सेक्सी वाइफ की कहानी में पढ़ें कि मेरी बीवी की मृत्यु के बाद मेरी माँ ने मेरी दूसरी शादी करनी चाही. मुझे दो लड़कियाँ दिखाई तो 20 साल की कुंवारी लड़की पसंद आई.
नमस्कार दोस्तो, आपकी प्यारी कोमल फिर से अपने पाठकों के लिए सेक्सी वाइफ की कहानी लेकर हाज़िर है.दोस्तो, आज की सेक्स कहानी मैंने नहीं लिखी है. आप लोगों की तरह ही मेरे एक पाठक है दलवीर सिंह जी.
उनसे मेरी बहुत बार बात हुई. मेरी पहली सेक्स कहानी से ही वो मुझे मेल करते आ रहे हैं.
उन्होंने मुझसे एक रिक्वेस्ट की थी कि उनकी एक सेक्स कहानी को मैं अन्तर्वासना के लिए लिख कर भेजूं.
उन्होंने जिस सत्य घटना का जिक्र मुझसे किया था, मैंने उसी घटना को सेक्स कहानी के रूप में आपके लिए पेश कर रही हूँ.
ये उनके जीवन कि सच्ची सेक्स कहानी है. इस कहानी की सच्चाई के सबूत भी उन्होंने मुझे दिखाए हैं, इसलिए मुझे उनकी इस सेक्स कहानी पर विश्वास है.
उन्होंने अपनी और अपनी वाइफ की फ़ोटो मुझे मेल की थी और वेबकैम पर उन दोनों ने मुझसे बात भी की थी.
मुझे उनकी ये सेक्सी वाइफ की कहानी बहुत पसंद आई और उम्मीद है कि आप लोगों को भी पसंद आएगी.
सेक्स कहानी का हर शब्द उनके द्वारा ही लिखा गया है, मैं बस ये कहानी भेज रही हूँ. आपको उनकी निजी जिंदगी की ये सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, आप जरूर मेल करके बताएं. आप दलबीर जी की कलम से ही कहानी का मजा लीजिए.
दोस्तो, मेरा नाम दलवीर सिंह है (बदला हुआ नाम है). मैं मध्यप्रदेश के भोपाल का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 46 वर्ष की है. मेरी लंबाई 5 फिट 8 इंच और वजन 90 किलो है.
मैं एक सरकारी इंजीनियर हूँ. मैं अपने घर से काफी सम्पन्न हूँ … किसी तरह की कोई कमी नहीं है.
पहली बार मैं कोई कहानी लिख रहा हूँ उम्मीद करता हूँ आप गलतियों पर ध्यान नहीं देंगे. मैं इस सेक्स कहानी के द्वारा अपने साथ बीते हर पल को आप तक पहुंचाने का प्रयत्न करूंगा, इसलिए हो सकता है कि कहानी कुछ लंबी हो जाए.
मैं पहले आपको अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बता दूं. मेरी पहली बीवी 2013 में गुजर गई थी. उससे मुझे एक बेटा है जो कि बैंगलोर में अपनी पढ़ाई कर रहा है.
जब मेरी पहली पत्नी का देहांत हुआ, तो मैं काफी अकेला हो गया.
इसको देखते हुए मेरी मां ने मुझसे कई बार कहा कि दूसरी शादी कर ले … मगर अपने बेटे के भविष्य को देखते हुए हर बार मैं अपनी मां की बात को अनसुना कर दिया करता था.
पाठकों मैं स्वभाव से ही काफी सेक्सी तरह का व्यक्ति हूँ. शुरू से ही सेक्स मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा रहा है.
पत्नी के गुजरने के पहले भी मैं होटलों में कॉलगर्ल्स के साथ मजे लिया करता था. हसीन लड़कियों को चोदना मेरी कमजोरी है.
मेरे पास पैसों की कोई कमी नहीं है और मैं अपनी वासना को पूरा करने के लिए पत्नी के गुजरने के बाद भी कॉलगर्ल्स का सहारा लिया करता था.
मां के हमेशा कहने के बावजूद भी मैंने दूसरी शादी नहीं की क्योंकि मेरी वासना यूं ही पूरी हो रही थी, तो मैं शादी करने पर ज्यादा ध्यान भी नहीं देता था.
फिर साल 2015 में हमारे यहां मेरे मामा जी आए और जब मेरी मां ने उनसे मेरी शादी के लिए कहा तो उन्होंने भोपाल में ही दो लड़कियां बताईं.
उनमें से एक लड़की विधवा थी और अच्छे सम्पन्न घर से थी.
दूसरी लड़की कुंवारी थी, मगर वो एक गरीब परिवार से थी.
मेरी मां और मामा जी ने किसी तरह मुझे उन दोनों लड़कियों को देखने के लिए राजी कर लिया.
अगले ही दिन मैं और मामा जी उन दोनों के यहां गए.
पहले हम लोग उस विधवा लड़की के घर गए. मामा जी ने पहले से ही उनको सूचना दे दी थी. उन्होंने हमारी काफी अच्छी मेहमान नवाजी की.
हम लोग बैठे हुए थे कि वो लड़की चाय लेकर आई. दिखने में सुंदर ही थी, लेकिन थोड़ी सांवली थी. उसकी उम्र करीब 30 से 32 वर्ष की थी.
मेरे स्वभाव के कारण मेरी नजर लड़की के मम्मों और गांड पर गई. दोनों ही हिस्से सामान्य ही थे.
करीब एक घंटे वहां बैठने के बाद हम दोनों दूसरी लड़की के घर की ओर निकल पड़े.
कार में मामा जी ने पूछा कि ये पहली लड़की कैसी लगी. मैंने सोच कर बताने के लिए कह दिया.
कुछ देर में ही हम लोग दूसरी लड़की के यहां पहुंच गए. वहां भी मामा जी ने पहले से सूचना दे दी थी.
ये बिलकुल सामान्य सा छोटा सा घर था. लड़की के पिता एक छोटी सी दुकान चलाते थे.
हम लोग वहां बैठे थे और लड़की के पिता से बातचीत हो रही थी. उनके यहां चार लड़कियां थीं. एक ही लड़की की अभी तक शादी हुई थी … और वो अब अपनी दूसरी लड़की की शादी के लिए लड़का तलाश रहे थे.
उनके घर को देखते हुए मेरे मन में लग रहा था कि पहले वाली लड़की ही ठीक रहेगी. थोड़ी सांवली थी, पर ठीक ही थी.
उस वक्त मेरी उम्र 41 वर्ष की थी और उस हिसाब से वो 30-32 वर्ष की लड़की ही ठीक लग रही थी.
हम लोग आपस में बात कर रहे थे मगर मेरा मन स्वभाव के मुताबिक चुदाई के हिसाब से ही लड़की को देख रहा था.
उस घर की परिस्थितियों को देखते हुए मुझे लग रहा था कि लड़की भी ऐसी ही सामान्य ही होगी.
बातचीत चल ही रही थी कि लड़की के पिता ने चाय नाश्ते के लिए अन्दर आवाज लगाई.
कुछ ही पलों में एक गुलाबी सलवार सूट पहने लड़की कमरे में नाश्ते की प्लेट लिए आई.
उस लड़की को देखते ही मेरा सामान (लंड) फड़कने लगा.
क्या गजब की लड़की थी वो … रंग गोरा, शरीर भरा हुआ, बड़े बड़े दूध, उभरी हुई गांड और एक खूबसूरत चेहरा. उसको देखते ही मैं पहले वाली लड़की भूल ही गया.
उसने झुक कर टेबल पर प्लेट रखी और उसके झुकने से दुपट्टे के बीच से उसके दूध की लाइन दिख गई.
प्लेट रख कर वो पलट कर चली गई और मैं उसकी उभरी हुई गांड को देखने लगा.
उसके चलने से किसी तराजू की तरह उसके चूतड़ ऊपर नीचे हो रहे थे.
मैं उस लड़की को देख कर ही सोच लिया कि अगर इसका पिता हां कर दे, तो मजा आ जाए.
मगर इसकी उम्मीद मुझे कम ही लग रही थी क्योंकि लड़की की उम्र उस वक्त 20 वर्ष थी और मैं 41 वर्ष का और एक बच्चे का पिता था.
बस एक ही चीज अच्छी थी कि मैं एक सरकारी इंजीनियर था और एक सम्पन्न परिवार से था.
लड़की के बारे में पूछने पर पता चला कि उसका नाम सुधा है और वो इस वर्ष बी.कॉम में अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थी.
मैंने उसके कॉलेज का नाम भी उसके पिता से पूछ लिया.
हम सबने चाय नाश्ता किया और वहां से चल दिए.
घर पहुंच कर मां और मामा जी ने मुझसे पूछा, तो मैंने सोच कर बताने का बोल दिया.
रात में सोते वक्त मैं बस सुधा के बारे में ही सोचता रहा कि किस तरह से मामा जी को बोलूं कि ये लड़की मुझे चाहिए.
फिर मैंने सोचा कि अगर ये बात मां के ऊपर छोड़ दी जाए, तो वो हर हाल में मेरे लिए किसी कुंवारी लड़की को ही पसंद करेंगी. ऐसा मेरा मानना था.
अगले दिन जब मामा जी ने पूछा तो मैंने बोल दिया कि जो मां बोलें, वही होगा.
ये कह कर मैं अपने आफिस के लिए निकल गया.
शाम को घर पहुंच कर मैं फ्रेश होकर मां और मामा जी के साथ बैठा, तो मामा जी ने कहा कि हम लोगों ने लड़की पसंद कर ली है.
ये सुनते ही मेरा दिल जोर से धड़कने लगा कि इन लोगों ने पता नहीं किसे पसंद किया है.
मगर जब मामा जी ने सुधा का नाम बताया, तो मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे.
मैंने शांत भाव से पूछा- पहले उसके पिता से तो पूछ लो, वो मुझे पसंद करते हैं कि नहीं.
तो मामा जी ने जो कहा, उसे सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
उन्होंने कहा कि उनसे बात हो गई है और वो तैयार हैं. वो अगले महीने ही शादी की बात कर रहे थे.
मैंने कहा- देख लीजिए आप दोनों जो सही लगे.
अब तो मन ही मन मैं इतना खुश था कि किसी को बता नहीं सकता था.
मगर रात में एक बात मेरे मन में आई कि क्या कहीं उसका कोई चक्कर तो नहीं होगा, वो पहले से ही चुद तो नहीं गई होगी.
इस बात के लिए मैंने अपने एक दोस्त की मदद ली. उसका नाम सलमान था. वो मेरे लिए दारू का जुगाड़ किया करता था.
सलमान उम्र में मुझसे काफी छोटा था और कॉलेज में पढ़ता था. उसकी पैसों की जरूरतों को हमेशा मैं पूरी किया करता था.
मैंने उससे सुधा के बारे में सब पता करने को कहा.
एक ही हफ्ते में उसने सुधा के बारे में सारी जानकारी निकाल ली. सुधा का आज तक किसी के साथ कोई चक्कर नहीं था. वो बहुत ही सामान्य जीवन जीने वाली लड़की थी.
अब तो मैं समझ गया कि मुझे कुंवारी चूत ही मिलने वाली थी.
अगर वो पहले से भी चुदी होती तो भी मैं उससे ही शादी करता.
वो मुझे इतनी पसंद थी. और हो भी क्यों न … वो थी ही इतनी खूबसूरत.
फिर बात आगे बढ़ते बढ़ते सब फिक्स हुआ और हमारी शादी मंदिर से करने का फैसला लिया गया.
फिर 26 दिसम्बर 2015 के दिन हम दोनों की शादी मंदिर में हो गई. इस शादी से उसके परिवार के लोग भी काफी खुश थे और मैं भी बहुत खुश था कि सुधा के जैसी लड़की मेरे जीवन में आई.
अब वो मेरी जीवन साथी थी.
शादी के बाद हम लोग सुधा के साथ घर आ गए. उस दिन घर में मेरे कुछ रिश्तेदार मेरी मां मेरा बेटा मैं और सुधा थे.
पहली ही रात सुधा का मेरे साथ सोने का प्रोग्राम किया गया.
मेरे दिमाग में काफी कुछ चल रहा था मन कर रहा था कि उसी रात सुधा को चोद डालूं मगर मैंने अपने ऊपर संयम रखा क्योंकि सुधा मुझसे 20 साल छोटी एक कमसिन लड़की थी.
मैं पहले उसके साथ खुलना चाहता था ताकि वो भी मेरे साथ घुम-मिल जाए.
इसलिए मैंने कुछ समय के लिए सुधा के साथ कुछ नहीं करने का मन बनाया.
रात को 11 बजे के करीब मैं अपने कमरे में गया, सुधा बिस्तर पर ही थी. वो लाल जोड़े में सर को ढके बैठी हुई थी.
मैं जाकर उसके पास बैठ गया, मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा. उसकी गोरी गोरी कमर साड़ी के बीच से मुझे ललचा रही थी. उसके भरे हुए दूध ब्लाउज के ऊपर से ही जैसे मुझे आमंत्रित कर रहे थे.
मैंने आपको उसके बॉडी फिगर के बारे में नहीं बताया. उसका फिगर 36-30-38 का था.
अब आप समझ ही गए होंगे कि उसके दूध कितने बड़े रहे होंगे. सुधा एक भरे हुए जिस्म की मालकिन थी.
बड़ी मुश्किल से उस रात मैंने अपने आप पर काबू पाया और हम दोनों के बीच थोड़ी बहुत बातचीत हुई और हम लोग सो गए.
एक चुदक्कड़ आदमी के साथ इतनी जवान और कुंवारी लड़की थी, फिर भी कैसे मैंने अपने आपको रोका, ये मैं ही जानता हूँ.
कुछ दिन बाद मेरा बेटा भी अपनी पढ़ाई के लिए बैंगलोर चला गया और घर पर मैं, सुधा और मां ही रह गए.
सुधा घर के काम काज में अच्छे से रुचि लेने लगी.
मां को भी एक सहारा मिल गया और मुझे भी.
हमारे यहां एक काम वाली बाई आती थी, उसके साथ मिलकर सुधा घर के कामकाज को जान रही थी.
ऐसे ही सुधा को आए करीब 15 दिन बीत गए मगर मैंने उसके साथ कुछ नहीं किया.
जनवरी में मेरी मां कुछ दिनों के लिए अपने भाई मतलब मेरे मामा जी के यहां जाने वाली थीं.
वो चली गईं.
अब मेरे पास सुधा को अपना बनाने का सही मौका था.
जिस दिन मां गईं, उसके अगले दिन रविवार था और मेरी ऑफिस की छुट्टी थी.
मैंने अपनी कामवाली को कह दिया कि अभी तो केवल हम दोनों ही हैं, तो कुछ दिन की छुट्टी ले ले. मैंने उसी दिन उसे छुट्टी दे दी.
दोपहर को मैंने सुधा से कहा- तैयार हो जाओ, बाजार चलते हैं.
हम दोनों कार से बाजार गए.
एक सुनार के यहां जाकर मैंने सुधा के लिए उसकी पसंद के करीब 2 लाख के गहने खरीदे.
फिर कपड़ों की दुकान से उसकी पसंद की बहुत सी साड़ियां लीं.
खाना भी हम लोगों ने बाहर ही खाया. काफी देर तक मैं और सुधा बाजार में मौज मस्ती करते रहे.
उस दिन उसने मुझसे काफी खुलकर बातें की.
मैं पहले से ही मन बना चुका था कि आज रात इसकी चुदाई करूंगा.
रात करीब 8 बजे हम लोग घर वापस लौट आए.
घर का कुछ काम करके सुधा 9 बजे फुर्सत हो गई. मैं सोच रहा था कि अब सुधा के साथ चुदाई का मजा आने वाला है. उसकी चुत कैसी होगी … क्या खुली हुई होगी या मुझे ही फीता काटना पड़ेगा.
इस सब का जिक्र मैं इस सेक्सी वाइफ की कहानी के अगले भाग में लिखूंगा.
आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
[email protected]
सेक्सी वाइफ की कहानी का अगला भाग: दूसरी बीवी के साथ पहली चुदाई-2