नमस्कार दोस्तो, कैसे हैं आप सब?
मैं आपका दोस्त मनमीत रोहतक से एक बार फिर हाजिर हूं अपनी नयी कहानी के साथ … जिसमें मैंने एक मस्त लड़की की चूत चोदी उसके घर में!
यह कहानी अभी कुछ समय पहले की ही है मगर ये कहानी एकदम सच है.
दोस्तो, ये कहानी शुरू होती है मेरी दुकान से!
मेरी रोहतक में खुद की मोबाइल शॉप है जहां मोबाइल का सभी प्रकार का काम होता है.
ये बात जून की है जब वो पहली बार मेरी दुकान पर आयी थी अपने पति के साथ!
उसका नाम था रानी … वो नयी सिम कार्ड लेने आयी थी.
मगर उस टाइम मैंने एक छोटा ब्लूटूथ स्पीकर चला रखा था जिसकी बहुत अच्छी आवाज़ थी.
उसको वो स्पीकर पसंद आया और वो उसे चेक करने लगी.
चूंकि उसके साथ उसका पति भी था तो इसीलिए मैंने ज्यादा बातचीत नहीं की और उसके पति के साथ सिम कार्ड की औपचारिकता पूरी करने लगा.
मगर बार बार मैं उसे और वो मुझे देख रही थी.
फिर जब सिम कार्ड का काम ख़त्म हुआ तो उसने बताया कि वो सिम कार्ड उसके लिए ही लिया है.
जाते समय वो स्पीकर वापस करने लगी तो मैंने उसके हाथ से स्पीकर लेते हुए थोड़ा तेज उसका हाथ पकड़ लिया.
उसने मुँह से कुछ नहीं कहा लेकिन आँखों से इशारा कर दिया कि नहीं, ये मेरे साथ हैं, अभी ये सब मत करो.
बस यहीं से शुरुआत हुई.
फिर अगले दिन मैंने जो नंबर दिया था सुबह करीब 11:30 बजे उस पर कॉल किया.
मैं उससे बात करने के लिए तड़प सा गया था.
हालांकि मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था फिर भी मैंने कॉल कर लिया.
उसने वहां से कॉल उठाया और हमारी बातचीत कुछ इस तरह से हुई:
रानी- हैलो, कौन बोल रहा है?
मैं- जी मैं मनमीत बोल रहा हूं, मोबाइल शॉप वाला!
रानी- अच्छा जी तो कर ही लिया अपने फ़ोन! मुझे पता था आप फ़ोन जरूर करोगे. मुझे अब तक आपकी वो कल रात वाली हरकत याद है.
मैं- जी अगर आपको बुरा लगा हो तो सॉरी, दोबारा ऐसी हरकत नहीं होगी.
रानी- अगर बुरा लगता तो मैं उसी टाइम ही बोल देती. अच्छा तो बताइये कैसे फोन किया?
मैं- जी बस ऐसे ही ये पता करने किए लिए फ़ोन किया था कि सिम कार्ड में कुछ दिक्कत तो नहीं आ रही है?
रानी- बस यही पूछने के लिए फ़ोन किया था? कोई दिक्कत नहीं है, अब रख दूं मैं?
मैं- जी और बताइये … कैसे हैं आप?
रानी- मैं तो ठीक हूं, आप सुनाओ आप कैसे हो?
मैं- जी ठीक हूं, आपसे बात करके ज्यादा ठीक हो गए. वैसे एक बात पूछूं अगर आप बुरा न मानो तो?
रानी – जी पूछिए, बुरा मानूंगी तो नहीं बताऊंगी.
मैं- जी, जो रात को आपके साथ आये थे वो आपके पति थे?
रानी- जी हां.
मैं- लगते तो नहीं थे.
रानी- अच्छा, ये बताइये … आपने मेरा हाथ क्यों पकड़ा था रात को?
मैं- क्योंकि मुझे आप अच्छे लगे इसीलिए!
रानी- अगर कोई देख लेता तो?
मैं- जब प्यार किया तो डरना क्या?
रानी- अच्छा … इतनी जल्दी प्यार भी हो गया आपको?
मैं- क्यों जी, आपको नहीं हुआ?
रानी- नहीं जी, मुझे नहीं हुआ.
मैं- तो फिर अपने मुझे रोका क्यों नहीं रात को?
रानी- वह तो बस … खैर छोड़िये वो तो अच्छा हुआ कि मेरे हस्बैंड साथ थे वर्ना आप तो पता नहीं मेरा क्या क्या पकड़ लेते!
उस दिन रानी से आधे घंटे तक मेरी बात हुई.
फिर हमारी लगभग एक हफ्ते तक ऐसे ही बात होती रही और न जाने कब ये बात सेक्स तक पहुंच गयी.
फिर एक रात हमारी बात हुई.
मैं- हैलो रानी जी, एक बात बोलूं अगर आप बुरा न मानो तो?
रानी- अब भी आपको लगता है कि मैं आपकी किसी बात का बुरा मानूंगी?
मैं- रानी जी … मेरा आपके साथ वो करने का मन कर रहा है.
रानी- क्या?
मैं- वही.
रानी- खुलकर बोलो क्या?
मैं- सेक्स!
रानी- सीधा सीधा बोलो ना चुदाई का!
मैं- रानी जी, सच में आपकी चूत मारने का बहुत मन कर रहा है … बस ऐसा मन कर रहा है कि आप मेरे सामने हो तो बस पता नहीं क्या कर दूं!
रानी – क्या क्या कर दोगे जी?
मैं- आपके जो ये मोटे मोटे चूचे हैं न जी … इनको चूस चूस कर इनका सारा दूध पी जाऊंगा. आपके होंठ भी बिल्कुल रस से भरे पड़े हैं. इनको भी चूस चूस कर खाली कर दूंगा. फिर आपको नंगी करके आपकी चूत को चाटूँगा. उसको चूस चूस कर और फिर अपना लण्ड डाल कर आपकी चूत की चुदाई करूँगा.
रानी- स्स्सस्स … ह्ह्ह … आआ … बस करो मनमीत, मुझे कुछ हो रहा है. मेरी चूत बहुत पानी छोड़ रही है. बहुत खुजली मचा दी तुमने मेरी चूत में!
मैं- तो फिर मेरी जान रानी … आ जाओ न मेरे पास … मैं तुम्हारी चूत को चोद चोद कर इसकी खुजली मिटा दूं. मेरे लण्ड की भी तो हालत देखो. जब से दुकान में तुम्हारी चूचियों को देखा है, बैठने का नाम ही नहीं ले रहा.
बस तुम्हारी चूचियां और चूत ही नज़र आती है. बस चोद दूं तुझे. तेरी चूत में लण्ड घुसा दूं स्स्स्स … आआआह्ह्ह्हह्ह रानी … ले चूस ले मेरा लौड़ा … इसको चूस कर अपने भोसड़े में डाल ले … ऊऊ … ओह्ह्ह रानी आह्ह्ह!
रानी – आआआ … आह्ह्ह … मनमीत आजा … जल्दी से घुसा दे अपना लण्ड मेरी चूत में … बहुत मस्त है तेरा लण्ड मेरा भी बहुत मन है चुदने का.
इसी तरह फ़ोन पर ही हम दोनों ने अपना पानी छोड़ दिया.
अगले दिन दोपहर को रानी मेरी शॉप पर आयी और बताया कि परसों उसका हस्बैंड बाहर जायेगा और घर पर कोई नहीं रहेगा.
तो फिर तय समयानुसार जिस दिन उसका पति बाहर गया.
उस दिन मैं भी जल्दी दुकान बढ़ा कर सीधा उसके पास पहुंच गया.
मेरे अंदर जाते ही उसने दरवाजा बंद कर लिया.
उस दिन मैं और रानी दोनों अकेले थे.
उसने जाने के बाद मुझे पानी पिलाया और पूछा- क्या लोगे?
मैं- चूत लूंगा तेरी मेरी जान … बहुत दिन हो गए बाहर से देखते देखते!
रानी- मैं तो खुद कब से इसी मौके के इंतज़ार में थी मेरे जानू … आज मैं तुम्हारी हूं … जो मर्ज़ी कर लो.
उसके बाद मेरे और रानी के होंठ ऐसे मिले जैसे हम जन्मों के प्यासे हों.
10 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे.
फिर मैं सूट के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने लगा और रानी ने मेरे लण्ड को पकड़ लिया.
हम एक-दूसरे को गर्म करते रहे.
फिर मैंने उसका कमीज निकाला, फिर उसकी सलवार भी निकाल दी.
क्या मस्त फिगर था उसका … 38D के मोटे मोटे चूचे, 32 की कमर और 40 की भारी गांड.
उसको नंगी देखकर ही मेरे तो लंड की नसें फटने को हो गईं.
फिर उसने मेरी पैंट निकाली और कच्छे के ऊपर से ही मेरा लण्ड पकड़ कर रगड़ने लगी.
हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे.
रानी- आआ … आअह्ह्ह्ह … मनमीत … कहां छुपाकर रखा था इस लण्ड को … कब से तरस रही हूं मैं ऐसे मोटे और लम्बे लण्ड के लिए. देखो मेरी चूत स्स्स्स … स्स्स्स … आआहह … मनमीत चोद दो न मुझे जल्दी से … बहुत आग लगी है मेरी चूत में! प्लीज चोदो.
मैं- हां मेरी जान … तेरे लिए ही तो है मेरा लण्ड … ले चूस … इसे गीला कर दे.
फिर रानी मेरा लण्ड चूसने लगी.
आह्ह दोस्तो … क्या लंड चूस रही थी वो … मेरी तो सिसकारियां निकलने लगीं.
वो मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी और मेरे मुँह से बस आह्ह … आह्ह …. चूस मेरी रानी … आह्ह चूस … करके इस तरह की मादक सिसकारियां निकल रही थीं.
फिर मैंने उसकी ब्रा खोल दी.
ब्रा खोलते ही उसके दोनों नंगे चूचे मेरे सामने थे. मैं उनको दबा दबाकर चूसने लगा.
अब आहें भरने की बारी रानी की थी.
मैं उसके एक चूचे को दबाता तो दूसरे को चूसता और एक हाथ से उसकी चूत को छेड़ रहा था.
अब तक रानी की चूत बिल्कुल पानी पानी हो चुकी थी. फिर मैंने उसकी पैंटी को उतारा तो पैंटी चूत रस से भीगी हुई थी.
मैंने रानी की टांगें फैलाकर उस मस्त लड़की की चूत को चाटना शुरू किया.
दोस्तो, रानी की चूत ऐसी थी जैसे आज तक वो बहुत कम चुदी हो.
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
अब रानी मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं रानी की चूत.
कसम से दोस्तो, जो मज़ा लड़की की चूत चाटने में है वो किसी और चीज़ में नहीं है.
लगभग 10 मिनट चूत चटवाने के बाद रानी बोली- प्लीज मनमीत … अब डाल भी दो लण्ड को … और इंतज़ार नहीं होता.
फिर मैंने लण्ड को रानी की चूत पर लगाया और अंदर डालने लगा.
रानी को थोड़ा दर्द हुआ पर उस मज़े के लिए ये दर्द कुछ भी नहीं था.
उसकी गीली चूत पर लंड लगाकर ऐसा लग रहा था जैसे इसे इतनी चोद दूं कि इसकी चूत का भर्ता बना दूं.
उसकी चूत बहुत गर्म थी और चूस रस से बिल्कुल चिकनी हो चुकी थी.
धीरे धीरे मैंने लंड को उसकी चूत में उतारना शुरू किया.
हर धक्के के साथ वो उचकती चली गई.
मैं लंड को धकेलता चला गया.
धीरे धीरे करके मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.
जब मेरा पूरा लण्ड रानी की चूत में चला गया तो रानी को भी मज़े आने लगे.
वो अब मज़े में चिल्लाने लगी- और तेज … आह्ह … मनमीत … तेज तेज कर … फाड़ दे मेरी चूत … बहुत मस्त लण्ड है तेरा … ले मेरी चूचियां पी ले … बहुत सताती हैं मुझे आआह्ह स्स्स्स … स्स्स्स मनमीत … आई लव यू.
मैं- रानी, बहुत मस्त चूत है तेरी … देख कितना मज़ा दे रही है मेरे लण्ड को … बिल्कुल टाइट चूत है तेरी … और तेरे ये चूचे कितने मस्त हैं … एकदम मोटे मोटे आम हैं … खा जाऊंगा इनको … आह्ह निचोड़ दूंगा भींच कर!
रानी- खा जा मनमीत … निचोड़ दे मेरे चूचे … मेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दे आज … मैं पूरी रात चुदवाऊंगी … बस तू चोदता रह मेरी चूत!
इसी तरह धक्कापेल चुदाई करते हुए हमें 15 मिनट हो चुके थे.
फिर लड़की की चूत पानी छोड़ने लगी और साथ में मेरा भी पानी नकलने वाला था.
वो सिसकारी- आह्ह … मनमीत … और तेज चोद … आह् … और घुसा … अंदर तक … खोद दे … चोद दे आह्ह.. गई … आह्ह … आह्ह!
मैं- ले मेरी जान … ले … आह्ह … ले पूरा लण्ड खा ले … बहुत चुदक्कड़ है तू तो … पूरा मज़ा देती है यार … ले मेरा भी होने वाला है. आह्ह … स्स्स … आह्ह रानी … मेरा भी पानी निकल रहा है रानी! आई लव यू.
रानी- ओह्ह … मनमीत छोड़ दे अपना पानी मेरी चूत में … मेरी चूत की प्यास मिटा दे … अंदर ही डाल दे सारा रस!
फिर मेरा और रानी दोनों का एकसाथ पानी निकल गया.
दोस्तो, उस पूरे दिन और रात में हमने बहुत बार चुदाई की.
मैंने 9 या 10 बार उस लड़की की चूत मारी होगी.
फिर अगले दिन मैं दुकान पर चला गया.
दोपहर का खाना मेरे लिए रानी ही बनाकर लायी थी.
खाना और एक किस देकर रानी अपने घर चली गयी और मैं दुकान के काम में लग गया.
उसके बाद तो जब भी हमें मौका मिला हमने खूब मज़ा किया.
दो बार तो हमने होटल में जाकर चुदाई की है. वो फिर कभी बताऊंगा कि कैसे होटल में मैंने उसकी वर्जिन गांड मारी थी.
दोस्तो, रानी की गांड चुदाई की कहानी इससे भी ज्यादा मजेदार है.
जिन्होंने किसी लड़की की कुंवारी टाइट गांड चोदी है वो जानते हैं कि लड़की की गांड चुदाई में कैसा मजा आता है.