सलाम वालेकुम दोस्तो, मैं बिलकिस बानो, आपको तो याद ही होऊँगी, तो दोस्तो, बात ऐसी है कि पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि मेरे घर में सामूहिक चुदाई का हंगामा मचा हुआ था और मेरे घर के सभी लोग नंगे एक साथ एक ही पलंग में सोये हुए थे. घर का दरवाजा शायद खुला हुआ था और तभी कोई अनजान आदमी घर में घुस गया था और हम लोगों को ऐसी हालत में देख लिया था.
मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कोई अनजान आदमी घर के दरवाजे में खड़ा है और हम सबको आश्चर्यचकित नज़र से देख रहा था.
मैं उठ कर वैसे ही नंगी उसके पास जाकर बोली- क्या देख रहा है हरामी? कभी नंगी लड़की नहीं देखी क्या? और चाहिए क्या है तुझे? किसी के घर में ऐसे ही घुसा चला आ रहा है?
शायद वो मुझे जानता था इसलिए इतने आराम से बात कर रहा था. मेरे पूछने पर उसने जेब से मोबाइल निकला और मेरी एक तस्वीर खींच ली, मेरे चुचे दबाए और हाथ से मोबाइल लेकर मेरा नम्बर अपने मोबाइल में ले लिया और धीरे से कान में बोला- दोपहर में चार बजे कॉल करूँगा।
फिर उसने मेरे अब्बा से मिलने के लिए पूछा- क्या ये उन्ही की दुकान है, मुझे एक लहंगे में कारीगरी करवाना है.
मैंने उसे फटकारते हुए कहा- कैसे मुँह उठा के चले आते हो सुबह सुबह?
तो उसने कहा- किस दुनिया में हैं मोहतरमा? दोपहर के बारह बज चुके हैं, दो घंटे से दुकान खुलने का इंतजार कर रहा हूँ.
मैं भाग के अंदर गयी, कपड़े पहने और उसे दुकान में बैठा कर अब्बा अम्मी को जगाने चली गयी. एक बजे अब्बा ने नाश्ता करके दुकान खोली और उस लड़के से मिले.
मुझे उस लड़के में रस आने लगा था, बार बार दुकान की तरफ जाती और उसे देखने लगती।
वो आराम से अब्बा को ‘क्या काम चाहिए’ समझा रहा था
फिर मैं अपने अन्तर्वासना वाले दोस्त से हैंगऑउट में चैट करने लगी.
बैडमैन- बिना कपड़ों के बड़ी सुन्दर दिखती हो.
मैं- धन्यवाद! तुम कहाँ देखा मुझे?
बैडमैन- तुमने ही तो अपनी फोटो दी है.
मैं- कौन सी फोटो दी है मैंने?
तो उसने सुबह वाली फोटो मेरे को भेजी। मैं देख कर शरमा भी गयी और गुस्सा भी आया कि वो मेरे ही घर में था और मुझे पता भी नहीं चला. मैं दौड़ के अम्मी के पास गयी और उनको बताया तो वो खुश हो कर बोली- जा अंदर बुला ला, चाय नाश्ता करा!
मैंने उसे अंदर बुलाया और अब्बू को हिंट कर दिया की यह वही नेट वाला फ्रेंड है. तो अब्बू ने भी धीरे से कातिलाना मुस्कान दे कर उसे अंदर भेज दिया।
अंदर लाकर मैंने उस पर खूब गुस्सा किया- सुबह से आये हो, बताया क्यों नहीं?
तो उसने बोला- अगर पहले से बता देता तो ये ख़ुशी देखने को कैसे मिलती?
फिर मैं उसे अपने कमरे में ले गयी और अम्मी को नाश्ता वहीं लगाने को बोल दिया और उससे पूछा- लस्सी पियोगे या दूध?
तो उसने मेरे दूध और चूत को दबाते हुए बोला- मैं तो दोनों पीने आया हूँ, लहंगा तो बहाना है, मुझे तो तुमको चोदने का मन कर रहा है इसलिए आया हूँ.
यह सुन कर मैं उसकी गोद में जाकर बैठ गयी और बैडमैन को किस करने लगी, वो भी मेरे कुर्ते में हाथ डाल कर मेरी पीठ सहला रहा था.
इधर कमरे में नाश्ता ले कर अम्मी की जगह भाभी आ गयी और चीखते हुए अम्मी को आवाज़ लगा के बोली- अम्मी, देखो बानो घर में क्या कर रही है.
मैं हड़बड़ा कर उठी तो देखा भाभी थी, भाभी से पूछा- तुम कब आयी?
तभी अम्मी आ गयी और भाभी बोली- अभी आयी हूँ पांच मिनट पहले! तेरे भाई जान छोड़ कर काम पर गए हैं. देखो अम्मी, घर में किसके साथ चिपकी हुई है.
अम्मी चाय नाश्ता बिस्तर में रख कर भाभी को बाहर ले गयी और कहा- तू चल, मुझे मालूम है क्या हो रहा है.
और पिछले महीने भर की दास्ताँ उसे बता दी.
उधर अब्बू लहंगे में खुद कारीगरी में लग गए, अम्मी और भाभी किचन में जाकर खाना बनाने लगी.
मै बैडमैन को नाश्ता करा कर फिर से उसके साथ गोद में बैठ गयी और लिपटकर उसे किश करने लगी. बैडमैन मेरे कपड़े उतारने लगा, मैं भी उसके शर्ट की बटन खोल के उसके कपड़े उतारने लगी. और वो मुझे किश करने लगा.
हम दोनों के ऊपर के कपड़े उतर चुके थे, गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी मैंने, बैडमैन ने उसे भी अपने दांतों से पकड़ कर उतार दिया और मेरे चूचों को चूसने लगा. मुझे ज्यादा मस्ती छाने लगी थी, मैं उसकी पैन्ट की चैन खोल के उसके लंड को बाहर निकल कर हाथ से हिलाने लगी, जिससे वो और जोर जोर से मेरे चूचों को काटने लगा और चूसने लगा.
मुझे दर्द होने लगा था, मैंने बैडमैन को धक्का देकर वहीं बिस्तर में गिरा दिया और उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
ये सब करते शायद कोई देख रहा था, वो कोई और नहीं, मेरी भाभी थी, जो बैडमैन ने ही मुझे इशारा करके बताया. वैसे तो मुझे अब्बू और भाई जान के आठ इंच के लंड लेने की आदत थी पर पता नहीं आज इस 6 इंच के लंड का मज़ा अलग आ रहा था.
मैंने भाभी को अंदर आने का इशारा किया और पूछा- भाभी, तुमको भी चुदवाना है क्या? वैसे भी दो महीने से मायके में थी, तुम्हारी भी चूत में आग तो जरूर लगी होगी।
भाभी कुछ बोली तो नहीं, उनका मन जरूर था और वो वहाँ से चली गयी.
फिर मैंने बैडमैन की पैन्ट को उतार के उसके ऊपर चढ़ कर फिर से उसका लंड चूसने लगी. वो मेरी सलवार उतार के मेरी पैन्टी नीचे कर के मेरी चूत में उंगली करने लगा और जीभ लगा कर चाटने लगा.
मेरी चूत ने जल्दी ही पानी छोड़ना शुरू कर दिया पर बैडमैन मानने को तैयार ही नहीं था कि वो मेरी चूत छोड़े. मैं भी उसके लंड को जोर जोर से चूसने लगी और वो भी तड़पने लगा. और थोड़ी देर में हम दोनों एक साथ झड़ गए.
फिर हम दोनों उठे और पूरे कपड़े उतार कर फिर से बिस्तर में लेट गए. बैडमैन मेरे ऊपर लेट गया और मुझे लिप-किश करने लगा, मेरे चूचों को दबाने लगा. मैं भी उसके लंड को हाथ से पकड़ के दबाने लगी.
फिर बैडमैन ने मेरे माथे पर किश करना शुरू किया, धीरे धीरे मेरे गले में किस करते करते मेरे चूचों को दबाने लगा, फिर मेरे और नीचे आते आते मेरी नाभि में अपनी जीभ घुसा के चूसना शुरू कर दिया और एक उंगली मेरी चूत में डाल कर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. इससे मेरी हालत ख़राब होने लगी और मैं चिल्लाने लगी- अब मुझे चोद दो … बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मैंने उसको धक्का दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसकी छाती में किस करने लगी और अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ने लगी. इससे उसको भी जोश चढ़ना शुरू हो गया और फिर नीचे से लंड को मेरी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा. तो मैं उसका साथ देते हुए उठी और उसके लंड में अपनी चूत सेट कर के बैठ गयी और ऊपर नीचे हो कर धक्के लगाने लगी.
बैडमैन ने भी नीचे धक्के लगाना शुरू कर दिया. 5 मिनट तक इस पोजीशन में चुदाई के बाद मैं घोड़ी बन गयी और बैडमैन मुझे बिस्तर के कोने में लेकर खड़े खड़े मुझे घोड़ी की तरह चोदने लगा था, बड़ा ही आनंद आ रहा था.
वो मेरे ऊपर धीरे से झुक कर मेरे दोनों चूचों को दबा कर चुदाई कर रहा था, मज़ा भरपूर आने लगा था.
कुछ देर चुदाई करने के बाद उसने लंड डाले डाले ही मुझे सीधा करके पीठ के बल लेटा दिया और मेरे ऊपर लेट कर चुदाई करने लगा. इस पोजीशन में वो बार बार चुदाई करते हुए रूक जाया करता, मुझे गुस्सा आता, चिढ़ भी होती और चुदाई का मन भी बढ़ता. और जैसे ही वो धक्के लगाना शुरू करता तो पहले से ज्यादा मज़ा आने लगता था.
इन सारी प्रक्रियाओं में मैं तीन बार झड़ चुकी थी और अब बैडमैन भी झड़ने की कगार में था. तभी उसने अपना लंड निकाल के मेरे मुँह में डाल दिया और जोर जोर से धक्के मारने लगा और एक मिनट बाद उसने अपना पूरा माल मुझे पिला दिया. मैंने भी उसे चाट चाट कर साफ कर दिया।
अम्मी ने खाने के लिए आवाज़ दी तो मैं बैडमैन को लेकर बाहर चली गयी. फिर घर के सारे सदस्यों के साथ हमने खाना खाया और बैडमैन और मैं मेरे रूम में आ कर आराम से लेट गए और रात की प्लानिंग करने लगे.
बैडमैन शायद बहुत थका हुआ था तो वो सो गया और मैं भी साथ में सो गयी.
शाम को पांच बजे मेरी नींद खुली तो देखी कि वो सो रहा है और मेरी भाभी उसके लंड के साथ खेल रही है, चूस रही है.
मेरे को उठती देख कर अचानक से भाभी चली गयी, मैं भाभी को आवाज़ लगाती रही पर वो नहीं रुकी।
मुझे जो प्लानिंग बैडमैन ने बताई थी वो मैंने अम्मी को बता दी, अम्मी सुन कर बहुत खुश हुई.
फिर मैं बैडमैन को आसपास के इलाके में घुमाने चली गई. हम दोनों थोड़ी मस्ती रास्ते में करते रहे, फिर नौ बजे घर आए और सब लोग खाना खा कर बैठ गए.
अब्बू, अम्मी, भाई, भाभी मैं और बैडमैन सब बैठे हुए थे.
मैं बोली- अब्बू, चलो गैंग बैंग करते हैं.
तो तीनों आदमी आश्चर्य से देखने लगे.
भाई ने पूछा- ये क्या होता है?
तो मैंने और अम्मी ने कहा- हम सब एक साथ नंगे हो जाएंगे और आपस में एक दूसरे की चुदाई करेंगे, जिसको जैसे चोदना है चोद सकता है. एक के साथ तीनों या तीनों के साथ एक!
सुन के तो सबको मज़ा आ रहा था पर सबकी हालत ख़राब थी क्योंकि सब के लिए यह पहली बार था.
पहले तो सबने अपनी अपनी वाली को पकड़ लिया और अलग अलग किश करने लगे. अब्बू ने अम्मी को, भाई ने भाभी को और बैडमैन ने मेरे को!
अब्बू ने अम्मी के कपड़े सीधे उतार दिए और उनकी ब्रा में हाथ डाल कर उनके चूचे दबाने लगे और उनके गले में और कान में किस करने लगे. अम्मी भी अब्बू के लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगी और 69 पोजीशन में आकर अब्बू का लंड चूसने लगी.
भाई और भाभी भी एक दूसरे से चिपक गए. भाभी भाई की बनियान उतार के अपने हाथ से सहलाने लगी, भाई भी उनके चूचों को रगड़ में मसलने में लगा था. फिर भाभी ने भाई के लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और भाई उसकी चूत में उंगली करने लगा.
मैंने बैडमैन के पूरे कपड़े उतारे और लंड मुँह में लेकर चूसने लगी और वो तड़पने लगा. मैं जैसे जैसे उसका लंड चूसती, वो वैसे वैसे मेरे बाल पकड़ के अपनी तरफ खींचता जाता और मेरे चूचों को दबाता जाता.
फिर वो उठ कर मेरे कपड़े फाड़ कर उतारने लगा. जैसे ही उसने मेरे कपड़े फाड़े, सब लोग आश्चर्य से देखने लगे.
फिर उसने मुझे नीचे लेटा कर मेरे मुँह में अपना लंड रख दिया और मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया. इससे अब मेरी भी हालत ख़राब होने लगी और मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा कर जीभ से मेरी चूत चोदने लगा. मैं अपने हाथों से अपने दूध दबाने लगी, मेरे मुँह से निकलने लगा- याल्ला … रहम कर! ऐसी चूत चुसाई तो मेरे अब्बू ने भी नहीं करी कभी!
मेरी हालत देखकर अम्मी और भाभी भी उत्तेजित होने लगी और अब्बू भाई को ज्यादा परेशान करने लगे.
फिर बैडमैन ने पास में रखी इत्र की शीशी से इत्र निकल के एक बूँद मेरे चूत में डाल कर अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. इत्र की ठंडक और लंड की गर्माहट का ऐसा अनोखा मिलन मेरे लिए नया अनुभव था.
बैडमैन मुझे नीचे लेटा कर ऊपर मेरे ऊपर अपना पूरा वजन डाल कर चुदाई कर रहा था. ऐसा लग रहा था कि आज मेरी जान निकल जाएगी. तभी भाभी ने आकर मेरे मुँह अपनी चूत रख दी और बैडमैन भाभी के चूचे चूसने लगा.
उधर भाई अब्बू के साथ अम्मी की चूत और गांड मारने में लग गए.
तभी भाभी मुझे हटा कर बैडमैन के सामने घोड़ी बन गयी और वो भाभी की चूत में इत्र डाल कर चोदने लगा. मैं भाभी के नीचे लेट कर उसके दोनों चूचों को दबा दबा कर मसलने लगी. भाभी मेरी चूत का रसपान करने लगी.
बैडमैन बहुत बेदर्दी से मेरी भाभी की चुदाई कर रहा था, मुझे भी देखकर चुदाई का मन कर रहा था. मैं भी उठी और भाभी के बगल में घोड़ी बन गयी. और फिर बैडमैन 5-5 7-7 शॉट दोनों की चूत में मार कर चुदाई करने लगा. जैसे चूत से लंड निकल कर भाभी की चूत में डालता, मैं तड़प उठती. वही हाल भाभी का भी हो रहा था पर मज़ा बहुत आ रहा था.
हम सब की इस सामूहिक चुदाई में दो बज गये. सभी लोग पसीने से तरबतर थे और सेक्स का अलग ही आनंद मिला था सबको। फिर सभी लोग अपने अपने कमरे में जा कर सो गए, बैडमैन मेरे कमरे में सोया और सुबह में उसके साथ एक राउंड और चुदाई का प्रोग्राम चला.
चुदाई के आखिरी दौर में मेरी भाभी अन्दर आ गयी और चुदाई के बाद बैडमैन का लंड चूसने लगी.
थोड़ी देर बाद बैडमैन नहाने चला गया, बैडमैन के लहंगे का काम पूरा हो चुका था.
वो नहा कर निकला तो अम्मी ने उसे मस्त बादाम केशर वाला दूध पिलाया, भाभी ने नाश्ता कराया।
अब्बू ने उससे कारीगरी के पैसे भी नहीं लिए. फिर वो चला गया. जाते जाते उसने मुझे किश किया और जोर से मेरे चुचे दबाये और मैंने उसके लंड को पकड़ कर हिला दिया और जोर से हंस पड़े.
दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी कहानी?
बैडमैन के मेल आईडी पर मेल कर दें, मेरी आईडी किसी कारणवश बंद हो गयी है.
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