नमस्कार मित्रों, मैं मेरठ से विकास कुमार आपके लिए एक अधूरी मस्ती लेकर आया हूँ. अभी मैं अविवाहित हूँ. मेरा रंग सांवला है, कद 6 फुट है, मैं बहुत रोमांटिक हूँ. मैंने अभी बी.ए पास किया है.
यह कहानी दो साल पहले की है. मेरे साथ में पढ़ने वाली एक लड़की थी, जिसका नाम निशा था. वो एक सुंदर और संस्कारी परिवार से थी लेकिन ऐसी बात नहीं थी कि वो बहुत ही सीधी हो. वो देखने में तो एकदम गोरी थी, लेकिन जब मेरे साथ उसकी रात कटी तब पता चला कि वो क्या चीज़ थी.
बात उन दिनों की है, जब हमारे पेपर खत्म होने वाले थे. बात तो हमारी रोजाना ही होती रहती थी लेकिन खुल कर कोई भी बात नहीं हो पा रही थी.
एक दिन उसने बोला- विकास, कल विज्ञान का पेपर है और मुझे बायोलॉजी में कुछ ख़ास नहीं आता है. क्या कल तुम मेरी थोड़ी हेल्प कर दोगे?
तो मैंने उससे झट से हाँ बोल दिया. उसने कहा कि कल घर आ जाना, वहीं पर एक साथ पढ़ाई करेंगे.
यह कहानी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं.
अगले दिन मैं तैयार होकर उसके घर निकल पड़ा. उसके घर जाते हुए मेरे मन में कई ख्याल आ रहे थे.
मैंने घर जाकर बेल बजाई तो सामने से आंटी जी ने दरवाज़ा खोला. मैंने नमस्ते की, उन्होंने कहा कि निशा अन्दर अपने कमरे में है और मेरा इन्तज़ार कर रही है.
मैं कमरे में गया, वो अपने बिस्तर पर बैठी पढ़ाई कर रही थी. वो लाल कलर के टॉप और काले कलर की जीन्स में क़यामत लग रही थी.
हमने बैठ कर पढ़ाई शुरू कर दी.
थोड़ी देर बाद आंटी जी चाय बना कर ले आई और बोलीं- निशा, मैं पड़ोस में जा रही हूँ थोड़ी देर बाद आ जाउंगी, कुछ चाहिए तो फ़ोन कर देना.
निशा ने गर्दन हिला दी और पढ़ने लगी.
कुछ देर बाद मैंने कहा- निशा, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ.
वो भी तपाक से बोली- मैं भी!
मैंने पूछा- तुम क्या कहना चाहती हो?
वो बोली- पहले तुम बताओ.
मैंने कहा- तुम बहुत सुंदर हो और मुझे बहुत अच्छी लगती हो.
वो जोर से हंसी और कहने लगी- इसमें क्या नई बात है.
मैं चुप हो गया. फिर मैंने पूछा- तुम क्या कहना चाहती हो?
उसने मेरी आँखों में देखा और बोली- बुद्धू कोई लड़की, एक लड़के को बुलाकर अकेले में.. जब घर में कोई नहीं है तो जोक सुनाने के लिए बुलाती है क्या?
मेरा मुँह खुला का खुला रहा गया. मैं समझ गया कि ये तो खुला बुलावा है.
मैंने कहा- तो गेट बंद कर दूं?
उसने कहा- अब तक तो तुम्हें बंद कर देना चाहिए था.
मैंने झट से गेट बंद कर दिया.
उसके बाद जैसे ही मैं पीछे मुड़ा, मैंने देखा कि वो खड़ी हो गई है, उसकी आँखों में एक अजीब सी प्यास थी, मानो वो मुझसे बोल रही हो कि विकास आओ और मुझमें समां जाओ.
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ, कहाँ से शुरू करूँ?
निशा बोली- अब उल्लू की तरह आँखें फाड़ कर देखते रहोगे या मेरे पास भी आओगे?
मैंने पूछा- निशा ये रूप कौन सा है.. आज तक तुम्हें मैंने ऐसे नहीं देखा है.
वो बोली- पागल.. तुमने मुझे अभी देखा ही कहाँ है.. आ जाओ.
मैं उसके पास गया, उसने मुझे होंठों पर किस किया. वो मेरी ज़िन्दगी का पहला किस था. मैं मस्त हो गया था और मेरा सामान भी मस्त हो गया था.
उसको मस्त देख कर निशा बोली- ये क्या है विकास?
मैंने कहा- ये वो चीज़ है.. जिससे मस्ती आती है.
वो बोली कि मुझे मस्ती चाहिए.
मैंने उसके कपड़े उतारने चाहे, लेकिन उसने कहा- पहले तुम उतारो.
मैंने कहा- दोनों साथ उतारेंगे.
मैंने उसके कपड़े उतारे, उसने मेरे उतारे. उसका नंगा बदन देख कर मैं पागल हो गया. उसके मम्मे काफी बड़े थे और निप्पल छोटे थे.
मैंने पूछा- किसी को चुसवाए अभी तक या नहीं?
वो बोली- तुम पहले हो, जो इन्हें चूसोगे और अब बात नहीं, सीधे शुरू हो जाओ.
मैंने उसको चूसना शुरू किया. ‘ऊऊऊहह.. आऐईई.. उईई..’ की आवाज़ से कमरा गूंज गया. वो मस्त होने लगी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी. वो पूरी मस्त हो चुकी थी, मेरा सामान भी सलामी दे रहा था.
मैंने ज्यादा समय नहीं लगाया. अपना सामान उसकी चूत में डालने की कोशिश करने लगा, उसको बिस्तर पर चित लेटा कर उसकी टांगों के बीच में बैठ कर मैंने सुपारा उसकी चुत की फांकों में फंसा कर धक्का लगाया, वो तो एकदम से कूद सी गई.
मैंने कहा- क्या हुआ?
उसने बोला- दर्द होता है.
मैंने कहा- कोई आयल या क्रीम है.. बड़ा टाइट जा रहा है.
वो बोली- वैसलीन उधर रखी है.
मैं जाकर ले आया. अपने लंड पर खूब सारी लगा कर मैं दोबारा से शुरू हो गया. इस बार मुश्किल से थोड़ा सा लंड अन्दर गया, वो चिल्ला उठी.
मैंने कहा- मज़ा लेना है तो थोड़ी सी सजा तो भुगतनी पड़ेगी.
उसने मुस्कुरा कर हामी भर दी.
मैं अपने काम में लगा रहा, थोड़ी देर बाद मेरा आधा सामान अन्दर था.
उसने कहा- आह.. रुको दर्द हो रहा है.. अब और मत डालना..
मैंने सोचा चलो पहली बार में इतना ही काफी है. अब मैंने अपना काम शुरू किया, लेकिन वो दर्द से चिल्लाये जा रही थी.
मैंने सोचा अपना काम निपटा लेता हूँ.. ये तो एक बार चिल्लाएगी ही. शायद मैंने जल्दी कर दी, मुझे पहले इसे गरम करना चाहिए था.
मैंने दस मिनट में अपना काम ख़त्म किया और कपड़े पहन लिए.
निशा नंगी लेटी थी, बोली- ये क्या हुआ? मज़ा तो आया ही नहीं!
मैंने कहा- तुम चिल्ला क्यों रही थीं?
वो बोली- यार पहली पहली बार था.. इसलिए.
मैंने कहा- अब कपड़े पहन लो, आंटी आती ही होंगी.. हम अगली बार टाइम ज्यादा मजा लेंगे और जगह भी दूसरी देखेंगे, तब बताना मज़ा आया या नहीं.
मैंने अपनी किताबें उठाईं और अपने घर की तरफ चल दिया. निशा को दूसरी बार चोदने और मज़े देने के लिए तैयारी जो करनी थी.
पहली चुदाई की कहानी कैसी लगी दोस्तो? मज़ा आया न? यदि हाँ तो इस कहानी का हॉट और तड़कता पार्ट 2 जल्दी ही लिखूंगा. आपका अपना विकास कुमार मेरठ.
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