यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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हिंदी सेक्सी चूत की कहानी में पढ़ कर मजा लें कि कैसे दो बेटियों की मम्मी ने सिनेमा हाल में मेरे साथ सेक्स का मजा लिया. उसने मेरे साथ क्या क्या किया?
जैसा कि मैंने हिंदी सेक्सी चूत की कहानी के पिछले भाग में बताया था कि थिएटर में पिक्चर देखना नेहा की मम्मी सरोज का शौक था. एक दिन शनिवार को लगभग 3:00 बजे के करीब मैं एक बहुत ही सेक्सी पिक्चर के पोस्टर देखकर टिकट की लाइन में टिकट लेने के लिए खड़ा हो गया.
जैसे ही मेरा नंबर आने वाला था, पीछे से आवाज आई- राज, दो टिकट ले लेना, एक मेरी भी ले लेना.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो सरोज आंटी पूरे मेकअप में बन ठन कर वहां खड़ी थी.
जैसे ही मेरा नंबर आया मैंने दो टिकट ली.
टिकटों पर सीट नंबर होते थे, इसलिए दोनों ही सीटें साथ साथ थी.
एक टिकट मैंने उनको देते हुए कहा- लो आँटी, एक टिकट आप रखो.
आंटी ने मुझे सौ का नोट देते हुए कहा- टिकटें तो तुम ही रखो और यह टिकट के पैसे लो.
मैंने कहा- आँटी कोई बात नहीं, पैसे मैं दे देता हूँ. आँटी कहने लगी- नहीं, तुम नहीं दोगे, पैसे मैं दूंगी दोनों टिकटों के.
मैंने कहा- टिकट तो दोनों 50 रुपये की ही आई हैं तो आँटी कहने लगी- कोई बात नहीं है, रख लो, हाफ टाइम में कुछ खाने का सामान ले आना.
हम अंदर जाकर अपनी अपनी सीटों पर बैठ गए. आंटी पूरी मस्ती में लग रही थी. उन्होंने बहुत ही सुंदर मेकअप किया हुआ था और बहुत अच्छा परफ्यूम लगाया हुआ था.
थोड़ी देर में थिएटर में अंधेरा हो गया और पिक्चर शुरू हो गई. मैं आंटी से थोड़ा सा जानबूझकर दूरी बना कर बैठा था.
आंटी ने मुझे धीरे से कहा- राज, तुम ठीक तरह से कंफर्टेबल होकर बैठो, ऐसे एक कोने में क्यों बैठे हो?
मैंने कहा- आंटी बस वैसे ही बैठा हूँ.
सरोज आंटी कहने लगी- राज, कई दिन से मैं एक बात सोच रही थी कि मैं कहूँ या नहीं कहूँ?
मैंने कहा- कहो आंटी, बताओ क्या बात है?
सरोज आंटी बोली- जब तुम मुझे आंटी कहते हो तो मुझे लगता है कि मैं बहुत बूढ़ी हो गई हूँ. क्या तुम्हें मैं बूढ़ी लग रही हूँ?
मैंने कहा- नहीं आँटी, आप बूढ़ी नहीं हो, आप तो बहुत जवान हो, बहुत सुंदर हो, आप तो नेहा की बड़ी बहन लगती हो.
वह कहने लगी- फिर मुझे आंटी क्यों कहते हो?
मैंने कहा- बताओ मैं आपको क्या कहा करूं?
आंटी कहने लगी- सभी लोग मुझे मैडम कहते हैं, आप भी मैडम कह लिया करो या भाभी कहा करो.
मैंने कहा- ठीक है, आगे से मैं आपको भाभी कहूँगा.
सरोज खुश हो गई. हम पिक्चर देखने लगे.
दोनों सीटों के बीच में जो हाथ रखने की जगह होती है उस पर कभी सरोज हाथ रख लेती थी कभी मैं रख लेता था. जब हम हाथ चेंज करते थे तो हमारे हाथ आपस में टच हो जाते थे. जैसे ही मेरा हाथ भाभी के हाथ से छूता था तो मेरे सारे शरीर में सिरहन सी दौड़ जाती थी.
हॉल में जो पिक्चर हम देख रहे थे दरअसल वह पिक्चर हिंदी में डब की हुई तमिल पिक्चर थी जिसमें एक बड़ी हीरोइन को छोटी उम्र के लड़के से प्यार हो जाता है और उस पिक्चर में उन दोनों को आपस में हमबिस्तर होते हुए कई बार दिखाया था.
पिक्चर देखते देखते भाभी की सांसें तेज होने लगी. मैं और सरोज दोनों ही पिक्चर देखकर उत्तेजित होने लगे थे. मैंने महसूस किया कि भाभी ने मेरे हाथ के साथ ही अपना हाथ भी रख लिया. हमारे हाथ आपस में टच होने लगे, मुझे लगा कि भाभी को पटाया जाए.
मैंने धीरे धीरे अपने बाएं हाथ की उंगली को भाभी की छोटी उंगली से टच करवाना शुरू किया. थोड़ी थोड़ी देर में मैं भाभी की उंगली पर अपनी उंगली फिराने लगा।
कुछ देर बाद भाभी का रिएक्शन जानने के लिए मैंने उंगली को दूर कर दिया. थोड़ी देर में मैंने देखा जो हरकत मैं कर रहा था वही भाभी ने शुरू कर दी. उनकी छोटी उंगली अब मेरी दो उंगलियों के ऊपर आ गई.
सामने बहुत ही सेक्सी सीन चल रहा था. लड़के ने जैसे ही हीरोइन के हाथ को अपने हाथ में लिया, मैंने भी एकदम अपनी हथेली भाभी के हाथ पर रख दी और सहलाने लगा. भाभी की साँसें तेज हो गई, उन्होंने अपनी आंखें बंद की और सिर को पीछे सीट पर टिका लिया.
मैंने भाभी के हाथ को सहलाना बंद कर दिया. कुछ ही देर में भाभी ने अपने हाथ की उंगलियों को खोला और मेरे पंजे में फंसा दिया.
उनके मुंह से निकला- ओह राज, तुमने तो मुझे बेचैन कर दिया.
मैंने अपना दूसरा हाथ भी भाभी के हाथ पर रख लिया और उस हाथ को भाभी के हाथ पर फिराने लग गया.
भाभी धीरे से मेरे कान में फुसफुसाई- राज, हम यह क्या करने लग गए?
मैं चुप रहा. मैंने अपना हाथ हटा लिया और सीधा होकर बैठ गया.
धीरे धीरे भाभी ने आंखें खोली, सामने चल रहे सीन को देखने लगी. अब पर्दे के ऊपर बेडरूम सीन चल रहा था. भाभी ने मेरी तरफ देखा और मेरा हाथ उठाकर अपने हाथ में ले लिया.
मैं भाभी की बेचैनी समझ गया था, मैंने उनके हाथ को जोर से दबाया. भाभी का हाथ एकदम मखमल जैसा था. उनकी लंबी लंबी सुंदर गोल, पतली और मांसल उंगलियां जिनके ऊपर सुंदर नेल पॉलिश लगी हुई थी, बहुत ही सेक्सी थी. पैंट में मेरा लंड पूरा तन कर खड़ा हो गया था.
भाभी ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर अपने पट पर रख लिया. मैंने छोटी उंगली के नाखून से भाभी के पट को रगड़ना शुरू किया. भाभी सिसकारियां लेने लगी.
तभी इंटरवेल हो गया और हॉल की लाइटें जल गई.
हम सीधे होकर बैठ गए.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, कुछ खाने का लाऊं?
उन्होंने आंखों से इशारा किया और मैं बाहर जाने के लिए उठने लगा.
भाभी का ध्यान मेरी पैंट में अकड़े मेरे लंड पर पड़ा. मेरे लंड ने पैंट को बुरी तरह से उठा रखा था. भाभी बड़ी प्यासी नजरों से मेरे लंड को निहारती रही.
मैंने बाथरूम में जाकर पेशाब किया. एक पॉपकॉर्न और दो कैंपा लेकर वापस आ गया. मैंने भाभी को एक कैंपा दिया और पॉपकॉर्न लेकर बीच में हाथ कर लिया. भाभी उसमें से उठा उठा कर पॉपकॉर्न खाने लगी और कैंपा पीने लगी.
तभी पिक्चर शुरू हो गई. पिक्चर में अनेक सेक्सी सीन भरे हुए थे. भाभी धीरे धीरे मेरी तरफ झुक कर बैठ गई और अपना एक हाथ उन्होंने बीच में रख लिया.
सामने का सीन और भाभी का साथ सोच कर मेरा लंड फिर तन गया. भाभी जब मेरे लिफाफे से पॉपकॉर्न ले रही थी तो उनमें से कुछ पॉपकॉर्न बिखर कर मेरी जांघों में गिर गए. भाभी उन्हें उठाने लगी.
जैसे ही भाभी ने जानबूझकर मेरे लंड को अपने हाथ से टच किया, मैंने भाभी का हाथ अपने लंड पर दबा दिया. भाभी कुछ नहीं बोली, बस एकदम आंखें बंद करके धीरे धीरे मेरे लंड को सहलाने लगी.
भाभी धीरे से मेरे कान में फुसफुसाई- राज तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं भाभी.
भाभी ने फिर पूछा- राज, तुम इतने अच्छे हो फिर भी तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, क्या बात है?
मैंने कहा- भाभी कोई पसंद आएगी तो ही तो गर्लफ्रेंड बनाऊंगा?
भाभी कहने लगी- राज तुम्हारी पसंद कैसी है?
मैं अपना मुंह भाभी के कान के पास लेकर गया और भाभी को पूरा मक्खन लगाते हुए कहा- आप जैसी.
भाभी कहने लगी- सच कह रहे हो?
मैंने कहा- भाभी सच बताऊं, आप उस लोकेलिटी की सबसे सेक्सी और हॉट लेडी हो. मैं तो हर वक्त आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ.
भाभी ने सुनते ही मेरे लंड को जोर से अपनी मुट्ठी में भींच लिया. मैंने भी अपने एक हाथ से भाभी का एक मम्मा सहला दिया. भाभी की साँसें तेज हो गई.
मैंने भाभी को धीरे से कान में कहा- आपके मम्मे बहुत सेक्सी हैं.
भाभी ने धीरे से ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोल दिए. मैंने उनके पूरे बड़े मम्मे को अपने हाथ में भर लिया और भींच दिया.
मैंने अपने हाथ को उनकी ब्रा के अंदर डालकर पूरे मम्मे को सहलाया और उनके निप्पल को अंगूठे और उंगली से मसलने लगा. भाभी का हाथ मेरी पैंट की चैन खोलने लगा. चैन तो खोल ली लेकिन लण्ड लंबा होने की वजह से भाभी बाहर नहीं निकाल पा रही थी.
भाभी ने अपना पूरा हाथ मेरी चैन के अंदर से पैंट में डाल दिया और अंडरवियर के अंदर से लंड को जैसे ही हाथ में पकड़ा भाभी बोली- ओ माय गॉड, इतना बड़ा!
और यह कहकर भाभी लण्ड को बाहर खींचने लगी.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, आप इतनी सुंदर, इतनी सेक्सी और हॉट हो, फिर आप का काम बिना हस्बैंड के कैसे चलता है?
भाभी कहने लगी- राज, बस इस बात को तो यहीं रहने दो और अपना यह निकालो.
मुझे पता था लंड कैसे निकलना है. मैंने पैंट को ऊपर से खोला तो भाभी ने आराम से लंड को बाहर निकाल लिया. मेरा लंबा लण्ड पिछले एक घंटे से अकड़ कर खड़ा था. उसका सुपारा किसी मोटे बड़े टमाटर की तरह से दहक रहा था.
भाभी ने पूरे लंड पर आराम से हाथ चलाकर उसकी लंबाई और मोटाई का जायजा लिया और कहने लगी- राज, इतना बड़ा?
मैंने कहा- भाभी आप इतनी सुंदर और सेक्सी कैसे हो? शायद यह आपके कोई काम आए?
भाभी चुदासी हो कर कहने लगी- बहुत काम आएगा.
अब भाभी अपने हाथ से धीरे धीरे मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगी. मैंने भी अब अपने काम को बढ़ाया और भाभी के पट पर अपने बाएं हाथ को फिराने लगा. मैंने भाभी की साड़ी को धीरे धीरे ऊपर उठाकर एक पाँव को जांघों तक नंगा कर लिया और भाभी के पट पर हाथ फिराने लगा.
धीरे धीरे मैंने अपना हाथ जांघों के बीच में देकर भाभी की चूत तक पहुंचा दिया. भाभी की पैंटी बुरी तरह से गीली हो चुकी थी.
मैंने भाभी की पैंटी को थोड़ा चूत के ऊपर से हटाया और हाथ से भाभी के दोनों पटों के बीच में हाथ फंसा दिया.
मैंने भाभी से कान में कहा- भाभी, थोड़ा सा पांवों को चौड़ा करो.
अपनी दोनों टांगों को भाभी ने चौड़ा किया और मेरे हाथ को अंदर तक पहुंचने का रास्ता दे दिया. भाभी मेरी उंगली को पकड़कर अपनी हिंदी सेक्सी चूत पर रगड़ने लगी.
भाभी की जांघों और चूत का हिस्सा इतना गर्म लग रहा था कि हाथ में सेक निकल रही थी.
कुछ देर बाद मैंने भाभी का एक मम्मा बाहर निकाला और झुककर उसका सुंदर चिकना निप्पल अपने होठों में दबा लिया. भाभी ने दूसरे मम्मे को भी बाहर निकाल लिया और मेरे दाहिने हाथ को उठा कर उस पर रख दिया. मैं उस मम्मे के निप्पल को अपनी उंगली और अंगूठे से धीरे धीरे मसलने लगा.
भाभी ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे लौड़े को फिर पकड़ लिया. मेरा लण्ड भाभी के हाथ में झटके मारने लगा. भाभी लण्ड को मजबूती से पकड़े हुए आगे पीछे कर रही थी. संयोग से हमारी साथ वाली सीटों पर आदमी नहीं थे.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, ऐसे तो मेरा छूट जाएगा और खराब जाएगा.
लेकिन भाभी ने लौड़े को जोर जोर से आगे पीछे करना चालू रखा. मैं भी भाभी के मम्मों, पटों और चूत को अपने हाथों से मसलता रहा. कुछ ही देर में मेरे लण्ड से पिचकारियां निकलनी शुरू हो गई.
लण्ड का टोपा भाभी ने अपनी ओर किया हुआ था अतः पिचकारी भाभी की छाती और चेहरे पर लगी. पिचकारी इतनी जोर से निकली कि वीर्य से भाभी का हाथ और कपड़े भीग गए.
भाभी हैंकी से जगह जगह लगे वीर्य को साफ करने लगी.
मेरी तो आग छूटने के बाद शांत हो गई थी लेकिन भाभी की भड़क चुकी थी. कपड़ों को ठीक करने के बाद भाभी आंखे बंद करके और अपना सिर पीछे करके सीट पर पसर गई.
मैंने भाभी को फिर छेड़ना शुरू किया. मैंने भाभी की आग को ठंडा करने के लिए फिर से उनकी साड़ी उठाई और अपनी बड़ी उंगली उनकी चूत में डाल दी. मैंने हाथ से ही भाभी को ठंडा करने की सोची. मैंने भाभी की हिंदी सेक्सी चूत और उसके क्लिटोरियस को मसलना शुरू किया. लगभग 5 मिनट बाद भाभी ने जोर से अपनी जांघों को भींचा और आ..आ… की आवाज करने लगी और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
कुछ देर बाद भाभी ने कहा- चलो, चलते हैं, बस और नहीं देखनी.
हम बाहर आ गए.
भाभी- राज तुम अलग से चलो, मेरे साथ मत चलो.
मैं समझ गया और वहीं रुक गया. हम दोनों अपने अपने घर पहुंच गए.
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हिंदी सेक्सी चूत की कहानी जारी रहेगी.