नमस्ते दोस्तों! मुझे सुरभि दीदी की चुदाई का यह अवसर बहुत दिनों के बाद मिला था। मेरी और बहन की चुदाई की कहानी का पहला भाग
दीदी ने दिलाई दोस्त की बहन की चूत-1
आपने पढ़ा ही होगा.
इस वक्त दीदी ने कैपरी और केवल टी-शर्ट पहन रखी थी.. क्योंकि जब भी वो घर में होती हैं तो ब्रा और पेंटी तो पहनती ही नहीं हैं।
हम दोनों ने गेट के पास ही थोड़ा रोमान्स करने के वहीं एक-दूसरे को नंगा कर दिया। मैंने दीदी को अपनी तरफ़ घुमा लिया और सीधे उनके मुँह में अपना मुँह डाल कर पागलों की तरह किस करने लगा।
वो भी जोश में आ गई थीं ‘आहह उह..’
मैं उनके एक चूचे को अपने मुँह में भरने की कोशिश कर रहा था.. लेकिन दीदी के चूचे इतने बड़े थे कि यह नामुमकिन था।
वो उधर मादक सिसकारियां भर रही थीं- एमेम आहह आह ओमम्म..!
मैं भी जोश में आ गया और तौलिया भी खोल दिया। मेरा लंड पूरी मस्ती से खड़ा था.. लंड देखकर दीदी मेरे लंड को अपनी हथेली से सहलाने लगीं। कुछ देर बाद दीदी को लंड से मजा आने लगा तो उन्होंने किस करते हुए मेरे लंड को ज़ोर से दबा दिया।
फिर मैंने कहा- चलिए हम आज सुहाग दिन ही मनाएँगे।
मैंने उनको अपने बांहों में उठा लिया और ले जाके बेड पर लिटा दिया।
उनको किस किया तो वो बोलीं- किस में ही टाइम खराब करोगे या कुछ आगे भी करोगे?
मैं उनके एक निप्पल को चूसने लगा.. और वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थीं- अह.. सुशान्त और ज़ोर से चूसो.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊहह..
वो चुदास से छटपटा रही थीं।
मैं दोनों हाथों से उनकी चुची को दबा रहा था और मुँह से एक-एक करके चूस रहा था। फिर मैं एक हाथ से उनकी चूत के बालों पर हाथ फेरने लगा।
दीदी पैर को उछाल-उछाल कर चिल्ला रही थीं- अह.. सुशान्त और ज़ोर से कर, और ज़ोर से दबा भैनचोद और ज़ोर से चूस साले।
मैं उनके पूरे बदन को चूमने लगा। वो मानो नई दुल्हन की तरह कामुक सिसकारियां भर रही थीं और मैं उनके पूरे बदन को किस पर किस करता चला जा रहा था।
फिर मैंने उन्हें उल्टा लिटा दिया और उनके पिछले हिस्से पर अपनी जीभ फिराने लगा। उन्हें तो मानो स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था।
मैंने उनकी दोनों जाँघों के बीच भी अपनी जीभ को घुमाकर उन्हें मस्त कर डाला और फिर ऊपर से नीचे तक उन्हें किस किया।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने कहा- दीदी लंड चूसो और मैं तुम्हारी चूत चूसता हूँ।
फिर मैं दीदी के ऊपर ओर वो मेरे नीचे हो गईं।
मैं उनकी बालों वाली चूत को जीभ डालकर सक करने लगा.. तो वो मानो आसमान में उड़ने लगी और मस्ती में मेरा लंड अपने मुँह में जितना अन्दर ले सकती थीं, उतना लेकर चूसने लगीं।
दीदी को अब खूब मजा आ रहा था। करीब 15 मिनट बाद दीदी बोलीं- सुशान्त मैं झड़ने वाली हूँ और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत को चूसो.. खा जाओ मेरी चूत को.. आआअहह.. आज तक कभी किसी ने इस तरह मेरी चूत नहीं चाटी आआमम..
यह बोलते हुए उन्होंने मेरी गर्दन को अपनी टांगों में कस ली और अपनी चूत ऊपर उठा दी। मैं समझ गया कि वो झड़ गई हैं।
इतनी देर में दीदी की चूत का रस मेरे मुँह के रास्ते मेरे गले में उतर गया। वो शांत हो चुकी थीं लेकिन मेरा लंड अब भी चूस रही थीं।
कुछ देर बाद मैं उठ कर उनकी टांगों के बीच में बैठ गया और उनकी पुसी के मुँह पर लंड रख कर थोड़ी देर के लिए उन्हें सताने के लिए उस पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा।
दीदी को सुपारे की रगड़ से इतना मजा आ रहा था कि वो बोल नहीं पा रही थी, पर उनके चेहरे से साफ़ जाहिर हो रहा था कि वो लंड को लीलने के लिए बेकरार हो रही थीं।
फिर मैंने उनकी चूत के मुँह पर लंड का एक हल्का सा धक्का मारा। इससे वो सिहर उठीं.. अब उन्हें दर्द होने लगा। मैं उनके मुँह पर झुककर उन्हें किस करने लगा। उन्हें वो अच्छा लगा और मैंने इसी किसिंग के दौरान एक और धक्का दे दिया। मेरा लंड कुछ अन्दर घुस गया.. तो उनकी सीत्कार निकल गई, पर मेरे किस करने की वजह से उनकी आह मेरे मुँह में ही रह गई। मैंने किस करना चालू रखा.. उन्हें इससे बहुत अच्छा लग रहा था। साथ ही मेरे दोनों हाथ उनकी चुची को मसल रहे थे। उन्हें बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने अगला धक्का दे मारा और मेरा लंड दीदी की चूत में और अन्दर चला गया।
इस बार दीदी ज़ोर से चिल्ला पड़ीं, पर मैंने उनके मुँह को किस से बंद कर दिया और उनके चूचों को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। उनको थोड़ा दर्द ज़रूर हुआ.. पर वो मेरे लंड से चुदाई के मज़े लूट रही थीं। फिर थोड़ी देर उनकी चुची सहलाने के बाद मैंने एक और आखरी तगड़ा धक्का दे दिया और मेरा पूरा 7 इंच लंबा लंड दीदी की चूत की जड़ तक अन्दर हो गया था।
वो तड़फ कर ज़ोर से सिसकारी भर रही थीं- अहह उईईईईईई मर गई.. मजा आ गया.. अह.. चोद दे यार.. साले भैनचोद.. अहह.. चोद… चोद अपनी दीदी को…
मैं फिर से धक्का मारने लगा। धीरे-धीरे अब वो मुझे अपने मम्मों को उछालटे हुए साथ देने लगीं।
कुछ देर बाद मैंने उनके पैर अपने कंधों पर रखे और अपना पूरा लंड उनकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उनके पैर मेरे कंधे पर होने से पोज़िशन बड़ी टाइट हो गई थी और मेरा लंड भी दीदी की चूत के अन्दर तक चला गया था।
अब मेरा लम्बा लंड सुरभि दीदी की चूत में उछल-कूद करने लगा। वो मस्ती में चिल्ला रही थीं ‘अह.. चोद दिया रे… बहुत बड़ा है.. उईई.. अब बस कर साले.. मुझसे सहा नहीं जा रहा है प्लीज़.. मान जा बेदर्दी.. अह..’
यह बहन की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
पर मैं इतनी जल्दी बस थोड़ी करने वाला था।
कुछ देर बाद उनकी चूत में मेरे लंड ने अपनी जगह बना ली थी और अब दीदी भी मुझसे कह रही थीं कि और ज़ोर से चोद दो.. और मैं धक्के पर धक्के दिए जा रहा था। दीदी भी उछल-उछल कर मेरा साथ दे रही थीं। मैं ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड उनकी चूत में पूरा अन्दर-बाहर करने लगा। दीदी कभी अपने बाल नोंच रही थीं.. तो कभी अपने चूचे को दबा रही थीं।
मुझे भी उनके साथ आज ज़िंदगी का मज़ा लूटने में मजा आ रहा था। अब वो इतनी तेज़ी से उछल रही थीं कि वो उनकी चूत से ‘फ़च.. फ़च..’ की आवाज़ें पूरे कमरे में भरने लगीं। दीदी भी मेरा हौसला बढ़ा रही थीं।
‘और ज़ोर से सुशान्त.. मेरी जान.. और ज़ोर से चोद.. अब बस मैं झड़ने वाली हूँ.. तू मुझे बहुत मजा दे रहा है.. आहह आअम्म.. हाँ और ज़ोर से आआअहह.. लो मैं झड़ गईई..’
दीदी झड़ गईं.. कुछ देर बाद मैं परेशान हो गया था कि मैं झड़ क्यूँ नहीं रहा था दस मिनट बाद मैंने उनकी चूत में गरम-गरम रस डाल दिया और इस दौरान दीदी भी दोबारा झड़ गई थीं।
मेरा लंड अभी तक उनकी चूत के अन्दर था। थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए। मैंने कहा- यार अभी मेरा मन नहीं भरा है।
दीदी बोलीं- तो चुदाई करते रहो ना!
मैंने कहा- उसके लिए पहले तुम्हें इस लंड महाराज की सेवा करनी होगी।
दीदी ने उसे हाथ में लेकर सहलाना चालू किया। मैं उनके निप्पलों को मसलने लगा। दीदी के निप्पल भी अब टाइट होने लगे थे। उन्होंने मेरे लंड को चूमा.. फिर मुँह में ले कर चूसने लगीं।
मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था, मैं भी बोल रहा था- रानी आज इस लौड़े को पूरा चूस लो और ज़ोर से चूस साली.. पूरी जीभ से चाट कर खा लो ना.. अह.. खूब ज़ोर से चूस लो प्लीज़।
वो भी ‘उम्म्म्म..’करके लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी।
दीदी ने अपनी जीभ से मेरा पूरा लंड साफ कर दिया और उसे वापस ताजे केला की तरह तैयार कर दिया और चूस-चूस कर मेरा लंड गरम लोहे की तरह कड़क बना दिया। मैं दीदी की चुची से खेल रहा था, जिससे दीदी भी अब कड़क हो गई थीं।
‘अब तुमको फिर चोद कर मजा देता हूँ रानी.. आओ नीचे..’
‘ओके..’
‘इस बार मैं तुम्हें डॉगी स्टाइल में चोदूँगा।’
वो बोली- कैसे?
मैंने कहा- अरे पागल.. आज तक ऐसे नहीं करवाया.. तो क्या मस्ती मिली रे, रोज नई-नई स्टाइल से चोदने का आनन्द लेना चाहिए मेरी जान।
दीदी गांड हिलाते हुए बोलीं- तो आज मेरे ऊपर कर नई-नई स्टाइल का इस्तेमाल.. मैं भी तो देखूं सही कि कैसा मजा आता है।
मैंने दीदी के दोनों हाथ को साइड में रख कर टेबल पर जमा दिए और बोला- अब थोड़ा झुक जाओ।
फिर मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में खड़ा कर दिया और पीछे से उनके दोनों चूचों को पकड़कर मसलते हुए अपना लंड उनकी दोनों जाँघों के बीच में डालकर अपने लंड को उनकी चूत पर थोड़ा रगड़ा और दीदी को गरम कर दिया। फिर मैंने अपना पूरा लंड एक ही झटके में अन्दर ठेल दिया। मेरे हाथ उनके चूचों को मसल रहे थे.. निप्पलों को पकड़ कर खींच रहे थे.. मसल रहे थे।
इस स्टाइल में उन्हें दोनों तरफ से इतना मजा आ रहा था कि वो मस्ती में ‘अहह..’ करती जा रही थी.. और बोल रही थीं- अह.. चोद… चोद… रुकना नहीं.. बड़ा मजा आ रहा है मेरी जान..
अब मेरा लंड उनकी चूत में स्क्रू की तरह चला गया था और पूरा फिट हो गया था। इससे उन्हें इतनी उत्तेजना हो रही थी कि वो अपनी गांड हिला-हिला कर लंड खा रही थीं। मुझे भी इतना आनन्द आ रहा था कि बस पूछो मत।
मैंने उनसे कहा- अब मेरी हॉर्स पावर का कमाल देखो.. अब मैं तुम्हें घोड़े की तरह चोदूंगा।
मैंने अपनी पोज़िशन मजबूत करने के लिए उनकी चुची को ज़ोर से पकड़ लिया और धक्का देने लगा। दीदी भी अपनी गांड को पीछे कर-कर के मेरा पूरा लंड लीलना चाह रही थीं।
मैं भी ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा। दीदी के गोल-गोल चूतड़ों को धक्के देने में मजा आ रहा था।
वो मस्ती में बोल रही थीं- अह.. चल मेरे घोड़े फटाफट चोद.. और ज़ोर से और जोर से चोद भैनचोद.. आज तेरी रानी मस्त हो गई है सुशान्त.. आज मान गई तुझको.. आज तक इतना ज़ोर का मजा नहीं आया।
अब मेरा भी वक़्त आ गया था कि कभी भी मैं अपना रस छोड़ सकता था।
दीदी भी अब झड़ने वाली थीं। मैंने अब उनकी गांड को दोनों हाथों से पकड़कर धक्के देना चालू किए और वो भी काफ़ी एग्ज़ाइट्मेंट में चिल्लाए जा रही थीं ‘आआहह ऊफफ्फ़.. ईईसस्स्स.. और ज़ोर से धक्का मार साले.. मेरी चूत फाड़ दे चोद चोद के.. अह..’
फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए और धीरे-धीरे शिथिल होते हुए अलग हो गए।
इसके बाद मैंने दीदी से थोड़ी इधर-उधर की बातें की कि उनको कैसा लगा।
दीदी बोली- अब और कौन से स्टाइल बाकी है?
दोस्तो, सुरभि दीदी को नए नए आसनों में चुदने की बड़ी इच्छा थी.. अब अगले भाग में नए तरीके से मेरी बहन की चुदाई होगी और साथ ही पड़ोसन दिव्या की चूत का क्या हुआ उसके बारे में भी लिखूंगा। आपको मेरी इस सेक्स स्टोरी में मजा रहा है। आप मुझे अपने मेल जरूर लिखिएगा।
[email protected]
आप मुझसे फेसबुक से भी जुड़ सकते हैं।