दोस्तो, मेरा नाम रवि कुमार है. मेरी बहन का नाम दीक्षा है. वह मुझसे 5 साल बड़ी है. दीक्षा का जिस्म काफ़ी अच्छा है. उसके मम्मे तो ज्यादा बड़े नहीं हैं पर इतने हैं कि किसी भी लड़के का मन उनको चूसने का करेगा.
मम्मों के साथ ही मेरी बहन की गांड की तो क्या ही बात है.
साली जब मटक कर चलती है न … तो उसकी गांड इस तरह से हिलती है मानो अभी अभी चुद कर आ रही हो.
आज मैं आपको अपनी दीदी के साथ की गई चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ.
उम्मीद है कि बहन चुदाई का मजा कहानी आपको पसंद आएगी.
यह बहन चुदाई की बात तब की है, जब मैं फर्स्ट ईयर में था और दीदी की मास्टर की डिग्री कंप्लीट हो चुकी थी.
एक दिन घर पर कोई नहीं था; सिर्फ़ मैं और मेरी दीदी ही थी.
उस दिन हम दोनों ने काफ़ी समय एक साथ व्यतीत किया; घर के सारे काम किए और काम करते करते रात हो गई.
फिर हम दोनों ने खाना खाया और सोने चले गए.
दीदी और मैं एक ही रूम में एक ही बेड पर सोते हैं.
उस दिन मुझे नींद नहीं आ रही थी,तो मैंने दीदी से बात करना शुरू की.
मैंने उससे पूछा- आपने कभी किसी को किस किया है?
इस तरह की बात सुनकर मेरी दीदी एकदम से अचकचा गई और बोली- आज ऐसा सवाल क्यों?
मैंने कहा- अरे बताओ ना!
तो दीदी बोली- नहीं, क्या तूने किया है?
मैंने कहा- मेरे इतने अच्छे दिन कहां आ रहे हैं.
वह हंसने लगी.
थोड़ी देर ऐसे ही बात करते हुए मैंने बोल दिया- दीक्षा दीदी, क्या मैं आपको किस कर सकता हूँ.
दीदी इस बात पर चुप हो गई.
फिर वह मुझे देख कर बोली- चल अब सो जा.
मैं ज़िद करने लगा कि प्लीज़ बस एक किस करने दो न … प्लीज़ दीदी!
मगर वह आंख बंद करके सोने का नाटक करने लगी.
थोड़ी देर बाद मैं उठा और बालकनी में जाकर खड़ा हो गया.
उस दिन बारिश भी शुरू हो गई.
मैं दीदी को चोदने को लेकर सोचने लगा.
मैंने सोचा कि मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था, कल सुबह दीदी को सॉरी बोल दूँगा.
फिर मैं भी बिस्तर पर अपनी साइड आकर सोने की कोशिश करने लगा.
लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.
बिस्तर पर अपने सामने दीदी एकदम घोड़े बेच कर सो रही थी.
उसका मुँह मेरी तरफ था.
पता नहीं मुझे क्या हुआ, दीदी के चेहरे को देख कर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया.
मुझे समझ नहीं आया, पर अच्छा भी लग रहा था.
मैं बस अपनी दीदी को देख कर अपना लंड पजामे के अन्दर हिला रहा था.
कुछ देर बाद मैं दीदी के चेहरे के थोड़ी पास गया और मुझे उसकी सांसें महसूस होने लगीं, जिसकी वजह से मेरे लंड से पानी निकल गया.
पर मेरा मन अभी भरा नहीं था.
उधर दीदी ने करवट ले ली और उसकी गांड मेरे लंड के सामने हो गई.
दीदी की गांड की देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
अपने लंड को पजामे के अन्दर खड़ा करके मैं दीदी की गांड के साथ लगाने लगा.
मैं धीरे धीरे धक्के भी मार रहा था और दीदी की गांड को टच भी कर रहा था.
तभी उसने फिर से पलटी मारी और मेरी तरफ अपना मुखड़ा कर लिया.
मुझे लगा कि शायद इसको पता लग गया है कि कि मैं क्या कर रहा हूँ.
मैं डर गया और अपने लंड को हटा लिया.
पर मेरे मन में कुछ और ही करने का प्लान था.
मैंने अपना लंड पजामे से बाहर निकाला और दीदी को देख कर हिलाने लगा.
कुछ देर बाद मैंने अपने चेहरे को दीदी के चेहरे के पास लिया और उसके होंठों को किस कर लिया.
मुझे उसके होंठों का स्पर्श बहुत अच्छा लगा.
मैंने फिर से अपना थूक अपनी जीभ से दीदी के होंठों पर लगा दिया और अपनी आंखें बंद कर दीं.
जैसे ही मैंने आंखें बंद की, दीदी जाग गई.
वह बोली- रवि, अपनी साइड पर जा.
मैं डर गया था और सोने का नाटक करने लगा था.
दीदी ने मुझसे फिर से कहा कि अपनी साइड पर जा.
पर मैं नहीं गया और अपनी आंखें खोल कर दीदी के ऊपर चढ़ गया और उसे किस करने लगा.
दीदी चिल्लाने लगी- यह क्या कर रहा है … हट मेरे ऊपर से!
पर मैं अब कहां हटने वाला था, मैं उसे किस कर रहा था, कभी उसके मम्मे दबा रहा था.
दीदी बोली- प्लीज़ उठ जा!
मैंने कहा- दीदी आज नहीं, मुझे आपसे प्यार हो गया है. आपको चोद कर मैं अपना बनाना चाहता हूँ.
दीदी बोली- ऐसा नहीं हो सकता.
मैं रुका नहीं और बस दीदी के साथ चुम्मा चाटी करने लगा.
कुछ देर बाद दीदी हार मान गई और बोली- ठीक है, पर पहले मेरे ऊपर से उठ. सही से करते हैं.
मैं सरक कर बाजू में लेट गया.
दीदी ने कहा- तू ऐसा क्यों कर रहा है?
मैंने कहा- मुझे आपसे प्यार हो गया है. मैं आपको अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ.
यह सुनकर दीदी चौंक गई और बोली- तुझे मुझसे कब प्यार हो गया है … और यह सब कब हुआ?
मैंने कहा- जब आप सो रही थीं, तब हुआ.
यह सुनकर वह हंसने लगी और बोली- क्या अच्छा लगा मुझमें?
मैंने कहा- सब कुछ … आपके होंठों आपकी आंखें आपके …
दीदी बोली- क्या आपके?
मैं सर नीचे करते हुए बोल- आपकी गांड और मम्मे.
दीदी हंसने लगी.
मैंने दीदी को फिर से एक किस किया और साइड हो गया.
दीदी ने कहा- ठीक है, मुझे भी तुझसे प्यार है.
यह सुनते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे किस करने लगा.
बहन चुदाई के लिए तैयार हो गयी तो इस बार वह भी मेरा साथ देने लगी.
उसके होंठ मेरे होंठों से जुड़े हुए थे और वह भी मुझे चूम रही थी.
उसकी गर्म सांसों को महसूस करते हुए मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था.
कुछ ही देर में मैंने अपनी जीभ दीदी के मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी.
उसकी जीभ चूसने से मैं एकदम से गनगना गया और मेरे हाथ भी हरकत करने लगे.
अब मैं अपनी बहन के मम्मे भी दबा रहा था, उसकी जीभ को अपनी जीभ से टच कर रहा था.
हमारी लार एक दूसरे के मुँह में आ जा रही थी.
फिर मैं उसके ऊपर से उठा और दीदी से बोला- मेरी एक फैन्टेसी है, जो मुझे आपके साथ करनी है.
दीदी चुदास भरे स्वर में मेरे लौड़े को सहलाती हुई बोली- और वह फैन्टेसी क्या है?
मैं- पहले मेरे साथ छत पर चलो.
दीदी ने कहा- बाहर बारिश हो रही है.
मैंने कहा- प्लीज़ चलो न!
वह मान गई और हम दोनों छत पर जाने लगे.
मेरी बहन मेरे आगे आगे चल रही थी, मैं पीछे था और उसकी गांड दबाता हुआ चल रहा था.
वह भी खिलखिलाती हुई मेरे हाथों से अपनी गांड मसलवाने का मजा ले रही थी.
जैसे ही हम दोनों छत पर पहुंचे, हम दोनों गीले हो गए.
पानी बरसने के कारण चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था.
वैसे भी हमारे घर की छत पर काफी ऊंची मुंडेर बनी है, जिस वजह से आस पास की छतों से हमारी छत पर क्या हो रहा है, यह देख पाना संभव नहीं है.
मैंने कहा- मुझे आपके साथ बारिश में चुदाई करना है.
दीदी मेरे लौड़े को पकड़ती हुई बोली- अच्छा, तो यह है तेरी फैन्टेसी?
मैंने कहा- हां.
वह बोली- ठीक है, चल करते हैं. पहले जल्दी से नंगा हो जा.
मैंने दीदी को किस किया और उसके मुँह में थूका. वह भी मेरे साथ सेक्स का मजा लेने लगी.
मैं छत पर लेट गया और दीदी के कपड़े फाड़ने लगा और उसे नंगी करके चूत चाटने लगा.
उसकी चूत पर झांटें उगी थीं, लग रहा था जैसे उसने काफी दिनों से अपनी झांटें नहीं साफ की थीं.
मैंने अपने अंडरवियर को भी उतार दिए.
उधर बहन पूरी नंगी थी.
मैं उसका पूरा गीला जिस्म चाटने लगा और दीदी से बोला- चल रंडी दीक्षा … अपने पति का लंड चूस!
वह भी किसी लंडखोर रांड की तरह मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
मैं भी 69 में हो गया और उसकी चूत चाटने का मजा लेने लगा.
बारिश में पानी के साथ चूत के पानी का रस मिल कर बड़ा मजा दे रहा था.
थोड़ी देर बाद मेरी रंडी बहन बोली- मुझे वॉशरूम जाना है, पेशाब करने.
मैंने कहा- सुन मेरी रंडी, आज से तू पेशाब मेरे ऊपर ही करेगी. चल खड़ी हो जा और मेरे मुँह पर मूत दे.
वह मेरे ऊपर खड़ी होकर पेशाब करने लगी.
मुझे उसकी पेशाब की गर्म धार अपने मुँह पर लेकर बहुत अच्छा लग रहा था.
जैसे ही उसने पेशाब कर लिया, मैंने उसे लेटा लिया और उसके ऊपर पेशाब करने लगा.
मैंने धार मारते हुए कहा- पी जा साली कुतिया.
वह मेरा मूत पीने लगी.
लंड से पेशाब पिलाने के बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह में ही दे दिया और वह चूसने लगी.
कुछ देर के बाद मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने दीदी की चूत में अपना लंड पेलने के लिए आसन बना लिया.
वह बोली- आराम से पेलना.
मैंने कहा- क्यों कभी लिया नहीं है क्या?
वह बोली- हां लंड कभी नहीं लिया है.
मैंने पूछा- लंड कभी नहीं लिया है … इस बात का क्या मतलब है?
वह हंस कर बोली- मैंने अभी तक अपनी चूत सिर्फ गाजर मूली से चोदी है.
मैंने कहा- चल, आज असली गाजर से तेरी चूत की सर्विस करता हूँ.
यह कह कर मैंने लंड को चूत में पेला और धक्के मारने लगा.
दीदी चिल्लाने लगी- आह भाई आराम से चोद न … दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- साली रंडी, मैं तेरा पति हूँ, भाई नहीं!
वह भी हंसती हुई बोली- ठीक है पतिदेव, पर आराम से चोद न साले … हरामी बहनचोद.
उसके मुँह से गालियां सुन कर मुझे जोश आ गया और मैंने चोदने की स्पीड तेज़ कर दी.
मैंने भी उसे गाली देते हुए लंड की ठोकर मारी- ले मां की लौड़ी रंडी … लंड खा ले कुतिया आह आह तेरी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बना दूंगा. न जाने कब से तेरी जवानी को चखना चाहता था.
वह भी बोली- हां साले लंड के … मैं भी न जाने कब से तेरे लंड से अपनी चूत फड़वाना चाह रही थी.
बस इसी तरह की सनसनी भरी बातों से हम दोनों में चुदाई का युद्ध होने लगा.
थोड़ी देर बाद मैं उसकी फुदी में ही झड़ गया.
जब मैंने लंड बाहर निकाला, तो दीदी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
बारिश में दीदी को चोद कर मज़ा आ गया था. उसके बाद मैंने दीदी को अपनी बांहों में उठाया और कमरे में ले गया.
उधर हम दोनों ने एक बार फिर से चुदाई शुरू कर दी और नंगे ही सो गए.