देसी भाभी सेक्सी स्टोरी में पढ़ें कि रात को घूमते हुए एक परेशान सी भाभी मुझे सड़क पर मिली. मैंने उसकी मदद की. उसके बाद कैसे क्या हुआ, कहानी में खुद जानें.
सभी अन्तर्वासना प्रेमियों का मेरी इस कहानी में स्वागत है. मेरा नाम नीरज (बदला हुआ) है। मैं एक गरीब परिवार से हूं. मैं लखनऊ में एक ऑफिस में काम करता हूं.
मैं आपको अपनी एक सेक्स घटना बताने जा रहा हूं. मुझे उम्मीद है आपको इस देसी भाभी सेक्सी स्टोरी पढ़ने में मजा आयेगा.
ये उन दिनों की बात है जब मैं एक कमरा लेकर रहता था. रूम में मैं अकेला ही रहा करता था.
जिन्दगी सही चल रही थी.
मैं ऑफिस से आकर खाना बनाता था और फिर खाना खाकर देर शाम को घूमने के लिए निकल जाता था.
मेरे कमरे के पास ही एक जगह थी जिसका नाम था पॉलीटेक्नीक चौराहा. जो लोग लखनऊ से हैं वो उस जगह को जानते होंगे.
एक दिन मैं ऐसे ही वहां पर घूमने गया हुआ था. मुझे उस दिन वहां पर एक भाभी दिखी. देखने में काफी सुन्दर थी. शादीशुदा स्त्री के सभी शृंगार किये हुए थे उसने. काफी आकर्षित कर रहा था उसका हुस्न.
मेरा भी मन डोलने लगा. इच्छा हुई कि उस खूबसूरत नारी से जाकर कुछ बात करने की कोशिश करूं.
मगर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी. फिर मैं कुछ देर अपने ही विचारों में डोलता रहा.
फिर वो चलकर आगे की ओर जाने लगी. वहां पर आगे लोहिया अस्पताल था.
कुछ दूर चलने के बाद वो रुक गयी. उसने पीछे पलटकर देखा तो मैं भी वहीं रुक गया.
फिर वो कुछ पल तक यूं ही खड़ी रही. कभी आगे देखती तो कभी पीछे मेरी तरफ देखने लगती.
उसने फिर इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली- क्या बात है? मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?
मैंने कहा- मैं आपको काफी देर से खड़ी देख रहा था. मुझे लगा कि आप कुछ पेरशानी में होंगी इसलिए पूछने चला आया.
वो बोली- हां, मुझे आगे के लिए सवारी नहीं मिल रही थी. इसलिए मैं हॉस्पिटल की तरफ जा रही थी.
पूछने पर उसने बताया कि वो पास में ही बाराबंकी में रहती है.
मैंने पूछा- तो आप इतनी रात को क्यों जा रही हो, कुछ काम था क्या आपको? या कहीं से आ रही हो?
पहले तो वो बताने से मना करने लगी और बात को टालने लगी. फिर मैं उसके साथ ही चलता रहा.
पहले मैंने उससे प्यार से बात की और उसका भरोसा जीता.
फिर वो बताने लगी- मेरा पति पानी-पूरी का ठेला लगाता है. वो रोज दारू पीकर आता है. अभी हमारी नयी नयी शादी ही हुई थी. मैं उससे तंग आ गयी हूं और अपने घर जा रही हूं.
मैं बोला- मगर आप इतनी रात को कैसे जाओगी? यहां से कोई साधन नहीं मिल रहा. मैं तो आपको यही सलाह दूंगा कि आप अपने पति के पास ही चली जाओ अभी, कल सुबह अपने मायके चली जाना.
वो बोली- नहीं, मैं अपने पति के पास तो हरगिज नहीं जाऊंगी. चाहे मुझे कैसे भी रात गुजारनी पड़े. क्या आप मेरी मदद कर सकते हो? मुझे आप किसी तरह मेरे घर पर पहुंचा दो, आप जो कीमत मांगोगे मैं देने के लिए तैयार हूं.
उसकी बात सुनकर मेरे अंदर चुदाई के ख्याल आने लगे. खूबसूरत भाभी थी और शादी भी नयी नयी हुई. उसकी जवानी बहुत गर्म होगी.
ये सोचकर ही मेरा मन बेईमान होने लगा.
मैं बोला- ठीक है, मगर मेरे पास बाइक है. क्या आप मेरे साथ बाइक पर चलना पसंद करोगी?
वो बोली- हां, मुझे कोई परेशानी नहीं है. मैं बाइक पर चलने के लिए तैयार हूं.
बस फिर मैं उसको वहीं छोड़ गया और अपने रूम पर जाकर बाइक ले आया. उसको मैंने बाइक पर बैठाया और फिर हम उसके गांव की तरफ चल पड़े जो देवा में था.
चूंकि रोड खराब था इसलिए बाइक चलाते हुए बार बार झटके लग रहे थे. उन झटकों की वजह से वो सरक सरक कर बिल्कुल मेरी पीठ से चिपक ही गयी थी.
उसके शरीर की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी.
मैंने उसे अच्छे से पकड़ कर बैठने को बोला तो उसने अपना एक हाथ आगे कर लिया और मेरी जांघ पर रख कर मुझसे सट कर बैठ गयी.
मेरा लंड तो टन्न से खड़ा हो गया. इतना कोमल हाथ था और वो भी जांघ पर … लंड के बिल्कुल पास.
मेरे लंड में तो बिजली सी दौड़ने लगी. बार बार झटके देने लगा था.
मैं बाइक को अब धीरे धीरे चलाने लगा क्योंकि मुझे उसके स्पर्श का ज्यादा देर तक मजा लेना था.
फिर किसी तरह से हम डेढ़ घंटे के बाद उसके घर पहुंच गये. उसके घर में उसकी बूढ़ी मां ही रहती थी.
जब मैं उसको छोड़कर वापस चलने को कहने लगा तो उसने मुझे रोक लिया.
वो बोली- बहुत रात हो गयी है. इलाका बहुत सुनसान है. आपका इस तरह से रात में अकेले जाना ठीक नहीं होगा. आप रात को यहीं पर रुक जाओ, कल सुबह चले जाना.
मैंने मना किया तो वो जोर देने लगी.
फिर मेरे मन में भी लालच आ गया कि शायद क्या पता ये भी चुदना चाह रही हो और इसीलिए मुझे रात को अपने घर रोक रही हो?
उसने मुझे खाना लाकर दिया. उसने खुद भी खाना खाया और फिर सारा काम करके अपनी बूढ़ी को मां को सुला दिया.
उसके बाद उसने मुझे मेरा कमरा दिखा दिया.
मैं अंदर जाकर लेट गया लेकिन मुझे पराई जगह में नींद नहीं आ रही थी. मैं जागता रहा.
दस मिनट के बाद वो रूम में आकर देखने लगी तो मैं जाग रहा था.
मुझे सोता हुआ न पाकर वो मेरे पास आ बैठी.
उसने बोला- आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपने मुझे इतनी रात को इतनी दूर लाकर मेरे घर छोड़ा. मैं आपका ये अहसान कैसे उतारूंगी? आप जो कहोगे मैं बदले में करने के लिए तैयार हूं.
अब मेरे मन ने सोचा कि केवल यही एक मौका है निशाने पर तीर मारने का. आज ये अकेली भी है और अपने ही घर में है. जो कहूंगा वो करने के लिए भी तैयार है. मुझे इस मौके को खोना नहीं है.
मैंने सीधे शब्दों में कहा- मुझे आप चाहिए हो. बस मेरी यही इच्छा है.
मेरी ये बात सुनते ही उसको जैसे सांप ही सूंघ गया.
मैं भी थोड़ा डर गया कि कहीं ये बात का बवाल न बना दे इसलिए मैंने समय रहते पलटी मारी.
उसका हाथ पकड़ कर मैंने कहा- माफ करना भाभी, मैं भावनाओं में आकर ये सब बोल गया. मुझे माफ कर दीजिये.
मगर अगले ही पल उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख लिया और मुस्कराते हुए बोली- नहीं, मुझे बुरा नहीं लगा. जब मैंने आपको ज़बान दी है तो मैं अपना वादा भी निभाऊंगी.
ये कहकर उसने मेरे हाथ को सहलाना शुरू कर दिया.
मगर पता नहीं क्यों मुझे उसके निश्छल बर्ताव पर प्यार आ गया और मैंने कहा- ठीक है, मैं तो आपका मन देख रहा था. मुझे माफ करें. मैं आपके साथ जबरदस्ती में कुछ नहीं करना चाहता. ये पाप होगा. अगर आपके मन में भी कुछ है तो आप मुझे किसी दिन लखनऊ में मिलना.
वो मेरे चेहरे की ओर देखती रह गयी.
फिर मुस्कराकर उसने मुझे गुड नाइट कहा और अपने कमरे में सोने चली गयी.
मैं चैन की नींद से सो गया.
फिर अगले दिन उसने मुझे नाश्ता करवा कर घर भेजा.
मैं अब लखनऊ वापस आ चुका था. उसने मुझे नम्बर दे दिया था. वैसे मेरे मन में भी उसे चोदने की आग लगी थी मगर फिर भी मैंने खुद पर किसी तरह से कंट्रोल रखा और उसके कॉल का इंतजार करता रहा.
एक दिन उसका फोन आया और वो बोली- मैं लखनऊ में आ चुकी हूं. आपसे मिलना चाहती हूं.
मैंने कहा- और तुम्हारा पति?
वो बोली- वो कहीं पर पीकर पड़ा होगा. मुझे नहीं पता वो कहां है.
मैंने टाइम देखा तो दोपहर के 1 बज रहा था. तेज गर्मी के दिन थे और सब लोग उस समय अक्सर झपकी ले रहे होते हैं.
मैंने कहा- ठीक है, अपने घर का पता मुझे बता दो.
उसने मुझे अपने पति के घर का पता बता दिया.
मैं जल्दी से बिना देर किये उसके बताये हुए पते पर पहुंच गया.
उसने दरवाजा पहले से ही खुला रखा हुआ था.
साथ मैंने एक बैग ले लिया था और लग रहा था कि जैसे मैं कुछ सामान देने आया हूं.
मेरे अंदर जाते ही उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. उनका घर छोटा ही था. केवल दो कमरे और एक रसोई और बाथरूम था.
वो मुझे बेड वाले रूम में ले गयी और दरवाजा बंद करते ही मुझसे लिपट गयी.
मैंने भी उसको बांहों में भर लिया और उसके नर्म कोमल जिस्म को मैंने फूलों की तरह सहलाना शुरू कर दिया.
मेरे हाथ उसके पूरे बदन पर फिरने लगे और वो जैसे मेरी बांहों में ही मोतियों की माला सी मोती मोती करके टूटने लगी. उसके बदन की गर्मी हर पल के साथ बढ़ती जा रही थी.
उसकी पीली सिल्की साड़ी के अंदर से उसकी पतली कमर पर फिरते मेरे सख्त हाथ उसको पिघला रहे थे.
मुझसे तो रुका नहीं गया और मैंने उसकी साड़ी खोलना शुरू कर दिया.
मेरे होंठ उसके होंठों पर जा लगे जिनका स्वागत उसने बहुत ही प्यार से किया और पूरा साथ देते हुए मेरे होंठों से होंठ मिलाकर चुम्बनों का आदान प्रदान करवाने लगी.
धीरे धीरे हम दोनों एक दूजे में खो गये. चूमते हुए ही मैंने उसकी साड़ी खोल दी थी और पेटीकोट का नाड़ा भी.
जैसे ही पेटीकोट नीचे गिरा उसकी कोमल जांघें नंगी हो गयीं और वो नीचे से केवल पैंटी और ऊपर से ब्लाउज में रह गयी.
जब मैंने उसको इस अवस्था में देखा तो मेरा दिमाग भन्ना गया. ऐसा नजारा तो मैंने पोर्न फिल्मों में भी नहीं देखा था.
ब्लाउज में फंसे उसके चूचे और नीचे से केवल उसकी गोरी जांघों पर चूत पर ढकी पैंटी … ओह्हो … मैंने सीधा नीचे बैठकर उसकी चूत को ही चूम लिया.
उसकी चूत से हल्का रस बाहर निकल आया था जिसकी खुशबू पैंटी में फैल चुकी थी. मैंने उसकी पैंटी को चूस डाला और उसकी चूत की फांकें अब साफ नजर आने लगीं क्योंकि पैंटी गीली हो गयी थी.
मुझसे अब रुका न गया और मैंने उठकर उसका ब्लाउज जल्दी से उधेड़ खींचा और उसकी चूचियों को भी नंगी कर लिया. उसकी चूचियों को मुंह में लेकर चूसते हुए मैं उसे बेड की ओर पीछे धकेलता हुआ बेड पर लेकर गिर गया.
उसकी चूचियों को जोर जोर से दबाते हुए पीने लगा. फिर नीचे चाटते हुए पेट से होकर नाभि चूसी और फिर उसकी पैंटी उतार फेंकी. वो भाभी अब पूरी की पूरी नंगी थी.
एकदम अप्सरा जैसा बदन. बिल्कुल शेप में कटा हुआ था. कहीं कोई कमी नहीं. उसकी जांघों के बीच में उसकी छोटी सी सांवली चूत और उस पर छोटे छोटे हल्के बाल.
बहुत कामुक नजारा था. ऐसी भाभी चोदने को मिलेगी मैंने कभी न सोचा था. फिर मैंने अपने कपड़े भी उतार फेंके और मैं भी पूरा नंगा हो गया. मेरा काला नाग उसके सामने लहरा रहा था.
मैंने उसको लंड चूसने का इशारा किया.
तो उसने मना कर दिया.
मैंने भी जोर नहीं दिया क्योंकि पहली बार का काम था.
फिर मैंने उसको लेटाया और उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखवा कर उसकी चूत में मुंह दे दिया.
जैसी ही मेरी जीभ उसकी चूत में घुसी वो एकदम से सिहर उठी.
उसने बेड की चादर को दोनों मुट्ठियों में भर लिया और नोंचने लगी. उसको खींचने लगी मगर उसकी चुदास शांत होने की बजाय और भड़क रही थी.
दो मिनट में ही वो गर्दन को पटकने लगी और फिर बोली- डाल दो अब … इतनी देर मत करो, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है और मेरा बेवड़ा पति कभी भी आ सकता है.
मैंने भी मौके की नजाकत समझी और उसकी चूत पर लंड का सुपारा टिका दिया. मैंने उसकी चूत पर लंड रखकर एक धक्का दे दिया.
मेरा लंड उसकी चूत में सरकता हुआ अंदर चला गया.
भाभी की सील पैक चूत तो नहीं थी लेकिन ज्यादा खुली हुई भी नहीं थी.
उसकी चुदाई करते हुए मुझे मजा आने लगा.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और वो भी ओह्ह … आह्ह … आह्ह … की सिसकारियां लेते हुए चुदने लगी.
अब मेरी चोदन गति पांचवें गियर में आ गयी और मैंने ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी.
मस्त चूत चोदने को मिली थी इसलिए ज्यादा देर टिक नहीं पाया और पांच सात मिनट में भाभी की चूत में खल्लास हो गया.
वीर्य छूटने के कुछ देर तक तो वो होश में नहीं थी लेकिन फिर जब उसको होश आया तो उसने मुझे जल्दी से उठने के लिए कहा और खुद को भी संभाला.
फिर हम दोनों ने फटाक से अपने कपड़े पहने और मैं वहां से चुपके से चेहरा छिपाकर निकल गया.
उस दिन के बाद से भाभी की चुदाई मैंने कई बार की.
कई बार तो उसने मुझे अपने घर पर बुलाया. कई बार मैंने उसको उसके रूम पर बुलाया. उस रात का कर्ज उतारने के लिए वो मुझसे कई बार चुदी. फिर उन लोगों ने वहां से मकान बदल लिया.
उसके जाने के बाद उसका नम्बर भी बंद हो गया और फिर वो सिलसिला वहीं खत्म हो गया.
मगर भाभी की चूत मुझे भुलाये नहीं भूलती. उसने उस रात का कर्ज चुका दिया था लेकिन उसकी चूत का अब मैं कर्जदार हो गया था.
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आपसे अनुरोध है कि आप देसी भाभी सेक्सी स्टोरी के बारे में भी बतायें कि आपको ये स्टोरी कैसी लगी. मुझे आपके कमेंट्स और मैसेज का इंतजार रहेगा.
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