नमस्कार दोस्तों! ये कहानी मेरी पहली चुदाई की कहानी है। मैं उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों को पसंद आएगी।
मेरा नाम डीजे है.. मैं फिलहाल अहमदाबाद में एक बड़ी कंपनी में जॉब कर रहा हूँ। मेरी उम्र 26 साल है.. मेरा लंड 7 इंच लंबा है। मेरी काफी लड़कियां फ़्रेंड्स हैं, पर आज तक गर्लफ्रेंड कोई नहीं बनाई।
बात उन दिनों की है, जब मैं 12 वीं में था और एग्जाम खत्म होने के बाद मैं अपने मौसी के यहाँ छुट्टी मनाने चला गया। वहाँ मेरा एक पक्का दोस्त भी रहता है, जो मेरे साथ बचपन से ही दोस्त है.. उसका नाम गगन है। हम लोग बचपन से ही साथ में खेलते थे, मस्ती करते थे और मैं अक्सर उसके घर में ही सो जाता था।
उनकी मौसीजी हर छुट्टी में उनके घर आ जाया करती थीं क्योंकि उनका गाँव पास में ही पड़ता था। मौसी का एक लड़का है जो छोटा है.. वो 6वीं में पढ़ता था और उनकी एक लड़की है, जो मेरी उम्र की थी। हम लोग बचपन से ही साथ खेल कर बड़े हुए थे इसलिए एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे।
अब मैं लड़की से आपका परिचय करा दूँ। उसका नाम संगीता है और उसका फिगर उस समय 36-24-36 का था। उसके मम्मे काफी बड़े थे.. ऐसे कि देखते ही मुँह में पानी आ जाए। गाँव में रहने के कारण वो हमेशा सादे कपड़े पहनती थी। मगर आप तो जानते ही हैं कि गाँव की लड़कियां उसमें भी माल दिखती हैं।
हम लोग अक्सर गाँव की लड़कियों पर अश्लील नजर डाला करते थे। गगन की तो पहले से ही बहुत सारी गर्लफ्रेंड थीं जो कि बाजू वाले गाँव की होती थीं.. ताकि किसी को पता न चले।
ये बात उस दिन की है जब मैं और मेरा गगन गाँव के चौराहे पर रात को सब दोस्तों के साथ बैठे थे। जैसे-जैसे रात होती गई.. सब धीरे-धीरे घर जाने लगे। जब हम दो ही बचे, तब गगन ने बात चालू की।
गगन- सुन डीजे, तेरे लिए मस्त प्रपोज़ल आया है और तुझे उसको हाँ बोलना ही है।
मैं- प्रपोज़ल.. और मेरे लिए.. हो ही नहीं सकता!
गगन- हाँ बे.. मजाक नहीं कर रहा हूँ।
मैं- ठीक है.. बता कौन है वो..?
गगन- बताऊंगा.. पर तुझे उसको हाँ बोलना ही पड़ेगा।
मैं- ठीक है भाई.. तेरे लिए तो कुछ भी कर सकता हूँ।
गगन- संगीता ने चिठ्ठी भेजी है।
मैं तो थोड़ी देर के लिए हक्का-बक्का रह गया। मेरा दोस्त अपनी ही बहन को पटाने को बोल रहा है। फिर मैं थोड़ी देर बाद बोला।
मैं- अबे वो तेरी बहन है.. मैं उसके साथ कैसे कर सकता हूँ ये सब?
गगन- पहली बात तो ये कि वो मेरी मौसी की लड़की है और दूसरी बात ये कि हम दोस्त जैसे ही रहते हैं.. ना कि भाई बहन की तरह.. अब तुझे हाँ बोलनी ही है। अगर नहीं बोला तो हमारी दोस्ती आज से खत्म।
मैं- अरे ऐसा तो मत बोल यार.. ठीक है तेरे लिए मैं हाँ बोल देता हूँ।
फिर ऐसे ही कुछ दिन कुछ बात किए बिना ही बीत गए।
अब बात उस दिन की है जब हम शाम को खेल कर घर पे वापस आ रहे थे। घर आते ही रोज की तरह मैं हाथ-मुँह धोने गगन के घर के पीछे चला गया। उस वक़्त रात होने की वजह से पीछे काफी अंधेरा था। जब मैं हाथ-पैर धो रहा था, तब अचानक संगीता वहाँ आ गई और मेरे पास में खड़ी हो गई। मेरी तो फट के हाथ में आ गई।
थोड़ी देर बाद वो बोली- तुमने मेरी चिठ्ठी का जवाब क्यों नहीं दिया?
मैं थोड़ी देर के लिए तो कुछ बोल नहीं पाया। इतने में गगन भी आ गया था वो भी मेरे बोलने का इंतज़ार कर रहा था। फिर मैंने हिम्मत करके जवाब दिया।
मैं- मेरी तरफ से हाँ है तुम्हारा जवाब।
इतना सुनते ही वो खुशी के मारे पागल हो गई और वहाँ से चली गई।
फिर तो हम रोज चुपके-चुपके गगन के घर में उस वक्त मिला करते, जब सब लोग मेरी मौसी के यहाँ होते। मैं उसको पीछे वाले कमरे में ले जाता और गगन बाहर पहरेदारी करता।
मैं सीधे ही उसे लिप किस करता और उसे गले लगा लेता। मेरे हाथ उसके पूरे शरीर को मसलने लगते।
मैंने आपको बताया था कि उसके मम्मे बहुत बड़े थे.. तो मुझे मम्मे दबाने में मज़ा आता था। जब वो गर्म हो जाती तो धीरे-धीरे मेरे लंड को मसलने लगती और मेरे होंठों पर दबाव बढ़ा देती।
ये सब रोज का हो गया था, मुझे अब सीधे चुदाई करनी थी, संगीता भी चुदने को बेताब थी.. पर वो कह नहीं सकती थी।
एक दोपहर की बात है, जब सब लोग खाना खाकर सो गए थे और मैं और गगन बाहर से घूम कर आए। हम लोग घर के बाहर जो पेड़ है.. उसके नीचे ही खटिया डाल के आराम करने लगे।
थोड़ी देर बाद गगन सुसु करने घर के पीछे गया और भागते हुए मेरे पास आया।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोला- तेरा माल बाहर नहा रहा है।
यहाँ मैं आपको बता दूँ कि गाँव में उस समय सब लोग खुले में ही स्नान और शौच आदि करते थे।
मैं- क्या बात कर रहा है.. अकेली है क्या??
गगन- हाँ इसलिए तो तुझे बोलने आया हूँ कि जा देख ले नज़ारा।
मैं- नहीं दोस्त.. किसी ने देख लिया तो शामत आ जाएगी।
गगन- अरे सब लोग सो रहे हैं.. कोई नहीं आएगा।
थोड़ी देर बहस करने के बाद मैं मान गया और हिम्मत करके घर के पीछे वाले दरवाजे पर पहुँच गया। जैसे ही मैंने उसको देखा तो बस देखता ही रह गया। उसने ऊपर कुछ नहीं पहना था और वो
अपने मम्मों पर साबुन लगा रही थी। मेरा लंड तो ये नज़ारा देखते ही खड़ा हो गया। मन कर रहा था कि पीछे से जाकर सीधे मम्मे मसल दूँ और पूरा लंड उसकी गांड में पेल दूँ।
मैं उसको देखने में मशगूल था कि कुछ आवाज हुई तो उसने पीछे देखा और मुझे देख लिया। उसने तुरंत ही शरमाते हुए अपने हाथ मम्मों पर रख दिए और बोली- क्या कर रहा है यहाँ पे?
मैं- तुम्हें देखने आया हूँ।
संगीता- देख लिया ना.. अब जाओ जल्दी यहाँ से.. कोई देख लेगा तो दोनों फंसेंगे।
मैं- सब सो रहे हैं.. कोई नहीं देखेगा।
संगीता- फिर भी तुम निकलो यहाँ से।
मैं- मुझे एक किस करनी है.. बाद में चला जाऊंगा।
संगीता- अभी नहीं बाद में..
कई बार बोलने के बाद उसे पता चल गया कि मैं मानने वाला नहीं था।
तो उसने बोला- जल्दी कर लो जो करना है और जाओ।
मैं तुरंत ही उसके पास चला गया और सीधे उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
थोड़ी देर बाद अचानक ही मैंने पूरे जोश से उसके हाथ हटा लिए और सीधे उसका एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा।
वो मेरा पहली बार था. दोस्तो.. मैं आपको बता नहीं सकता था कि कितना मजा आ रहा था। मुझे लगा कि आज मेरी चुदाई की कहानी बन कर ही रहगी.
मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और उंगली करने लगा। वो भी मेरे हाथ पर जोर देने लगी थी और आवाजें निकालने लगी थी। मेरा दूसरा हाथ उसके दूसरे मम्मे पर था और उसके हाथ मेरे सिर पर थे जो मेरे बालों को सहला रहे थे।
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वो अब बहुत गर्म हो गई थी, पर डर के मारे कुछ कर नहीं रही थी।
इतने में गगन आ गया और बोला- जल्दी निकलो कोई आ रहा है।
मैं अधूरा काम छोड़ कर निकल आया।
अब तो बस भूत सवार था कि कैसे भी करके इसकी लेनी है और उधर संगीता भी इंतज़ार में थी कि कब चुदाई का वक़्त आएगा।
फिर वो वक़्त आ गया जिसका इंतज़ार था। उस दिन घर के सब लोग बाहर शादी में गए हुए थे और संगीता उसके दूसरे रिश्तेदार के यहाँ गई थी, जो कि उसी गाँव में थे।
मैं और गगन घर पे बैठे टीवी देख रहे थे और थोड़ी देर बाद संगीता आ गई।
गगन ने उसे देखते ही बोला- यही मौका है पकड़ ले उसे।
फिर हमने जल्दी से प्लान बनाया और बाजू वाले कमरे में ले जाने का फाइनल किया। मैं कमरे में जा कर छुप गया और गगन उसी कमरे में आकर कुछ काम करने लगा। फिर उसने संगीता को आवाज लगाई.. जैसे ही संगीता आई, गगन भागते हुए कमरे से बाहर चला गया और उसने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। मैं धीरे से पीछे से निकला.. संगीता अब समझ गई थी कि क्या होने वाला है।
मैंने जा कर दरवाजा अन्दर से भी बंद कर दिया और सीधे संगीता पर टूट पड़ा। हमने दस मिनट तक लगातार किस किया.. फिर मैंने उसको खटिया पर लेटा दिया और खुद भी उसके ऊपर लेट गया।
उसने उस दिन जीन्स और टॉप पहना था जिसके कारण मुझे उतारने में कोई दिक्कत नहीं हुई। मैंने उसका टॉप उतार दिया.. उसने नीचे काले रंग की ब्रा पहनी थी, जिसमें उसके बड़े-बड़े मम्मे मस्त लग रहे थे।
मैं ऊपर से ही जोर-जोर से मम्मे को मसलने लगा और फिर उसकी पेंट भी निकाल दी। उसने काले रंग की पेंटी पहनी थी.. जो कि गीली हो गई थी।
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था इसलिए मैंने उसके दोनों बचे हुए कपड़े भी निकाल दिए और उसे पूरा नंगा कर दिया। मैंने पहली बार पूरी नंगी लड़की देखी थी.. तो बस मैं तो देखता ही रह गया।
संगीता भी गर्म हो गई थी तो उसने झट से मेरे लंड को ऊपर से ही पकड़ लिया और चेन खोल कर लंड को मुँह में ले लिया। मैं तो मानो जन्नत की सैर कर रहा था। इतना मजा आ रहा था कि थोड़ी देर में ही मेरा माल निकल गया और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया।
उसने बिना रुके ही सारा माल पी लिया।
तब मुझे लगा कि शायद ये लड़की पहले भी खेली खाई हुई है, इसने अपनी चुदाई की कहानी पहले से बना रखी है.
थोड़ी देर बाद उसने फिर मेरे लंड से खेलना चालू किया और तुरंत वो खड़ा हो गया। मैंने उसे उठा कर खटिया के सहारे खड़ा कर दिया और कुतिया बना दिया।
एक ही झटके मैंने आधा लंड उसकी चूत में पेल दिया.. जिससे उसके मुँह से जोर की आवाज निकल गई।
बाहर खड़े गगन ने बोला- अबे धीरे शॉट लगा भाई..
फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना चालू किए। अब वो पूरे जोश में आ गई थी और अपनी गांड उचका कर लंड ले रही थी। मैंने धीरे-धीरे रफ़्तार बढ़ा दी और एक हाथ से उसके मम्मे को मसलने लगा। दूसरे हाथ से मैं उसकी गांड पे चाटें मारने लगा।
उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं और वो ‘अ.. अह.. अह..’ आवाज निकालने लगी।
संगीता पूरे जोश में कह रही थी- अह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से डाल.. फाड़ दे मेरी चूत को.. डाल दे माल अन्दर और माँ बना दे तेरे बच्चे की..
वो चुदाई की हवस में पागल हो गई थी। मैं भी पूरे जोश में धक्के लगा रहा था। तकरीबन बीस मिनट बाद मैं झड़ने को हुआ। संगीता उस समय तक दो बार झड़ चुकी थी। जैसे ही मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है, मैंने तुरंत उसकी चूत में से लंड निकाला और उसके मुँह में दे दिया और सारा माल उसके मुँह में निकाल दिया। वो भी बिना रुके सब पी गई।
फिर थोड़ी देर मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा और वो भी कुछ बोले बिना ऐसे ही पड़ी रही। फिर हम दोनों खड़े हुए और कपड़े पहन लिए।
वो बाहर चली गई और गगन अन्दर आ कर मुझसे सब पूछने लगा।
मैंने उसे सब बताया। उसके बाद कई बार मजा किया। एक बार तो उसको उसी के खेत में चोद दिया था.. जहाँ पे उसका भाई और उसकी बहन भी साथ में थी।
यह मेरी पहली चुदाई की कहानी थी.. मैं उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों पसंद आई होगी। मुझे आपकी राय जरूर ईमेल करें.. मुझे इंतज़ार रहेगा।
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