नमस्ते दोस्तों, मैं कई सालों से अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ रहा हूँ. सभी लेखकों के दिलचस्प अनुभव काफी लुभावने होते हैं. कहानियां पढ़कर में भी अपनी जिंदगी के सेक्स अनुभव लिखने की सोचता लेकिन में संकोच से लिख नहीं पता था.
तो दोस्तो, आज मैं पहली बार अपनी एक मस्त सेक्सी कहानी बताने जा रहा हूँ. अगर आप पाठकों को मेरी यह कहानी पसंद आयी, तो मैं आगे भी लिखूंगा.
मेरा नाम विक्की है और मैं फिलहाल दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी यह कहानी मेरे सहकर्मी और उसकी बीवी की है. हुआ यूँ कि मेरा तबादला चंडीगढ़ से दिल्ली ताज़ा ताज़ा हुआ था. कंपनी ने मेरे लिए पन्द्रह दिन के होटल का बंदोबस्त कर दिया था. लेकिन मुझे इन पन्द्रह दिनों में अपने लिए मकान ढूंढ़ना था.
खैर, मैं पहले दिन ऑफिस गया और वहां अपनी टीम से मुलाकात की. मेरे मैनेजर ने मेरा परिचय संजय से करवाया. उन्होंने बताया कि संजय बहुत अच्छा इंसान है … और ये घर ढूंढने में तुम्हारी मदद कर देगा.
मैंने थोड़ी राहत की सांस ली कि चलो कोई तो साथ देगा.
संजय एक गोरा चिट्टा जवान था, उसकी लगभग चौबीस साल की उम्र रही होगी. वो उम्र में मुझसे कुछ ही बड़ा था.
संजय ने बताया कि वह ऑफिस के पास ही रहता है और उसी की बिल्डिंग में एक दो कमरों का फ्लैट खाली है, अगर मैं शाम को काम खत्म होने बाद चलूं, तो वह मुझे फ्लैट दिखाने का बंदोबस्त करवा सकता है.
मैंने हां कर दिया और काम में लग गया.
शाम लगभग सात बजे संजय ने मुझे याद दिलाया कि घर देखने जाना है.
मैंने मैनेजर से इज़ाज़त ले ली और संजय के साथ फ्लैट देखने चला गया.
फ्लैट देख कर मुझे पसंद आया और मैंने मकान मालिक को एडवांस देकर घर बुक कर लिया.
इसके बाद हम दोनों आने लगे, तो संजय ने मुझसे उसके घर चलकर चाय नाश्ता करने का आमंत्रण दिया.
चूंकि दिल्ली में मैं नया नया आया था, तो मुझे भी दोस्त चाहिए थे. मैंने हां कर दी.
उसका फ्लैट भी साथ वाला ही था. उसने बेल बजायी, तो उसकी बीवी ने दरवाज़ा खोला. वैसे तो सभी औरतें देखने में खूबसूरत होती हैं, लेकिन जैसा संजय गोरा चिट्टा था, उसकी बीवी भी वैसे ही गोरी थी. भाभी जी ने काले रंग का शार्ट स्लीव टॉप पहन रखा था और नीचे पजामा.
शायद उनको संजय के साथ किसी और के आने की उम्मीद नहीं थी. संजय ने दरवाज़े पर ही मेरा उनसे परिचय करवाया और उनका नाम हंसिका बताया.
हंसिका भाभी ने मुझसे अन्दर आने को बोला.
मैंने अन्दर जाकर देखा, तो भाभी ने अपना ड्राइंग रूम बहुत अच्छे से सजा रखा था. मैं सोफे पर बैठ गया. संजय और हंसिका अन्दर गए.
मुझे अन्दर से थोड़ी बहस की आवाज़ आती सुनाई दी. ये मुझे थोड़ा असहज लगा.
खैर थोड़ी देर में संजय पानी लेकर आया और बोला- आप आराम से बैठिये, इसे अपना ही घर समझें.
मेरे पानी पीते पीते हंसिका भाभी ने चाय और नमकीन पेश कर दिया था. मैंने मौके को संभालने के लिए कुछ बोलना चाहा, लेकिन इससे पहले ही हंसिका ने बोला कि अच्छा हुआ कि आपने पास वाला फ्लैट लिया है, कम से कम कोई बोलने वाला तो मिलेगा, नहीं तो दिल्ली में लोगों को यह भी नहीं पता होता कि पास में कौन रह रहा है.
मैंने हां में हां मिलाई और साथ में माफ़ी भी मांगी कि मेरी वजह से आप दोनों में बहस हो गयी.
इस बात पर हंसिका भाभी ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है, मैं इसलिए थोड़ी उदास हो गयी थी कि संजय ने अगर पहले बताया होता, तो मैं तैयार भी रहती और कुछ बना भी लेती.
मैं बोला- भाभीजी अब तो यहीं रहने आ रहा हूँ . … आपका जब मन करे, खिला देना. वैसे भी मैं खाने के मामले में थोड़ा बेशरम किस्म का इंसान हूँ.
इस बात पर सब हंसने लगे.
खैर चाय पीकर मैं होटल को रवाना हो गया. यह सोमवार का वाकिया था.
काम में दो तीन दिन कैसे निकल गए, पता ही नहीं चला. गुरुवार को संजय ने मुझसे पूछा कि क्या आप शुक्रवार को मेरे घर डिनर करना पसंद करेंगे?
मैं भी बाहर का खाना खा के बोर हो रहा था, मैंने हां कर दिया.
इस पर उसने पूछा- आप ड्रिंक करते हैं या नहीं?
मैं बोला- हां मैं करता तो हूँ, लेकिन भाभीजी बुरा ना मान जाएं.
संजय ने तुरंत बोला- हम दोनों शुरूआत से ही एक साथ ड्रिंक करते हैं और हम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं होगी.
इस तरह हमारा डिनर का प्लान पक्का हो गया.
मैं शुक्रवार को संजय के साथ ही उनके घर गया. भाभीजी ने दरवाज़ा खोला. मैं हैरान हो गया, भाभीजी ने पूरा मेकअप कर रखा था और साथ में लहंगा चोली पहना हुआ था. बैगनी कलर का लहंगा उनके गोरे बदन पर बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था. लाल लिपस्टिक उनके होंठों को चार चाँद लगा रही थी. उनकी भूरी आंखों पर काजल तो शायद उनकी गहराइयां और बढ़ा रही थी.
मैं उनको अच्छे से देखने लगा, फिर मुझे खुद ही बुरा लगा कि मेरी मदद करने वाले इंसान की बीवी को मैं ऐसे देख रहा हूँ.
इतने में भाभी ने खुद ही पूछ लिया- दरवाज़े पर ही खड़ा रहेंगे या अन्दर भी आएंगे.
मैं झेंप सा गया और अन्दर आते हुए उनको रास्ते से ख़रीदा हुआ फूलों का गुलदस्ता देते हुए बोला- आप इतनी खूबसूरत लग रही हैं कि मैं हैरान हो गया.
उन्होंने हंसते हुए कहा- चलो किसी को तो मेरी खूबसूरती दिखी.
यह बोलते हुए थोड़ा शरारती तरीके से भाभी जी ने संजय की तरफ देखा.
संजय ने एक स्माइल दी और बोला- मैं तो हमेशा ही तुमको सुन्दर बोलता हूँ.
हम सब हंसते हुए सोफे पर बैठ गए और भाभीजी ने तुरंत ही स्नैक्स, आइस, गिलास और स्कॉच की बोतल ला कर रख दी.
हम तीनों ड्रिंक करते हुए गप्पें मारने लगे. इस बीच में उन दोनों के बारे में पता चला कि उनकी अरेंज्ड मैरिज है. घर वाले अमीर हैं और कुछ रिलेटिव्स कनाडा में भी सैटल्ड हैं. ये दोनों भी शायद कुछ सालों में वहीं शिफ्ट हो जाएंगे.
खैर हमने ड्रिंक करके डिनर किया और उसके बाद मैं होटल वापस चला आया.
अगले वीकेंड पर मैंने फ्लैट में शिफ्ट किया. भाभीजी ने पहले ही घर की सफाई करवा दी थी और खाने का बंदोबस्त भी करवा दिया था. उसके बाद से मेरा काम भी सही चलने लगा और साथ के साथ घर का खाना भी मिलने लगा. मैं उनके लिए अपने तरफ से सब्जी वगैरह लाकर दे देता था, ताकि उनको ऐसा न लगे कि मैं फ्री में खा रहा हूँ.
हर सप्ताहंत में हमारी ड्रिंक्स की पार्टी होती थी और साथ में हम कभी कहीं घूमने चले जाते, तो कभी मूवी देखने. इस तरह हमारी दोस्ती बढ़ने लगी.
मुझे दिल्ली आए हुए अब लगभग तीन महीने हो चुके थे और इस बीच मेरी, संजय और हंसिका भाभी की भी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी.
अचानक से एक दिन रात में बालकनी में धूम्रपान करते हुए मुझे हंसिका की रोने की आवाज़ और साथ में उन दोनों की बातें सुनाई दीं. संजय उसे चुप करने की कोशिश कर रहा था, पर वो बोले जा रही थीं.
मुझे जो सुनाई दिया, उससे पता चल रहा था कि संजय की मम्मी हंसिका को बच्चा न होने पर बुरा-भला कह रही थीं. वह इसलिए कुछ नहीं बोल पा रही थी क्योंकि संजय में कोई कमी थी.
मैंने रात भर खूब सोचा कि मैं अपने नए दोस्तों की किस तरह मदद कर सकता हूँ. लेकिन ऐसे बात करने में मेरी हालत ख़राब हो रही थी.
मैं जब सुबह उनसे मिला, तो दोनों हमेशा की तरह हंसते हुए दिखे. मैं चुप हो गया और सोचा की ड्रिंक्स करते हुए पूछूंगा, तभी बात खुल कर हो पाएगी.
इसी तरह मैं वीकेंड का इंतज़ार करने लगा.
वीकेंड पर ड्रिंक्स के दो दो पैग लगाने के बाद बातों ही बातों में मैंने बोल दिया- भाभीजी मुझे आपका रोना अच्छा नहीं लगता.
वे दोनों मेरी बात पर हैरान हो गए कि मैंने कब उनको रोते हुए देखा या सुना. मैंने उनको पूरा वाकिया सुनाया कि कैसे ना चाहते हुए भी मुझे उनकी बात सुनाई दी.
इस पर दोनों हैरान होकर एक दूसरे का चेहरा देखने लगे और थोड़ी देर में भाभीजी रुआंसी सी होकर बोलीं- प्लीज रहने दीजिये … ऐसी बातें न ही हों, तो बेहतर है.
वो ये सब कहते हुए कुछ सुबकने लगीं. संजय उनके पास जाकर उनको चुप करा रहा था.
मैं बोला- भाभीजी, प्लीज रोना बंद कर दीजिये. ऐसी दिक्कतें आम बात हैं और आजकल इनका इलाज़ भी है. आप दोनों ने मेरी इतनी मदद की और मैं आप दोनों को अच्छा दोस्त मानता हूँ, अगर मुझसे कुछ हो पाया, तो मैं जरूर मदद करना चाहूँगा.
इस पर भाभीजी ने बताया- संजय का वीर्य काउंट कम है और इस वजह से मुझको बच्चा नहीं हो रहा है. हम दोनों की शादी के बाद से ही संजय का इलाज़ भी चल रहा है, लेकिन घरवालों को यह बात पता नहीं है और वे बच्चे के लिए परेशान कर रहे हैं. इसी वजह से हम दोनों घरवालों से दूर रहने लगे हैं. जब तक मुझे बच्चा न हो जाए, मैं उनके करीब जाना भी नहीं चाहती हूँ.
मैंने उनके तेज बोली से समझ लिया कि भाभी काफी गुस्से में आती जा रही हैं. मैंने भी उन्हें चुप करवाया और बोला कि जब इलाज़ चल रहा है, तो बस समय की ही तो बात है; हो जाएगा बच्चा.
इस घटना को कुछ दो महीने हो गए थे और इस बीच हमारी दोस्ती और भी खुली हो गयी थी. अब हम सभी आपस में सेक्स रिलेटेड बातें भी करने लगे थे. उनको पता चला था कि मैं बचपन से ही सेक्स में बहुत ज्यादा इंटरेस्टेड रहा हूँ और बहुत सी औरतों और लड़कियों के साथ मेरे ताल्लुकात भी रहे हैं.
एक दिन ऐसे ही ड्रिंक्स करते हुए मैंने स्पर्म डोनर की बात छेड़ दी और बोला कि आईवीएफ से किसी और के वीर्य से बच्चा करवा लेना भी बड़ा ठीक रहता है.
उन्होंने बताया कि यह बात उन्हें डॉक्टर्स ने भी एडवाइस की है … लेकिन वे किसी अनजान से बच्चा नहीं चाहते हैं.
इसी दौरान दारु के नशे में और हंसी मजाक में मेरे मुँह से निकल गया कि अगर आप लोग इतने अच्छे दोस्त नहीं होते, तो मैं ही आपको बच्चा दे देता.
नशे की पिनक में मेरे मुँह से यह बात निकल तो गयी, लेकिन मुझे तुरंत अहसास हो गया कि मैंने कुछ ज्यादा बोल दिया. मैं बिना कुछ बोले उनके यहां से निकल गया.
अगला सप्ताह बहुत ही टेंशन में गुजरा. मैंने उनसे कोई बात नहीं की और उनसे पूरी तरह से बच कर निकल रहा था. ऑफिस में भी संजय को मैंने नजरअंदाज किया.
खैर शुक्रवार को भाभीजी का फ़ोन बार बार आता रहा और मुझे मजबूरन उठाना ही पड़ा.
उन्होंने पूछा- आप बात क्यों नहीं कर रहे हो?
मैंने बताया- उस दिन मुझसे गलती हो गयी थी. जिन लोगों ने मेरी मदद की है, उनके लिए मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था.
इस बात पर भाभी हंसती हुई बोली- एक ही शर्त पर माफ़ी मिलेगी, जब आप वापस से हम दोनों को पहले जैसा ट्रीट करोगे.
मैंने पल्ला झाड़ते हुए बोला- हां करूँगा.
इस पर भाभी जी ने मुझे शाम को घर आने पर मजबूर कर दिया.
शाम को जब मैंने उनके यहां पहुंचा, तो उन्होंने सारा बंदोबस्त पहले से ही कर लिया था और पहले से ही दो पैग लगा लिए थे.
हंसिका भाभी ने एक कशीदाकारी की हुयी लाल रंग साड़ी और साथ में लाल रंग की ही बैकलैस गहरे गले का ब्लाउज पहना हुआ था, जिससे उनके स्तन और दूध घाटी दोनों दिख रहे थे. उनका पल्लू बिल्कुल पतला सा तह होकर एकदम साइड को था. इससे उनका पूरा गोरा सीना और पीठ साफ़ दिखाई दे रहा था. भाभी ने कान में बड़े बड़े गोल रिंग वाले झुमके पहन रखे थे.
उन्होंने मेरा स्वागत किया और हंसते हुए मुझे भी पैग पकड़ा दिया.
धीरे धीरे वह बोलने लगीं कि उनको मेरी बात बुरी नहीं लगी.
थोड़ी देर बाद भाभी ने कहा- मुझको आपका आईडिया अच्छा लगा.
मैं हैरान होकर उनकी तरफ देखने लगा.
वे हंसकर बोलीं- किसी अनजान का बच्चा होने से अच्छा है कि किसी जान पहचान का हो.
इस बात पर संजय ने भी हां में हां मिलाते हुए हंसिका भाभी से सहमति जता दी.
मैं समझ रहा था कि वो दोनों आईवीएफ के जरिये मेरे वीर्य से बच्चा करवाना चाहते हैं.
हम तीनों ने चार चार पैग हलक से उतार लिए थे और अब नशा सवार होने लगा था.
तभी थोड़ी देर में मुझे शॉक लगा. जब भाभीजी ने मुझसे पूछा- बेडरूम में कब चलना है?
मैं हैरान होकर दोनों को देखने लगा, मेरी बोलती बंद थी और मैं शर्मा रहा था. क्योंकि मैंने कभी किसी के सामने उसकी बीवी से सेक्स के बारे में कभी सोचा भी नहीं था. लेकिन इस बातों से मेरे लंड में हलचल मच चुकी थी. मैं यह सोच रहा था कि मैं कैसे संजय के सामने हंसिका को चोद सकता हूँ.
मेरी यह बात शायद उन्हें समझ आ चुकी थी. संजय बोला- देखो, मेरी बीवी मुझे धोखा नहीं दे रही है, बस हमारे लिए एक बच्चा हो जाए, हम दोनों उसका बंदोबस्त कर रहे हैं. हां अगर तुम तैयार नहीं हो, तो अलग बात है.
मैंने बोला- ऐसी बात नहीं है.
इतने में भाभीजी बोलीं- क्या मैं अच्छी नहीं लगती?
मेरे मुँह से निकल गया कि भाभीजी आप तो बहुत अच्छी लगती हो, अगर मौका मिलता, तो शायद मैं आपसे शादी भी कर लेता.
मेरी इस बात पर दोनों हंसने लगे और भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर पूछा- फिर शर्मा क्यों रहे हो?
मैंने उन्हें बताया- कभी किसी और के सामने मैंने सेक्स नहीं किया.
संजय ने कहा- मुझे पता है कि ऐसा कुछ हो सकता है … इसलिए मैं हॉल में ही रुकने वाला हूँ और तुम दोनों बेडरूम में जा सकते हो.
इतने में हंसिका भाभी ने मेरा हाथ जोर से पकड़ा और खींचते हुए मुझे अपने बेडरूम ले गईं.
बेडरूम के अन्दर घुसते ही मैं फिर से हैरान हो गया, पूरा बिस्तर सुहागरात की तरह सजा हुआ था. बिस्तर पूरा फूलों से सजा हुआ था.
इतने में संजय पीछे से हंसते हुए बोला- बंदोबस्त ठीक है ना … या कुछ और चाहिए?
मैं भी अब तक थोड़ा कम्फ़र्टेबल हो गया था और बोला- नहीं नहीं बहुत है … लेकिन दरवाज़ा बंद करना पड़ेगा.
इस पर संजय बोला- मेरी बीवी है कोई रंडी नहीं … इसलिए आराम से करना … सिर्फ बच्चा चाहिए.
मैंने हंसते हुए दरवाज़ा बंद दिया.
भाभीजी ने मुझे बिस्तर पर बिठा दिया और बोलीं- पहले डांस देखना पसंद करोगे?
यहां मैं बता देना चाहता हूँ कि इससे पहले भी हम कई बार क्लब्स साथ में गए हैं … लेकिन हर बार संजय और हंसिका आपस में ही डांस करते थे.
मैंने हां कहा, तो भाभी जी ने वहीं पर रखे स्मार्ट टीवी पर सेक्सी गाने लगा दिए और मादक अदाओं में मेरे आस पास नाचने लगीं.
उनको नाचता देख कर मेरा लंड टाइट होता जा रहा था. इतने में भाभीजी नाचते हुए अपना पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरे सामने झुक कर अपने स्तन दिखाने लगीं.
फिर धीरे धीरे उन्होंने अपनी पूरी साड़ी उतार दी और अब वह पेटीकोट और ब्लाउज में थीं. उनका ब्लाउज बस उनके निप्पलों को ढक पा रहा था और बाकी सब माल साफ़ दिख रहा था. उनके निप्पलों और ब्लाउज को देख कर पता चल रहा था उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.
फिर वह टेबल पर रखी व्हिस्की की बोतल से एक लार्ज पैग बना कर बिल्कुल मेरे पास आईं और कमर हिलाते हुए मुझे गिलास थमा दिया. फिर धीरे धीरे उन्होंने अपना पेटीकोट उतार दिया. अब वह केबल अपने ब्रा टाइप ब्लाउज और पैंटी में थीं.
भाभी जी की पैंटी और ब्लाउज भी मैचिंग के थे और पैंटी भी डिज़ाइनर थी.
इस नजारे को देख कर मेरे होश उड़ रहे थे. भाभी थोड़ा नाचते हुए मेरी गोद में आ गईं और अपनी गांड से मेरे लंड को दबाकर बैठ गयी. मैंने उनके होंठों से गिलास लगा दिया उन्होंने गिलास से एल लम्बा घूँट भरा और मेरे होंठों से अपने होंठों को लगते हुए मुझे शराब पिला दी. फिर वो अपनी गांड को मेरे लंड पर मस्ती से हिलाने लगीं.
ऐसे करते हुए उन्होंने मुझे इशारा किया कि पीछे से मेरा ब्लाउज खोल दो.
मैंने हाथ लगाया ही था कि भाभी पीछे मुड़ कर मादक अदा में इशारे से बोली- अपने दाँतों से ब्लाउज खोलो न यार.
मैंने गिलास एक तरफ रख दिया. मैं थोड़ी मेहनत के बाद उनके ब्लाउज के हुक्स खोल पाया. पर उन्होंने ब्लाउज पूरा हटाया नहीं, बल्कि वह मेरे सामने उठकर पहले तो मेरी तरफ पलट गईं. फिर धीरे से ऐसे ब्लाउज हटाया, जिससे उनके एक हाथ से उनके स्तन छुप जाए.
फिर भाभी वापस मेरी गोद में आकर अपनी गांड घिसते हुए बिना हाथ लगाए पैंटी सरकाने लगीं और ऐसा करते करते उन्होंने पूरा ढक्कन उतार दिया.
थोड़ी देर वैसे ही घिसाई करने के बाद वह सामने को जाने लगीं, तो मैं उनकी मस्त नंगी गांड पहली बार देख रहा था. मेरी हालत ख़राब हो रही थी. भाभीजी ने पलट के थोड़ा डांस करने के बाद पहले अपने स्तन से हाथ हटाया.
वाह, क्या नज़ारा था … भाभीजी के निप्पल बिल्कुल हल्के भूरे रंग के थे.
मैं उठ कर हाथ लगाने ही जा रहा था कि भाभीजी ने इशारे से उठने से मना कर दिया. फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना हाथ हटा कर अपनी चुत के दर्शन करवाए. उन्होंने आज के लिए वहां की वैक्सिंग करवाई थी. साथ में उनके चुत के पास ही थोड़ी से ऊपर एक छोटा सा लाल रंग से बना हुआ गुलाब का टैटू था.
उफ्फ्फ … क्या मस्त नज़ारा था … वैसा बदन फिर मुझे अभी तक देखने को नहीं मिला.
भाभी मादक अदा में वापस मेरे पास आकर मेरी गोद में ऐसे बैठ गईं, जिससे उनकी जांघें मेरी जांघों के दोनों तरफ थीं और उनके स्तन सीधा मेरे चेहरे पर लग गए थे. वे अभी भी नाचते हुए अपने मम्मों से मेरे चेहरे को सहला रही थीं और कमर हिला हिला के मेरे लंड पर अपनी चुत घिस रही थीं.
उन्होंने एक हाथ से मेरे गर्दन को पकड़ रखा था और दूसरे से अपने बालों और मेरे चेहरे से खेल रही थीं.
उनकी इन हरकतों का असर यह हुआ कि मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया था और पैंट के ऊपर भी भाभीजी की चुत से निकले पानी का निशान पड़ चुका था.
भाभी ने यह सब लगभग आधे घंटे तक किया था और वे भी पानी छोड़ चुकी थीं.
फिर भाभी अपने होंठों को अपने दांतों से दबाते हुए मेरी गोद से नीचे उतरीं और मेरे कपड़े उतारने लगीं. मुझे नंगा करके उन्होंने बिस्तर पर धकेल दिया और सीधा 69 पोजीशन में मेरे चेहरे पर बैठ गईं. उन्होंने शराब का गिलास अपनी चूत पर डाला और मुझसे अपनी चुत चटवाने लगीं. साथ ही बाकी बची शराब को मेरे मुरझाये लंड पर डाल कर उसको चूसने लगीं.
मैंने अपनी जीभ उनकी चुत में डालकर उनकी मस्त गुलाबी चुत का रस पिया. थोड़ी देर में वह अपनी पूरी चुत मेरे चेहरे पर ऊपर से नीचे तक करने लगीं और जोर से ढेर सारा पानी छोड़ दिया. अब तक मेरा लंड भी वापस से खड़ा हो चुका था.
कमरे में घुसने के बाद से हमारे बीच अभी तक कोई बात नहीं हुई थी, बस इशारों में ही सब कुछ चल रहा था.
उनके पानी छोड़ने के बाद मैंने उनको सीधा लिटाया और उनके ऊपर लेट गया और उनके होंठों को चूसने लगा. नीचे मैंने अपना लंड उनकी जांघों के बीच में सैट करके चुत से सटा दिया और ऊपर नीचे करने लगा.
मैंने उनको दोनों हाथों से जोर से पकड़ रखा था और उन्होंने भी मुझे अपने हाथों से जकड़ रखा था. मैंने धीरे धीरे उनके पूरे चेहरे को किस किया और फिर उनके कान को हल्का सा चबाया … वे उत्तेजना से सिहर उठीं.
धीरे धीरे मैं उनके गर्दन को चूमता हुआ नीचे को आया और उनके स्तन को चूसने लगा.
मेरी आदत है कि मैं स्तन को बहुत देर तक और मुँह के अन्दर तक लेकर चूसता हूँ. इससे भाभी के गोरे गोरे स्तन लाल हो गए.
मैं थोड़ा उठ कर अपने हाथों से उनके स्तन को दबा रहा था और उनकी तरफ देख रहा था.
उन्होंने मेरी तरफ देखा … तो मैंने इशारे से पूछा- अन्दर डालूं?
तो उन्होंने अपना सर हिलाते हुए हां कहा.
मैं उनकी गीली हो चुकी चुत में अपना लंड धीरे धीरे डाल रहा था और उनको देख रहा था. भाभीजी अंगड़ाई लेते हुए अपने मुँह को अपनी बांहों से दबा रही थीं. धीरे धीरे मैंने पूरा लंड उनकी चुत में डाल कर धक्का लगाना शुरू कर दिया. इस बीच में मैंने उनके स्तन और पेट पर कई बार चूस चूस कर निशान बना दिए. भाभी जी इसी बीच में थोड़ा उठ कर मुझे चूमने लगी थीं.
हम दोनों की इस घमासान चुदाई के बीच में भाभीजी ने मुझे धक्का मारते हुए साइड में किया और पलट कर घोड़ी बन गईं.
मैं समझ गया कि उन्हें पीछे चुत में लंड चाहिए. मैंने अपना लंड उनकी चुत में सैट करके जोर से धक्का मारा … इससे उनकी सिसकारियां निकल गईं.
इसी पोजीशन मैंने दस मिनट तक उनको जोर जोर से धक्के मारे. भाभीजी इस बीच में अपनी से इतना पानी छोड़ चुकी थीं कि हमारे नीचे का बिस्तर पूरा गीला हो चुका था.
थोड़ी देर तक मैंने भी जोर जोर से धक्के लगाए और उनकी चुत में झड़ गया.
अभी तक कमरे में आये हुए तकरीबन डेढ़ घंटा हो चुका था. हम दोनों ही काफी थक चुके थे.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी जी की तरफ देखा, तो उनको मुस्कुराते हुए पाया.
मैंने इशारे में पूछा- क्या हुआ?
तो उन्होंने इशारे में ही बोला कि कुछ नहीं.
मैंने इतने देर के बाद पहले बार मुँह खोलकर बोला- भाभीजी, सच में मैं आपको कभी नहीं भूल पाऊंगा.
इस बात पर वह हंसने लगीं … और उन्होंने कहा- अभी तो शुरूआत है. आगे आगे देखो क्या होता है.
इस बात पर मैं भी हंसने लगा और अपने कपड़े पहन कर हॉल में पानी पीने आ गया जहां संजय ड्रिंक करता हुआ अपने मोबाइल पर बिजी था.
भाभी जी अन्दर नंगी ही लेटी थीं.
संजय ने मेरी तरफ देखा और पूछा- कैसी है हंसिका?
मैंने बोला कि किस्मत वाले हो … जो ऐसी बीवी मिली है.
संजय- मुझे लगता है कि एक बार में कुछ नहीं हो पाएगा.
मैंने हंस कर दिलासा दे दी कि कोई बात नहीं … जब भाभी चाहेंगी, देवर हाजिर हो जाएगा.
मैं संजय के पास बैठ गया और हम दोनों ने एक एक सिगरेट सुलगा ली.
इसकी आगे की कहानी मैं बाद में लिखूंगा … तब तक आप लोगों के विचारों का इंतज़ार रहेगा.
कृपया अपनी राय मेरी मेल पर अवश्य भेजें.
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