एक परिवार की चुदाई कर बना सांड-2

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

एक परिवार की चुदाई कर बना सांड-1

एक परिवार की चुदाई कर बना सांड-3

हिंदी चूत की अन्तर्वासना कहानी में पढ़ें कि मेरी भाभी ने मेरा हाथ चूत पर देखा तो वे मेरी चुदास को समझ गयी. फिर भाभी ने मेरे साथ लेस्बियन सेक्स करके मुझे मजा दिया.

मेरे हाथ की एक उंगली मेरी चूत को रगड़ रही थी. भाभी फिर मेरी चूचियां सहलाने लगी. परंतु इस बार मैं कुछ नहीं बोली और मैंने आंखें बंद कर ली.
मुझे मजा लेती देख भाभी ने अपना एक हाथ स्कर्ट के ऊपर से मेरी चूत पर रख दिया और बोली- ननद जी यह उम्र ही ऐसी होती है. इस उम्र में लण्ड की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस होती है.

अब आगे की हिंदी चूत की अन्तर्वासना कहानी:

तीन चार दिन के बाद मैंने देखा कि बाड़े में एक बिल्कुल नया छोटी उम्र का ताजा ताजा जवान हुआ भैंसा ले आया गया. उस भैंसा की हरकतों और चुस्ती से पता लग रहा था कि इसमें काफी दम है. वह बाड़े के चक्कर लगाते हुए बार बार अपने लण्ड को झटके मारता रहता था.

दो तीन दिन के बाद जब मैं, भाभी और दादी कमरे में बैठे थे तो भैंसा के लिए एक भैंस को लाया गया जो कई बार ब्याई हुई थी, और उस भैंसा से उम्र में बहुत बड़ी थी.

जैसे ही भैंस बाड़े में आई भैंसा उसकी तरफ लपक कर गया, उसको पीछे से सूंघा और सूंघते ही भैंसा ने अपने लंड को दो तीन झटके दिए और छपाक से भैंस के ऊपर कूद गया.
और देखते ही देखते अपना पूरा लंड चूत में बैठा दिया और इतने झटके मारे, इतने झटके मारे कि भैंस के पीछे वाले पाँव उखड़ने लगे थे.

लगभग 10-12 झटकों के बाद साँड ने अपनी हरकत बंद की और भैंस की चूत में अपने वीर्य की धार बहा दी और जैसे ही लंड बाहर निकाला भैंस की चूत से गरल गरल कर ढेर सारा वीर्य और पानी बाहर आया.

दादी के मुंह से निकल गया- यह हुई ना बात.
मैं भी मुस्कुरा दी और भाभी भी मुस्कुरा दी.

मैंने दादी से पूछा- लेकिन दादी ये भैंस तो उम्र में इस साँड से बहुत बड़ी है, इसकी तो माँ जितनी होगी?
दादी बोली- बेटी, नर और मादा में उम्र नहीं देखी जाती केवल चुदाई की इच्छा देखी जाती है. बूढ़ा जवान को चोद सकता है और जवान बूढ़ी को चोद सकता है. बस चुदने और चोदने वाले तैयार होने चाहिए.

भाभी कहने लगी- मां जी, आप भी ना पूरी रसिया हो.
दादी मुस्कुरा कर उठ गई और बोली- मैं जा रही हूँ, तुम मज़ा लो.

दादी दरवाजे तक ही गई होगी कि भैंसा ने फिर जंप लभैंसा और भैंस को तेजी से चोदना शुरू किया. साँड अपने अगले पांव से भैंस को अपनी तरफ खींच खींच कर उसकी चूत में झटके मार रहा था और भैंस आंगन में चुपचाप खड़ी चुद रही थी.

10 12 झटकों के बाद साँड ने फिर अपने वीर्य से भैंस की चूत को भर दिया. जब साँड नीचे उतरा तो मैंने ध्यान से देखा कि उसका एक फुट से भी ज्यादा लंबा लण्ड धीरे- धीरे बाहर निकला और फिर गरल गरल कर ढेर सारा वीर्य चूत से बाहर गिरा.

मुझे यह सब देखने में इतना आनंद आ रहा था कि मैं सोच रही थी कि किसी तरह एक लंड मेरी चूत में घुस जाए तो आनंद आ जाए.
मेरे गाल और कान एकदम लाल हो गए थे और मेरा हाथ रह- रहकर होंठों से होता हुआ मेरी चूत पर जा टिकता था.
मैं यह बार बार देख रही थी. मेरी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी जिससे मेरी सलवार का चूत के ऊपर का हिस्सा भी गीला हो गया था.

भाभी मेरी मन की स्थिति समझ गई थी. उन्होंने उठकर दरवाजे की कुंडी लगाई, बेड के ऊपर अपनी टांगें चौड़ी की और मेरी पीठ अपनी छाती की तरफ करके मुझे बांहों में लेकर बैठ गई और मेरी दोनों चुचियों को पकड़ लिया.

मैंने भाभी को कहा- यह क्या कर रही हो भाभी?
भाभी कहने लगी- कोई बात नहीं, मुझे मालूम है भैंस की तरह तुम भी गर्म हो गई हो, वैसे तो मैं भी गर्म हो गई हूँ. चलो मैं तुम्हें ठंडा करती हूँ.

तब भाभी ने मेरी चूचियों और चूत को रगड़ना शुरू किया. उन्होंने मेरी सलवार का नाड़ा खोला और मेरी गर्म कोरी चूत को अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया.

जैसे ही उन्होंने अपनी बीच की उंगली मेरी चूत के छेद पर लगाई, मैंने जोर से सिसकारी ली और बोली- भाभी, क्या कर रही हो?
भाभी ने मेरी बात नहीं सुनी और अपनी उंगली मेरी चूत में करती रही.

हम दोनों ही इस पोजीशन में बैठी थी कि भैंसा और भैंस हमें साफ दिखाई दे रहे थे.
भैंसा इतना मस्त और जवान था कि उसने तुरंत भैंस के ऊपर फिर छलांग लगाई और तेजी से अपना लंड भैंस की चूत में घुसा दिया. जैसे ही भैंसा ने भैंस की चूत में झटके मारने शुरू किए, भाभी ने मेरी चूत में अपनी उंगली तेजी से चलानी शुरू कर दी और जब तक भैंसा ने अपना काम खत्म किया, जिंदगी में पहली बार मैं भाभी की उंगली से स्खलित हो गई.

उसके बाद भाभी ने मुझसे कहा- चल ऐसे ही तू कर अब मेरे साथ.
मैंने भाभी से पूछा- भैया के साथ नहीं करती क्या?
भाभी कहने लगी- रानी, सच तो यह है कि जब दिल करता है उसी वक्त लण्ड चाहिए, बाद में तो सब ठंडा हो जाता है और वैसे भी तुम्हारे भैया तो अब महीनों महीनों नहीं करते हैं. और अपने काम की टेंशन में ही पीठ फेर कर सो जाते हैं.

यह कहकर भाभी ने अपनी साड़ी ऊपर उठाई. मैंने देखा, भाभी की एकदम साफ़ पकौड़ा सी चूत पानी छोड़ चुकी थी.

जैसे ही मैंने भाभी की चूत को छुआ भाभी के मुंह से सिसकारी निकल गई.

और तभी दादी ने भाभी को आवाज लगाई- बाहर आ जाओ, रसोई में काम है.
भाभी एकदम उठी और मुझसे बोली- चलो मेरी तो किस्मत ही ऐसी है, पर तुम्हारा तो हो ही गया.

भैया उन दिनों अपने बिजनेस के सिलसिले में घर से बाहर गए हुए थे. अतः भाभी जाते हुए मुझे बोली- ठीक है रानी, मैं जा रही हूँ, आज रात को इकट्ठे सोएंगे.
मैं भी मस्ती में आकर भाभी की तरफ देखकर मुस्कुरा दी और भाभी के जाने के बाद मैं दरवाजा बंद करके फिर भैंस और भैंसा की चुदाई को देखने लगी.

यह भैंसा ऐसा था जैसे कोई 20- 22 साल का जवान लड़का होता है! जैसे तुम हो!

मैंने देखा आंटी अपनी पशुशाला की बातें बता बता कर चुदासी होने लगी थी और उन्होंने मेरे पट के ऊपर हाथ फिराना शुरू कर दिया.

तो मैंने आंटी से पूछा- फिर क्या हुआ?
आंटी फिर बताने लगी कि उस भैंसा ने उस भैंस को 3-4 घंटे उस बाड़े में रखा और लगभग हर 10 मिनट के बाद उसके ऊपर चढ़ चढ़ कर उसे चोदता रहा. और हर चुदाई में लगभग 15- 20 झटके मारता था और दुनिया भर का वीर्य उसके अंदर छोड़ देता था.
मैं भी उसे देखती रही और अपनी चुचियों और चूत को रगड़ती रही.

रात हो चुकी थी, नौकर भैंस को अंदर ले गया. भैंसा जब भैंस को छोड़ नहीं रहा था तो नौकर ने भैंसा को डंडे मारकर पीछे हटा दिया.

भाभी मुझसे उम्र में 10 साल बड़ी थी. उनका एक बेटा था जो मेरी मम्मी के पास होता था.
रात को खाना खाने के बाद भाभी रसोई का काम समेट कर, दादी और मम्मी को बता कर मेरे कमरे में आ गई और बेड पर लेट गई.

भाभी ने केवल एक गाउन पहना था. वो मुझसे पूछने लगी- फिर भैंस और भैंसा की कितनी चुदाई देखी?
मैंने कहा- भाभी, इस भैंसा ने तो भैंस की लगभग तीन चार घंटे में बीसियों बार चुदाई की और फिर भी उन दोनों का दिल नहीं भरा था. नौकर ने जबरदस्ती डंडे मार कर उनको अलग कर दिया.

भाभी ने मुझे बांहों में ले लिया और मेरे साथ लेट गई. उन्होंने मेरी चूचियां फिर दबानी शुरू कर दी. भाभी ने अपना नाईट गाउन निकाल दिया और एकदम नंगी हो गई और मुझसे कहने लगी- मेरी चूचियों को पियो.
मैं भाभी की चूचियों को पीने लगी.

भाभी ने मुझसे कहा- रानी, अगर मजे लेने हैं तो तुम भी अपने कपड़े निकाल दो.

पहले तो मैं शर्म कर रही थी लेकिन भाभी कहने लगी- अगर शर्म करोगी तो कुछ भी मजा नहीं आएगा.
फिर उन्होंने मुझे बैठा कर खुद ही मेरी स्कर्ट और टॉप को निकाल दिया और मेरे बड़े बड़े मम्मों को हाथों से मसलने लगी.
भाभी कहने लगी- रानी, तुम्हारा शरीर तो चुदने के लिए बिल्कुल तैयार है और तुम तो बड़े से बड़ा लंड भी ठंडा कर सकती हो.

बेड पर भाभी पीठ के बल लेट गई और मुझसे बोली- रानी, एक बार मेरे ऊपर आ जाओ.
मैं भाभी की टांगों के बीच उनकी हिंदी चूत की तरफ चली गई.

अब भाभी ने अपनी टांगें चौड़ी की और मुझसे बोली- अपनी चूत को मेरी चूत के ऊपर जोर जोर से रगड़ो और मेरे मम्मों को चूसो.

भाभी और मेरे शरीर का साइज लगभग बराबर था. बस भाभी थोड़ी भारी थी और उनकी चूत थोड़ी फूली हुई थी जिसमें से एक बच्चा निकल चुका था जिससे भाभी का छेद भी थोड़ा खुला हुआ था.

मुझे अपनी चूत को भाभी की चूत पर रगड़ते हुए बहुत अच्छा लग रहा था.
भाभी ने कहा- जैसे आदमी चोदता है ऐसे झटके मारो.
मैंने कहा- मुझे क्या पता कैसे चोदता है आदमी?
भाभी मुस्कुराई और बोली- अच्छा, चल आ नीचे, मैं तुम्हें चोद कर दिखाती हूं.

उन्होंने मुझे नीचे लिटा लिया और मेरी टांगों को चौड़ा करके अपनी चूत को मेरी चूत पर कुछ देर रगड़ा और अपने भारी चूतड़ों को उठाकर जोर से मेरी चूत पर अपनी चूत को पटक दिया.
कमरे में एक थाप सी सुनाई दी. भाभी के इस एक्शन से मेरी सिसकारी निकल गई.

भाभी लगातार अपने चूतड़ उठा उठा कर अपनी चूत को मेरी चूत पर पटकती रही और मेरी चूचियों और होंठों को चूसती रही.

हम दोनों के मम्मे काफी भारी थे और वे आपस में एक दूसरे के ऊपर रगड़ रहे थे. कुछ ही देर में भाभी हांफने लगी और मेरे ऊपर पसर गई और बोली- अब तू ऊपर आ जा … और जैसे मैंने किया है ऐसे ही मुझे चोद! और साथ साथ कभी कभी मेरी चूत में अपनी उंगली भी चला देना.

भाभी फिर नीचे लेट गई और मैं भाभी के चढ़ गई.
मैंने भाभी की तरह से अपनी चूत को भाभी की चूत पर रगड़ रगड़ कर पटकना चालू किया और बीच बीच में अपनी एक उंगली उनकी चूत के अंदर चलाती रही.

जल्दी ही भाभी अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई. उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे दोनों चूतड़ों के ऊपर से अपनी टांगों को कस लिया जिससे मेरी चूत भाभी की चूत के ऊपर जबरदस्त तरीके से चिपक गई.

भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया था उन्होंने मुझे नीचे उतार दिया और करवट लेकर अपनी एक उंगली को मेरी चूत में डाल दिया.

दिन में उंगली डालने से मेरी चूत में जो दर्द हुआ था अब उतना नहीं हो रहा था और मैं मजा लेने लगी.
भाभी बोली- मजा आ रहा है या नहीं?
मैंने भाभी के कान में धीरे से कहा- जब ऊपर से कर रही थी तो ज्यादा मजा आ रहा था.
भाभी कहने लगी- अभी मैं दो मिनट बाद करती हूँ, जरा बाथरूम हो आऊं.

और भाभी नंगी ही अपनी भारी गांड को मटकाती हुई बाथरूम चली गई और पेशाब करने के बाद चूत को साफ करके बाहर आ गई.

बेड पर आने के बाद भाभी सीधा मेरे ऊपर चढ़ गई और उन्होंने सीधे अपनी एक उंगली मेरे क्लीटोरियस पर दबा दी. जिससे मेरा सारा शरीर आनंद से कांप उठा. मेरे मुँह से आई … आई … आई … भाभी जी क्या कर रही हो? यहां तो बहुत मजा आया.
भाभी कहने लगी- लाडो यह जगह औरत के शरीर में सबसे ज्यादा उत्तेजक होती है.

फिर भाभी ने दो मिनट तक अपनी एक उंगली को मेरी चूत में चलाया और अंगूठे से मेरे क्लीटोरियस को रगड़ती रही. मैं अपने मुंह से तरह तरह की आवाजें निकालती रही.

भाभी ने मेरी टांगें चौड़ी की, मेरे मोटे पटों को थोड़ी देर सहलाया और जिस प्रकार से आदमी औरत को चोदता है उस पोजीशन में आकर अपनी चूत को मेरी चूत पर लभैंसा और रगड़ना शुरू कर दिया.

मैंने भाभी से कहा- भाभी, थाप मारो ना.
भाभी ने अपनी चूत को मेरी हिंदी चूत के ऊपर पटकना शुरू किया और साथ ही एक हाथ से मेरे एक मम्मे के निप्पल को अपनी अंगूठी और उंगली से रगड़ने लगी और दूसरे मम्मे को मुंह में लेकर चूसने लगी.

मुझे बेहद आनंद आ रहा था. मैं भी नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर भाभी की चूत की तरफ पटकती रही.
कुछ ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैंने भी भाभी को जोर से उनकी पीठ से पकड़कर और उन्हीं की तरह से अपने पांव की कैंची बनाकर उनके चूतड़ों के ऊपर से ले जाकर भींच लिया.

हम दोनों के शरीर पसीने पसीने हो गया था और हम दोनों ही चरम आनंद पर पहुंचकर साथ साथ लेट गई.

भाभी मुझसे कहने लगी- रानी, कैसा लगा, मजा आया?
मैंने कहा- भाभी बहुत मजा आया? क्या भैंस को भी ऐसा ही मजा आता होगा?
भाभी बोली- पागल, भैंस को तो और भी ज्यादा मजा आता है क्योंकि उसके अंदर तो एक फुट लंबा लंड भी जाता है.

मैंने भाभी से पूछा- भाभी आप हर रोज चुदाती हो क्या?
भाभी- शादी के शुरू शुरू में तो हर रात दो बार और दिन में एक बार मेरी चुदाई होती थी लेकिन फिर धीरे धीरे कम हो गया और बच्चा होने के बाद तो लगभग महीने दो महीने में और अब तो छः छः महीने हो जाते हैं, जबकि मेरा तो अभी भी हर रोज दिल करता है.

भाभी और मैं फिर आपस में लिपट गयी और एक दूसरी के अंगों को छेड़ने लगी और न जाने हमें कब नींद आ गई.

मेरे प्यारे दोस्तो, सखियो, आपको मेरी इस हिंदी चूत की अन्तर्वासना कहानी में पूरा मजा आ रहा होगा ना?
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हिंदी चूत की अन्तर्वासना कहानी जारी रहेगी.