हेलो दोस्तों, मेरा नाम राकेश है. मैं चंडीगढ़ का रहने वाला हूँ. आज मैं आपके लिए एक और सेक्सी कहानी लेकर आया हूँ. उम्मीद करता हूँ कि आप सब को जरूर पसंद आएगी।
मेरी पिछली कहानी थी महिला मित्र की दुबारा सुहागरात में चुदाई की कामना
पहले जिन दोस्तों को मेरे बारे नहीं पता उन्हें मैं बता दूं कि मैं एक शादीशुदा 43 साल का व्यक्ति हूँ और पेशे से फैशन फोटोग्राफर हूँ, इस वजह से चूत की कोई कमी नहीं है, मेरे लन्ड सात इंच लम्बा व ढाई इंच मोटा है जो किसी भी औरत की चूत की गहराई नापने के लिए काफी है।
तो चलिए ज्यादा टाइम ना बर्बाद करते हुए कहानी पर आते हैं।
टाइम सुबह के 11.30 बज रहे हैं और मैं अपने आफिस के स्टूडियो में दो नई मॉडल्स का फोटो शूट कर रहा हूँ, तभी मेरे फ़ोन पर नीरू की कॉल आती है।
नीरू मेरी माशूक है, वो शादीशुदा है और तीन बच्चों की माँ है. पर उसे देख कर कोई कह नहीं सकता कि वो तीन बच्चों की माँ होगी. उसका शरीर बिल्कुल कसा हुआ है। हम दोनों के सम्बन्ध को 10 साल हो गए हैं. इन दस सालों में मैंने नीरू को इतनी बार चोदा है कि इतनी बार तो वो अपने पति से भी नहीं चुदी होगी.
खैर मैंने फ़ोन पिक किया- कहो मेरी जान, आज सुबह सुबह कैसे याद किया?
नीरू- याद तो तुम हमेशा आते हो जानू, पर आज मैंने तुम्हें तुम्हारे ही मतलब की बात बताने के लिए फ़ोन किया है।
मैं- अच्छा तो बताओ क्या है वो बात?
नीरू- जानू, क्या तुम शनिवार की छुट्टी ले सकते हो ओफिस से?
मैं- क्यों क्या इरादा है, फिर से चूत मरवानी है क्या? अभी परसों ही तो हमने दो घण्टे तक सेक्स किया था तुम्हारे घर।
नीरू- वो तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है, और हां इस बार हम सोलन जाएंगे।
मैं- ठीक है मेरी जान मैं ले लूंगा छुट्टी।
नीरू- ठीक है, फिर मैं तुम्हे शनिवार को सुबह 10 बजे 17 सेक्टर के बस अड्डे पर मिलूंगी।
मैं- ओके मेरी जान, बाये लव यू।
शनिवार को मैं अपनी कार से बस अड्डे पहुंचता हूँ, मुझे वहां नीरू कहीं दिखाई नहीं देती, पांच मिनट बाद मैं नीरू को फ़ोन लगाता हूँ पर उसका फ़ोन नहीं लगता, मैं निराश होकर वापिस जाने लगता हूँ, तो मेरी नज़र सामने खड़ी नीरू की छोटी बहन वंदना पर पड़ती है.
वो मुझे देख कर मुस्कुरा कर हाथ हिलती हुई मेरी तरफ आती है और आकर मुझे बांहों में भर लेती है, मैं उसे देख कर हैरान हो जाता हूँ।
क्या माल लग रही थी वो … उसने एक सफेद रंग की फ्रॉक पहनी थी जिस पर गुलाबी रंग के फूल प्रिंट थे, जिसकी लम्बाई उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर थी जिस कारण उसकी चिकनी सफेद जांघें दिख रही थी.
मेरा लन्ड तो उसे देख कर ही खड़ा हो गया।
वंदना- क्या बात जीजू, मुझे देख कर आप खुश नहीं हुए?
मैं- अरे नहीं ऐसी बात नहीं है, बस मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा।
वंदना- वैसे आप यहां क्या कर रहे हो, शायद दीदी से मिलने आये थे।
मैं- हाँ, हमने सोलन जाना था पर लगता वो घर पर कोई बहाना ना लगा पायी होगी. तभी ही नहीं आयी. और फ़ोन भी नहीं लग रहा।
वंदना मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और बोली- कोई बात नहीं, मैं चलती हूँ तुम्हारे साथ, मेरे प्यारे जीजू आप ऐसे उदास अच्छे नहीं लगते।
वैसे भी मैं दीदी को बता कर तो आयी नहीं हूं।
मैं- तो चलो फिर बैठो गाड़ी में, चलें फिर पहाड़ों की सैर करने।
वंदना- मेरा तो मन आज किसी और चीज़ पे सैर करने को हो रहा है.
वो मेरे लन्ड को घूरते हुए बोली।
मैं- आज तुम जिस पे बोलोगी उस पर सैर करवा दूंगा, लेकिन इसके बारे नीरू को नहीं पता लगना चाहिए।
वंदना- आप उसकी चिंता मत करो जीजू, दीदी को कुछ पता नहीं चलेगा। जीजू, सोलन में मेरी एक सहेली के पति का होटल है हम वहां कमरा बुक करवा लेते हैं फ़ोन पर।
वंदना ने फ़ोन कर के कमरा बुक करवा लिया।
अब हमारी गाड़ी सोलन की तरफ दौड़ रही है, गाड़ी में मर्डर फ़िल्म का भीगे होंठ तेरे गाना चल रहा है।
वंदना- मुझे ये गाना सुन कर कुछ होने लगता है।
मैं उसकी जांघों पे हाथ फेरते हुए पूछता हूँ- क्या होता है।
वंदना मेरे हाथ को फ्रॉक के अंदर डाल कर अपनी चूत पे रख कर बोली- यहां कुछ होने लगता है, ये गर्म हो जाती है।
मैं- कोई बात नहीं, इसे तो रूम में जाकर ठंडा कर दूंगा.
मैंने उसकी कच्छी के ऊपर से ही चूत पर हाथ फेरते हुए कहा तो उसने मस्ती में आँखें बंद करते हुए मेरा हाथ अपनी चूत पर दबा दिया।
अब पहाड़ी रास्ता शुरू हो गया था, मैंने एक सिगरेट जलाई और कश मारते हुए गाड़ी चला रहा था.
वंदना ने भी सिगरेट मांगी तो मैंने उसे पैकेट पकड़ाया तो बोली- जो पी रहे हो उसी में से दो कश लगवा दो!
मैंने सिगरेट दी तो वो किसी रंडी की तरह कश मारने लगी।
हम लगभग आधा सफर तय कर चुके थे. कोई 11:30 का टाइम था।
वंदना- जीजू, मुझे भूख लग रही है।
मैं- आगे कोई दुकान से लेते हैं कुछ खाने को।
वंदना- कुछ लेने की जरूरत नहीं है मैं घर से ब्रेड ऑमलेट लायी हूँ, बस आप कहीं छाँव में गाड़ी खड़ी करो, हम वहां खा लेते हैं।
मैं- अरे वाह ऑमलेट है तो मैं तो पेग लगाऊंगा।
मुझे थोड़ी दूर एक दुकान नज़र आई. मैं गाड़ी से उतर कर दुकान से एक लिम्का की बोतल एक गिलास ओर कुछ खाने को ले आया।
वंदना- क्या जीजू एक ही गिलास लाये, आप किसमें पियोगे?
यह बोल कर वो आंख मार कर हँसने लगी।
मैं एक गिलास और ले आया. मेरी आदत है जब मैं कहीं बाहर जाता हूं तो शराब साथ में जरूर लाता हूँ आज मेरे पास वोडका की दो बोतल थी।
चियर्स बोल कर हमने दो दो पेग लगाए और नाश्ता करने के बाद एक सिगरेट लगाई और चल पड़े सोलन की ओर!
थोड़ी दूर जाने के बाद वंदना बोली- जीजू, मुझे सुसु आयी है जरा कहीं साइड में गाड़ी रोक देना.
मैंने एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोक दी. वंदना जल्दी से उतर कर पिशाब करने भागी और एक पेड़ की ओट में पिशाब करने लगी. पेड़ की ओट से मुझे उसकी आधी गोरी गांड दिखी जिसे देख कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया. उसने गुलाबी कच्छी पहनी थी।
जब वो पिशाब करके आने लगी तो मैं भी मूतने लगा. वो तिरछी नज़रों से मेरे लन्ड को देख कर मुस्कुराने लगी क्योंकि मेरा लन्ड उसकी गांड देख कर पूरी तरह तो नहीं पर खड़ा हुआ था.
वो जाकर गाड़ी में बैठ गयी.
मैं भी मूत कर आया और गाड़ी स्टार्ट करते हुए बोला- पेंटी तो मैचिंग डाली है तुमने ड्रेस के साथ!
उसे शराब का नशा हो गया था तो वो फ्रॉक को ऊपर उठा कर बोली- ठीक से देख लो जीजू … किसने मना किया है.
मैंने झुक कर उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से चूम लिया और फिर उसकी पैंटी की साइड से उसकी चूत में उंगली करने लगा.
ऐसा करने से वो मस्ती से आने होंठों को दांतों से चबाने लगी. मैं अब गाड़ी से नीचे उतर गया और उसकी दोनों टांगें सीट से बाहर निकाल दी और उसकी पैंटी निकाल कर उसकी चूत चाटने लगा.
वंदना मस्ती से मेरा सर अपनी चूत पर दबा रही थी. उसके मुंह से कामुक आवाजें आ रही थी, वो ‘आह आह … सस्सश जीजूऊऊ …’ बोल रही थी.
थोड़ी देर बाद उसने मेरा मुंह अपनी टांगों में कस लिया. वो झड़ चुकी थी, मैं उसका सारा पानी चाट गया.
अब वो खड़ी हुई और मुझे सीट पर बिठा कर खुद नीचे बैठ कर मेरा लन्ड पैंट से निकाल कर चूसने लगी क्योंकि मैं और वंदना आज पहली बार सेक्स कर रहे थे तो मैं ज्यादा अभी कुछ करना नहीं चाहता था. थोड़ी देर बाद मैं भी उसके मुंह में झड़ गया.
फिर हमने अपने आप को ठीक किया और चलने लगे और आधे घण्टे बाद हम सोलन पुहंच गए।
गाड़ी पार्किंग में लगा कर हम होटल में गए. वंदना ने रूम बुकिंग के बारे में रेसेप्शननिस्ट से बात की तो बोली- आपका रूम नंबर 202 है और वो खुला ही है.
यह सुन कर मैंने वंदना से कहा- तुम रूम में चलो, मैं सामान लेकर आता हूँ.
जब मैं सामान लेकर आया मैंने डोर बेल बजाई जब दरवाजा खुला तो मेरा दिमाग घूम गया, मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था मेरा मुंह खुला का खुला रह गया.
दरवाजा जिसने खोला वो और कोई नहीं … नीरू थी, उसने काले रंग की थ्री पीस ट्रांसपेरेंट नाइटी पहनी हुई थी जिसमें से उसके मोम्में बाहर आने को तड़प रहे थे उसके मोम्में के बीच एक काला तिल है जो बहुत ही सेक्सी लग रहा था।
नीरू मेरी आँखों के आगे हाथ हिला कर बोली- क्यों लगा झटका? कैसा लगा मेरा सरप्राइज़?
मैं वंदना की तरफ देख कर हँसा और नीरू से बोला- क्या तुम दोनों इस प्लान में शामिल थी?
नीरू- हाँ मेरी जान, अभी एक सरप्राइज़ और बाकी है. चलो अब दरवाजे पर ही खड़े रहोगे या अंदर भी आओगे?
मैंने सामान टेबल पर रखा, नीरू को बांहों में ले लिया और उसके होंठों पे होंठ रख कर एक दूसरे चूमने लगे.
यह देख कर वंदना बोली- अरे थोड़ी शर्म करो. कोई और भी है इस रूम में!
हम एक दूसरे से अलग हुए और बैठ गए।
मैं- नीरू, वैसे तुमने ये प्लान कैसे सोचा और इसमें वंदना को कैसे शामिल किया?
नीरू- जिस दिन मैंने तुम्हें यहां आने के लिए फ़ोन किया, उसके थोड़ी देर बाद मुझे याद आया कि वंदना का पति साहिल भी टूर पर 3 दिन के लिए गया हुआ है. और इसे हमारे बारे में सब पता है और इसे ये भी पता है कि हमें एक दूसरे के साथ सेक्स करने में क्या क्या पसंद है. तो मैंने इसे अपने साथ चलने को कहा. तो ये भी मान गयी और उसके बाद इसने ही ये सब प्लान किया और मैं कल शाम को ही बस से यहां आकर होटल ले लिया।
मैंने नीरू के कान में पूछा- हम इसके सामने सेक्स कैसे करेंगे?
नीरू- तुम उसकी चिंता छोड़ दो, चलो अब तुम्हारा दूसरा सरप्राइज़ खोल देती हूं. तुम मुझसे हमेशा मेरे और मेरी किसी सहेली या बहन के साथ थ्रीसम करना चाहते थे. तो तभी मैंने इसे यहां बुलाया है. अब इसे मनाना तुम्हारा काम है.
यह सुन कर मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया।
वंदना- तुम दोनों क्या खुसुर पुसुर कर रहे हो?
मैं- अरे कुछ नहीं साली साहिबा, चलो पहले दो दो पेग हो जाये।
वंदना- जीजू, मैं पहले कपड़े बदल लूं।
नीरू- जानू, तुम भी चेंज कर लो!
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यह बोल कर नीरू ने खुद मेरे बैग में से एक टीशर्ट ओर लोअर निकाल कर दिया।
चोदन स्टोरी जारी रहेगी.