यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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चुदाई इंडियन हॉट चूत की पढ़ें कि कैसे भाभी की मामी ने अपनी छोटी सेक्सी बेटी को मेरे साथ मेरे कमरे में सोने के लिए भेज दिया. उस गर्म चूत का मजा मैंने कैसे लिया?
आंटी कहने लगी- राज, तुम चलो ऊपर, गीतिका थोड़ी देर में तुम्हारा दूध लेकर आ जाएगी.
मैं मन ही मन खुश होकर ऊपर आ गया और गीतिका की चूत सारी रात चोदने को मिलेगी, यह सोच सोच कर रोमांचित हो रहा था.
अब आगे की चुदाई इंडियन हॉट चूत की:
कुछ ही देर में गीतिका हाथ में एक गाउन और एक ट्रे में दूध का लोटा और कुछ ड्राई फ्रूट लेकर कमरे में आ गई.
कमरे में आते ही गीतिका मुस्कुराई और मैं बेड से खड़ा हो गया. मैंने एक चादर ली और उसको नीचे बिछाने लगा तो गीतिका ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगी- अभी रुक जाओ पहले मेरी कमर का दर्द तो ठीक करो, और यह नीचे सोने की क्या तैयारी करने लगे?
यह कहते ही गीतिका ने अपने हाथ उठाकर एक जबरदस्त अंगड़ाई ली और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी कमर पर रख लिया.
मैं समझ गया था लेकिन शुरुआत मैं गीतिका से ही करवाना चाहता था इसलिए मैंने गीतिका के कमर और पेट पर हाथ फिराना शुरू किया.
गीतिका के पीछे था मैं … उसने अपने दोनों हाथ पीछे करके मेरे दोनों हाथों को पकड़ा और आगे से अपने पेट के ऊपर रख लिया.
मेरा लंड लोअर मैं खड़ा हो चुका था.
जैसे ही मैं गीतिका के करीब गया सबसे पहले मेरा लौड़ा उसके चूतड़ों से टच हुआ और गीतिका ने एकदम अपने चूतड़ों को मेरी जांघों के ऊपर रगड़ दिया.
अब हमारे बीच झिझक खत्म हो चुकी थी. मैंने अपने दोनों हाथ गीतिका के दोनों मम्मों के ऊपर रख दिए.
मम्मों पर हाथ रखते ही गीतिका सिसकारियाँ भरने लगी. उसने अपनी गर्दन को पीछे करके अपने गाल मेरे गालों से लगा दिए और लंबी लंबी साँसें लेने लगी. मैंने अपने दोनों हाथों को उसके टॉप के अंदर से डाला तो मेरे हाथों में उसकी सुंदर लेकिन पतली ब्रा में कसे हुए दोनों मम्मे हाथ में आ गए.
गीतिका ने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और मैंने भी उसी वक्त उसका टॉप और ब्रा को उसके सिर में से निकाल दिया. गीतिका ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गई थी, उसका गोरा बदन और गदराए पेट के ऊपर दो बड़े बड़े 38 साइज के नुकीले मम्मे अपने निप्पलों को सख्त किये खड़े हो गए जिन्हें मैं मसलने लगा.
गीतिका मेरी तरफ घूम गई.
घूमते ही गीतिका को मैंने अपनी बांहों में उठा लिया और काफी देर तक उसके प्लाजो में उभरी चूत के ऊपर लंड को अड़ाए रखा.
जैसे ही मैंने गीतिका को नीचे उतारा उसने अपना हाथ मेरे लोअर में डाल दिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ते ही एकदम से चीखी- उई मां.. यह क्या है?
और यह कहते ही गीतिका ने मेरे लोअर को नीचे कर दिया और मेरा 8 इंच लंबा और मोटा लौड़ा उसके सामने अकड़ कर फनफनाने लगा.
गीतिका की आंखें फटी की फटी रह गईं. उसने तुरंत मेरे मुंह को पकड़ा और एक जबरदस्त किस कर लिया और मुझसे बोली- वाह! तुम तो कमाल हो.
मैंने कहा- पसंद आया?
गीतिका बोली- वंडरफुल, पहली बार देखा है, ऐसा लौड़ा.
मैंने पूछा- अंदर लोगी?
गीतिका ने लौड़े को अपनी मुट्ठी में दबाते हुए कहा- सारी रात अंदर लूँगी, खजाना हाथ लगा है.
यह कहकर उसने मेरे दोनों कपड़े अपने हाथों से निकाल कर मुझे नंगा कर लिया और अपना प्लाजो उतारने लगी. परंतु मैंने उसे प्लाजो उतारने से रोक दिया.
वह हैरानी से मेरी ओर देखने लगी तो मैंने कहा- अब जो करना है, मैं करूंगा.
गीतिका मस्त हो गई और बोली- ठीक है, आज की रात तुम्हारी रात है, मैं तुम्हारे पास हूँ, जो भी करना है वह कर लो, और मेरे तनबदन की आग बुझा दो.
मैं गीतिका के सामने नीचे जमीन पर बैठ गया और उसकी टांगों को थोड़ा हाथ से चौड़ा किया और उसके टाइट प्लाजो के ऊपर से ही मैंने उसकी उभरी हुई चूत की दरार में अपनी उंगली ऊपर नीचे की.
गीतिका उत्तेजित तो सारा दिन से ही थी, लेकिन मेरी उंगलियों का स्पर्श अपनी चूत के ऊपर पाकर उसकी चूत गीली होने लगी.
तभी मैंने उसके प्लाजो के ऊपर से ही उसकी चूत को अपने मुंह में भर लिया और उसे काटने लगा. गीतिका ने आ … आ … आ … करके मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा लिया और कहने लगी- राज तुम तो ऊपर से ही बहुत मजा दे रहे हो.
मैंने धीरे धीरे गीतिका के प्लाजो को नीचे किया और उसकी नाभि और चूत के ऊपर के हिस्से को अपने हाथ से नर्म नर्म सहलाया.
गीतिका ने नीचे बहुत ही सुंदर नई महंगी प्रिंटेड पैंटी पहन रखी थी. मैंने गीतिका के प्लाजो को उसके घुटनों से नीचे करके निकाल दिया. गीतिका की केले के तने जैसी गौरी मोटी और चिकनी टांगें प्लाजो में से निकल आई.
उसके घुटने और पीछे का भाग इतना सेक्सी था कि मेरा दिल कर रहा था कि अपना लंड इसी में घुसेड़ दूँ.
अब गीतिका मेरे सामने केवल एक कच्छी में खड़ी थी जिसमें से उसकी मोटी चूत की दोनों मोटी फांकें झांक रही थीं. मैंने अपनी उंगली से उसकी फांकों को छुआ.
गीतिका ने एकदम मेरे हाथ अपने हाथों में पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिए. उसका बेहाल होता जा रहा था. गीतिका से रुका नहीं गया और वो बेड पर पसर गई.
मैंने गीतिका की पैंटी में दोनों तरफ अपनी उंगलियां डाली तो गीतिका ने अपने चूतड़ ऊपर उठा लिए और मैंने उसके चूतड़ों और टांगों में से उसकी पैंटी को निकालकर पलंग के एक साइड में फेंक दिया.
अब मेरे सामने जन्नत का वह नजारा था जिसका आसानी से वर्णन नहीं किया जा सकता. गीतिका की चूत लाजवाब थी, एकदम गोरी चिकनी चूत के दोनों उभार बहुत ही सुंदर शेप के थे. उन दोनों उभारों के बीच में गुलाब की सुंदर कोमल और नाजुक दो छोटी पंखुड़ियों के बीच गुलाबी छेद में कामरस की बूंदें चमक रही थीं.
गीतिका की चूत पर कहीं भी कोई काला रंग नहीं था, चूत का गोरा रंग ऐसा ही था जैसे गीतिका के गाल थे. यदि कहीं सुन्दर चूतों का कम्पटीशन होता तो गीतिका की चूत को पहला इनाम मिलता.
आँटी ने गीतिका को जो गर्म गोश्त बताया था, वह बिल्कुल सही था. इस हसीन गदराई हुई जवानी के पूरे जिस्म पर दो उंगल गर्म मांस चढ़ा हुआ था.
मैंने गीतिका से पूछा- तुम्हारे हसबैंड का लण्ड कितना बड़ा है? और तुम्हारी सेक्स लाइफ कैसी है?
गीतिका कहने लगी- यदि मेरे हसबैंड का लण्ड किसी काम का होता या मेरी सेक्स लाइफ रंगीन होती, तो क्या तुम्हें मेरी चूत इतनी साफ और चमकीली मिलती? मेरे हसबैंड का लण्ड नहीं है, उसकी तो लुल्ली है और वह भी मौके पर काम नहीं आती.
मैंने गीतिका की चूत के पास वाली गोरी जाँघ को आपने दाँतों में भर कर पहले चूसा और फिर काट लिया.
गीतिका मजे में चिल्ला पड़ी.
मैंने गीतिका से कहा- गीतिका, मैंने इतनी सुंदर चूत पहले कभी नहीं देखी है.
गीतिका बोली- राज मैंने भी कभी पहले इतना मर्दाना लौड़ा नहीं देखा है, आज तुम इस लौड़े से मेरी चूत की शेप बिगाड़ दो, मैं तुम्हारा एहसान मानूँगी, औरत अपने सारे शरीर को सुंदर रखना चाहती है परंतु वह कभी यह नहीं चाहती कि उसकी चूत की शेप वैसी की वैसी रहे, वह तो चाहती है कि उसकी ठुकाई हो … हो … कर मर्द उसके चिथड़े कर दे, आज फाड़ दो इसको, आओ और चढ़ जाओ इस पर.
गीतिका की सेक्सी बातों से मेरा लौड़ा झटके मारने लगा. मैंने बेड पर चढ़ कर गीतिका की चूत की पोजीशन ली. उसकी टांगों को घुटनों से मोड़ा तो गीतिका की पकौड़ा सी सुन्दर चूत उभर कर मेरे सामने आ गई. उसकी चूत के तंग गुलाबी छेद में चूतरस की बूंदें चमक रही थीं.
मैं अपने पंजों के ऊपर बैठ गया और मैंने अपना लौड़ा हाथ से पकड़ कर फ़ूले सुपारे को गीतिका की प्यासी चूत पर रखा. मैं लौड़े को उसकी चूत के ऊपर और आस पास रगड़ने लगा.
गीतिका की चूत का क्लिटोरियस छोटे अंगूर के दाने के समान तन चुका था.
जैसे ही मैंने अपने सुपारे को क्लिटोरियस पर रखा, गीतिका तड़प गई और बोली- अन्दर करने से पहले ही जान निकाल दोगे क्या?
मैंने थोड़ा झुककर गीतिका की दोनों चूचियों को पकड़ लिया और उसके गर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिये.
जब गीतिका से सहन नहीं हुआ तो बोली- राज, चोदो न, लण्ड को अब अंदर डालो और कितना तड़पाओगे?
मैंने उसी वक्त लंड को चूत के छेद पर दबाया और दबाता चला गया. गीतिका ने आनंद से अपनी आंखें बंद कर लीं. जैसे ही पूरा लण्ड चूत के अन्दर तक बैठा गीतिका की मजे में चीख निकल गई, लण्ड बच्चेदानी में जा घुसा था.
गीतिका के गोरे और मोटे चूतड़ ऊपर उठे हुए थे. मैंने जम कर गीतिका की चूत में अपने लंड से शॉट लगाने शुरू किए. मेरे सामने गीतिका ने चुनौती रखी थी कि मैं उसकी चूत की शेप बिगाड़ दूँ इसलिए मैंने एक ही जगह पर लगभग 5 मिनट तक सौ से भी ऊपर शॉट लगाए. वह भी इतनी तेजी से लगाए कि गीतिका आह … आह … आह … आह … ई ई ई ई ई ई … करती रही.
मैं पूरा लंड ऊपर तक खींचता और धड़ाम से उसकी चूत के ऊपर शॉट मारकर लंड को अंदर घुसेड़ देता. गीतिका मजे से चिल्लाती रही, अपना सिर इधर उधर पटकती रही और गीतिका ने इईई … ईईईई … करते हुए चूत से पानी छोड़ दिया.
और लगभग 5 मिनट की चुदाई के बाद गीतिका के चेहरे पर मुझे संतुष्टि के भाव नजर आए.
मैंने चुदाई रोककर लंड बाहर निकाला और पीछे हटकर गीतिका की चूत की एक मोटी फांक को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा और उसको अपने दाँतों से चबाने लगा.
गीतिका मजे से चिल्लाती रही.
कुछ देर बाद मैंने दूसरी फांक को इसी तरह से मुंह में भर कर चूसा. मैं कभी गीतिका के क्लीटोरियस को चूसता, कभी पूरी चूत को मुंह में लेकर दांतों से काट कर चूसने लगा।
गीतिका आनंद के सागर में गोते लगा रही थी. वह रह रह कर मेरे सिर को पकड़ती और मेरे मुंह को चूत के ऊपर दबा रही थी.
थोड़ी देर में गीतिका फिर से चरमसीमा पर पहुंच गई और उसने अपने पांव सीधे कर दिए।
गीतिका कहने लगी- ओ माय गॉड, इतनी देर में मैं तो चार बार झड़ चुकी हूँ, राज, तुमने तो आज मेरी चूत का भुड़ता ही बना देना है.
मैं गीतिका की चूचियों के ऊपर दाएं बाएं घुटनों को मोड़कर चढ़ गया और अपना लौड़ा गीतिका के मुंह में डाल दिया. गीतिका मजे से लौड़े को चूसने लगी. मैंने गीतिका के दोनों गालों को अपने हाथों में लिया और उसके मुंह में लंड को अंदर- बाहर करने लगा.
कुछ देर में गीतिका की सांस रुकने लगी.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और दोबारा गीतिका की चूत के ऊपर पोजीशन लेकर एक ही झटके में उसकी मुलायम, फूली हुई गोरी चूत के अंदर लण्ड दे मारा.
गीतिका बोली- हाय राज, कितनी बेदर्दी से चोद रहे हो तुम मुझे, मैं तो जिंदगी में पहली बार इस तरह से चुद रही हूँ, कभी भी नहीं सोचा था कि मेरी ऐसी चुदाई कभी होगी?
वो अपने मुंह से तरह- तरह की आवाजें निकलती रही.
लण्ड डाले डाले मैं गीतिका के पेट के ऊपर अपना पेट लगा कर लेट गया और उसकी बड़ी बड़ी सुंदर गोरी चिकनी चूचियों को पीने लगा. मैंने गीतिका की चूचियों के ऊपर चूसने और काटने के बुरी तरह से निशान बना दिए. गीतिका के होंठों को मैंने चूस चूस कर नीला कर दिया।
हमें चुदाई करते हुए आधा घंटे से ज्यादा हो गया था और गीतिका हर पांच सात मिनट के बाद चरमोत्कर्ष पर पहुंच जाती थी. मैंने गीतिका के घुटनों को एक बार दोबारा उसकी चूचियों की तरफ मोड़कर उठाया और फिर से उसकी सुंदर गोरी और मोटी चूत के ऊपर हमला कर दिया और सटासट अपना लौड़ा अंदर बाहर करने लगा.
मेरे लौड़े का सुपारा इतना मोटा था कि जब भी वह बाहर की तरफ आता तो गीतिका की चूत से बहुत सारा रस बाहर निकल कर उसकी गांड के गुलाबी छेद को भिगोता हुआ बेड के ऊपर टपकने लगता.
गीतिका ने फिर से आई … आई … आई … की आवाज निकालनी शुरू कर दी. उस कमरे के अंदर चुदाई और बेड के चरमरने की घमासान आवाज सुनाई दे रही थी, लेकिन जितनी ज्यादा आवाजें आती गीतिका उतनी ही ज्यादा रोमांचित होकर चुदवा रही थी.
मुझे चोदते हुए बहुत टाइम हो गया था इसलिए मैंने पहला सेशन खत्म करने के लिए अपने लौड़े से उसकी चूत में वीर्य की गर्म पिचकारियाँ मारनी शुरू की.
जैसे ही मेरे लौड़े से पिचकारी निकली गीतिका ने आ … आ … आ … आ … उ.. ई ई ई ई … करते हुए अपनी चूत से फिर पानी छोड़ दिया.
मैंने भी गीतिका को उसके कंधों से पकड़कर जबरदस्त तरीके से 5- 6 शॉट लगाए और उसके गालों को जबरदस्त तरीके से काटते हुए उसे अपने शरीर से चिपका लिया.
गीतिका ने आनंद से अपनी आंखें बंद कर रखी थी.
मैंने अपनी गर्दन गीतिका की गर्दन के साथ मिलाकर उसे बहुत देर तक जकड़े रखा. गीतिका ने भी मुझे अपने दोनों हाथों को मेरी कमर पर फैला कर जकड़े रखा.
कुछ ही देर में हमारी पहली चुदाई पूर्ण हुई और गीतिका ने मेरी छाती पर हाथ लगा कर मुझे दूर हटाने की कोशिश का इशारा किया.
मैं गीतिका के ऊपर से उतर कर उसकी साइड में लेट गया.
हम दोनों की साँसें तेज तेज चल रही थी.
लगभग दो मिनट तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद गीतिका ने अपने एक हाथ की उंगलियों को अपनी चूत के ऊपर रखा. गीतिका का पूरा हाथ वीर्य और उसके चूत के रस से भर गया. गीतिका ने हाथ ऊपर उठाकर उसे उंगली से मसल कर देखा और मेरी ओर देखते हुए मुस्कुरा दी.
गीतिका उठकर बेड पर बैठ गई और अपनी टांगें चौड़ी करके चूत की तरफ देखने लगी. चूत में से अभी भी वीर्य बाहर निकल रहा था. काफी सारा वीर्य बेड की चादर पर पड़ा था. बेड की चादर जगह जगह से गीली हो गई थी.
वो बेड से उतरी और जैसे ही बाथरूम की तरफ जाने लगी उसे एकदम चक्कर आया और उसने दुबारा मुड़कर बेड पकड़ लिया.
गीतिका अपनी टांगें चौड़ी करके खड़ी हो गई, उसने मेरी तरफ देखा और बोली- ऐसे भी कोई चुदाई करता है? मेरी तो जान ही निकाल दी आपने!
मैंने कहा- यह तो पहला सेशन है.
गीतिका ने मुस्कुरा कर अपने सिर को झटका दिया और चौड़ी चौड़ी टांगों को फर्श पर टिकाती हुई बाथरूम में चली गई. बाथरूम से शी..शी.. करने की आवाज आई.
उसने अपनी चूत को अच्छी तरह धोया और बाहर आ गई.
उसके बाद मैं भी बाथरूम गया और पेशाब करके बाहर आ गया.
गीतिका ने मुझे दूध का गिलास और ड्राई फ्रूट्स खाने के लिए दिए. दूध पीने के बाद मैं बेड के सिरहाने बैठ गया और गीतिका को उल्टा करके अपनी जांघों में लिटा लिया. गीतिका की मोटी मोटी चूचियां मेरी जांघों में गड़ने लगी. मैं गीतिका की कमर और चूतड़ों पर हाथ फिराता रहा.
मैंने गीतिका से पूछा- गीतिका, सच सच बताना अभी तक एक रात में कितनी बार चुदी हो?
गीतिका कहने लगी- राज, मैं सच बता रही हूँ, मेरे हस्बैंड ने कभी भी एक बार से ज्यादा नहीं किया और जब भी वह चुदाई करते थे तो एक दो मिनट से ज्यादा टाइम नहीं लगाते थे और झड़ जाते थे, यह तो पहली बार ही मैं देख रही हूँ कि कोई आदमी इस तरह से भी चोद सकता है, सच में मेरे लिए यह बहुत ही मजेदार एक्सपीरियंस है.
क्योंकि गीतिका पेट के बल लेटी हुई थी, मैं गीतिका के पीछे आ गया और मैंने उसके भारी सुडौल और गोरे चूतड़ों को काटना और चूसना शुरू किया.
मैंने गीतिका के चूतड़ों को जगह- जगह से काटा और नोचा. उसके गोरे और चिकने पटों पर काटने चूसने के लाल नीले निशान बना दिए.
गीतिका मुझे बिल्कुल भी नहीं रोक रही थी, मैंने गीतिका को घोड़ी बनने के लिए कहा, गीतिका झट से बेड के ऊपर घोड़ी बन गई.
मैंने गीतिका की कमर को जगह जगह से चूमा और उसकी चूत की मोटी फांकों को अलग करते हुए चूत के छेद में अपना मोटे लंड का सुपारा डाल दिया.
अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को जोर जोर से मसलते हुए मैंने चुदाई शुरू कर दी. एक बार दोबारा से कमरा हमारी जांघों की थप थप और बेड खिच खिच की आवाजों से भर गया. साथ ही गीतिका के मुंह से निकलने वाली आह … आह … आह … आह … आह … आह … से कमरे का माहौल सेक्सी हो चुका था. माना कि कमरा बंद था लेकिन कोई भी यदि कमरे के बाहर होता तो वह सब कुछ सुन सकता था.
मैंने तरह तरह से अपने घुटने उठा कर, बेड पर रखकर, बेड पर अपने घुटनों के बल खड़े होकर उसकी चुदाई की.
मैं और गीतिका सुबह 4 बजे तक चुदाई करते रहे. मैंने कभी दीवार के साथ खड़ी करके, कभी अपने ऊपर चढ़ा कर, कभी उसे करवट से लिटा कर, एक टांग को अपने कंधे पर रखकर और भी जितने भी संभोग के आसन मुझे आते थे, मैंने गीतिका को पूरी रात चोद कर पूरा संतुष्ट कर दिया और फिर हम दोनों नंगे ही सुबह 9 बजे तक सोते रहे.
9 बजे जब हम उठे तो गीतिका नंगी थी, उसने ड्रेसिंग टेबल के शीशे में अपने आप को देखा तो उसका सारा शरीर जगह जगह से लाल नीला हुआ हुआ था. एक दो निशान तो उसके चेहरे और ठोडी पर भी थे.
गीतिका कहने लगी- राज ये क्या किया? दीदी और मम्मी के सामने कैसे जाऊंगी?
मैंने जब अपने आप को शीशे में देखा तो मेरे गालों और गर्दन पर भी गीतिका के काटने के बहुत निशान थे, मैंने गीतिका को कहा- ये देखो, तुमने मेरा क्या हाल कर रखा है?
गीतिका की चूत जो बहुत सुंदर और गुलाबी कलर लिए हुए थी वह एकदम नीली हो गई थी. जब गीतिका ने शीशे में अपनी चूत को नीचे झुक कर देखा तो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी और कहने लगी- इसका तो तुमने रंग ही बिगाड़ दिया है, लेकिन यह बताओ कि अब मैं नीचे कैसे जाऊं?
मैंने कहा- मेरे चेहरे पर भी तो कई निशान बना दिए हैं तुमने.
गीतिका कहने लगी- चलो जो होगा देखा जाएगा, लेकिन जिंदगी का मजा एक ही रात में आ गया.
यह कहकर उसने मुझे एक जोर से किस किया, जोर से थैंक्यू बोला और कपड़े पहन कर नीचे चली गई.
जब गीतिका नीचे गई तो उसकी माँ और उसकी बहन सरोज उसे देखकर मन ही मन मुस्करा रही थी.
तभी सरोज मेरे कमरे में आई और मुझसे कहने लगी- सुनाओ राज! रात कैसी रही, मेरी बहन कैसी लगी?
मैं बोला- भाभी एकदम हॉट, लेकिन आपसे कम.
तो भाभी- चल झूठे!
और मैं मुस्कुरा दिया.
भाभी- कितनी बार ली?
मैं- सारी रात चुदाई चली है, हम चार बजे सोये थे.
मैंने कहा- भाभी, वो आप कह रही थी कि चूतों की लाइन लगवा दूँगी और औरतें अपनी कच्छी हाथ में ले कर खड़ी रहेंगी, उसका क्या रहा?
भाभी- तुम तो बड़े चोदू निकले. अभी तो गीतिका एक हफ्ता यहीं पर रुकेगी, पहले उसकी तो तसल्ली करवाओ? दूसरी भी मिल जाएंगी.
मैं एक ही परिवार की पांच चूतें चोद चुका था. आँटी दो दिन रुककर चली गईं. जाने से पहले एक बार फिर से मौका लगाकर आँटी मेरा लौड़ा अपनी चूत में ले गई.
गीतिका लगातार एक हफ्ते तक रात को मेरे कमरे में मेरे साथ सोती रही और चुदती रही. उसके जाने के बाद बाकी तीनों चूतों को मैं चोदता रहा. बीच बीच में लगभग एक हफ्ते में गीतिका भी चक्कर लगा जाती थी.
पाठको, चुदाई इंडियन हॉट चूत की कैसी लगी आपको? यह कहानी मैं यहीं पर समाप्त कर रहा हूँ. मेरी कहानी को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद.
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