यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
छाया ने कहा- जब कभी कभी मैं सोई रहती हूँ तब ऐसा लगता है कि मोनू भाई मुझे हाथ लगा रहा है।
मैंने पूछा- तो कैसा लगता है?
उसने थोड़ा शर्मा के कहा- अच्छा लगता है. पर थोड़ा अजीब भी लगता है क्योंकि भाई है न इसलिए।
मैंने कहा- उससे कोई नहीं … बस मौज ले. जैसा मैं कहूंगा वैसा करना।
उसने हां में सर हिलाया।
2 दिन बीत गए, दोनों दिन मैंने गीता को जाकर खूब चोदा जब छाया और मोनू स्कूल जाते।
आखिर वो दिन आ ही गया अब मुझे छाया की चूत के दर्शन होने वाले थे।
मैं नाश्ता करके बाहर से आया ही था कि देखा वो पहले से ही दरवाजे के पास है। मैंने दरवाजा खोल उसे अंदर बुलाया और सीधा अपने कमरे में ले गया।
कमरे में जाकर मैंने उसे ऊपर से नीचे तक अच्छे से देखा। वो एक ढीला सा टॉप और एक ढीली सी शॉर्ट्स पहने हुए थी, बाल गीले थे उसके … शायद अभी नहा के आयी थी।
छाया के चेहरे पे हल्का सा डर और शर्म से गाल लाल हुए पड़े थे।
सबसे पहले मैंने उसे बिठाया और बातें करने लगा। कुछ देर बात करते करते मैंने उसकी जांघों पे हाथ रख दिया और सहलाने लगा। चिकनी चिकनी जांघों पे हाथ फेरते हुए मैं कभी कभी अपना हाथ उसकी शॉर्ट्स में डाल देता। थोड़ा अंदर तक हाथ गया तो मालूम चला कि उसने अंदर कुछ नहीं पहना।
वो भी सिहर गयी थी।
अब धीरे धीरे वो भी गर्म होने लगी थी। उसे उठा के मैंने अपनी गोद में बिठा लिया और उसकी टॉप में हाथ डालकर उसके पेट को सहलाने लगा। साथ साथ उसके गालों और गर्दन को भी चूमने लगा। मैं उसे पहली बार चूम रहा था।
धीरे धीरे मैंने अपना हाथ थोड़ा ऊपर बढ़ाया और उसकी नर्म नर्म छोटी छोटी चूची मेरे हाथ में आ गयी। उसकी सिसकारी निकल गयी। मैं धीरे धीरे उसकी चूची दबाने लगा। चूची दबाते दबाते मैंने अपना हाथ उसकी चूत के ऊपर रख दिया। अंदर हाथ नहीं डाला था इसलिए थोड़ा धीरे उछली थी।
कुछ देर बाद वो दबी सी आवाज में बोली- भ… भ… भइया आप मुझे नाम बताने वाले थे न?
मैंने कहा- हाँ रुक जा … नाम भी बताऊंगा।
ऐसा कहकर मैंने उसकी चूत से अपना हाथ खींच लिया और उसके टॉप को पकड़ के उतारने लगा।
उसने हाथ दबा लिया जिससे टॉप ना उतर सके। फिर भी मैंने थोड़ा जबरदस्ती से उसके टॉप को उतार दिया।
टॉप उतरते ही उसने दोनों हाथों से अपनी चूचियाँ छुपा ली।
मैंने उसके हाथों को उसकी चूचियों पे से हटाया।
गोरा रंग … उसके ऊपर से उसके गोल गोल छोटी छोटी सी चूचियाँ और उन पर लगे गुलाबी निप्पल। मैं उसकी चूचियाँ पकड़ के हल्के हल्के से दबाने लगा। वो हल्की हल्की सी सिसकारी लेने लगी। मैंने उसे बताया- इन्हें चूची कहते हैं और इसपे जो ये गुलाबी रंग के दाने हैं, इन्हें निप्पल कहते हैं। इसे ऐसे दबाने पर बहुत मज़ा आता है।
मैंने उससे पूछा- मज़ा आ रहा है ना?
उसने कुछ नहीं बोला, बस हल्का सा सर हिला दिया।
फिर मैंने कहा- और इस निप्पल को चूसते है तो और ज्यादा मज़ा आता है।
इतना कहते ही मैं उसके गुलाबी निप्पल को चूसने लगा।
15 मिनट मैं उसकी सिर्फ चूचियाँ दबाता रहा और चूसता रहा। उसका हाल बेहाल हो गया था।
उसके बाद मैं उसकी शॉर्ट्स में हाथ डालने लगा तो उसने हाथ लगा के रोक दिया। मैंने उसके होंठों पे होंठ रख दिए और चूसने लगा। पहले वो थोड़ी कसमसाई पर बाद में हल्का हल्का साथ देने लगी।
मैंने उसका ध्यान होंठों को चूसने की तरफ देखा तो झट से अपना हाथ उसकी शॉर्ट्स में डाल दिया। उसकी चूत पूरी गीली हो गयी थी। मैं उसकी गीली चूत सहलाने लगा।
कुछ देर ऐसे ही रहने पर मैंने उसे लिटा दिया और उसकी शॉर्ट्स को उसके बदन से अलग कर दिया। उसकी गीली और गुलाबी और अनछुई चूत मेरे सामने थी। अब तक मैंने जितनी भी लड़कियों के साथ सम्भोग किया था, ऐसे चूत वाली लड़की बहुत काम मिली थी जिनकी चूत उनके चेहरे की तरह सुन्दर थी।
मैंने उसकी टाँगें खोल दी और उसकी चूत को कपड़े से साफ़ किया।
फिर उसे बताया- इसे चूत कहते हैं. इसमें से सू सू करते हैं और इसमें ही लड़कों का होता है न लम्बा सा और मोटा सा … वो डालते हैं।
मैंने उसकी कुंवारी बुर को चूम लिया और जीभ लगा के चाटने लगा और कहा- इसे ऐसा भी करते हैं तो मज़ा और बढ़ जाता है।
वो तड़प कर रह गयी और छटपटाने लगी.
कुछ देर में उसने मेरा सर पकड़ के अपनी चूत पे ही दबा लिया। मैं मजे से उसकी चूत चाट रहा था। उसकी अनछुई चूत लगातार पानी छोड़े जा रही थी। मैं उसकी चूत चाटने के साथ साथ उंगलियों से हल्का हल्का रगड़ भी रहा था।
मैंने अपनी जीभ थोड़ी सी उसकी चूत में डाल दी।
15 मिनट तक मैं उसकी चूत चाटता रहा और वो झड़ गयी। आराम से लेट कर लम्बी लम्बी साँसें ले रही थी। लेकिन मेरा लंड अभी खड़ा ही था।
मैंने अपने कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगे थे। मेरा मोटा लंड उसकी आँखों के सामने था। मैं उसके पास गया और उसका हाथ पकड़ के अपने लंड पर रखा और कहा- इसे लंड कहते हैं।
लंड सुनते ही वो थोड़ी घबरा और शर्मा सी गयी।
मैंने उसे अपने लंड को चूमने को कहा। पहले वो थोड़ा नखरे दिखा रही थी, बाद में लंड को पकड़ के चूमने लगी।
कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- थोड़ा मुँह में लेकर चूस ले।
कुछ देर मेरे लंड और थोड़ा सा मुँह में लेकर चूसने लगी। मगर वो एक ही जगह निप्पल की तरह चूस रही थी। शायद उसे मालूम नहीं था सच में।
मैंने कहा- थोड़ा मुँह ऊपर नीचे करके चूस।
फिर वो धीरे धीरे मेरे लंड को मेरे बताये गए तरीके से चूस रही थी। करीब आधा लंड वो मुँह में लेकर चूस रही थी।
मैंने उसका सर पकड़ के थोड़ा और लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया। वो छुड़ाने की कोशिश कर रही थी पर मैंने उसके सर को मजबूती से पकड़ा हुआ था। उसकी आँखों से लग रहा था जैसे वो अभी रो देगी। उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।
कुछ देर में मैंने अपना लंड उसके मुँह में से निकाल दिया। लंड निकलते ही वो जोर जोर से सांस लेने लगी। मैंने फिर अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और उसके बालों को पकड़ के मुँह को चोदने लगा। मैंने एक झटका देकर अपना पूरा लंड उसके मुँह में डाल दिया।
उसकी तो जैसे सांस ही रुक गयी हो। कुछ देर मैं वैसे ही रहा। थोड़ी देर बाद जब वो थोड़ी शांत हुई तो मैंने अपना लंड आगे पीछे करना शुरू किया।
10 मिनट उसे लंड चुसाने के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और मैं उसके पास आकर बैठ गया और उसकी जाँघें सहलाने लगा। तब मैंने उसकी टाँगें खोल के देखी। उसकी चुत फिर से पूरी गीली हो गयी थी।
मैं फिर से उसकी चूची चूसने लगा और जोर से दबाने लगा। वो बस आँखें बंद करके सिसकारियां ले रही थी।
धीरे धीरे मैंन अपना हाथ उसके पेट पे ले गया और सहलाने लगा। उसकी नाभि के चारों तरफ़ उंगलियाँ फिराने लगा। फिर मैं धीरे धीरे उसके ऊपर आ गया और उसकी दूसरी चूची चूसने लगा। उसके निप्पल को उंगलियों से मसलने लगा।
बीस मिनट उसकी चूची चूसने के बाद धीरे धीरे नीचे आने लगा और उसके पेट पर जीभ फिराने लगा। धीरे धीरे और नीचे आया और उसकी जांघों को सहलाते हुए गीली बुर पर हाथ रखा और हाथ रखते ही जैसे ही उसकी चूत को सहलाया, उसने हल्का सा अपनी कमर को ऊपर उठाया और अपना पानी फिर से छोड़ दिया।
कमर हिला हिला के वो अपना पानी छोड़ रही थी और मैं उसकी बुर सहलाये जा रहा था। मेरा हाथ भी पूरा गीला हो गया था। वो आराम से लेट गयी थी और लम्बी लम्बी साँसें ले रही थी। ठंडी हवा से उसकी बुर का पानी तो सूख गया था और बाकी मैंने कपड़े से साफ़ कर दिया।
वो मेरी तरफ देख रही थी।
मैं उसकी बुर की फाँकें खोल के उसमें जीभ घुसा दिया और चूमने और चाटने लगा। एक मटर के दाने जितना बड़ा छेद था। वो मेरा सर पकड़ के दबा रही थी और सिसकारियां ले रही थी। कुछ ही देर में वो दुबारा गीली हो गयी।
अब मैंने देर न करते हुए अपना लंड उसकी बुर पे लगा के रगड़ने लगा। वो घबरा रही थी। उसकी बुर गीली थी इसलिए मैंने सोचा कि तेल लगाने की जरूरत नहीं है।
मैंने एक झटका दिया। उसके मुँह से अहह की आवाज आई। पर लंड अभी गया नहीं था वो फिसल गया था।
खैर मैंने दुबारा अपने लंड को उसकी बुर के मुँह पर रखा और एक झटका दिया। उसकी दुबारा से आह निकल गई लेकिन मेरा लंड अभी भी अंदर नहीं गया था वो दुबारा से फिसल गया था। उसकी चूत लाल हो गयी थी।
मैंने इधर उधर तेल के लिए नज़र घुमाई तो मेरी नज़र वैसलीन पर पड़ी। मैंने क्रीम को अपने लंड पे लगाया और थोड़ा सा उसकी चूत पे भी लगा दिया। फिर हल्का सा अपने लंड को उसकी चूत पे रगड़ के धक्का दिया और उसका मुँह खुला का खुला रहा गया अभी सिर्फ लंड का टोपा ही उसकी चूत में गया था। उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे थे.
देर न करते हुए मैंने एक और धक्का मारा और करीब दो इंच लंड और उसकी चूत में चला गया।
वो चीख पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गयी मम्मी!
मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया। वो जोर जोर से चिल्लाना चाहती थी। जिसका असर ये हुआ कि उसने मेरा हाथ काट लिया। उसके दांतों के निशान मेरे हाथों पर पड़ गए थे।
मैं कभी उसकी चूचियाँ दबाने लगा तो कभी उसके पेट को सहलाने लगा. कुछ देर ऐसे ही करता रहा तब जाकर वो थोड़ा शांत हुई। मैंने उतना लंड ही अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मैंने देखा कि उसकी चूत पर और मेरे लंड पर खून लगा हुआ है। पर यह बात मैंने उसे नहीं बताई क्योंकि बताता तो वो और डर जाती।
दस मिनट मैं उसे ऐसे ही चोदता रहा। उसे भी मज़ा आने लगा था। मैंने एक और धक्का दिया और 2 इंच लंड छाया की चूत में चला गया। उसकी आँखें बंद हो गयी और दांत भींच लिए।
मैंने थोड़ा सा लंड निकाल के एक तेज धक्का दिया और मेरा पूरा 6 इंच का लंड उसकी चूत में छुप गया था।
मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिये और परमसुख का ऊपर और नीचे दोनों तरफ से आनंद लेने लगा। मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा. उसे भी अब आराम मिला था पर उसकी आँखें अभी बंद थी।
फिर कुछ देर बाद मैंने उसकी दोनों पैर उठा के अपने कंधे पर रख दिया और पहला धक्का दिया ही था तब तक वो दुबारा झड़ गयी। मेरा पूरा लंड और उसकी गांड उसकी चूत के पानी से भीग गया था।
मैंने अपना लंड निकाल लिया और उसकी चूचिया दबाने और चूसने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपने लंड को कपड़े से पौंछ लिया और उसकी चूत और गांड भी पौंछी। उसकी गांड का छेद भी बिल्कुल गुलाबी था।
उसने कपड़े पर खून के निशान देखे तो डर गयी।
मैंने उसे समझाया- पहली बार में खून निकलता है।
फिर वो थोड़ा मुस्कुराई।
मुस्कुराती भी क्यों न … ज़िन्दगी का पहले सुख उसे मिला था।