आज मैं आप लोगो के सामने अपने लाइफ के एक ऐसे हिस्से को पेश कर रही हूँ जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को हैं. आज मैं आप को बताने आई हूँ की कैसे मेरे फूफा ससुर ने मेरी बुर में अपना बैगन डाला! लिखने में थोड़ी कच्ची हूँ इसलिए कोई ग़लती हो तो माफ़ कर देना.
मेरा नाम रिया हैं और अभी मेरी एज ३८ साल की हैं. मेरे पति एक बीजी आदमी हैं, एक बड़े फर्म में काम करते हैं. मेरा एक बेटा हैं जिसकी एज अभी 11 साल हैं. वो पहले से ही हॉस्टल में रह के पढ़ाई कर रहा हैं. मैं और मेरे पति हम लोग जबलपुर में रहते हैं.
मेरे पति की बुआ का घर पड़ोस में ही हैं और बुआ की तो कुछ साल पहले एक एक्सीडेंट में डेथ हो गई हैं. फूफा जी मायालु और अच्छे स्वभाव के हैं जो अक्सर हमारे यहाँ आ के बैठते थे. फूफा जी के घर में बहु और बेटा हैं लेकिन वो लोग काम की वजह से ज्यादा इंदौर में ही होते हैं. अक्सर मैं फूफा जी के लिए अच्छा खाना भी बना देती थी.
फूफा जी के घर आने से मुझे कुछ ख़ास दिक्कत नहीं थी, बस ये के नाईट गाउन में कैसे उनके सामने जाऊं. एक दिन मैं फूफा जी के लिए लौकी का हलवा ले के गई. कमरा आधा खुला था तो मैंने सोचा की अंदर ही रख दूँ. अन्दर का सिन देख के मेरी चूत के बाल खड़े हो गए! पलंग में लेट के फूफा जी अपने बूढ़े लौड़े की हाथ से मसाज करने में लगे हुए थे! और साथ में वो कुछ बोल भी रहे थे, धीरे धीरे से.
मेरे को एक अजीब सा डर लगा और मैं वहां से भाग निकली. हडबडी में मैंने हलवे की कटोरी वही मेज पर रख दी जिसका मुझे ध्यान ही नहीं रहा. बार बार फूफा जी का फौलादी लंड मेरी आँखों के सामने आ रहा था. ढलती उम्र में भी इस बूढ़े ने क्या मस्त हथियार संभाल के रखा हुआ था. एक दो दिन हो गए फिर भी मैं जहन से वो लंड नहीं निकाल सकी. अब मुझे इस लंड को सोचने पर उत्तेजना आने लगी थी और फूफा जी के साथ चुदिया के ख़याल भी आने लगे थे. मेरा मन मुझे बहला रहा था की विधुर बूढ़े के लंड को ठंडा करेगी तो उसके पूण्य से धन्य हो जायेगी!
हफ्ता भर बिता होगा, दोपहर को झप्पी ले रही थी ममें. पाँव पर कुछ सरसरी सी हुई. मैंने फूफा जी के परफ्यूम को सूंघ लिया था. मन के ऊपर कंट्रोल नहीं हुआ. मैंने होंठो को दांत के निचे दबा दिये. पल भर के लिए लगा की वहम हैं मेरा, शायद मैं फूफा का औजार देख के बावरी हो गई थी!
नहीं, ये सच था लेकिन! अब फूफा जी के औजार की चुभन महसूस हुई जांघ के ऊपर और उनके हाथ मेरे बूब्स पर थे. नाइटी को मरोड़ के वो चुचे मसलने लगे मेरे. मेरे मन में वो मोटे लंड के ख्याल उभर उठे और मैंने आँखे बंद कर के एन्जॉय करना चालू कर दिया. अब फूफा जी ने नाइटी को ऊपर किया और वो अपने होंठो से मेरी घुटनों के ऊपर के हिस्से में चूमने लगे. एक सेकंड में ही वो मेरी जांघो पर आ गए और वहां गरम गरम किस देने लगे. मेरी चूत पानी पानी हो उठी पलभर के अंदर ही.
अब वो और उपर उठे और मेरी चड्डी के ऊपर से मेरी झांट को महसूस कर लिया उन्होंने. अब वो मेरी चड्डी में ऊँगली कर के चूत को सहलाने लगे. मेरे से अब ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने फूफा जी के हाथ के ऊपर हाथ रख के उसे अपनी चूत पर जोर से दबा दिया.
फूफा जी भी समझ गए की मेरी क्या कैफियत थी. वो मेरे कान के पास अपना मुहं ला के बोले: हलवे की कटोरी भूल गई थी तब से ही जानता था की मेरा लौड़ा तुम्हे भा गया हैं! अब आँखे खोल दो बहुरानी, मेरे लंड को भी कुछ मजे करवा दो!
मैं कुछ नहीं बोली तो वो आगे बोले, इतना नाटक मत करो सोने का. मेरी उंगलिया तुम्हारी बुर के पानी से भीगने लगी हैं अब तो.
तो मैंने आँखे खोल के स्माइल दे दी. उस बूढ़े ने एक पल भी नहीं होने दिया और होंठो के ऊपर होंठो को लगा के चूसने लगा.
बूढ़े ने अब मेरी चूचियां मसली और बोले, कैसा लगा मेरा लंड?
मैंने कहा, आप के भतीजे से अच्छा हैं!
ये सुन के फूफा जी की छाती चौड़ी हो गई और उन्होंने अपनी ट्रेक पेंट निकाल के फेंक दी. बनियान भी निकाल दिया. क्या मस्त मेंटेन बॉडी थी इस ढलती उम्र में भी. लंड ऐसे खड़ा था की छत को चेक कर रहा हो.
फूफा जी बोले, अब इसका कुछ करो बहुरानी!
मैंने लंड को हाथ में पकड़ा तो उसके अंदर की गर्मी से मेरी चूत और पानी पानी हो गई. फूफा जी ने मेरे माथे को अपने लंड पर दबा दिया. मैंने भी मुहं खोल के लंड ले लिया मुहं के अन्दर.
वाह क्या गर्मी थी इस बूढ़े लंड के अन्दर.
फूफा जी ने पलंग के ऊपर बैठ के अब मुझे निचे बिठा दिया. मैं उनके लंड का लोलीपोप करने लगी. फूफा जी ने मेरी गांड के ऊपर प्यार से हाथ फेरा नाइटी को साइड में कर के. वो गांड के होल को भी थूंक से गिला कर के उत्तेजित करने लगे. मेरे पति से मैंने काफी बार गांड मरवाई हैं, लेकिन गुदाद्वार की ऐसी उत्तेजना वो कभी कर नहीं सके थे. फूफा जी की कामुकता में कोई बात थी जरुर!
फूफा जी ने लंड का धक्का दिया तो पौना लंड मुहं में आ गया मेरे. मैंने बाकी के बहार के हिस्से को मुठ्ठी में दबा के हिलाया और चूसने लगी. फूफा जी ने बोला, निचे मेरे गोटें भी तेरे प्यार के मोहताज हैं बहुरानी.
मैंने गोलाईयां दबाई तो इस बूढ़े में क्या जनून जागा की उसने मेरी गांड में एक ऊँगली और चूत के काने में दो ऊँगली डाल दी.
वाह क्या मजे थे इसमें तो. एक साथ मेरे तीनो होल को बूढा खुश कर रहा था. मैं पानी पानी हो गई और इस पानी की चिकनाहट का यूज कर के फूफा जी मेरी चूत को चोदने लगे अपनी ऊँगली से. और चूत का पानी गांड के ऊपर ला के वो गांड में भी ऊँगली करने लगे.
मेरी हालत तो ऐसी थी की एक एक पल में सेक्स की हजारों खुशियाँ लूट रही थी. साले मेरे पति को ये सब क्यूँ नहीं आता हैं!
फूफा जी ने अब एक साथ दो ऊँगली मेरी गांड में डाली तो मेरे को दर्द उठा, लेकिन मजे उतने थे की दर्द को इग्नोर कर दिया मैंने!
करीब 10 मिनिट तक फूफा जी के फौलाद को चूस के मैंने उसे पिचकारी मारने पर मजबूर किया. बूढ़े ने मुहं में से वीर्य की एक बूंद बहार नहीं निकालने दी, सब पीना पडा मुझे!
फूफा जी फ्री हो के मुझे बोले, चलो खोल दो बुर मेरे लिए डार्लिंग, आज मैं तुम्हें सनी लियोनी बना दूंगा!
मैंने नाइटी चड्डी सब निकाल फेंका और पूरी नंगी हो के बिस्तर में फ़ैल गई. फूफा जी ने जगह बनाई चूत चाटने के लिए और लग गए धंधे पर.
वाह क्या मजे थे इस बूढ़े की चुटू चुसाई में भी. वो ऊपर निचे नहीं लेकिन दायें बाएं हिला रहे थे अपनी जुबान को जिस से मुझे ओरल सेक्स का एक नया ही आयाम महसूस हुआ. मैं ऐसी उत्तेजित अपनी लाइफ में पहले कभी नहीं हुई थी ये एक हकीकत थी.
फूफा जी ने गांड में एक ऊँगली डाली निचे से और चूत चाटने लगे. मेरी गांड में भी साले ने कामुकता जगा डाली थी. मैंने अपने दोनों चुचों को पकड़ा और कमर के बल अपनी चूत को इस बूढ़े के मुहं पर घिसने लगी. फूफा जी ने मेरी जांघे पकड़ी और बोली, वाह मेरी डार्लिंग, तेरी बुर में तो बड़ी मस्ती हैं.
वो कुछ और कहते इसके पहले मैंने उनका मुहं पकड के वापस अपनी चूत पर दबा दिया. मैं नहीं चाहती थी की वो बोले और चुसना बंद करे.
वो एक बार फिर से चूत को होंठो से और जबान से चाटने लगे.
२ मिनिट में ही मेरी बुर का सब पानी मैंने उन्हें पिला दिया.
वो जब उठे तो मेरी दो तिन झांट भी लगी हुई थी उनके होंठो पर.
उनका लंड भी रेडी हो गया था फिर से.
मैंने हाथ में लेना चाहा तो वो पास आये. मैंने लौड़े की मुठ मार दी आधी मिनिट और उसे एकदम टाईट कर दिया.
फूफा जी ने अब मुझे लिटाया और मेरी चूत को खोल दिया.
मैं एकदम हॉट हो गई थी और मेरी निप्पलस लोहे की बन गई थी. फूफा जी ने लंड रखा चूत पर तो मैं पागल सी हो उठी. उन्होंने एक स्ट्रोक कर के मेरी बुर को जो खंगाला की मैं मचल उठी. चद्दर मरोड़ थी और फूफा जी को बाहों में भर के उनकी मर्दानी शोल्डर को महसूस की.
\फूफा जी ने ताबड़तोड़ घोड़े के जैसे चोदना चालू कर दिया मुझे.
वाह क्या धक्के थे उनके, लंड का सुपाडा रखते थे सिर्फ अंदर, पूरा निकाल के वापस घुसा देते थे. मैंनेतो अब गहरी सांसे लेनी चालू कर दी थी. फूफा जी के लौड़े में क्या नशा था यार!
10 मिनिट तक मैं इस लंड से ऐसे ही चुदी, क्या पता वो कुछ ले के आये थे वीर्यस्खलन रोकने के लिए!
अब वो बोले, पीछे डालूं बहुरानी?
मैंने कहाँ, डाल ही दो फूफा जी, मजे पुरे ही करवा दो आज आप!
वो हंस के बोले, आज से तो हमारा प्यार चालु हुआ हैं, अब जब कहोगी मैं तुम्हें तृप्त करूँगा!
मैं घोड़ी बनी. फूफा जी ने कुल्हें दबाये और खोले, गांड के होल पर सेंटर मिला के वो ढेर सा थूंके थूंक में लंड को रख के बोले, तेरी गांड का होल देख के तेरी बुआ याद आ गई.
मैंने कहा, कैसी हैं मेरी गांड, मैंने नहीं देखी.
वो बोले, कयामत हैं बहुरानी.
और फिर उन्होंने एक ही धक्के में लंड आधा गांड में डाल दिया. मेरे को ऐसा हुआ की अभी हग दूंगी इस लंड की गर्मी से. फूफा जी अनुभवी खिलाडी थे, एकदम से नहीं मारी गांड. पहले एडजस्ट हुई मैं लंड से फिर पौना और फिर पूरा लंड अन्दर किया उन्होंने. और फिर हलके हलके चोदा.
कुछ देर के बाद मेरी गांड फाड डाली उन्होंने अपनी असली ताकत दिखा के, क्या मार रहे थे यार.
मैं बस पड़ी हुई थी कुतिया बन के और वो जोर से फक कर के अपना लावा गांड में ही निकाल बैठे.
जब उन्होंने लंड गांड से निकाला तो सच में मैंने हग दिया था थोडा. उनका लंड गू और वीर्य से भरा पडा था.
वो एक रुमाल से लंड साफ़ कर के बोले, आप ने तो हग दिया बहु रानी!
मैंने कहा, आप का लंड किसी की भी गांड से गू निकाल देगा!
वो हंस के बोली, तुम्हारी बुआ भी बहुत हगी थी हनीमून के दिनों में.
फिर वो कीचन में गए. मैंने ऐसे ही लम्बा हो के गांड का दर्द कम होने दिया. पांच मिनिट के बाद वो गरम गरम कोफ़ी के दो कप ले के आये. मैंने कोफी पीते हुए अपने दुपट्टे से उनके लंड को साफ़ किया. फूफा जी ने मेरे बालों में हाथ फेर के कहाँ, बहुरानी सच में बहुत मजा आया तुम्हारे साथ में!