दोस्तो, मेरा नाम राहुल मीना है. मैं टोड़ाभीम का रहने वाला हूँ. मैं अपने एक दोस्त के साथ जोधपुर में रहकर पढ़ता था.
हम दोनों दोस्त एक ही गांव के रहने वाले हैं और जोधपुर में रह कह बी.टेक. की पढ़ाई कर रहे हैं.
पिछले लॉकडाउन में हम दोनों ने मिलकर मामी और चाची को जबरदस्त पेला था, ये चाची Xxx vasna कहानी उसी घटना को लेकर है.
हम लोग जोधपुर में एक दो कमरे का मकान किराए पर लेकर रहते थे.
पढ़ाई के दौरान हम दोनों कॉलेज की लौंडियों को अपने कमरे पर लाकर चुदाई का मजा लेते रहते थे.
हम दोनों के बीच चूत चुदाई को लेकर बड़ी मस्त ट्यूनिंग थी.
एक बार हुआ यूँ कि मेरे साथ रहने वाले दोस्त की चाची और मेरी मामी जोधपुर वाले रूम पर आई थीं.
कमाल की बात ये थी कि मेरी मामी और दोस्त की चाची दोनों पक्की सहेलियां थीं और वो दोनों बी.एड. की पढ़ाई को लेकर जोधपुर आई थीं.
उन्हें एक कॉलेज में दाखिला मिल गया था और अब उन्हें किराए पर एक कमरा चाहिए था.
मामी ने मुझसे कहा- कमरा ढूँढने में हमारी मदद करो और हम दोनों जब तक तुम्हारे कमरे पर ही रह लेंगी.
चूंकि हमारा फ्लैट दो कमरे का था तो कोई दिक्कत नहीं थी.
मैंने और दोस्त ने उन्हें रहने के लिए हामी भर दी.
एक खास बात ये थी कि मेरी मामी और दोस्त की चाची दोनों की शादी को अभी कुछ समय ही हुआ था.
दोस्त की चाची की शादी कुछ पहले हो गई थी और मेरी मामी की शादी अभी दो महीने पहले ही हुई थी.
मेरे मामा मेरे गांव में ही रहते थे जिस वजह से मामी और चाची की ससुराल हमारे ही गांव में हो गई थी.
दोस्त की चाची देखने में बहुत सुंदर थी, उसके बड़े बड़े दूध देखकर मेरे लंड ने हरकत करना शुरू कर दी.
मैंने नजर भर कर दोस्त की चाची को देखा और उसके बाद मेरी नजर अपने दोस्त से मिल गई.
वो मेरी मामी की तरफ ही देख रहा था. तभी उसने मेरी तरफ देखा और हमारी हरामी नजरों ने एक दूसरे के मन की बात पढ़ ली.
उसने मुझे इशारा किया और हम दोनों अपने मकान की छत पर आ गए.
उधर आकर मैंने सिगरेट सुलगाई और धुंआ उड़ाने लगा.
दोस्त ने मेरे हाथ से सिगरेट ली और कहना शुरू कर दिया.
दोस्त- हां, अब बता तू मेरी चाची को देख कर क्या सोच रहा था?
मैंने कहा- तू बता न भोसड़ी के कि तू मेरी मामी को देख कर क्या सोच रहा था?
दोस्त ने हंस कर आंख दबा दी.
मैंने भी लंड सहला कर अपने मन की बात बता दी.
मैंने दोस्त से धीरे से बोल दिया- मित्र, क्या हमारा जुगाड़ पक्का हो गया है?
पहले मुझे लगा कि वह नाराज होगा लेकिन वह थोड़ी देर तक कुछ भी नहीं बोला.
फिर मुस्कुरा दिया.
मैं समझ गया कि इसके मन में क्या चल रहा है.
वो बोला- दोनों मस्त माल हैं.
मैंने कहा- हां हैं तो … मगर सैट कैसे करेंगे बे?
वो बोला- देखते हैं. यदि सैट हो गईं तो मजा आ जाएगा.
मैंने कहा- हां माल मजेदार हैं तो सवारी गांठने में मजा आना पक्का है.
कुछ देर बाद यूं ही बकचोदी करने के बाद हम दोनों नीचे आ गए.
चाची और मामी हम दोनों को नीचे आता देख कर एक साथ बोलीं- कहां चले गए थे दोनों?
मैंने कहा- कुछ नहीं जरा छत पर टहल रहे थे.
मामी बोली- तुझे छत पर टहलने की सूझ रही है और इधर हम दोनों अपने रहने को लेकर परेशान हो रही हैं.
हम चारों बैठ कर बातें करने लगे.
मेरी नजरें अपनी मामी और दोस्त की चाची के चूचों से हट ही नहीं रही थीं.
वही हाल मेरे दोस्त का भी था और शायद मेरी मामी ने इस बात को ताड़ लिया था.
अब शाम हो गई थी.
शाम को हम दोनों छत पर बैठ कर बियर पीते हुए बात कर रहे थे.
दोनों अपने अपने माल के बारे में तारीफ करने में लगे थे.
तभी अचानक मेरे मामा जी का फोन आया और बोलने लगे- बेटा, तुम अपने आसपास कहीं अपनी मामी को रूम दिला देना. तुम भी अच्छे से पढ़ाई करना और अच्छे से रहना.
मैंने कहा- ठीक है मामा जी, सुबह देखते हैं.
हम दोनों ने उस दिन खाना नहीं बनाया था. हम बाहर होटल पर खाना खाने चले गए और आपस में बात करने लगे.
तभी अचानक चाची ने मुझसे पूछ लिया- तुम यहां पढ़ाई करते हो या बाहर होटलों पर खाना खाते हुए घूमते रहते हो?
मैंने कहा- आपने यह सवाल क्यों किया? आपको ऐसा क्यों लगा?
तभी मामी बोलीं- अब हम दोनों इस बात का ध्यान रखेंगी कि तुम लोग कैसी पढ़ाई करते हो … या नहीं करते हो.
यह सुन कर मैं कुछ डर सा गया कि ये दोनों अपना अम्मापना दिखाएंगी तो इनकी चुदाई तो छोड़ो, हाथ लगाना भी मुश्किल हो जाएगा.
फिर हम चारों ने वहां खाना खाया और कमरे पर आ गए.
कमरे पर ऐसे ही हमारी बातें चलती रही थीं.
मैंने बोल दिया- क्यों ना आप दोनों हमारे साथ यहीं पर सेटल हो जाओ. हमारे पास दो रूम हैं, जब तक आपका मन हो या दूसरा कमरा नहीं मिलता, तब तक यहां रहा जा सकता है.
पहले मुझे लगा कि उन्हें मेरा आइडिया पसंद नहीं आएगा लेकिन वो दोनों ही झट से मान गईं.
अब हम सब लोग अपने अपने कमरे में चले गए और सोने लगे.
हम दोनों दोस्त बातें करने लगे और चाची व मामी को सैट करने की योजना बनाने लगे.
अगले दिन मैं रोज की तरह छत पर बैठा था.
मेरा दोस्त सब्जी लाने बाजार गया था.
तभी मामी और चाची दोनों छत पर आ गई थीं और हम तीनों आपस में बातचीत करने लगे थे.
अचानक जोर से आंधी आने लगी.
एक हवा का तेज झौंका आया और उन दोनों की मैक्सी हवा से ऊपर उठ गई.
मुझे उसकी दोनों गोरी गोरी जांघें साफ-साफ दिखाई देने लगीं तो मैं एकदम से उत्तेजित हो गया.
यह देखकर मामी और चाची शर्मा गईं.
तभी मैंने बोल दिया कि कोई बात नहीं यह सब नॉर्मल है, इतना तो चलता है.
लेकिन मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था.
कुछ देर बाद हम सब नीचे आ गए.
फिर रात हो गई तो हम सब खाना खाने आ गए.
उन तीनों ने खाना खाया लेकिन मैंने भूख नहीं लगने की बात कहकर खाना नहीं खाया.
मुझे बिना बियर पिए चैन नहीं पड़ रहा था.
कुछ देर बाद वो दोनों अपने कमरे में चली गईं.
मैंने बियर निकाली और पीने लगा.
एक बोतल अन्दर करने के बाद मैंने खाना खाया और सिगरेट पीने छत पर चला गया.
वापस नीचे आया तो दोस्त सो गया था.
मैं भी अपने बिस्तर पर लेट गया.
मुझे नींद नहीं आ रही थी. बस वह दिन वाली बात बार-बार याद आ रही थी.
मामी और चाची की गोरी गोरी जांघें देख कर मेरा लंड फुंफकार मार रहा था.
मैं अचानक से उठा और मामी के रूम में पहुंच गया. कमरे की लाइट बंद थी.
मैंने लाइट चालू कर दी.
वो दोनों सो रही थीं.
जैसे ही मैंने लाइट ऑन की तो देखा कि उन दोनों ने अपनी नाइटी अपने बदन पर जांघों तक उठा कर रखी हुई थी. दोनों की जांघें नंगी थीं.
रोशनी में मुझे उन दोनों की जवानी स्पष्ट दिखाई देने लगी.
मैं बहुत उत्तेजित होने लगा.
मैंने धीरे से मामी को छुआ और उसकी जांघों पर हाथ फेरने लगा.
मुझे अहसास हुआ कि मामी जाग रही है लेकिन वह ड्रामा कर रही थी.
मैंने उसकी सामने से खुलने वाली मैक्सी की डोरी ढीली करके खोल दी.
अब उसकी पैंटी और ब्रा में उसका मादक बदन मुझे गर्म कर रहा था.
मैंने उसकी आगे से खुलने वाली ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा खोल दी.
मेरी मामी ऊपर से बिल्कुल नंगी हो चुकी थी.
मुझे रहा नहीं गया और मैंने हिम्मत करके उसकी पैंटी की इलास्टिक में उंगलियां फंसाईं और पैंटी नीचे खिसका दी.
आह मेरे सामने मामी की बिल्कुल सफ़ेद चूत थी.
मामी की चूत एकदम चिकनी थी.
मैंने अपना लंड हिला कर खड़ा किया और उसकी चूत को सहलाने लगा.
उसने टांगें खोल दीं.
कुछ ही देर में उसकी चूत से रस निकलने लगा, मैं समझ गया कि मामी को लंड चाहिए.
मैंने उसके ऊपर चढ़ गया और लंड चूत में रगड़ना चालू कर दिया.
काफी देर तक यह क्रिया करने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत में पेलने के लिए झटका दे दिया.
मामी की चूत कसी हुई थी और मेरा लंड मोटा था.
लंड चूत में घुस न सका और मामी को भी शायद दर्द हुआ तो उसने करवट ले ली.
वह हट गई और लंड चूत में नहीं जा सका.
उसके हिलने से मुझे लगा कि वह मुझे डांटेगी.
लेकिन मैंने देखा कि उसने आखें खोल दी थीं और वो मुस्कुरा रही थी.
अब वो फिर से सीधी हो गई.
मैंने अपना धंधा फिर से चालू कर दिया.
इस बार मैं बिंदास मामी के ऊपर चढ़ गया और लगातार चूमता गया.
मामी ने अपने हाथ से लंड पकड़ा और चूत में ले लिया.
कुछ उन्ह आंह के बाद मामी ने लंड से खेलना शुरू कर दिया.
मैं भी मस्ती से मामी की चूत पेलता रहा.
मामी कामुक आवाजें निकालने लगी थीं.
उससे चाची भी जाग गई.
उसके जागने से कुछ देर मामला गड़बड़ हो गया.
हमारे बीच थोड़ी बहस हुई, दोस्त की चाची मेरे ऊपर गुस्से होने का नाटक करने लगी.
जबकि मेरी नंगी मामी उसके सामने चूत पसारे मेरे लंड से चुद रही थी.
मैंने कहा- तुझे लंड लेना हो तो तू भी आ जा. मेरे लंड में कौन से कांटे लगे हैं.
वो बड़बड़ा रही थी कि किस तरह की भाषा बोलता है. मैं तेरे घर पर शिकायत करूंगी.
ये सब हल्ला होने से मेरा दोस्त भी जाग गया.
वह कमरे में आ गया और मुझे नंगा व नंगी मामी को देखकर दंग रह गया.
फिर मामी ने चाची से कहा- कोई बात नहीं यार, हम इतनी दूर रहते हैं. हमें भी हमारी प्यास बुझाने वाला कोई ना कोई चाहिए था. क्यों ना हम इस चारदीवारी के अन्दर समझौता करके अपना मामला यहीं रफा-दफा कर लेते हैं. हम चारों आपस में रोज सेक्स किया करेंगे.
कुछ देर बाद चाची मान गई.
साली लंड के लिए तो वो भी प्यासी थी. बस वो मेरे दोस्त के सामने खुलने से जरा हिचक रही थी.
दोस्त ने जैसे ही चाची को पकड़ कर उसकी चुम्मी ली और कहा- मान जाओ मेरी जान. हम सब खूब मजा करेंगे.
बस Xxx चाची हंसने लगी और दोस्त का लंड पकड़ने लगी.
अब हम चारों में यह समझौता हो चुका था कि Xxx मजा खुल कर लिया जाएगा.
फिर क्या था.
मैं और मेरा दोस्त दोनों उनको पेलने लगे.
हम दोनों का जब भी मन करता था, तब किसी को भी पकड़ कर पेल देते थे.
एक साथ फोरसम सेक्स का मजा आने लगा. चूत के बाद गांड चुदाई का भी रस आने लगा. एक साथ दोनों छेद की चुदाई भी चलने लगी.