आज मैं आपको मेरी बीवी मीनाक्षी की एक गैर मर्द के साथ हुई चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ. ये एकदम सच्ची Www Xxx Hindi Chudai कहानी है.
मेरा दावा है कि Www Xxx Hindi Chudai कहानी पढ़कर मर्दों के लौड़ों का पानी निकल जाएगा और जनानियों की पिक्की में से रस बहने लगेगा.
सबसे पहले में आपको मेरे और मीनाक्षी के बारे में बता देता हूँ.
मैं गुजरात से हूँ. ठीक-ठाक कद-काठी वाला एक स्लिम और गोरा 30 साल का युवक हूँ.
मेरी बीवी मीनाक्षी की उम्र 29 साल है.
मीनाक्षी के दूध हाफुस आम जैसे बड़े और रसीले हैं. उसकी गांड बाहर की तरफ निकली हुई बड़ी और गोल गोल है.
उसका फिगर 38-32-40 का है. आपको फिगर से पता चल गया होगा कि मेरी बीवी के दूध कितने बड़े हैं.
जब वो चलती है, तो उसके कूल्हे नृत्य करते हैं. मैं उसे प्यार से मीनू कहता हूँ. कुल मिलाकर मेरी बीवी मीनू एक सेक्स बॉम्ब है.
मीनू को सबसे ज्यादा कोई बात पसंद है तो वो है, बड़े बड़े लंड से चुदना.
हम दोनों कपल स्वैपिंग भी कर चुके हैं और वो मुझे साफ़ बता देती है कि उसे फलां मर्द पसंद आ गया है और उसे उससे चुदवाने का मन है.
मैं भी मान जाता था.
वो अपनी मोटी गांड में भी लंड घुसवाती है. पहलवान टाइप के हट्टे-कट्टे और थोड़ी बड़ी उम्र के मर्द उसे ज्यादा पसंद आते हैं. क्योंकि उसका मानना है कि अनुभवी मर्द चुदाई में ज्यादा मज़ा देता है.
हुआ यूं कि मेरे एक दोस्त की शादी थी. उसका नाम सागर था.
उसका फोन आया कि तुझे भाभी को लेकर शादी के तीन दिन पहले उसके घर आना है.
वो मेरा अच्छा दोस्त था, तो मैंने भी हां कर दी.
शादी के तीन दिन पहले मैं और मीनाक्षी उसके गांव पहुंच गए.
उसके घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं.
रहने के लिए उसने हमें अपने अंकल के घर में भेज दिया.
ये घर उसके घर के बगल में ही था.
एक लड़का हमें सागर के अंकल के घर तक छोड़ गया.
उसके अंकल का नाम बलवीर था.
हम उनके घर में गए. वो सोफे पर बैठे थे.
हमें देख कर खड़े हुए और हमारा स्वागत किया.
मैं और मीनू तो बलवीर अंकल को देखते ही रह गए.
सवा छह फुट का लम्बा ऊंचा कसरती बदन, चौड़ी छाती, हाथी की सूंड जैसी दो मजबूत भुजाएं. ताकतवर पहलवानों जैसा बदन. वज़न लगभग 110 किलो का रहा होगा, पर एकदम फिट.
अंकल 40 की उम्र और रिटायर्ड फौजी थे.
मैं तो उनके सामने एक बच्चे जैसा दिख रहा था.
मीनू की नज़र अंकल के ऊपर से हटने का नाम नहीं ले रही थी. मीनू को जैसा पुरुष चाहिए था, वो सब कुछ उस एक मर्द में था.
अंकल ने हमें घर के अन्दर हमारा कमरा दिखाया.
हम दोनों ने अपना सामान रखा और कपड़े बदल लिए.
दोस्त की शादी में गांव आए थे तो मीनू ने एक लाल कलर की साड़ी पहनी. बैकलैस ब्लाउज पहना. उसकी पीठ पर केवल एक डोरी थी. बाकी नंगी पीठ दिख रही थी. साड़ी नाभि के तीन इंच नीचे कसके बांधी, जिससे उसकी गोल गांड बाहर उभर आई.
तभी सागर का फोन आया.
हम उसके घर जाने लगे.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो बलवीर अंकल मेरी बीवी मीनू की गांड पर नज़र गड़ाए थे.
हमने सागर के घर आकर दोपहर का खाना खाया. वापस आकर थोड़ी देर आराम किया.
तभी बलवीर अंकल वहां आए और मुझसे कहने लगे- चलो तुम्हें हमारे खेत दिखा लाता हूँ.
मैं भी तैयार हो गया.
अंकल ने जीप निकाली, तभी मीनू वहां आ गई.
मीनू- कहां जा रहे हो?
बलवीर अंकल- तुम्हारे पति को गांव के खेत दिखाने ले जा रहा हूँ. तुम्हें आना है?
मीनू- हां रुकिए, मुझे भी खेत देखना है.
बलवीर अंकल- चलो, बैठ जाओ.
मीनू जीप में बैठ गई. बलवीर अंकल ने जीप चालू की और खेतों की ओर दौड़ा दी.
दस मिनट गाड़ी चलने के बाद खेत आ गया. हम नीचे उतरे और खेत में घूमने लगे.
अंकल मीनू को खेतों के बारे में सब बता रहे थे. मीनू गांड मटका मटका कर चल रही थी.
मैं समझ गया था कि मीनू को अंकल पसंद आ गए हैं इसलिए मैं उन दोनों से थोड़ा हट कर चलने लगा था.
तो मैं थोड़ा आगे निकल गया.
पर मीनू के साथ जो कुछ हुआ था, वो उसी ने मुझे विस्तार से बताया था.
बलवीर अंकल बातों बातों में मीनू को छू लेते थे.
एक बार तो उन्होंने मीनू की गांड पर भी हाथ फेर दिया.
ये देख कर मीनू मुस्कुरा दी.
बलवीर अंकल एक अनुभवी मंजे हुए खिलाड़ी थे.
उन्हें पता चल गया कि मीनू ना नहीं कहेगी.
ये जानते ही उनकी हिम्मत बढ़ गई.
उस वक्त खेत में बाजरे की फसल आयी हुई थी.
फसल इतनी ऊंची ऊंची हो गई थी कि वो दोनों दिखाई नहीं दे रहे थे.
उनके लिए ये अच्छा मौका था.
बलवीर अंकल ने मीनू को पीछे से पकड़ लिया और उसके बड़े बड़े दूध दबा दिए.
मीनू नाटक करती हुई कहने लगी- अरे अंकल ये आप क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे!
अंकल- छोड़ दूंगा, पहले कुछ मज़ा तो कर लेने दे.
मीनू- मैं वैसी लड़की नहीं हूँ अंकल.
अंकल- हां, तुझे देखते ही पता लग गया था कि तू साली चुदी चुदाई रंडी है. तेरी गांड इस बात की गवाही दे रही है.
मीनू- नहीं अंकल मुझे जाने दीजिए. मेरे पति भी यहीं पर हैं.
अंकल- नाटक मत कर रंडी. जल्दी से बैठ जा और मेरा लौड़ा चूस ले.
मीनू अब मुस्कुराने लगी.
उसने अपनी पतली गोरी बांहें अंकल की गर्दन पर रख दीं और आंख मारती हुई बोली- जी मेरे राजा … अभी चूस देती हूँ.
मीनू वहीं पर बाजरे के खेत में घुटनों के बल बैठ गई और अंकल के पैंट की चैन खोलने लगी.
अंकल ने अपने पैंट का हुक खोल दिया उधर चैन भी खुल गई थी.
पैंट नीचे सरक गया.
बलवीर अंकल ने अन्दर चड्डी पहन रखी थी.
मीनू ने वो भी उतार दी.
अंकल का सोया हुआ काला लौड़ा मीनू के मुँह के सामने था.
सोया हुआ भी मेरे खड़े लंड से दो गुना बड़ा था. नीचे के दो आंड भी मोटे मोटे निम्बुओं की तरह बड़े थे.
मीनू- वाउ … कितना बड़ा लौड़ा है.
लंड की चमड़ी मीनू ने पीछे सरकाई तो अंकल के लंड का लाल सुपारा बाहर निकल आया.
ये किसी टमाटर जितना बड़ा था.
मीनू अंकल के सुपारे को चाटने लगी, चूसने लगी.
देखते देखते अंकल का लौड़ा और बड़ा हो गया. वो मोटा भी बहुत था और कड़क तो एकदम लोहे की रॉड जैसा था.
मीनू तो आंख मूंदकर लंड का स्वाद लेने लगी.
आसपास क्या हो रहा है, सब कुछ भूल कर बलवीर अंकल का घोड़े जैसा लौड़ा मुँह में भरकर, वो जी लगाकर चूसने में लगी थी.
तकरीबन आधे घंटे से ये सब चल रहा था.
अंकल अब झड़ने वाले थे. उनके मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं.
एक दो पल बाद ही अंकल के लंड ने वीर्य का फुव्वारा मीनू के मुँह में छोड़ दिया.
मीनू खुशी खुशी अपने हाथ से ‘स्वाद मस्त है …’ का इशारा करती हुई अंकल का वीर्य पीने लगी.
अंकल का ताज़ा माल पीकर वो तृप्त हो गई.
फिर अंकल ने उसे खड़ा किया और चड्डी व पैंट चढ़ाते हुए कहा- चलो अब देर हो रही है.
मीनू- नहीं अंकल, मुझे आपके लंड से चुदवाना है. आपका बड़ा लौड़ा मुझे मेरी गांड और पिक्की में लेना है. मुझे अपनी रखैल बना लीजिए. मुझे अभी चोदिए. मेरी फुद्दी का भोसड़ा बना दीजिए.
अंकल- मैं तुम्हें रात को जरूर चोदूंगा. पूरी रात तुझे पेल कर थका दूंगा. अभी चलो.
मीनू- रात को तो मेरे पति साथ होंगे. फिर कैसे करेंगे?
अंकल- उसकी चिन्ता तू मत कर. मैं उसकी व्यवस्था कर दूँगा. तू बस अपनी भोसड़ी तैयार रखना.
मीनू- मैं तो कब से तैयार हूँ.
फिर अंकल ने मेरी बीवी का पेटीकोट उठाया और उसकी काली पैंटी निकाल कर वहीं खेत में फैंक दी और कहा- अब चलो.
तब तक मैं खेत पर बने ट्यूबवेल पर बैठ कर अपनी बीवी और सागर के अंकल के आने का इंतजार कर रहा था.
फिर हम सब खेत से निकले और घर आ गए.
शाम का खाना सागर के घर खाया, थोड़ी देर इधर उधर की बातें की.
रात के दस बजे थे.
सागर, जिसकी शादी थी उसकी मां हमारे पास आयी और मुझसे बोली- बेटा मेरा एक काम कर दे.
मैं- बोलो आंटी.
आंटी (सागर की मां)- ये सामान तुझे शहर में हमारे रिश्तेदार को अभी पहुंचाना है और हां देर हो जाएगी, तो तुम रात को वापस मत आना. वहीं पर सो जाना.
मैं- ठीक है आंटी.
मैं सागर की मम्मी से सामान लेकर चला गया.
मेरे जाने के बाद मीनू के साथ क्या हुआ वो आप खुद मीनू की जुबान से ही सुनिए.
मैं बलवीर अंकल के सामने देख रही थी.
उन्होंने मुझे आंख मार दी.
मैं समझ गई कि ये सब अंकल की ही योजना है. मैं भी मुस्कुरा दी.
साढ़े दस बजे अंकल मुझे लेकर घर आए.
घर पर हम दोनों ही थे क्योंकि अंकल की बीवी उसके मायके में रहने गई थी. उसे शादी के दिन ही आना था.
मीनू- अंकल, एक बात बताओ आपकी बीवी आपको छोड़ कर क्यों चली गई?
अंकल- वो मेरा बड़ा लौड़ा अपनी फुद्दी में नहीं ले पाती थी. मुझे जंगली चुदाई की आदत है. चुदाई के समय में बहुत गालियां देता हूँ. थप्पड़ लगा लगा कर गांड लाल कर देता हूँ. चुदाई के समय मैं बिल्कुल भी रहम नहीं दिखाता हूँ.
मीनू- अंकल, आज आपकी जिस तरह से इच्छा हो, उस तरह मुझे चोद लेना. बहुत गालियां दे लेना. मार मार कर मेरी गांड लाल कर देना. मैं मना करूं तब भी मुझे मत छोड़ना. बिल्कुल रहम मत दिखाना.
अंकल ने गाली देते हुए मेरी साड़ी खींच ली- हाँ भैन की लौड़ी, आज तेरी चूत का भोसड़ा नहीं बनाया तो कहना.
मैं ब्लाउज और पेटीकोट में थी.
अंकल ने अपने मज़बूत हाथों से मेरे पेटीकोट का नाड़ा तोड़ दिया.
पेटीकोट नीचे गिर गया.
अब मैं नीचे से बिल्कुल नंगी थी.
पैंटी तो अंकल ने खेत में ही निकाल कर फैंक दी थी.
अंकल ने मेरा ब्लाउज भी फाड़ दिया.
मैंने खुद ब्रा निकाल कर अंकल के मुँह पर दे मारी.
अंकल ने मुझे गोद में उठाया और बिस्तर पर फैंक दिया.
वो भी नंगे हो गए.
अंकल ने मेरी दोनों टांगें फैलाईं और मेरी फुद्दी के होंठ खोल कर चाटने लगे.
मुझे अंकल जैसे सांड से अपनी चूत चटवाने में बहुत मज़ा आने लगा.
मैं गर्म होने लगी. मेरे मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.
अब अंकल बेड के किनारे खड़े हो गए. मैं उसका घोड़े जैसा लौड़ा चूसने लगी.
मुझे बलवीर अंकल के लंड का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था. मैं चूस चूस कर लंड को निचोड़ लेना चाहती थी.
बलवीर अंकल बहुत ताकतवर मर्द थे.
उन्होंने मुझे खड़े खड़े ही गोदी में उठाया और मेरी फुद्दी अपने मूसल लंड पर रख कर निशाना लगाने लगे.
एक ही बार में मेरी चूत की फांकें अंकल के लंड के सुपारे में सैट हो गईं.
उन्होंने मेरी कमर से मुझे पकड़ा और अपने लंड पर खींच लिया.
‘ओय मां मर गई …’
अंकल का आधा लौड़ा मेरी फुद्दी को चीरता हुआ घुस गया.
मैं दर्द से छटपटाने लगी लेकिन कुछ ना कर सकी क्योंकि बलवीर अंकल खड़े थे और मैं उनकी मजबूत बांहों में पूरी तरह उनसे लिपटी हुई हवा में झूल रही थी.
यदि मैं उन्हें छोड़ती तो जमीन पर आ गिरती.
अब तक मैंने कई बड़े बड़े लंड लिए थे लेकिन बलवीर अंकल का लौड़ा घोड़े के लंड से कम ना था.
अंकल ने दूसरा झटका दिया और अपना पूरा लौड़ा मेरी पिक्की में पेल दिया.
मेरी आंखें बाहर निकल आईं, आंखों के सामने अन्धेरा छा गया, दर्द से आंसू निकल गए.
मीनू- आंह अंकल मुझे छोड़ दो. मैं आपका लौड़ा नहीं ले सकती. बहुत बड़ा है. मेरी फुद्दी फट जाएगी.
तो अंकल बोले- थोड़ी देर रुक जा कुतिया, तुझे मेरे लौड़े से बहुत मज़ा आएगा.
अंकल ने अपना लौड़ा आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
करीब दस मिनट बाद मेरा दर्द कम हो गया.
अब अंकल ने मुझे बेड के किनारे घोड़ी बनाया और एक ही झटके में पूरा महाकाय लौड़ा पेल दिया.
मैं फिर से चिल्ला पड़ी.
अंकल अब अपना पूरा लौड़ा बाहर निकालते और एक ही झटके में पूरा पेल देते.
अब मुझे भी मज़ा आने लगा था. मैं किसी रंडी सी सिसिया रही थी- आह और जोर से चोदो अंकल और जोर से … फाड़ दो मेरी पिक्की. भोसड़ा बना दो. मुझे रंडी की तरह चोदो.
बलवीर अंकल- ले भोसड़ी की ले मेरा लौड़ा. बहुत गर्मी है तेरी चूत में. फाड़ दूंगा तेरी भोसड़ी … आह साली भोसड़ा बना दूंगा.
अंकल ने एक ज़ोरदार चमाट मेरे कूल्हे पर लगा दी.
मैं- आ उउउ आह और मारो अंकल मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. मेरी गांड को लाल कर दो.
अंकल- ले रांड ले.
बलवीर अंकल जोर जोर से मेरे कूल्हों पर चमाट पर चमाट लगाने लगे.
मुझे दर्द तो हो रहा था लेकिन मज़ा उससे कई गुना ज्यादा आ रहा था.
अब मैं झड़ने के करीब थी.
आज पहली बार में किसी मर्द के झड़ने से पहले झड़ने वाली थी.
तभी मेरी फुद्दी ने रस छोड़ दिया, मैं निढाल होकर बिस्तर में गिर पड़ी.
अंकल का अब तक नहीं निकला था.
वो बिस्तर पर लेट गए.
उनका खड़ा लौड़ा छत की तरफ देख रहा था.
अंकल- चल साली रांड बैठ जा इस लंड पर.
मैं ‘जी अंकल …’ कहकर उनके मूसल लंड पर बैठ गई और उछलने लगी.
अंकल मेरी चूचियों का भुर्ता बनाने लगे.
करीब बीस मिनट तक अंकल के लंड पर उछल उछल कर चुदवाने के बाद मैं थक गई.
अंकल का लौड़ा वाकयी मजबूत लंड था, वीर्य निकालने का नाम नहीं ले रहा था.
लेकिन मैं भी बहुत बड़ी रंडी हूँ. ऐसे थोड़ी हार मान लेती.
मैं बिस्तर से उतरी और फर्श पर अपने हाथों की उंगलियों से अपने पैर की उंगलियां पकड़ कर झुक गई.
उस वक्त मैं वैसी बनी थी, जैसे कक्षा में शिक्षक बच्चों को अंगूठा पकड़ा कर झुका कर सजा देते हैं, ठीक वैसे.
अंकल तो बहुत अनुभवी खिलाड़ी थे. उन्होंने अपनी दो मोटी उंगलियां मेरी फुद्दी में घुसा दीं और जीभ से चाटने लगे.
मैं फिर से स्वर्ग की सैर करने लगी.
फिर अंकल ने अपना लौड़ा मेरी भोसड़ी में पेल दिया और एकदम से चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी.
करीब बीस मिनट तक इसी पोज में चुदाई चली.
मैं और अंकल दोनों पसीने से लथपथ थे.
कमरे में हम दोनों की कामुक सिसकारियों के अलावा कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था.
आखिर एक घंटे की चुदाई के बाद वो पल आया जिसका मुझे इंतज़ार था.
अंकल का गाढ़ा और गर्म वीर्य मेरी चूत में बहने लगा.
मैं आंखें मूंदकर अपनी चूत में गिरते गर्म वीर्य का आनन्द लेने लगी.
पांच मिनट उसी तरह रहने के बाद अंकल ने अपना लौड़ा मेरी फुद्दी से बाहर निकाला.
मैं वहीं फर्श पर गिर पड़ी, मैं हांफ रही थी.
अंकल बाहर हॉल में सोफे पर बैठ गए.
बीस मिनट बाद मुझे कुछ होश आया. मैं उठी और बाथरूम जाने लगी.
रात के बारह बजे थे. मुझे जोर से पेशाब लगी थी लेकिन मेरे पैर मेरा साथ नहीं दे रहे थे.
मैं लड़खड़ा रही थी. लंगड़ाती हुई बाथरूम गई.
वापस आकर अंकल के पास बैठ गई.
अंकल- मज़ा आया रंडी?
मैं- बहुत मज़ा आया. आप तो बहुत मजबूत हो. कोई और होता तो अब तक चार बार झड़ गया होता. पर आपका तो निकलने का नाम ही नहीं लेता है. अब मुझे पता लग रहा है कि आपकी बीवी आपको छोड़कर क्यों चली गई.
हम दोनों हंसने लगे.
दस मिनट बाद मैं अंकल का लौड़ा फिर से चूसने लगी.
अंकल- वाह रंडी, बहुत आग है तुझमें. आज तक किसी लड़की या औरत ने एक रात में मुझसे दो बार चुदने की हिम्मत नहीं की. एक रात में तो क्या एक महीने तक दोबारा चुदने की हिम्मत नहीं करती और तू दस मिनट में फिर से तैयार हो गई. तू दिखने में ही छोटी है, तेरे अन्दर ज्वालामुखी के जैसी आग है.
मैं बलवीर अंकल का लौड़ा चूसने लगी.
थोड़ी देर में उनका लंड फिर से खड़ा हो गया. चुदाई का दूसरा राउंड शुरू हो गया. जो पूरे एक घंटे चला.
मेरा अंग अंग दर्द कर रहा था, फिर भी में चुदना चाह रही थी.
अंकल ने उस रात मुझे तीन बार चोदा.
रात के चार बजे हम सो गए.
सुबह नौ बजे सागर की मां मुझे उठाने आयी.
मैं नंगी ही बिस्तर पर पड़ी थी.
अंकल जा चुके थे.
सागर की मां बोली- लगता है बलवीर देवर जी ने तुझे पूरी रात पेला है.
मैं शर्मा गई.
सागर की मां- शर्मा मत. मैं किसी को नहीं बताऊंगी. और हां मैं अगले दो दिनों तक तेरे पति को काम में बिजी रखूंगी. तू मस्ती से चुदवाती रहना.
मैं- ओह आंटी आप कितनी अच्छी हो.
आंटी ने मेरे पूरे बदन को देखा और बोली- देवर जी ने तो पूरा नौंच डाला है … तुझे दर्द तो नहीं हो रहा?
मैं- दर्द तो हो रहा है आंटी, पर मज़ा उससे कई गुना ज्यादा आया. अगले दो दिन तक मैं हर रात अंकल से चुदना चाहती हूँ.
सागर की मां- सिर्फ अंकल का ही नहीं. उसका एक दोस्त भी है. वो भी उसी की तरह रिटायर्ड फौजी है. उससे भी चुद लेना. वो भी बड़ा जालिम मर्द है. मैंने भी उससे चुदवाया है.
ये कहकर मुझे आंख मारकर आंटी चली गईं. मैं नहाकर तैयार हुई. दूसरी रात मेरी किस तरह चुदाई हुई, वो कभी फिर बताऊंगी.