नमस्ते दोस्तो, मैं रूपा एक बार फिर से अपनी सहेली के ब्वॉयफ्रेंड से अपनी स्कूल सेक्स की हिंदी कहानी में आपका स्वागत करती हूँ.
पिछले भाग
चूत की प्यास सहेली के बॉयफ्रेंड से बुझवाई-2
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं कंप्यूटर लैब में अपनी सहेली के ब्वॉयफ्रेंड अभिषेक की गोद में बैठ कर उससे कंप्यूटर चलाना सिखाने की कहने लगी थी.
अब आगे की स्कूल सेक्स की हिंदी कहानी:
मैंने अभिषेक का हाथ की-बोर्ड पर रख दिया.
एक मिनट के लिए तो वो थोड़ा कुछ समझ ही न सका, लेकिन अब कोई लड़की किसी लड़के को गोद में अगर खुद बैठेगी, तो कौन लड़का मना कर सकता है.
फिर वो तो अभिषेक था, उसको तो स्कूल के टीचर्स का भी डर नहीं था.
वरना कोई और लड़का होता, तो सबसे पहले यही बोलता कि अगर कोई आ गया, तो क्या होगा … तुम उठ जाओ … ये वो …
लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं बोला और मुझे बड़े प्यार से बताने लगा.
कुछ देर बाद मैंने अपनी स्कर्ट थोड़ी ऊपर कर ली, जिससे मेरी जांघ और थोड़ी नंगी दिखने लगी.
मैंने अपनी शर्ट एक बटन और खोल दिया. वैसे भी उस बटन में मेरी क्लीवेज कुछ ज्यादा ही दिखती थी … और एक बटन खोलने के बाद तो मेरे दूध और ज़्यादा दिखने लगे.
शर्ट के नीचे मैंने वाइट जालीवाली ब्रा पहनी थी. वो भी ऊपर से अभिषेक को दिख रही थी.
अब उसका भी ध्यान भटकने लगा और उसकी नज़र बार बार मेरी चूचियों की बीच की घाटी और मेरी आधी खुली नंगी जांघ पर जाने लगी.
इसके बाद धीरे धीरे करके मैंने थोड़ा बहुत समझने के बहाने हिलना शुरू कर दिया. जिससे अभिषेक का लंड मुझे कुछ और ज़्यादा ही चुभने लगा.
लंड की ये चुभन मुझे काफी पसंद आ रही थी.
इसी तरह बताते बताते अभिषेक ने एक बार गलती से मेरी जांघ पर हाथ रख दिया, तो उसने तुरंत ही हटा दिया.
मैं उसकी तरफ देख कर बोली- भूत हूँ क्या मैं … जो तुमको इतनी दिक्कत होती है मुझसे?
वो कुछ नहीं बोला और मैं मजे से अपनी पीठ को उसकी छाती से रगड़ते हुए वापस प्रोजेक्ट पर काम करने लगे.
इस बार टाइप करके अभिषेक ने जानबूझ कर मेरी जांघ पर हाथ रखा और सहलाने लगा.
मैंने कुछ नहीं कहा.
अब जब भी वो हाथ नीचे करता तो मेरी जांघ पर ही रख देता और सहलाने लगा.
आज थोड़ा ही आज प्रोजेक्ट बन पाया था क्योंकि ये काम बहुत बड़ा था और किताब से उसके बारे में देखना भी था.
फिर जब मैं उसकी गोद से उतरी, तो उसने अपने लंड को सही किया और अंगड़ाई लेकर बोला- मेरी फीस!
आज अभिषेक ने मुझे ज़्यादा सुख दिया था और ज़्यादातर प्रोजेक्ट उसने ही बनाया था. मैं तो बस उसको बनाता देख रही थी.
इस हिसाब से आज उसका मेहनताना ज़्यादा हुआ था.
पहले तो मैंने अभिषेक की शर्ट का एक बटन खोला और उसके सीने पर एक ज़ोर की लव बाईट दिया … मतलब काट लिया.
उसके बाद मैंने उसकी मर्दाना छाती को चूमा और उसके छाती को सहलाने लगी.
चूंकि वो कुर्सी पर बैठा था और मैं खड़ी थी, तो मैंने उसको उठा कर अपनी छाती से लगा लिया और उसका मुँह मेरी चुचियों के बीच दबा लिया.
उसके बाद मैंने उसके दोनों गालों पर एक एक लंबा से किस किया और इठलाते हुए बाहर चली आयी.
इस तरह मुझे उस दिन अभिषेक की गोद में बैठ कर पढ़ने में बहुत मज़ा आया.
ये सब करने के बाद आज रात को मुझे बड़ी सनसनी हो रही थी. उस सबको याद करके मैंने अपनी चुत को सहलाया और पानी निकाल कर सो गई.
मुझे आज बहुत अच्छी नींद आयी.
अगले दिन मैंने एक लाल रंग की लिपिस्टिक को अपने बैग में रख लिया और स्कूल चली गयी.
मैं दिन भर बस मैं वही गेम पीरियड का इंतज़ार करने लगी.
आज लंच टाइम में मेरी कंप्यूटर टीचर आईं और मुझे लैब की चाबी देते हुए बोलीं- तुम दोनों आज जाकर अकेले प्रोजेक्ट बना लेना, मुझे कुछ काम है. ये चाबी ध्यान से तुम अपने पास रख लेना और वहां से वापस आते टाइम लॉक कर देना. चाबी छुट्टी में मुझे दे देना. इसी तरह रोज़ तुमको ऐसा करना होगा … क्योंकि मुझे आजकल ऑफिस का कुछ ज्यादा काम मिल गया है, तो मैं वहीं रहूंगी.
मैम के जाने के बाद मैं एकदम प्रफुल्लित हो गयी और मैंने ये चाबी वाली बात मानसी को नहीं बोली.
वरना वो मुझसे चाबी लेकर लैब चली जाती और अभिषेक को बुला कर ये दोनों वहां भी शुरू हो जाते.
फिर गेम पीरियड शुरू होने से पहले ही मैं लैब में चली गयी. चाबी से ताला खोल कर और अन्दर जाकर सजने लगी.
सुबह जो मैं घर से लाल लिपिस्टिक लायी थी, उससे पहले मैंने अपने होंठ खूब लाल कर लिए, इसके बाद मैंने अपनी स्कर्ट और ऊपर चढ़ा कर बांध लिया और अभिषेक के आने का इंतज़ार करने लगी.
कुछ देर बाद जब वो आया, तो आज फिर से मैंने अकेले का बहुत लाभ उठाया.
आज फिर से अभिषेक के शर्ट के अन्दर अपनी लाल होंठों का निशान छोड़ दिया.
इसी तरह कुछ दिन और बीते और रोज ही मेरी चुत पानी छोड़ने लगी थी. उसको अभिषेक के लंड के घुसने का इंतजार था.
अब तक बारिश का मौसम आ गया था. इस मौसम में कभी हम तीनों सामूहिक गोला मारते, तो कभी स्कूल की तरफ से बारिश के चलते छुट्टी हो जाती थी.
एक दिन मौसम सुबह से ही खराब था, लेकिन बारिश नहीं हो रही थी.
हमारा स्कूल 8 बजे का था. हम तीनों तो वैसे भी 06:50 तक स्कूल आ जाते थे.
चूंकि तब तक कोई आया नहीं हुआ होता था. इसका फायदा उठा कर मानसी और अभिषेक रोमांस करते थे.
मैं उन दोनों का ध्यान रखती थी.
उस दिन भी मैं निकली और स्कूल के पास पहुंचते ही बारिश बहुत तेज़ हो गयी.
बारिश इतनी तेज आई थी कि मैं पूरी तरह भीग गयी.
जल्दी से भाग कर मैं अन्दर चली गयी और देखा तो वहां अब तक सिर्फ झाड़ू लगाने वाली आंटी आयी थीं.
मैं अपनी क्लास में चली गयी और बैग से किताबें निकाल कर देखने लगी कि कोई भीगी तो नहीं.
हालांकि बारिश के मौसम में मैं किताबों को पन्नी में रख कर लाती थी.
कुछ देर बाद मैं क्लास से बाहर आ गयी और बालकनी में खड़ी हो कर ग्राउंड में देखने लगी कि अभी और कोई आया कि नहीं.
तभी मैंने देखा कि अभिषेक बाइक से अन्दर आया.
वो भी पूरी तरह से भीग चुका था.
उसने स्टैंड में बाइक को खड़ी की और सामने वाली बिल्डिंग में चला गया. शायद उस बिल्डिंग का मेन दरवाज़ा अभी नहीं खुला था … क्योंकि वहां का चपरासी दूसरा था.
अभिषेक दरवाजा बंद देख कर वापस हमारी बिल्डिंग में आने लगा.
तो मैंने उसको आवाज़ देकर अपने पास बुला लिया.
वो मेरी क्लास में आया और बोला- तुम कब आयी?
तो मैंने बताया कि मैं तो 07 बजे के करीब आ गयी थी. तुम इतनी बारिश में भीगते हुए क्यों आ गए?
वो बोला कि एक टीचर ने उससे एक बुक मंगाई थी, तो उसी को देने के लिए आया था. लेकिन अब देखो इतनी तेज बारिश हो रही है, शायद कोई ना आये.
तभी झाड़ू वाली आंटी ने मेन गेट बंद कर दिया और ऊपर आ गई.
वो हम दोनों से बोलीं- अरे तुम बच्चा लोग इतनी बारिश में क्यों आ गए?
मैंने कहा- जब मैं निकली थी आंटी, तब बारिश रुकी थी … और स्कूल के पास आकर फिर से पानी बरसने लगा. अब वापस जाना ठीक नहीं था.
अभिषेक ने भी अपनी किताब वाली बात आंटी को बता दी.
वो बोलीं- ठीक है … इस कमरे में बैठ जाओ … और जब बारिश रुक जाए तो छोटे वाले गेट से चले जाना. क्योंकि अभी प्रिंसिपल का फ़ोन आया था और वो बोले हैं कि आज स्कूल बंद कर दो. इसी वजह से बड़ा गेट बंद कर दिया.
इतना बोल कर आंटी चली गईं.
उनके लिए स्कूल में ही किनारे एक कमरा बना था, जिसमें वो अकेले ही रहती थीं. वो स्कूल की रखवाली के लिए थीं.
उनके जाने के बाद अभिषेक क्लास के अन्दर गया और उसने अपनी शर्ट उतार कर टांग दी.
फिर वो नीचे से भी नंगा हो गया था.
उसका भीगा शरीर मुझे उस बारिश की ठंड में भी गर्म करने लगा था.
अभिषेक ने बेल्ट उतार कर बैग में रखा और उसने अपने जूते मोज़े भी उतार दिए.
वो मुझसे बोला- तुम भी ये भीगी शर्ट उतार दो … वरना बीमार पड़ जाओगी.
मैंने सोचा कि क्यों ना आज ही काम कर लिया जाए, जो करना है आज ही कर लेती हूँ. क्योंकि स्कूल बंद हो चुका है, तो अब कोई आएगा भी नहीं … और बारिश अभी ऐसी हो रही है कि जल्दी बंद भी नहीं होगी.
अब बची सिर्फ झाड़ू वाली आंटी … तो वो अब इधर शायद नहीं आएंगी … और अगर आ भी गईं और उन्होंने कुछ देख भी लिया, तो मैं उनका मुँह पैसा देकर बंद कर दूंगी.
क्योंकि एक बार हमारे क्लास की एक लड़की को आंटी ने एक लड़के से चुदवाते हुए बाथरूम में पकड़ लिया था. लेकिन उस लड़की ने आंटी को सौ रुपया देकर उनको चुप करा दिया था.
ये बात अब तक किसी को नहीं पता चली थी.
ये सब सोचते हुए मैंने भी अपनी शर्ट को उतार कर टांग दी.
आज मैंने पिंक रंग की ब्रा पहनी थी. फिर मैंने भी अपने जूते और मोज़े उतार दिए.
अभिषेक मुझे शायद पहली ही बार ब्रा में देख रहा था और उस ब्रा में मेरी 34 की चुचियां काफी हद तक खुली ही थीं.
उस पर अभिषेक की नज़र गड़ी हुई थी.
कपड़े उतारने के बाद हवा तेज़ चल रही थी और भीगे होने के वजह से मुझे इतनी ज़्यादा ठंड लगने लगी कि मेरे दांत बजने लगे.
अभिषेक ने मुझे ठंड से कांपते हुए देखा, तो उसने मुझे पीछे वाली सीट पर बुला लिया और मुझे अपनी गोद में बिठा कर करके जकड़ लिया.
वो मेरे दोनों हाथों के अपने हाथों के बीच में रगड़ने लगा और मुँह से भाम्प देने लगा.
इससे मुझे थोड़ी गर्मी महसूस हुई, तो कुछ देर बाद मैं उठी और अभिषेक की तरफ मुँह करके उसकी गोद में बैठ गयी और उसके गले से लग गयी.
अभिषेक ने भी मुझे अपनी बांहों में भर लिया और भाम्प छोड़ने लगा.
उसके मुँह की गरम भाम्प मेरे गालों पर लग रही थी. वो एक हाथ से मेरे बालों से बैंड निकाल कर मेरे सर को सहलाने लगा और दूसरे हाथ से मेरी पूरी नंगी पीठ को सहलाने लगा.
इससे धीरे धीरे अभिषेक के पैंट में भी हलचल होने लगी.
फिर मुझसे जब रहा नहीं गया, तो मैंने अपने होंठों को अभिषेक के होंठों पर रख कर उसके होंठों का रस पीने लगी.
कुछ ही सेकंड बाद अभिषेक भी मुझे बेतहाशा चूमने लगा.
अभी लगभग दो ही मिनट हुए होंगे कि उसने अपना मुँह पीछे खींच लिया और मुझे उठा कर खुद अलग खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया.
कुछ मिनट तो मुझे समझ नहीं आया कि हुआ क्या है … फिर मुझे लगा कि मानसी की वजह से अभिषेक मेरे साथ कुछ नहीं कर रहा है.
मैं उसके पास गई और पीछे से जाकर मैं उसकी पीठ से चिपक गयी और उससे पूछा- क्या हुआ?
अभिषेक- ये सब गलत है क्योंकि ऐसा करके मैं मानसी को धोखा दे रहा हूँ.
मैं- धोखा कहां … मैं तुमको उसको छोड़ने को तो नहीं बोल रही हूँ. मुझे अभी तुम्हारी बहुत जरूरत है, क्योंकि शायद मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ और ये मुझे मालूम है कि मैंने गलत किया है. क्योंकि मैंने अपनी ही सहेली के साथ गलत किया है तो क्या करूं. अब प्यार ये सब देख कर तो होता नहीं है.
मैंने आगे कहा- वैसे भी इस उम्र में तुमको भी शारीरिक ज़रूरत है. ये चीज़ तुम्हें तुम्हारी जीएफ नहीं देती है. अभी तो सब ठीक है … लेकिन आगे चल कर इसी वजह से तुम दोनों में कभी दूरी आ सकती है, जिसको मैं पूरा करके बस मैं तुम दोनों के बीच की कड़ी बनना चाहती हूँ. मैं तुम्हें कभी किसी चीज़ के लिए नहीं कहूंगी क्योंकि हमेशा से तुम पर पहला हक़ मानसी का ही होगा.
मेरे इतना बोलने के बाद अभिषेक को समझ आया, तो उसने मेरी तरफ घूम कर मुझे अपने गले से लगा लिया और अब वो खुद ही से मेरे होंठों को चूमने लगा.
मैं भी उसका साथ देने लगी.
इस बात से मैं काफी उत्साहित हो गई थी कि मेरी अपनी चुत चुदाई की तमन्ना अब पूरी होने के कगार पर आ पहुंची है.
अपनी स्कूल सेक्स की हिंदी कहानी के अगले भाग में मैं चुदाई का रस लिखूंगी. मेरे साथ बने रहिए और मुझे मेल करना न भूलें.
आपकी रूपा
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स्कूल सेक्स की हिंदी कहानी का अगला भाग: चूत की प्यास सहेली के बॉयफ्रेंड से बुझवाई-4
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