एक गांडू की बहिन का शादी समारोह 

नमस्कार दोस्तों, मैं एक लम्बे टाइम से अन्तर्वासना पर कहानी लिख और पढ़ रहा हूँ. मेरी पहले की दो कहानियों को आप सबने पढ़ा और पसंद भी किया. मैं अजय उर्फ़ कामिनी, मैं क्रॉस ड्रेसर गांडू हूँ. मेरी शादी अंशु के साथ हुई है. शादी से पहले मैं उपिन्दर नाम के लड़के से गांड मरवाता था. उपिन्दर मेरी बीवी का यार भी था. उपिन्दर मेरी बीवी अंशु को मेरे सामने चोदता था. उसने मेरी माँ मालिनी को पटा रखा था और उसे भी मेरे सामने चोदता था. मेरी बीवी ने मेरी बहन शैली को भी उपिन्दर से चुदवा दिया था.

अब मेरी बहन शैली की शादी तय हो चुकी थी.

फिर आ गया वो दिन, शैली की शादी का। हम तीनों वहाँ पहुंचे। तीनों मतलब अंशु उपिन्दर और मैं … हम शैली से मिलने उसके कमरे में गए।
वो लाल लहंगा चोली और ओढ़नी में सजी हुई थी।

पहले मेरी बीवी अंशु ने अपनी ननद शैली को बांहों में भरा, गाल पे चुम्मी ली- अभी ज्यादा कुछ नहीं क्योंकि तेरे कपड़े खराब हो जाएंगे.

फिर उपिन्दर … उसने शैली की छातियाँ ओढ़नी के ऊपर से हल्के हल्के दबाईं- मैं भी आज कुछ नहीं कर रहा … नहीं तो तेरी लिपस्टिक खराब हो जाएगी.
मेरी मम्मी मालिनी बोली- मेरे दोनों दामादों … बिल्कुल चिंता मत करो। थोड़े दिनों में जब ये मायके आएगी, मैं इसे अपने आप तुम्हारे पास ले आऊंगी.
मेरी मम्मी मेरी बीवी अंशु और उसके यार उपिन्दर को अपना दामाद कहती थी.

मेरी बहन शैली बोली- अंशु और उपिन्दर जीजा जी, मम्मी की छोड़ो, मैं मायके आने से पहले आपके पास आऊंगी। मन तो बड़ा था कि जाने से पहले आप दोनों की जांघों के बीच में प्यार कर के जाती, पर अब देर हो रही है और जैसा आपने कहा कि कपड़े और लिपस्टिक खराब हो जाएगी।

मैं और मम्मी शैली को लेकर मंडप में पहुंच गए। शादी की रस्में शुरू हो गयीं।
मैंने देखा कुछ वक़्त तक तो उपिन्दर और अंशु थे वहां … फिर नज़र नहीं आये।

तभी मेरे पास फोन आया, अंशु का था- मेरी रानी, कल रात मेरे आशिक ने मुझे मस्त दो राउंड पेला और तभी हमने फैसला कर लिया था कि आज हम दोनों आपस में नहीं करेंगे। और अब हम दोनों ने थोड़ी शराब पी ली है और मन बहुत कर रहा है। दुल्हन कितनी देर में आएगी हमारे पास?
“उसे तो अभी टाइम लगेगा.”
“तो फिर अपनी मां को भेज दे थोड़ी देर के लिए.”

मैंने मम्मी को बताया कि अंशु और उपिन्दर आपको बुला रहे हैं. और कहा- जल्दी आना, यहां ज़रूरत पड़ सकती है।
मम्मी गयी और थोड़ी देर में वापस आ गयी मुस्कुराती हुई!
मैंने ध्यान से देखा, साड़ी में एक भी सिलवट नही। मैंने धीरे से मम्मी के होंठों पे उंगली फेरी और फिर उंगली को चाटा।

मम्मी ने पूछा- कुछ पता चला?
मैंने जवाब दिया- हाँ … आप दोनों को चूस के आयी हो.

मम्मी बेशर्मी से मुस्कुराई, अपने होंठों पे जीभ फेरी- दोनों पूरी तरह गर्म हैं। शैली की अच्छी सुहागरात रिहर्सल होगी। और अंशु आज बियर पी रही है। कह रही थी आज नहलाऊंगी भी और पिलाऊंगी भी।

तभी मेरे फोन पे एक मेसेज आया- प्रोग्राम और ज़ोरदार होगा!
मैंने पूछा- वो कैसे?
“अंशु का भाई भी आ गया है”
“राजेश?”
“हाँ”
“फिर तो 2/3 घण्टे चलेगा शैली का प्रोग्राम!”

रस्में खत्म होने वाली थी।

मैं निकल गया और जाकर कपड़े बदल लिए। साड़ी पहन के कामिनी बन गयी और उस कमरे में पहुंच गयी।
शादी सम्पन्न हो चुकी थी।

बाहर से कई आवाज़ें आ रही थीं।

फिर मम्मी की आवाज़ आयी- अब तुम लोग जाओ, शैली थोड़ा आराम करेगी, 2 घण्टे में विदाई होनी है.

शैली अंदर आयी, मुझे देखा और “अरे दीदी ये तूने ठीक किया.” और मेरे से लिपट गयी।
“हाँ शैली अब न कपड़ों पे सिलवटें पड़ने का खतरा है, न लिपस्टिक बिगड़ने का!”

मैंने अपनी बहन शैली का लहंगा ऊपर उठाया और उसकी पैंटी उतार दी, फिर चिकनी चूत पे एक भरपूर चुम्बन लिया।
“क्या दीदी बस एक चुम्मी?”
“मेरी बहना, नई नई दुल्हन, सुबह तेरी विदाई होगी और उसके बाद रात को तेरी सुहागरात की चुदाई होगी और अभी विदाई से पहले भी एक रस्म होगी.”
“रस्म, कैसी रस्म?”
“अभी पता चल जाएगा, पहले मैं तेरे चूतड़ों के बीच में लिपस्टिक का निशान तो दे दूं.”

मैंने उसकी गांड से होंठ जोड़ दिए.

और तभी …
पिछले दरवाज़े से घुस कर तीन शख्स उसके सामने आ गए।
सिर्फ ब्रा पैंटी में अंशु, अंडरवियर में राजेश और पूरा नंगा उपिन्दर।

अंशु- साली जी, पति का लण्ड तो कल रात मिलेगा और वो तेरी ज़िन्दगी का मेन प्रोग्राम होगा। और हर प्रोग्राम से पहले रिहर्सल होती है, वो अभी होगी तेरी विदाई से पहले। तेरी दीदी के दोनों पति और उसका बॉयफ्रेंड तेरे पूरे मज़े लेंगे.
“वाह अंशु जीजा जी, मस्त प्रोग्राम बनाया है.”

अंशु- चल बैठ सामने और मेरी जांघों के बीच में मुंह लगा!
शैली अंशु की पैंटी उतारने लगी।
“साली जी ऐसे ही लगा … खुशबू ले जो मेरी कच्छी में से आ रही है.”

शैली ने अंशू की जाँघों के बीच घुस कर मुंह लगाया, अंशु ने उसका सर पकड़ के चेहरा अपनी चूत पे दबाया और खुशबूदार धार शुरू हो गयी; शैली पीने लगी चमकता हुआ चूतामृत।
“पी मेरी रानी, अब तू पवित्र हो कर ससुराल जाएगी.”

उसके बाद …
अंशु ने उपिन्दर का लौड़ा पकड़ा और बोली- मालिनी और कामिनी देखो, मेरे प्रेमी का लण्ड कैसे मचल रहा है। इसके भोग के लिए नई दुल्हन को तैयार करो.

मैं और मम्मी शैली के पास गए। मम्मी ने उसकी चोली और ब्रा उतार दी और मैंने उसका लहंगा। पैंटी पहले ही उतरी हुई थी।

मम्मी ने उपिन्दर से कहा- लीजिए दामाद जी, ये नई ताज़ी दुल्हन पूरी नंगी आपके लिए तैयार है, इसका भोग लगाइए.

उपिन्दर ने शैली को गोद में उठाया और बिस्तर पे लिटा के उसके ऊपर चढ़ गया।
मैं देख रही थी, उपिन्दर ने मेरी बहन को दबोच रखा था, उसकी चूची चूस रहा था और चूत में उंगली कर रहा था।

तभी अंशु बोली- कामिनी मालिनी … तुम दोनों को शर्म नहीं आ रही?
“शर्म क्यों?”
“सिर्फ तुम दोनों पूरे कपड़ों में हो.”
“ओह!”
हम दोनों ब्रा पैंटी में हो गए।

अंशु बोली- अच्छे लोग अपनी बहन बेटी की चुदाई नहीं देखते.
कह कर अंशु ने कच्छी उतार दी, बोली- ऐ मालिनी … आ मेरी चूत को प्यार कर! और कामिनी, तू मेरे भाई का लण्ड चूस के तैयार कर। लेकिन ध्यान से … उसका पूरा प्रोग्राम नहीं करना। उपिन्दर के बाद शैली के ऊपर उसका नम्बर है। उसके लौड़े का पानी तेरी बहन के किसी छेद में जाएगा.

हम दोनों शुरू हो गए।

अभी थोड़ी देर में मेरी बहन की विदाई होने वाली थी और वो उपिन्दर से चूत मरवा रही थी। मैं अपने साले राजेश का लौड़ा चूस रही थी और मेरी मम्मी अपनी बहू/दामाद अंशु की चूत को चाट रही थी।
मुझे दिख नहीं रहा था लेकिन कमरे में चुदाई का माहौल था। शैली की आआह आआह की आवाज़ें आ रही थीं।

थोड़ी देर में राजेश ने मुझे हटाया- और नहीं रानी, तेरे मुंह में नहीं झड़ना, आ जा मेरे पीछे!
कह के वो खड़ा हो गया।
मैं उसके पीछे बैठी और उसके चूतड़ों को चूमने लगी, गांड को चाटने लगी।

उधर उपिन्दर ने शैली की चूत में बरसात की और इधर अंशु भी गीली हो गयी।
मम्मी कपड़े पहनने लगी।
अंशु ने उनकी तरफ देखा तो मम्मी बोली- कोई आ सकता है ना!
“ठीक है.”

मेरा साला राजेश मेरी दुल्हन बहन को पेलने के लिए तैयार था पर शैली ने कहा- थोड़ा आराम कर लूँ … उसके बाद.

तभी दरवाज़ा खटका।
मम्मी गयी- शैली अभी सो रही है, उसे उठाती हूँ और तैयार होने को बोलती हूँ.
कह के दरवाज़ा बन्द कर दिया।

“अब ज्यादा टाइम नहीं है.”
अंशु ने राजेश के कान में कुछ कहा।
वो बिस्तर पे चढ़ गया। थोड़ी देर चुम्मा चाटी, चूचियों का दबाना मसलना फिर उसने मेरी बहन की टांगें उठा के अपने कंधे पे रखीं लौड़े को निशाने पे लगाया और खुली भोसड़ी में पेल दिया और चोदने लगा।

हम चारों खड़े होकर देख रहे थे। अंशु का भाई चोद रहा था, मेरी बहन चुद रही थी, आंख बन्द करके मज़े ले रही थी।
राजेश का इंजन मेरी बहन की चूत में पहले धीरे धीरे फिर रफ्तार से चलने लगा।

और फिर अचानक उसने लौड़ा बाहर निकाला शैली की चूचियों के बीच में रखा उसकी कमर दो तीन बार और हिली और सफेद पानी शैली की छाती पे गिर गया।
अंशु ने मेरी चूची दबाईं और बोली- कामिनी जा, मेरे भाई का वीर्य अच्छे से अपनी बहन की चूचियों पे लगा दे। रात जब उसका पति चूसेगा तो उसे शैली के मायके का स्वाद भी मिलेगा.

तभी दरवाज़ा खड़का तो अंशु बोली- मालिनी, तू दरवाज़े पे रह और देख कोई अंदर न आये!

मैं धीरे धीरे सफेद पानी शैली की छातियों और पेट पे लगाने लगी। बाहर मम्मी किसी से कह रही थी- बस तैयार हो रही है, क्रीम लगा रही है.
यह सुन कर हम सब मुस्कुरा दिए।

“शैली चल बाथरूम में!”
उसे फर्श पे लिटा के अंशु ने उसकी चूत पे अपने सुनहरी मूत की धार छोड़ी।

फिर मैंने उसे पैंटी पहनाई, ब्रा पहनाई।
शैली कपड़े पहनने लगी।

“कामिनी तू भी जल्दी से अजय बन जा, इसे बाहर लेके जाना है न!”
मैं भी तैयार हो गया, शैली भी।

बाहर से मम्मी की आवाज़ आयी- बस बस पानी पी के आ रही है.
उपिन्दर ने शैली के मुंह में लौड़ा घुसा के उसे अपना पेशाब पिलाया।

फिर मैं शैली को लेकर बाहर आ गया।
थोड़ी देर में शैली विदा हो गयी।

शाम तक रिश्तेदार विदा हो गए, राजेश भी चला गया।
बचे हम चार!
मैं, मेरी मम्मी मालिनी, मेरी बीवी अंशु और उसका और मेरा यार उपिन्दर.

उपिन्दर ने मम्मी से कहा- मालिनी तूने आज हमारा बढ़िया काम बनाया, आज पार्टी करते हैं.
मैंने पूछा- पार्टी! किसी बड़े होटल में?
उपिन्दर बोला- बड़े होटल में क्या मज़ा है, पीने खाने का सामान लेके वो शहर के कोने वाले पार्क में चलते हैं। आराम से खाएंगे पिएंगे, थोड़ी देर में जो थोड़े बहुत लोग पार्क में होंगे वो भी चले जाएंगे। उसके बाद वहाँ फूलों के बिस्तर पे तेरी बहन अपने पति से चुदवाएगी और यहाँ हरी नर्म घास पे तेरी मम्मी की सुहागरात मनेगी.

मम्मी की खुशी छलक रही थी- तो सब तैयार हो जाते हैं.

अंशु ने ब्रा और स्कर्ट टॉप पहना बिना चड्डी के, उपिन्दर शर्ट पैंट में, नीचे कुछ नहीं … मम्मी साड़ी में और मैं सलवार कमीज़ में।

हम सारा समान ले कर पार्क में पहुंचे। गाड़ी से उतरने लगे तो अंशु ने कहा- मालिनी साड़ी उतार दे.
“क्या?”
“हाँ, ब्लाउज पेटीकोट में मस्त माल लगेगी और चुदाई में भी आसानी होगी.”
“पर लोग देखेंगे?”
“तो कौन सा तू नँगी होगी.”

मम्मी ने साड़ी उतार दी। बड़ी बड़ी चुचियाँ और हैवी चूतड़, एकदम माल लग रही थी।
हम पार्क में पहुंच गए। वहाँ बस गिनती के ही लोग थे।
आराम से बैठ गए और शराबखोरी शुरू हो गयी।

थोड़ी देर में…

अंशु की स्कर्ट ऊपर उठ गयी थी और मैं उसकी चूत चूस रही थी। उपिन्दर का लण्ड पैंट से बाहर निकल कर मेरी मम्मी के मुंह में घुसा हुआ था।
अंशु ने शैली को फोन मिलाया- और साली जी नया लण्ड ले लिया?
“अरे नहीं अंशु जीजा जी, अभी तो पूरी भीड़भाड़ है. तुम लोग कहाँ हो?
“पार्क में!”

“पार्क में? क्यों? क्या कर रहे हो?”
“तेरी दीदी मेरी चूत चाट रही है और तेरी मम्मी उपिन्दर का लौड़ा चूस रही है.”
“हाय हाय मज़ा आ रहा होगा न … पूरा प्रोग्राम वहीं होगा?”
“हाँ अब यहाँ और कोई नहीं है। अब तेरी मम्मी को नंगी करेंगे। तू वहां चुदवाएगी और तेरी माँ यहां! अब रखती हूँ, चुदाई की शुभ कामनाएं.”

उपिन्दर ने कहा- कामिनी अपनी मम्मी को नंगी कर और इसकी चुचियाँ चूस.

मैंने मम्मी का ब्लाउज ब्रा पेटीकोट और पैंटी उतार दी, घास पे लिटा के उसकी चुचियाँ चूसने लगी। मम्मी अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी।
उपिन्दर बोला- मालिनी अब घोड़ी बन जा!
मम्मी ने पोजीशन ले ली घुटनों और कोहनियों पे, टांगें चौड़ी, चूतड़ फैले हुए और दोनों छेद प्यासे।

और इस से पहले उपिन्दर का लौड़ा निशाने पे लगता, बिजली कड़की, मम्मी का नंगा बदन रोशनी में नहाया और बरसात शुरू हो गयी।
अंशु ने उपिन्दर का हाथ पकड़ा- थोड़ा भीगने दे, तरसने दे.

हम तीनों भीग रहे थे, देख रहे थे मेरी माँ का नंगा जिस्म बारिश में भीग रहा था।

मी मम्मी बोली- आ जाओ उपिन्दर, अब रहा नहीं जा रहा। मैं आज तक बरसात में लण्ड नहीं लिया। आओ मेरा भोग लगाओ.
अंशु ने फुसफुसा के मेरे से कहा- कपड़े उतार और अपनी माँ के नीचे लेट जा!
“क्या अंशु … तुम्हें पता है कि मुझे चूत में घुसाने में मज़ा नहीं आता.
अंशु बोली- घर जा के मैं और उपिन्दर तुझे तेरी पसंद के सारे मज़े देंगे. अभी जो मैं कह रही हूँ वो कर!
“ठीक है!”

मैं नीचे घुसा और मम्मी के चूतड़ पकड़ के अपना लण्ड नीचे से उसकी भोसड़ी में घुसा दिया। हमारे होंठ करीब थे लेकिन वो जुड़ते उस से पहले होंठों के बीच में अंशु का जिस्म आ गया। उसकी चूत मेरे होंठों से जुड़ गयी।
मेरी तो जैसे मुराद पूरी हो गयी।

और मम्मी को भी कुछ कहने की ज़रूरत नहीं पड़ी। अंशु के चूतड़ देख के मम्मी की जीभ उसकी गांड पे फिसलने लगी।

बारिश और तेज़ हो गयी।

और तब एक हीरो की तरह उपिन्दर ने पोजीशन ली लण्ड को मेरी माँ के चूतड़ों के बीच में निशाने पे लगाया और एक करारे धक्के के साथ उसका हथियार मम्मी की गांड में अंदर तक घुस गया।
फिर धुआंधार चुदाई हुई।

मेरी माँ के दोनों छेदों में लौड़े और मुंह पे अंशु की गांड। और मुझे तो और किसी बात से मतलब नहीं था, अंशु की चूत से जुड़े हुए मेरे होंठ उसकी खुश्बू और स्वाद और बरसता पानी, मैं मस्त।

ताबड़तोड़ चुदाई के बाद उपिन्दर ने सफेद फव्वारा छोड़ दिया। अंशु की चूत मेरे मुंह में गीली हुई और बरसात में भीगते हुए हमने मस्त चुदाई का मज़ा लिया।

मम्मी खड़ी होके उपिन्दर से ज़ोर से लिपटी, उसके होंठों का भरपूर चुम्बन लिया और बोली- आज तो मज़ा आ गया दामाद जी!

फिर हमने बारिश में थोड़े थोड़े कपड़े पहन लिए जिस से कोई देखे तो नंगे न दिखें, बाकी कपड़े समेटे और घर को चल पड़े.

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