नमस्ते दोस्तो, अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली कहानी है. मेरा नाम विजय है. वैसे तो मैं जयपुर से हूँ, लेकिन फाइनेंस बैंक में एरिया सेल्स मैंनेजर होने की वजह से पूरे राजस्थान में घूमा हूँ. मेरी लम्बाई 5 फुट 11 इंच है और मैं अभी 26 साल का हूँ. दोस्तो, मेरा लंड का साइज़, तो वो ही बता सकती है, जिसने इसकी सेवा ली है. अगर एक बार जिसने इसकी सेवा ले ली, वो कभी दूसरा लंड लेने की नहीं सोचेगी इतना मुझे खुद पर पूरा भरोसा है.
यह कहानी एक साल पहले की एक घटना से जुड़ी है. अभी अजमेर में ही मेरी पोस्टिंग है. बात पिछले पुष्कर मेले की थी, सर्दी का मौसम था. मेरी बुआ का लड़का, जिसकी शादी 2 साल पहले ही हुई है, वो हैदराबाद में चार मीनार के पास में रहता है. उसकी पत्नी सौम्या यानि मेरी भाभी का कॉल आया- भैया, मुझे पुष्कर मेला देखना है.
जैसा कि मैंने बताया कि मेरी पोस्टिंग अजमेर में ही थी. तो मैंने भाभी को बोल दिया- आप और भाई दोनों आ जाइए. मैं आपको पूरा मेला घुमा दूंगा.
लेकिन भाभी ने बोला कि वो यानि मेरे भुआ का लड़का तो बहुत व्यस्त रहते हैं दिन रात बस पैसे के पीछे भागते रहते हैं, तो मैंने सोचा कि मैं अकेले ही आ जाऊँगी. और आप तो हो ही वहां, मुझे मेले में घुमा भी दोगे.
मैंने कहा- ठीक है, पर एक बार आप उससे बात कर लेना और मैं भी बात कर लेता हूँ कि वो भी मेला घूमने आ जाए. इसी बहाने उससे मिल भी लेंगे.
वो बोली- ठीक है.. और अगर वो नहीं आये, तो मैं पक्का अकेले ही आऊँगी. देख लेना.. आप घुमा तो दोगे ना!
मैंने कहा- आ जाइए, मैं आपको सब घुमा दूंगा.
इतना कह कर उसने फ़ोन रख दिया. मैं भी इसको मजाक समझ कर भूल गया. लेकिन कुछ दिनों के बाद वापस भाभी का कॉल आया- आप कहां हो? मैं अजमेर के रेलवे स्टेशन पर खड़ी हूँ.
मैंने कहा- आप मजाक तो नहीं कर रही हो?
तो बोली- व्हाट्सएप्प पर वीडियो कॉल करके देख लो.
मैंने कॉल किया तो सच में वो अजमेर रेलवे स्टेशन पर ही खड़ी थी. मैंने उसको बोला- मेरा ऑफिस रेलवे स्टेशन के पास में है, मैं सिर्फ 5 मिनट में आपके पास आता हूँ.
मैंने गाड़ी उठायी और उसको लेने चला गया. मैंने भाभी को पहली बार सामने से देखा था, क्योंकि मैं मेरी बुआ के लड़के की शादी में जा नहीं पाया था.
यहां पर रुक कर पहले मैं आपको मेरी सौम्या भाभी के बारे में बता देता हूँ. वो देखने में सांवली सी थी, लेकिन बहुत ही छबीली और खूबसूरत थी. उसकी फिगर के लिए लिखूँ, तो उसकी गांड इतनी ज़बरदस्त उठी हुई थी कि जो भी उसे एक बार देखे तो बस देखता ही रह जाए. उसके चूचे तो कमाल के तने हुए थे बिल्कुल रसीले आमों की सर उठाए … मानो कह रहे हों कि आओ जल्दी से मुँह में भर के चूस लो. उसके बाल कमर तक थे और उसके लब तो सबसे ज्यादा कयामत थे. ये सब तो वो आईटम थे, जो सभी को ऊपर से दिख जाते थे. मगर आग जैसी क़यामत तो उसकी पेंटी खोलने पर दिखी थी. हां उसकी चुत इन सबसे ज्यादा कयामत थी, जो मैं आपको आगे कहानी में भाभी की चुदाई के वक्त आपको बताऊंगा.
मेरी नजर भाभी के फिगर से हट ही नहीं रही थी. ऐसा करते हुए भाभी ने मुझे देख लिया था. मैंने कुछ देर बाद उसको अपनी गाड़ी में बिठाया और इधर उधर देखने लगा. मैंने देखा कि रेलवे स्टैंड पर सभी लोग भाभी को ही देख रहे थे. मैंने भी देर ना करते हुए गाड़ी स्टार्ट की और भाभी को अपने रामगंज स्थित फ्लैट पर ले गया.
घर आकर मैं बोला- आप फ्रेश हो जाओ और कुछ खा लो, तब तक मैं ऑफिस का काम खत्म करके आता हूँ. फिर अपन शाम को पुष्कर चलेंगे.
भाभी बोली- ठीक है.
फिर मैं अपने फ्लैट से निकल गया और वो भी अपने काम में बिज़ी हो गई.
मैंने जल्दी से अपना ऑफिस का काम खत्म करके दो घंटे बाद अपने ऑफिस से भाभी को कॉल किया कि आप तैयार हो जाओ, मैं घर के लिए निकल रहा हूँ.
जब मैंने अपने फ्लैट के दरवाजे पर पहुँच कर बेल बजाई, तो भाभी ने दरवाजा खोला और मैंने उनको देखा तो भाभी जीन्स और टी-शर्ट में खड़ी थी और बाल खुले रखे हुए थे. मेरी तो उनको देख कर हालत ही खराब हो गयी थी. मैं सीधा बाथरूम में जा कर मुठ मार कर आया, फिर थोड़ा फ्रेश हुआ और फिर हम पुष्कर के लिए निकल गए.
अभी तक तो कुछ हुआ भी नहीं था, लेकिन फिर एक अचानक पुष्कर घाटी में महाराणा प्रताप स्मारक पर भाभी के सामने अचानक बंदर आ गया तो भाभी डर के कारण मुझसे चिपक कर गले लग गयी. भाभी के स्तन मेरे सीने में लग रहे थे और फिर मैंने इसी का फायदा उठाने की कोशिश की. मैंने अपना हाथ भाभी की गांड पर फिराना शुरू कर दिया. धीरे धीरे वो हाथ अपने आप ही उसकी टी-शर्ट के अन्दर चले गए, फिर जब वहां पर पुलिस वाले ने सीटी बजाई, तब हमें अपना होश आया और हम अलग हो गए.
पुष्कर मेले में घूम कर हम अजमेर के फेमस होटल से खाना पैक करवा कर अपने फ्लैट पर आ गए. रास्ते में मुझे वो पल बार बार याद आ रहे थे.
फ्लैट पर आने के बाद मैंने भाभी को बोला- भाभी, मुझे आपको कुछ कहना है, आप बुरा तो नहीं मानोगी?
भाभी बोली- हां बोलो, क्या बोलना चाहते हो आप?
मैंने कहा- भाभी आप बहुत सुन्दर लग रहे हो, आपकी जैसी सुन्दर लड़की मैंने आज तक नहीं देखी है.
इतना बोलने के बाद भाभी शरमा गयी और बोली- धन्यवाद आपका.. लेकिन आप भी कुछ कम नहीं हो.
इतना कह कर भाभी हंसने लग गई. फिर भाभी ने कहा- मैं खाना लगा देती हूँ, आप कपड़े चेंज कर लो.
मैंने कहा- मैं बाद में चेंज कर लूंगा लेकिन भाभी मैं खाना खाने से पहले 2-3 पैग लगाता हूँ ताकि थकान मिट जाए.
तो भाभी बोली- अरे वाह देवर जी … आप तो छुपे रुस्तम निकले. मैं आपको शरीफ समझ रही थी.
मैंने कहा- भाभी थकान हो जाती है, प्राइवेट नौकरी पैसे तो देती है, लेकिन तेल निकाल लेती है और उस कारण थकान को मिटाने के लिए रोज 2 पैग लगाकर खाना खा कर सो जाता हूँ.
तो भाभी बोली- आज तो हम भी आपके साथ में बैठ कर पिएंगे.
मैंने बोला- ठीक है, आ जाओ.
मुझे कोई अजीब नहीं लग रहा था, प्राइवेट नौकरी करने के कारण मेरे साथ ग्रुप में जो गर्ल्स थीं, वो भी पीती थीं.
अब मैंने भाभी के लिए भी पैग बनाया लेकिन इससे पहले कि मैं अपना एक घूंट भर कर गिलास नीचे रखता, भाभी ने पूरा गिलास खाली कर दिया और आंखें मींच कर आह करके आवाज़ निकाली.
मैं तो भाभी को देखता ही रह गया और फिर से भाभी ने अपना गिलास पूरा का पूरा केवल दारू से भर लिया.
इसी दरम्यान मैंने भाभी का हाथ धीरे से पकड़ कर अपने पास में लाकर उनके गाल पर चुम्मी कर ली.
वो तो जैसे इस शुरूआत के इन्तज़ार में बैठी थी. मेरी पकड़ ढीली होते ही उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और सीधा मेरे होंठों को चूसने लगी. वो बोली- मैं पिछले 5 घन्टे से पुष्कर घाटी में उस घटना के बाद से इसका इन्तज़ार कर रही थी पर तुम हो कि आगे ही नहीं बढ़ रहे थे.
इसके बाद हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे की बांहों में बैठे रहे और बस एक दूसरे को धीरे धीरे चूमते रहे.
फिर वो बोली- बहुत समय हो गया है, तुमको अब भूख लग रही होगी, चलो अपना गिलास खाली करते हैं और खाना खा लेते हैं. उसके बाद फिर जो करना हे वो करते हैं.
अब तक मैं भी जोश में आ चुका था, तो मैंने एक ही झटके में गिलास खाली कर दिया और भाभी ने भी मुझे देख कर अपना पूरा भरा दूसरा गिलास भी खाली कर दिया. उठने के बाद भाभी पूरी लहरा गयी.
मैंने भाभी को सम्भाला और बोला- आप बैठो, मैं खाना यहीं ले कर आता हूँ और हम यहीं साथ में बैठ कर खाएंगे.
वो बस मुझे देखती रही और वहीं सोफे पर बैठ गयी. फिर हमने खाना खाया, खाना खाने के बाद वो थोड़ी सही हो गयी थी. वो मुझसे माफी मांगने लगी कि उसे एकदम से इतनी नहीं पीनी चाहिये थी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, चलो अब कपड़े बदल लेते हैं.
हम दोनों अभी तक अपने बाहर वाले कपड़ों में ही थे तो भाभी बोली- जो हुक्म जहांपनाह.
उसके इस अंदाज पर हम दोनों ही जोर से हंसने लगे.
फिर भाभी बोली- मैंने तुमको कहा था कि तुम बहुत दिलचस्प हो.
वो मेरी तरफ़ बांहें फैला कर खड़ी हो गयी. मैंने उसे गले से लगाया और उसकी कमर को पकड़ कर उसे ऊपर उठा लिया. उसने भी अपने पैर मेरी कमर पर लपेट लिए और मेरे गाल पर एक पप्पी कर दी.
फिर वो मुझे कमरे में ले गयी और बोली- मलिका ऐ हिन्द आपको ये आदेश देती है कि आप हमारे कपड़े खुद उतारोगे.
मैंने भी झुक कर सलाम किया और टी-शर्ट को खोलने लगा. वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां घुमाने लगी.
मैंने टी-शर्ट खोल कर अपने हाथ अन्दर डाल कर पीछे लेजाकर उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया. अब मैंने उसकी कमर पर दोनों तरफ़ हाथ रखे और ऊपर करते हुए टी-शर्ट और ब्रा दोनों एक साथ निकाल दिए.
लेकिन वो मुझसे तेज़ थी, जब वो हाथ ऊपर कर रहे थे, तो उसने नीचे से मेरी टी-शर्ट पकड़ ली.
मतलब जैसे ही मैंने भाभी को ऊपर से नंगी किया, उसी समय उसने भी मुझे ऊपर से नंगा कर दिया. मैंने आगे बढ़ते हुए उसकी जीन्स को उतार दिया, लेकिन ये ध्यान रखा कि पेंटी न खुले.. क्योंकि पेंटी को भी उतारने से पूरा मजा खत्म हो जाता. मैंने ऊपर भी लिखा था कि उसकी चूत कयामत है, इसको पूरे मजे से देखने का नजारा आपको भी मजा देगा.
फिर मैंने भाभी को वापस गले लगा लिया. वो भी मेरे गले में बांहें डाल कर मुझसे चिपक गयी और फिर एक लम्बा किस चला. अबकी बार मैंने हाथ नीचे किये और उसे नीचे से पकड़ कर उचका दिया. मैंने सोचा था कि वो किस तोड़ देगी, लेकिन हुआ उल्टा, वो पूरी तरह से मेरे गले में लटक गयी और और जोर से किस करने लगी.
फिर किस छोड़ कर वो मेरे कान को चूसने लगी तो मैंने भाभी के कान में कहा- क्या आगे का काम नहीं करना है?
भाभी ने कान चूसते हुए गर्दन हिला कर हां कहा और नशीली आंखें ले कर अपनी गर्दन आगे कर दी. मैंने गर्दन पर एक चुम्मी दी और भाभी को गले से लगा लिया.
इस बार उसने अपने चेहरे को ऊपर उठा दिया. मैंने उसकी आंखों को चूम लिया. यही हरकत करते करते मैंने भाभी की पेन्टी भी निकाल दी. फिर मैंने भाभी को वहीं पास में पड़ी मेज़ पर लिटाया, तो देखा कि उसने अपनी चूत के पूरे बाल साफ़ कर रखे थे. मैं भाभी की सफाचट चूत को चाटने लगा.
वो ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगी.
मैंने उसे उसी मेज़ पर उसे उल्टा लिटा दिया और उसके पूरे बदन को नीचे से ऊपर तक चाटने लगा. भाभी वासना से तड़पने लगी. मेरे दोनों हाथ मेज़ पर थे और मैं उसे बिना छुए ही चाट रहा था. फिर धीरे से मैंने उसको वापस सीधा किया और उसकी आंखों में देखते हुए उसके निप्पल को चूसने लगा.
उसकी 36 इंच के चुचियां पूरी टाईट हो गयी थीं और निप्पल खड़े हो गए थे. भाभी ने भी अभी तक अपने हाथों को मेज़ पर रखा हुआ था. जैसे ही मैंने उसके एक निप्पल के साथ उसकी चुची को भी जोर से चूसा.. तो भाभी गनगना गई.
बस दो मिनट में ही वो जोर से चिल्लाते हुए बोली- क्या बात है देवर जी .. मैं तो आपके बिना कुछ किये ही झड़ गयी.
मैंने कुछ नहीं कहा और बस उसे उसी तरह प्यार करता रहा. बस अब फ़र्क इतना था कि मैं भाभी के होंठ चूस रहा था और एक हाथ से उसकी चुची को सहला रहा था.
जब वो थोड़ी नार्मल हुई तो मैंने उनसे कहा- सब यहीं करना है या बिस्तर पर चलें?
वो मुस्कराई और बोली- अब क्या करना है.. मेरा तो हो गया.
मैं बोला- तो ठीक है, फिर मैं अपने रूम में चला जाता हूँ.
तो वो बोली- बड़े दिनों के बाद आज मौका मिला है चुदने का … और आपने अब जाने का बोला तो कच्चा चबा जाऊंगी. कुछ देर तो रुको, इतना तो मैं कभी पूरे सेक्स के बाद नहीं झड़ी, जितना तुमने बिना हाथ लगाये झाड़ दिया.
मैंने धीरे धीरे भाभी को अपने दांतों से लव बाईट भी दे रहा था. धीरे धीरे मैं भाभी को चाटते हुए और ऊपर पहुंचा. मैं उनके कान को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. मेरा मोटा खड़ा लंड भाभी की गांड की दरार चूम रहा था. भाभी पागल हो चुकी थी.
मैंने उसे उठा कर बिस्तर पर पटक दिया. अब मैं उसकी टांगें फैला कर जांघों के अंदरूनी हिस्से को सहलाने लगा. साथ ही मैंने अपने एक हाथ से उसके चुचों को भर लिया और उनको नींबू की तरह निचोड़ने लगा, भाभी के निप्पल को उंगलियों से रगड़ने लगा.
ऐसा करते ही भाभी की सिसकारी निकल पड़ी- वो बोली जहांपनाह जनाब देवर जी … आज चोद दो मेरी जमाने से प्यासी पड़ी चूत को.. आहहहह लंड से चोदो देवर जी.. प्लीज.. मैं आपका मूसल लंड अपनी चूत में लेना चाहती हूँ.
मैंने भाभी की एक न सुनी और उसकी चूत में दो उंगलियां डाल कर उसकी चुत को अपनी उंगलियों से चोदने लगा. भाभी की चूत के दाने को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
ऐसा करते ही सौम्या भाभी बिन पानी की मछली की तरह फड़फड़ाने लगी. उसने तकिया को अपने मुँह में भर लिया और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी. थोड़ी देर में दूसरी बार सौम्या भाभी की चूत का पानी मेरे मुँह में था. मैंने भाभी की चुत को चाट कर साफ किया.
इसके कुछ पल बाद सौम्या भाभी बोली- देवर जी, अब मेरी बारी है.. तुम लेट जाओ.
मैं लेट गया. भाभी ने मेरा लंड अपने मुँह के अन्दर ले लिया और लंड चूसने लगी. भाभी मेरा लंड ऐसे चूस रही थी मानो उसने कभी लंड देखा ही न हो.
भाभी बोलने लगी- आपका लंड मेरे पति से काफी ही नहीं काफी से भी अच्छा है, ये बहुत बड़ा है, मैं इसको चूस चूस कर और इससे चुद चुद कर अपनी प्यास बुझाना चाहती हूँ.
दस मिनट की लंड चुसाई के बाद मेरा लंड भी झड़ने वाला था, मैंने बोला- रस कहां गिराऊं?
तो बोली- मेरी मांग भर दो देवर जी, मैं आज के लिए आपकी पत्नी बनना चाहती हूँ.. आज मैं आपकी हूँ देवर जी.
भाभी के मुँह से ये सुनते ही मेरा फव्वारा छूटने को हो गया. मैंने लंड को उसकी मांग पर लगा कर अपने वीर्य से मेरी प्यारी भाभी की मांग को भर कर आज रात के लिए अपनी पत्नी बना लिया.
इसके बाद हम दोनों नंगे ही लेट कर बात करने लगे. कुछ ही देर में भाभी मेरा लंड चूस कर खड़ा करने लगी. दो मिनट में ही मेरा लंड खड़ा हो चुका था. इस बार मैंने उसका एक पैर अपने कंधे पर रखा और बिना कंडोम का लंड एक ही झटके में सीधा चूत में पेल दिया.
भाभी की तो जैसे आंखें बाहर आ गयी थीं. वो एक पल के लिए बेहोश हो गई थी. मेरे गदहलंड की चोट सहना सबके वश की बात नहीं है. रंडियां तक रो देती है तो ये तो घरेलू माल थी.
कुछ पल बाद उसे होश आया तो वो चीख पड़ी- मार डालोगे क्या.. आराम से चोद लो ना.. मैं कोई भाग के जा रही हूँ क्या.. इतनी भी जल्दी किस बात की है देवर जी?
मुझे समझ आ गया कि ये नशे में मेरे लंड को लील रही है यदि होश में होती तो पक्का इसकी चूत की माँ चुद जाती.
नशे में टुन्न भाभी के मुँह से ये बात सुनकर मैं जोश में आ गया और धकापेल चुदाई होने लगी. मैं इस वक्त पूरे जोश में था. मैं भाभी के दोनों चूचों को चूसते हुए उसकी चूत बजा रहा था. मेरे हर धक्के के साथ भाभी के चुचे हिल रहे थे.
कुछ देर इस पोजीशन में चोदने के बाद मैंने भाभी को अपने ऊपर ले लिया और उनको उत्तेजित करते हुए गाली देकर बोला कि आपकी मोटी गांड आज बजा कर रख दूंगा कुतिया छिनाल.. ले लंड खा मादरचोदी.
भाभी भी रंडीपने पर उतर चुकी थी- चोद न कमीने जहांपनाह.. चोद अपनी मल्लिका ए आज़म रांड को.. भैन के लौड़े देवर जी.. आप तो हमें चोदने को ही बैठे रहते हो.. आज बहुत अच्छा मौका है.. चोद डाल.. अपनी इस मलिका की चूत का भोसड़ा बना दो.
भाभी न जाने क्या क्या बड़बड़ा रही थी और मैं उसकी चूत में लंड को पेले जा रहा था.
सारे कमरे में फचफचफच की आवाज़ें गूंज रही थीं. भाभी का कराहना, उसकी हवस से भरी सिसकारियां, मेरे बेडरूम को किसी रंडीखाने जैसा बना रहा था. वो दो बार पानी छोड़ चुकी थी. भाभी की गीली चुत में फचफचफच मची हुई थी. मेरा माल भी आने वाला था.
मैंने भाभी से पूछा- कहां गिराऊं मेरी जान?
भाभी बोली- अन्दर छोड़ दो देवर जी.
मैंने दो तीन धक्के लगाये और फिर मेरा भी पानी निकलने को आ गया और मैंने अन्दर ही रस छोड़ दिया.
इसके बाद हम दोनों ने दो दो नीट पैग और खींचे, फिर चुदाई का खेल शुरू हो गया. ऐसे ही मैंने भाभी को रात भर में तीन बार चोदा. सुबह उठ कर उसको काफी दर्द हो रहा था. मैंने उसको किस किया और उसे पेन किलर दी. उसकी चूत सूज कर पकौड़ा हो गई थी, लेकिन तब भी वो मेरे लंड की चुदाई से बहुत खुश थी.
उसके बाद तो भाभी जैसे मेरी पत्नी बन चुकी थी. जब मेरा मन करता, मैं उसको चोद लेता. कभी जयपुर बुला कर तो कभी उसके घर हैदराबाद जाकर भैया की गैरमौजूदगी में चुदाई हो जाती.
तो मेरे प्यारे भाइयो, चुदासी आंटियो और भाभियो, आपको मेरी और सौम्या भाभी की चुदाई की कहानी कैसी लगी. बात कर मेरा हौसला बढ़ाएं. यह मेरी पहली कहानी है, कुछ गलती हुई हो तो अपनी गीली चूत से माफ कर देना.
अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें. मेरा ईमेल है. [email protected]