अन्तर्वासना के सभी साथियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार. मैं आपकी प्यारी सी दोस्त कोमल। धन्यवाद मेरी पिछली कहानी
ताऊ के साथ खेत में रंगरलियाँ
कहानी के प्रकाशित होते ही मुझे ढेर सारे प्यार भरे मेल आए। जिसमें से अधिकतर मेल में मेरी मामी और ताऊ जी के बीच के चक्कर वाली बात पूछी। जिन पाठको को मालूम नहीं हैं मेरी पिछली कहानी पढ़ सकते हैं।
यह कहानी मेरी मामी और ताऊ जी के बीच की है; मेरी मामी की जुबानी:
दोस्तो, मेरा नाम सुदेश है। मैं एक बहुत ही अच्छे फिगर की मालकिन हूं। 5’6″ की हाइट, 36-30-36 का फिगर, दूध सा सफ़ेद रंग, कसा हुआ शरीर, कुल मिलाकर सेक्स का पटाखा।
सूट सलवार में जबरदस्त एकदम सेक्स की मूर्त लगती हूं। जिसको देखते ही छोटे से लेकर बड़े तक सभी के लौड़े पजामे में फंकार मारने लगते हैं।
इतना पढ़ते ही मेरे सभी पाठकों के लौड़े भी शायद फुंकारे मारने लग गए होंगे।
अब मैं ज्यादा समय न लेती हुई कहानी पर आती हूं।
मैं शुरू से ही एक बहुत ही कामुक लड़की थी। शादी से पहले भी मैं कई बार चुद चुकी थी। मेरी शादी घर वालों ने कम उम्र में हरियाणा के ही एक गांव के बड़े जमींदार से कर दी। मेरे पति भी अच्छे खासे गबरू जवान लोंडे थे। खेतों में मेहनत करके शरीर भी अच्छा बनाया हुआ था।
मेरे पति के 6 इंच के मस्त लौड़े ने मेरी सुहागरात को मुझे पूरा संतुष्ट कर दिया। हर एंगल में मेरी चुदाई करी।
ऐसे ही दिन बीतते गए और मुझे अब लंड कि आदत सी हो गई। शादी के 5 साल के अंदर ही मैंने 2 बच्चों को जन्म दिया। पर अभी भी मेरा बदन बिल्कुल कसा हुआ था। मैंने शादी के बाद अभी तक किसी गैर मर्द के बारे में सोचा भी नहीं था। पर कहते हैं ना होनी को कोई नहीं टाल सकता।
बच्चो के जन्म के बाद घर में और जिम्मेवारी बढ़ गई। जिसके चलते मेरे पति ने सारी जमीन पट्टे पर देने की सोची और अपना कोई नया बिजनेस गांव के नजदीक शहर में ही शुरू कर दिया। मेरे पति ने सारी जमीन अपने ही खास दोस्त दिलबाग सिंह (ताऊ जी) को दे दी।
दिलबाग सिंह पहले भी घर आते रहते थे। मेरे पति और वो कभी कभी घर पर ही साथ में पैग लगाते थे। जिसका सारा इंतजाम मुझे ही करना पड़ता था जैसे चखना, ग्लास रखने, मेज़ लगाना आदि। दिलबाग सिंह की नजर शुरू से ही मेरे पर थी और हो भी क्यों न आखिर मैं इतनी सेक्सी जो हूं। वो मुझे घूरते रहते थे और कभी बहाने से मेरे किसी न किसी अंग को छू ही देते थे।
मैं दिलबाग जी के बारे में बताऊं तो एक अच्छे खासे लंबे चौड़े देसी जाट, कुर्ते पजामे और लंबी मूछें उनका और रौब बढ़ा देती हैं। लगभग 6 फुट से भी ज्यादा हाइट और 1 क्विंटल के लगभग वजन होगा।
उनके बारे में बहुत सुन रखा था कि ये बहुत ही रंगीन मिजाज के आदमी हैं और अभी तक न जाने कितनी औरतों और लड़कियों को चोद चुके हैं। जिनमें से कुछ मेरी पड़ोसन सहेली भी थी।
मेरा भी मन अभी मेरे पति से भरने लगा था और मैं अब उनके साथ सेक्स करते टाइम कुछ बोर महसूस करने लगी थी।
एक दिन मेरे पति बिजनेस के काम से ही बाहर गए थे। उस दिन दिलबाग सिंह घर पर आ गए। उन्होंने बाहर से आवाज लगाई तो मैंने आकर दरवाजा खोला। यहीं कोई रात के 8 बजे का समय होगा।
मैंने उन्हें बताया कि मेरे पति तो बाहर गए हुए हैं।
यह सुनते ही वो मायूस सा चेहरा करके वापिस जाने के लिए मुड़ने लगे।
मैंने उनसे काम पूछा तो वो बोले- आपको तो मालूम ही है।
मैं समझ गई कि ये पैग का प्रोग्राम बना के आए थे।
मैंने एक जिम्मेदार महिला की तरह उन्हें घर में इनवाइट किया- आप अंदर बैठ के पैग लगा सकते हैं, मुझे कोई परेशानी नहीं है।
वो इस बात पर खुश हुए और अंदर बैठक में जाकर बैठ गए।
मैंने थोड़ी ही देर में मैंने मेज़ लगा दी और चखने के लिए सलाद काटकर दे दी। मैंने देखा कि आज वो मुझे कुछ ज्यादा ही खुलकर घूर रहे हैं क्योंकि आज मेरे पति नहीं थे।
सारा इंतजाम करने के बाद मैंने उनसे कहा- अगर कुछ भी चीज चाहिए तो आवाज लगा लेना, मैं बगल वाले कमरे में ही हूं।
वो बड़ी प्यार भरी नजरों से मेरी ओर देखते हुए कहने लगे- भाभी जी, आपको तो जानते ही हैं मुझे अकेले पैग लगाने की आदत नहीं है। तभी मैं भैया जी के पास पैग लगाने आता हूं। आपको अगर परेशानी न हो तो मेरे पास बस केवल बैठी रह सकती हो। आज भैया नहीं हैं. प्लीज़ भाभी जी।
उसने बहुत ही रिक्वेस्ट भरे अंदाज में कहा जिससे मैं मना नहीं कर पाई और उनके साथ बैठने के लिए राजी हो गई।
अब स्थिति ये थी कि टेबल के एक और कुर्सी पर वे बैठे हुए थे और उनके साथ वाली साइड पर ही मेरी कुर्सी थी। उन्होंने पहले थोड़ा सलाद वगैरा चख के पैग का दौर शुरू कर दिया और साथ में ही बातों ही बातों में मेरी तारीफ कर रहे थे। जैसे कि भाभी आप बहुत ज्यादा सुंदर हैं, भैया कितने किस्मत वाले हैं जिसको इतनी प्यारी बीवी मिली अगैरा वगैरा.
मेरी तारीफ पर तारीफ किए जा रहे थे।
सच पूछो तो अपनी तारीफ सुनकर मुझे भी मज़ा आ रहा था. आखिर हर महिला की यही ख्वाहिश होती है कि कोई उनकी खुल के तारीफ करे। मैं भी उनकी हां में हां में मिला के उनकी बातों का आनंद ले रही थी।
मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी। मैं सलवार के नीचे पैंटी कम ही पहनती हूं जिससे पानी का साफ पता चल रहा था।
वो धीरे-धीरे कुछ ज्यादा ही खुलकर मेरे अंगों की तारीफ करने लगे। लगभग पौने घंटे तक उन्होंने आधे के करीब बोतल गटक ली। अब उन्हें कुछ ज्यादा ही नशा होने लगा था. या पता नहीं वो नशे में होने की एक्टिंग की रहे थे।
अब वो खुलकर नशे की हालत में बोल रहे थे- वाह भाबी जी, क्या मस्त फिगर है आपका! ये गोल मटोल चूचे, भोला सा चेहरा, मस्त पिछ्वाड़ा! पता नहीं भैया आपको छोड़ के कैसे चले जाते हैं. अगर आप मेरी पत्नी होती तो मैं एक भी दिन बाहर नहीं जाता।
मैंने अब उनकी नशे कि हालत को देखते हुए उधर चलना ही उचित समझा।
मैं जैसे ही उठने वाली थी कि उससे पहले ही दिलबाग जी पेशाब के लिए उठने लगे और एक दो कदम चलते ही वे नशे में फर्श पर बड़ी जोर से गिर गए।
उनसे उठा भी नहीं जा रहा था। मैं उनको उठाने की कोशिश करने लगी पर वो इतने भारी थे कि नाकामयाब रही और मेरा बैलेंस बिगड़कर मैं उनके ऊपर जा पड़ी।
उनके दोनों हाथों में मेरी दोनों चूचियां आ गई। उन्होंने जान बूझकर मेरी दोनों चूचियों को इतनी जोर से दबाया कि मेरी एक जोर की चीख निकल गई। शायद बाहर तक भी आवाज गई होगी।
मैंने जैसे तैसे करके उनको सहारा देते हुए उठाया। उनका एक हाथ मेरी गर्दन के ऊपर से होते हुए मेरी चूची पर आ गया। उन्होंने फिर से मेरी चूची को दबा दिया।
मैं उनको बेड की तरफ लेके जा रही थी जिस बीच उन्होंने मेरे चूचे को कई बार दबाया।
जैसे ही बैड के करीब पहुंचे ही थे कि फिर से बैलेंस बिगड़ गया और मैं बैड पर जाकर गिरी और मेरे ऊपर दिलबाग जी आकर गिरे। रे दोनों चूचों के नीचे दिलबाग जी के हाथ थे और उनका खड़ा लंड मुझे मेरी गांड पर महसूस हो रहा था। मैं उठने को कोशिश करने लगी तभी दिलबाग जी ने मेरी चूचों को इतनी जोर से भींचा की मेरी हालत खराब हो गई और दर्द के कारण मैं फिर से उनके हाथों में आ गई।
वो बोले- रुक भोंसडी की … जाती कहां है.
और ये कहते हुए एक हाथ बाहर निकालकर सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत और गांड में अपनी उंगलियां डालकर दोनों को बहुत जोर से दबा दिया।
आननद की एक लहर मेरे पूरे शरीर में दौड़ गई। अब वो एक हाथ से चूचे दबा रहे थे और एक हाथ से मेरी चूत और गांड सहला रहे थे और गर्दन पर किस किए जा रहे थे।
वे बीच बीच में कान के पीछे वाली जगह को भी जीभ से चाट रहे थे और कान को हल्का हल्का काट रहे थे।
धीरे धीरे अब मेरा विरोध कम होता जा रहा था।
उन्होंने अपनी बाजुओं को ताकत का कमाल दिखाते हुए पीछे गर्दन की तरफ से मेरे कमीज को फ़ाड़ दिया और ब्रा के हुक को भी तोड़ दिया। और फिर झुककर अपने दांतों का कमाल दिखाते हुए सलवार के नाड़े को तोड़ दिया।
अब उन्होंने अपना मुंह मेरी चूत पर लगा दिया और जोर जोर से चाटने लगे।
सच बताऊं तो आज तक किसी ने मेरी इतने अच्छे ढंग से चूत नहीं चाटी होगी। वे अपनी खुरदुरी जीभ को पूरे अंदर तक घुमा के लेकर जाते। मेरी सांस ऊपर की ऊपर ही रह जाती।
मैं इतने आनंद में डूब चुकी थी कि मैं विरोध करने की हालत में ही नहीं थी। मैं भूल गई की मैं किसी किसी गैर मर्द की बांहों में हूं।
मेरे हाथ अपने आप पीछे से होते हुए दिलबाग जी के सिर पर चले गए। मैं उनको और अपनी चूत में दबाने लगी।
मैं आनंद के सागर में गोते लगा रही थी और मैं जोर जोर से ‘आंह ऊऊह … प्लीज़ जोर से चाटो … प्लीज़ और जोर से चाट ले … भोंसड़ी के आज से ये तेरी ही है!’ चिल्लाने लगी।
उनके सामने मैं 5 मिनट भी नहीं टिक पाई और बहुत जोर जोर से उन्हें गाली देते हुए झड़ने लगी। मैं खुद हैरान थी आज तक इतनी जल्दी मैं कभी नी झड़ी।
उन्होंने चाट चाट कर पूरी चूत को साफ कर दिया और सारा पानी पी गए।
अब उन्होंने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। पूरे कपड़े उतारने के बाद उन्होंने मेरे बालों को जोरों से खींचकर मुझे घुटनों के बल कर दिया और आव देखा न ताव सीधा लंड मेरे मुंह में घुसा दिया।
उनका लंड इतना मोटा था कि मुझे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। मुझे खांसी आने लगी और उसके साथ मेरा थूक मुंह से होते हुए मेरे चूचों तक बहने लगा। मेरी बिल्कुल बुरी हालत हो चुकी थी। मुझे सांस लेने में भी बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी।
उन्होंने मेरे पर कुछ दया दिखाते हुए अपना लंड मुंह से निकाल दिया। जब जाकर कहीं मेरी सांस में सांस आई। उन्होंने अपना पूरा हक जताते हुए मुझे बेड पर झुका दिया जैसे मैं उनकी घर वाली या कोई रखैल हूँ।
उन्होंने पीछे से ही मेरी चूत पर लंड रखकर एक ही झटके में पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया। मुझे पहली बार एहसास हुआ कि चुदाई का असली दर्द क्या होता हैं। इतना दर्द तो मुझे सील टूटते टाइम भी नहीं हुआ था।
उनका लंड इतना मोटा था कि मेरी चूत की सारी खाल चीर कर रख दी।
मैं दर्द के मारे बहुत जोर जोर से रो रही थी और उससे रिक्वेस्ट कर रही थी- प्लीज़ छोड़ दे भोसड़ी के … फ़ाड़ दी मेरी चूत … प्लीज़ निकाल ले।
उन्होंने एक ही झटके में लंड मेरी चूत से निकाल दिया पर शायद मैं आने वाले दर्द से बेखबर थी।
मुझे एक झटका लगा और एक असहनीय दर्द के साथ मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। उन्होंने मेरी अनचुदी गांड में एक झटके में ही आधे से ज्यादा लौड़ा घुसा दिया था।
कम से कम 5 मिनट बाद मुझे होश आया।
वो अभी भी मेरी गांड में झटके मार रहे थे। मेरा दर्द अब कम हो रहा था और मैं अपनी गांड को उठा के चुदने लगी।
वो कभी मेरी चूत तो कभी मेरी गांड में लंड घुसा देते थे।
पता नहीं क्या खाके आया था भोसडी का … उसने मुझे हर पोजिशन में उठा उठा के, पटक पटक कर चोदा, मेरी चूत और गांड का दिवाला निकाल के रख दिया।
मैं अभी तक तीन बार झड़ चुकी थी। पर वो मर्द का बच्चा झड़ने का नाम ही नहीं के रहा था। मैं अब रहम की भीख मांग रही थी तो उसने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा दी। मेरी तो जान हलक में आ गई।
वो आखिरी के 15-20 झटके मुझे मेरी नाभि तक महसूस हुए। वो इतना झड़े कि मेरी चूत में जैसे सुनामी सी आ गई हो।
झड़ने के बाद उन्होंने अपने कपड़े पहने और चुपचाप वहां से चले गए।
मैं उसी हालत में फर्श पर पड़ी रही।
सुबह 5 बजे मेरी नींद खुली तो मुझसे चला भी नहीं जा रहा था। मैंने जैसे तैसे करके कपड़े समेटे और बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया।
बहुत कठिनाइयों के बाद मैंने रूम साफ किया ताकि किसी को शक न हो।
मैंने बुखार का बहाना बनाते हुए पूरा दिन रेस्ट किया। किसी को कुछ पता नहीं चला.
पर उस चुदाई के बाद तो जैसे मेरी चूत में आग लग गई। मैं उसके लंड की दीवानी हो गई थी। अब दिलबाग जी भी अक्सर घर आने लगे। जिस दिन मेरे पति घर पर कोई नहीं होते थे, उस दिन हम पूरी रात चुदाई करते थे।
उन्होंने अपने दोस्तों से भी मुझे चुदवाया। मेरे बच्चे भी बड़े हो गए, मेरे लड़के की अभी शादी हुई थी। हम अब तक चुदाई के मज़े लेते हैं।
मेरी बेटी अंकिता बहुत ही ज्यादा खूबसूरत हैं मेरी तरह। वो जैसे जैसे बड़ी होने लगी दिलबाग जी की नजर उस पर भी रहने लगी।
उन्होंने एक दिन मेरी मस्त चुदाई करी और बदले में अंकिता की चुदाई की मेरे से फरमाइश की।
मैंने भी ये सोचते हुए कि ‘साली को एक दिन तो चुदना ही है. क्यों न वह भी एक असली बांके मर्द से अपनी सील तुड़वाए।’
यह सोचते हुए मैंने दिलबाग जी को प्रोमिस कर दिया।
परंतु भाग्य में कुछ और लिखा हुआ था। मेरे बेटे की शादी में मेरी भांजी कोमल आई हुई थी जो मुझसे और अंकिता से भी बहुत ज्यादा सेक्सी है। खेत में कोमल को देखकर दिलबाग जी का मन फिसल गया। उनका मेरे पास फोन आया और वे कोमल के बारे में पूछने लगे।
उन्होंने मुझसे कहा- तू कैसे न कैसे करके कोमल को एक बार प्लीज़ अकेले खेतों में भेज दे।
और आप लोगों को तो पता ही है … मैं उसकी रण्डी जो ठहरी और कोमल को बहाने से खेत में भेज दिया।
आगे की कहानी आप लोगों ने पिछली कहानी में पढ़ ही ली होगी कि दिलबाग जी (ताऊ जी) और कोमल के बीच क्या क्या हुआ।
बाद में अपनी बेटी अंकिता को मैंने दिलबाग जी से चुदवाया।
वो कहानी फिर कभी कोमल को लिखने के लिए बोलूगी।
तो मेरे प्यारे दोस्तो, आपको कैसी लगी मेरी ये दिलबाग जी की रण्डी बनने की कहानी। आपकी प्यारी दोस्त सुदेश से अगर कोई गलती हो गई हो तो प्लीज़ माफ कर देना। आप मेरी प्यारी भांजी कोमल को [email protected] पर बताये। आप मेरी प्यारी भांजी कोमल से फेसबुक पर komal advicer पर भी कांटेक्ट कर सकते हैं।