यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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भाभीजी की चूत चुदाई कहानी में पढ़ें कि भाभी ने मुझे अपने घर में रोक कर सुला लिया और रात को मेरे पास आ गयी. मैंने उस गर्म भाभी की फुद्दी को कैसे चोदा?
मैंने सरोज से कहा- यह तो आपने बहुत ही पक्का अरेंजमेंट किया है.
सरोज कहने लगी- राज हम आराम से जब मर्जी अपना काम कर लिया करेंगे.
मैंने कहा- बिल्कुल ठीक है, यदि मैं मेरे पुराने कमरे में रहता और बार- बार आपके यहां आता जाता या आप वहां आती जाती तो लोग शक करते.
सरोज कहने लगी- लोगों की तो मुझे वैसे भी परवाह नहीं है.
अब आगे की भाभीजी की चूत चुदाई कहानी:
मैंने सरोज भाभी के टॉप को ऊपर सरकाया और उनके मम्मों को सहलाने लगा.
सरोज भाभी एकदम उठी और उन्होंने ड्राइंग रूम की सारी लाइटें बंद कर दी. बस ड्राइंग रूम के रोशनदान से बाहर की स्ट्रीट लाइट आ रही थी.
मैंने सरोज को अपनी गोदी में बैठा लिया. मैं एक हाथ से उसके मम्मे को और एक हाथ से सरोज की चूत को मसलने लगा. थोड़ी देर में सरोज सिसकियां भरने लगी.
सरोज थोड़ा ऊपर उठी और मेरे लंड को लोअर में से निकाल कर अपने गालों से लगाने लगी. सरोज कभी मेरे लंड को चूमती, कभी होठों के ऊपर रगड़ती और कभी उसको मुंह में भर लेती.
इसके बाद सरोज पलटकर पेट के बल लेट गई. मैंने सरोज की स्कर्ट को उसके चूतड़ों से ऊपर उठाया और उन पर हाथ फिराने लगा. क्या गजब के चिकने और भरे हुए सॉलिड चूतड़ थे. उस दिन सरोज के अंदर से खुशबू आ रही थी. सरोज ने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया.
सरोज बोली- राज तुम्हारे पास तो बहुत ही मस्त चीज है.
मैंने पूछा- क्या आपके हस्बैंड का इतना नहीं है?
सरोज कहने लगी- कहाँ, उनका तो बिल्कुल ही छोटा सा, पतला सा है. अब तो हमारे बीच कई साल से यह संबंध ही नहीं हुआ है.
सरोज चाहती थी कि मैं एक बार उसको नीचे लिटा कर रगड़ के चोद दूं. उसने अपने मुंह से लंड निकाला और एकदम मेरे साथ दीवान पर लेट गई.
उसने मुझे भी अपने ऊपर खींच लिया और कहने लगी- राज, एक बार मेरी चूत की प्यास बुझा दो, बाद में करेंगे यह सब, अब तो हमारे पास टाइम ही टाइम है, एक बार तुम अपने लौड़े का कमाल दिखाओ, मैं तो इसको पिक्चर हॉल में हाथ लगाकर ही पागल हो गई थी.
मैंने अपने दोनों कपड़े निकाले और मैं बिल्कुल नंगा हो गया. मैंने सरोज के टॉप को बाहर निकाल दिया और उसकी स्कर्ट के इलास्टिक में उंगलियां देकर नीचे खींच दिया. सरोज ने अपने हिप्स को ऊपर उठाया और उनसे स्कर्ट को नीचे गिरा दिया.
सरोज की चिकनी और गोरी जांघें और पाव रोटी सी फूली हुई चूत मुझे बहुत ही सुंदर लग रही थी. लेकिन लाइट कम होने की वजह से मैं अच्छी तरह से मजा नहीं ले पा रहा था. मैंने सरोज से कहा- भाभी कुछ दिखाई तो दे नहीं रहा है, इतने मन से आज तैयार हुई हो, बेडरूम में चल कर करें.
सरोज बोली- एक मिनट रुको. सरोज ने दोनों कपड़े पहने, दोबारा अपने बेडरूम से होती हुई पिछले आंगन में जो गैलरी खुलती थी, उस गैलरी का दरवाजा बंद किया और बेडरूम के सारे पर्दे लगाकर लाइट जला दी.
मैं सोच रहा था कि औरत जब कामवासना में डूब जाती है तो वह अपनी प्यास बुझाने के लिए कुछ भी कर सकती है. क्योंकि भाभी ने जवान लड़कियों के बीच में से कैसे मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए, अलग से अपने लिए अंदर रख लिया था.
सरोज ने मुझे बेडरूम में आने का इशारा किया. मैं भी अपने दोनों कपड़े उठाकर नंगा ही सरोज के बेडरूम में चला गया.
मैंने सरोज से पूछा बच्चे तो नहीं आ जाएंगे?
सरोज कहने लगी- दोनों लड़कियाँ मुझसे बहुत डरती हैं. तुम चिंता मत करो. उधर से गैलरी बंद है जिससे पीछे आंगन में कोई नहीं आ सकता और इधर से ड्राइंग रूम का दरवाजा तुमने बंद कर रखा है, इसलिए आज की रात पूरी मस्ती करेंगे.
यह सुनते ही मैंने सरोज को बांहों में उठा लिया और उसको जगह जगह से चूमने लग गया. सरोज तो दो दिन से वासना में डूबी हुई थी, उसने एकदम मेरा लण्ड पकड़ लिया.
सरोज ने दोनों कपड़े निकाले और चौड़ी टांगें फैला कर बेड पर लेट गई और मुझसे कहने लगी- आओ मेरे राजा, चोदो अपनी रानी को.
पहली बार मैंने रोशनी में सरोज भाभी का सुंदर, चिकना और सेक्सी शरीर देखा. भाभी का शरीर इतना गुदाज़ था कि जहां भी हाथ लगाओ, वही चीज मक्खन मलाई लग रही थी. सरोज भाभी के बड़े बड़े मम्मे बिल्कुल सुडौल और सख्त थे. भाभी के सुंदर पेट, चिकनी चूत और चूची देखकर यह कोई नहीं कह सकता था कि वह दो बच्चों की माँ है.
मैंने भाभी की जांघों पर हाथ फिराया और थोड़ा उनके घुटनों को मोड़ा तो भाभी की बहुत ही सुंदर अंदर से गुलाबी रंग लिए उनकी चूत दिखाई दी. गुलाबी छेद के अंदर पानी चमक रहा था. चूत के ऊपर दो छोटी छोटी है पिंक कलर की पत्तियां थी, भाभी का पेट बिल्कुल नर्म गुदाज़ और साफ था.
भाभी की जांघों, चूत और पेट के नीचे का हिस्सा उभरा हुआ और सुडौल था. भाभी की चूत इतनी साफ और सुंदर थी कि कुंवारी लड़कियों की तरह से चमक रही थी.
जब मैंने भाभी से पूछा तो उन्होंने बताया- मैं आज बिकिनी वैक्स करवा कर आई हूं.
मैंने पूछा- बिकिनी वैक्स क्या होता है?
तो भाभी ने कहा कि ब्यूटीशियन सारे शरीर पर से सारे रोवें खत्म कर देती है. यहां तक की चूत के ऊपर भी वह एक लेप लगाकर इसको भी साफ- सुथरी और सुंदर बना देती है.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, अब तो यह आपको बार बार करवाना पड़ेगा?
भाभी कहने लगी- कोई बात नहीं मेरे राजा, मैं तुम्हारे को वह मजा दूंगी कि तुम याद रखोगे कि कोई मिली थी.
सरोज भाभी का बेडरूम इतना सुंदर था कि हर चीज नई और सुंदर तरीके से सजी हुई थी. ऐसा लग रहा था जैसे किसी रानी का बेडरूम हो. और भाभी भी सचमुच में रानी जितनी ही सुंदर लग रही थी. मैं अपने आप को खुशकिस्मत समझ रहा था कि इतनी सुंदर और पढ़ी लिखी लेडी की चूत में मेरा लण्ड जाने वाला है.
मैं भाभी के घुटनों की तरफ आ गया. मैंने घुटनों को खोला, अपने लंड को हाथ में पकड़ा और भाभी की चिकनी हुई चूत में लण्ड ऊपर नीचे चलाने लगा. मैंने भाभी के क्लीटोरियस को लण्ड से रगड़ना शुरू किया.
भाभी आहें भरने लगी.
लंड और चूत दोनों ही अपने अपने रस से चिकने हो चुके थे. भाभी जब मेरा हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचने लगी तो मैंने अपने लण्ड के सुपारे को भाभी की चूत के छेद पर टिका दिया और धीरे धीरे लौड़ा अंदर करने लगा.
भाभी ने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने नीचे वाले होंठ को दांत से दबा लिया.
दो मिनट तक मैं भाभी की चूत के छेद पर सुपारे को ही अंदर बाहर करता रहा. जब मैंने देखा कि भाभी तो बिल्कुल चुदवाने के लिए तैयार हैं तो मैंने लण्ड को आगे करते हुए एक झटके में सारा लंड भाभी की चूत में उतार दिया।
भाभी के मुंह से एक जोर की आवाज निकली- आ…आ… बहुत मजा आया.
अब भाभी ने एकदम अपने हाथ मेरी कमर के चारों तरफ कस लिए और बोली- राजा, जोर जोर से करो, बहुत जोर से करो, चोद दो मेरी चूत को, मेरी प्यास बुझा दो, करो … जोर … जोर … से … मैं जोर जोर से लंड अंदर- बाहर करने लगा.
मैंने भाभी की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख लिया और जोर जोर से लण्ड को भाभी की चूत में पेलने लगा.
भाभी बोलती रही और … जोर … जोर … से …
मैंने पूरा जोर लगाकर धकाधक अपनी स्पीड बढ़ा दी.
भाभी बोले जा रही थी- आह्ह्ह ह्हह्ह्ह ओ … राज … आ … ईईईईए … सश्ह ह्ह्ह्ह् बहुत … मजा … आ … रहा … है. ईईईई ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह ह्हह ह्ह्ह्ह मेरी चूत … आह भींच दो मेरे मम्मे … आह … सी … आह … मारो … और ज़ोर से मारो … फाड़ दो मेरी चूत … अपना पानी छोड़ दो मेरी चूत में अहह … आह ह्ह्ह … आई.
कुछ ही देर में भाभी अपना सिर इधर उधर मारने लगी और उन्होंने जोर से नाखूनों को मेरी कमर में गड़ाते हुए मुझे अपने ऊपर इतना भींच लिया कि मुझे हिलने भी नहीं दिया.
भाभी का काम हो चुका था, उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया था और वह एक बार निढाल हो गई और मुझसे कहने लगी- राजा, बस बिना हिले मेरे ऊपर लेटे रहो.
कुछ देर मैं ऐसे ही भाभी के पेट पर अपने लंड को उनकी चूत के अंदर किए हुए लेटा रहा।
थोड़ी थोड़ी देर में मैं भाभी के चूत के अंदर लंड का झटका सा मार देता था. भाभी अपनी आंखें बंद किए हुए अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी. लगभग तीन मिनट बाद भाभी ने मुझे अपने हाथ से थोड़ा सा धकाते हुए साइड में लिटा दिया और अपना सिर मेरी छाती पर टिका लिया.
भाभी कहने लगी- राज, तुम तो असली मर्द हो, मुझे तो आज तक पता ही नहीं था कि असली आदमी कैसा होता है?
मैंने भाभी से कहा- भाभी, आपने आज इस तरह से ड्राइंगरूम में मुझे बुलाकर अंदर सुला लिया तो इन लड़कियों को शक तो नहीं होगा?
भाभी कहने लगी- बिन्दू तो अभी छोटी है और नेहा को अगर कोई शक होगा तो होता रहे, मैं अब अपनी जवानी को ऐसे कैसे खराब करती रहूँ इनके चक्करों में? मेरा भी तो कोई हक है कि मैं भी जिंदगी का आनंद लूं. शक होता है तो मुझे कुछ नहीं लेना लेकिन इसकी मेरे सामने मुंह खोलने की हिम्मत नहीं है.
मैं सोचकर हैरान रह गया कि भाभी बिन्दू को अभी तक छोटी ही समझ रही थी..? जबकि वह मेरे 8 इंच के लौड़े को चूत पर रखवा चुकी थी.
मैंने कहा- देख लो कहीं बात बढ़ गई तो?
भाभी कहने लगी- कोई बात नहीं, जैसी सिचुएशन होगी, तब देख लेंगे.
मैं भाभी की कमर पर हाथ रखे हुए था और भाभी के बड़े बड़े चुचे मेरी छाती पर रखे हुए थे.
मैंने धीरे से उनके चूतड़ों पर हाथ रखा और भाभी की तारीफ करते हुए बोला- भाभी, आप तो अपनी दोनों बेटियों से ज्यादा हॉट और सेक्सी हो.
भाभी कहने लगी- फिर मुझे चोदते क्यों नहीं?
मैंने भाभी को कहा- ठीक है, घोड़ी बनो.
भाभी बेड के किनारे पर घोड़ी बन गई. भाभी की सुंदर गोल गांड मेरी आँखों के सामने थी. मैं बेड के नीचे खड़ा हो गया. बेड ज्यादा ऊंचा न होने के कारण उनकी गांड और चूत मेरे लण्ड से थोड़ी नीचे ही थी।
मैंने भाभी के चूतड़ों पर हाथ फिराया और उनकी चूत के छेद को अंगूठे से दबाया. उनकी चूत की बड़ी फांकें आपस में बिल्कुल चिपकी हुए थी. जिस प्रकार घोड़ी की चूत होती है भाभी की चूत भी उसी तरह से लग रही थी.
भाभी के अच्छे गोल चूतड़ और सुंदर मोटी फांकों में पीछे की तरफ चूत को मैंने उंगली और अंगूठे से खोला और छेद के ऊपर लण्ड का सुपारा लगाया और धीरे धीरे लण्ड अंदर किया.
जैसे ही लण्ड अंदर गया, भाभी पीछे मुड़कर मेरी छाती पर हाथ लगाने लगी और बोली- यह तो बहुत अंदर तक गया है, कहीं लगता है.
मैंने कहा- अभी तक आपकी छोटे लंड से चुदाई हुई है कुछ दिन में ठीक हो जाएगा.
भाभी कहने लगी- राज, सालों हो गए हैं, मैं तो ना छोटे से चुदी हूँ ना बड़े से चुदी हूँ. आज तुम मेरी अच्छी तरह से चुदाई कर दो.
मैंने भाभी के ऊपर अपने हाथ रखे और उनकी चूत में लंड को चलाने लग गया. मैंने अपनी स्पीड तेज की. भाभी अपनी गर्दन को ऊपर नीचे दाएं बाएं मारने लगी. कमरे में ठप ठप की आवाज गूंजने लगी.
अचानक भाभी कहने लगी- राज, एक बार अपना लौड़ा निकाल कर दिखाना.
मैंने लौड़ा बाहर खींचा और भाभी की तरफ कर दिया. मैंने भी देखा लौड़ा बहुत बड़ा लग रहा था और उसका सुपारा तो बहुत ही मोटा और फूला हुआ था.
भाभी एकदम बोली- हाय मां, इतने बड़े और मोटे लण्ड से मेरी चुदाई हो रही है.
बोली- डालो इसको अंदर और फाड़ दो मेरी चूत को.
अपना एक पाँव मैंने बेड पर रखा और तिरछा हो कर भाभी की चूत में लंड पेलने लगा.
मैंने एक बार फिर चुदाई रोकी और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर भाभी के मम्मों को मसलने लगा. मैंने भाभी के गालों पर और गर्दन के नीचे हाथ फिराया तो भाभी बोली- ओ मेरे राजा, तुमने तो आज मेरी जान ही निकाल देनी है, इतना प्यार से चोदते हो, इतना सुख तो मुझे कभी नहीं मिला. मेरे राजा … करो … जोर … जोर … से करो. राजा अब हर रोज मुझे इस चूत में तुम्हारा लण्ड चाहिए. बोलो चोदोगे ना अपनी रानी को? आह … आह … मैं गई … आ … आ … आई … ईई ईईईई.
मैंने देखा भाभी फिर से झड़ने वाली है तो मैंने भी अपना पूरा ध्यान चुदाई पर केंद्रित करके धक्के मारने शुरू किए. फिर भाभी से पूछा- भाभी डिस्चार्ज कहाँ करना है?
भाभी- अंदर चूत में ही करो, क्योंकि गर्म गर्म वीर्य बहुत अच्छा लगता है, कल में आई पिल खा लूँगी, तुम केमिस्ट से ला देना.
लगभग 15- 20 शॉट के बाद मेरे लण्ड ने भाभी की चूत में वीर्य की पिचकारियां मारनी शुरू की.
पहली पिचकारी में ही भाभी आ … आ … करके बेड पर पसरने लग गई. पसरते हुए मैंने उन्हें उनकी जांघों से पकड़ा और चूतड़ों पर थाप मार मार कर अपना सारा माल उनकी चूत में भर दिया.
पूरा झड़ने के बाद मैंने भाभी को ढीला छोड़ दिया. भाभी बेड पर पेट के बल पसर गई और मैं उनकी चूत में पीछे से लण्ड ठोके उनकी कमर पर लेट गया. कुछ देर में लण्ड ढीला हो कर बाहर आ गया. मैं भाभी के ऊपर से लुढ़क कर उनके साथ बेड पर लेट गया.
कुछ देर बाद भाभी ने भी करवट ली और सीधी होकर बेड पर लेट गई.
भाभी की चूत और जांघें मेरे वीर्य से सनी हुई थी. साथ ही भाभी जहाँ उल्टी लेटी थी वहां से बेड की चादर बड़ी जगह से गीली हो गई थी. भाभी ने झुककर चादर को देखा तो एक संतोष की सांस ली और आंखें बंद कर ली.
कुछ देर हम यूँ ही लेटे रहे. मैंने देखा भाभी सो चुकी थी. इस पूरे खेल में रात का 1.00 बज गया था. मैंने भाभी के ऊपर चादर डाली और अपने दीवान पर आकर सो गया.
तो मेरे प्रिय पाठको, आपको भाभीजी की चूत चुदाई कहानी कैसी लगी? मुझे कमेंट्स और मेल में बताएं.
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भाभीजी की चूत चुदाई कहानी जारी रहेगी.