मेरी सहेली की चुदाई की इस कहानी में आपका स्वागत है. ‘ओह नो … इट्स हॉरीबल …’ मेरे मुँह से शब्द निकले. अन्दर जो हो रहा था, उसे देख कर मैं शॉक हो गयी थी. अन्दर दादाजी सोनल के पास बैठे थे और अपने हाथों से सोनल का गाउन ऊपर उठाया हुआ था. वे उसके पैरों पर अपने हाथ घुमा रहे थे.
धीरे धीरे उनका हाथ उसकी जांघों की तरफ बढ़ने लगा था. उनकी उंगलियां सोनल की पैंटी के बॉर्डर पर घूम रही थीं और एक उंगली उसकी चूत की दरार पर पैंटी के ऊपर घूम रही थी. कुछ ही पलों में उन्होंने अपना पूरा हाथ सोनल के त्रिकोणीय खजाने पर रखा और उसकी चूत को मसलने लगे.
मुझसे अब यह देखा नहीं जा रहा था. सोनल के चेहरे पर कुछ भी भाव नहीं थे, मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि सोनल सोई हुई है कि सोने का नाटक कर रही है. पर दादाजी को ऐसा कुछ करते देखकर मुझे बहुत शर्मिंदगी हो रही थी.
वैसे तो मैं थोड़ा एक्साईट भी हो गयी थी, पर उनको रोकना बहुत जरूरी था. मैंने रूम का दरवाजा जोर से खोला और अन्दर चली गई. दादाजी ने चौंक कर मेरी तरफ देखा. उनके चेहरे पर डर के साथ साथ चिंता के भाव थे. उन्होंने अपना हाथ सोनल की चूत के ऊपर से निकाला और सिर नीचे करके रूम के बाहर चले गए.
हैलो दोस्तो, मैं नीतू हूँ. मेरे घर में चार लोग हैं. मैं, माँ, पापा और मेरे दादाजी. दादाजी तो वैसे दिखने में दादाजी नहीं लगते थे, पर चूंकि वे रिश्ते में दादा लगते, तो उन्हें दादाजी ही बुलाना पड़ता था. पचपन साल के दादाजी दिखने में 45 साल के लगते थे. उनका बहुत ही कसरती बदन, हल्के सफेद बाल उन पर बहुत जंचते थे. उनको सिगार पीने की एक ही बुरी आदत थी. दादी उन्हें पिछले पंद्रह साल पहले ही छोड़ कर चली गई थीं, तब मैं सिर्फ 3 साल की थी. पर उन्होंने ही मुझे दादी और दादा दोनों का प्यार दिया था.
दीवाली का त्योहार था और उसी दौरान मेरी मामी का देहांत हो गया था. पापा तो सबको लेकर गांव जाने का प्लान बना रहे थे, पर माँ यह बोलकर मुझे नहीं ले गईं कि त्योहार में घर पे दिया-बाती कौन जलाएगा. इसलिए सिर्फ मम्मी और पापा ही गांव चले गए और दादाजी को मेरे साथ रुकने को बोला. माँ पापा तीन बजे की गाड़ी से गांव चले गए.
दादाजी अपने काम में व्यस्त थे, तो मैं पड़ोस की दोस्त सोनल के पास चली गई. सोनल मुझसे दो साल बड़ी थी. पर हम बचपन से ही साथ में बड़े हुए, इसलिए वह मेरी सबसे अच्छी सहेली थी. उसका हमारे ही कॉलोनी के राकेश के साथ अफेयर था और उसके बारे में किसी को कुछ खबर नहीं थी. पर वह मुझे सब कुछ बताती थी. उसने राकेश के साथ दो तीन बार चुदाई भी की थी, यह भी उसने मुझे बताया था और वह भी पूरे डिटेल में बताया हुआ था. वह जब सब बता रही थी, तो आपको क्या बताऊं … मेरी चूत का क्या बुरा हाल हो गया था.
उस दिन माँ, बाबा गांव चले गए थे तो मैंने ही उसे अपने घर सोने के लिए बुला लिया. उसके मम्मी पापा ने भी परमिशन दे दी. लगभग आठ बजे तक हम गप्पें लड़ाती रही, बाद में मैं अपने घर आकर खाना बनाने लगी, तब तक दादाजी भी घूमकर घर आ गए. हम दोनों ने खाना खाया, दादाजी टीवी देखने लगे. मैं भी साफ सफाई करके टीवी देखने लगी.
लगभग 9.30 को सोनल मेरे घर आई. हम थोड़ी देर हॉल में ही बैठे रहे, फिर दादाजी अपने रूम में चले गए और हम दोनों मेरे बेडरूम में आ गए.
तभी सोनल बोली- आज मौका अच्छा है … क्यों ना हम साथ में ब्लू फिल्म देखें.
वैसे तो मैंने पहले भी ब्लू फिल्म देखी थी, पर सब अकेले में देखी थीं, ज्यादातर बार ब्लू फिल्म सोनल ही मुझे दिया करती थी. कभी कभी हम दोनों ब्लू फिल्म कैसी थी और देखने के बाद क्या क्या किया, इस पर बातें भी किया करती थीं. इसलिए सोनल के साथ में ब्लू फिल्म देखने के लिए मैंने हां कर दी.
हमने लैपटॉप पर उसकी पेन ड्राइव पर लायी एक ब्लू फिल्म शुरू कर दी. उसमें दिखाए गए लेस्बियन चुदाई के दृश्य से हम दोनों काफी गर्म हो गई थी. एक घंटे की फ़िल्म देखते हुए ही मेरी पैंटी मेरी चूत के रस से पूरी गीली हो गयी थी.
मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने अपना हाथ अपनी सहेली की जांघों पर रखा, उसकी हालत भी बिल्कुल मेरी ही तरह थी. सोनल बेड पर लेट गयी और मुझे अपने ऊपर खींच लिया. सोनल के स्तन काफी बड़े थे, राकेश ने मसाज कर करके उन्हें काफी बड़े बना दिये थे.
अब मेरे स्तन उसके स्तनों के ऊपर थे, सोनल ने नीचे से मुझे बांहों में भर लिया और मुझे अपने शरीर पर दबाने लगी. मैं उसके शरीर की गर्मी महसूस कर रही थी. सोनल ने उसी अवस्था में पलट कर मुझे अपने नीचे लिटाया और मेरे ऊपर आकर लेट गयी. उसने अपने होंठ मेरे होंठों के नजदीक लाकर अपनी जीभ अपने होंठों के बाहर निकाली. फिर अपनी जीभ मेरे होंठों पर घुमाने लगी.
वह अपनी जीभ से मेरे होंठ खोलने की कोशिश करने लगी, जिससे मेरे होंठ भी अपने आप खुलने लगे थे. उसकी जीभ मेरे मुँह में घुस कर मेरी जीभ से खेलने लगी थी. उसने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ रखा था और उंगलियों से मेरे कानों से खेल रही थी. उसके नाजुक हाथ के स्पर्श से मैं भी पिघलने लगी और मैं भी अपने हाथ उसके सिर पर रखकर उसे अपने पास खींचने लगी.
मेरा रिस्पांस मिलते ही, वह और जोश में मेरे होंठों को चूसने लगी और मेरे ऊपर से हट कर मेरी बगल में आकर लेट गयी.
अब उसने मेरे चेहरे पर से अपना हाथ हटाया और उन्हें मेरे चुचों पर ले गयी. उसने गाउन के ऊपर से ही मेरी चुचियां मसलनी शुरू कर दीं. उसने अपना एक हाथ गाउन के गले से अन्दर डाला और मेरी नंगी चूची पर रख दिया. उसका स्पर्श होते ही मेरी बॉडी में कंपन होने लगी. उसने मेरे निप्पलों को अपनी उंगलियों में पकड़ कर दबा दिया.
आहहहह … क्या मस्त एहसास था वह …
फिर उसने मेरे दूसरे निप्पल को अपनी उंगलियों में पकड़कर मसला और अपने दूसरे हाथ से मेरी चुत को गाउन के ऊपर से ही मसलने लगी.
सोनल अब धीरे धीरे मेरा गाउन ऊपर खींचने लगी, उसके हाथों का स्पर्श मेरे पैरों को हो रहा था. फिर घुटनों को हुआ और अंत में उसका हाथ मेरी जांघों पर आकर रुका. उसका एक हाथ मेरी जांघों को सहला रहा था, तो दूसरा मेरे निपल्स को मसल रहा था, मैं आंखें बंद करके दबी आवाज में सिसकारियां भर रही थी. सोनल ने अब उसका हाथ मेरी जांघों से मेरी चुत की तरफ बढ़ा, तभी उत्तेजना की वजह से मेरी कमर उछल गयी.
मेरी पैंटी का परदा हटाकर अब सोनल की उंगलियां मेरी गीली चुत के इर्द गिर्द घूमने लगीं.
‘आहहहह …’ एक तेज उत्तेजना से मेरी सांसें तेज होने लगीं. क्या जादू था उसकी उंगलियों में कि मेरी चुत अब और पानी छोड़ने लगी. मेरा बांध छूटने लगा था, मैं झड़ने वाली थी, मैं झड़ना चाहती थी.
लेकिन … तभी सोनल ने मुझे रोक लिया. उसने अपनी उंगलियां मेरे ऊपर से हटाईं. क्या पता, उसे कैसे पता चल गया कि मैं झड़ने वाली हूँ? पर उसने अपनी उंगलियां मेरी शरीर से दूर कर दी थीं. उसके बदन की गर्मी भी मुझे महसूस नहीं हो रही थी. बैचैनी में मैंने अपनी आंखें खोलीं, तो सोनल बेड के पास खड़ी हुई थी.
उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और वो पूरी नंगी हो गयी थी. उसके गोल गोल रसभरे स्तन मेरी आंखों में चमक भर रहे थे. मेरी चुत को और गीला कर रहे थे, मेरी उंगलियों को अपनी ओर खींच रहे थे. मेरे होंठों को सुखा रहे थे. उसकी वह मादक काया, उसकी गहरी नाभि, उसके नीचे की बालों की लाइन, उसके नीचे हल्के बालों में छुपी उसकी चुत, उसकी भरी भरी जांघें, उसके गोल गोल नितम्ब, सभी मुझे उस पर सवार होने पर मजबूर कर रहे थे.
मैं भी बेड पर से उठी और अपने सारे कपड़े निकाल दिए. अब वह मेरे नंगे बदन को देख रही थी. उसकी नजर मेरे छोटे छोटे स्तनों पर टिकी थी. मेरी चुत पर लगे पानी से चमकते बाल देख कर उसकी भी आंखों में चमक आ गयी थी.
मेरी गहरी नाभि उसके आंखों की चमक को और बढ़ा रही थी. वह आगे बढ़ी और उसने मुझे कस कर बांहों में भर लिया. कोई मर्द किसी कमसिन कली को पहली बार नंगी देख कर जिस तरह बांहों में लेकर मसलेगा, उसी तरह वह भी मुझे मसल रही थी.
उसके हाथ मेरे पीठ पर, गांड पर घूम रहे थे. मैंने भी उसे कसकर गले लगाया. हम दोनों जैसे बिछड़े प्रेमी की तरह एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे. अब उसके नाजुक होंठों ने मेरे नाजुक होंठों पर कब्जा कर लिया था. बहुत देर तक हमारी जीभ एक दूसरे के साथ खेलती रही. सोनल ने अपने होंठ मेरे होंठों से हटाये और मुझे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया.
सोनल मेरे सीने पर बैठ गई, वह भी अपना चेहरा मेरे पैरों की तरफ करके … यह 69 की पोजीशन थी, जो कि मुझे सोनल ने ही बाद में बताया था. सोनल अब हल्के से आगे की ओर झुकी, उसका चेहरा धीरे धीरे मेरी कमर के नजदीक झुकने लगा. उसके दोनों हाथ मेरी जांघों को सहला रहे थे और उसके होंठ मेरी चुत के होंठों के नजदीक आ गए थे. उसकी जीभ किसी नागिन की तरह बिल में घुसने को बेताब थी.
उसने अपनी उंगली से मेरी चुत की पंखुड़िया खोलीं और मेरी चुत के दाने पर अपनी नुकीली की हुई जीभ से दंश मार दिया.
पहली बार किसी की जीभ का स्पर्श मेरी चुत को हुआ था, मेरी चुत ने सिकुड़कर उसके जीभ को आमंत्रित किया. उसकी जीभ मेरे चुत के दाने के ऊपर से घिसते हुए मेरी चुत के अन्दर घुस रही थी. मेरी चुत किसी झरने की तरह बह रही थी, मैं अपनी आंखें बंद करके उस पल का आनन्द ले रही थी.
मैंने आंखें खोलीं, तो मेरे सामने सोनल की चुत दिखी. हल्के भूरे बालों में छुपी हुई उसकी चुत, उसके अन्दर का उसका चुत का दाना, उसके दाने का थरथराना, उसकी चुत का खुल के बंद होना, यह सब मेरे कुछ ही इंच सामने देख सकती थी.
अचानक उसके चुत से रस की एक बूंद छूट कर मेरे आंखों के नीचे गाल पर पड़ी, फिर गालों पर से होते हुए मेरे होंठों के नजदीक से फिसलते हुए मेरी गर्दन की तरफ आ गयी. मैंने अपनी जीभ बाहर निकालते हुए मेरे होंठों के पास ले जाते हुए उसकी चुत के रस को चाटा ‘उम्म … यम्मी …’
उसके रस का स्वाद ने मुझे पागल बना दिया था.
मैंने उसकी कमर को हल्के से पकड़ा और नीचे खींचने लगी. जैसे जैसे उसकी कमर नीचे आ रही थी, उसकी चुत की मादक खुशबू मेरे नथुनों में भर रही थी. मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी कमर को नीचे खींचते हुए चुत को मेरे जीभ पर रख दिया.
अब मैं धीरे धीरे मेरी जीभ को उसकी चुत के अन्दर घुसाने लगी, सोनल भी अपनी कमर को हरकत में लाते हुए मेरी जीभ को अपनी चुत के अन्दर लेने लगी. मेरी चुत के अन्दर उसकी जीभ की अन्दर बाहर होने की स्पीड अचानक बढ़ने लगी और मैं तेज धार से झड़ने लगी.
मेरी चुत के रस की न जाने कितनी फुहारें सोनल के चेहरे पर उड़ीं. मेरा पूरा पानी निकलने तक वह मेरी चुत को अपने जीभ से छेड़ती रही.
फिर सोनल ने अपना मुँह मेरी चुत पर से हटा लिया और मेरे मुँह पर बैठते हुए अपनी कमर हिलाने लगी. मैं भी अपनी जीभ कड़ी करते हुए उसकी चुत में घुसाने लगी. सोनल मेरी जीभ को चुत में घुसाते हुए मेरे मुँह पर बैठ गई. वो फिर ऊपर हुई, फिर बैठ गई. वह मेरी जीभ का किसी लंड की तरह इस्तेमाल कर रही थी.
मैं जितना हो सकता था, अपनी जीभ से उसके दाने को छूने की कोशिश कर रही थी, जिसकी वजह से उसकी मुनिया थरथरा उठती थी.
कुछ देर बाद वह भी झड़ गयी, उसकी चुत का रस उसकी चुत से होता हुआ मेरे होंठों पर, गालों पर बरस रहा था. मैं उस रस को अपनी उंगली पर समेटकर उसे चाट रही थी. सोनल थक कर मेरे बदन पर गिर गई, हम दोनों कुछ देर वैसे ही पड़े रहे. हम दोनों की उत्तेजना जैसे ही कम हुई, वह मेरे ऊपर से उठ गई.
फिर हम दोनों बाथरूम में जाकर फ्रेश हुए और वापिस बेड पर आ गए.
उसने कपड़े पहने और मैंने भी पहन लिए और हम दोनों एक दूसरे की बांहों में सो गए.
सुबह मैं 5.30 बजे उठी. फिर फ्रेश हो कर जॉगिंग जाने को तैयार हो गयी. सोनल की तरफ देखा तो वह आराम से सो रही थी. उसकी हर सांस के साथ उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे. उन्हें देख कर फिर से उनको मसलने का मन हुआ, पर मैंने अपने आपको रोक लिया क्योंकि दादाजी भी लगभग उसी समय उठते थे.
फिर भी उसके पास जाकर उसके गाल को किस किया और बेडरूम के बाहर आ गयी. दादाजी के बेडरूम में देखा, तो वह अभी भी सो रहे थे. मैं जॉगिंग को चली गई.
कल रात को घटी घटनाओं को सोच कर मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी. मैं लगभग एक घंटे बाद वापस आ गयी. बेडरूम की पास गई तो अन्दर कुछ हलचल दिखाई दी.
ग्रैंडफादर सेक्स स्टोरी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: दादाजी ने मेरी सहेली की चूत मारी-2