दोस्त की बीबी की चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपने दोस्त के कहने पर उसकी बीवी की चुदाई करता था. दोस्त के माँ बाप अब दादा दादी बन्ना चाहते थे तो दोस्त ने मुझसे मदद मांगी.
प्रिय पाठको, मैं छिंदवाड़ा में एक कंपनी में दवा प्रतिनिधि हूं. मैं अपनी मेरी पिछली फ्रेंड वाइफ सेक्स स्टोरी की अगली कड़ी पेश कर रहा हूँ.
करीब 6 महीने पहले मैंने अपनी पहली सेक्स कहानी
मुझसे चुदने के लिए दुल्हन बनी भाभी
अन्तर्वासना पर लिखी थी जिसमें मैंने अपने दोस्त मुकेश जो कि बालाघाट में एमआर (दवा प्रतिनिधि) है. उसकी वाइफ निशा को मुकेश के निवेदन पर संतुष्ट किया था. क्योंकि उसको कुछ सेक्सुअल प्रॉब्लम थी.
उसके बाद बहुत से पाठकों ने आग्रह किया, तो मैं उसके आगे की फ्रेंड वाइफ सेक्स स्टोरी जो कि एकदम सत्य घटना पर आधारित है. बताना चाहता हूं.
मुकेश अक्सर अपनी वाइफ निशा के साथ छिंदवाड़ा टूर पर आता और मेरे पास छोड़ कर मेरी बाइक से वर्किग पर निकल जाता. मैं घर में उसकी वाइफ से मजे से सेक्स करता. जब मैं बालाघाट जाता, तो उसी के घर रहकर उसकी वाइफ के साथ रात गुजारता. यह सब मुकेश की मर्जी से हो रहा था और हमारी लाइफ मजे से चल रही थी.
एक बार मैं जब वर्किग पर बालाघाट गया. तो देखा कि मुकेश के मम्मी पापा आए हैं.
निशा ने, जिसका कि मैं एक एक अंग चूम चुका था, बड़ा सा घूंघट लेकर मुझे नमस्ते कह कर बाहर वाले कमरे में बैठने को कहा.
फिर कुछ देर बाद मुकेश आया और मैं उसके साथ बाहर सिगरेट पीने चला गया.
मुकेश ने बताया कि उसके मम्मी पापा अब दादा दादी बनने का सपना देख रहे हैं.
मुकेश के बड़े भैया विनोद और भाभी अंकिता को शादी के 4 साल बाद भी कोई बच्चा नहीं हुआ. इसलिए अब वो मुकेश से उम्मीद लगा कर बैठे थे. यहां मैं बता दूं कि चूंकि हमारा रिश्ता नाजायज था और मैं किसी लफड़े में नहीं पड़ना चाहता था. इसलिए निशा को हमेशा गर्भ निरोधक गोलियां खाना को देता था.
मैंने मुकेश को कृत्रिम गर्भाधान के लिए आईयूआइ और आईवीएफ की सलाह दी.
फिर अगले दो महीने तक मैं उसके यहां नहीं गया.
जब वो छिंदवाड़ा आया, तो बोला कि यार क्या करूं आईवीएफ वाले कम से कम दो से तीन चक्र के लिए बोल रहे हैं और हर चक्र के लिए करीब एक लाख रुपए खर्च होंगे. अब मैं इतना पैसा कहां से लाऊं. जब तू उसके साथ सब कुछ कर चुका है … तो एक बार बिना गर्भ निरोधक गोलियां दिए निशा से सेक्स कर ले. वो तो तेरे साथ वैसे भी खुश रहती है.
मैंने कहा- वो तो ठीक है … पर आगे कोई कानूनी समस्या न हो!
तो उसने कहा कि आजकल आईवीएफ वाले भी कृत्रिम गर्भाधान के पहले लीगल एग्रीमेंट बनाते हैं. ऐसा ही मैं भी बना दूंगा, जिससे तुझे आगे कोई समस्या नहीं होगी.
उसकी इस बात से मैं भी राजी हो गया.
पर समस्या ये थी कि मुकेश के मम्मी पापा के होते हुए उसके घर में मैं उसकी बीवी के साथ कैसे सोता? और उसके मम्मी पापा बिना खुशखबरी सुने बालाघाट से दरभंगा, जहां उनका घर था नहीं जाएंगे. मुकेश भी निशा को लेकर छिंदवाड़ा नहीं आ सकता था.
काफी सोचकर मैंने उसे एक तरीका बताया कि तू अपनी मम्मी पापा को बोलना कि छिंदवाड़ा से आगे परासिया में एक बाबा रहता है, उसके आशीर्वाद से कई निसंतानों को गोद हरी हो गई है. क्यों न मैं उनका आशीर्वाद लेने निशा को दो दिन के लिए परासिया ले जाऊं.
मेरी बात सुन मुकेश की आंखों में चमक आ गई.
इसी योजना के अनुसार उसने निशा के पीरियड के 14वें दिन के हिसाब से प्लान किया. वो उसे परासिया के बाबाजी का आशीर्वाद देने के नाम पर मेरे यहां छिंदवाड़ा ले आया.
दो दिन मैंने निशा के साथ खूब सेक्स किया और फिर मुकेश और निशा को वापस बालाघाट भेज दिया.
मैंने उससे कहा कि घर जाकर बोलना कि बाबाजी ने आशीर्वाद दे दिया है और कहा है कि दो तीन महीने में ही निशा गोद हरी होना शुरू हो जाएगी.
खैर अगले महीने निशा को फिर पीरियड आ गए.
तो मुकेश फिर से बाबाजी को दिखाने के बहाने मेरे पास छिंदवाड़ा ले आया. इस बार मैंने कुछ दवाई भी खाई थी. दो दिन निशा के साथ जम कर सेक्स किया, फिर एक वापस बालाघाट भेज दिया.
इस बार निशा गर्भवती हो गई.
मुकेश के मम्मी पापा बहुत खुश हुए और तीन महीने बाद निशा को साथ लेकर दरभंगा चले गए.
मैं और मुकेश बहुत खुश थे कि चलो बहुत बड़ी समस्या का समाधान हो गया.
परन्तु अगले ही महीने एक और समस्या आ गई.
मुकेश के बड़े भाई विनोद, जो मुकेश से 3 साल बड़े हैं. वे कोल इंडिया लिमिटेड में दरभंगा में काम करते हैं. उनकी वाइफ अंकिता को शादी के 4 साल बाद भी बेटा नहीं हुआ था.
मुकेश की मां अंकिता भाभी को लेकर मुकेश के यहां आ गईं और बोलीं- मुकेश, अंकिता भाभी को भी परासिया वाले बाबा का आशीर्वाद दिला दो, जिससे उसकी भी गोद हरी हो जाए.
अब हमारी सारी होशियारी धरी की धरी रह गई. दिमाग काम ही नहीं कर रहा था कि क्या करें.
इस बीच मुकेश की मां अंकिता भाभी को लेकर मेरे यहां आ गईं और मेरे यहां से उनको परासिया जो कि छिंदवाड़ा से मात्र 16 किमी दूर है, वहां जाना था.
मैं अपने बनाए जाल में फंस गया था.
मैंने अंकिता भाभी को देखा. उनकी उम्र करीब 32 वर्ष की होगी. वो मुझसे 3 वर्ष बड़ी थीं … लेकिन क़यामत लग रही थीं.
उनका गोरा बदन, आकर्षक फिगर और लंबे बाल देख कर मेरा मन मचल गया. भाभी किसी अप्सरा से कम नहीं दिख रही थीं. विनोद भाई साहब की सरकारी नौकरी की वजह से उनको इतनी प्यारी बीवी मिली थी.
खैर मैंने अपने एक और दोस्त से एक्टिवा लेकर मुकेश के चलाने को दी, पहले मुकेश की मां मेरे साथ बाइक में बैठने की कोशिश कर रही थीं, जब उन्हें बैठते नहीं बना, तो अंकिता भाभी मेरे साथ बाइक में बैठ गईं और मुकेश अपनी मां के साथ धीरे धीरे एक्टिवा से पीछे आने लगा.
मुझे घबराहट में कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करूं … हम तो पकड़े जाएंगे.
कुछ देर मुकेश के साथ चलके मैंने अपनी बाइक की स्पीड बढ़ा कर काफी आगे जाकर बाइक रोक कर अंकिता भाभी को बोला कि भाभी आपसे कुछ सीक्रेट बोलना है. आप पहले वादा करो कि नाराज नहीं होगी … और किसी को नहीं बोलोगी.
उन्होंने मुस्कुरा कर वादा किया कि वो न तो नाराज होंगी, न ही किसी को कुछ बताएंगी.
मैंने राहत की सांस ली और डरते डरते उनको सारी बात बता दी कि मुकेश की वाइफ निशा के पेट में जो बच्चा है, वो मेरा ही है … और परासिया में कोई बाबा नहीं है.
इस पर वो जोर सा हंस पड़ीं और बोलीं- अरे ये तो मैं समझ ही गई थी कि कोई बाबा नहीं होगा. पर अगर मेरी देवरानी को मेरे से पहले बच्चा हो रहा है, तो सारा घर मुझे ही बच्चा न होने का दोष देकर मेरा जीना हराम कर देगा. इसलिए मैंने ही मांजी से कहकर बाबा जी के आशीर्वाद की बात की थी.
मैं घबरा कर बोला- फिर अब क्या करूं भाभी … कोई बाबा तो है नहीं वहां?
भाभी बोलीं- हम लोग बाइक में है, परासिया के पास जाकर बाइक रोक देना. जब मुकेश और मां आएं, तो बोलना कि बाबाजी दूसरे गांव गए हैं. कल आना पड़ेगा. बस इसके आगे मैं सम्हाल लूंगी.
मैंने देखा कि अंकिता भाभी न सिर्फ सुंदर थीं … बल्कि बहुत होशियार भी थीं.
खैर … करीब 20 मिनट तक मैं उनको देख कर उनके अगले कदम का सोच ही रहा था, तभी मुकेश और मां एक्टिवा से आते दिखे.
मेरे बोलने से पहले ही अंकिता भाभी बोलीं- अरे हमें कल फिर आना पड़ेगा. बाबा तो दूसरे गांव गए हैं.
मुकेश आश्चर्य से हम दोनों को देखने लगा … क्योंकि वो जानता था कि ऐसा कोई बाबा तो है ही नहीं, फिर अंकिता भाभी किसकी बात कर रही हैं.
अंकिता भाभी ने धीरे से मुकेश को वापस जाते हुए गड्डे आदि में गाड़ी चलाकर छिंदवाड़ा जाने को कहा और बोलीं कि मैं तब तक अजय के साथ कल के लिए पूजा का सामान लेकर कुछ देर से आती हूं.
मुकेश भौंचक्का सा हम दोनों को देखते हुए मां को लेकर वापस मेरे घर के लिए रवाना हो गया. मैंने उसे अपने घर की चाभी दे दी. वो वापसी में जाते हुए अपनी स्कूटर को गड्डों से कुदाते बचाते हुए जा रहा था. जैसा कि अंकिता भाभी ने उससे करने को बोला था.
इस बीच मैं भी धीरे धीरे मुकेश के पीछे पीछे बाइक से अंकिता भाभी को बैठाकर वापस छिंदवाड़ा जाने लगा था.
भाभी मुझे गाड़ी धीरे चलाने को बोल रही थीं और मैं कन्फ्यूज था कि पता नहीं इनके मन में क्या चल रहा है.
छिंदवाड़ा और परासिया के बीच कुछ इलाका जंगल की तरह है. वहां सुनसान रहता है.
अंकिता भाभी ने मुझे वहां बाइक रोकने को कहा और बाइक रोड से उतार कर जंगल वाले एरिया में ले जाने को कहा.
मैंने वैसा ही किया … फिर उनसे पूछा कि भाभी आज तो आपने बचा लिया, कल क्या होगा … और बच्चा कहां से आएगा?
भाभी मुस्कुरा कर बोलीं- मुझे भी वही बाबा बच्चा देगा, जिसने मेरी देवरानी निशा की गोद भरी है … और इसी लिए ये बाइक इस सुनसान इलाके में लगाई है.
भाभी के ये कहने के बाद मैं खुशी से उनको देखने लगा. उन्होंने मुस्कुरा कर मुझे डीप किस किया और बोलीं- मैं साइंस ग्रेजुएट हूं … जानती हूं कि आशीर्वाद से नहीं … सेक्स से बच्चा पैदा होता है. बिना कर्म के फल कैसे मिलेगा? आज मेरा 12 वां दिन ही है. हम लोग दो तीन दिन सेक्स करेंगे, तो बच्चा हो जाएगा.
मेरी तो पांचों उंगलियां घी में थीं. अंकिता भाभी जैसी अप्सरा मुझे चोदने को मिलेगी … मैंने सपने में भी नहीं सोचा था.
मैं तुरंत भाभी का ब्लाउज़ खोलकर दूध दबाने लगा.
वो बोलीं- ये सब बाद में करना … अभी सिर्फ फटाफट सेक्स करो और घर चलो … क्योंकि मां घर पहुंचकर इंतजार करेंगी.
मैंने उनकी साड़ी ऊपर करके पेंटी निकाली. भाभी ने गुलाबी रंग की सेक्सी पेंटी पहनी थी. उनकी चूत एकदम साफ़ थी. सचमुच भाभी कयामत थीं.
मैंने उन्हें बाइक स्टैंड पर लगाकर स्टैंड पर सीट पर टिकाकर अपनी पैंट नीचे कर दी और खड़े खड़े ही उनकी चूत में अपना लंड पेल डाला.
अभी मेरा आधा लंड ही अन्दर गया होगा कि भाभी एकदम कुंवारी लड़की की तरह तड़फ कर बोलीं- उफ्फ कितना बड़ा है तुम्हारा लंड … विनोद का तो इससे जस्ट आधा और पतला सा है … प्लीज़ अभी धीरे धीरे करो.
मैं भी धीरे धीरे सेक्स करते हुए रफ्तार बढ़ाता जा रहा था. भाभी भी एक्साइटमेंट में आ रही थीं. मैंने उन्हें उसी पोजिशन में उठा कर जमीन पर लेटा दिया और एक झटके के साथ मेरा पूरा लंड उनकी चूत चीरता हुआ अन्दर चला गया.
भाभी दर्द से कराह रही थीं, पर उन्हें मजा भी बहुत आ रहा था. मैंने देखा कि इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थीं. मैंने अपने चरमोत्कर्ष तक मजा लिया और पूरा वीर्य भाभी की चूत में डाल दिया.
कुछ देर इसी तरह लेटने के बाद भाभी ने मुझसे अपने ऊपर से उठने को कहा. मैं उठ गया.
फिर भाभी ने अपनी पेंटी पहनकर साड़ी ठीक की और मुझे चिपक कर बोलीं कि अब समझ आया कि निशा को भी कितना मज़ा आया होगा.
मैंने कहा- भाभी मुझे आपको पूरी नंगी देखना था.
भाभी बोलीं- अभी मैं दो दिन और हूँ. तुम मेरे प्लान से चलो, तो सब कुछ हो जाएगा.
इसके बाद हम दोनों वापस घर की तरफ चल दिए.
मैंने भाभी से कहा- भाभी अब आगे कैसे प्रोग्राम होगा?
भाभी मुस्कुरा दीं और बोलीं- देखते जाओ. सब होगा.
मैं भी भाभी की चुदाई के मजे लेने के बाद उनको पूरी नंगी करके चोदने के सपने देखने लगा.
अगले भाग में भाभी की चुदाई की कहानी को आगे लिखूंगा. फ्रेंड वाइफ सेक्स स्टोरी कैसी लगी आपको? आप मुझे मेल करना न भूलना दोस्तो!
फ्रेंड वाइफ सेक्स स्टोरी जारी है.