नमस्कार मित्रो … मेरा नाम साहिल चौहान है. मैं एक बिज़नेस फैमिली से सम्बन्धित हूँ, मैं राजस्थान जोधपुर का रहने वाला हूँ.
मेरी हाईट 5 फुट 11 इंच है और मेरे लंड का साइज 7 इंच है.
यह मेरे साथ हुई एक सच्ची घटना है. मेरी बहुत दिनों से इच्छा थी कि कॉलेज टीचर के साथ सेक्स की अपनी कहानी लिखूं.
ये सेटीचर की सेक्सी चुदाई कहानी तब की है, जब मैं जोधपुर के एक कॉलेज से मास्टर्स कर रहा था.
मेरी कॉलेज में एक लेक्चरर थीं, जिनका नाम पुरवा परिहार था. वो बड़े ही कातिल हुस्न की मालकिन थीं. उनकी चूचियों का साइज 36 इंच था, चूतड़ 38 इंच के, हाईट 5 फुट 2 इंच की थी.
वो साइंस डिपार्टमेंट में थीं और मैं कॉमर्स का स्टूडेंट था.
हमारी मुलाकात मिड टर्म के इम्तिहानों के दौरान उस वक्त हुई थी, जब वो मेरी परीक्षा की कक्ष निरीक्षक बन कर आयी थीं.
मैं एक पढ़ने में कमजोर लड़का था और पीछे की बेंच पर बैठने वाला स्टूडेंट था, एग्जाम में नकल किया करता था.
उस दिन भी हम कुछ छात्र नकल कर रहे थे लेकिन उन्होंने हमें ज्यादा नहीं रोका.
वो बहुत ही अच्छे स्वभाव की थीं.
फिर उनसे काफी वक़्त तक मुलाकात नहीं हुई और अब तक मेरे मन में उनको लेकर किसी तरह के गंदे विचार भी नहीं थे.
बात उस दिन की है जब मैं हमारे डिपार्टमेंट की एक लेक्चरर के साथ खड़ा था और पुरवा मेम का आना हुआ.
वो अपने हाथों में मिठाई लेकर आईं, उन्होंने वहां खड़े सभी लोगों को मिठाई खिलाई.
हमने मिठाई की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि उनकी सरकारी टीचर के रूप में नौकरी लग गई है और पहली ज्वाइनिंग राजस्थान के पाली जिले में मिली है.
मैंने उनसे पूछा- अगर आपको अपने ट्रांसफर से सम्बन्धित कोई काम हो तो मुझे बताइएगा, मैं अपने पापा से बात करके आपका काम करवा दूंगा.
उन्होंने मुझसे मेरा नंबर मांगा.
मैंने उनको अपना नंबर दे दिया.
उस शाम उनका मैसेज आया और हमारी सामान्य बात होने लगी.
शुरूआत में हमारे बीच औपचारिक बातें होती थीं.
फिर हम दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गए.
अब कुछ दोस्ताना बातें भी होने लगी थीं.
एक दिन मेम अपनी लाइफ के बारे में बता रही थीं और बातों के दरमियान ही वो थोड़ी संजीदा हो गईं.
उन बातों में मुख्य बात ये थी कि उनकी बहन उनकी शादी नहीं होने दे रही थी.
फिर मैंने उनको अपना मन शांत करने का कहा और तसल्ली दी.
उन्होंने मेरा शुक्रिया किया और हम एक दूसरे के और करीब आ गए.
धीरे धीरे हमारे बीच हंसी मजाक की बातें होने लगीं और न जाने कब सेक्स चैट होने लगी, पता ही न चला.
फिर बात बढ़ी तो मेम के साथ मेरी वीडियो कॉल पर सेक्स भी होने लगा.
ये सब धीरे धीरे ही हुआ था.
अब वो खुद अपनी तरफ से मुझे सेक्स करने का ऑफर देने लगी थीं.
शायद वीडियो कॉल पर उन्हें मेरा लंड पसंद आ गया था और उनकी दबी हुई वासना मेरे साथ मुखर होने लगी थी.
फिर कुछ दिनों बाद हमारा मिलने का कार्यक्रम तय हुआ.
मैंने शहर के एक अच्छे होटल में कमरे की बुकिंग करवाई. हम दोनों ने मिलने का वक़्त तय किया.
उस तय वक़्त पर मैं घर से बाहर जा रहा था, तभी पापा ने मुझे रोक लिया.
उन्होंने कहा- हमें एक मीटिंग अटेंड करनी है और अभी नागौर के लिए निकलना है.
मेरी योजना को पलीता लग गया था.
मैंने पापा को काफी समझाया कि आप चले जाएं, मुझे यहां बहुत जरूरी काम है.
पर वो नहीं माने और हम दोनों नागौर मीटिंग के लिए निकल गए.
रास्ते में मैंने मेम को मैसेज किया कि मैं नहीं आ पाऊंगा, मुझे पापा के साथ नागौर जाना पड़ रहा है.
उस समय वो होटल के अन्दर खड़ी थीं.
मेरी बात सुनकर उनको बहुत दुःख हुआ.
मुझे भी बहुत बुरा महसूस हो रहा था मगर मजबूरी थी.
फिर 4 दिन तक हमारी बात नहीं हुई.
वो मुझसे बहुत नाराज़ थीं.
मैंने उनसे बहुत बार सॉरी कहा, माफ़ी भी मांगी.
फिर मेम ने मुझे माफ भी कर दिया, वो मेरी मजबूरी को शायद समझ रही थीं.
लेकिन उन्होंने अब मेरे साथ चुदाई करने के लिए मना कर दिया था.
फिर कुछ दिन तक मेम से मेरी ऐसे ही सामान्य बातें हुईं.
एक दिन दोपहर में मैं उनसे बात कर रहा था तो उन्होंने उसी बात पर ताना मार दिया कि तुम उस दिन आए नहीं तुम पर क्या भरोसा करूं.
मैंने कहा- आप कहें, तो मैं अभी आ जाऊं.
मेम बोलीं- हां आ जाओ.
मैं उसी वक़्त ऑफिस से कार लेकर पाली निकल गया.
वहां पहुंच कर मैंने उन्हें कॉल किया.
उन्होंने अपनी लोकेशन भेज दी और मैं उस जगह पर पहुंच गया.
मेम के पास जाने से पहले मैंने कंडोम का पैकेट ले लिया था.
मेरी मेम से मुलाकात हुई. वो दिन का समय था. हम दोनों लंच करने गए.
लंच करने के बाद मैंने उनसे पूछा- क्या हम दोनों अभी कहीं अकेले में समय बिता सकते हैं?
मेम मुस्कुरा दीं और उन्होंने हामी भर दी.
मैंने नेट पर नजदीक में कोई होटल देखा और उधर कमरे के लिए बात की.
उधर से हां मिलने के बाद हम दोनों पास ही में बने उस होटल में आ गए.
वहां मैंने एक रूम लिया और कमरे में आ गए.
कमरे में बैठ कर हम दोनों बातें करने लगे.
बातों ही बातों में हम दोनों बेहद करीब आ गए; आपस में दूरियां कम होने लगीं, गर्म सांसें टकराने लगीं और हम दोनों के होंठ आपस में टकरा गए, एक सेक्सी सा किस होने लगा.
अचानक उन्होंने मुझे धक्का दे दिया और मुझे वो उसी पुरानी बात को लेकर कहने लगीं. मुझे जताने लगीं कि मैं तुमसे बहुत हर्ट हूँ.
मैंने उनको मनाया और गले से लगा लिया.
हग करने से वो मेरा साथ देने लगीं. हग करने के बाद दोबारा मैंने उन्हें किस किया.
इस दफा उन्होंने मेरा साथ दिया. अब हम दोनों दस मिनट तक किस करते रहे.
किस करते करते मैं उनके चूचों को सहलाने लगा.
इससे वो बहुत गर्म हो गईं और कामुक आवाजों के कराहने लगीं.
मेम की मस्त आवाजें ‘आंह … आंह …’ मुझे कामोत्तेजित करने लगीं.
मैं उनके चूचों को और भी बेरहमी से मसलने लगा.
वो मुझसे अपने चुचे धीरे दबाने का कहने लगीं.
थोड़ी देर में उनकी उत्तेजना चरम पर आ गयी और वो कहने लगीं- साहिल, प्लीज मेरी चूत में आग लगी है … तुम जल्दी से अपना अन्दर डाल दो … मुझसे अब नहीं रहा जा रहा है … आंह डालो प्लीज़ … आंह.
मैंने भी देर नहीं करना उचित समझा और उनकी जींस उतार दी.
उनकी गोरी गोरी जांघें मुझे मस्त करने लगीं और उनकी नशीली आंखों में एक अजीब सी मस्ती दिखने लगी.
मैं मेम की संगमरमरी जांघों को किस करने लगा.
उनकी टांगें खुलने लगीं और मैं उनकी टांगों के जोड़ पर अपनी गर्म सांसें छोड़ने लगा.
वो लगातार मेरे सर को सहला रही थीं और मैं उनकी चुत की महक को अपने नथुनों में भर कर मदांध होता जा रहा था.
फिर मैंने उनकी पैंटी भी उतार दी और उन्हें लिटा कर उनकी चूत को चाटने लगा.
वो कहने लगीं- आह साहिल … ये सब बाद में कर लेना … प्लीज अभी मेरी चूत में अपना लंड डालो.
मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार कर अपने खड़े लंड पर कंडोम चढ़ाने लगा.
वो कंडोम देख कर मुस्कुरा दीं.
मैंने मेम की आंखों में आई मुस्कान को सवालिया नजरों से देखा.
तो उनकी हल्की सी सरसराहट भरी आवाज निकली- आई लव यू साहिल … तुम्हें मेरा कितना ख्याल है.
मैंने भी उनके होंठों का चुम्बन लिए और उनके कान में सरसराहट से कह दिया- आई लव यू पुरवा.
उन्होंने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और मेरे गाल पर अपने दांतों के निशान देने लगीं.
अब तक मेरा लंड मेम की चुत पर दस्तक देने लगा था.
मैं अपने लंड से उनकी चूत पर गर्म अहसास देते हुए चुत को रगड़ने लगा.
मेम ने समझा कि अब मैं उनकी चुत में लंड पेलने वाला हूँ.
उन्होंने अपनी टांगें पूरी तरह से खोल दीं मगर मैंने लंड अन्दर नहीं पेला.
वो पागलों की तरह मुझसे विनती करने लगीं कि अब मत तड़फाओ … जल्दी से अन्दर डालो.
मैंने उनको ज्यादा नहीं तड़पाया और अपना खड़ा लंड उनकी चूत में डालने लगा.
मेरे लंड का थोड़ा ही भाग अन्दर गया था कि वो कराहने लगीं और लंड बाहर निकालने की विनती करने लगीं.
मेम की चुत में पहली बार लंड जा रहा था तो दर्द होना लाजिमी था.
मैं रुक गया और उतने ही लंड से मेम को गर्म करने लगा, उनके सामान्य होने का इन्तजार करने लगा.
वो कराहती रहीं और मैं उन्हें चूमता सहलाता रहा.
थोड़ी देर बाद वो शांत हो गईं तो मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा.
फिर से थोड़ा दर्द हुआ मगर अब वो दर्द कम होने लगा था.
मेरे साथ उनको भी अच्छा लगने लगा था और उनका दर्द कम होता गया.
अब मैंने पूरा लंड उनकी कसी हुई चूत में उतार दिया.
एक बार फिर से मेम की चीख निकल गयी.
मैं पूरा लंड चुत की जड़ तक पेल कर रुक गया. मैंने उनको किस किया और अपने होंठों से उनके होंठों को बंद कर दिया.
इससे उनकी आवाज़ दब गयी पर वो लगातार कसमसा रही थीं.
मेम मुझसे लंड बाहर निकालने का आग्रह करने लगी थीं.
मैंने उन पर काबू बनाए रखा था और उनके मम्मों को दबाता रहा था.
कुछ पल बाद वो अब मेरे नियंत्रण में आ गई थीं और चुप हो गई थीं.
मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए तो उनको मजा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगीं.
हर धक्के के साथ उनकी कराह मुझे मदहोश कर रही थी.
मैंने उनको उसी पोजीशन में 5 मिनट तक चोदा.
वो मस्त होकर नीचे से मुझे जोश देने लगी थीं.
मैंने मेम से कहा- मजा आ रहा है?
वो हंस कर मुझसे चूमती हुई बोलीं- हां बहुत … पहले तो तुमने मुझे मार ही दिया था. तुम्हारा बहुत अन्दर तक घुस गया था.
मैंने कहा- अब और मजा लेना है?
वो बोलीं- हां अभी तो शुरू हुआ है … क्या हुआ … क्या तुम निकल रहे हो?
मैंने कहा- नहीं मेरी जान, मैं अब तुम्हें दूसरी पोजीशन में पेलना चाहता हूँ.
वो खुश हो गईं और हामी भरने लगीं.
मैंने मेम को अपने ऊपर आने का बोला.
वो राजी हो गईं, मगर उनका मन ये था कि लंड चुत से बाहर नहीं निकलना चाहिए.
मैंने ओके कहा.
अब हम दोनों ने चूत में से लंड को निकाले बिना पोजीशन को चेंज किया.
मेम मेरे लंड के ऊपर आ गयी थीं. वो लंड की सवारी करने लगीं. उनकी आंखें बंद थीं और होंठों को दांतों से दबा कर मीठे दर्द का मजा ले रही थीं.
चुदाई में मुझे ये पोजीशन बहुत पसंद है.
मेरे सामने मेम के मम्मे मस्त उछल रहे थे.
मैं उनके मम्मों को अपने हाथ से पकड़ कर नीचे से अपनी गांड उठा कर मेम को चोद रहा था.
हर धक्के के साथ में नीचे से अपना तीव्र धक्का लगाता और उनके मुँह से कराह निकल जाती.
उनकी मदभरी आवाज मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी.
कोई पांच मिनट के बाद वो थक गईं और मेरे ऊपर गिर कर कहने लगीं- मेरा हो गया.
एक मिनट यूं ही मेम को अपने लौड़े पर लिटाए रख कर मैंने उनसे फिर से पोजीशन बदलने को कहा.
वो बोलीं- अब कैसे?
मैंने उनको घोड़ी बनने को कहा.
वो घोड़ी बन गईं और मैंने उनकी चूत में पीछे से अपना खड़ा लंड डाल दिया.
उनके बड़े बड़े चूतड़ मुझे मदहोश कर रहे थे.
मैं लंड चुत में पेल कर उनके चूतड़ों पर जोर जोर से तमाचा लगाने लगा.
हर तमाचे से उनकी चीख निकल जाती.
अब मैं झड़ने के करीब था.
मैंने उनसे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ.
वो कहने लगीं- हां मैं भी झड़ने वाली हूँ … जोर जोर से करो आह.
मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से उनकी चूत में लंड पेलने लगा.
कुछ धक्कों के बाद ही मेम झड़ गईं और उनके झड़ने की गर्मी से मैं भी झड़ गया.
कंडोम लगा था तो कोई फ़िक्र की बात नहीं थी.
मैंने चुत में लंड को डाले रखा, फिर लंड खुद ही बाहर आ गया
हम दोनों ने एक दूसरे को चिपकाया और लेट कर किस करते रहे.
उस रोज़ मैंने टीचर की सेक्सी चुदाई तीन बार की.
मैंने उनकी चुत भी चाटी और लंड भी चुसवाया.
फिर बांहों में बांहें डालकर करके सो गए.
आगे क्या हुआ, वो सब मैं आपको मेरी अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.