जीजा साली की चुदाई कैसे हुई? पढ़ें इस कहनी में कि जब मैं अपनी दीदी के घर रहने गयी तो जीजू ने कैसे मेरी चूत की चुदाई की जम कर! तो चलिए शुरू करते हैं जीजा साली का प्यार कहानी को।
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम नीलम है मेरी लम्बाई लगभग पाँच फुट है और मेरे बदन का साइज़ 32-30-32 है. मेरा रंग बहुत गोरा है.
दोस्तो, स्तन के आपरेशन के दो महीने बाद कुछ दिन के लिए मैं दीदी के पास रहने उनके ससुराल आ गयी.
मेरी दीदी की शादी दूसरे शहर में हुई है.
वैसे तो मम्मी मुझे भेजती नहीं है इसलिए कि कहीं नीलम की सील ना टूट जाये क्योंकि दीदी के घर में किराये पर कमरा लेकर पढ़ने वाले लड़के रहते हैं.
जब मैं दीदी के यहाँ जाती तो वह सब मुझे देखते रहते या बात करने की कोशिश करते!
दीदी का घर दो मंजिला है. ऊपर दीदी जीजू रहते हैं और नीचे दीदी के एक देवर रहते हैं. कुछ लड़के किराये पर कमरे लेकर रहते थे.
अगर मैं सामने पड़ जाती तो कोई लड़का मुझसे बोल भी लेता था.
पर ये सब दीदी को भी पसन्द नहीं था.
इस बात की चिंता दीदी को भी थी कहीं कोई लड़का नीलम को पटा कर चोद ना दे।
मेरी दीदी कहती है कि आजकल के लड़कों का प्यार तो बस चूत पर जाकर खत्म होता है. वे तो सिर्फ चूत के प्यासे होते हैं।
वैसे मैं इससे पहले एक दो बार गर्मियों में दीदी के पास रहने आयी थी. मेरा मन होता है कि मैं दीदी के पास रहूं.
फिर भी मम्मी मना कर देती हैं.
इसी बात पर कभी-कभी मम्मी से मेरी लडाई भी हो जाती थी।
दोस्तो, अब मैं आपको अपने जीजू के बारे बता दूँ.
उनकी लम्बाई अच्छी है. वे बिल्कुल किसी क्रिकेट खिलाड़ी की तरह दिखते हैं और मुझसे बहुत हँसी मज़ाक करते रहते हैं.
जब से दीदी की शादी हुई है तभी से जीजू मुझे चोदने की फिराक में हैं. ऐसा मैंने नोटिस किया है।
मैं दीदी के यहाँ गयी तो मुझे देखते ही जीजू बोले- लो आ गयी साली साहिबा! कैसी हो साली जी?
वे दीदी के सामने भी मुझे छेड़ते रहते हैं।
मेरे स्तन पर आपरेशन का निशान है. उसके लिए जीजू कहते हैं कि अब तो तुम्हारे स्तन पर मुहर लग चुकी है. जरा मैं भी देख लूँ कैसी है मुहर!
ऐसा बोलकर मुझे चिढ़ाते हैं।
एक बार जीजू बोले- काश मैं डाक्टर होता. फिर तुम्हारा आपरेशन मैं करता।
तो मैंने कहा- इसमें आप क्या कर लेते?
जीजू बोले- अगर मैं डाक्टर होता तो तुम्हें बिल्कुल नंगी करके तुम्हारा आपरेशन करता।
मुझे बहुत शर्म आयी लेकिन जीजू बेहिचक बोल देते हैं.
एक दिन मैंने सलवार सूट पहन रखा था. उसमें पीछे से मेरी ब्रा की दोनों पट्टियां दिखाईं दे रहीं थीं लेकिन मुझे मालूम नहीं था.
जब जीजू ने देखा तो मेरी ब्रा की दोनो पट्टियों को पीछे से पकड़ कर बोले- साली साहिबा, ये घोड़ी की लगाम तो ठीक कर लो।
वो दीदी के सामने भी मजाक कर लेते हैं, कहते हैं कि साली आधी घर वाली होती है.
फिर जीजू बोले- वैसे नीलम है बहुत गोरी।
एक बार जीजू बोले- अगर उस समय तुम्हारी उम्र कम नहीं होती तो मैं तुमसे ही शादी करता।
दोस्तो, उन दिनों गर्मियों के दिन थे और गर्मी की वज़ह से मेरी पीठ पर घमौरियाँ हो गई थी.
तो दीदी मेरी पीठ पर नाईसिल का पाउडर लगा देती थी.
एक बार जब दीदी मेरी कुर्ती ऊपर करके मेरी पीठ पर नाईसिल का पाउडर लगा रही थी तो अचानक से जीजू आ गये और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया.
जब मेरी ब्रा का हुक खुला तब मुझे पता चला.
फिर जीजू कहने लगे- साली साहिबा, रात को इतनी टाईट ब्रा पहन कर मत सोया करो.
मैंने कहा- दीदी देखो, जीजू परेशान कर रहे हैं.
तो दीदी बोली- ठीक ही तो कह रहे हैं. रात को ब्रा निकाल कर सोया करो.
और तब से मैं रोज़ सोते समय ब्रा उतार कर सोती थी।
मैं अपना नाईट सूट लाना भूल गयी थी तो दीदी ने अपनी गाउन दे दी थी. जो मुझे बहुत ढीली आती थी और उसका गला भी बड़ा था जिसमें से मेरे स्तन भी दिखाई दे जाते थे.
और जीजू की नजर वहीं रहती थी।
दोस्तो, उस समय गर्मियां थी और दीदी के कमरे में ए.सी लगा हुआ था.
इसलिए दीदी ने कहा- तुम हमारे कमरे में ही सो जाया करो.
तो मैं दीदी के कमरे में ही सोती थी.
दीदी के कमरे में डबल बैड पड़ा हुआ था जिसमें एक तरफ मैं सोती. फिर दीदी और सबसे किनारे जीजू सोते थे. मतलब बीच में दीदी सोती थी।
एक बार रात को पता नहीं कैसे सोते-सोते जीजू बीच में आ गये और मुझसे चिपक कर सोने लगे.
वो तो मुझे पेशाब लगीं और मेरी आँख खुल गई. जब मैंने लाइट जलाकर देखा तो वे जीजू थे.
अगर कहीं दीदी देख लेती तो पता नहीं क्या होता!
और उनका लिंग तनाव में उठा हुआ था वे तो रात को अंडरवियर बनियान में ही सोते हैं।
दोस्तो, एक बार पता नहीं कैसे मेरे पूरे शरीर में खुजली की बीमारी हो गयी.
मैं जहाँ पर जितना खुजलाती, वहीं पर उतनी ज्यादा खुजली मचती.
मेरा और ज्यादा खुजलाने का मन करता.
जब मैं स्तन पर खुजलाती तो मेरे गोरे स्तन खुजलाने से लाल हो जाते.
मैं जोर से खुजलाती तो जीजू हँसने लगते.
फिर दीदी मुझे डाक्टर के पास ले गयी तो उसने मुझे नहाने के लिए एक दवाई वाला साबुन और एक तेल दिया जो कि मुझे नहाने से आधे घंटे पहले अपने पूरे शरीर पर लगाना था और फिर उस साबुन से नहाना था।
सब जगह तो मैं तेल लगा लेती लेकिन अब समस्या ये थी कि मैं पीठ पर तेल कैसे लगाती!
मैंने दीदी से कहा तो दीदी मेरी पीठ पर तेल लगाती थी.
एक दिन जीजू ने देख लिया तो जीजू मजाक में बोले- साली जी सारे कपड़े उतार लो. मैं तेल लगा देता हूँ।
सारी मुसीबत जैसे उसी साल मुझ पर आयी थी।
जीजू मजाक में बोलते हैं:
गोरी हो या काली
सबसे प्यारी होती हैं
अपने जीजू की साली
वो भी छोटी वाली,
और मैं तो वैसे भी सबसे छोटी थी।
दोस्तो, उन गर्मी के दिनों में मैं नहा कर तौलिया से बिना पोंछे ही गीले बदन पर कपड़े पहन लेती थी. जिससे गीलापन बना रहता था और थोड़ी देर तक ठंडा ठंडा लगता था, मज़ा भी आता था.
लेकिन ये मज़ा कुछ ही दिनों में सज़ा में बदल गयी।
ऐसा मैं रोज नहा कर करती थी. इससे मेरी चूत और उसके आसपास छोटे छोटे दाने निकल आये जिनसे खुजली मचती थी.
एक बार खुजलाते हुए जीजू ने देख लिया था और दीदी ने भी!
फिर एक दिन मैंने दीदी को चूत पर निकले दानों के बारे में बता ही दिया.
तो दीदी बोली- ठीक है कल डाक्टर के पास चलकर दवाई ले आना.
डाक्टर का नाम सुनते ही मेरी हालत खराब हो गयी.
मैं सोचने लगी कि डाक्टर तो मेरी चूत देखेगा.
इसलिए मैंने दीदी से मना कर दिया।
फिर अगले दिन सुबह दीदी बोली- नीलम, चलो अस्पताल दवाई ले आओ.
तो मैंने मना कर दिया.
दीदी गुस्सा होकर बोली- दवाई नहीं लोगी तो दाने कैसे ठीक होंगे?
मैंने कहा- दीदी अपने आप ठीक हो जायेंगे।
दवाई का नाम सुनकर जीजू बोले- क्या हो गया? किस चीज की दवाई लेने जा रही हो.
अब मैं कैसे बताती कि मेरी चूत पर दाने निकल आये है.
जीजू दीदी से पूछने लगे.
फिर दीदी ने इशारे से जीजू को बताया कि नीलम की चूत पर दाने निकल आये है।
जीजू मेरी तरफ देख कर हँसे और कहने लगे- साली जी, जाकर दवाई ले आओ ना! क्या परेशानी है?
मैंने गर्दन हिलाते हुए मना कर दिया और कहा- मुझे नहीं जाना है।
फिर दीदी ने कहा जीजू से- ऐसा करिए … पास वाले क्लिनिक से आप डाक्टर को घर पर ही बुला लाइये.
यह बात सुनकर मेरी तो हालत ही खराब हो गयी।
फिर जीजू बाहर चले गये और थोड़ी देर बाद पास के ही एक क्लिनिक से महिला नर्स को बुला कर ले आये.
नर्स को देख कर मुझे कुछ सुकून मिला कि चलो पुरूष डाक्टर तो नहीं है।
फिर उस महिला नर्स ने मुझसे पूछा- दाने कहाँ पर हैं और कितने दिनों से हैं?
मैंने बता दिया.
फिर वह नर्स बोली- दिखाओ दाने कितने बड़े हैं?
तो मैंने मना कर दिया. जीजू कमरे के बाहर खड़े थे।
दीदी गुस्सा होकर बोली- जब नर्स कह रही है तो दिखा दो ना!
इतना कहते ही दीदी ने मुझे बैड पर लिटा दिया और मेरी सलवार का नाड़ा पकड़कर खींच दिया.
मैंने दोनों हाथों से कसकर अपनी सलवार पकड़ ली और उतारने नहीं दी।
नर्स से मैंने कहा- आप ऐसे ही दवाई दे दीजिये.
तो वह नर्स बोली- बिना देखे तो दवाई देना ठीक नहीं है एक बार चेक करा दीजिये. तो उसी के हिसाब से दवाई ज्यादा ठीक रहेगी।
जब मैंने सलवार नहीं छोड़ी तो दीदी ने जीजू को आवाज़ लगा दी- अजी सुनते हो! नीलम तो दिखा ही नहीं रही है.
दीदी के इतना कहते ही जीजू अन्दर आ गये.
और जीजू ने मेरे दोनों हाथ पकड़कर ऊपर कर दिए.
दीदी ने मेरी सलवार और पैंटी निकाल कर मेरे दोनों पैरों को पूरा फैलाकर खोल दिया.
मैं अपने पैरों को हिला भी नहीं पा रही थी.
अब मेरी चूत उन तीनों के सामने थी.
मेरी नंगी चूत देखते ही जीजू के मुँह से निकल गया- आए हाय!
उस नर्स ने एक दो मिनट तक मेरी चूत को चेक किया.
मुझे गुदगुदी हो रही थी.
जब नर्स ने हाथ लगाया तो मेरी सिसकारी निकल रही थी.
जीजू की नजर तो हट ही नहीं रही थी. वे बहुत ध्यान से मेरी चूत को देख रहे थे।
फिर उस नर्स ने कुछ दवाइयाँ लिखी. मैंने अपनी सलवार और पैंटी पहन ली थी और जीजू मेरी दवाइयाँ ले आये.
उसमें एक चूत पर लगाने के लिए ट्यूब भी लिखा था जिसे मैं रात को सोने से पहले अपनी चूत के चारों तरफ लगाती थी.
और मुझे पैंटी पहनने के लिए भी मना कर दिया था।
फिर लगभग दस बारह दिनों में मेरे दाने ठीक हो गये।
बीच बीच में दीदी भी पूछ लेती थी कि अब कैसे है दाने?
तो मैं कह देती थी- कि अब तो ठीक हो रहे हैं.
एक दिन दीदी ने पैंटी उतरवा कर देखे भी थे।
उस दिन से जीजू और भी ज्यादा मजाक करने लगे.
कभी कहते कि अपनी चूत के दाने दिखा दो!
तो कभी बोलते- साली जी, कसम से तुम्हारी चूत बहुत गोरी है.
मुझे शर्म आ जाती लेकिन जीजू बेहिचक खुलकर बोल देते थे.
एक-दो बार जीजू बोले- साली जी तुम्हारी सील मैं एक झटके में तोड़ दूँगा।
एक दिन की बात है कि सुबह जीजू ऑफिस जा चुके थे और दीदी को बैंक का कुछ काम था इसलिए दीदी बैंक चली गयी थी.
मैं घर पर ही थी.
तभी मेरे फोन पर एक मिस कॉल आयी.
मैंने देखा तो वह मेरी सहेली की मिस कॉल थी.
बहुत दिनों से उससे बात नहीं हो पायी थी.
फिर मैंने कॉल करी और अपनी सहेली से बात करने लगी.
वह मेरा हाल-चाल पूछने लगी तो उसको अपने स्तन के आपरेशन वाली बात बताने लगी.
मैंने उसको सब कुछ बता दिया.
सुनकर उसको भी बहुत अचम्भा हुआ.
फिर मैंने चूत पर दाने निकलने वाली बात भी उसको बतायी और कहा कि मेरी चूत पर जो दाने निकले थे, वे अब ठीक हो गये हैं।
जब मैंने इतना कहा, तभी पीछे से जीजू आ गये और बोले- साली साहिबा, चूत पर दाने ठीक हो गये और बताया भी नहीं?
पता नहीं कब जीजू ऑफिस से आ गये होंगे।
जीजू बोले- किसका फोन था साली जी?
मैंने कहा- मेरी सहेली का फोन था.
और मैंने तुरन्त फोन काट दिया।
फिर जीजू बोले- तुम्हारी चूत पर दाने बिल्कुल ठीक हो गये हैं मैं भी तो देखूं जरा?
और इतना कहते ही जीजू ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैं हाथ छुड़ाने लगी और बोली- नहीं जीजू … अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ।
तो जीजू बोले- साली साहिबा, एक बार मैं भी तो देख लूँ कि अब दवाई की जरूरत है या नहीं।
फिर जीजू मुझे गोद में उठा कर अन्दर कमरे में ले गये और डबल बैड पर लिटा दिया.
मैं कहने लगी- छोड़ो जीजू … प्लीज मुझे छोड़ दो।
जीजू ने एक नहीं सुनी और मेरी लोवर उतार दी.
अब मैं पैंटी में थी.
फिर जीजू ने मेरी पैंटी कच्छी भी निकाल दी.
मुझे बहुत शर्म आ रही थी.
जीजू बोले- साली साहिबा उस दिन जब से मैंने तुम्हारी चूत को देखा है, तब से मैं पागल हो गया हूँ।
मैंने कसकर दोनों जाँघों को चिपका लिया और चूत को छिपाने लगी.
लेकिन जीजू ने मेरे
दोनों पैरों को खोलकर फैला दिया और मेरी चूत को करीब से देखने लगे।
फिर जीजू मेरी भगनासा को छूने सहलाने लगे।
मैंने कहा- जीजू मत करो. प्लीज छोड़ दो. मैं मर जाऊँगी।
लेकिन जीजू कहाँ मानने वाले थे; उन्होंने मेरे हाथ पकड़ कर बैठाया और मेरी कमीज़ को निकाल दिया.
अब मैं सिर्फ सफेद रंग की ब्रा में थी।
फिर जीजू ने अपनी जींस, टी-शर्ट और बनियान को निकाल दिया और अंडरवियर में हो गये.
उनका लिंग मुझे अंडरवियर के अन्दर ही फूला हुआ महसूस हो गया था.
फिर जीजू ने मुझे उठाया और फ्रेंच किस करने लगे।
वे मेरी जीभ को चूस रहे थे और जीभ से जीभ लड़ा रहे थे.
मैं तो गर्म होती जा रही थी।
फिर जीजू उठे और अपना अंडरवियर भी निकाल दिया.
अंडरवियर उतारते ही उनका लिंग किसी स्प्रिंग की तरह हिल रहा था; बहुत लम्बा और मोटा था.
फिर जीजू बोले- लो चूसो!
उन्होंने अपना लिंग मेरे होंटों के पास कर दिया. तो मैंने गर्दन हिलाकर मना कर दिया.
फिर जीजू ने मुझे उठाया और पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोलकर दूर फेंक दी.
अब जीजू और मैं बिल्कुल नंगे थे।
कसम से मुझे बहुत शर्म आ रही थी. मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि मैंने डबल बैड की चादर को ओढ़ लिया था.
लेकिन जीजू ने उसे भी हटाकर अलग कर दिया.
मैंने कहा- जीजू मत करो. प्लीज छोड़ दो. दीदी आ जायेंगी.
लेकिन जीजू अब कहाँ मानने वाले थे और दीदी भी तीन चार घंटे से पहले नहीं आने वाली थी; ये तो जीजू को भी पता था।
फिर जीजू ने मुझे 69 वाली पोजीशन में कर दिया और बोले- साली साहिबा अब चूसो!
अब उनका लिंग बिल्कुल मेरे होंटों पर था हालाँकि मैंने अपने होंटों को बंद कर लिया था मैं अपने होंठ नहीं खोल रही थी।
दूसरी तरफ जीजू अपनी जीभ की नोक से मेरी भगनासा को छू रहे थे.
फिर जीजू ने अपने दाँत से मेरी भगनासा पर हल्के से काटा तो मेरी आआआह … निकल गयी.
जैसे ही मैंने ऊउई … आह … आआह … आआ … आह किया, वैसे ही मेरा मुँह खुल गया और जीजू ने अपने लिंग का सुपारा मेरे होंटों के अंदर कर दिया.
मैंने लिंग को बाहर निकालने की बहुत कोशिश की लेकिन असफल रही और जीजू ने पूरा लिंग मेरे हलक़ तक डाल दिया।
जब लिंग मेरे हलक़ में जाकर फँसा तब मुझे अहसास हुआ कि लिंग कितना लम्बा, मोटा और सख्त होता है.
क्योंकि डाक्टर ने तो चुसाया नहीं था और ना मैंने चूसा था.
लेकिन जीजू चुसा रहे थे।
लगभग दस मिनट तक जीजू अपना लिंग चुसाते रहे.
मेरा दम घुटने लगा था; मैं कुछ बोल भी नहीं पा रही थी.
उधर जीजू ने अपनी जीभ मेरी चूत में डाल रखी थी. मैं बस मछली की तरह तड़प रही थी।
दस मिनट तक ये सब करने से मैं और जीजू इतने गर्म हो गये कि हम दोनों एक साथ झड़ गये.
जीजू ने लिंग फिर भी नहीं निकाला उनका माल मेरे मुँह में निकल चुका था।
इसका नतीजा यह हुआ कि मुझे उल्टी हो गयी.
मैंने कहा- जीजू आप बहुत गंदे हो.
फिर जीजू ने मुझे कुल्ला करवाया और गोदी में उठा कर कमरे में ले गये.
मैंने कहा- जीजू मुझे अब कुछ नहीं करना है, मुझे छोड़ दो.
तो जीजू बोले कि अरे अभी तो मैंने कुछ किया ही नहीं है।
फिर जीजू ने मुझे लिटा दिया और लंड का सुपारा मेरी चूत की दरार में फंसा दिया.
उन्होंने अपने एक हाथ से मेरा मुँह बंद किया और धक्का लगा दिया. जिससे उनका लिंग आधा अंदर चला गया था.
मैं छटपटायी और जीजू का हाथ हटाने लगी लेकिन नहीं हटा पायी.
इतने में जीजू ने कसकर दूसरा धक्का लगा दिया जिससे उनका पूरा लिंग अन्दर चला गया.
जीजा साली का प्यार सेक्स तक पहुंच गया. मैं बिलबिलाती रह गई और रोने लगी।
जीजू का लिंग मेरी चूत में ऐसे कस गया था जैसे कोई नट-बोल्ट आपस में कस जाते हैं.
तभी जीजू बोले- मेरी जान, बड़ी कसी चूत है।
मेरी चूत में लगभग तीन महीने बाद कोई लंड गया था इसलिए कसी तो होगी ही!
फिर जीजू ने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू किये.
अब मेरी सिसकारियाँ निकलने लगी थी.
पाँच मिनट बाद ही जीजू रुक गये और बोले- साली साहिबा, तुम्हारी सील तो पहले ही खुल चुकी है.
क्योंकि मेरी चूत से खून नहीं निकला था इसलिए जीजू समझ गये.
वे तो इस मामले में पक्के खिलाड़ी थे. शादी से पहले उन्होंने बहुत सीलें तोड़ी थी.
उन्होंने बाद में मुझे बताया था।
अब मैं क्या कहती … मेरी सील तो डाक्टर ने पहले ही तोड़ दी थी.
लेकिन जीजू यही समझ रहे थे कि मेरी सील बन्द होगी.
और फिर मुझे वह डाक्टर वाली बात बतानी ही पड़ी।
फिर जीजू हल्के हल्के धक्के लगाने लगे.
मेरी सिसकारियाँ निकल रही थी.
दस पन्द्रह मिनट के बाद जीजू झड़ गये. उन्होंने कंडोम लगाया हुआ था.
फिर जीजू ने थोड़ी देर रूक कर आराम किया. और तभी उनका लंड फिर तन गया.
दूसरा कंडोम लगाकर उन्होंने मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड को चूत में डालकर चोदने लगे.
इस बार जीजू ने बीस मिनट तक चोदा।
उस दिन जीजू ने मुझे ढाई घंटे में चार बार चोदा.
उन्होंने वियाग्रा की गोली खा ली थी।
फिर लगभग तीन घंटे बाद दीदी आ गयी.
उसके बाद जब भी मौका मिलता; जीजू मेरी चुदाई करते.
मैं वहाँ एक महीने रही थी और एक महीने में मेरी बहुत बार चुदाई हुई।
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