नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राहुल है और मैं गुड़गाँव में एक कंपनी में मैनेजर के पद पर काम करता हूँ.
मेरी उम्र 32 साल है और हाईट पांच फुट सात इंच है. मेरे लंड का साइज सात इंच है और यह काफी मोटा भी है.
मैं अन्तर्वासना का 2012 से पाठक हूँ और शायद मैंने सारी कहानियाँ पढ़ी हैं.
पर आज पहली बार खुद की कहानी लिख रहा हूँ.
शायद इसमें मुझसे कुछ गलतियां हों.
उसके लिए अपने खड़े लंड से आपसे क्षमा चाहता हूँ.
मेरी GF BF फर्स्ट इंटरकोर्स की कहानी वास्तविक है और 2019 की है.
2018 में मेरी गर्लफ्रैंड से मेरा ब्रेकअप हो गया जिसकी वजह से मैं बिल्कुल अकेला हो गया.
न हंसना, न सही से खाना पीना … बस उदास सी ज़िंदगी बीत रही थी.
मेरे दोस्त भी बहुत परेशान होते थे मेरी ये हालत देखकर!
एक दिन मेरी दोस्त शालू ने मुझे मैसेज किया- राहुल, मेरी एक दोस्त है संध्या (बदला हुआ नाम) गाज़ियाबाद की रहने वाली है और मेरे साथ में ही जॉब करती है. उसका भी ब्रेकअप हो गया और वह भी तेरे जैसे ही गुमसुम सी रहती है. तुम दोनों बात करके देखो, शायद दोनों को एक अच्छा दोस्त मिल जाये.
मेरा मन नहीं था, मैंने उसे टालने के लिए बोल दिया- ठीक हैं. देखेंगे!
वह खुश हो गयी और उसने हम दोनों को एक दूसरे के फ़ोन नंबर दे दिए जिस से हम बात कर सकें.
मैंने नंबर तो ले लिया पर समझ नहीं आ रहा था कि क्या बात करूं.
धीरे धीरे गुड मॉर्निंग, गुड नाईट से बात शुरू हुई और हमारी बातें होने लगी.
और कब रात भर बात होने लगी, पता ही नहीं चला.
दोनों खुश थे कि अपने मन की बात कहने के लिए कोई था हम हर रोज करीब आने लगे.
थोड़ी बहुत रोमांटिक बातें भी होने लगी थी.
ऐसे ही एक दिन बात करते करते उसने पूछा- राहुल, अगर हमारी शादी हुई तो क्या तुम मुझे शार्ट ड्रेसेस पहनने दोगे?
मैंने पूछा- कितनी शार्ट पहनना चाहती हो?
तो उसने अपनी एक सैक्सी ड्रेस में पिक्चर भेजी जिसमें उसका क्लीवेज दिख रहा था और नीचे से इतनी छोटी कि बस पैंटी न दिखे.
मैंने ‘वाव’ लिखकर भेजा.
संध्या- क्या वाव?
मैं- बहुत खूबसूरत है.
संध्या- क्या?
मैं- तुम और ड्रेस दोनों!
संध्या- अच्छा जी, अब बताओ पहनने दोगे?
मैं- हाँ जरूर … और शायद इस से भी शार्ट … पर उसे तुम बस मेरे सामने और मेरे लिए ही पहनो!
संध्या- कितनी शार्ट?
मैं- जो तुमने पहनी, उस से भी छोटी!
संध्या- बताओ कितनी?
मैंने एक बहुत छोटी पारदर्शी ड्रेस में एक पिक्चर गूगल से डाउनलोड की जिसमें एक जिसमें रेड कलर की नाईटी में एक लड़की लड़के की बांहों में थी और जिसमें हल्का हल्का सब कुछ दिख रहा था, उसे भेज दी.
संध्या- वाव मस्त है!
मैं- क्या?
संध्या- पिक्चर भी और ड्रेस भी!
मैं इस बातचीत को और आगे ले जाना चाहता था तो मैंने उसे कहा- ये हम नहीं हो सकते.
संध्या बोली- हम क्यों नहीं हो सकते?
मैंने कहा- हम अगर इतने पास होते तो मैंने ऐसे केवल पास में खड़ा न होता, कुछ कर रहा होता!
तो उसने पूछा- बताओ क्या कर रहे होते?
मैंने फिर से गूगल से एक फोटो डाउनलोड की जिसमें लड़के का हाथ लड़की की ड्रेस में था और बूब्स दबाते दबाते किस कर रहा था.
बस ऐसे ही हमारी चेट सेक्स चैट में बदल गयी और उस दिन पहली बार मैंने उसके चूचे देखे और उसने मेरा लण्ड!
उसके बाद हम हर रोज रात में सेक्स चैट करते और मजे लेते रहे.
धीरे धीरे सेक्स चैट वीडियो चैट में बदल गयी और हम एक दूसरे को देखकर पानी निकलने लगे.
वह नहाने जाती तो वहाँ भी वीडियो कॉल करती और बिल्कुल नंगी होकर मेरे सामने नहाती.
हम दोनों अब तक मिले नहीं थे तो पहली बार मिलने का प्लान बनाया.
मैंने संध्या से कहा- मैं तुम्हारे साथ अकेले में टाइम बिताना चाहता हूँ.
उसने कहा- मैं भी … पर मिलेंगे कहाँ?
मैंने होटल बुक करने के लिए बोला तो उसने मना कर दिया कि नहीं होटल में नहीं मिल सकती.
तब मैंने भी सोचा कि जबरदस्ती नहीं करूं.
पर थोड़ा समझाने के बाद वह तैयार हो गयी.
हम गुड़गाँव में ही मिलने वाले थे.
वह दिन आ गया जब हम पहली बार मिलने वाले थे.
मैंने चॉकलेट फ्लेवर कंडोम खरीदे, उसके लिए चॉकलेट्स और गिफ्ट्स लिए और मेट्रो स्टेशन पहुंच गया.
वह गाज़ियाबाद से मेट्रो से आने वाली थी.
मैं उसका वहीं इंतजार करने लगा.
थोड़ी देर के बाद वह सामने से आती हुई दिखी.
नीला कुरता, सफ़ेद पैन्ट पहने हुए, ऊपर से एक लॉन्ग जैकेट!
बाल खुले हुए, दूध जैसा रंग, पतले पतले गुलाबी होंठ, काली आँखे पतली कमर उभरे हुए चूचे और मस्त निकली हुई गांड.
ऐसा लग रहा था जैसे साक्षात् काम की देवी हो.
मन कर रहा था कि यहीं पटक कर चोद दूँ.
पर मेरे मुँह से बस उफ निकला.
पास आते ही मैंने उसे गले लगाया और हम लोग होटल के लिए निकल पड़े जो वहाँ से पैदल ही 5 मिनट की दूरी पर था.
होटल पहुंचकर हम रूम में पहुंचे और दरवाजा बन्द करते ही मैंने संध्या को गले लगा लिया.
और ऐसे ही मैं बहुत देर तक उसे अपनी बांहों में लिए खड़ा रहा.
संध्या बोली कि उसे ठण्ड लग रही है.
मैंने 2 कप चाय आर्डर की और चाय आने से पहले उसे बांहों में लेकर उसे एक लम्बा किस किया.
तब तक चाय आ गयी.
हमने चाय पी और बिस्तर पर आ गए और रजाई में घुसकर एक दूसरे को बांहों में ले लिया.
और तब हम एक दूसरे को चूमने लगे.
संध्या को हिचकिचाहट हो रही थी तो मुझे भी लगा कि इसे सहज करना चाहिए.
धीरे धीरे मैं उसे बांहों में लेकर चूमने लगा.
थोड़ी देर में ही हम दोनों की जीभ आपस में कुश्ती करने लगी.
कभी वह मेरी जीभ को चूसती तो कभी मैं उसकी जीभ को!
और धीरे धीरे मेरे हाथ उसके उरोजों पर आ गए और मैं उसके स्तन को दबाने लगा.
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी- आअ ह्ह्ह राहुल … उफ आह्ह ह्ह!
मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी पैन्ट में डाल दिया और पेंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाने लगा जिससे वह और भी गर्म होने लगी.
जैसे ही मैंने अपन हाथ उसकी पेंटी में डाला, उसकी चूत को टच किया तो संध्या के मुँह से आह निकल गयी.
वह मुझसे कस के लिपट गयी और मुझे पागलों के जैसे किस करने लगी.
मैं अपनी उंगली से उसकी चूत को छेड़ने लगा.
उसकी चूत बिल्कुल गीली हो रही थी.
मैंने अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूत में डाल दी.
उसके मुँह से तेज आह्ह निकली और उसने मेरे होंठों पे जोर से काट लिया उसके पानी से मेरा पूरा हाथ भीग गया.
मैंने हाथ चूत से बाहर निकाल कर उसे चाट लिया तो संध्या के चेहरे पे मुस्कान आ गयी.
उसने बड़े प्यार से मुझे देखा और मुझसे कसके लिपट कर बोली- राहुल … आई लव यू!
मैंने भी उसे प्यार से गले लगाकर ‘आई लव यू टू’ बोला.
तब मैंने उसका कुरता पकड़ा और निकालने लगा.
उसने भी सहयोग किया और हाथ ऊपर करके कुरता निकाल दिया.
उसमें अंदर काले रंग की नेट वाली ब्रा पहनी थी जो उसके गोर रंग पे बहुत उत्तेजक लग रही थी. और उसमें उसके टाइट चूचे मस्त लग रहे थे.
मैंने उसको लिटाया और दोनों बूब्स के बीच में जीभ फिरने लगा.
मैं कभी उसके पेट पर जीभ फिराता तो कभी उसके कंधे पर!
अपनी जीभ से मैं उसकी नाभि के छेद को टच करने लगा.
संध्या पागल हुई जा रही थी, उसके मुँह से बस ‘अह्ह आह उफ्फ फ्फ’ जैसी आवाजें आ रही थी जो माहौल को और भी उत्तेजक बना रही थी.
मैंने हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा खोल दी और उसके टाइट बूब्स बाहर आ गए जैसे कब से कैद में पड़े थे.
उफ्फ … दूध जैसा रंग … उस पर सीधे खड़े हुए गुलाबी निप्पल बहुत ही सेक्सी लग रहे थे.
मैं अपनी जीभ उसके पेट पे फिराता हुआ ऊपर आने लगा और उसके दोनों बूब्स के बीच से ले जाकर उसकी गर्दन पर किस करने लगा.
वह मदहोश होने लगी और मैं उसे चूमता और चाटता रहा.
मैंने अपनी जीभ से उसके निप्पल को टच किया.
उसने जोश के मारे मेरे बाल पकड़ लिए.
मैंने उसके निप्पल को मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
अपने हाथ से मैं उसके दूसरे चूचे को दबाने लगा, मसलने लगा.
बहुत ही मुलायम थे रुई के जैसे!
मैं उसके बूब्स चूसता और दबाता रहा, वह कराहती रही, सिसकारियाँ लेती रही, मेरे बालों को नोचती रही.
किस करते करते मैं उसके पेट पे आ गया और उसकी पैन्ट खोल दी और उतारने लगा.
उसने अपनी गांड ऊपर उठाकर मेरा सहयोग किया.
अब बस उसके शरीर पर एक पतली सी पेंटी थी जो आगे से बिल्कुल गीली हो गयी थी और उसमें से उसकी फूली हुई चूत साफ़ दिख रही थी.
मैंने पेंटी के ऊपर से उसकी चूत को मुँह में ले लिया और हल्के से काट लिया.
वह पागल हुई जा रही थी.
मैंने उसकी पेंटी को उंगली में फंसाकर नीचे सरका दिया और उसकी गुलाबी चूत बाहर आ गयी जिसे मैंने अब तक बस पिक्चर में और वीडियो कॉल में देखा था.
हकीकत में यह उससे भी ज्यादा प्यारी थी एकदम पाव के जैसे फूली हुई एकदम चिकनी चूत … बिल्कुल क्लीन शेव आज सुबह ही साफ़ की थी.
मैं उसके पैरों की ओर आ गया और पैरों पर किस करने लगा, पैरों के अंगूठे को मुँह में लेकर चूसने लगा.
वह उत्तेजित होती रही.
धीरे धीरे किस करते करते, जीभ फिराते फिराते हुए मैं ऊपर आने लगा और उसकी जांघों को चूमने लगा.
उसकी चूत के साइड से चाटते हुए मैं ऊपर आ गया उसकी चूत को छोड़कर उसके ऊपर पेड़ू पर किस की.
तो संध्या ने मुझे हैरत से देखा.
उसे उम्मीद नहीं थी कि मैं चूत के इतने पास आकर उसे किस नहीं करूँगा.
मैंने उसकी ओर देखा और इशारे में पूछा कि क्या हुआ.
तो उसने हल्के से मुस्कुराकर गर्दन हिला दी कि ‘कुछ नहीं!’
मैं समझ गया कि संध्या अभी भी संकोच कर रही है.
और मैं वही दूर करना चाहता था.
मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को चौड़ा किया और अपनी जीभ से नीचे से ऊपर को चाटने लगा.
उसकी सिसकारियां निकलने लगी- आह्ह ह्ह उफ्फ!
वह अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पे दबाने लगी.
मैं भी कस के उसकी चूत को चूस रहा था, अपनी जीभ से कभी उसके दाने को टच करता, कभी हल्के से चूत की साइड को मुँह में लेकर चूसने लगता.
तब मैं अपनी जीभ की नोक बनाकर उसकी चूत में डालकर उसका रस पीने लगा.
संध्या के मुँह से बस ‘अह ऊऊह उफ्फ’ निकल रही थी.
मेरा पूरा मुँह उसके चूत के पानी से भीग गया उसका नमकीन स्वाद मेरी जीभ को भा रहा था.
उसका शरीर अकड़ने लगा तो मैं समझ गया कि वह झड़ने वाली है.
पर मैं उसे अभी और तड़पाना चाहता था इसलिए मैं जीभ फिराता हुआ ऊपर आने लगा और उसके बूब्स पे हल्का सा काट कर उसकी गर्दन पर जीभ फिराकर उसे क़िस करने लगा.
मेरी गर्म गर्म सांसों और जीभ से वह बहुत मदहोश हो रही थी.
मैंने उसके हाथों को ऊपर किया और उसकी बगल में जीभ ले जाकर उसे चाटना शुरू किया.
यह मेरे लिए नया अनुभव था.
बगल का टेस्ट नमकीन सा था पर वह पागल हुई जा रही थी.
मैंने उसको उल्टा कर दिया.
अब वह पेट के बल लेटी थी.
उसकी पतली कमर और उभरी हुई गांड देखकर मन विचलित सा हो रहा था.
मैं उसकी पीठ से बालों को आगे हटाकर उसकी गर्दन पे जीभ चाटकर चूमने लगा और पूरी कमर पर जीभ फिरने लगा, दांतों से हल्के हल्के काटते हुए मैं उसकी गांड तक आ गया.
उसकी गांड को हाथों से फैलाकर मैं उसके छेद पर जीभ फिराने लगा.
मैंने उसकी गांड चाट चाट के बिल्कुल गीली कर दी.
उसकी गांड को थोड़ा ऊपर उठाकर मैं चूत से गांड तक चाटने लगा.
थोड़ी देर चाटने के बाद मैंने संध्या को फिर से सीधा कर लिया और चूत को मुँह में ले लिया.
उसकी सिसकारियाँ और मेरा उसकी चूत को चूसना दोनों की स्पीड बहुत तेज हो गयी.
उसने अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पे दबा लिया और तेज़ी से मेरा नाम लेकर झड़ने लगी- राहुल … आह्हह उफ्फ … आहह हहह!
और मैं उसकी चूत को मुँह में लेकर चाटता रहा और उसका सारा पानी पी गया.
उसके चेहरे पे संतोष के भाव थे.
संध्या ने मुझसे पूछा- तुम्हें अजीब नहीं लगा, मेरा पानी सारा चाट लिया?
मैंने उसे बताया- मेरा मन था कि तुम्हें सबसे पहले अपनी जीभ से ही झाड़ू और सारा पानी पी जाऊं!
मेरी बात से संध्या ने मुस्कुराते हुए मुझे गले लगा लिया और बहुत कस के क़िस किया.
अब संध्या की बारी थी अपना जलवा दिखने की …
और उसने वही किया.
उसने मुझे किस किया और धक्का देकर मुझे बिस्तर पर गिरा लिया और मेरी शर्ट खोल कर निकाल दी और छाती पर किस करने लगी.
उसके पतले और रसीले होंठ अजीब सी सिरहन पैदा कर रहे थे.
उसने मेरी पैन्ट खोलकर उतार दी और अपना हाथ मेरे कच्छे में डाल दिया.
मेरा लंड जो बहुत देर से पिंजरे में था, उसे बाहर निकाल लिया.
फिर वह मेरी छाती पर किस करते करते नीचे आने लगी और मेरे लंड पर जीभ फिरा कर चाटने लगी.
उसने अपना मुँह खोलकर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप जैसे चूसने लगी.
उसके होंठों की गर्मी और चूसने के तरीके से मेरा लंड बिल्कुल टाइट हो गया उसके ऊपर से नसें उभरी हुई दिखाई दे रही थी.
संध्या लंड मुँह में लेकर चूसती, फिर बाहर निकलकर उसे चाटती.
क्या मस्त लंड चूस रही थी.
बीच बीच में वह लंड को हाथ से हिलाने लगती.
वह इतना मज़ा दे रही थी जो शब्दों में बयान करना मुश्किल है.
मेरे मुँह से बस ‘आअह्ह संध्या उफ्फ’ ही निकल रहा था और मैं उसके सर को अपने लण्ड पर दबा रहा था.
बीच बीच में वह मेरी बॉल्स को भी चूस रही थी जो और भी मज़ा दे रहा था.
थोड़ी देर चूसने क बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.
तो मैंने संध्या को बताया.
संध्या ने कहा- मेरे मुँह में ही झड़ जाओ; मुझे भी आपका रस पीना है.
और वह तेज़ से हाथ से हिलाते हिलाते लंड को चूसने लगी.
मैं ‘संध्या मेरी जान … उफ्फ आहह्ह’ करता रहा और मेरा माल उसके मुँह में निकल गया.
वह सारा रस पीने लगी और उसने सारा रस चाट कर लंड साफ कर दिया.
हम दोनों एक एक बार झड़ गए थे तो भूख भी लगने लगी थी.
तबी मैंने खाना आर्डर किया अपने कपड़े पहन लिए.
वेटर खाना लेकर आया तो मैंने खाना लेकर गेट बंद कर दिया और कपड़े उतार दिए और नंगे बैठकर खाना खाया.
अब बारी थी हमारी पहली चुदाई की … जिसके लिए हम कई महीनों से तड़प रहे थे.
खाने के बाद हम एक दूसरे के अंगों से खेलने लगे, बांहों में लेकर एक दूसरे को चूमने लगे.
मेरा एक हाथ उसके चूचे सहला रहा था और उसका हाथ मेरे लंड पर था.
मैं आज जो भी करना चाहता था, वह उसकी मर्ज़ी से चाहता था, जो भी उसे पसंद हो, वह सब करना चाहता था.
इसलिए मैंने उससे पूछा- संध्या, हमारी पहली बार चुदाई किस पोजीशन में करना चाहती हो?
संध्या बोली कि वह मेरे ऊपर आकर चुदना चाहती है.
यह पोजीशन मुझे भी बहुत पसंद है तो मैंने उसे बोल दिया- जो तुम चाहती हो, जैसे चाहती हो, वैसे करो!
वह मेरे ऊपर आ गयी और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट किया और धीरे धीरे नीचे बैठने लगी.
मेरा लंड उसकी चूत में घुसने लगा.
उसकी चूत बहुत टाइट थी इसलिए उसे दर्द हो रहा था.
जिसके लक्षण उसके चेहरे पर साफ साफ़ दिख रहे थे.
उसके मुँह से बस ‘सी … सी … अह्ह’ की आवाजें ही निकल रही थी.
वह थोड़ी देर के लिए रुक गयी और सामान्य होने लगी.
मैं उसके चूचों से खेलने लगा, दबाने लगा तो उसे भी मज़ा आने लगा.
और वह फिर से मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी.
मुझसे भी अब नहीं रहा जा रहा था.
मैं चाहता था कि मेरा लंड जल्दी से उसकी चूत में जाकर उसकी तेज़ी से चुदाई करे!
मैंने उसके चूचों को कस के पकड़ा और नीचे से जोर से एक धक्का लगा दिया.
मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया.
और उसकी चीख निकल गई- आआ अह्हह … सीई सीई … मर गयी … आअह्ह मम्मी … आह्हह्ह राहुल … आ आराम मम से करो प्लीज!
थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही रुके रहे.
मैं उसके बूब्स दबाता, कभी उसे अपने समीप खींचकर उसके होंठों को चूमने लगता.
थोड़ा सामान्य होते ही उसने अपनी गांड को फिर से हिलना शुरू कर दिया.
मैं भी उसका सहयोग करने लगा … थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया … अब वह भी ऊपर नीचे होकर मेरा लंड अपनी चूत में ले रही थी.
बीच में जब वह अपने दोनों हाथ ऊपर ले जाकर अपने बालों को संभालती तो हिलते हुए चूचे, पतली कमर उसके गुलाबी होंठ और उनसे निकलती हुई कराहें … साक्षात् काम की मूरत लग रही थी वह!
संध्या जल्दी ही तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगी.
उसके मुँह से मादक आवाजें आ रही थी- संध्या आअह्ह ह्ह्ह … राहुल … फ़क मी … आह्ह … ओह्ह माय गॉड … मर गयी!
पता नहीं वह क्या क्या बोल रही थी.
थोड़ी देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और वह आह्ह आह्ह करती हुई झड़ गयी.
वह निढाल सी होकर मेरे ऊपर लेट गयी.
मैं अभी भी नीचे से धक्के लगा रहा था.
तब मैं पलटकर संध्या के ऊपर आ गया और उसकी ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी.
मेरा भी अब होने ही वाला था.
मैंने संध्या से पूछा- कहाँ निकालूं?
तो उसने कहा- मेरी चूत में ही निकाल दो.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और आआह्ह आह्हह करके उसकी चूत में ही झड़ गया.
उसने अपने दोनों पैर मेरी कमर में लपेट लिए और हम दोनों बहुत देर तक ऐसे ही लेते हुए एक दूसरे को किस करते रहे.
यह थी नये नए GF BF फर्स्ट इंटरकोर्स की कहानी!
उस दिन हमने 3 बार अलग अलग आसान में चुदाई की.
फिर समय देखा तो शाम के 5 बज गए थे.
उसका घर जाने का समय हो गया था.
हम दोनों ने बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ़ किया और कपड़े पहने.
और फिर एक लम्बे चुम्बन के साथ होटल से बाहर आ गए.
हमने दोबारा मिलने का वादा किया और मैंने उसे मेट्रो में बैठा दिया और घर आ गया.
उस दिन के बाद हम कई बार मिले.