबाइल में एक पोर्न वीडियो लगाकर देखने लगा और मेरा हाथ लोअर के ऊपर से ही मेरे लंड पर पहुंच गया.
तभी चाची वहां भी आ गईं और बोलीं- अच्छा तो भाईसाहब ये भी सीख चुके हैं.
मैंने जल्दी से वीडियो बंद की … और खड़ा हो गया.
वो बोलीं- मैं भी तो देखूँ, ऐसा कितना बड़ा हो गया है.
उन्होंने मुझे कोई मौका दिए बिना मेरा लोअर उतार दिया, जिससे मेरा लंड जो कि खड़ा होकर उत्थित अवस्था में था, उनके हाथ लगाने मात्र से फट पड़ा और उनके हाथ गंदे हो गए.
वो बोलीं- पहले से तैयार था … अब बड़ा तो काफी हो चुका है, कभी किसी की चूत मारी?
उनकी बिंदास भाषा और हरकत देख कर मैंने भी खुल कर कहा- नहीं.
तो वो बोलीं- अगर मौका मिले तो मारेगा.
मैंने कहा- कैसे … मुझे तो ज्यादा कुछ आता भी नहीं है … हां अगर कोई सिखाए तो बात अलग है.
चाची बोलीं- इसमें सीखना कैसा … बस अन्दर ही तो डालना है.
मैंने कहा- फिर भी …
तो वो बोलीं- मैं सिखाऊं?
मैं बोला- आप कैसे?
वो बोलीं- चल मेरे साथ … मैं तुझे सब सिखा देती हूँ.
हम दोनों उनके रूम में आ गए. उन्होंने मुझे अपने कपड़े उतारने को कहा.
मैंने अपने कपड़े उतार दिए. चाची ने भी अपना पल्लू गिराया और ब्लाउज खोलते हुए बोलीं- इस खेल के लिए तुम्हें बूब्स से खेलना होगा … तो चल शुरू हो जा.
चाची नंगी होकर लेट गईं, मैं उनके पास आ गया और उनके बड़े-बड़े बोबों से खेलने लगा, उन्हें दबाने लगा. मेरा मन उन्हें चूसने को हुआ तो मैं उनके निप्पल को होंठों से दबाकर चूसने लगा.
वो मस्त हो कर कह रही थीं- शाबाश ऐसे ही लगा रह!
मैं उनके बूब्स से खेल रहा था और उनके मम्मे धीरे धीरे टाइट होकर बड़े होते जा रहे थे. थोड़ी देर बाद मम्मे पूरे टाइट हो गए और चाची के मुँह से चुदासी कराह निकलने लगी. चाची ने अपना पेटीकोट उतारा और मुझे नीचे जाने को कहा.
मैंने बोला- क्या आपकी चूत चाटूँ?
तो वो बोलीं- चूत क्यों?
मैंने बोला- वीडियो वगैरह में करते हैं.
चाची चूत चुसवाने के नाम से गर्म हो गई थीं. वे टांगें खोलते हुए बोलीं- ठीक है … तुझे ठीक लगे तो चूस ले.
मैं आगे बढ़ा तो चाची बताने लगीं- यहां से पेशाब आती है और तुझे इसके नीचे ही सब कुछ करना है.
मैंने उनकी चूत को उंगलियों से सहलाया और बीच के दाने को खींच दिया, जिससे उन्हें शायद अच्छा लगा. चाची के उस दाने को मैं अपने मुँह से चूसने लगा. थोड़ा अजीब सा स्वाद था. मेरे ऐसे करने से वो जैसे पागल हो गई थीं. चाची कामुक आवाज करने लगीं और मेरे बालों को अपने हाथों से खींचने लगीं.
मैंने अपनी जीभ उनके छेद से अन्दर डाली और अन्दर बाहर लपलपाने लगा. वो मेरे सर पर हाथ फेरते हुए मुझे शाबाशी देने लगीं. थोड़ी देर के बाद उन्होंने मेरा सर अपनी जांघों के बीच अपनी टांगों से कसकर दबाया और पानी छोड़ दिया, जिसे मैंने पास रखे एक कपड़े से साफ कर दिया.
बाद में मैंने चाची से पूछा- कैसा लगा?
वो बोलीं- तू तो खिलाड़ी निकला.
फिर मैंने उन्हें मेरा लंड चूसने को कहा, तो वो मना करने लगीं. फिर मेरी जिद पर वो राजी हुईं, लेकिन धोने के बाद चूसने का कहा. मैंने लंड को धो लिया. उन्होंने अपने हाथ से मेरे लंड की खाल ऊपर नीचे किया और मुँह में ले कर धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगीं. मुझे ऐसा लग रहा था कि जिंदगी में इससे ज्यादा मजेदार बात और कोई हो ही नहीं सकती. मैं आनन्द के सागर में गोते लगा रहा था.
फिर एक दो बार करने के बाद उन्हें शायद अच्छा नहीं लगा, तो उन्होंने मुझे चोदने की कला सिखाई.
चाची ने कहा- पास में तेल रखा है, उसे मेरी चूत और अपने लंड पे डाल और लंड को चूत में डालने की कोशिश कर … अगर दिक्कत हो तो रुक जाना.
मैं वैसा ही करने लगा मगर लंड अन्दर जाने की जगह फिसल जा रहा था. तो मैंने हाथ से पकड़कर चूत के द्वार पर रखा और हल्का सा दबाब बनाने से मेरे लंड का टोपा खाल को छोड़ते हुए अन्दर चला गया. मुझे एक तीव्र दर्द हुआ.
मैंने उन्हें बताया और बाहर निकालकर दिखाया, तो वो बोलीं- कुछ नहीं यहां एक टांका होता है, वो टूट गया. थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा, तू लगा रह.
मैंने दोबारा अन्दर डाला और धीरे अन्दर डालने लगा. कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड चाची की चूत में अन्दर चला गया. मुझे उनकी गर्म चूत की गर्मी महसूस होने लगी.
उन्होंने कहा- अब अन्दर बाहर कर.
मैं लंड को चूत में अन्दर बाहर करने लगा. इस काम में मुझे और भी मजा आ रहा था. थोड़ी देर बाद मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
थोड़ी देर बाद मैंने उनसे कहा- चाची, मेरा निकलने वाला है.
उन्होंने बोला- लंड बाहर निकाल लो.
मैंने ठीक समय पर बाहर निकाल लिया. थोड़ी देर में हमने दूसरी पारी का मैच प्रारम्भ किया. इस बार मैंने उन्हें कुतिया बनाकर पीछे से चोदा. पूरी चूचियों से लेकर चूत तक पूरी मजेदार प्रक्रियाएं दोबारा कीं.
इस बार मैं लंबे समय उनसे भी ज्यादा देर तक टिका रहा. जब उन्होंने अपना पानी छोड़ा, तब उनकी चूत से पच पच की आवाज आने लगी. चाची और मैंने पूरे मजे के साथ दोबारा चुदाई का खेल खेला.
उस दिन उन्होंने मुझे सारी सावधानियां बताईं और कसम खिलाई कि कभी किसी के साथ जबरदस्ती ये सब नहीं करेगा. अगर कोई स्वयं करने को कहे, तब भी पहले पहले सब देख पक्का कर लेना. वादा कर ये सब बातें बाहर किसी हो पता न लगने पाएं.
मैंने वादा किया.
आगे उस पूरे हफ्ते में दो तीन बार और चुदाई करवा के उन्होंने मुझे एक्सपर्ट बना दिया, जिसके बाद मैं शहर वापस आ गया.
कुछ दिनों के बाद मेरे पेरेंट्स ने मुझे हायर एजुकेशन के लिए बाहर ग्वालियर भेज दिया, जहां मैं एक किराए के घर में रहा. वहां चाची की दी गई शिक्षा और वादे को ध्यान में रखते हुए मैंने बड़े मजे किए और कइयों को मजे दिए. क्योंकि सेवा करने का मौका मिला.
उन सब के बारे में अगली कहानी में लिखूंगा. अब मैं गांव कम ही जा पाता हूँ तो चाची से मुलाकात ज्यादा नहीं हो पाती, लेकिन जब भी होती है, तो अच्छे तरीके से होती है.
ये हिंदी सेक्स कहानी यहीं खत्म होती है. मुझे उम्मीद है कि आपको पसंद आई होगी. मैं आशा करता हूँ कि आप मुझे सुझाव या कोई मशविरा मेल के जरिए जरूर भेजेंगे.
अगली कहानी में मैं अपनी पहली चुदाई, जो मैंने चाची के बाद किसी के साथ की थी. उसके बारे में बताऊंगा, जो इससे कई गुना ज्यादा रसीली सेक्सी होगी.
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