नमस्ते दोस्तों, मैं 32 साल का एक हसमुख नवजवान हूँ. मैं अपना बदला हुआ नाम इस कहानी में प्रदीप रख रहा हूँ. लंड 6 इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा है. मेरे लंड की सबसे खास बात ये है कि मेरा वीर्य देर से निकलता है. यह बात आज से दस साल पहले उस समय की है, जब मैं पढ़ाई के लिए दिल्ली आया था. दिल्ली में मैं एक मकान में कमरा किराये पर लेकर रहने लगा.
ये मकान 4 मंजिल का कम एरिया में बना हुआ मकान था. इसकी पहली मंजिल पर एक परिवार रहता था, जो पांच लोगों का औसत सा परिवार था.
मैं दूसरी मंजिल पर अकेला रहता था.
तीसरी मंजिल पर मकान मालिक अपने परिवार के साथ रहता था.
मकान मालिक का नाम संजय था, उनकी पत्नी का नाम शारदा था. उन दोनों के साथ उनकी चार बेटियां डोली, पूजा, सोनिया और शालू रहती थीं. उन लड़कियों में डोली की उम्र 22 साल, पूजा 20 की, सोनिया 19 की शालू 18 की थी. चारों छोकरियां बहुत मस्त और सेक्सी आइटम थीं, पर मेरी यह कहानी पहली मंजिल पर रहने वाले परिवार से जुड़ी है.
पहली मंजिल पर उत्तरप्रदेश का एक परिवार रहता था. इस परिवार में मां बाप के साथ उनके दो लड़के और एक लड़की मोना रहते थे.
शुरू शरू में मेरा किसी से कोई लेना देना नहीं था, पर धीरे धीरे सभी से जान पहचान हो गयी.
मैं मोना को जब भी देखता, तो उसकी नजरों में मुझे अपने लिए एक खास चमक दिखाई पड़ती. वैसे वो कोई ज्यादा सुन्दर तो नहीं थी, पर उसका बदन बहुत ही कसा और मादक था. उसके 36 साइज के चुचे तो मानो उसके कपड़ों से बाहर आने को बेताब रहते थे. मोना के मम्मों को देख आकर ऐसा लगता था जैसे बड़ी मुश्किल से उन्हें बांधा गया हो.
वो अकसर मेरे सामने आती जाती थी और एकटक निगाह मिला कर ऐसे देखती थी, जैसे कुछ कहना चाहती हो.
उसकी पतली कमर और उसके नीचे उसके नितम्ब, उसके जिस्म को और भी ज्यादा सुन्दर बनाते थे. जब भी वो चलती, तो उसके चूतड़ों की थिरकन देखते ही बनती थी. मेरा दिल भी उसे चोदने को बेक़रार हो चला था, पर मुझे कोई मौका नहीं मिल रहा था. क्योंकि घर छोटा था और बात खुल कर हो नहीं पाती थी.
ऐसे में एक दिन उसके घर फोन आया कि उसके पिता का एक्सिडेंट हो गया था. उस समय घर पर वो अकेली थी और मैं भी ऑफिस से छुट्टी करके आया ही था.
मैं कमरे में जाने के लिए हुआ ही था कि उसने मुझे आवाज दी और बोली- क्या आप मेरे साथ अस्पताल तक चल सकोगे. मेरे पापा को चोट लग गयी है. मां दोनों भाइयों के साथ गांव गई हैं.
मैंने उससे पूरी बात समझी और तुरंत उसके साथ अपनी बाईक पर अस्पताल के लिए निकल गया. वो दोनों पैर एक तरफ करके मेरे कंधे पर हाथ रख कर बैठ गयी.
रास्ते में जब मुझे ब्रेक मारने पड़ते, तो उसके चुचे मेरी पीठ से सट जाते. दो तीन बार ऐसा होने पर उसने बाईक रुकवाई और मुस्कुराते हुए दोनों तरफ पैर करके बैठ गयी.
मैं अभी कुछ ही आगे गया था कि अचानक से एक कुत्ता सामने आ गया. अचानक ब्रेक मारने से उसका पूरा भार मेरे ऊपर आ गया. उसके बड़े बड़े चूचे बुरी तरह से मेरी पीठ से दब गए और उसके दोनों हाथ मेरी जांघों पर आ गए.
इस घटना ने हम दोनों को और भी ज्यादा आंदोलित कर दिया था. हालांकि उसने कुछ नहीं कहा, मगर अब वो थोड़ा और सट कर बैठ गयी और उसने मुझे कसके जकड़ लिया.
उसका एक हाथ मेरे पेट पर जींस की बेल्ट पर था और दूसरा मेरे सीने पर जमा था. मेरी पीठ पर उसके चुचे रगड़ खा रहे थे, जिसका असर मेरे लंड पर हो रहा था. मेरा लंड अपने रौद्र रूप में आने लगा था और जींस की वजह से मुझे परेशानी हो रही थी.
कुछ देर बाद हम दोनों अस्पताल के करीब आ गए थे. अस्पताल पहुंचने से पहले मैंने एक सुनसान जगह देखी और मैं पेशाब करने खड़ा हो गया. कहीं कोई ओट न मिलने के कारण मुझे वहीं खुले में सुसु करना पड़ी.
मोना यह सब देख कर हंसने लगी. उसकी निगाह मेरे लंड पर भी पड़ गयी थी.
उसके बाद जैसे ही वो मेरे पीछे बाईक पर बैठी, उसने अपना सीना मेरी पीठ से रगड़ा और बैठ कर मेरे कंधे पर अपना सर रख लिया.
कुछ मिनट बाद हम दोनों अस्पताल आ पहुंचे और उसके पिताजी की हालत की जानकारी ली. डॉक्टर ने उनको अस्पताल में रात रुकने के लिए कहा, जिस वजह से हम दोनों को रात को वहीं अस्पताल में रुकना पड़ा.
अगले दिन मैं चला गया. मैंने जाते वक्त उसको अपना फोन नम्बर दे दिया था कि कोई दिक्कत या मेरी जरूरत हो, तो बेहिचक फोन करके मुझे बता देना.
उसने हां कर दी.
दोपहर में उसका फोन आया- पापा को आज भी यहीं रुकना पड़ेगा, तुम कुछ खाने का ला सको, तो ले आना.
मैंने पूछा- दिन में खाने का क्या हुआ?
उसने बताया कि यहीं बाहर से ले लिया था, मगर खाने की क्वालिटी अच्छी नहीं थी.
मैंने पूछा- क्या खाओगी?
उसने हंस कर कहा- जो तुमको पसंद हो.
मैंने पूछा- पापा के लिए?
उसने कहा- पापा के लिए कुछ हल्का फुल्का ले आना.
मैंने उससे हम दोनों के खाने के लिए चिकन के लिए पूछा, तो उसने हां कर दी.
मैं शाम को ऑफिस से सीधे उसके पास ही पहुंच गया और मैंने जोमेटो से रात के लिए खाना मंगवा लिया.
इस तरह दूसरे दिन उसके पापा को छुट्टी मिल गयी और वो दोनों घर आ गए. उसके पापा के दोनों पैरों की हड्डी टूट गयी थीं, पर इस दौरान मैं और मोना करीब आ गए थे. अब वो बेहिचक मेरे रूम में आ जाती थी और हम दोनों बातें करते रहते.
एक दिन मैं अपने रूम में था. उस दिन बारिश हो रही थी और मेरे तीनों अंडरवियर गीले थे, तो मैं बिना अंडरवियर के ढीला सा नेकर पहने हुए लेटा था.
तभी मोना मेरे रूम में आ गयी. उस वक्त वो क़यामत ढा रही थी. उसने चुस्त जींस और स्लीव लैस लोन का झीना सा टॉप पहना हुआ था, जिसमें से उसके चूचे बहुत ही ज्यादा कामुक लग रहे थे. आज उसके हाव भाव भी कुछ ज्यादा ही बदले हुए दिखाई दे रहे थे. वो बार बार अपने चुचों के खुले हिस्से को ऐसे सहला रही थी, जैसे उसे खुजली हो रही हो.
मैं उठ कर खड़ा हो गया.
वो आकर मुझसे पूछने लगी- मैं कैसी लग रही हूँ?
पहले मैं उसे एकटक देखता रहा. मेरी निगाह उसके गले और चुचियों पर से होती हुईं, उसकी जींस तक गईं और वापस आकर उसकी चुचियों के खुले हिस्से पर टिक गईं.
वाह क्या सुन्दर सीन था. उसकी दोनों चुचियों के बीच में जो दूधिया दरार बन रही थी, वो लगभग तीन इंच की थी.
मोना ने नजरों को पढ़ते हुए पूछा- क्या हुआ … कहां खो गए?
अचानक मेरे मुँह से निकल गया- तुम्हारी चुचियों में!
वो एकदम से बोली- क्या!?
वह बिल्कुल मेरे नजदीक ही खड़ी थी. मैंने कोई जवाब न देकर उसे कंधों से पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया. उसने भी कोई विरोध नहीं किया.
इसे उसकी सहमति मान कर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. उसने अपनी आंखें बंद कर लीं. मैं उसके होंठों को चूसने लगा. उसकी सांसें भी तेज होने लगीं और उसने अपने हाथ मेरी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिए.
मैं कभी उसके निचले होंठ को चूसता, कभी ऊपर वाले को. हम दोनों ने एक बहुत लम्बा चुम्बन किया. इसी दौरान मेरे हाथ उसके मम्मों तक पहुंच गए और मैं उन्हें दोनों हाथों से दबाने, सहलाने लगा. हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह लिपटे हुए थे. मेरे हाथ कभी उसके नितम्बों पर होते, कभी उसकी कमर पर.
मैंने उसका टॉप ऊपर करना शुरू किया, तो उसने अपने हाथ ऊपर करके मुझे पूरा सहयोग किया और वो खुद भी मेरी सैंडो बनियान को उतारने लगी. साथ ही वो मेरे बालों से भरे सीने को चूसने और चूमने लगी.
मैंने टॉप अलग करके उसकी ब्रा को भी खोल कर उतार दिया. मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया था, जिसे उसने अभी तक छुआ भी नहीं था.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया, जिसे उसने हटा लिया और मुझे किस करने लगी. अब हम दोनों ऊपर से नंगे हो चुके थे. मैंने उसे बिस्तर पर लिटा लिया और उसकी चूचियों को चूसने लगा. मैं एक चूची को चूसता, तो दूसरी को दबा कर मजा लेने लगता.
उसकी सांसें तेज होने लगीं. मैं दोनों चूचियों को अच्छी तरह चूसने के बाद उन्हें मसलने लगा. वो गर्म हुई, तो मैं उसके पेट पर अपनी जीभ फेरने लगा.
मैं पेट से उसकी नाभि तक पहुंच गया. मगर मेरी जीभ के आगे का रास्ता उसकी जींस ने रोक लिया जिसे उतारना जरूरी हो गया था. मैंने उसकी जींस का हुक खोला तो उसने अपनी आंखें बंद कर लीं … और गांड उठा कर मुझे सहयोग किया.
उसकी जींस उतारते ही वो पूरी नंगी हो गयी थी. उसने जींस के अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी.
मैंने एक बार नजर भर के चुत को निहारा. उसकी चुत एकदम साफ़ थी. ऐसा लग रहा था, जैसे उसने आज ही झांटों को साफ किया हो. उसकी गोरी चिकनी चुत, इतनी खूबसूरत थी मानो संगमरमर की बनी हो. मैंने अपना नेकर भी उतार दिया और पूरा नंगा हो गया. अब मैं उसके बाजू में लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा.
उसका हाथ मेरे लंड को टच कर रहा था, पर वो उसे पकड़ नहीं रही थी. तभी मैंने अपने हाथ से उसकी चुत को सहलाना शुरू कर दिया. उसके मुँह से आह उह की आवाज आने लगी.
जैसे ही मैंने उसकी चुत के भगनासा को छेड़ा, उसने मेरा लंड अपने हाथ में कस के पकड़ लिया. उसकी मेरे लंड पर पकड़ इतनी सख्त थी कि मेरे मुँह से भी आह निकल गयी.
अब मैंने अपना पोज बदला और मैं 69 के पोज में आ गया. मेरा मुँह उसकी चुत की तरफ था और उसका मुँह मेरे लंड की तरफ था. मैंने उसकी चुत पर एक किस किया, तो उसने अपने दोनों पैर फैला लिए, जिससे चुत पूरी खुल कर सामने आ गयी. उसकी चुत में अन्दर से लाल लाल रंग एकदम कामुकता बिखेर रहा था.
उसकी चुत एकदम गुलाब जैसी लग रही थी, जिसे मैं जीभ से सहलाने लगा.
उसने भी मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया. वो एकदम किसी तजुर्बेदार के जैसे लंड चूस कर मेरा सहयोग कर रही थी.
मुझे उसके लंड चूसने की स्टायल से समझ आ गया कि वो पहले ही चुदवा चुकी थी. जिसके बारे में उसने बाद में बताया था कि उसने अपने भाई से अपनी सील किस तरह तुड़वा ली थी. वो सेक्स कहानी मैं बाद में बताऊंगा.
वो मेरे लंड को जितना अन्दर ले सकती थी, ले रही थी. कभी बाहर निकाल कर लंड के सुपारे को चाटती, तो कभी लॉलीपॉप की तरह लंड चूसने लगती. कभी अचानक से तेजी के साथ अन्दर बाहर करने लगती. मेरा लंड भी अपने पूरे रूप में आ गया था. इधर मैं भी अपनी जीभ से उसकी चुत की सेवा में लगा था. सच में बड़ी मस्त चुत थी. उसकी मेरी जीभ कभी उसकी चुत की गहराई नापती, कभी मैं चुत के दाने को होंठों में भर के खींचता.
हम दोनों अपने चरम पर पहुंचने वाले थे. मैं अपनी कमर चलाने लगा था और उसका मुँह चोद रहा था. मेरा लंड कई बार उसके हलक तक चला जाता, पर वो मजे से सब सहती रही. वो भी अपनी चुत मेरे मुँह पर रगड़ रही थी, जिससे उसकी चुत का रस मेरे पूरे मुँह पर फ़ैल गया था.
तभी उसकी चुत ने अपना मुँह खोल दिया, जिससे बहुत सारा रज बाहर आने लगा. इधर मैं भी अपने चरम पर पहुंच चुका था और उसके मुँह में ही मेरी पिचकारी चल पड़ी. उसने एक बूंद भी बाहर नहीं गिरने दी, सारा वीर्य पी गयी और मेरे लंड को चूस कर साफ़ कर दिया. हम दोनों हांफ़ते हुए लिपट कर लेटे रहे. अब तक हम दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा था.
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
बदले में उसने मेरे होंठों पर किस किया और लिपट कर बोली- आई लव यू..
मैंने भी उसे भींच कर ‘लव यू टू जान..’ कहा.
फिर हम दोनों उठ कर बाथरूम गए और एक दूसरे को साफ़ किया. जब उसने मेरे लंड को पानी और साबुन से साफ़ किया, तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, जिसे उसने किस किया.
वो बोली- लो तुम्हारा शैतान फिर से जग गया.
मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर लाकर लिटा दिया. मैंने बोला- अब ये शैतान तुम्हारी चुड़ैल को निपटाएगा.
वो चुदास भरे स्वर में अपने मम्मे मसलते हुए बोली- तो देर किस बात की है … मैं तो कब से तुमसे चुदना चाह रही थी … पर तुम ही नहीं समझे.
हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. मेरा लंड और उसकी चुत फिर से तैयार हो उठे थे.
मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसकी चुत पर अपना लंड रख कर अन्दर डालने लगा.
उसने रोका और बोली- एक ही बार में पूरा अन्दर डालना.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने उसकी टांगों को अपने कंधों पर रख कर लंड चुत पर सैट किया और जोर की थाप उसकी चुत पर लगा दी. एक ही बार में मेरा लंड उसकी चुत में समां गया. उसकी चीख निकल गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ क्योंकि मेरा लंड सीधा जाकर उसकी बच्चेदानी से टकराया था.
लेकिन ये चीख आनन्द मिश्रित थी.
मैं उसे धीरे धीरे चोदने लगा.
वो बोली- मेरे भाई का तुम्हारे लंड से छोटा है … उसका इतना अन्दर तक नहीं जाता. आज से ये चुत तुम्हारी है, जब मर्जी हो चोद लेना.
वो नीचे से अपनी चुत उठा उठा कर चुदवाने लगी और मैंने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी. हम दोनों की भीषण चुदाई से पूरा पलंग हिल रहा था. लगातार ताबड़तोड़ चुदाई के दौरान वो न जाने क्या क्या बोल रही थी.
कोई बीस मिनट की चुदाई के दौरान वो तीन बार झड़ी, तब मेरा झड़ने को हुआ तो मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं?
वो बोली- मेरी चुत में ही निकालो … मैं गोली खा लूंगी.
मैंने बेहिचक झटके मारे और उसकी ही चुत में झड़ गया.
कुछ देर बाद वो चली गई.
उसके बाद मैंने बहुत बार उसे चोदा. उसकी मदद से मैंने मकान मालिक की चारों लड़कियों को कैसे चोदा, ये मैं अगली सेक्स कहानी में लिखूंगा.
आपको ये कहानी कैसी लगी, बताइएगा जरूर … अभी मैं गुरुग्राम में रहता हूँ. मेरी मेल आईडी पर आप संपर्क कर सकते हैं.
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