देसी ग्रुप सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने मामा के दो बेटों को अपनी दो फुफेरी बहनों की चूत दिलाकर उनको पहली बार चुदाई का मजा दिलाया.
मित्रों, मेरा नाम भगवानदास उर्फ़ भोगु आप सभी का रिश्तों में चुदाई की कहानी में स्वागत करता हूँ.
अब तक पिछली इंडियन फैमिली सेक्स स्टोरी
मामा की बेटी की चुदाई उसी के घर में
में आपने पढ़ लिया था कि नए साल की शुरुआत को हम सब भाई बहन आपस में चुदाई करके करने वाले थे.
अब आगे की इंडियन फैमिली सेक्स स्टोरी:
अर्चना के सुर्ख लाल होंठों से मैं भी जाम पीने लगा और उसके दोनों कसे हुए मम्मों को निहारने लगा.
उसके एकदम गर्म मखमल की तरह मुलायम मम्मों को हाथ से सहलाने लगा. इससे अर्चना की चुचियों में कठोरता आ गई.
अर्चना की क्लीवेज से होते हुए किसी घाटी जैसे नीचे गहरी नाभि गजब ढा रही थी. उसे चूमते हुए धीरे धीरे से उसके बड़े चूतड़ों को भी मैं मसलता जा रहा था.
फिर पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत को छूने की कोशिश की तो उसने भी उत्तेजना में अपनी टांगें थोड़ी सी खोल दीं.
अर्चना की चुत पर उंगलियां फेरने से उसकी चूत की बनावट मुझे अपनी उंगलियों पर महसूस होने लगी थी.
वह पूरी उत्तेजना में आ गई थी.
मेरा लंड भी अपनी रिश्ते में बहन की कमसिन जवानी को पाकर पूरे जोश में आ चुका था. उसकी कमसिन गुलाबी चुत ने मेरी उंगलियों से घायल हो गाढ़ा पानी छोड़ दिया.
उसकी चूत सहलाने से गजब का मजा आ रहा था और मेरा लंड उछल उछल कर ऊपर उठ रहा था.
फिर अर्चना ने मेरे हाथ को पकड़ लिया. चुत के पानी से उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी और वो चुदाई के लिए मेरे लंड को आमंत्रित कर रही थी.
मैंने भी उसकी उत्तेजना को समझ लिया और उसकी ब्रा और गीली पैंटी उतार कर उसे मादरजात नंगी कर दिया.
उसे मैंने अपनी गोद में दोनों तरफ़ टांगें चौड़ी कर बैठा लिया, तो अर्चना की चुत और मेरा लंड दोनों आमने सामने आ गए.
मैं अर्चना की बड़ी बड़ी गोरी चुचियों को पीने और चूसने लगा.
अर्चना एक हाथ से ही धीरे धीरे लौड़ा सहला रही थी और मैं अपनी बहन को धीरे धीरे सिर से लेकर पैर तक उलट पुलट कर चूमने लगा.
अब अर्चना की बारी थी.
उसने मेरे लंड पर पास में रखी बजाज आलमंड आयल से मालिश की, तो लंड चुत में घुसने के लिए बेकरार हो उठा.
अब मुझे उसकी चुत के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था.
मैंने चुत के मुँह पर लंड के टोपे को टिकाकर दबाव बनाया ही था कि मेरी बहन ने लम्बी सांस लेते हुए अपनी गांड उछाल दी और अपनी चुत में मेरा आधा लंड गटक लिया.
मैंने चुत की गर्मी पाकर फिर से एक बार पूरी ताकत से झटका मारा और इस बार मेरा पूरा लंड अर्चना की चूत में समा गया.
इस बार उसको दर्द हुआ और वो चीख उठी थी- आह आह … मम्मी मर गई साले पूरा मूसल ठोक दिया … ओह माई गॉड आई आईईईई मर गई.
उसकी चीख सुनकर मैं रुक गया.
थोड़ी देर बाद जब अर्चना नार्मल हो गई, तो मैं लंड बाहर निकाल कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.
अर्चना की कसी हुई चुत में लंड जकड़ कर अन्दर बाहर हो रहा था, जिससे बहुत मज़ा आ रहा था.
थोड़ी ही देर में अर्चना भी अपनी गांड उठा उठा कर चुत चुदवाने लगी. उसकी चुत से पानी टपक रहा था.
हम दोनों ने पोजिशन बदली और अब मैंने अर्चना को घोड़ी बना दिया.
उसकी मोटी जांघें और चौड़ी गांड के बीच फूली हुई चुत बाहर निकल कर जैसे लंड को घुस जाने आमंत्रण दे रही थी.
मैंने पीछे से चुत में जड़ तक लंड पेल दिया और चुदाई करने लगा. अर्चना की पीठ पर झुक कर मैंने उसकी दोनों चूचियों को लगाम की तरह खींच लिया और चुत की धज्जियां उड़ाना शुरू कर दीं.
मेरे नीचे झुकी अर्चना, लौड़े से लगते मेरे हर धक्के पर कराहती हुई अपनी गांड लंड पर ऐसे धकेल रही थी, जैसे आंड समेत पूरा लंड गटक जाएगी.
पूरे दस मिनट तक हम दोनों ऐसे ही चुदाई करते रहे. फिर तृप्त होकर थोड़ी देर में हम दोनों एक साथ झड़ गए.
अर्चना कटे पेड़ की तरह मुँह के बल गिर गई और मैं नंगा ही उसके ऊपर पड़ा अगल बगल का नजारा देखने लगा.
मैंने देखा कि दीपक दीवार पकड़ कर अनु दीदी के पीछे से उनकी गांड मार रहे थे.
रीना दीदी सुमंत के ऊपर लंड को चुत में लिए हुए थीं और गांड उछाल उछाल कर चुद रही थीं.
लेकिन कमसिन जोड़ी में महंत के साथ रंजू सिर्फ एक दूसरे से गुत्थम गुत्थी कर रहे थे.
हम दोनों उनके पास गए तो देखा कि रंजू को जमीन पर दबा कर महंत चुत में लंड डालने की असफल कोशिश कर रहा था.
मुझे देख कर रोती हुई सूरत में रंजू ने कहा- मैं महंत का बड़ा लंड नहीं ले सकती.
अर्चना ने उन दोनों को अलग किया, तो देखा कि महंत का तकरीबन आठ इंच लंबा और ढाई इंच मोटा काला मूसल जैसा लंड चमक रहा था.
महंत का मूसल सा लंड देख कर हम दोनों अवाक रह गए. किसी भी सूरत में रंजू जैसे अनाड़ी लड़की के लिए इतना मोटा लंड झेलना नामुमकिन था.
वो ज़मीन पर बैठी मेरी टांगों को पकड़ कर राहत पाने के लिए रो रही थी.
महंत का ऐसा हब्शी लंड देख कर अनु दीदी लपक कर आईं और बोलीं- हटो परे … इसे मैं संभाल लूंगी.
अनु दीदी की जगह अर्चना अपनी चुदी हुई चुत पर हाथ फेरते दीपक के साथ पहली बार चुदवाने हाज़िर हो गई.
उधर रंजू मेरे पास बैठी रोती रही.
मैंने मन ही मन खुश हो रंजू को जमीन से उठा कर अपनी गोद में खींच लिया और उसके साथ चूमा चाटी करते हुए फोर प्ले करने लगा.
महंत अपने मुँह से रगड़ कर रंजू की चुत को एक बार झाड़ चुका था.
मैंने रंज को सीधा लिटा कर उसकी मोटी मोटी जाघों को मोड़ दिया, जिससे उसकी फूली चुत उभर कर आ गई.
उसकी गीली और चिकनी चुत में मैं आहिस्ते से लंड उतारने लगा. रंजू दर्द से कराह उठी लेकिन अब वो भाग नहीं रही थी, इसलिए मैं धीरे धीरे रंजू की चुदाई करते हुए अनु दीदी को देख रहा था.
अनु दीदी दोपहर से जानती थीं कि महंत का लंड बहुत मोटा और तगड़ा है इसलिए बड़ी उमंग से उन्होंने वर्जिन महंत को नंगा लिटाया. फिर 69 की पोजीशन में उसके ऊपर चढ़ गईं.
दीदी ने अपने गोरे गद्देदार चूतड़ों के बीच पावरोटी की तरह फूली हुई गुलाबी चुत को उसके मुँह पर रख दी और मदमस्त लंड को पकड़ कर चूसने लगी थीं.
महंत दीदी की चुत को ताबड़तोड़ चाट रहा था.
वो अनु दीदी की बड़ी गांड तक अपनी जीभ फेर रहा था.
दीदी की गांड किसी डिस्प्ले स्क्रीन की तरह चमक रही थी.
महंत का आठ इंच लंबा लंड फूल कर कड़क हो गया. अनु दीदी ने पोजीशन बदल लंड को अपनी दोनों जांघों के बीच गहरी चुत के मुहाने पर टिकाया और उस पर बैठ गईं.
खड़े लौड़े पर बैठते ही दीदी की ‘आह … माई आईईईई स्स.’ निकल गई.
जबकि अभी महंत का आधा लंड भी चुत के अन्दर नहीं गया था.
अपनी उखड़ती सांसों को संयत करके अनु दीदी ने मेरी तरफ़ देखा और एक जोरदार नीचे धक्का लगा दिया.
महंत का आठ इंच लंबा मूसल लंड गटकते ही दीदी की एक जबरदस्त चीख निकल गई.
यह नजारा देख कर हम सब उनके अदम्य साहस के कायल हो गए.
मूली बैंगन खीरा ककड़ी खाने वाली चुत को आज ढंग का लंड नसीब हुआ था. उनकी चुत से हल्का सा खून आ गया था.
वैसे अनु दीदी बहुत सुंदर थीं. उस पर उनका सेक्सी शरीर की खूबसूरती को बयान करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं थे.
रंजू ने दीदी चुत का खून देख लिया और वो घबरा गई.
फिर उसने अनु दीदी की चूत से खून साफ़ किया.
अनु दीदी ने खून की परवाह न करते अपने नीचे दबाए हुए महंत को चूमते हुए तीन चार झटके और लगा दिए.
उनकी प्यार भरे झटकों से नीचे दबा कुंवारा महंत भी लंड का धागा टूटने से बिलबिला रहा था.
पहली बार चुदाई की वजह से उसका लंड छिल गया था.
वो हटने के लिए कहने लगा तो दीदी ने महंत से कहा- डरो मत … पहली बार ऐसा होता है. अब तुम वर्जिन नहीं हो. तुमने मेरी चुत का कचूमर निकाल दिया है. अब तुम्हें चुदाई में अच्छा लगेगा.
महंत चुप हुआ तो दीदी धीरे धीरे बड़ी मस्ती में अपनी गांड उठा-उठा कर महंत के फौलादी लंड पर पटकने लगी थीं.
इससे दीदी की चुत फैलने सिकुड़ने लगी थी.
किसी अंग्रेजी ब्लू फिल्म की तरह अनु दीदी लगातार पांच मिनट तक कमर नचाती हुई चुत के हर कोने में लंड के झटके महसूस करते हुए असीम आनन्द में सिसकारियां भरने लगी थीं.
अनु दीदी की गुंदाज़ बड़ी बड़ी चूचियां उछल उछल कर सीने से ही आजाद होने के लिए फड़फड़ा रही थीं.
एक मंजी हुई चुदक्कड़ रांड की तरह दीदी लंड की मां चोदती रहीं.
करीब दस मिनट की घनघोर चुदाई के बाद महंत और अनु दीदी दोनों तड़प तड़प कर झड़ रहे थे.
अनु की चुत का मुँह मोटा लौड़ा लेने के कारण मरी हुई मछली के मुँह की तरह खुला दिख रहा था. अनु दीदी आज महंत के लंड से हारकर भी मानो जीत गई थीं.
दीदी की वासना देख कर मैं मतवाला हो गया. इसी मस्ती में मैंने अपने नीचे दबी रंजू की चूत में फिर से लंड डाल दिया और झटका लगाने लगा.
रंजू मस्त हो गई थी और हम दोनों एक दूसरे की बांहों में झूल रहे थे. वो मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा रही थी.
उसके दर्द और सिसकारियों से कमरा गूंज उठा था- आह आह हाअहाहह … श्श्ह्श्स ह्श्स मैं मर गई … आईईईई ओ माई गॉड … चोदो मुझे … आह.’
उसे बेहद दर्द हो रहा था. मेरा 7 इंच का पूरा लौड़ा उसकी फुद्दी के अन्दर तक हलचल मचा रहा था.
कुछ देर बाद तीव्रता कम करते हुए मैंने धीरे धीरे झटके लगाते हुए मंदगति से रंजू की चुत चुदाई चालू कर दी थी.
मेरा पूरा लंड अब उसकी चूत के पूरा अन्दर तक आ जा रहा था. मेरा लौड़ा रंजू की बच्चेदानी के मुँह पर टक्कर मार रहा था. हर टक्कर पर रंजू ऐंठ जाती थी.
कुछ देर के बाद रंजू झड़ गई लेकिन मैं लगातार उसकी चुत चुदाई करता रहा.
मेरा ये दूसरे राउंड होने के कारण झटके ज्यादा लगाने से रंजू जांघों के बीच छटपटाने लगी.
पहले ही महंत ने बुरी तरह उसकी चुत को चूस कर रगड़ दिया था … इसलिए उसकी चुत में जलन होने से रो रही थी.
कमसिन रंजू मुझसे छूटने के लिए गुहार करती रही … लेकिन पानी नहीं निकलने तक मैं उसकी चुत का मान मर्दन करता रहा.
दस मिनट बाद मैंने पूरा अपना गर्म लावा चुत में छोड़ दिया. रंजू की चुत का पानी भी निकल गया.
उसका और मेरा पानी मिलकर एक सुखद अहसास दे रहे थे.
हम दोनों ने एक-दूसरे को गले लगा लिया. उसे गोद में लेकर मैं ज़मीन पर लेट गया.
तभी रंजू की नजर रीना दीदी से मिली … जो सुमंत कुमार के साथ दूसरी राउंड की चुदाई से बहुत संतुष्ट और खुश हो रही थीं.
अर्चना भी दूसरी बार दीपक से चुदाई करवा कर हांफ रही थी.
कमरे का वातावरण ऐसा शांत था मानो किसी तूफान के निकल जाने के बाद महसूस हो रहा हो.
वीर्य और चुत रस के कसैली खुशबू कमरे में महक रही थी.
हम लोग ढाई बजे तक थक कर चूर अपने अपने पार्टनर के साथ ज़ंग जीत चुके थे … लेकिन चुत और लंड घायल हो गए.
शराब और शवाब के नशे में वहीं सब लोग हॉल में ही नग्न पड़े रहे.
न जाने कब नींद लग गई. फिर सीधे अगले दिन सुबह ही आंख खुली.
रात का नशा काफूर हो गया, जब हमने सब एक दूसरे को नंगा देखा.
उसके बाद अपने ममेरे भाई बहनों को विदा कर मैं अनु दीदी को अपने साथ लेकर बुआ के घर छोड़ दिया.
सुमंत और महंत पहली बार किसी लड़की की चुदाई कर नए साल में आगाज़ कर चुके थे और अब अपनी सगी बहन अर्चना को चोदने की कोशिश में लगे हुए थे.
लेकिन बड़ी बहन के आगे उनकी एक नहीं चलती थी.
घर में जवान चुत आखिर कब तक खैर मनाती.
कुछ चुत की खुजली और कुछ लंड की ललक ने आखिर हार मान ही ली और एक दिन मौका देख दोनों भाइयों ने अपनी सगी बहन अर्चना की चुदाई कर ही दी.
अर्चना को वो काली रात भारी पड़ गई थी, जिसका जिक्र फिर कभी करूंगा.
रिश्तों में इस तरह की चुत चुदाई एक सत्य घटना है और विश्वसनीय है. क्योंकि ये सब जानते हैं कि रिश्तों में चुदाई करना सबसे सुरक्षित और सुगम होता है.
आपको ये इंडियन फैमिली सेक्स स्टोरी कैसी लगी … प्लीज़ में करना न भूलें.
अगली बार के दो मसले साझा होने बाकी हैं. एक अर्चना की मम्मी और मेरी मामी के साथ मेरी चुदाई की कहानी और दूसरी सेक्स कहानी वो जिसमें अर्चना की मदमस्त जवानी का मजा उसके दोनों भाइयों ने उसकी चुत चुदाई करके मजा लिया था.
इस इंडियन फैमिली सेक्स स्टोरी के बाद इन दोनों को ही लिखूंगा.
धन्यवाद.
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