अंतर बासना सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे एक यात्रा के दौरान मुझे एक अमीर औरत मिली. उसे शराब की जरूरत थी तो मैंने उसे होटल रूम में पिलायी और चालू माल की चुदाई की.
नमस्कार साथियो, आप मेरी सलहज की चुदाई की कहानी का मजा ले रहे थे. इस अंतर बासना सेक्स कहानी के पिछले भाग
सलहज की प्यास बुझाई
अब तक आपने जाना था कि सलहज की मदमस्त चुदाई के बाद मेरा मित्र अपनी सैटिंग की चुदाई करने के लिए हमारे होटल के कमरे में आना चाहता था. इस वजह से हम दोनों कमरे से बाहर निकल कर एक कार टैक्सी करके शहर घूमने निकल गए थे.
अब आगे की अंतर बासना सेक्स कहानी:
कुछ देर बाद मैंने कार वाले को बोला- भई किसी अच्छे रेस्टोरेंट में ले चलो … कुछ खाना आदि खा लें, फिर आगे चलेंगे.
उसने एक अच्छे से होटल में कार लगा दी. हम दोनों ने वहां जाकर खाना खाया. अब तक दो घंटे से अधिक हो चुके थे.
फिर उसी टैक्सी से हम दोनों वापस होटल पहुंचे. कमरा अन्दर से अभी बंद ही था.
मैंने फोन करके बोला- हम बाहर खड़े हैं.
मित्र ने दरवाजा खोला. मैंने अन्दर का नजारा देखा तो लड़की 19-20 साल की बहुत स्लिम बॉडी की थी. हमें देख कर वो फटाफट अपने कपड़े पहनने लगी.
मैं लड़की के पास गया और उसके बूब्स को मसलने लगा.
तभी सलहज नजदीक आकर बोली- शर्म नहीं आती है मेरे सामने हल्की हरकतें कर रहे हो.
मैंने कहा- आप कौन सी मेरी पत्नी हैं.
इतना कह कर मैं लड़की को बांहों में लेकर उसके होंठ के चुंबन लेने लगा.
सलहज और नजदीक आकर मेरे हाथ पकड़ कर बोली- हटो इस लड़की के पास से … आज से आप मुझे अपनी पत्नी ही समझो.
उसकी बात सुनकर मैंने मित्र और लड़की को कमरे से बाहर निकाल दिया.
अब मैंने सलहज से बोला- पहले मेरी शर्तें सुन लो. नंबर एक, मेरे साथ कोर्ट मैरिज करनी होगी. नंबर दो मैं किसी भी औरत से मिलता हूँ … तो तुम एतराज नहीं करोगी. नंबर तीन कभी कभी किसी महिला को मेरे पास लाने में मेरी मदद करोगी. नंबर चार तुम अपने परिवार को छोड़ कर अपने पति की सम्पति को मुझे सुपुर्द करोगी. अगर इतनी बातें स्वीकार हों, तो बता देना.
वो सोच में पड़ गई.
कुछ देर बाद सोच कर उल्टा मुझे धमकाते हुए बोली- नहीं मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है. आज से मैं तुम्हारे बगैर भी रह लूंगी.
उस का इतना कहना हुआ मैंने होटल का कमरा खाली करने को बोला. उसने अपना सामान समेटा और चल दी. मैं सलहज को लेकर धर्मशाला आ पहुंचा. जिधर बस की बाकी की सवारियां रुकी थीं.
मैंने बस की सवारियों के साथ उसे रहने को बोल दिया. फिर अपने मित्र के साथ यात्रियों को भोजन करवाने में मदद की.
इस दरम्यान एक एजुकेटेड महिला को भोजन करवाते समय उसे मेरे मुँह की शराब की महक महसूस हुई, तो वो थाली में हाथ धोकर उठ गई. उसने मुझे इशारा करके साइड में बुलाया. मैं चला गया. एक तरफ अंधेरे में आ गए. उधर हम दोनों ही थे.
उसने कहा- क्या मुझे भी शराब पीने को मिल सकती है?
मैंने कहा- यहां तो नहीं मिलेगी … मेरे होटल के कमरे में मिलेगी.
वो बोली- तो फिर चलो होटल चलते हैं.
मैंने कहा- होटल यहां से दूर है. अब रात हो गयी है, शराब पीकर वापिस आने में समय लग जाएगा. इतना समय मेरे पास नहीं है कि आपको शराब पिलाने के बाद यहां लाकर छोड़ू … दूसरा नियम यह है कि यात्रा में शराब पीना सख्त मना है.
वो बोली- इसमें बड़ी बात क्या है. मैं मेरा सामान ले लेती हूँ. रात को आपके कमरे में ही रुक जाउंगी.
मैं बोला- अगर शराब पीने के बाद कुछ ऊंच नीच हो गयी तो?
वो बोली- हो जाने दो … अगर आप परफेक्ट निकले, तो मैं आपको हमारे लेडीज ग्रुप से मिलवा दूंगी. रोज मजा करना.
मैंने उससे सामान तैयार करने को कहा.
तब तक मैं अपने मित्र के पास गया और उससे बोला कि आगे की यात्रा तुम्हें खुद सम्भालनी है. मैं शायद वापस लौट जाऊं … अभी कुछ पक्का नहीं है.
उसने मेरी बात समझ ली. मुझे दो लाख नकद दिए और बोला- बाकी का हिसाब बाद में कर लेंगे.
मेरी सलहज दूर से मुझे घूर रही थी.
मैंने मित्र से रूपये लिए और सलहज के बारे में बताया.
तभी वो महिला अपना सामान लेकर आ गयी. सलहज देखती रह गयी. उसने मुझे महिला को साथ जाते देखा तो वो हतप्रभ हो रही थी.
महिला को कार में बैठा कर मैं होटल ले आया. मैंने सबसे पहले एक लार्ज पैग बना कर उसे दिया.
एक मैंने भी लिया.
दारू पीते पीते मैंने उससे उसका परिचय लिया. वो एक धनी परिवार से ताल्लुक रखती थी. उसके साथ कोई नहीं था.
उसकी बॉडी का फिगर भी बता दूं. उम्र का वास्तविक अंदाज नहीं हो रहा था, मेरे अंदाज से चालीस साल के अन्दर ही होगी. मगर वो आज भी कमसिन लग रही थी, जैसे 27 -28 की हो. उसने अपनी फिगर को मेंटेन कर रखा था. उसकी फिगर का नाप यही कोई 32-28-34 का था … स्लिम ट्रिम माल थी. वो किसी मॉर्डन घराने की थी. साथ में पढ़ी लिखी भी थी.
दारू पीते पीते मैंने उसके कपड़े उतार कर उसे नंगी करके बैठा दिया. साली एक नम्बर की माल थी. अपनी बॉडी को बड़ा मेन्टेन कर रखा था. मैंने उसे घुमा कर उसके पिछवाड़े को देखा. उसकी गांड का सुराख़ बड़ा दिख रहा था, इसका मतलब वो गांड मरवाने की भी शौकीन थी.
सलहज ने मुझसे कभी गांड नहीं मरवाई थी. आज लग रहा था कि इसके साथ मन मांगी मुराद पूरी होने वाली थी.
मैंने अपने कपड़े खोले. उससे लंड को अपनी गांड में लेकर मेरी गोदी में बैठने को कहा.
वो उठी और अपने बैग से वैसलीन लेकर मेरे लंड के ऊपर रगड़ी … बाकी एक उंगली में ले कर अपनी गांड के अन्दर घुमा कर गांड चिकनी की. फिर उसने मेरे लंड को हाथ में लेकर अपनी गांड में सैट करके लंड को बड़ी आसानी से अन्दर ले लिया.
साला इतना आराम से मेरा लंड तो चुत में भी नहीं जाता था. मैं उसे गोदी में लेकर बैठा रहा. हम दोनों साथ में शराब भी पीते रहे. आज मेरा मूड उसे ज्यादा शराब पिला कर चोदने का था. हम दोनों ने पौन घंटा में एक पूरी बोतल पी ली.
अब उसकी जुबान लड़खड़ाने लगी थी.
वो बोली- तुम पहले आदमी हो जिसने मेरी गांड में पौन घंटे से अपने मूसल को अन्दर डाले रखा. अब तुम मेरी इस गांड की बारह बजा दो.
मैंने उसे टेबल के पास खड़ा करके उसके शरीर का अगला हिस्सा टेबल पर लिटा दिया और गांड के ऊपर वैसलीन से मालिश करने लगा. साथ ही मैं उसके भरे हुए चूतड़ों पर जोर से थप्पड़ भी मारता जा रहा था.
बीच बीच में लंड को पीछे लाता और जोर से गांड में पेल कर धक्का मारता.
वो मजे से चीख उठती थी.
करीब आधा घंटा की पेलमपेल के बाद वो मादक सिसकारियां लेने लगी. साथ में जोर से बोली- मेरा आने वाला है.
मैंने भी मेरे दिमाग को सैट किया और आठ दस धक्कों में हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए. करीब पांच मिनट तक मैं उसके शरीर पर पड़ा रहा.
वो बोली- आज तक मेरी ऐसी गांड मारने वाले तुम पहले आदमी हो … आई लव यू … बस तुम मेरी इच्छा पूरी करते रहना तुम्हारे जैसा आदमी मुश्किल से मिलता है.
बाद में उठ कर हम दोनों ने बाथरूम में जाकर स्नान किया और वापिस आकर बेड पर लेटे हुए बातें करने लगे.
बातें करते हुए मैंने उस की महिला मंडली के बारे में पूछा.
उसने बताया कि हमारे लेडीज ग्रुप में सभी धनी परिवार की महिलाएं हैं. हमारे पतियों के पास हमारे लिए समय नहीं है. इस कारण हमारे ग्रुप में जब कोई नया लड़का आता है, तो एक बार उसका ग्रुप के सभी सदस्यों से परिचय करवा देते हैं. बस हमारी शर्त एक ही है कि वो हमें संतुष्ट करने वाला होना चाहिए.
अब हम खुल कर बात कर रहे थे.
एक बार फिर से बैठ कर जाम चलने लगे. मैंने उसके मम्मों को सहलाते हुए होंठों से होंठ मिला कर मजा लेने लगे.
जिस तरह सुबह सलहज के साथ सेक्स किया था … उसी प्रकार रात भर उस महिला के साथ चुदाई का मजा किया.
आखिर रात तीन बजे हम दोनों सोने लगे.
वो बोली- अब तुम मेरे बन कर रहो. मैं तुम्हें पति से ज्यादा सुविधा दूंगी और तुम्हारी पत्नी बन कर रहूंगी. अलग से आलीशान फ्लैट दे दूंगी, साथ में घर में काम करने वाली नई नई लड़कियां जब में नहीं होऊं, उस समय उनके साथ मजा करना. एक बैंक खाते में बड़ी रकम का बैलेंस अलग से डाल दूंगी.
मैंने उसकी भाषा को समझते हुए मन में सोचा कि अभी लंड और दारू का नशा ज्यादा चढ़कर बोल रहा है.
मैं कहा- वो सब बाद की बात है. ऐसा मुझ में तुमने क्या देख लिया जो इतना निहाल हुई जा रही हो?
वो बोली- सच में मेरे साथ असली सेक्स तो आज ही हुआ है.
मैं बोला- तुम शर्त के मुताबिक एक बार अपनी सहेलियों से मिलवाओगी?
वो बोली- हां जयपुर चलते ही मिलवा दूंगी. पर मेरे सेक्स में कभी कमी नहीं आनी चाहिए. चाहे तो तुम मेरी सहेलियों को मेरी कोठी में ले जाकर सेक्स कर सकते हो. मगर मेरी चुत को लंड नहीं मिला, तो समझ लेना.
मैं हंस पड़ा.
उसे दारू का नशा ज्यादा हो गया था.
इतनी बात कर हम दोनों सो गए.
दूसरे दिन उठे तो सर में हैंगओवर हो रहा था.
वो बोली- एक बड़ा पैग बना दो तो ये हैंगओवर ठीक हो जाए.
हम दोनों ने एक बड़ा पैग पिया. दस मिनट बाद एक बार फिर चुदाई का मन हो गया. वो भी चुत खोले पड़ी थी. चुदाई का दौर चल पड़ा.
आधे घंटे में हम दोनों फिर से स्खलित हो गए. कुछ देर एक दूसरे की बांहों में लेटे रहे.
वो बोली- अब आगे का क्या विचार है?
मैंने केलकुलेशन किया कि बस दस दिन बाद साउथ का टूर करके बैंगलोर पहुंचेगी. तब तक इस बन्दी को ऊटी घुमा देता हूँ. जब बस आएगी, तब उस समय बस में वापिस साथ हो जाएंगे.
इतना सोच कर मैंने उसे बताया, तो वो खुश हो गयी.
मैंने मित्र को अपनी स्थिति बताई.
उसने कहा- ठीक है, हम लोग दस दिन बाद बैंगलोर में मिलते हैं.
अब मैंने ट्रेन से जाने का कहा, तो वो बोली कि हवाई जहाज के टिकट बैंगलोर के ले लो. ज्यादा समय नहीं लगेगा.
मैंने हामी भर दी. उसने अपने कार्ड से फ्लाइट के टिकट बुक किए और हम दोनों जाने की तैयारी करने लगे. होटल से निकलते समय भी उसी ने होटल के कमरे का पेमेंट किया.
हमारी फ्लाइट चार घंटे बाद थी. आराम से तैयार होकर हम नियत समय पर हवाई अड्डे पर पहुंच गए.
हमारा विमान थोड़ा लेट था … फिर आखिर आ ही गया. उसमें बैठ कर हम बैंगलोर पहुंच गए. वहां से कार लेकर ऊंटी पहुंचे. ऊंटी में दस दिन कब समाप्त हो गए हमें मालूम ही नहीं पड़ा.
दसवें दिन जब मित्र का फोन आया, तब हम तत्काल कार द्वारा बैंगलोर पहुंचे. वहां पहुंचते ही मुझे सलहज दिखी.
उसने मेरे साथ हुस्न की मलिका को देखा, तो उसका चेहरा उतर गया. फिर बस रवाना हुई, उस समय वो मेरी सीट के पास आकर बैठ गयी और समय अनुसार अपना गुस्सा चिकोटी काट कर उतारने लगी.
मैंने कहा- इस तरह कुछ नहीं होगा … अगर तुम्हें मेरी शर्तें मंजूर नहीं थीं इसी कारण मुझे उसको ले जाना पड़ा.
वो बोली- मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है, जैसा तुम कहोगे, वैसा मुझे स्वीकार है.
जयपुर पहुंच कर मैंने उसे सब प्लान समझाया कि किस तरह अपने पति की सम्पति को जयपुर ट्रांसफर करना है और किस तरह हम कोर्ट मैरिज करेंगे.
उसने बिल्कुल मेरे कहे अनुसार किया. एक दिन हम दोनों ने कोर्ट में शादी भी कर ली. उसने अपने बच्चों से नाता भी तोड़ दिया. इस दरम्यान जयपुर वाली मेरी महिला ने मुझे एक आलीशान फ्लैट भी दिला दिया. अपने ग्रुप की महिला सदस्यों से सम्पर्क भी करा दिया.
वे करीब बीस महिलाएं थीं … सभी की सभी धनी परिवारों से थीं. मैं सभी को एक एक करके फ्लैट में लाता और बड़े ठाठ से उनकी चुदाई करता.
हर महिला चुदवाने के बाद मुझे कुछ ना कुछ गिफ्ट, पैसे, गहने देती थी … इससे मेरी सलहज जो अब मेरी बीवी थी, वो भी खुश हो जाती थी. अब मुझे यात्रा टूरिस्ट के धंधे में वापिस जाने की जरूरत नहीं थी. मेरे दिन बड़े मस्ती भरे निकलने लगे थे.
आपको मेरी ये अंतर बासना सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें.
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