होटल में सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि दोस्त की भतीजी ने मुझे होटल में बुलाया. वो कुंवारी थी और सेक्स का मजा लेना चाहती थी. तो सेक्स की शुरूआत कैसे हुई?
नमस्ते दोस्तो, मैं विकी आपको अपनी स्टोरी का आगे का किस्सा बता रहा हूं. इस कहानी के पहले भाग
दोस्त की कुंवारी भतीजी चुदाई-1
में आपने पढ़ा कि मैं अपनी क्लाइंट रेशमा को फोन कर रहा था. उसकी आवाज सुने बिना मैंने उससे चुदाई की बातें करना शुरू कर दीं.
मगर उस कॉल पर कोई शगुफ्ता नाम की लड़की थी. वो मुझसे रेशमा के बारे में पूछने लगी. फिर बात होते होते हम दोनों में सेक्स चैट होने लगी और फिर मैंने उसको अपनी अन्तर्वासना वाली सेक्स कहानियों का लिंक भेजा.
अब आगे होटल रूम सेक्स स्टोरी:
वो बोली- ठीक है, मैं कहानी पढ़कर आपको बताऊंगी.
अगले दिन उसका मैसेज मिला- कैसे हो?
मैंने जवाब दिया- मैं ठीक हूं.
मैंने पूछा- तो आपसे जो मैंने पढ़ने के लिए कहा था, वो पढ़ा आपने?
वो बोली- हां, मैंने पढ़ा. मैं आपकी बात का मतलब अब समझ गयी. मगर क्या आप सच में इतना मजा दे देते हो? मैं तो आपकी सेक्स कहानी पढ़ते हुए न जाने कितनी बार पानी पानी हो गयी!
उसकी बात पर मैंने कहा- क्यों? आपको यकीन नहीं है कि मैं इतना मजा दे सकता हूं?
वो बोली- मैं तो बस पूछ रही हूं.
मैं बोला- मैडम, हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फारसी क्या? आप रूबरू होकर देख लीजिये, आपको स्वयं ही पता चल जायेगा कि मेरी क्या विशेषता है.
उसने कहा- अगर आपने कल ये बात बोली होती तो मैं आपको खरी खोटी सुना चुकी होती, मगर आपकी स्टोरी पढ़ने के बाद मैं अब हर हाल में आपसे मिलना चाहती हूं. मुझे थोड़ा वक्त चाहिए. मैं आपसे जरूर मिलूंगी.
मैंने कहा- ठीक है, आप आराम से देख लो और सोच लो.
उसके बाद उसने फोन रख दिया.
फिर कुछ दिन बाद उसका मैसेज आया कि वो तैयार है.
वो पूछ रही थी कि मैं कब आना चाहता हूं.
मैंने समयानुसार अपना रूटीन व्यवस्थित किया और उसे कहा कि एक निश्चित दिन मिलते हैं.
वो बोली- तो आप फिर 10 सितंबर को आ जाइये. मैं कम से कम दो दिन आपका लेना चाहती हूं. बुआ घर जा रही है और मेरे पास पूरा समय रहेगा. मगर हम लोग मिलेंगे होटल में ही। मैं आपके लिये सारा इंतजाम कर दूंगी.
मैंने हां कहा.
बात करते-करते उसने अपनी पिक्चर भी भेज दी और मेरी भी फोटो मंगवा ली।
फिर मैंने उसका साइज पूछा तो बोली कि मेरे बूब्स 32 के हैं और कमर 28 है. मेरे हिप्स 36 के आकार के हैं.
मैंने उसकी फोटो में उसका नाप देखा तो लगभग उतना ही दिख रहा था. वो देखने में अच्छी लग रही थी.
रेशमा की तरह उसकी हाइट भी अच्छी थी. फिर 10 सितंबर को मैं दिल्ली पहुंच गया और वो मुझे लेने के लिए आई.
हम दोनों को एक दूसरे को पहचानने में कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि बीच में कई बार वीडियो कॉल से भी हम लोगों की बात हो गई थी।
फिर वह पहाड़गंज के किसी होटल में मुझे लेकर गई।
होटल अच्छा था. उसने पहले से कमरा बुक किया हुआ था। वह पहले से उसमें चेक इन भी कर चुकी थी।
फिर हम लोग होटल के रूम में गए।
मैंने उससे पूछा- आप कब आईं यहां पर?
उसने कहा- मैं पहले ही यहां पहुंचकर अपना सामान रखकर गयी थी. फिर आपको लाने के लिए गई थी.
शगुफ्ता से मैंने पूछा- तुमने बताया था कि तुम्हारी बहन भी साथ में रहती है. तो उसको क्या बोलकर आई हो? उसने पूछा नहीं कि कहां जा रही हो?
वो बोली- मैं उसको बोलकर आई हूं कि मैं अपनी सेहली के यहां दो दिन तक पढ़ाई करने के लिए जा रही हूं. मैंने अपनी सहेली को भी इस बारे में सच बता दिया है. वो जानती है कि मैं आपसे मिलने आई हूं इसलिए वो सब संभाल लेगी.
मैंने कहा- आप तो बहुत स्मार्ट हो. बड़ी आसानी से आपने रास्ता निकाल लिया.
वो बोली- हां, इतना तो इंजॉय करने का हक लड़कियों को भी होना ही चाहिए.
मैं बोला- इंजॉय तो आपको इतना करा देंगे कि आप याद रखोगे.
फिर वो मुस्कराती हुई बोली- ठीक है, देखते हैं. आप जाकर फ्रेश हो जाइये. तब तक मैं आपके लिए नाश्ता आर्डर कर देती हूं।
फिर मैं फ्रेश होकर आया, नाश्ता किया तो मुझमें भी ऊर्जा का संचार हो गया।
टीवी चल रहा था. हम दोनों टीवी देखने लगे.
10-15 मिनट टीवी देखने के बाद धीरे-धीरे मैं उसके पास गया।
वह उतना सहज महसूस नहीं कर रही थी।
मैंने उससे पूछा कि तुम शायद सहज महसूस क्यों नहीं कर रही हो न? क्या तुमने पहले भी किया है किसी के साथ?
वो बोली- नहीं, सिर्फ किस किया था। जब मैं बाहरवीं में थी तो मेरा एक बॉयफ्रेंड था. उसके घर पर गई थी. कुछ करने ही वाली थी कि एकाएक उसकी मां आ गई। उसके बाद कभी मौका ही नहीं मिला.
मैं अभी भी उसके साथ रिलेशन में हूं। मैंने सोचा था कि उसके साथ ही पहला संभोग करूंगी लेकिन फिर उस दिन आपका वह फोन आया तो पता नहीं क्यों मेरा इरादा बदल गया। अब मेरा मन था कि मैं किसी अनुभवी व्यक्ति के साथ ही अपनी जिन्दगी का पहला संभोग करूंगी.
फिर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको धन्यवाद किया और उससे कहा कि वो अपने आप को सहज रखे. जब ये वक्त खत्म होगा तब तुम्हें इस आनंद का आभास होगा.
मैं बोला- आओ, मैं तुम्हें गले से लगाता हूं. इससे तुम सहज हो जाओगी.
दोस्तो, सामने वाले को सहज करने के लिए आलिंगन एक बेहतर जरिया होता है, मगर उसमें हवस नहीं होनी चाहिए. यह सही है कि आप अपने काम के पैसे ले रहे हो लेकिन जब परिस्थिति ऐसी हो तो फिर चार्ज नहीं देखा जाता.
मैं उसको हग करने के लिए आगे बढ़ा लेकिन उसने मुझे बीच में रोक दिया और बोली- रुकिये एक मिनट!
वो अब भी थोड़ी हिचक रही थी. अब मैं धीरे धीरे उसे अपने पास लाया और उसे आलिंगन किया.
हल्के से कसे हुए आलिंगन के साथ उसकी पीठ पर पीछे से अपनी हथेलियों से धीरे-धीरे हाथ घुमाने लगा।
मैं उसके कान में बोला- तुम बस इस पल में अपने आप को रखो और ज्यादा मत सोचो. तभी तुम सहज महसूस कर पाओगी और जिस कार्य के लिए मुझे बुलाया है तुमने, तभी उसका पूरा आनंद ले पाओगी।
उसके बाद कसे हुए आलिंगन के साथ मैंने अपने आलिंगन को और ज्यादा टाइट किया। अब वह धीरे-धीरे अपने आप को समर्पित करती हुई जा रही थी।
वो बोली- क्या तुम सच में इतने अच्छे हो?
मैंने कहा- मैं अपनी बड़ाई कभी भी नहीं करता। बस आप देखते जाओ. आलिंगन के साथ-साथ मैं उसकी पीठ पर पीछे से हाथ भी अब धीरे-धीरे ऊपर नीचे कर रहा था और मेरा हाथ उसके कूल्हे तक जा रहा था।
अब हम दोनों एक दूसरे से इतने चिपक गए थे कि मुझे उसकी चूचियों की गोलाकार गेंदों का अहसास मेरे सीने में होने लगा था. मैंने और ज्यादा जोर देने के लिए उसके कूल्हों को अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया.
उसको अब हल्की हल्की मदहोशी छाने लगी थी. वो भी प्रत्युत्तर में अपने हाथ से मेरी पीठ को सहलाए जा रही थी. अब मैं उसके कूल्हे को थोड़ा जोर जोर से दबा रहा था ताकि वह उत्तेजित महसूस करे.
इसके साथ ही मैंने एक हाथ से उसके बालों को उसकी पीठ से हटाया और गर्दन के पीछे एक बाइट दी. फिर उसको किस किया. उसने अब मुझे और ज्यादा टाइट करके हग कर लिया.
अब वो मेरे सिर को भी जोर से सहलाने लगी थी. उसके बाद धीरे धीरे मैं चुंबन करते हुए उसके कान के नीचे आया और एक प्यारी सी किस दी. उसके कान को अपने मुंह में लेकर मैंने गीला कर दिया।
मैं उसको पूरा मजा देना चाहता था क्योंकि उसका ये पहली बार था. मैं उसको ऐसा मजा देना चाहता था कि वो अपने पहले संभोग को हमेशा याद रखे.
अब तो वह धीरे-धीरे अपने आप को इस कदर मुझे समर्पित कर चुकी थी कि जैसे उसके शरीर में जान ही न हो.
वह बोली- मुझे किस करो।
मैं उसकी उत्तेजना को समझ रहा था. उसे मर्द का स्पर्श अच्छा लग रहा था और उसका ये पहला अहसास था. थोड़ी देर मैं उसकी गर्दन और उसके कान के पीछे किस करता रहा. वो काफी गर्म हो गयी थी.
फिर मैं उसके चेहरे की ओर आया. पहले उसके माथे को चूमा. फिर उसके होंठों पर किस किया. उसके बाद दोनों गालों पर किस किया. जैसे ही मैं गाल पर किस करने जाता तो वो अपने होंठों को बीच में लाने की कोशिश करती थी.
मगर मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. मैं उसको वहीं पर किस कर रहा था जहां मैं करना चाहता था.
मैं उसे हर एक पल का पूरा आनंद देना चाहता था.
अगर मैं उसकी उत्तेजना के हिसाब से चलता तो सब कुछ बहुत जल्दी ही खत्म हो जाने वाला था.
इस तरह से मैं संयम के साथ आगे बढ़ रहा था.
मेरे धीमे कदम उसकी उत्तेजना को और ज्यादा भड़का रहे थे और जितना वो गर्म होती जा रही थी उतना ही उसको मजा भी आने वाला था.
अचानक से उसने मेरे टीशर्ट को पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींचा और मेरी आंखों में देखकर बोली- प्लीज किस मी … विकी. रेशमा के साथ तो आप ऐसे नहीं करते थे. मेरे साथ इतनी देरी क्यों कर रहे हो? मुझे क्यों तड़पा रहे हो?
मैंने उसकी आंखों में देखते हुए कहा- इसे तड़पाना नहीं, इसे आनंद देना कहते हैं. आप इसे तड़पाने के नजरिये से मत देखो. इसे आनंद के नजरिये से देखो.
शगुफ्ता के होंठ लगातार कांप रहे थे. मैंने अब ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा क्योंकि पहली दफा में उत्तेजना बहुत ज्यादा होती है और इस स्थिति में हद से ज्यादा इंतजार करवाना भी सामने वाले का मजा किरकिरा कर देता है.
अब मैंने उसके होंठों को किस करना शुरू किया. पहले अपने होंठ से उसके होंठ को खींचा. फिर दांत से हल्का सा खींचा. जैसे ही मैं उसके होंठ को खींचता तो वो मेरे और ज्यादा करीब आने की कोशिश करती.
मैं एक निश्चित दूरी बनाकर चल रहा था ताकि वो एकदम से मेरा स्पर्श न पा सके और सेक्स के लिए पूरी तरह से तड़प जाये. कुछ देर तक मैं उसके होंठों को ऐसे ही अपने होंठों और दांतों से छेड़ता रहा.
उसके बाद मैंने उसको पूर्ण रूप से चुम्बन देना शुरू किया. मैं अब उसके होंठों से होंठों को मिलाकर किस कर रहा था.
चुम्बन के साथ ही मैं कभी उसके मुंह में जीभ दे देता था. वो भी मेरे मुंह में जीभ घुसा रही थी.
धीरे धीरे वो इतनी उत्तेजित होती जा रही थी कि उसके अंदर एक जंगलीपन आता जा रहा था.
वो मुझे और भी ज्यादा आवेग के साथ चुम्बन करने लगी थी.
मैं उसको चूमने के साथ साथ उसके चूतड़ भी दबा रहा था.
जिस तरह से वो अपनी गांड को बार बार हिलाने लगी थी उससे ये प्रतीत हो रहा था कि उसकी योनि पूरी गीली हो चुकी है और उसकी योनि को अब मर्द के हाथ, लिंग या मुंह में से कोई न कोई के स्पर्श जरूर चाहिए है.
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होटल रूम सेक्स स्टोरी का अगला भाग: दोस्त की कुंवारी भतीजी चुदाई-3