दोस्तों अन्तर्वासना में मेरी सेक्सी स्टोरी का मस्ती भरा पहला भाग
फ्रेंड के ससुर से चुदवा बैठी-1
में आपने पढ़ ही लिया होगा की अपनी फ्रेंड वनिता के ससुर को मैंने अपना दीवाना बना लिया था.
आगे की कहानी इस तरह से है…
दूसरे दिन वनिता सुबह काम से बाहर चली गई. उस दिन 12 बजे से 2 बजे तक मैं भी अकेली थी. पति सुबह ही ऑफिस निकल गए थे.
वनिता के जाते ही उसके ससुर जी मेरे पास आ गए. मैंने दरवाजा खुला ही रखा था. मुझे पता था कि वनिता के जाते ही राजेन्द्र जी मेरे पास आ जाएंगे.
यही हुआ … वो वनिता के जाते ही मेरे घर आ गए. उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.
मैं किचन में थी, वो वहीं आ गए और मुझे पीछे से पकड़ कर किस करने लगे.
तब मैं बोली- अंकल, हॉल में चलो, मैं वहीं आती हूँ.ससुर जी हॉल में आ गए.
राजेन्द्र अंकल के जाने के बाद मैं भी हॉल में आकर उनके बाजू में बैठ गई. ससुर जी मुझे किस करने लगे.
मैं उनसे पूछने लगी- अंकल, आपको मेरे बारे में इतना गंदा विचार कैसे आ गया?
वे बोले- जब तुम हिला हिला कर मुझे अपना पिछवाड़ा देखाओगी, तो मैं क्या … कोई भी तुम्हारे पीछे पड़ जाएगा.
फिर कुछ देर हम दोनों ने बातें की. तभी वनिता का फोन आ गया. वो बोली- मैं तुम्हारे घर आ रही हूँ, ससुर जी कहां हैं.
मैं फोन पर जोर से बोली- हां जी, वो मेरे घर पर आए हुए हैं.
उसने फोन काट दिया.
राजेन्द्र ने मेरी तरफ देखा तो मैंने बताया कि वनिता का फोन था और वो इधर ही आ रही है. वो आपके बारे में पूछ रही थी.
वे ठीक होकर मुझे अलग बैठ गए.
कुछ दिन ऐसे ही चला.
फिर एक दिन पति को काम से बाहर जाना था तो पति ने मुझे फोन किया और बोले- मेरा बैग तैयार रखना, मुझे शाम को चेन्नई जाना है, मुझे कम से कम 15 दिन लग जाएंगे.
मैंने ओके कह कर फोन काटा और पति का सामान बैग में रखने लगी.
तभी वनिता आ गई और बैग लगाते देख कर बोली- लगता है, कहीं जा रही हो.
मैं बोली- नहीं यार … पति काम से बाहर जा रहे हैं.
वनिता बोली- वाओ यार … कब जा रहे हैं?
मैं बोली- आज रात में.
वो बोली- ओके …
कुछ देर हम दोनों ने बातें कीं और वो चली गई.
रात में पति आए, खाना खाकर थोड़ा आराम किया और 11 बजे वे निकल गए. उस रात मैं अकेली सोई.
दूसरे दिन वनिता दोपहर में घर आई और मुझसे पूछने लगी कि पति कब गए?
मैं बोली- रात में 11 बजे.
तब वो बोली- आज रात मैं ससुर जी को भेजती हूँ.
मैं मुस्कुरा दी. मैंने बोला- अरे यार तेरे पति क्या सोचेंगे?
तो वो बोली- कुछ नहीं, मैं बात कर लूंगी … और आज रात का खाना तू मेरे घर पर ही खाना.
मैं बोली- ओके, पर ये तो बता कि इसमें तेरा क्या फायदा है?
वो बोली- वो सब मैं बाद में बताऊंगी.
वो मुझे आंख मारकर चली गई.
रात में मैं उसके घर पर गई. मैंने आज फिर से वही रेड साड़ी और ब्लाउज पहना था.
वनिता के ससुर राजेन्द्र जी ने मुझे देख कर कहा- आओ कैसी हो?
मैं धीमे से बोली- मस्त हूँ.
तभी वनिता वहां आई और मुझसे बोली- चलो खाना खाते हैं.
हम सब खाना खाने बैठ गए. खाना खाते हुए ही वनिता बोली- बाबूजी, क्या आप आज सोने के लिए अनिषा के घर पर जा सकते हो? उसे अकेले सोने में डर लगता है.
वनिता के ससुर राजेन्द्र जी तुरंत मान गए. खाना होते ही मैं बर्तन समेटने में वनिता का थोड़ा हाथ बंटाने लगी.
वनिता बोली- यार छोड़ ये सब, जा आज मजे कर.
मैं हंस कर बोली- ओके.
मैं अपने घर पर आ गई. राजेन्द्र जी भी मेरे पीछे आ गए. मैंने दरवाजा बंद किया और बेडरूम में आ गई.
वहां जाते ही अंकल जी ने मुझे बांहों में भर लिया और किस करने लगे. साथ ही वे मेरे मम्मों को दबाने लगे.
मैं बोली- साड़ी तो चेंज कर लेने दो.
तो बोले- नहीं … चेंज क्या करना … अभी उतर जाएगी.
वे मुझे बेड पर लेटा कर किस करने लगे. उन्होंने धीरे धीरे मेरा ब्लाउज उतार दिया. मेरी साड़ी कब उतरी, मुझे पता ही नहीं चला. मैंने भी उनकी शर्ट उतार दी. मैंने उन्हें अपने नीचे लिटा कर किस करने लगी. उनका बरमूडा उतारा, तो उनका 8 का काला लंड सोया हुआ था.
मैं अंकल के लंड को हाथ में लेकर चूसने लगी.
वो भी दो मिनट में रेडी हो गए. फिर वो मेरी चुत में उंगली करने लगे. चूत में पराए मर्द की उंगली जाते ही मेरी सिसकारी निकलने लगी. मैं ‘उहु … अहहा..’ करने लगी.
वनिता के ससुर राजेन्द्र जी ने मुझे लिटा कर किस किया और मेरे मम्मों को दबाते हुए बोले- तुम बड़ी मस्त चीज हो मेरी जान … सारा मोहल्ला तुम्हें चोदना चाहता है.
वे मेरे ऊपर चढ़ गए. उनका लंड जो सोया हुआ 8 इंच का था, वो अब हाथ भर का लगने लगा था. अंकल ने अपना मूसल लंड हिलाते हुए मेरी चुत में सैट कर दिया. मेरी तरफ आंख मारते हुए धीरे धीरे अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर डालने लगे. मैं भी अंकल का साथ दे रही थी. उनका आधा लंड अन्दर जाते ही मेरी आंखें फैलने लगीं. इतना बड़ा लंड मैंने आज तक नहीं लिया था.
तभी अंकल ने एक तेज धक्का मार दिया और अपना पूरा लंड मेरी चुत में पेल दिया. मेरी चीख निकल गई. पर अंकल ने मेरी चीख पर ध्यान न देते हुए मेरी चुदाई ज़ोर ज़ोर से शुरू कर दी. मेरी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें बेडरूम में गूंजने लगीं.
करीब पांच मिनट बाद मेरी चूत ने अंकल के लंड को अपने अन्दर सैट कर लिया और मुझे अंकल से चुदने में मजा आने लगा.
करीब दस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के दौरान मैं दो बार झड़ गई. फिर अंकल ने भी मेरी चूत में ही अपना वीर्य छोड़ दिया.
इस तरह मेरी गैर मर्द से पहली चुदाई हुई.
फिर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर बात करने लगे.
मैंने कहा- कैसी लगी मेरी चुत?
तो वो बोले- मस्त … बड़ी टाईट लग रही थी. तेरा पति तुमको ढंग से नहीं चोदता है क्या?
मैं बोली- हां.
फिर अंकल बोले- मुझे औरतों की गांड पर चांटा मारते हुए चोदना पसंद है.
मैं बोली- जैसे आपको अच्छा लगे, आप मुझे चोद लो.
फिर कुछ देर बाद वो 69 में हो गए. मुझे जांघों में किस करते हुए मेरी चुत चाटने लगे और अपना लंड अंकल ने मेरे मुँह में दे दिया.
जैसे ही अंकल का लंड खड़ा हुआ, वो मुझे कुतिया बनने को बोले. मैं झट से डॉगी बन गई. अंकल मेरी गांड पर ज़ोर ज़ोर से चपत मारने लगे. मुझे उनके चांटों से बहुत दर्द हो रहा था. उन्होंने चांटे मार मार कर मेरी गांड लाल कर दी. साथ मेरे मम्मों को भी ज़ोर ज़ोर से मसल कर एकदम लाल कर दिया.
उसके बाद मुझे कुतिया पोज में मेरे पीछे से लंड फिट किया और मेरे मम्मों को दबाते हुए मेरी चुत में लंड ज़ोर से अन्दर तक पेल दिया. उनके हब्शी लंड से मुझे एकदम से दर्द हुआ और मैं रोने लगी.
पर वो नहीं माने और ज़ोर ज़ोर से मेरी चुदाई करने लगे. कुछ देर बाद मुझे भी मजा आने लगा था. मैं खुद अपनी गांड हिलाते हुए उनका लंड अन्दर तक लेने लगी.
इस तरह रात में वनिता के ससुर जी ने 3 बार मेरी चुत की चुदाई की. सारी रात सेक्स का मजा लेने के बाद हम दोनों सुबह 4 बजे सोए. फिर अंकल तो सुबह सात बजे ही उठ कर चले गए थे. पर मैं 11 बजे जाग सकी.
मैंने दिन देखा, तो वनिता के कई मिस कॉल पड़े थे. मैंने फोन उठाया ही था कि उसका फोन फिर से आ गया.
उसने मुझे बोला- यार, बाबू जी को लेकर साथ में नहा ले.
मैं बोली- ओके.
फिर वनिता के ससुर जी भी आ गए.
वो बोले- मैं नहाने जा रहा था, फिर सोचा तुमको जगा दूं.
तो मैं बोली- ओके अभी आप यहीं रुको, हम दोनों साथ में नहाते हैं.
वो भी मान गए. हम दोनों वॉशरूम में साथ में घुस गए.
रात की चुदाई और अंकल के चांटों के कारण मेरी गांड और मम्मे अब तक लाल थे.
नहाते हुए वनिता के ससुर जी बोले- अनु मजा आया?
मैं उनको चूमते हुए बोली- बहुत मजा आया.
वे बोले- तो आज फिर?
मैं बोली- पति के आने तक आप रोज मेरे साथ ही रहोगे. आप रोज मेरी चुदाई करोगे.
वो हंस कर बोले- अरे इतना पसंद आ गया मेरा लंड … मेरी जान, तुमको मैं हर तरह से चोद कर खुश कर दूंगा.
फिर अंकल मेरे मम्मों को देख कर बोले- मस्त लाल टमाटर लग रहे हैं और आज तो मैं गांड में भी लंड डालूंगा.
मैं बोली- ओके.
हम नहा कर फ्रेश हुए और चाय बना कर पी.
राजेन्द्र अंकल के जाते ही वनिता मेरे घर आ गई. वो बोली- वाह यार, आज बहुत खूबसूरत लग रही हो.
मैं मुस्कुरा दी और जो कुछ भी रात में अंकल के साथ हुआ, वो सब उसको बताया.
वो बोली- वाओ मस्त … अब मैं तेरी और बाबू जी की चुदाई देखना चाहती हूँ.
मैं बोली- वो कैसे?
तो वो बोली- दोपहर में.
मुझे कुछ अटपटा सा लगा, तो वह बोली- तू दोपहर में दरवाजा खुला रखना, मैं आ जाऊंगी.
मुझे लगा शायद वनिता भी अपने ससुर जी का लंड लेना चाहती होगी, इसलिए वो उनका लंड देखना चाहती है.
दोपहर को अंकल जी मेरे घर फिर से आ गए.
मैंने हंस कर कहा- क्या सब्र नहीं हुआ?
वनिता के ससुर बोले- तुम चीज ही ऐसी हो.
ससुर जी को मैंने कहा- अभी सिर्फ किस करना.
ससुर जी- ओके … तुम बाहर का दरवाजा बंद करो, मैं कमरे में जाता हूँ.
मैंने दरवाजा बंद किया, पर अन्दर से सिटकनी नहीं लगाई. हम दोनों कमरे में किस कर रह थे कि वनिता आ गई और अपने ससुर जी पर बरस पड़ी.
वो मुझे भी डांटने लगी. मैं स्तब्ध थी और चुप थी. वनिता के ससुर जी वनिता से माफी मांग रहे थे.
वनिता बोली- बाबूजी ठीक है, पर आपको मेरा भी एक काम करना होगा.
वो बोले- क्या?
तब वनिता बोली- बाबूजी आपके दोस्त रवींद्र से मुझे चक्कर चलाना है.
वो हैरत से बोले- क्या?
वनिता बोली- हां बाबू जी.
वो भी मान गए और बोले- बहू वैसे वो तो मान जाएगा, पर मैं उससे कैसे बोलूं?
वनिता बोली- बाबूजी वो जब घर आए, तो आप बस बाहर चले जाना, आगे का काम मैं सम्भाल लूंगी.
वो बोले- ठीक है.
फिर वनिता मेरे बाजू में आकर बोली- पांव लागूं सासू माँ.
राजेन्द्र जी भी मुस्कुरा दिए.
वनिता बोली- ओके बाबू जी, वैसे मेरी सहेली का टेस्ट कैसा है?
तो वो बोले- मस्त है.
मैंने अंकल से कहा- आप रात को आ जाना.
वो- ओके रात में आता हूँ.
अंकल चले गए. वनिता भी नहीं रुकी, वो भी चली गई.
वो दोनों रात का बोल कर चले गए थे. फिर वनिता अपने ससुर से भी खुल कर बातें करने लगी. ससुर से वनिता की मीटिंग रवींद्र से करा दी थी.
वनिता ने रवींद्र से चार दिन में ही सैटिंग कर ली. रवींद्र से सैट होते ही उसने पहले मुझे बताया. फिर अपने ससुर जी को भी बताया.
अब तक मेरे मम्मों और चुत के मज़े ले रहे ससुर जी बोले- साली मेरी बहू तो मुझसे भी ज़्यादा तेज निकली. रवींद्र को सैट लिया.
फिर रवींद्र और वनिता की चुदाई का प्रोग्राम भी मेरे ही घर होना तय हुआ.
इसके लिए वनिता के ससुर जी ने अपने बेटे को कुछ काम से 2 दिन के लिए बुआ के घर भेज दिया. ये बात रवींद्र को वनिता पहले ही बता चुकी थी कि उसका पति बाहर जाने वाला है.
वो उस रात मेरे घर सोने के लिए आने वाली थी. इसलिए उसने रवींद्र से कह दिया कि तुम रात को वहीं आ जाना.
वो रात में अकेली आई. मैं वनिता से बोली- अकेली आई हो, तुम्हारा ठोकू किधर है? मुझे क्या करना है?
वो बोली- हां यार, वो आने वाला है. आज की रात बस तुम मेरे घर चली जाओ. ससुर जी से मज़े कर लो.
उतनी देर में रवींद्र भी मेरे घर आ गए. वो मुझसे बोले- तुम किधर पर सोने वाली हो?
मैं बोली- यहां हॉल में.
वो लोग मेरे बेडरूम में चले गए.
उस रात में सोई नहीं. अनिषा अपनी सहेली वनिता और रवींद्र की चुदाई की आवाजें सुनने लगी.
वनिता बोली- जरा धीरे बोलो, बाहर मेरी सहेली है.
वो बोले- अभी तो कुछ भी नहीं किया.
वो वनिता को किस करने लगे और वे दोनों बेड पर एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे.
रवींद्र वनिता की चुत में उंगली करने लगे.
वनिता बोली- बाबूजी को पता नहीं चलना चाहिए.
वो बोले- नहीं मेरी जान.
वो वनिता को किस करने लगे. मैं बाहर से सब देख रही थी. बेडरूम का दरवाजा खुला था. उनकी चुदाई देख कर मेरी भी चुत में खुजली होने लगी.
वनिता रवींद्र का 7 इंच का मोटा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी. रवींद्र भी वनिता की चुत में उंगली करने लगे.
कुछ देर बाद दोनों की चुदाई शुरू हो गई. करीब 15 मिनट तक चुदाई चली. उसके बाद वे दोनों झड़ गए और वैसे ही नंगे लेट गए.
मैं भी अपनी चूत में उंगली करके सो गयी. उस रात वनिता के ससुर मेरा इंतजार करते रहे, उनकी मज़बूरी थी. रवींद्र के चलते वो मेरे घर नहीं आ पा रहे थे. अपना मोबाइल भी मैंने ऑफ़ कर रखा था.
इस वजह से दूसरे दिन सुबह से ही मुझे वनिता के ससुर के लंड का शिकार बनना पड़ा. उस दिन अंकल ने दवा खा कर मुझे लगातार एक घंटे तक चोदा, मेरी चूत अंकल के हाथ भर के लौड़े से चुद चुद करके सूज गई थी. उनके जाने के बाद मैंने एक घंटे तक गरम पानी से चूत की सिकाई की. वो तो गनीमत रही कि अंकल ने मेरी गांड नहीं मारी.
उस रात रवींद्र ने वनिता को 3 बार जम कर चोदा था. वो कैसी चुदाई हुई, ये जब वनिता मुझे बताएगी.
तब तक के लिए विदा. कहानी पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद.
आपकी चुदक्कड़ रानी अनिषा उर्फ़ अनु.
मेल कीजिएगा.
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