दोस्तो, इस सेक्स कहानी में मैं आपको बता रहा हूँ कि मेरी दीदी गैरों से कैसे चुदी थीं.
मेरा नाम राहुल है, मैं बिहार का रहने वाला हूँ.
मेरा दीदी का नाम शालू है, उसकी उम्र 21 साल की है. मेरी बहन एकदम मस्त और कमसिन सेक्सी माल लगती है.
वह एकदम दूध सी गोरी चिट्टी है. उसका फिगर भी बड़ा कमाल का है. जो भी उसे एक बार देख लेता है, वह उसे चोदने की फिराक में रहता है.
जब भी वह कपड़े पहनती है तो एकदम चुस्त कपड़े ही पहनती है जिससे उसका बदन कपड़ों के ऊपर से साफ पता चलता है.
उसकी गांड की लाइन कपड़े के ऊपर से साफ दिखायी पड़ती है.
जब लोग उसे कामुक नजरों से देख कर आहें भरते हैं तो उसे खुद में बड़ा अच्छा लगता है. Xxx दीदी की हॉट जवानी सबकी नजरों में थी.
मेरी दीदी का अभी तक कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं था.
उसको लगता तो था कि उसका भी ब्वॉयफ्रेंड हो लेकिन इतनी सुन्दर होने के कारण लोग उससे डरते थे और ये भी सोचते थे कि ये इतनी सुन्दर है, तो इसका कोई न कोई ठोकू पहले से ही होगा.
इसी वजह से कोई लड़का उससे बात ही नहीं करता था.
एक दिन मेरी दीदी बाजार जा रही थी.
उसके साथ में मैं और दीदी की सहेली भी थी.
हम लोगों के घर से बाजार 3 किलोमीटर की दूरी पर था.
इस दूरी में 4 पुल भी थे, जिसमें दो बड़े थे और दो छोटे थे.
गांव से बाजार का ये रास्ता एकदम सुनसान ही रहता था. ख़ास तौर पर गर्मियों में तो उधर से कोई निकलता ही नहीं था.
इसका एक बड़ा कारण ये भी था कि ये पुराना रास्ता था और सड़क के नाम पर सिर्फ गड्डे थे.
चूंकि गांव से बाजार के लिए एक नई सड़क बन गई थी, तो सभी लोग अपने निजी साधनों से उसी रास्ते से जाते थे.
हम लोग अक्सर इधर से ही बाजार जाते थे. क्योंकि ये रास्ता भले ही टूटा-फूटा था, पर जल्दी पहुंच जाता था.
बस दिक्कत ये थी कि उस समय कोई सवारी गाड़ी आदि नहीं चलती थी, तो हम सभी को पैदल ही जाना पड़ता था.
जब हम लोग बाजार जा रहे थे तो रास्ते में कुछ मनचले बैठे हुए थे.
वहीं पर दीदी को अपनी पजामी में कुछ दिक्कत हुई और वो उन लोगों के सामने गांड ऊंची करके झुकी.
उसने अपनी पजामी ठीक किया और आगे बढ़ने लगी.
वे मनचलों ने दीदी के ऊपर कमेंट करने लगे.
उस समय मैं इन सब बातों से बेखबर था और उस तरह की बातों का मतलब समझ नहीं पाता था कि वो क्या बोल रहे हैं.
उन लफंगों के तंज पर मेरी दीदी हल्की सी मुस्कुरायी और आगे बढ़ गयी.
मैंने दीदी से पूछा- वो लोग क्या बोल रहे थे?
दीदी ने कहा- कुछ नहीं, वो आपस में ही कुछ जोर जोर से बोल रहे थे.
मैं कुछ कुछ समझ रहा था कि दीदी मुझसे कुछ छुपा रही है.
फिर भी उनकी बातों पर उतना गौर नहीं किया और हम सभी आगे बढ़ते गए.
कुछ दूर आगे निकलने के बाद दीदी बोली- ये सब बात घर में किसी को मत बोलना.
मैंने बोला- ठीक है, कोई बात नहीं.
इसके बाद से मेरे दिमाग में कुछ कीड़ा घुस गया था तो मैं अपनी दीदी पर नजर रखने लगा.
वो मुझे बिल्कुल चूतिया समझती थी तो मेरे सामने ही अपने कपड़े बदलने लगती थी.
रात को वो मेरे साथ एक ही कमरे में अलग बिस्तर पर सोती भी थी तो मैं उसे देखता रहता था.
उस घटना के बाद जब मैंने ध्यान दिया तो पाया कि दीदी रात को अपनी टांगों के बीच में उंगली करती रहती है और आहें भरती है.
धीरे धीरे मैं सब समझने लगा कि ये अपनी चूत की आग से परेशान है.
कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.
अब मैं जब भी दीदी के साथ बाजार जाता, वो लड़के मेरी दीदी को देख कर उस पर फब्तियां कसते.
फिर उन मनचलों ने मुझसे दोस्ती करने के लिए बहुत से बहाने निकाले.
कभी जहां मैं खेलने जाता, वो वहां आ जाते और मेरे साथ में खेलने लगते.
इस बीच उनसे मेरी दोस्ती हो गई.
वो लोग मेरे लिए चॉकलेट लाते, कभी चुपके से बाजार ले जाकर आइसक्रीम या गोल गप्पे खिलाते थे.
मुझे अच्छा लगने लगा था.
एक दिन वो समय आ गया, जब उन्होंने मेरी दीदी को चोदने का कार्यक्रम बना लिया था.
उस समय गर्मी का मौसम था, लू भी चल रही थी.
दीदी घर से किसी काम के बहाने बाजार जाने के लिए बोली.
मम्मी ने पूछा- इस समय बाजार किसके साथ जाना है?
दीदी बोली- भाई और मेरी सहेली रहेगी.
मम्मी ने मान लिया और जाने की हां कर दी.
मम्मी- ठीक है, पर जल्दी आना.
हम दोनों तैयार होकर बाजार जाने लगे.
मैंने देखा कि उस दिन दीदी ने क्या गजब की लैगी कुर्ती पहनी हुई थी.
लैगी तो आप जानते ही हैं कि एक ऐसी टाइट सलवार होती है, जो टांगों से एकदम चिपकी हुई रहती है.
उसके ऊपर दीदी ने चुस्त कुर्ती पहनी हुई थी. वो भी एकदम पतले कपड़े की … और काफी छोटी सी. वो दीदी की आधी गांड को ही ढक पा रही थी.
उनकी ब्रा कुर्ती के ऊपर से ही साफ़ नुमाया हो रही थी.
उस समय तकरीबन 11 बज रहे होंगे. धूप तेज हो गई थी.
हम दोनों घर से निकल आए लेकिन दीदी की सहेली साथ नहीं थी.
मेरे पूछने पर दीदी बोली- वो नहीं जाएगी.
मैंने बोला- फिर आपने घर में झूठ क्यों कहा?
तो दीदी बोली- मम्मी हमें बाजार नहीं जाने देतीं, इसलिए.
मैं चुप रह गया.
घर से कुछ दूर निकलने के बाद मैंने देखा कि लू की वजह से दूर दूर तक कोई भी व्यक्ति नहीं दिख रहा है.
तभी मेरी नजर पुल की तरफ गई तो वो सभी मनचले, जो अब मेरे दोस्त बन गए थे, वहां पर एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे.
हमें उन लोगों के पास से होकर ही बाजार जाना था.
हम दोनों उन लोगों के पास को जैसे जैसे बढ़ रहे थे, वो लोग भी इधर ही देख रहे थे.
जब उनके नजदीक आए, तो देखा कि वो 6 लोग थे.
उनमें से एक ने मुझसे पूछा- कहां जा रहे हो राहुल?
मैंने कहा- बाजार जा रहे हैं.
फिर उसने कहा- मैं भी चलूं?
मैंने कहा- हां चलो.
मेरी बात सुनकर वो सारे लोग खड़े हो गए और साथ चलने लगा.
मुझे न जाने क्यों थोड़ा अजीब सा लगा.
फिर मैंने सोचा कि चलो दोस्त हैं, आज ये फिर से मुझे कुछ न कुछ खिलाएंगे.
उनमें से दो मेरी तरफ आ गए, बाकी चारों मेरी दीदी की तरफ चले गए.
कुछ ही देर में उन लोगों ने मेरी दीदी को चारों तरफ से घेर लिया.
उन लोगों ने मुझे ऐसे घेर लिया था कि मैं दीदी को देख न सकूँ.
लू की वजह से रास्ता एकदम सुनसान था … किसी का आना जाना भी नहीं था. इसी बात का फायदा वे लोग मेरे दीदी के साथ उठाने लगे थे.
तभी एक मेरे दीदी की गांड में उंगली करने लगा था और दूसरे ने बुर में हाथ लगा था.
तीसरे ने पीछे से दीदी की कुर्ती को ऊपर करके अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी चुची दबाने लगा.
चौथे से भी रहा नहीं गया तो उसने दीदी टाइट लैगी को पैंटी को दीदी के चूतड़ों से नीचे कर दिया.
दीदी वैसे ही चलती जा रही थीं और जरा भी विरोध नहीं कर रही थीं.
इससे वो चारों अब चलते चलते दीदी के अंगों से खेलने लगे थे और दीदी को मजा आ रहा था क्योंकि उसके साथ ये सब शायद पहली बार हो रहा था.
जब मैं दीदी की तरफ मुँह करता था तो वो लोग मुझे दीदी की तरफ मुँह करने ही नहीं दे रहे थे.
वे लोग उसी समय कुछ न कुछ मुझसे बोलने लगते थे.
फिर भी मैं हल्की नजर करके दीदी को देख रहा था.
दीदी क्या क्या करवा रही थी, मैं देख कर हैरान था.
जो दो लोग मुझसे बात कर रहे थे, उन्होंने अपने दोस्तों को इशारा किया.
इशारा पाकर उन चार लड़कों में से दो मेरा पास आ गए और दो लोग जो मेरे पास थे, वो दीदी के पास चले गए.
इस अदला बदली में मेरी नजर दीदी की ओर गई, तो मैंने देखा कि दीदी की गोरी जांघें और बुर क्या गजब की लग रही थी.
उसकी चूत नंगी हो गई थी और चूत पर एक भी बाल नहीं था. एकदम कचौड़ी सी फूली हुई बुर बड़ी मस्त दिख रही थी.
वो सब धीरे धीरे आगे बढ़ भी रहे थे.
फिर वो दोनों जो मेरे पास से दीदी के पास गए थे, वो जैसे दीदी पर टूट पड़े मानो पहली बार उन्हें किसी लौंडिया की बुर मिली हो.
जाते ही एक लड़के ने अपना एक हाथ दीदी की बुर में लगा दिया और उंगली चूत में पेल दी.
दूसरे ने दीदी की चुची पर हाथ जमाया और वो दीदी की चूची को दबाने लगा.
थोड़ी दूर पर बड़ा वाला पुल था. वहां पर जाकर सभी पुल पर बैठ गए और मेरी दीदी भी बैठ गई.
जब मैंने अपना मुँह आगे किया तो देखा कि मेरी दीदी एक लड़के की गोद में बैठी थी और वो आधी नंगी हो गई थी.
उसके घुटनों पर उसकी लैगी और पैंटी थी. ऊपर से दोनों चुचियां दीदी की ब्रा से आजाद थीं. दीदी अपने अगल बगल में खड़े लड़कों का लंड अपने हाथों में पकड़कर सहला रही थी.
जिस लड़के ने अपनी गोद में दीदी को बैठाया हुआ था, वो दीदी की बुर में उंगली किए जा रहा था.
तभी कुछ दूर से एक बाइक सवार को आते देख कर सब हड़बड़ा गए.
एक झट से पुल के नीचे कूदा और दीदी को भी कुदा दिया. दीदी जैसे ही नीचे गिरने को हुई, नीचे वाले ने दीदी को सम्भाल लिया. वो दीदी को अपनी गोद में उठाए पुलिया के अन्दर चला गया. उसमें दो लोग आ गए थे. बाकी चार लोग पुल के ऊपर थे.
तभी वहां वो बाइक वाला आ गया. उस बाइक पर एक और बुजुर्ग आदमी बैठे थे, जो तकरीबन 65 साल की उम्र के होंगे.
पुल पर बैठे लड़कों में से एक उस बाइक वाले को पहचानता था.
बाइक वाले आदमी ने उस लड़के से पूछा- तुम इतनी लू लपट में यहां पर क्या कर रहे हो बे?
वो लड़का बोला- कुछ नहीं भैया, दोस्तों के साथ घूमने आया था.
तभी नीचे से मेरी दीदी की आवाज आ रही थी, जो मदमस्त होकर सिसकारी भरी आवाज थी- उहह हहह आह हहह आहह!
उस बाइक वाले आदमी को कुछ शक हो गया. उसने बाइक एक तरफ लगायी और तुरंत पुल के नीचे कूद गया.
जैसे ही वह कूदा, सबके होश उड़ गए. दीदी जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी.
तभी वह व्यक्ति ऊपर आया दीदी नीचे ही रही.
उस व्यक्ति ने बोला- ये सब क्या चल रहा है … मैं अभी तुम सबको बताता हूँ.
तभी उसमें से एक लड़का बोला- क्यों हल्ला मचा रहे हैं भैया, आप भी कर लीजिए न!
कुछ देर बाद वह भी मान गया और बोला- इसको किसी ने अभी चोदा है?
सबने न बोला.
बाइक वाला बोला- सबसे पहले मेरे चाचाजी इसको चोदेंगे और इस लौंडिया की बुर का उद्घाटन करेंगे.
सब राजी हो गए.
सबने मिलकर दादा जी को नीचे उतार दिया और मेरी दीदी से कहा गया कि इन अंकल जी का लंड चूसकर टाइट करो.
तो दीदी ने वैसा ही किया, जैसा वो बोले.
दीदी चाचा जी का लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
उनका लंड काफी देर के बाद टाइट हुआ.
जैसे लंड टाइट हुआ, चाचा जी ने जरा भी देर नहीं की, वे तुरंत अपना लंड दीदी की बुर में डालने लगे.
लेकिन दीदी की बुर का छेद छोटा और टाइट होने की वजह से चाचा जी का लंड अन्दर नहीं जा रहा था.
वो बार बार अपने लंड से दीदी की बुर को कभी सहलाते, तो कभी गांड पर रगड़ते … लेकिन लंड अन्दर नहीं गया.
चाचा जी का लंड देर तक खड़ा नहीं रह सका और वे दीदी की बुर पर लंड रख कर ही झड़ गए.
उसके बाद वह बाइक वाला आदमी दीदी की बुर को चोदने आगे आया.
जैसे ही उसने दीदी की बुर में अपने लंड का सुपारा पेला, दीदी जोर से ऐसी चिल्लायी, मानो उसके लंड ने दीदी की बुर को फाड़ दिया हो.
मगर वो आदमी नहीं रुका उसने दीदी की बुर की चुदाई जारी रखी और धकापेल करता रहा.
उसके बाद उस आदमी ने कहा- तुम लोग क्या देख रहे हो, टूट पड़ो.
सब मेरी दीदी के ऊपर टूट पड़े.
दीदी जोर जोर से चिल्लाने लगी.
तभी उसमें से एक ने बोला- ऊपर जाकर देखना जरूरी हैं, उसकी आवाज सुनकर कोई और ना आ जाए.
एक लड़का ऊपर चला गया.
अब सबने बेफिक्र होकर दीदी को चोदना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद दीदी के मुँह से आवाज निकलना कुछ कम हो गया था. जैसे उसे भी ज्यादा मजा आने लगा हो.
दीदी- उहहह … आहहह धीरे करो … ईहहह मजा आ रहा है आहहह
सभी ने दीदी को खूब चोदा. बारी बारी से दीदी की गांड भी मारी और बुर का तो भोसड़ा बना दिया.
एक एक करके सब दीदी को चोदते चले गए.
सालों ने मेरी दीदी को सड़क छाप रंडी बना दिया था.
कोई दीदी की बुर में झड़ता, तो कोई दीदी के मुँह में.
दीदी ने सबके वीर्य को पी गयी.
फिर ऊपर देख रहा लड़का भी नीचे आ गया उसने भी दीदी की गांड और बुर दोनों छेदों को चोदा और अपना पानी दीदी के मुँह में झाड़ दिया.
दीदी ने उसे भी पी लिया.
सभी ने देखा कि इस रंडी को सबने चोदा मगर इसके भाई ने इसको नहीं चोदा.
तभी उन सबने मुझे भी नंगा कर दिया.
उन्होंने दीदी से कहा- अपने भाई का लंड भी चूस!
दीदी हंस कर बोली- ये मेरा भाई है. मैं भाई के साथ नहीं कर सकती हूं.
तभी उसमें से एक ने बोला- रंडी साली कुतिया मादरचोद … भाई के सामने चुदवा सकती हो, उसमें शर्म नहीं आई और भाई का लंड चूसने में तुझे दिक्कत आ रही है. चूस जल्दी से और बन जा भैन की लौड़ी.
उसकी ‘बन जा भैन की लौड़ी …’ बात से दीदी को हंसी आ गई और उसने उन सबकी बात नहीं टाली.
वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. मेरा बिना बाल का लंड टाइट होने लगा.
लंड टाइट होते ही सबने मुझे दीदी की बुर चोदने के लिए कहा.
पहले मुझे शर्म आ रही थी. फिर जैसे ही मैंने दीदी की बुर में अपना लंड डाला, मुझे बड़ा मजा आने लगा.
लेकिन मेरे चोदने से दीदी को फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि वह पहले ही बड़े बड़े लंड लेकर अपनी बुर फड़वा चुकी थी.
उसके बाद मैंने दीदी को उल्टा करके उसकी गांड में अपना लंड डाला, तो दीदी थोड़ी थोड़ी सिसकारी लेने लगी.
कुछ देर बाद मुझे झड़ने जैसा लगा तो मैं दीदी की गांड से अपना लंड निकालकर बाहर मूतने चला गया.
इतना चुदने के बाद दीदी से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था.
जैसे तैसे करके वो खड़ी हुई और पुल के नीचे 5 मिनट तक आराम किया.
सबने उस बाइक वाले आदमी से कहा कि इसे इसके गांव के पास छोड़ दो.
फिर बाइक वाले आदमी ने मुझे और दीदी को बाइक पर बिठाया. मुझे आगे और दीदी को बीच में बिठाया.
चाचा जी का शायद अभी तक मन नहीं भरा था, उनका लंड दीदी की चूत में जा ही नहीं पाया था.
उन्होंने दीदी की लैगी को गांड के नीचे सरका दी और अपना लंड बाहर निकाल कर उस पर दीदी को बिठा दिया.
इस बार दीदी की बुर खुली हुई थी, तो चाचा जी का लंड चूत में घुस गया.
अब चाचा जी ने लंड पेले हुए ही दीदी की चूचियां दबानी शुरू की और बाइक चलाने को बोल दिया.
बाइक धीमी रफ्तार से चल पड़ी.
जैसे जैसे बाइक किसी गड्डे में उछलती, वैसे वैसे दीदी भी चाचा जी के लंड पर उछल रही थी.
मैं मिरर में से सब देख रहा था.
फिर जैसे ही मेरा गांव आने वाला था, तो चाचा जी ने बाइक को रोकने का कहा.
बाइक वाला आदमी रुक गया.
चाचा जी ने दीदी को नीचे उतारा और दीदी को बाइक से टिका कर घोड़ी बनाया और धकापेल चोदना शुरू कर दिया.
जैसे ही चाचा जी झड़ने वाले थे, तो उन्होंने दीदी की चूत से लंड खींचा और दीदी के मुँह में सारा वीर्य झाड़ दिया.
दीदी उसे भी बड़े मजे से पी गयी.
चाचा जी बोले- अब तेरा गांव आने वाला है, अपने कपड़े ठीक कर लो.
मेरे गांव के कुछ पहले ही उस बाइक वाले ने हम दोनों को उतार दिया.
चाचा जी ने दीदी से कहा- तेरी बुर, गांड, चुची सारा आइटम मस्त था. फिर कब मिलेगी?
तब दीदी हंस कर बोली- जल्दी ही मिलूंगी.
दीदी के इतना बोलते ही बाइक सवार आदमी और चाचा जी दोनों चले गए.
अब दीदी को बुर और गांड से इतना ज्यादा दर्द हो रहा था कि वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.
मैंने बोला- ऐसे घर जाओगी दीदी?
दीदी बोली- क्या करें, तुम देखना कोई हमें देखे नहीं. हम दोनों छुपते हुए घर में चली जाऊंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
दीदी बोली- घर में तू किसी को कुछ मत बोलना. मैं ही सबको बोल दूँगी कि सहेली के घर गिर गई थी जिससे चोट लग गई है.
तो मैंने बोला- हां ये ठीक है.
फिर हम दोनों गांव में सबकी नजरों से बच कर घर में चले गए.
घर में भी सब सो रहे थे तो किसी को पता भी नहीं चला.
हम दोनों किसी के जागने से पहले पैर हाथ मुँह घोकर सोने चले गए.
इस तरह दीदी ने सभी के साथ अपनी बुर और गांड दोनों फड़वायी.
दीदी अब भी उन लोग से अपना बुर चुदवाती है.
कभी कभी रात को मैं भी अपनी दीदी को चोद लेता हूँ.