नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम प्रवीण है. आज काफी टाइम बाद अन्तर्वासना पर अपनी जबरदस्त चुदाई कहानी लिख रहा हूँ. अपनी पढ़ाई के अंतिम साल में मैंने अपने जीवन की एक घटना अन्तर्वासना पर प्रकाशित की थी और मुझे आप लोगों के बहुत सारे मेल आये थे. बहुत से मेल के मैंने रिप्लाई भी किये जिनको मैं रिप्लाई नहीं कर पाया मैं उन सब से माफ़ी चाहता हूँ.
मैंने दो साल पहले अपनी कहानी प्रकाशित की थी उसके बाद मैं अपनी प्रोफेशनल लाइफ में बिजी होने के कारण मैं अपने जीवन की और घटनायें यहाँ पर प्रकाशित नहीं कर पाया।
मैं पिछले दो साल से साउथ दिल्ली में रह रहा हूँ.
मुझे एक बार स्वाति से मिलने का मौका मिला, जो 26 साल की एक बहुत ही खूबसूरत लड़की थी. स्वाति ग्रेटर कैलाश में अपने सास ससुर और पति के साथ रहती थी. स्वाति का पति अक्सर काम के सिलसिले में दिल्ली से बाहर ही रहता था लेकिन मैंने कभी इस बात का मौका उठाने का नहीं सोचा था।
हम दोनों आपस में काफी बात करने लगे थे, स्काइप पे वीडियो चेट, व्हाट्सऐप हर वक़्त हम लोग टच में रहते थे.
स्वाति मुझे अपने पति से भी मिला चुकी थी क्योंकि हम दोनों अच्छे दोस्तों की तरह ही थे, कभी किसी के मन में कुछ गलत नहीं था.
स्वाति काफी पढ़ी लिखी लड़की थी लेकिन उसने अपने सास ससुर और पति के लिए शादी के बाद अपने सारे सपने और खुशी छोड़ दी थी। अब कुछ टाइम पहले ही स्वाति का पति साल भर के लिए इंडिया से बाहर चला गया था जिस वजह से स्वाति का घर पर मन नहीं लग रहा था तो स्वाति ने जॉब करने की इच्छा मुझे बताई।
मैं पिछले दो साल से आई टी एम एन सी में हूँ जिस वजह से मैं उसकी जॉब लगाने में आसानी रही।
अब स्वाति काफी खुश थी और हम दोनों को जब भी मौका मिलता, हम अक्सर बाहर ही मिल लिया करते थे क्योंकि अब दोनों ही अपनी प्रोफेशनल लाइफ में बिजी हो चुके थे. जब भी बाहर मिलते तो अक्सर गोल गप्पे खाना, मूवीज जाना, पब जाना अब हम दोनों के लिए आम बात हो गई थी.
इसी बीच स्वाति ने मुझे डिनर पर आने की जिद करने लगी जिसको मैं मन नहीं कर पाया।
मैं स्वाति के घर पंहुचा तो स्वाति ने ही दरवाजा खोला, स्वाति वन पीस में खड़ी थी वो उस ड्रेस में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। मैं उसकी तारीफ़ करने ही वाला था कि स्वाति ने मुझे अपने गले लगा लिया।
मैंने भी उसे बड़े प्यार से गले लगाया और उसकी तारीफ़ करते हुए बोला- बहुत ही खूबसूरत लग रही हो… आज से पहले तुम्हें इस तरह कभी नहीं देखा तो आज तुमसे नज़र नहीं हट रही है.
मैंने उससे अलग होते हुए पूछा- सास ससुर कहाँ हैं, उनसे भी मिलने दोगी या यहीं दरवाजे पे डिनर करा के भेज दोगी?
तो स्वाति ने बड़े ही नटखट अंदाज में मुझे जवाब दिया- आज तो मम्मी पापा किसी रिलेटिव की शादी में गए हैं। और तुम पहले अंदर तो आ जाओ, जाने या ना जाने की बाद में देखेंगे।
वो मुझे सोफे पर बिठा कर अंदर किचन से कोल्ड ड्रिंक लेकर आई और मुझे दी।
मेरी तो आज स्वाति से नज़रें ही नहीं हट रही थी।
ऐसे ही गप्पें मारते मारते कब 11 बज गए पता ही नहीं चला। फिर मैं स्वाति को डिनर लाने को कहा- मैं लेट हो जाऊंगा, जाना भी है!
लेकिन स्वाति ने बड़े ही प्यार से जवाब दिया- डिनर करने चलो लेकिन आज मेरे पास ही रुक जाओ।
रुकने की बात पर मैंने ऐतराज जताया तो स्वाति नाराज होने लग गई। आखिर में मुझे उसके सामने हार माननी पड़ी और उसे धकेलते हुए डाइनिंग रूम में ले गया।
वहां डाइनिंग टेबल पर खाना रखा तो स्वाति ने बियर की बोतल रख के मुझसे टाइम पूछा तो मैंने कहा कि 12 बजने वाले हैं।
मेरे यह कहते ही स्वाति मेरे गले लग के रो पड़ी और कहने लगी कि आज उसका जन्मदिन था।
जैसे ही मुझे पता चला कि आज उसका जन्मदिन है तो मैं कुछ नहीं कह पाया और उसे अपने गले लगा के रखा, लगभग 5 मिनट तक वो मुझसे गले लगे रही तो मैंने उसे अलग करते हुए कहा कि अभी दिन खत्म होने में कुछ मिनट बाकी हैं, चलो सेलिब्रेट करें!
मैंने बियर की बोतल उठाई, दो ग्लास में बियर डाली, एक उसे दिया और एक खुद उठा कर उसको अपने हाथों से पिला दिया और उसके हाथों से खुद पीया।
बियर पीते पीते हम कब डांस करने लगे कुछ पता ही नहीं चला और जब डांस कर रहे थे तो दोनों ही होश में नहीं थे।
इसी बीच स्वाति मेरे गले लगी और थैंक्यू कह कर मेरी गर्दन पे किस करके मुझसे लिपट गई।
स्वाति की उस किस से मेरे बदन में करंट सा बहने लगा और मैं भी उसके चेहरे को पकड़ कर उसके लिप्स पे कस के किस करने लगा जिसमें स्वाति भी मेरा साथ देने लगी, हम दोनों इसी पोजीशन में काफी देर तक किस करते रहे और धीरे धीरे एक दूसरे के बदन को टटोलने लग गए.
बदन टटोलते टटोलते कब मैंने उसका वन पीस उतार कर फेंक दिया, मुझे भी नहीं पता और वो मेरी टी शर्ट उतार चुकी थी।
मैंने उसे अब पीछे से पकड़ा और गर्दन पर खूब चूमने लगा कभी गर्दन कभी कान कभी पीठ और दोनों हाथों से उसके वो खूबसूरत बूब्स दबा रहा था.
ये सब जब हो रहा था तो स्वाति सिसकारियाँ ले रही थी जो मुझे ये बता रही थी कि स्वाति कब से प्यासी है.
स्वाति की सिसकारियाँ सुन कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैंने उसकी ब्रा और पैंटी फाड़ के फेंक डाले और उसे उठा कर उसके बैडरूम में लेजा कर लिटा दिया.
इतने में स्वाति बोल उठी- आज मुझे मत तड़पाओ मुझसे नहीं रहा जा रहा।
मैंने इसके बाद बूब्स जम के चूसे फिर धीरे धीरे पूरे बदन को चूमते हुए नीचे आया और टाँगें फैला कर उसकी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा और इसके बाद स्वाति अपने कंट्रोल से बाहर हो चुकी थी और मैं जीभ से उसकी चूत को तड़पा रहा था।
मैं उसे इतना तड़पा चुका था कि उसकी चूत ने जम के पानी निकल दिया जो मैं सारा चाट गया। बहुत दिनों से उसकी चूत से पानी नहीं निकला था इसलिए मुझे भी वो चूत का पानी पीने में बहुत टाइम लग गया।
अब मैं फिर से उसे चूमता रहा और कुछ देर में वो फिर गर्म हो गई. इस बार मैंने उसकी कमर के नीचे दो तकिये रख कर उसकी टाँगें खोली और अपने लंड से चूत रगड़ने लगा।
स्वाति की सिसकारियाँ अब और तेज हो रही थी.
इतने में मैंने अपना लड उसकी चूत पर रखा और धक्का मारा लेकिन चूत काफी टाइम से चुदी नहीं थी और गीली भी थी इसलिए मुझे मेरा लंड डालने में बहुत मशक्कत करनी पड़ी।
और जैसे ही दो चार धक्कों के बाद मेरा आधा लंड अंदर गया तो वो चीख पड़ी, उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे.
घर पर कोई नहीं था इसलिए मैंने उसे चीखने दिया और फिर एक और धक्का मार के उसकी चूत में पूरा लंड डाल दिया।
अब वो मेरी पीठ पर अपने नाख़ून मार कर मुझे और उत्तेजित कर रही थी जिसका जवाब मैं जोर जोर के धक्कों से अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करके जबरदस्त चुदाई से उसकी चीखें निकलवा कर दे रहा था, उसकी चीखें पूरे घर में गूंज रही थी।
20 मिनट तक चूत में लंड अंदर बाहर करते हुए उसकी चूत ने अपना सब्र खो दिया और पहली बार की तरह इस बार भी जम के पानी निकाल डाला.
बिस्तर गीला हो चुका था और स्वाति का बदन ढीला पड़ चुका था इसलिए वो अब नीचे से कुछ रिस्पांस नहीं कर रही थी लेकिन मैं उस वक़्त भी अपनी चरम सीमा में था और उसके रोकने पर भी मुझसे कंट्रोल नहीं हो पर था इसलिए मैं उसकी मर्ज़ी ना होते हुए भी उसे जम के अभी भी चोद रहा था.
थोड़ी देर बाद मेरा भी काम होने वाला था, उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैंने सारा माल स्वाति की चूत में भर डाला।
उसकी चूत से तो मानो आज बाढ़ निकल रही थी…
अब हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे और थोड़ी देर बाद दोनों फिर गर्म हो उठे. इस बार मैंने उसे खड़ा करके घोड़ी बनाया और अच्छे से उसकी गांड की गांड मार डाली।
उस रात ये सब न जाने कितनी बार हुआ. लेकिन ये सब करने के बाद स्वाति से जो दोस्ती थी, उसमें कोई फर्क नहीं पड़ा.
मगर मुझे एक बात हर वक़्त दिल में रहती कि जो हम दोनों के बीच हुआ उसकी वजह से स्वाति और उसके पति के बीच कुछ प्रॉब्लम ना हो!
इसलिए मैंने स्वाति से थोड़ा दूरी बढ़ाना शुरु कर दिया… उसके बाद मैंने उसके साथ ये सब नहीं किया.
कहानी के अंत में मैं आपको बता दूँ कि स्वाति नाम बदला हुआ नाम है. मैंने लाइफ में हमेशा लड़कियों की इज्जत की है, मैं नहीं चाहता मेरी वजह से उसकी पर्सनल लाइफ में प्रॉब्लम हो या उसकी प्रिवेसी लीक हो. इसलिए आज यह कहानी लिखी है तो उससे पूछ कर ही लिखी है.
आपको जबरदस्त चुदाई की यह कहानी कैसी लगी, आप मुझे अपने सुझाव मेरी ईमेल पर जरूर देना।
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